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Pratyush Sayan
Приєднався 6 кві 2012
Ataullah Khan Esakhelvi - Aakar Hamari Kabr Pe Tumne Jo Muskura Diya आकर हमारी कब्र पर तुमने जो...
🎶 गिरेबाँ चाक किये फिर रहा हूँ गुलशन में,
गुलों की साख से बिछड़ा हुआ गुलाब हूँ मैं,
बहारें रूठ गयी एक फरेब देकर मुझे,
मुझे ना देखो कि उजड़ा हुआ शबाब हूं मैं। 🎶
🎶 इश्क को दर्द-ए-सर कहने वालों सुनो
कुछ भी हो हमने ये दर्द-ए-सर ले लिया
वो निगाहों से बच कर कहाँ जायेंगे,
अब तो उनके मोहल्ले में घर ले लिया।
आये बन-ठन के शहर-ए-ख़मोशाँ में वो
कब्र देखी जो मेरी तो कहने लगे,
अरे! आज इतनी तो इसकी तरक्की हुई,
एक बेघर ने अच्छा सा घर ले लिया। 🎶
🎶 हम अहल-ए-वफ़ा हुस्न को रुसवा नहीं करते।
पर्दे भी उठे रुख़ से तो देखा नहीं करते।
कर लेते हैं दिल अपना तसव्वुर ही से रौशन।
मांगों के चरागों का उजाला नहीं करते। 🎶
🎶 तन्हा बनाकर जो दुनिया मिटायी जाती है
जरुर कोई कमी है जो पायी जाती है
जब अजनबी कोई आता है उनकी महफ़िल में
तो एक शमा उसी दम जलायी जाती है
जलाकर शमा वो फौरन बुझा भी देते हैं
धुएँ की सिम्त फिर उंगली उठाई जाती है
धुंआ दिखाकर वो कहते हैं आने वालों से
कि आशिकों की ये हालत बनायी जाती है। 🎶
🎶 बाल बिखराये टूटी कब्रों पर जब कोई मह-जबीं रोती है
मुझको अकसर ख्याल आता है, अरे मौत कितनी हसीन होती है। 🎶
🎶 वो सर खोले हमारी लाश पर दिवाना-वार आये,
इसी को मौत कहते हैं तो या रब बार-बार आये। 🎶
🎶आकर हमारी कब्र पर तुमने जो मुस्कुरा दिया
बिजली चमक कर गिर परी सारा कफन गिरा दिया।
मुझे मौत दी की हयात दी, ये नहीं सवाल कि क्या दिया!
तेरी इक निगाह-ए-नाज़ ने कोई फैसला तो सुना दिया।
पहले तो पिस-पिस कर सुरमा मेरा बना दिया,
आए हो हाल पूछने जब खाक में मिला दिया।
चैन से सो रहा था में ओढ़े कफन मजार में,
यहाँ भी सताने आ गये किस ने पता बता दिया।
झोफड़े में फकीर के, इसके सिवा रखा है क्या!
फर्श-ए-नज़र बिछा दिया, तकिया-ए-दिल लगा दिया।
मेरा तुम्हारा फैसला होगा खुदा के सामने,
तुम ने जो तैघ खींच ली, मैंने भी सर झुका लिया,
जाओ सिधारो मेरी जान तुम पर खुदा की हो अमाँ ,
बिछड़े हुवे मिलेंगे फिर क़िस्मत ने अगर मिला दिया।
आकर हमारी कब्र पर तुमने जो मुस्कुरा दिया
बिजली चमक कर गिर परी सारा कफन गिरा दिया। 🎶
शब्दार्थ: चाक - फटा हुआ, शिगाफ़ता; शबाब - यौवन, जवानी; मह-जबीं - चाँद की सी रोशन पेशानी वाला, हसीन; शहर-ए-ख़ामोशाँ - मूक लोगों का नगर, अर्थात् क़ब्रिस्तान; रूसवा - ज़लील, लांछित, बदनाम, बेइज़्ज़त; सिम्त - मोतियों की लड़ी, धुंध की लड़ी; दिवाना-वार - पागलों की तरह; अमाँ - सुरक्षा, पनाह, हिफ़ाज़त
गुलों की साख से बिछड़ा हुआ गुलाब हूँ मैं,
बहारें रूठ गयी एक फरेब देकर मुझे,
मुझे ना देखो कि उजड़ा हुआ शबाब हूं मैं। 🎶
🎶 इश्क को दर्द-ए-सर कहने वालों सुनो
कुछ भी हो हमने ये दर्द-ए-सर ले लिया
वो निगाहों से बच कर कहाँ जायेंगे,
अब तो उनके मोहल्ले में घर ले लिया।
आये बन-ठन के शहर-ए-ख़मोशाँ में वो
कब्र देखी जो मेरी तो कहने लगे,
अरे! आज इतनी तो इसकी तरक्की हुई,
एक बेघर ने अच्छा सा घर ले लिया। 🎶
🎶 हम अहल-ए-वफ़ा हुस्न को रुसवा नहीं करते।
पर्दे भी उठे रुख़ से तो देखा नहीं करते।
कर लेते हैं दिल अपना तसव्वुर ही से रौशन।
मांगों के चरागों का उजाला नहीं करते। 🎶
🎶 तन्हा बनाकर जो दुनिया मिटायी जाती है
जरुर कोई कमी है जो पायी जाती है
जब अजनबी कोई आता है उनकी महफ़िल में
तो एक शमा उसी दम जलायी जाती है
जलाकर शमा वो फौरन बुझा भी देते हैं
धुएँ की सिम्त फिर उंगली उठाई जाती है
धुंआ दिखाकर वो कहते हैं आने वालों से
कि आशिकों की ये हालत बनायी जाती है। 🎶
🎶 बाल बिखराये टूटी कब्रों पर जब कोई मह-जबीं रोती है
मुझको अकसर ख्याल आता है, अरे मौत कितनी हसीन होती है। 🎶
🎶 वो सर खोले हमारी लाश पर दिवाना-वार आये,
इसी को मौत कहते हैं तो या रब बार-बार आये। 🎶
🎶आकर हमारी कब्र पर तुमने जो मुस्कुरा दिया
बिजली चमक कर गिर परी सारा कफन गिरा दिया।
मुझे मौत दी की हयात दी, ये नहीं सवाल कि क्या दिया!
तेरी इक निगाह-ए-नाज़ ने कोई फैसला तो सुना दिया।
पहले तो पिस-पिस कर सुरमा मेरा बना दिया,
आए हो हाल पूछने जब खाक में मिला दिया।
चैन से सो रहा था में ओढ़े कफन मजार में,
यहाँ भी सताने आ गये किस ने पता बता दिया।
झोफड़े में फकीर के, इसके सिवा रखा है क्या!
फर्श-ए-नज़र बिछा दिया, तकिया-ए-दिल लगा दिया।
मेरा तुम्हारा फैसला होगा खुदा के सामने,
तुम ने जो तैघ खींच ली, मैंने भी सर झुका लिया,
जाओ सिधारो मेरी जान तुम पर खुदा की हो अमाँ ,
बिछड़े हुवे मिलेंगे फिर क़िस्मत ने अगर मिला दिया।
आकर हमारी कब्र पर तुमने जो मुस्कुरा दिया
बिजली चमक कर गिर परी सारा कफन गिरा दिया। 🎶
शब्दार्थ: चाक - फटा हुआ, शिगाफ़ता; शबाब - यौवन, जवानी; मह-जबीं - चाँद की सी रोशन पेशानी वाला, हसीन; शहर-ए-ख़ामोशाँ - मूक लोगों का नगर, अर्थात् क़ब्रिस्तान; रूसवा - ज़लील, लांछित, बदनाम, बेइज़्ज़त; सिम्त - मोतियों की लड़ी, धुंध की लड़ी; दिवाना-वार - पागलों की तरह; अमाँ - सुरक्षा, पनाह, हिफ़ाज़त
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Mohe Panghat Pe Nandlal Chhed Gayo Re - Jugalbandi by Usad Bismillah Khan and Ustad Vilayat Khan
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मोहे पनघट पे नंदलाल छेड़ गयो रे - विरल जुगलबंदी उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ और उस्ताद विलायत ख़ाँ (composed in “Pancham-se-Gara”) Gara- Introduction: The Raga & The Fragrance Gara is a rare raga which belongs to a family of ragas, which were apparently derived from folk melodies, & entered art-music in association with the Thumree. This family includes ragas like Kafi, Pilu, Jangula, Barwa, & Zilla,...
Pulwama Attack - A Salute to all those courageous martyrs who lost their lives in dastardly attack.
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On 14 February 2019, a convoy of vehicles carrying security personnel on the Jammu Srinagar National Highway was attacked by a vehicle-borne suicide bomber at Lethpora (near Awantipora) in the Pulwama district, Jammu and Kashmir, India. The attack resulted in the deaths of 40 Central Reserve Police Force (CRPF) personnel and the attacker. The responsibility for the attack was claimed by the Pak...
Sabri Brothers - Laboun Pe Tabassum (लबों पे तब्बसुम)
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लबों पे तब्बसुम (सबरी ब्रदर्स) लबों पे तब्बसुम निगाहों में बिजली, कयामत कहीं से चली आ रही है। अब ऐसे में दिल का अल्लाह हाफिज़, कि नजरें से नजरें आज टकरा रही है। कि कहाँ तुम रहोगे, कहाँ गम रहेगा। कहाँ तीर पहली नजर का चुभेगा। खुदा के लिए अपनी नजरों को रोको कि मेरे दिल की दुनिया लुटी जा रही है। कि न जाने जमाने का क्या हाल होगा, निगाहें गुलाबी, अदाएँ शराबी। वो अब इस तरह सामने आ रहे हैं, कि जैसे चमन ...
Sleeping at Last - Saturn (Beauty of Mother Nature)
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Song title - 'Saturn' by 'Sleeping at Last' You taught me the courage of stars before you left How light carries on endlessly, even after death With shortness of breath, you explained the infinite How rare and beautiful it is to even exist I couldn't help but ask For you to say it all again I tried to write it down But I could never find a pen I'd give anything to hear You say it one more time ...
Harish Salve on Citizenship Amendment Bill (CAB) 2019
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Harish Salve on Citizenship Amendment Bill (CAB) 'CAB is not anti-Muslim and doesn’t violate Article 14, 15 or even 21 of the Constitution.'
𝐒𝐮𝐧𝐚𝐧𝐝𝐚 𝐕𝐚𝐬𝐡𝐢𝐬𝐡𝐭 𝐝𝐞𝐩𝐨𝐬𝐢𝐭𝐢𝐨𝐧 𝐨𝐧 #𝐊𝐚𝐬𝐡𝐦𝐢𝐫 𝐚𝐭 𝐓𝐨𝐦 𝐋𝐚𝐧𝐭𝐨𝐬
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'𝓐𝓫𝓻𝓸𝓰𝓪𝓽𝓲𝓸𝓷 𝓸𝓯 𝓐𝓻𝓽𝓲𝓬𝓵𝓮 370 𝓲𝓼 𝓪 𝓻𝓮𝓼𝓽𝓸𝓻𝓪𝓽𝓲𝓸𝓷 𝓸𝓯 𝓱𝓾𝓶𝓪𝓷 𝓻𝓲𝓰𝓱𝓽𝓼,' 𝓼𝓪𝔂𝓼 𝓷𝓸𝓽𝓮𝓭 𝓬𝓸𝓵𝓾𝓶𝓷𝓲𝓼𝓽 𝓢𝓾𝓷𝓪𝓷𝓭𝓪 𝓥𝓪𝓼𝓱𝓲𝓼𝓱𝓽. 𝐼𝑡'𝑠 𝑤𝑜𝑟𝑡ℎ 𝑟𝑒𝑚𝑒𝑚𝑏𝑒𝑟𝑖𝑛𝑔 𝑡ℎ𝑎𝑡 𝑡ℎ𝑖𝑠 𝑐𝑜𝑚𝑚𝑖𝑠𝑠𝑖𝑜𝑛 𝑖𝑠 𝑛𝑎𝑚𝑒𝑑 𝑎𝑓𝑡𝑒𝑟 𝑡ℎ𝑒 𝑙𝑎𝑡𝑒 𝐶𝑜𝑛𝑔𝑟𝑒𝑠𝑠𝑚𝑎𝑛 '𝑻𝒐𝒎 𝑳𝒂𝒏𝒕𝒐𝒔 - 𝑨 𝑯𝒖𝒏𝒈𝒂𝒓𝒊𝒂𝒏 𝑩𝒐𝒓𝒏 𝑯𝒐𝒍𝒐𝒄𝒂𝒖𝒔𝒕 𝑺𝒖𝒓𝒗𝒊𝒗𝒐𝒓.' 𝑰𝒏 𝑱𝒖𝒍𝒚 2003, 𝒉𝒆 𝒔𝒂𝒊𝒅 𝑰𝒏𝒅𝒊𝒂𝒏 𝒂𝒏𝒅 𝑱𝒆𝒘𝒔 𝒔𝒉𝒂𝒓𝒆 𝒂 𝒑𝒂𝒔𝒔𝒊𝒐𝒏𝒂𝒕𝒆 𝒄𝒐𝒎𝒎𝒊𝒕𝒎𝒆𝒏𝒕 𝒕𝒐 𝒓𝒆𝒔𝒑𝒆𝒄𝒕 𝒇𝒐𝒓 𝒐𝒕𝒉𝒆𝒓, 𝒇𝒐𝒓 𝒕𝒉𝒆 𝒓𝒖𝒍𝒆 𝒐𝒇 𝒍𝒂𝒘, 𝒂𝒏𝒅 𝒇𝒐𝒓 𝒕𝒉𝒆 𝒎𝒊𝒏𝒅𝒍𝒆𝒔𝒔 𝒗𝒊𝒄𝒊𝒐𝒖𝒔 𝒇𝒂𝒏𝒂𝒕𝒊𝒄 𝒊𝒔𝒍𝒂𝒎𝒊𝒄 𝒕𝒆𝒓𝒓𝒐𝒓𝒊𝒔...
Shri Ramchandra Kripalu Bhajman | श्री रामचंद्र कृपालु भजमन by Kavi Pradeep Kumar
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𝐒𝐡𝐫𝐢 𝐑𝐚𝐦𝐜𝐡𝐚𝐧𝐝𝐫𝐚 𝐊𝐫𝐢𝐩𝐚𝐥𝐮 𝐁𝐡𝐚𝐣𝐦𝐚𝐧 | श्री रामचंद्र कृपालु भजमन 𝐛𝐲 𝐊𝐚𝐯𝐢 𝐏𝐫𝐚𝐝𝐞𝐞𝐩 𝐊𝐮𝐦𝐚𝐫 𝐖𝐫𝐢𝐭𝐭𝐞𝐧 𝐢𝐧 , in a mix of Sanskrit (संस्कृत) and Awadhi (अवधी) languages 𝐋𝐚𝐧𝐠𝐮𝐚𝐠𝐞 𝐛𝐲 𝐆𝐨𝐬𝐰𝐚𝐦𝐢 𝐓𝐮𝐥𝐬𝐢𝐝𝐚𝐬 (संत गोस्वामी तुलसीदास) संस्कृत भाषा ॥ श्रीरामचन्द्र कृपालु ॥ श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन हरणभवभयदारुणं। नवकंजलोचन कंजमु करकंज पदकंजारुणं ॥१॥ अर्थ: हे मन कृपालु श्रीरामचन्द्रजी का भजन कर। वे संसार के जन्म-मरण रूपी दा...
Bahauddin & Qutbuddin Qawwal - Jawani Mein Ada-e-Kamsini Achchhi Nahi Lagti
Переглядів 2 тис.5 років тому
Ustad Bahauddin Khan Qawwal (أستاذ قوّال بهاءالدين) (1934-3 Feb 2006) was a Pakistani Qawwali musician. Bahauddin Khan is descended from a family of musicians which traces its lineage back to the days of Amir Khusrow of the 13th century India. To propagate Islam throughout South Asia, Amir Khusrow banded together twelve youngsters (12 Kids Band), and personally trained them in singing and perf...
Bahauddin & Qutbuddin Qawwal - Khali Ho Jo Surahi Chhalakti Jaroor Hai
Переглядів 1,1 тис.5 років тому
Ustad Bahauddin Khan Qawwal (أستاذ قوّال بهاءالدين) (1934-3 Feb 2006) was a Pakistani Qawwali musician. Bahauddin Khan is descended from a family of musicians which traces its lineage back to the days of Amir Khusrow of the 13th century India. To propagate Islam throughout South Asia, Amir Khusrow banded together twelve youngsters (12 Kids Band), and personally trained them in singing and perf...
Bahauddin & Qutbuddin Qawwal - Char Din Ki Faqat Chandni Hai Chandni Ka Bharosa Nahi Hai
Переглядів 1,8 тис.5 років тому
Ustad Bahauddin Khan Qawwal (أستاذ قوّال بهاءالدين) (1934-3 Feb 2006) was a Pakistani Qawwali musician. Bahauddin Khan is descended from a family of musicians which traces its lineage back to the days of Amir Khusrow of the 13th century India. To propagate Islam throughout South Asia, Amir Khusrow banded together twelve youngsters (12 Kids Band), and personally trained them in singing and perf...
Bahauddin And Qutbuddin Qawwal - Chaman Wale Bijli Se Bole Na Chaley
Переглядів 4,3 тис.5 років тому
Ustad Bahauddin Khan Qawwal (أستاذ قوّال بهاءالدين) (1934-3 Feb 2006) was a Pakistani Qawwali musician. Bahauddin Khan is descended from a family of musicians which traces its lineage back to the days of Amir Khusrow of the 13th century India. To propagate Islam throughout South Asia, Amir Khusrow banded together twelve youngsters (12 Kids Band), and personally trained them in singing and perf...
Bon Iver & St. Vincent - Roslyn (The Breathtaking Beauty of Nature)
Переглядів 4975 років тому
Song Title - "Roslyn" (from "The Twilight Saga: New Moon" soundtrack) Up with your turret Aren't we just terrified? Shale, screen your worry from what you won't ever find Don't let it fool you Don't let it fool you down Dancing around, folds in the gown Sea and the rock below Cocked to the undertow Bones blood and teeth erode With every crashing node Wings wouldn't help you Wings wouldn't help ...
राग भैरव (शिव) - उस्ताद सईदुद्दीन दागर {Ustad Sayeeduddin Dagar - Raag Bhairav (Shiv)}
Переглядів 2,6 тис.6 років тому
Raag Bhairav is referred to as the king of morning Raags. Raag Bhairav (भैरव/भैरों) is a Hindustani Classical heptatonic (संपूर्ण) Raag of Bhairav Thaat. Peaceful, serious, and serene mood are basic characters of Raag Bhairav.
Sabri Brothers - Teri Soorat Nigahon Mein Phirti Rahe ('Tasleem')
Переглядів 9 тис.7 років тому
This song is the 4th track from album "Tasleem" sung by Haji Ghulam Farid Sabri & Haji Maqbool Ahmed Sabri better known as "Sabri Brothers".
Vaishnav Jan To Tene Kahiye - Ustad Shahid Parvez Khan & Ustad Rashid Khan (वैष्णव जन तो तेने कहिये)
Переглядів 132 тис.7 років тому
Vaishnav Jan To Tene Kahiye - Ustad Shahid Parvez Khan & Ustad Rashid Khan (वैष्णव जन तो तेने कहिये)
❤
RIP 😭 Ustad RASHID KHAN SAHAB
We lost the genius
Best version of this masterpiece is here❤
Devine ❤
Best qawali I prod
जय श्री राम जय माता सीता।🙏🚩
Absolutely pure and divine
Soul touching beautiful rendition
आप सभी सरस्वती पुत्रों को शत शत नमन
Very very Nice 👌
thank you pratyush sayan
thank you pratyush sayan
Where did Shujaat Khan disappear?
Nowhere, he is living in Kolkata and still doing what he is master of. Listen👉🏻 ua-cam.com/video/QtVlwm77bvM/v-deo.html
Zabardast cheers from Toronto.....
I love classical music
Ustaad Shujaat Khaniji - I'm a big fan of yours and always love to listen to your ghazals. I live in London but would consider it a blessing and realisation of a dream to meet you in person in Delhi. Thank you 🙏🙏🙏
So soothing and beautiful 🙏🙏🙏
Lajawaab gayi hai mashaAllah
Heavenly music by the two maestros! Transcends all religious groups, takes us above all man made boundaries! Too good!👌👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️
ua-cam.com/video/X7hoOXtfuRs/v-deo.html ❤️
What a feast of Music.both vocal and instrumental Devendra Oza
Nice !
Great artists. I have never heard Bismillah khan singing. What a melody !
It is a treat to listen to the stalwarts
Melody at its best
❤️❤️❤️🙏❤️❤️❤️
I had no clue this song could be sung like this as well! I heard this in na rukte hai aanso by nfak but this is altogether a different level ❤️
chaman wale bijli se bole na chale, gareebun ke ghar bewaja phoonk daale... can you explain it ?
,,😍❤️💯
Very Very mesmerizing ❤️ Thanks for uploading 👍
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹
Ram
Can u pls send the lyrics..n upload the full song
What a nice wonderful magical mesmerising awaj
Great... Salute sir
When giant Mahatma likes this, it is straight from the divine. Narasinh Mehta was really divine spirit. I would love to hear from any voice, any instruments, any time, anywhere because it takes you to another level.
bahut behtreen qawwali gayi h ustad bahauddin sahab aap ne
Mashallha
AoA sir aslam sabri ke 40 years old qawwali me Kia janoo ram tera gorakh dhanda plz upload kr de thanks
Essence of all religions!
147e
170
Jai sita ram sat sat Naman Pardeep g
Here is my humble dance choreography on this divine rendition ua-cam.com/video/ZzEqDfRvzVs/v-deo.html
So,, beautiful, so soothing, so true,,,I love this Bajan,,,so much much,,,,SING IT, EVERY DAY...😊💟🙏
And this, I say, is the true heart, beauty and strength of India. Two Muslim musicians singing a Bhajan with such devotion that it brings tears to one's eyes. One feels a little closer to God on hearing this jugalbandhi. Where is Hinduism and where, Islam? All mingled into one love for the Divine.
There’s only Hinduism here’s where’s Islam?
@@ravodedra2226 : Last time I checked Ustad Rashid Khan (may he rest in peace) and Ustad Shahid Pervez were both followers of Islam.
@@anjan1970 Yes but that’s doesn’t mean there’s any element of Islam in this. Hindustani Classical is Hindu coming from the Samveda and later shashtras and traditions, the bhajan is Hindu, the author was Hindu. They may be Muslim in their personal lives but it that has nothing to do with their performance or what they’re performing. In fact it’s the Hindu influence on them and their practise that they are singing this, orthodox Islam doesn’t allow music, esp not that which venerated a non Muslim deity.
Tasleem cd ki man Kunto maula bhi hogi bhi upload karo please
Thanks bro for uploading
Mash'Allah. I don't have words to describe this amazing kalam.
Pratyush is correct, this song (could be called a bhajan, but it is actually a song, it is not singing any praises of God, or asking God for anything) is the creation of Narsinh Mehta, a Krishna bhakt, a poet, a writer of great literature, and someone who understood the concept of Social Justice back in the 15th century! He clearly expresses how we are all God's children and that all lives matter! His writings in Gujarati (as is this song) are created in a very high-level Gujarati language and are indicative of his mastery of the language.