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सबसे पहले आत्मज्ञान उसके बाद निष्काम कर्म और उसके बाद कर्म संन्यास आए तो सबसे ऊंची बात है।निष्काम हुए बिना कोई कर्म का त्याग करने लग जाए तो वो पाखंड हो जाता है। आत्मज्ञान सबसे ऊंची बात है।
आत्मज्ञान सबसे पहले आता है फिर निष्कामता फिर कर्मसंन्यास ,, फिर कर्मयोग और दोनों में कर्मयोग श्रेष्ठ है पंरतु बिना कर्मसंन्यास के नहीं ,, प्रणाम आचार्य जी 🌸🌷🙏🌷🌸
आचार्य जी, हमें हजारों डोरी से बांधने वाला कौन है? समस्त ब्रह्माण्ड को आपस में बांधने वाला कौन है? आखिर इस ब्रह्मांड को बनाने वाला और उत्प्रेरक पदार्थों को क्रमबद्ध आबद्ध करने की योजना बनाने वाला कौन है?
विवरण: इस वीडियो में आचार्य जी ने कर्म और कर्म संन्यास के बीच के संबंध को समझाया है। उन्होंने बताया कि मुक्त पुरुष कुछ नहीं करता, लेकिन सब कुछ अपने आप हो जाता है। यह स्थिति तब आती है जब व्यक्ति प्रकृति के साथ एक हो जाता है। आचार्य जी ने अर्जुन और श्री कृष्ण के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि कर्म का महत्व कर्ता के महत्व से कम है। जब व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त करता है, तो वह निष्काम कर्म की ओर बढ़ता है, जिसका अर्थ है कि वह अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए कार्य करता है। कर्म संन्यास तब आता है जब व्यक्ति अपनी कामनाओं से मुक्त हो जाता है। आचार्य जी ने यह भी बताया कि कर्म संन्यास का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति कर्म नहीं करता, बल्कि वह अपने लिए कुछ नहीं करता।
आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00037
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😊
▫️व्यक्ति को संस्कारित करती हैं:
शरीर
समय
समाज
संयोग
▫️आत्मज्ञान (ज्ञानयोग)
निष्काम कर्म( कर्मयोग )
कर्मसंन्यास
Excellent explanation of NISHKAMTA. Thank you Acharya ji.
Good morning guruji
Good morning acharya ji
प्रणाम आचार्य जी
निष्काम कर्म तथा कर्म संन्यास में से निष्काम कर्म सर्वप्रथम उत्तम हैं । 🙏🏻
Nice information
आत्मज्ञान के प्रकाश में अंधे करम सब त्याग दो निराश हो निर्मम बानो ताप रहित बस युद्ध हो❤
Aacharya ji parnam
आचार्य श्री सादर प्रणाम 🙏🏾
Pranam acharya.niskam karma ko upne bari saral se samjaya
🙏
I love you sir😢
सबसे पहले आत्मज्ञान उसके बाद निष्काम कर्म और उसके बाद कर्म संन्यास आए तो सबसे ऊंची बात है।निष्काम हुए बिना कोई कर्म का त्याग करने लग जाए तो वो पाखंड हो जाता है। आत्मज्ञान सबसे ऊंची बात है।
बहुत उत्तमम
आत्मज्ञान सबसे पहले आता है फिर निष्कामता फिर कर्मसंन्यास ,, फिर कर्मयोग और दोनों में कर्मयोग श्रेष्ठ है पंरतु बिना कर्मसंन्यास के नहीं ,, प्रणाम आचार्य जी 🌸🌷🙏🌷🌸
आचार्य जी 🙏🙏
Pranam acharya ji
Atamgayan se doosre ka liya jeena aa jata hai
34:10
Om Shanti... Good morning
Pranam❤
Jai ho Aacharya jee ko barambar pranam❤
प्रकृति में किसी की भी गतिशीलता आत्मिक नहीं होती।
प्रचलित रुढियों , मान्ताओ की अवधारणा से दैहिक कर्मकांड सत्य तत्व बोध के बगैर निष्काम कर्म है।साष्टांग प्रणाम गुरूवर ।❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
❤🙏
❤❤ best example नेता जी बोस जो कि 1985 तक गुमनाम जीवन जीए
न जानना ही मैं/अहम् बन जाता है।
धन्यवाद,आचार्य श्री! 💐🙏
यह सब करता भाव भोक्ता भाव को समाप्त करने की प्रक्रियाहै❤❤❤
धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी, आप कहते हैं कि शरीर में आत्मा नाम की कोई वस्तु नहीं होती है ; ऐसी स्थिति में आत्मज्ञान कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
Pradam acharya ji
Excellent acharya ji❤
प्रणाम आचार्य जी ❤
Koti koti pranam hai aise mahapurush ko 🙏🙏🙏
Parnam sir ❤❤❤
Thanks 😊
Nishkam karm se bandhan nahi hota
आचार्य जी, हमें हजारों डोरी से बांधने वाला कौन है? समस्त ब्रह्माण्ड को आपस में बांधने वाला कौन है? आखिर इस ब्रह्मांड को बनाने वाला और उत्प्रेरक पदार्थों को क्रमबद्ध आबद्ध करने की योजना बनाने वाला कौन है?
Jai ho gurudev ji ki ❤❤❤❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏ॐ🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जि!!!
"श्रद्घा ही निष्कामता है।"🙇
~आचार्य प्रशांत जी।।🌷🙏
Om shanti.....gd morning
🙏🙏🙏💕💕💕💕💕🇳🇵
Me pura bahri hu❤❤❤🙏🙏
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने कर्म और कर्म संन्यास के बीच के संबंध को समझाया है। उन्होंने बताया कि मुक्त पुरुष कुछ नहीं करता, लेकिन सब कुछ अपने आप हो जाता है। यह स्थिति तब आती है जब व्यक्ति प्रकृति के साथ एक हो जाता है। आचार्य जी ने अर्जुन और श्री कृष्ण के संवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि कर्म का महत्व कर्ता के महत्व से कम है। जब व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त करता है, तो वह निष्काम कर्म की ओर बढ़ता है, जिसका अर्थ है कि वह अपने लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए कार्य करता है। कर्म संन्यास तब आता है जब व्यक्ति अपनी कामनाओं से मुक्त हो जाता है। आचार्य जी ने यह भी बताया कि कर्म संन्यास का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति कर्म नहीं करता, बल्कि वह अपने लिए कुछ नहीं करता।
Pranam achariyaji 🙏🏼 ♥️ ❤️ 💖 😍 ✨️ 🙏🏼 ♥️ 🎉🎉🎉
धन्यवाद! 🙏🏻🪔
Jaise ki ap nishkam karm kar rahen h sir dhanyawad ji 🙏
Aap sey kya kahu aap khud samajh lo ❤
🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Atmagyan.. ❤
Pradam ji
Namobudhay ❤
Such a wonderful topic... 🙏 Feeling Lucky to be a part of it.
Thank you sir
Superb analysis dear kèep it up
मेरी चाल भी बाहरी, ये रुमाल भी बाहरी, एक गीत आचार्य प्रशांत द्वारा (2017) - ❤🙏🙏
ua-cam.com/video/GzmyktGg0Fw/v-deo.html
🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤❤
Aacharya ji mai to samjh me aa gya but jo kr rha h sab vo kyu kr rha h
Mai se mukt nhi ho paa rahi😭
ahankar kdputli he pura brhmand ahankar ko nachata he sb bahri he yhi atmgyan he bheter kuch nhi
धन्यवाद आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
🙏
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🕉️🙏
Pranam Acharya ji
❤
❤❤❤ 🙏🙏
प्रणाम आचार्य जी ❤❤
🙏🏼
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