Ap bologe ki logo ko sirf kapde dikhte h Ap logo k andar ek anokhi sakti h jo sabhi ko apne taraf akarsit karti h Ye man ka biologikal problem h isme ham kuchh nahi kar sakte is lie hame keval kapde dikhte h yadi ap dikhate ho to!
Thanks Vaishnavi Maine request Kiya tha comment mein iss poem ke liye Thank you so much It's awesome, tremendously helarious in your voice & style Kya Bolte hain wo Urdu mein 'MUKARRAR' Vaishnavi once again 😀😀
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम कौन हो कैसे बताऊं कैसे बताऊं मैं तुम धड़कनों का गीत हो जीवन का तुम संगीत हो तुम ज़िंदगी तुम बंदगी तुम रोशनी तुम ताज़गी तुम हर खुशी तुम प्यार हो तुम प्रीत हो मनमीत हो आँखों में तुम यादों में तुम साँसों में तुम आहों में तुम नींदों में तुम ख्वाबों में तुम तुम हो मेरी हर बात में तुम हो मेरे दिन रात में तुम सुबह में तुम शाम में तुम सोच में तुम काम में मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम मेरे लिए हँसना भी तुम मेरे लिए रोना भी तुम और जागना सोना भी तुम जाऊं कहीं देखूं कहीं तुम हो वहां तुम हो वहीं कैसे बताऊं मैं ... ये जो तुम्हारा रूप है ये ज़िंदगी की धूप है चन्दन से तरशा है बदन बहती है जिसमें इक अगन ये शोखियां ये मस्तियां तुमको हवाओं से मिलीं ज़ुल्फ़ें घटाओं से मिलीं होंठों में कलियां खिल गईं आँखों को झीलें मिल गईं चेहरे में सिमटी चाँदनी आवाज़ में है रागिनी शीशे के जैसा अंग है फूलों के जैसा रंग है नदियों के जैसी चाल है क्या हुस्न है क्या हाल है ये जिस्म की रंगीनियां जैसे हज़ारों तितलियां बाहों की ये गोलाइयां आँचल में ये परछाइयाँ ये नगरिया है ख्वाब की कैसे बताऊं मैं तुम्हें हालत दिल-ए-बेताब की कैसे बताऊं मैं ... कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम धर्म हो मेरे लिए ईमान हो तुम्हीं इबादत हो मेरी तुम्हीं तो चाहत हो मेरी तुम्हीं मेरा अरमान हो तकता हूँ मैं हर पल जिसे तुम्हीं तो वो तस्वीर हो तुम्हीं मेरी तक़दीर हो तुम्हीं सितारा हो मेरा तुम्हीं नज़ारा हो मेरा यूं ध्यान में मेरे हो तुम जैसे मुझे घेरे हो तुम पूरब में तुम पश्चिम में तुम उत्तर में तुम दक्षिण में तुम सारे मेरे जीवन में तुम हर पल में तुम हर क्षण में तुम मेरे लिए रस्ता भी तुम मेरे लिए मंज़िल भी तुम मेरे लिए सागर भी तुम मेरे लिए साहिल भी तुम मैं देखता बस तुमको हूँ मैं सोचता बस तुमको हूँ मैं जानता बस तुमको हूँ मैं मानता बस तुमको हूँ तुम्हीं मेरी पहचान हो कैसे बनाऊं मैं तुम्हें देवी हो तुम मेरे लिए मेरे लिए भगवान हो कैसे बताऊं मैं ...🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽तुम परमेश्वरी तुम सर्वेश्वरी तुम जगदीश्वरी🙏🏽तुम वैष्णवी हो 🙏🏽🙏🏽🙏🏽तुम ही तो हो जो हो भरी मेरे मन में इस कदर मैंओरा हो🙏🏽🙏🏽🙏🏽हे माता देवी मां वैष्णवी तुम ही तो हो🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
@@ProutistAmarAnand Now the word saree need not be the modern garment we tie or with blouse which became popular with British occupation of India. The point is that Garment which Draupadi wore was disrobed. Now you could term it Saree or any other garment or may be older way of wearing the modern saree.
@@ProutistAmarAnand In the Valmiki Ramayana, Sita's attire is described in ancient Sanskrit texts, which don't exactly match the modern-day sari. Here's a breakdown: - "Pithambara" (पीताम्बर) refers to a long, flowing garment, likely a drape or a robe, worn around the body. It's described as being yellow or golden, symbolizing purity and royalty. - "Stanamska" (स्तनांस्क) or "Kaucam" (कौचम) describes a breast-band or a bodice, which covers the torso. This might be a separate piece or a part of the Pithambara. - The ancient texts don't explicitly mention a modern-style sari with a pallu (loose end) or pleats. Instead, the Pithambara might have been worn in a way that resembles a long, flowing drape or a robe. In ancient India, women's attire varied across regions and social classes. The descriptions in the Ramayana suggest a more fluid, draped garment, rather than a tailored, modern-style sari.
अतिसुंदर बहन । श्री मद्भागवत गीता को अपने जीवन में भी अपनाओ। बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी दी आपके अन्दाज में रोचक लगा और अच्छा भी लगा। बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।
आपकी कविता प्रस्तुती बहुत ही सुंदर हैं| काव्यपंक्ती प्रस्तुत करने और शब्द उच्चार करने का ढंग भी बहुत ही अच्छा हैं जो सुननेपर कुछ असर जरुर करता हैं| रही बात आपके पहनावे कि तो, वह तो देखनेवाले हरेक का अपना नजरीया हैं| जैसी नजर वैसा दिखावा होता हैं| जिनको अखरता हैं उनसे विनंती हैं की आप सिर्फ काव्य वाचन सुनके आनंद लें|
Thanks Vaishnavi Maine request Kiya tha comment mein iss poem ke liye Thank you so much It's awesome, tremendously helarious in your voice & style Kya Bolte hain wo Urdu mein 'MUKARRAR' Vaishnavi once again 😀😀
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ~ तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो , मेरी बांसुरी का गीत हो। तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो। मन मीत हो मेरी राधे।
हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा, तुम बिन नही है कुछ यहा। मुझमे धडकती हो तुम्ही , तुम दूर मुझसे हो कहा। तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो , मेरी बांसुरी का गीत हो।
परमात्मा का स्पर्श हो , पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो। तुम हो समपर्ण का शिखर , तुम ही मेरा उत्कर्श हो। तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो , मेरी बांसुरी का गीत हो।
हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा, तुम बिन नही है कुछ यहाँ। मुझमे धडकती हो तुम्ही , तुम दूर मुझसे हो कहा। तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो , मेरी बांसुरी का गीत हो।
परमात्मा का स्पर्श हो , पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो। तुम हो समपर्ण का शिखर , तुम ही मेरा उत्कर्श हो। तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो , मेरी बांसुरी का गीत हो।
Bahin ham aapki sundarata ko dekhane ke liye na hi to aapko sunte hai. Aur na hi aapki sundarata se pravabhit hote hai.. Aapki to vani mai ma sarsvati ka bas hai.. Aapko sunane ke liye hi aapke video dekhate hai ji.. Achche kapade pahana Karo ji
@@JohnNobody_ najare achchi hi ho to fir kapade pahane ki aavshyakta hi kya hai..... Judge to har chij se hota hai.... Vivek kiska mara hai..... Pahale aap khud ka avlokan kar lijiye.....
Mai sach mai jaanna cahti hu ki log kapde dekhne aa rhe hai ya kavita sunne are bhai kavita suno aur dhyan do kisi ne kya pehna hai usse kisi ko kya mtlb ....kuu dekhna hai ki kisi ne kya pehna hai
Thora is gyan ke tha kapro ke sath sarir ki maryada ko bhi dhyan rakha jata to jyada achha hota svd ke keval gyan ka prabhav hota to sant log v jins paint pahan sakte the mgr vo gyan se sath apni acharan tatha vastr ka v hmesa khyal rakhte hai
Why do modern men objectify women? Do you know our sanskriti? Women in ancient times only wore 1 piece of cloth which was saree... Without blouse... You go to any ancient temple or see ancient statues of goddess they are not wearing clothes, there breasts are visible but IT is normal, not objectified... Jab naash manushya pe chata he pehle vivek mar jata he, jis din se vivek mara tab se stree pe atyachaar hua
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है आपकी दृष्टि नीच है महोदय
आदित्य कुमार भाई साहब की बात सही के धार्मिक कथा मे ऐसा कपडा शोभासपद नही है,धन्यवाद
Ap bologe ki logo ko sirf kapde dikhte h
Ap logo k andar ek anokhi sakti h jo sabhi ko apne taraf akarsit karti h
Ye man ka biologikal problem h isme ham kuchh nahi kar sakte is lie hame keval kapde dikhte h yadi ap dikhate ho to!
It was such a pleasure to be part of the bazm e khas family......bahut bahut aabhar 🙏🏼😊
Didi ur expression is awesome ❤
Jay shree ram
Aap ne sun liya ESI ke liye bola tha me vo
Thanks Vaishnavi
Maine request Kiya tha comment mein iss poem ke liye
Thank you so much
It's awesome, tremendously helarious in your voice & style
Kya Bolte hain wo Urdu mein 'MUKARRAR' Vaishnavi once again 😀😀
UA-camr adom seeker se debait kare please
माँ सरस्वती का आशीर्वाद तुम पर बना रहे बिटिया 🙏
यशस्वी हो ❤
बोलीवुड वाली अपसंस्कृति के प्रभाव से वाचन-प्रभुता निष्प्रभावी हो गई।
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है
कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम कौन हो कैसे बताऊं कैसे बताऊं मैं तुम धड़कनों का गीत हो जीवन का तुम संगीत हो तुम ज़िंदगी तुम बंदगी तुम रोशनी तुम ताज़गी तुम हर खुशी तुम प्यार हो तुम प्रीत हो मनमीत हो आँखों में तुम यादों में तुम साँसों में तुम आहों में तुम नींदों में तुम ख्वाबों में तुम तुम हो मेरी हर बात में तुम हो मेरे दिन रात में तुम सुबह में तुम शाम में तुम सोच में तुम काम में मेरे लिए पाना भी तुम मेरे लिए खोना भी तुम मेरे लिए हँसना भी तुम मेरे लिए रोना भी तुम और जागना सोना भी तुम जाऊं कहीं देखूं कहीं तुम हो वहां तुम हो वहीं कैसे बताऊं मैं ... ये जो तुम्हारा रूप है ये ज़िंदगी की धूप है चन्दन से तरशा है बदन बहती है जिसमें इक अगन ये शोखियां ये मस्तियां तुमको हवाओं से मिलीं ज़ुल्फ़ें घटाओं से मिलीं होंठों में कलियां खिल गईं आँखों को झीलें मिल गईं चेहरे में सिमटी चाँदनी आवाज़ में है रागिनी शीशे के जैसा अंग है फूलों के जैसा रंग है नदियों के जैसी चाल है क्या हुस्न है क्या हाल है ये जिस्म की रंगीनियां जैसे हज़ारों तितलियां बाहों की ये गोलाइयां आँचल में ये परछाइयाँ ये नगरिया है ख्वाब की कैसे बताऊं मैं तुम्हें हालत दिल-ए-बेताब की कैसे बताऊं मैं ... कैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरे लिए तुम धर्म हो मेरे लिए ईमान हो तुम्हीं इबादत हो मेरी तुम्हीं तो चाहत हो मेरी तुम्हीं मेरा अरमान हो तकता हूँ मैं हर पल जिसे तुम्हीं तो वो तस्वीर हो तुम्हीं मेरी तक़दीर हो तुम्हीं सितारा हो मेरा तुम्हीं नज़ारा हो मेरा यूं ध्यान में मेरे हो तुम जैसे मुझे घेरे हो तुम पूरब में तुम पश्चिम में तुम उत्तर में तुम दक्षिण में तुम सारे मेरे जीवन में तुम हर पल में तुम हर क्षण में तुम मेरे लिए रस्ता भी तुम मेरे लिए मंज़िल भी तुम मेरे लिए सागर भी तुम मेरे लिए साहिल भी तुम मैं देखता बस तुमको हूँ मैं सोचता बस तुमको हूँ मैं जानता बस तुमको हूँ मैं मानता बस तुमको हूँ तुम्हीं मेरी पहचान हो कैसे बनाऊं मैं तुम्हें देवी हो तुम मेरे लिए मेरे लिए भगवान हो कैसे बताऊं मैं ...🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽तुम परमेश्वरी तुम सर्वेश्वरी तुम जगदीश्वरी🙏🏽तुम वैष्णवी हो 🙏🏽🙏🏽🙏🏽तुम ही तो हो जो हो भरी मेरे मन में इस कदर मैंओरा हो🙏🏽🙏🏽🙏🏽हे माता देवी मां वैष्णवी तुम ही तो हो🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
बहुत ही लाजवाब किसने लिखी है ?
अद्भुत, अविस्मरणीय
परम आनंद,परम सुख माता जी,
प्रणाम माता जी
Ramdhari singh dinkar ka geet gane ke liy aapko bHut sara dhanybad
आपका जीवन तो इस भव सागर से तर गया
और करोड़ों को तार देगा आपके ये बोल 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मां शरणम मां शरणम मां शरणम 🙏🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️👏👏👏👏
What a reciter ... God bless...
क्या सौगात दे गए हो ,दिनकर साहब🙏अदभुद कवि हुए आप
Rashmi rathi ka sundar path karne ke liy so many thanks
Kapre pahano DEVI 🙏🇮🇳🌹 RADHE RADHE 🌹🌹🌹🌹🌹🌹
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है
शायद दीदी आपने उन लोगो के पोशाक को कभी देखा ही नहीं जो तुलना कर रही है आप
@@ProutistAmarAnand maine ramayan padhi hai bhai mujhe sikha mat khud padh
@@ProutistAmarAnand Now the word saree need not be the modern garment we tie or with blouse which became popular with British occupation of India. The point is that Garment which Draupadi wore was disrobed. Now you could term it Saree or any other garment or may be older way of wearing the modern saree.
@@ProutistAmarAnand In the Valmiki Ramayana, Sita's attire is described in ancient Sanskrit texts, which don't exactly match the modern-day sari. Here's a breakdown:
- "Pithambara" (पीताम्बर) refers to a long, flowing garment, likely a drape or a robe, worn around the body. It's described as being yellow or golden, symbolizing purity and royalty.
- "Stanamska" (स्तनांस्क) or "Kaucam" (कौचम) describes a breast-band or a bodice, which covers the torso. This might be a separate piece or a part of the Pithambara.
- The ancient texts don't explicitly mention a modern-style sari with a pallu (loose end) or pleats. Instead, the Pithambara might have been worn in a way that resembles a long, flowing drape or a robe.
In ancient India, women's attire varied across regions and social classes. The descriptions in the Ramayana suggest a more fluid, draped garment, rather than a tailored, modern-style sari.
@@ProutistAmarAnand and now plzzz don't reply me I gave you proofs now unless you bring a solid proof don't bother me
Beautifully narrated
Bahut. Sunder. Radhe radhe ❤❤ radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe radhe
अतिसुंदर बहन । श्री मद्भागवत गीता को अपने जीवन में भी अपनाओ। बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी दी आपके अन्दाज में रोचक लगा और अच्छा भी लगा। बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार।
Great Vaishnavi
बहुत ही सुन्दर ❤❤❤
maam u r good, but Ashutosh sir took the recitation to ultimate level which gives goosebumps and motivates us.
Proud of you diii ❤
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, बेटी को वैष्णवी जैसा बनाओ, अपने को धन्य करो, सब को यह सिखाओ.
Jai shree krishna jai shree ram prabhuji
Bahut sunder
Your video are really awesome...it forced me to read Bhagwat Geeta.. Jai shree radhekrishna
Bahut Sundar didi,❤❤
जितना सुन्दर ये कविता है... उतना ही सुन्दर आपकी आवाज है
Waah🙇♀️🙏🙏
Inki juban se Sunna bhut Accha lgta h
Best प्रेजेंटेशन
Magical voice
Nice bahan aapka kavya path jaise lag raha h ku bhagwan Sri Krishna khud bol rahe h❤❤❤❤❤❤❤❤
आपकी कविता प्रस्तुती बहुत ही सुंदर हैं| काव्यपंक्ती प्रस्तुत करने और शब्द उच्चार करने का ढंग भी बहुत ही अच्छा हैं जो सुननेपर कुछ असर जरुर करता हैं|
रही बात आपके पहनावे कि तो, वह तो देखनेवाले हरेक का अपना नजरीया हैं| जैसी नजर वैसा दिखावा होता हैं| जिनको अखरता हैं उनसे विनंती हैं की आप सिर्फ काव्य वाचन सुनके आनंद लें|
आदरणीय दीदी जी चरण स्पर्श। करवायें
Best❤❤
JAY MAHADEV
Bahan.....ji..bhut..achha...laga
Didi aap genius ho. Apko camera angle or thumbnail ka use pata hai. Maan gya apko 🙂😂
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है
अ आपका लिखने के साथ साथ बोलने की भी अद्भुत कला है
Likha, ram dhari singh dinkar ne hai yeah rashmi rathi hai
ATI Sundar didi Jay Shri Krishna
🙏🙏
Ati Sundar... Main shabdon ki nahi shabd bolne waale ki taareef kar rha hu.
Jai shree krishna
❤
❤❤❤
अदभूत मैम
App har kavita achhi lagti hai ।
Thanks Vaishnavi
Maine request Kiya tha comment mein iss poem ke liye
Thank you so much
It's awesome, tremendously helarious in your voice & style
Kya Bolte hain wo Urdu mein 'MUKARRAR' Vaishnavi once again 😀😀
Jay Shree ram
Bahut sunder
Ye ho kavita sun ni thi thanks aap ne sun liya
😊
Amazing mam
Ramdhari Singh dinkar dwara likhi gai rashmirathi tritiya sarg
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Fantastic
🎉
this is the Krishna ki chetavani song which is already out 5 months ago
🎉🎉🎉🎉🎉
🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤
Very nice
Vaa nice aap bhaut aachi ho di
Nice.
Didi Maine bhi ese yad ke hai
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ~
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ,
मेरी बांसुरी का गीत हो।
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो।
मन मीत हो मेरी राधे।
हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा,
तुम बिन नही है कुछ यहा।
मुझमे धडकती हो तुम्ही ,
तुम दूर मुझसे हो कहा।
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ,
मेरी बांसुरी का गीत हो।
परमात्मा का स्पर्श हो ,
पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो।
तुम हो समपर्ण का शिखर ,
तुम ही मेरा उत्कर्श हो।
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ,
मेरी बांसुरी का गीत हो।
हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा,
तुम बिन नही है कुछ यहाँ।
मुझमे धडकती हो तुम्ही ,
तुम दूर मुझसे हो कहा।
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ,
मेरी बांसुरी का गीत हो।
परमात्मा का स्पर्श हो ,
पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो।
तुम हो समपर्ण का शिखर ,
तुम ही मेरा उत्कर्श हो।
तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो ,
मेरी बांसुरी का गीत हो।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Vo nice aap bhaut aachi ho di
Ashutosh Rana ne jaisa gaya wo baat yaha nahi
वैष्णवी , क्या आप निराला जी की 'कुकुरमुत्ता ' कविता प्रस्तुत कर सकेंगी ?
Sister, i have a request to you. Please make poetry about khatu shyam if possible.
Ha di
Aap kaha se ho
आप ये काम अच्छे से कपड़े पहनकर भी कर सकते हैं 🙏🙏🙏🙏🙏
Very nice madam
aap ka naam... taaki mai aur kavita dundh saku
Bahin ham aapki sundarata ko dekhane ke liye na hi to aapko sunte hai. Aur na hi aapki sundarata se pravabhit hote hai.. Aapki to vani mai ma sarsvati ka bas hai.. Aapko sunane ke liye hi aapke video dekhate hai ji.. Achche kapade pahana Karo ji
Sahi bat ha bhai
Ese kapade British mugal rule se phele phenete the tab blouse nahi tha so please
Tumhara vivek mar gya hai jo tum usko kapdo se judge kar rahe ho, apni nazre aur soch sambhalo zara
@@JohnNobody_ najare achchi hi ho to fir kapade pahane ki aavshyakta hi kya hai..... Judge to har chij se hota hai.... Vivek kiska mara hai..... Pahale aap khud ka avlokan kar lijiye.....
@@Kavitnidhi ... Agar kapde thik pehne hai aur kuch bhi revealing na ho fir bhi koi insaan aa kar ashaleel baate hi kare to dosh nazro ka hi hai...
Nam sarthak vaishnavi vahut achha shukla chandigarh
Want to join
hello medam please kuchh karna par bhi sunao 🙏
ab bahut achha bolti ho
meri bhi soti khwaish puri kar do
mena aap ke all videos sune h.......
Mai sach mai jaanna cahti hu ki log kapde dekhne aa rhe hai ya kavita sunne are bhai kavita suno aur dhyan do kisi ne kya pehna hai usse kisi ko kya mtlb ....kuu dekhna hai ki kisi ne kya pehna hai
tone and expression should have been on a little higher side to give more beautiful expression.
यह कविता तो आसुतोष राणा जी का है
Bhai ye kavita na ashutosh rana ki hai na kisi ka ye ramdhari Singh Dinkar poet hai unka rashmirathi book se lia gya hai
Thora is gyan ke tha kapro ke sath sarir ki maryada ko bhi dhyan rakha jata to jyada achha hota svd ke keval gyan ka prabhav hota to sant log v jins paint pahan sakte the mgr vo gyan se sath apni acharan tatha vastr ka v hmesa khyal rakhte hai
I love you
Ostentation with western wear.
Ram ki chetavani nahi Krishn ki chetavani hai
Pronunciation should be better .. good try
Lady ashutosh rana😅
Sarir ka pradarsan bhi ho rha hai bhai vina camera loog ke baten sayd achhi n lagti n isliye dikhana v to jruri h
I loved all other recitations but not this one..
जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है,ये सही है
पहले आप अच्छी तरह से कपड़ा पहनना सीख लीजिए, बाद में यह महाकवि की कविताएं पढ़े
Why do modern men objectify women? Do you know our sanskriti? Women in ancient times only wore 1 piece of cloth which was saree... Without blouse... You go to any ancient temple or see ancient statues of goddess they are not wearing clothes, there breasts are visible but IT is normal, not objectified... Jab naash manushya pe chata he pehle vivek mar jata he, jis din se vivek mara tab se stree pe atyachaar hua
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है
आपकी दृष्टि नीच है महोदय
Gram nhi gaaam
ye to song h suna hua h 😭 ye to cheating h
कपड़े तो डाल लेती धर्म की लाज ही रख लेती
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है।
ye aap jo kapda phini o acha nhi h kyoki aap dharmik katha suna rahi h
जो इनके पोषाक से सहमत नही हैं
उन्हें बताना चाहूंगा किसी महान व्यक्तित्व को अपनी शर्तों के अधीन नही सुना जाता 😊
ye aap jo dimaag lgae h acha nhi h kyunki chhoti buddhi h tumhari
@@itsChirag_soni हाँ बेसक आपको लग सकती है क्योंकि कुएं के मेंढक को भी दुनिया छोटी ही लगती है आप इसे अन्यथा ले सकते हैं😃
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है।।
Aapka dhyan kavita pr nhi..inke kapde pr hai! Dhanya hain Prabhu
दिदि जरा कपडे पहिनो
इन्होंने जो कपड़े पहने हैं वही द्रौपदी पहंती थी सीता भी पहन्ती थीं
हम ही इस्लामी संस्कृति से इतने प्रभावित हैं की अपनी संस्कृति हमे नीच लाने लगी है
Aapki pahanawa sahi nahi hai
Budhhihin ladaki
Vaachan ka ye andaaz…. Kaafi wahiyat hai. Thoda dum lagao.
😢😮😢😮 3:53