The MIND : Your greatest friend and greatest enemy. Bhagvadgeeta 6.6

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  • Опубліковано 27 сер 2024
  • Bg. 6.6
    बन्धुरात्मात्मनस्तस्य येनात्मैवात्मना जित: ।
    अनात्मनस्तु शत्रुत्वे वर्तेतात्मैव शत्रुवत् ॥ ६ ॥
    अनुवाद
    जिसने मन पर विजय पा ली है, उसके लिए मन सबसे अच्छा मित्र है; किन्तु जो ऐसा करने में असफल रहा है, उसका मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।

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