#शिक्षा_एवं_सामाजीकरण_में_संबंध

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  • Опубліковано 13 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 14

  • @vishwasphatak8793
    @vishwasphatak8793 2 роки тому +1

    अत्यंत स्पष्ट विवेचन धन्यवाद
    केवल चार्वाक का सुत्रश्लोक सुधारना है।
    यावत् जीवेत् सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्।
    भस्मिभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः भवेत्।

    • @educationprabha
      @educationprabha  2 роки тому +2

      सार्थक संदेश हेतु धन्यवाद! सुत्र* नहीं अपितु सूत्र एवं भस्मि* की जगह भस्मी पाठ करना उचित होगा💐💐💐

    • @vishwasphatak8793
      @vishwasphatak8793 2 роки тому +1

      @@educationprabha
      धन्यवाद!
      क्षम्यताम् ।
      व्याकरणम् अधीतम् नास्ति। अतः प्रायः ईदृशं भवति।
      दोषनिराकरणार्थं ऋणी अस्मि।
      नमोनमः।

    • @educationprabha
      @educationprabha  2 роки тому

      भवन्तः संस्कृतज्ञ:। अतोहेतो: नमस्करोमि 💐💐💐

  • @partapsingh4647
    @partapsingh4647 2 місяці тому

    Shandaar aur sacral

  • @sudeshkumar593
    @sudeshkumar593 2 місяці тому

    Very interesting and useful

  • @anilmaurya2253
    @anilmaurya2253 3 місяці тому

    Nice

  • @wifistudyfansclub5471
    @wifistudyfansclub5471 Рік тому

    Bahut hi achhe se clear ho gaya sir thank you ❤

  • @guruji7146
    @guruji7146 3 місяці тому

    पाठ्यक्रम पूरे विश्व का एक ही होता है शिक्षा का परंपरा से कोई संबंध नहीं होता यदि हमारे भारत के स्कूल विदेश में हैं तो विदेश में भी पाठ्यक्रम भारतवर्ष के स्कूल जैसा ही रहेगा यहां तक कि हम भाषा भी नहीं बदलते वहां विदेश में भी हिंदी भाषा में ही पढ़ाई होगी इंग्लिश में नहीं

  • @guruji7146
    @guruji7146 3 місяці тому +1

    शिक्षा पद्धति का निर्माण समाज और आवश्यकता के अनुसार कभी नहीं होता

    • @tuhitu6703
      @tuhitu6703 3 дні тому

      निज़ी स्वार्थों के कारण पढ़ाई करते हैं लोग , दूसरों को सुख़ देने के उदेश्यों से पढ़ाई करने वाले तो मात्र 0.0001 % ही होंगे | और जो पढ़े लिखे होते हैं वो अच्छा ख़ासा कमाने के बाद जब 60 वर्ष कि आयु के हो जाते हैं तब उनके अन्दर कि चेतना जगती है कि मुझे दूसरों के लिये कुछ करना है | इससे की उमर भर तक तो वो ही व्यक्ति ख़ुद पैसा कमाने की दौड़ में लगा हुआ था और 55 _ 60 वर्ष की उमर पर आते आते वो ड्रामा करने लगता है दूसरों के लिय कुछ करने का , यानि सौ सौ चूहे खा के बिल्ली हज़ को चली , ऐसे व्यक्ति आस पास के पार्क में बातें करते दिखाई पड़ते हैं

  • @ratnakartiwari5918
    @ratnakartiwari5918 4 місяці тому

    सनातन शास्त्रानुसार शिक्षा और दीक्षा vs सामाजिक आवस्यक्तानुसार शिक्षा???
    वर्तमान में तो सामाजिक आवश्यकतानुसार शिक्षा ही है।