Jai Mata Di 🙏🏻🙏🏻 Today when I was reading Durga Saptashati path, couldn't concentrate in a single word, my mind was just blank and I just kept on reading the words unconsciously. During that I could recall some incidence , some words , my school time memory which I have been completely forgot during my graduation and job but today I could recall that along with my classroom, classmates teacher, blackboard as clear as I was just there yesterday. I was so sad that I could not focus on my today's Durga Saptashati path, after some moment, sudden of all I remember your words that whatever is there in your unconscious mind can come out during meditation or that during. I am so glad for your guidance, Sir. Thank you 🙏🏻🙏🏻🌹🌹 May Mata Rani bless you 🌿🌿🙏🏻🙏🏻🌿🌿
Really a good explanation.... Nobody has not been able to give me a solution... for my problem...for dryness.in forehead and it has been burnt like.. Today I got the answer to my problem...hats off guruji .... your explanation is. Very exalent .. please translate in English
Thanku so much guru ji..mere sare sawalo ka javab aapki is video me mile main aapki bahut bahut shukrgujaar hu..aaj aapki is video se mujhe energy mili aur vishwas hua ki main sahi maarg par hu thanks alot ❤
Pranam Gurudev 🙏kitani soumyata se aur ekdam barikise aapne samjaya kya hota hai kaise karna hai dhyan bahot se utube par video milte hai sunke Maan vichlit huva aur samj me nahi ata ki dhyan karna kaise hai har ek me alag tarika hota hai..par aap gurudev sahi tarika yahi lagta hai jo asan sa laga ..pranam 🙏
कुंडली शक्ति जागृत होती है योग बल के द्वारा जिसमें पहले ध्यान योग बिंदु त्राटक सिद्ध करो फिर रेचक योग सिद्ध करो चक्रासन, हलासन, अल्पाहार, रोजाना बिंदु त्राटक सिद्ध होने में पांच साल तक लगते हैं और रेचक योग सिद्ध करने में एक साल लगते हैं रेचक योग सिर्फ गर्मियों में सिद्ध होता है अधिक जानकारी हेतु भगवत गीता पढ़ो और समझो
Kundlni शक्ति---Mostly योग की जो Practice करते उनकी जागृत होती या कोई साधु हो या कोई meditation कर्ता हो,,,,कभी-कभी accident से भी active हो जाती ,,,,Kundlni योग का topic हैं,,,in course
Main kuz 1 saal Se Ishwar ke ishq me or Bhakti me bethkar Dhyan krta hoon Or apki video Se aaj muje clear huya Mere body me heat badti hai full body me or green colour dikhta hai Kirpa kuz sahayeta Kare
अक्सर जब साधक अपनी साधना के दौरान योग, प्राणायाम व ध्यान आदि की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करता है तो कुछ दिनो मे इन क्रियाओं के प्रभाव से शरीर मे गर्मी बढ़ने लग जाती है, हर साधक के साथ ऐसा नही होता किंतु जिनके शरीर मे किसी प्रकार की अशुद्धि हो उनके साथ ऐसा होता है ताकि शरीर मे ताप को बढ़ा कर अशुद्धियों को जलाया जा सके । जब भी साधना के दौरान आपको ऐसे लक्षण अनुभव हो तो उनको स्वीकार करे व ऊर्जा को अपना काम करने दे । किंतु फिर भी यदि आपको ज्यादा तकलिफ हो तो आप ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकते है की खुब पानी पिये, अपने आहार मे ठण्डी तासिर के खाध पदार्थो तथा सुपाच्य भोजन व फल आदि का सेवन करे । अनुलोम-विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे । अधिकतर जब आप सोते या लेटते है तो बाई नासिका को ऊपर की और रख कर सोये यानि दाई करवट लेकर सोये इससे आपकी चंद्र नाडि जो शरीर को शीतलता देती है, वह चलेगी और शरीर की अति की गर्मी शान्त होगी । हरा रंग दिखना भी आपके हृदय चक्र के विकसित होने का संकेत है।
Ek bar m rat ko leta hua Muje Kuch ni pta tha Dyan k bare ya Kisi BHI bare merko Sab Kuch vaham lagne Lagta h Ek bs m sone hi wala ki merko pta LGA MERI aankh band ho gai mere right ear mein aawaj aai rrrrrrrrrrr Pure shrire mein vibration ho gai bohot tej m dar gya kya hua KHI m paraglide to ni ho gya m m uthane ki kosise Kru utha na Jaye vibration itni tej thi sir mein ki phat jayega
ध्यान साधना के दौरान सिर दर्द होना एक सामान्य लक्षण है जिसका कारण सिर मे ऊर्जा के प्रवेश से नए तन्तु के जागरण है। किन्तु अगर ध्यान, जाप के समय या ध्यान के बाद आपका सिर दर्द करता है तो इसका एक कारण ये भी हो सकता है की आप अत्यधिक एकाग्रता व तनावपूर्ण होकर ध्यान करने का प्रयास कर रहे है । स्मरण रहे की जब हम ध्यान करते है उस समय हमारा शरीर विश्राम की मुद्रा मे होना चाहिए और चेहरे की सभी मास्पेशिया खासकर माथा ढीला रखना चाहिये, होठों व दाँत की पंक्तियों को व जीभ को भी शिथिल रखे, आँखो को कसकर बंद मत करे बस कमर भर सीधी रखे । जब आप तनावरहित होकर बैठेगे तो दबाव नही होगा और सिर दर्द भी नही होगा । किंतु यदि आपको विश्राम पुर्वक बैठने के बाद भी यदि सिर दर्द होता है तो इसका अर्थ है की ध्यान से उत्पन उर्जा आपके मस्तिष्क मे अधिक मात्रा मे एकत्रित हो गई है और जज्ब नही हो पाई है तो ऐसी स्थिति मे आपको ध्यान के बाद थोडा सा प्रेम पूर्ण होकर नृत्य करना चाहिये, प्राणायाम करना चाहिए, कुछ हल्का फुल्का मेहनत का कार्य या कुछ सृजनात्मक कार्य करना चाहिये या अपने किसी प्रेमी मित्र के साथ प्रेम पूर्ण होकर बैठना चाहिए ताकी अतिरिक्त उर्जा अपनी निकासी पा सके और दिमाग हल्का हो जाये ।
guru ji...dheyan kaafi samay se lgaa rha hu..or kundli puri trh se mere niyantern me ho chuki h..niche se aakr aagya chakr pr ruk jati h..or m rojana 3...4 ghantte wahi rokki rkhta hu...aagya chakr itna bhari ho jata h..ke sahan krna mushkil ho jata h..or jis chakar pr bhi dheyan lagata hu mintt me puri trh se campen krne lag jata h..prantu aagya chakar se kam...pahle kai bar..mujhe aagya chaakr ne uper ki or khincha to m ghabraa kr aankhe khol leta hu..agya chakar mere pran uper kiu kheench leta h..m apne sreer se bahar to nahi jaungaa ...kirpa krke bataye
Mene 2021 January se subha jaldi utha kar dhayn Krna sharu karunga karke sankalp kiya tha but abhi tak me start nhi kar paya guruji koi upay bataye ham adhyatm ki or kese badhe ?
आपका प्रश्न महत्वपूर्ण है और प्रासंगिक है क्युकी अधिकतर व्यक्तियों को य़ह समस्या आती है की वह ध्यान साधना शुरू तो करना चाहते है पर कर नहीं पाते, कभी संकल्प या निर्णय की कमी के कारण तो कभी आलस्य या समय की कमी के कारण अथवा कभी प्यास की कमी या युवावस्था होने के कारण भी ऐसा होता रहता है। ऐसा बहुत कम ही होता है की किसी ने बस एक ही बार ध्यान आरंभ करने का निर्णय लिया और वो उसमे सफ़ल हो गया, अधिकतर तो धन, यश, काम और मोह आदि के लोभ मे उलझते रहते है। इस लाइन मे व्यक्ती को स्थाई रूप से आने मे समय लगता है, जब वह बार बार संसारी प्रलोभनों की निरर्थकता को देखता है तो धीरे धीरे उसका झुकाव अध्यात्म की और सच्चे रूप से होने लगता है अथवा पहले तो मात्र कुतूहल वश भी व्यक्ति अध्यात्म की और आने लगते है पर इस कुतूहल से व्यक्ति ज्यादा आगे नहीं जा पाता मेरा आपको यही सुझाव है की अध्यात्म मे जबरदस्ती नहीं ब्लकि अंदरूनी प्रेरणा से ही आया जा सकता है, बेहतर होगा की जो भी जीवन आप जी रहे है उसका सूक्ष्म अवलोकन करे और स्वयं से प्रश्न करे, संवेदनाशीलता से सभी चीजों को देखते रहे, इसमे भटके और इसकी कार्य प्रणाली देखे, ऐसा करने से, और इसकी निरर्थकता देखने से, आपके अंदर सहज रूप से ही अध्यात्म के प्रति आकर्षण पैदा हो जायेगा और तब इसकी शुरुआत के लिए आपको कोई डेट नहीं फिक्स करनी पड़ेगी अपितु तब आपके अंदर से ही सहज रूप से ही ध्यान अभ्यास करने की प्रेरणा होनी शुरू हो जायेगी ।
namaste guruji, mujhe hamesha malum hota hai ki mai swapna dekh raha hu, shayad 3-4 saalo se, also gruhasthi se man uthne laga hai, I don't do any sadhana, but would like to start
जी हाँ, य़ह संसार एक स्वप्न ही है, यदि आपको ऐसा महसूस होने लग गया है तो य़ह अच्छी बात है। दूसरी बात आपने कही की गृहस्थी से मन उठने लगा है, मुझे मालूम नहीं की गृहस्थी से मन उठ कर कहा लग रहा है या कहा आप लगाना चाहते है, यदि आप ध्यान अध्यात्म आदि मे जाना चाहते है तो मैं आपको राय दूँगा की आप गृहस्थी को व अध्यात्म को अलग अलग करके ना देखे, आप इन दोनो मे से किसी एक अति पर नही जा सकते, आपको दोनो के बीच मे सन्तुलन साधना होगा, यानि की आप गृहस्थ मे रहकर अपनी साधना मे लीन हो । याद रखे यदि आपने दोनो मे से किसी भी एक मार्ग पर अति कर के चलेगे तो आप भटक जायेगे इसलिये अपने मन को व्यवस्थित करके समझ पुर्वक चलने की कोशिश करे और गृहस्थ व अध्यात्म के बीच मे संतुलन लाएं । आप सन्तोष के साथ व बिना लोभ के अपना व्यवसाय आदि भी करे और कुछ समय निकाल कर ध्यान साधना आदि भी करे । यही उतम मार्ग है । तीसरी बात आपने कही की आप ध्यान शुरू करना चाहते हैं, जरूर करे, इससे आपको बहुत लाभ होगा ।
Sir mere sath same hua h ..heart chakra p thi m ...aisa lagta 2 body at a time .... Jhatke lagna ..chup rehna .... Bahar ka khane ka man ni karta or visions ana to aap bata sakte ki m ab guru k under karu ya aage khud se badu
🙏🙏 sir mujhe ek week se pure body me bahut jyada vibration feel hota hai dhyan me,Puja ke aamay ya aise hi jab main aaram se baithi rahti hun tab bhi.Third eye ke place par bhi hamesha tingling sensation hota hai.Puja ya dhyan ke aamay ek eye bhi nazar aata hai jiska eye ball gumta rahta hai kabhi Kariba kabhi dur nazar aata hai,Us eye se prakash bhi nikal raha hota hai.kriya margdarshan karen 🙏🙏🙏❤️
आपके सभी लक्षण बहुत शुभ है, इसका अर्थ है की आपके शरीर मे ऊर्जा जागृति ले रहीं हैं और आपका ध्यान सही दिशा में जा रहा है। जब ध्यान के प्रभाव से ऊर्जा का जागरण होता है तो ऊर्जा ऊपर के चक्रों की और बढ़ती है जिससे सोये चक्र जागने लगते है अथवा मस्तिष्क के सोये हिस्से जागने लगते हैं, इस कारण से शरीर मे वाइब्रेशन की अनुभूति होती है। आज्ञा चक्र पर tingling या टिक टिक हमारे मस्तिष्क में स्थित आज्ञा चक्र के पार्थिव रूप pineal gland में होती है य़ह धड़कन उसका स्पन्दन है जो निरन्तर जारी रहता है, लेकिन हम इस धड़कन को केवल ध्यान के दौरान ही सुनते है क्योंकि उस दौरान हमारा मन एकाग्र और शांत होता है जिस कारण से य़ह टिक टिक हम महसूस कर लेते है। अगर आज्ञा चक्र टिक टिक होती है तो इसका अर्थ है की प्राण ऊर्जा य़हा पर पहुँच रही है जोकि एक शुभ संकेत है। ध्यान के दौरान विभिन प्रकार के प्रकाश दिखाई देना भी ध्यान मे उन्नति के समान्य लक्षण है । आप अपना प्रयास जारी रखे । आप सही दिशा मे है ।
Guruji Shastang Namaskar Sawikaar kijiye.kundli jagaran ke baad crown chakra Tak ke Anubhav aur Aatam Shatshakaar ke baad agar meditation ruk jaye to kundlini ki kya stithi rehti hai.kya yeh dobara supt ho jati hai aur haan to phir se rise hoti hai.? Nahin to kya karna hoga is par vedio banaye plz.
यह कुछ स्थितियों पर निर्भर करता है। पहली स्थिति मे जब साधक नया नया ध्यान का अभ्यास आरंभ करता है तब ऊर्जा का ऊपर नीचे आना जाना उसकी साधना के अनुरूप चलता रहता है और ऊर्जा अभी स्थिर नहीं होती है। दूसरी स्थिति मे जब साधक थोड़ा अनुभवी हो जाता है और उसके ध्यान मे गहराई आने लगती है तो ऊर्जा स्थिर होनी शुरू हो जाती है लेकिन ऐसा तब तक ही होता है जब तक उसका ध्यान का अभ्यास चलता रहे किन्तु यदि इस बीच वह अभ्यास छोड़ देता है तो ऊपर गई ऊर्जा फिर से वापिस नीचे के चक्रों मे आ जाती है तीसरी स्थिति मे जब साधक के ध्यान का अभ्यास निरन्तर व वर्षो पुराना हो जाता है तो दीर्धकालिन अभ्यास के कारण ऊर्जा का ऊर्ध्वगामी स्वरूप स्थाई होने लगता है और तब ऐसी उच्च स्थिति से साधक फिर कभी नीचे नहीं आता है।
Thankyou so much for reply. Dhanyawad Guruji.Main koi sadhna nahi janta tha bas ye sab apne aapse hi ho gaya balki main kahunga kisi ne mujhse karwaya bahut Anubhav hue kisi se baat karne ki ichha hoti hai par koi Vishwas bhi nahi karta. Abhi kush energy feel hoti hai par dyaan nahin ho pata. Kya karoon plz help.
@@dave_pagoda आपको जो पहले ध्यान का अनुभव हुआ वो आपके पूर्व के पुण्य कर्मों के स्वरूप आपको हुआ, किन्तु अब आपको इसे सप्रयास आरंभ करना होगा अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है । धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे । आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान । अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये । कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
य़ह सक्रियता का लक्षण है। वस्तुतः य़ह वाइब्रेशन हमारे मस्तिष्क में स्थित सहस्रार चक्र मे होती है, इसका मतलब की आपकी प्राण ऊर्जा य़हा पर पहुँच रही है जोकि एक शुभ संकेत है। जब ध्यान सघन होने लगता है तो ऊर्जा ऊर्ध्वगमन करके मस्तिष्क में एकत्रित होने लगती है इस कारण से नए तन्तु खुलते है जिससे ऐसी अनुभूति होती है। जो घूमने की अनुभूति आपको हो रहीं हैं वह एनर्जी के गति करने के कारण हो रहीं हैं।
Guru ji muje kuch baten clear krni h pls btaiye mene jbse dhyan lgana shuru Kia jo dhyan lgate hu body hilti h vibrate hoti he wo dhyan se htne k bad b hoti rehti h kuch der or kai bar din m ya bethe khde apan aap automatic vibrate hone lgti h bina kisi dhyan ke koi b Kam krde iska kya mtlb h esa lgta h jese energy andr rhti h or kbi b jhtke dene lgti h tango se thied se shuruat hoti h pls btao
ध्यान मे हमारा शरीर गहरी विश्रांति मे चला जाता है और सारे शरीर की मांसपेशियां रिलेक्स हो जाती है जिस कारण से कई बार शरीर के अंदर का तनाव जब मुक्त होता है या कोई नस नाड़ी या मांसपेशी जब ढीली पड़ती हैं तो ऐसी स्थिति मे हल्का या जोर का झटका लग सकता है, इसका मतलब है की आपकी ऊर्जा का एक अंश आपके शरीर मे कही फंसा था जो मुक्त हो गया, इसे आप ऐसे समझे की जैसे एक पूरी तरह फूला हुआ गुब्बारा यदि एकदम से हवा निकलने पर कैसे उछल जाता है, ठीक इसी प्रकार गहरे विश्राम, नींद या ध्यान की अवस्था मे भी जब किसी मांसपेशी के अंदर फंसी वायु मुक्त होती है तो ऐसा होता है। ऐसा होना समान्य है अतः आप चिंतित ना हो और अपना ध्यान जारी रखे, जब आपका शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा तो झटके लगने अपने आप बंद हो जायेगे। और ऐसा ध्यान के समय अथवा समान्य जीवन की क्रियाओं के दौरान भी हो सकता है। और केवल एहतियात के तौर पर एक बार अपना ब्लड प्रेशर भी चेक करवा ले।
इसके कई कारण हो सकते है और इस बात का ज़वाब कई बातों पर निर्भर करता है की आपकी आयु क्या है और आपके शरीर की क्या प्रकृति है आदि। लेकिन अधिकांश य़ह होता है की अगर आपको ध्यान अभ्यास के दौरान अधिकतर ठंढ लगती है तो इसका मतलब आपकी ठण्डी नाड़ी जिसको हम चंद्र नाड़ी बोलते है और जो हमारे नाक के बायीं छेद से ठण्डी साँस को पैदा करती है जिस कारण से हमारे शरीर में ठण्डी बढ़ती है, वह नाड़ी आपकी अति सक्रिय हो जाती है। और दूसरी बात कुछ परिस्थितियों मे जब ध्यान से विश्रांति आती है तो शरीर का Metabolism स्लो हो जाता है और बॉडी मे parasympathetic nervous system एक्टिवेट हो जाता है, अब क्यूंकि सारी एक्टिविटी स्लो हो जाती है तो गर्मी की जरूरत नहीं रहती, तो जिस कारण से फिर शरीर मे ठण्ड बढ़ने लगती है। कभी कभार ऐसा होना स्वाभाविक है लेकिन यदि आप के साथ अधिकतर ऐसा होता है और आप इस स्थिति को बदलना चाहते है तो आप हर रोज अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे, ऐसा करने से आपकी नाड़ी संतुलित हो जायेगी और ठंढ नहीं लगेगी।
ध्यान के दौरान चींटियां काटने की अनुभूति होना तब होता है जब प्राण वायु शरीर की सूक्ष्म नस नाड़ियों मे प्रवेश करती है, वस्तुतः एनर्जी भीतर की सूक्ष्म नाड़ियों मे जब गति करती है तो चींटियां चलने जैसी प्रतीति होती है, य़ह एक अच्छा चिन्ह है।
अगर आप सही तरीके से एक सिस्टम के साथ ध्यान करेगें तो आपको इसमे जरूर सफ़लता मिलेगी। अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है । धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे । आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान । अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये । कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
Pranam sir,pahle mujhe dhyan me kuch adbhut anubhav ho rahe the,or blue colour , white cloud ball jesa dikhata tha but ab 2-3 mahino se dhyan me sirf andhera hi dikhta h or urja ka khel puri body khas kar gardan se upri hisse pr.kripya margdarshan karein🙏
जब तक आप ध्यान मे कुछ सुनने या कुछ देखने के अनुभवों की इच्छा करेगे तब तक आप उनके घटित होने मे रूकावट पैदा करते रहेंगे, ध्यान के आध्यात्मिक अनुभव हमारी चाहना से नहीं होते अपितु वे तो सहज ही अचानक से बिना आपके किसी प्रयास के स्वयं ही होते है, होते है तो होते है और नहीं होते तो नहीं होते, उनपर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं होता, ऐसे अनुभव तभी होते है जब परमात्मा की इच्छा होती है अथवा ऐसे अनुभव तब होते है जब हमारी ध्यान साधना गहरी होने लग जाती है इसलिए आप अनुभवों से ध्यान हटाकर अपना पूरा ध्यान ध्यान के अभ्यास को गहरा करने मे केंद्रित करे । इस तरह के अनुभव अधिकतर अपने आप होते है और कोशिश करने से नही होते । अगर आप की इच्छा है की ये अनुभूतियाँ आपको हो तो मन मे आकाँक्षा रख के ध्यान ना करे और फल की इच्छा भी ना रखे, बस अपना सारा ध्यान केवल विधि को करने मे लगाये और किसी भी प्रकार का अनुभव हो या ना हो, इस तरफ ध्यान ना दे, फल की प्राप्ति भी परमात्मा की कृपा पर छोड़ दे अगर अनुभव ना भी हो रहे तो भी उनके घटित होने की आकांक्षा मन मे नही रखनी है । बस आप अपनी साधना की प्रक्रिया को बिना रूके जारी रखे । सब अपने से हो जायेगा । याद रखे की साधना के दौरान होने वाली अनुभूतियों के प्रति हमे मोह नही रखना है क्युकी वे तो मार्ग की मात्र रंगीनियाँ है जबकि साधक का मुख्य उदेश्य अपने मूल स्वरूप को जानना है नाकि अनुभवों मे उलझना । और फिर वास्तविक अनुभव किसी चमत्कारिक प्रतिति का होना नही है अपितु आप की मानसिक, भावनात्मक व आत्मिक प्रगति हो, यही असली बदलाव है व अनुभव है । अगर आपको ध्यान के अभ्यास से शांति, सुख और सुकून मिल रहा है तो यही सबसे बड़ा और मूल्यवान अनुभव है।
🙏धन्यवाद गुरुजी,ध्यान में ऐसा महसूस होता है कि मेरा चेहरा गुब्बारे की तरह हवा से भरा है और शरीर में हवा से बना कोई शेषनाग नीचे से ऊपर की ओर गोल-गोल घूमता हो और हर के ऊपर अपना फन फैला कर बैठ गया हो। कृपया मार्गदर्शन करें।🙏
@@bundleofjoyaaravslife5450 य़ह ऊर्जा जागरण का अनुभव है। हमारा सूक्ष्म शरीर प्राण अथवा अदृश्य वायु से बना है। आपका अनुभव इसी वायु का ही अनुभव है। और कुंडलिनी शक्ति जोकि इसी सूक्ष्म शरीर पर विधमान है, आपको इसी शक्ति का सर्प रूप मे इसका प्रतीकात्मक दर्शन हुआ है । अतः आपका अनुभव एक अद्भूत व सुन्दर अनुभव है।
प्रणाम गुरुजी 🙏 एक जिज्ञासा और शांत कीजिए। ध्यान में दांतों में बहुत ज्यादा खिंचाव महसूस होता है और लगता है कि कुछ है जो बहुत दबाव के साथ सर को फोड़ कर बाहर निकलना चाहता है। कृपया बताएं कि ये क्या हो रहा है।🙏
इस मे से बहुत से लक्षणो मे से मै गुजर चुका हूँ, मेरूदंड क्रिया ऊपर और नीचे भी करता हूँ, लेकिन विपश्यना ध्यान मे कोई नाम को माध्यम या समर्ण करने से मना किया है।
Kyi baar to mala jaap karte karte neend me sapne aate h gher k log bate karte h dhyan nahi laga pati or un logo se m bhi baat karne lagti hu mantra jaap khandit ho jata h kya kru
Pregnancy plan karte vkt ya iske dauran aap koi bhi aisi meditation technique kar sakti hai jo active na ho or abdomen par koi effect na dalti ho, aap aisi koi bhi meditation technique kar sakti hai jo inactive ho or visualization ya imagination se judi ho Khan pan me jaisa aapko doctor guide kare vaisi diet le or satvik aur healthy diet le
Muje Dhan karte lagbag 3 years and six month ho gay ha muje bohat Se Anubhav aye but ab sirf muje Dhan m choti wali Jagga per hi vibration hi hoti ha neck Se choti tak hi vibrations hi hoti ha
इसका अर्थ अब आपकी प्राण ऊर्जा की भीतरी उथल पुथल शांत हो गई है और सभी चीजें अपनी जगह आकर ऊर्जा सहस्रार चक्र मे बैठ गई है, तभी आपको मस्तिष्क मे चोटी वाली जगह पर वाइब्रेशन हो रहीं हैं। आप सही मार्ग पर है।
बिल्कुल कर सकते है । सभी चक्र एक ही तार से जुडे हुए है वे भिन्न नही है । ऐसी कोई अनिवार्यता नही है कि आपको सबसे पहले मूलाधार चक्र ही जागृत करना है तब दूसरा और फिर तीसरा चौथा आदि । हालाकि चक्रों को क्रमिक रूप से भी जागृत किया जाता है वह भी एक मार्ग है किंतु एकमात्र मार्ग नही है । मूलाधार चक्र व आज्ञा चक्र, ये दोनो चक्र अलग नही है अपितु एक ही सीधी रेखा के दो विपरित ध्रुव है, जब इसके पहले ध्रुव यानी मूलाधार पर यदि कोई जागृति होती है तो उसका प्रभाव आज्ञा चक्र पर स्पंदन के रूप मे महसूस होता है या यदि इसके दूसरे ध्रुव यानी आज्ञा चक्र पर कोई जागृति होती है तो उसका प्रभाव हमे स्पंदन के रूप मे मूलाधार पर भी महसूस होता है । इसी आधार पर तो आज्ञा चक्र पर ध्यान करने से मूलाधार जागृत होता है । तो इस प्रकार दोनो चक्र आपस मे आधारभूत रूप से जुडे है, एक का अनुभव ही दूसरे का अनुभव बन जायेगा । इसलिये यह आवश्यक नही है की आप मूलाधार से शुरुवात करे, आप आज्ञा चक्र पर सीधे भी ध्यान कर सकते है । यह आजकल कुछ पश्चिमी जगत ने काफी प्रचारित कर दिया है की केवल पहले चक्र से ही शुरुवात होनी चाहिये जो सत्य नही है, अगर आप प्राचीन काल मे देखे तो सभी सिद्घ मुनि हमेशा से ही आज्ञा चक्र, भृकुटि पर ध्यान करतें आये है । ऐसा इसमे कुछ गलत नही है की हमे सीधे आज्ञा चक्र पर ध्यान नही करना चाहिए, मैने स्वयं पुरा जीवन सीधे आज्ञा चक्र पर ही ध्यान किया है और ऐसा करने से मेरा पुरा जीवन सुख शन्ति व आनंद से भर गया है । इसमे कुछ भी गल्त नही है ।
Pranam Maharaj ji is video mein jitni bhi baten aapane batai Hain mostally yah sthiti mere sath bahut time tak rahi thi jiske Karan main kafi disturb Rahi FIR mere Ghar walon ne mujhe kaha yah pagal ho gai hai ab isko doctor ko dikhana chahie UN dinon mujhe dawai Di gai thi aur mujhe koi solution nahin bataya gaya tha jinse humne namdan liya tha unhone bhi is sthiti ko control karane ka koi solution nahin bataya tha ab mere pass koi upay nahin hai maine apne aap ko stop kar liya hai itne dinon se vaise tabiyat theek hai lekin jab main sochati Hun ki main wapas shuru Karun to fir mere andar vahi chinta aur bhay wapas aane lagta hai mujhe solution bataen
@@mamtasharma6273 आपने जो स्थिति बताई है वो तब बनती है जब हम गहरी ध्यान साधना बिना शुद्धीकरण के शुरू कर देते हैं जिससे जागृत प्राण ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी मे प्रवेश करने की बजाय अपना मार्ग भटक कर इडा या पिंगला नाड़ी मे प्रवेश कर जाती है। इसलिए आवश्यक है की आप कुंडलिनी साधना से पहले अपने स्थूल व सूक्ष्म शरीर का शुद्धीकरण करे। योग में विभिन्न प्राणायाम जैसे कपालभाति व नाड़ी शोधन का अभ्यास और पंचकर्म आदि इस उद्देश्य के लिए कुंडलिनी जागरण की प्रकिया से पहले किए जाते हैं। आप अपने नजदीकी किसी योग व आयुर्वेदिक केंद्र मे जाकर इस समबन्ध मे अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
हमारे केंद्र के भारत के विभिन्न नगरो मे ध्यान के शिविर लगते है जिसमें हम सभी चक्रों आदि के विभिन्न ध्यान प्रयोग करवाते है और इन ध्यान विधियों के प्रयोगों से सबको बहुत लाभ होता है। आप भी आमंत्रित है ।
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You are welcome to join 😊❤️🙏
Jai Mata Di 🙏🏻🙏🏻
Today when I was reading Durga Saptashati path, couldn't concentrate in a single word, my mind was just blank and I just kept on reading the words unconsciously.
During that I could recall some incidence , some words , my school time memory which I have been completely forgot during my graduation and job but today I could recall that along with my classroom, classmates teacher, blackboard as clear as I was just there yesterday.
I was so sad that I could not focus on my today's Durga Saptashati path, after some moment, sudden of all I remember your words that whatever is there in your unconscious mind can come out during meditation or that during.
I am so glad for your guidance, Sir.
Thank you 🙏🏻🙏🏻🌹🌹
May Mata Rani bless you 🌿🌿🙏🏻🙏🏻🌿🌿
Are vah ye chenal bhi bhut accha laga AAP lajawab hai.
Thanku sir aapne bahut hi achhe se samjhaya h,👍👍🙏🙏❣️❣️
YOU ARE THE BEST TEACHER I HAVE EVER SEEN… aapke batein sunkei bahat problem solve ho jati h..
Ap bahot acha batate he
Apne jo jo lakshan bataye he o sab muzhe anubhav ho gae he
जयगुरूदेव धन्यवाद सर अच्छाप्रफौनस ज्ञानवर्धक कार्यक्रम आध्यात्मिक ज्ञान मार्गदर्शन सादरप्रणाम धन्यवाद शुभप्रभात नमस्कार 🙏 आत्म वन्दन।
बहुत बहुत धन्यवाद मुझे रास्ता दिखाने के लिए 🙏
Really a good explanation.... Nobody has not been able to give me a solution... for my problem...for dryness.in forehead and it has been burnt like.. Today I got the answer to my problem...hats off guruji .... your explanation is. Very exalent .. please translate in English
Jay gurudev...aapne bahot hi achhi tarah se samjaya he. Bahot dhanyvad.
धन्यवाद भैयाजी 🙏🕉
सभी का अनुभव किया है..ये सब हुआ है फिर से शुक्रिया आपको 🙏
Apne Bahut hi sundar aur vistar me varnan kiya hai. Apko koti-koti dhanyavad.
Thank you sir. Aap bahut acha explain karte ho. Thank you for sharing such videos.
Bahot achi vedio hey kundalini ke topic per, guru ji ko SALAAM.
love from pakistan
बहुत सुंदर प्रस्तुति बहुत बहुत धन्यवाद और आभार। प्रणाम
Bahot step by step jankari di hai guruji apne ham avshya prayas karenge. 🙏🙏Dhanyvad.
Dhanyavaad shri maan g ap jo bhi batate h mere liye bahut helpful hota h,,,,
Aap bahot acchese batate hai
Gurudev 🙏🏻pranam aapko
Bahot satik gyan dete hai aapko bahot bahot dhanyawad
Thanku so much guru ji..mere sare sawalo ka javab aapki is video me mile main aapki bahut bahut shukrgujaar hu..aaj aapki is video se mujhe energy mili aur vishwas hua ki main sahi maarg par hu thanks alot ❤
You are right... Thank you sir...
Thanks. Very. Nice reading thank you universe thank you Devan thank you God bless
Pranam Gurudev 🙏kitani soumyata se aur ekdam barikise aapne samjaya kya hota hai kaise karna hai dhyan bahot se utube par video milte hai sunke Maan vichlit huva aur samj me nahi ata ki dhyan karna kaise hai har ek me alag tarika hota hai..par aap gurudev sahi tarika yahi lagta hai jo asan sa laga ..pranam 🙏
Bahut saare doubt clear Hui guruji..thank you so much
कुंडली शक्ति जागृत होती है योग बल के द्वारा जिसमें पहले ध्यान योग बिंदु त्राटक सिद्ध करो फिर रेचक योग सिद्ध करो चक्रासन, हलासन, अल्पाहार, रोजाना बिंदु त्राटक सिद्ध होने में पांच साल तक लगते हैं और रेचक योग सिद्ध करने में एक साल लगते हैं रेचक योग सिर्फ गर्मियों में सिद्ध होता है अधिक जानकारी हेतु भगवत गीता पढ़ो और समझो
Ye bss ek tarika h
#gurusiyag
Jai ho Parbhu 🙇🙌 Aapne Jo bola Hah Sach He Mene kahi Sunahe
बिल्कुल सही कहा आपने जी
wonderful feeling and self healing Naman 🙏🙏🙏
Very nyc guru ji bahot vadiya experiance apka or samjane ka tareeka
Pranam Gurooji mere bahut sare Prashnonke uttar mil gaye
❤thank u,I was looking for this same video
Thank you very much Ravi ji 🙏
Bahut bahut dhaneyvaad.ji aap ka👏👏👏👏👏
Excellent explain,very practical
Thank you guru bhai ji, God bless you, God bless you, God bless you
NAMAN AADARNIYA PRABHUJI 🥰🥰😍😍😊😊😀😀🌻🌻🌹🌹🙏🙏
Om namah shivay 🙏🌹🌹🌹🌺🌺🌺🌷🌷🌷🌺🌸🌼🌼🌼🙏
Quite clear.quite impressive.thanks.
Same experience🙏🙏 thank you
धन्यबाद ।🙏 धन्यबाद ।🙏 धन्यबाद ।🙏
Bilkul sahi hey
Bahut bahut dhanyavaad 🙏🙏🙏
Namaste Guruji...I am doing maditation from the past ten months...one week my fore head and neck.and skoulder at right
Very good explained Thanks
Thank you universe🙏🙏
Thanks for guidance.
Om Namah Shivay Om Namah Shivay Om Namah Shivay
प्रणाम।
शुक्रिया जी
Thank you guru ji 🙏🙏
Thankyou. Swami. Ji. 🙏🌹
Kundlni शक्ति---Mostly योग की जो Practice करते उनकी जागृत होती या कोई साधु हो या कोई meditation कर्ता हो,,,,कभी-कभी accident से भी active हो जाती ,,,,Kundlni योग का topic हैं,,,in course
प्रनाम गुरुदेव🙏
आप,बहोत,अच्छा,सम्झा,रहे,है, धन्यवाद,क्या,आपसे,मिल्ना,होसकताह,है
Main kuz 1 saal Se Ishwar ke ishq me or Bhakti me bethkar Dhyan krta hoon
Or apki video Se aaj muje clear huya
Mere body me heat badti hai full body me or green colour dikhta hai
Kirpa kuz sahayeta Kare
अक्सर जब साधक अपनी साधना के दौरान योग, प्राणायाम व ध्यान आदि की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास करता है तो कुछ दिनो मे इन क्रियाओं के प्रभाव से शरीर मे गर्मी बढ़ने लग जाती है, हर साधक के साथ ऐसा नही होता किंतु जिनके शरीर मे किसी प्रकार की अशुद्धि हो उनके साथ ऐसा होता है ताकि शरीर मे ताप को बढ़ा कर अशुद्धियों को जलाया जा सके ।
जब भी साधना के दौरान आपको ऐसे लक्षण अनुभव हो तो उनको स्वीकार करे व ऊर्जा को अपना काम करने दे ।
किंतु फिर भी यदि आपको ज्यादा तकलिफ हो तो आप ज्यादा से ज्यादा इतना कर सकते है की खुब पानी पिये, अपने आहार मे ठण्डी तासिर के खाध पदार्थो तथा सुपाच्य भोजन व फल आदि का सेवन करे । अनुलोम-विलोम, शीतली, सित्कारि, चंद्र भेदी प्राणायाम का नित्य अभ्यास करे । अधिकतर जब आप सोते या लेटते है तो बाई नासिका को ऊपर की और रख कर सोये यानि दाई करवट लेकर सोये इससे आपकी चंद्र नाडि जो शरीर को शीतलता देती है, वह चलेगी और शरीर की अति की गर्मी शान्त होगी ।
हरा रंग दिखना भी आपके हृदय चक्र के विकसित होने का संकेत है।
Thanks for the help
Har Har Mahadev 🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤
Thank you ❤
Watched again 🙏🙏🌹🙏
Excellent👏👏👏 video Sir
Very nice sir ji 🙏 thanks🙏
Thanku guru ji
Ek bar m rat ko leta hua
Muje Kuch ni pta tha Dyan k bare ya Kisi BHI bare merko Sab Kuch vaham lagne Lagta h
Ek bs m sone hi wala ki merko pta LGA MERI aankh band ho gai mere right ear mein aawaj aai rrrrrrrrrrr
Pure shrire mein vibration ho gai bohot tej m dar gya kya hua KHI m paraglide to ni ho gya m m uthane ki kosise Kru utha na Jaye vibration itni tej thi sir mein ki phat jayega
Excellent Thanks 🎉
Mene suru kiya h dhyan lagana...mujhe b sr dard or chkr ki smasya hoti h..bhari bhari rhta h sr
ध्यान साधना के दौरान सिर दर्द होना एक सामान्य लक्षण है जिसका कारण सिर मे ऊर्जा के प्रवेश से नए तन्तु के जागरण है।
किन्तु
अगर ध्यान, जाप के समय या ध्यान के बाद आपका सिर दर्द करता है तो इसका एक कारण ये भी हो सकता है की आप अत्यधिक एकाग्रता व तनावपूर्ण होकर ध्यान करने का प्रयास कर रहे है । स्मरण रहे की जब हम ध्यान करते है उस समय हमारा शरीर विश्राम की मुद्रा मे होना चाहिए और चेहरे की सभी मास्पेशिया खासकर माथा ढीला रखना चाहिये, होठों व दाँत की पंक्तियों को व जीभ को भी शिथिल रखे, आँखो को कसकर बंद मत करे बस कमर भर सीधी रखे । जब आप तनावरहित होकर बैठेगे तो दबाव नही होगा और सिर दर्द भी नही होगा ।
किंतु यदि आपको विश्राम पुर्वक बैठने के बाद भी यदि सिर दर्द होता है तो इसका अर्थ है की ध्यान से उत्पन उर्जा आपके मस्तिष्क मे अधिक मात्रा मे एकत्रित हो गई है और जज्ब नही हो पाई है तो ऐसी स्थिति मे आपको ध्यान के बाद थोडा सा प्रेम पूर्ण होकर नृत्य करना चाहिये, प्राणायाम करना चाहिए, कुछ हल्का फुल्का मेहनत का कार्य या कुछ सृजनात्मक कार्य करना चाहिये या अपने किसी प्रेमी मित्र के साथ प्रेम पूर्ण होकर बैठना चाहिए ताकी अतिरिक्त उर्जा अपनी निकासी पा सके और दिमाग हल्का हो जाये ।
@@Dhyankagyan777 haa aapne shi kha jyaada concentration k saath krti hu...Thank you so much 🙏💖
Pranam. Dhanayvad
guru ji...dheyan kaafi samay se lgaa rha hu..or kundli puri trh se mere niyantern me ho chuki h..niche se aakr aagya chakr pr ruk jati h..or m rojana 3...4 ghantte wahi rokki rkhta hu...aagya chakr itna bhari ho jata h..ke sahan krna mushkil ho jata h..or jis chakar pr bhi dheyan lagata hu mintt me puri trh se campen krne lag jata h..prantu aagya chakar se kam...pahle kai bar..mujhe aagya chaakr ne uper ki or khincha to m ghabraa kr aankhe khol leta hu..agya chakar mere pran uper kiu kheench leta h..m apne sreer se bahar to nahi jaungaa ...kirpa krke bataye
Thank you sir
🕉 Shanti
Very nice.
Mene 2021 January se subha jaldi utha kar dhayn Krna sharu karunga karke sankalp kiya tha but abhi tak me start nhi kar paya guruji koi upay bataye ham adhyatm ki or kese badhe ?
आपका प्रश्न महत्वपूर्ण है और प्रासंगिक है क्युकी अधिकतर व्यक्तियों को य़ह समस्या आती है की वह ध्यान साधना शुरू तो करना चाहते है पर कर नहीं पाते, कभी संकल्प या निर्णय की कमी के कारण तो कभी आलस्य या समय की कमी के कारण अथवा कभी प्यास की कमी या युवावस्था होने के कारण भी ऐसा होता रहता है।
ऐसा बहुत कम ही होता है की किसी ने बस एक ही बार ध्यान आरंभ करने का निर्णय लिया और वो उसमे सफ़ल हो गया, अधिकतर तो धन, यश, काम और मोह आदि के लोभ मे उलझते रहते है।
इस लाइन मे व्यक्ती को स्थाई रूप से आने मे समय लगता है, जब वह बार बार संसारी प्रलोभनों की निरर्थकता को देखता है तो धीरे धीरे उसका झुकाव अध्यात्म की और सच्चे रूप से होने लगता है अथवा पहले तो मात्र कुतूहल वश भी व्यक्ति अध्यात्म की और आने लगते है पर इस कुतूहल से व्यक्ति ज्यादा आगे नहीं जा पाता
मेरा आपको यही सुझाव है की अध्यात्म मे जबरदस्ती नहीं ब्लकि अंदरूनी प्रेरणा से ही आया जा सकता है, बेहतर होगा की जो भी जीवन आप जी रहे है उसका सूक्ष्म अवलोकन करे और स्वयं से प्रश्न करे, संवेदनाशीलता से सभी चीजों को देखते रहे, इसमे भटके और इसकी कार्य प्रणाली देखे, ऐसा करने से, और इसकी निरर्थकता देखने से, आपके अंदर सहज रूप से ही अध्यात्म के प्रति आकर्षण पैदा हो जायेगा और तब इसकी शुरुआत के लिए आपको कोई डेट नहीं फिक्स करनी पड़ेगी अपितु तब आपके अंदर से ही सहज रूप से ही ध्यान अभ्यास करने की प्रेरणा होनी शुरू हो जायेगी ।
namaste guruji, mujhe hamesha malum hota hai ki mai swapna dekh raha hu, shayad 3-4 saalo se, also gruhasthi se man uthne laga hai, I don't do any sadhana, but would like to start
जी हाँ, य़ह संसार एक स्वप्न ही है, यदि आपको ऐसा महसूस होने लग गया है तो य़ह अच्छी बात है।
दूसरी बात आपने कही की गृहस्थी से मन उठने लगा है, मुझे मालूम नहीं की गृहस्थी से मन उठ कर कहा लग रहा है या कहा आप लगाना चाहते है, यदि आप ध्यान अध्यात्म आदि मे जाना चाहते है तो मैं आपको राय दूँगा की आप गृहस्थी को व अध्यात्म को अलग अलग करके ना देखे, आप इन दोनो मे से किसी एक अति पर नही जा सकते, आपको दोनो के बीच मे सन्तुलन साधना होगा, यानि की आप गृहस्थ मे रहकर अपनी साधना मे लीन हो । याद रखे यदि आपने दोनो मे से किसी भी एक मार्ग पर अति कर के चलेगे तो आप भटक जायेगे इसलिये अपने मन को व्यवस्थित करके समझ पुर्वक चलने की कोशिश करे और गृहस्थ व अध्यात्म के बीच मे संतुलन लाएं ।
आप सन्तोष के साथ व बिना लोभ के अपना व्यवसाय आदि भी करे और कुछ समय निकाल कर ध्यान साधना आदि भी करे । यही उतम मार्ग है ।
तीसरी बात आपने कही की आप ध्यान शुरू करना चाहते हैं, जरूर करे, इससे आपको बहुत लाभ होगा ।
Thank You Guruji 🙏
Sir mere sath same hua h ..heart chakra p thi m ...aisa lagta 2 body at a time .... Jhatke lagna ..chup rehna .... Bahar ka khane ka man ni karta or visions ana to aap bata sakte ki m ab guru k under karu ya aage khud se badu
Jai guru dev 🙏 ✨ 💙 ❤ 💖 💕 🙏
Video lamba mat boliye bade bhai, guruji mera dil karta hai baar baar sunti jau. Thank you Thank you Thank you
app ko sunte sunte he kundlinee jagrit ho gai ji khub good anubav ho raha h ji
🙏🏻🌺प्रणाम महानुभाव। ध्यान के मध्य, मुँह में पानी ज्यादा आने से ध्यान में बाधा उतपन्न हो तब क्या करें? कृपया मार्गदर्शन करें🙏🏻
🙏🙏 sir mujhe ek week se pure body me bahut jyada vibration feel hota hai dhyan me,Puja ke aamay ya aise hi jab main aaram se baithi rahti hun tab bhi.Third eye ke place par bhi hamesha tingling sensation hota hai.Puja ya dhyan ke aamay ek eye bhi nazar aata hai jiska eye ball gumta rahta hai kabhi Kariba kabhi dur nazar aata hai,Us eye se prakash bhi nikal raha hota hai.kriya margdarshan karen 🙏🙏🙏❤️
आपके सभी लक्षण बहुत शुभ है, इसका अर्थ है की आपके शरीर मे ऊर्जा जागृति ले रहीं हैं और आपका ध्यान सही दिशा में जा रहा है। जब ध्यान के प्रभाव से ऊर्जा का जागरण होता है तो ऊर्जा ऊपर के चक्रों की और बढ़ती है जिससे सोये चक्र जागने लगते है अथवा मस्तिष्क के सोये हिस्से जागने लगते हैं, इस कारण से शरीर मे वाइब्रेशन की अनुभूति होती है।
आज्ञा चक्र पर tingling या टिक टिक हमारे मस्तिष्क में स्थित आज्ञा चक्र के पार्थिव रूप pineal gland में होती है य़ह धड़कन उसका स्पन्दन है जो निरन्तर जारी रहता है, लेकिन हम इस धड़कन को केवल ध्यान के दौरान ही सुनते है क्योंकि उस दौरान हमारा मन एकाग्र और शांत होता है जिस कारण से य़ह टिक टिक हम महसूस कर लेते है।
अगर आज्ञा चक्र टिक टिक होती है तो इसका अर्थ है की प्राण ऊर्जा य़हा पर पहुँच रही है जोकि एक शुभ संकेत है।
ध्यान के दौरान विभिन प्रकार के प्रकाश दिखाई देना भी ध्यान मे उन्नति के समान्य लक्षण है ।
आप अपना प्रयास जारी रखे । आप सही दिशा मे है ।
@@Dhyankagyan777 धन्यवाद सर जी
Guru ji,mind ke trap ko samajhna ke baare me bataaye.kaise is jangli rupe mind ko Prabhu ki khoj me chale.Kirpa is par video banaaye.....
Mere sath aesa hi ho raha hai bhaiya ji
Guruji Shastang Namaskar Sawikaar kijiye.kundli jagaran ke baad crown chakra Tak ke Anubhav aur Aatam Shatshakaar ke baad agar meditation ruk jaye to kundlini ki kya stithi rehti hai.kya yeh dobara supt ho jati hai aur haan to phir se rise hoti hai.? Nahin to kya karna hoga is par vedio banaye plz.
यह कुछ स्थितियों पर निर्भर करता है।
पहली स्थिति मे जब साधक नया नया ध्यान का अभ्यास आरंभ करता है तब ऊर्जा का ऊपर नीचे आना जाना उसकी साधना के अनुरूप चलता रहता है और ऊर्जा अभी स्थिर नहीं होती है।
दूसरी स्थिति मे जब साधक थोड़ा अनुभवी हो जाता है और उसके ध्यान मे गहराई आने लगती है तो ऊर्जा स्थिर होनी शुरू हो जाती है लेकिन ऐसा तब तक ही होता है जब तक उसका ध्यान का अभ्यास चलता रहे किन्तु यदि इस बीच वह अभ्यास छोड़ देता है तो ऊपर गई ऊर्जा फिर से वापिस नीचे के चक्रों मे आ जाती है
तीसरी स्थिति मे जब साधक के ध्यान का अभ्यास निरन्तर व वर्षो पुराना हो जाता है तो दीर्धकालिन अभ्यास के कारण ऊर्जा का ऊर्ध्वगामी स्वरूप स्थाई होने लगता है और तब ऐसी उच्च स्थिति से साधक फिर कभी नीचे नहीं आता है।
Thankyou so much for reply. Dhanyawad Guruji.Main koi sadhna nahi janta tha bas ye sab apne aapse hi ho gaya balki main kahunga kisi ne mujhse karwaya bahut Anubhav hue kisi se baat karne ki ichha hoti hai par koi Vishwas bhi nahi karta. Abhi kush energy feel hoti hai par dyaan nahin ho pata. Kya karoon plz help.
@@dave_pagoda आपको जो पहले ध्यान का अनुभव हुआ वो आपके पूर्व के पुण्य कर्मों के स्वरूप आपको हुआ, किन्तु अब आपको इसे सप्रयास आरंभ करना होगा
अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है ।
धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे ।
आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान ।
अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये ।
कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
Namashkar Guruji Aapki Taraf se Answer aane se Mann bahut hi Prasann ho gaya hai.Aap ki Guidelines ko completely implement karunga🙂🙏🙏🙏.
Sahastraar chakra me vibrations ....kuch ghum raha ho vaisa feel ho to kya samajhe
य़ह सक्रियता का लक्षण है।
वस्तुतः य़ह वाइब्रेशन हमारे मस्तिष्क में स्थित सहस्रार चक्र मे होती है, इसका मतलब की आपकी प्राण ऊर्जा य़हा पर पहुँच रही है जोकि एक शुभ संकेत है।
जब ध्यान सघन होने लगता है तो ऊर्जा ऊर्ध्वगमन करके मस्तिष्क में एकत्रित होने लगती है इस कारण से नए तन्तु खुलते है जिससे ऐसी अनुभूति होती है। जो घूमने की अनुभूति आपको हो रहीं हैं वह एनर्जी के गति करने के कारण हो रहीं हैं।
Guru ji jarure btana Sab real h jo hua h mere sath
Thanks🙏
गुरुजी प्रणाम,आपका ध्यान केंद्र कहां है।आपसे दीक्षा की इच्छा है।
પ્રણામ સાહેબ આભાર 🙏
Guruji thankyou so much
I want to meet u is it possible.
Guru ji muje kuch baten clear krni h pls btaiye mene jbse dhyan lgana shuru Kia jo dhyan lgate hu body hilti h vibrate hoti he wo dhyan se htne k bad b hoti rehti h kuch der or kai bar din m ya bethe khde apan aap automatic vibrate hone lgti h bina kisi dhyan ke koi b Kam krde iska kya mtlb h esa lgta h jese energy andr rhti h or kbi b jhtke dene lgti h tango se thied se shuruat hoti h pls btao
ध्यान मे हमारा शरीर गहरी विश्रांति मे चला जाता है और सारे शरीर की मांसपेशियां रिलेक्स हो जाती है जिस कारण से कई बार शरीर के अंदर का तनाव जब मुक्त होता है या कोई नस नाड़ी या मांसपेशी जब ढीली पड़ती हैं तो ऐसी स्थिति मे हल्का या जोर का झटका लग सकता है, इसका मतलब है की आपकी ऊर्जा का एक अंश आपके शरीर मे कही फंसा था जो मुक्त हो गया, इसे आप ऐसे समझे की जैसे एक पूरी तरह फूला हुआ गुब्बारा यदि एकदम से हवा निकलने पर कैसे उछल जाता है, ठीक इसी प्रकार गहरे विश्राम, नींद या ध्यान की अवस्था मे भी जब किसी मांसपेशी के अंदर फंसी वायु मुक्त होती है तो ऐसा होता है। ऐसा होना समान्य है अतः आप चिंतित ना हो और अपना ध्यान जारी रखे, जब आपका शरीर पूरी तरह से शुद्ध हो जाएगा तो झटके लगने अपने आप बंद हो जायेगे।
और ऐसा ध्यान के समय अथवा समान्य जीवन की क्रियाओं के दौरान भी हो सकता है।
और केवल एहतियात के तौर पर एक बार अपना ब्लड प्रेशर भी चेक करवा ले।
Dhayan karne ke bad kabhi - 2 thand lagne lagti hai. Kabhi dhyan karte samay mera sharir thanda pad jata.
hai. Please bataiye kya ye sahi hai
इसके कई कारण हो सकते है और इस बात का ज़वाब कई बातों पर निर्भर करता है की आपकी आयु क्या है और आपके शरीर की क्या प्रकृति है आदि।
लेकिन अधिकांश य़ह होता है की अगर आपको ध्यान अभ्यास के दौरान अधिकतर ठंढ लगती है तो इसका मतलब आपकी ठण्डी नाड़ी जिसको हम चंद्र नाड़ी बोलते है और जो हमारे नाक के बायीं छेद से ठण्डी साँस को पैदा करती है जिस कारण से हमारे शरीर में ठण्डी बढ़ती है, वह नाड़ी आपकी अति सक्रिय हो जाती है।
और दूसरी बात कुछ परिस्थितियों मे जब ध्यान से विश्रांति आती है तो शरीर का Metabolism स्लो हो जाता है और बॉडी मे parasympathetic nervous system एक्टिवेट हो जाता है, अब क्यूंकि सारी एक्टिविटी स्लो हो जाती है तो गर्मी की जरूरत नहीं रहती, तो जिस कारण से फिर शरीर मे ठण्ड बढ़ने लगती है।
कभी कभार ऐसा होना स्वाभाविक है लेकिन यदि आप के साथ अधिकतर ऐसा होता है और आप इस स्थिति को बदलना चाहते है तो आप हर रोज अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करे, ऐसा करने से आपकी नाड़ी संतुलित हो जायेगी और ठंढ नहीं लगेगी।
बहुत-बहुत धन्यवाद गुरुजी प्रणाम
Parnam guruji muje shsharar chakrpar chitiya katti aisa lagata hey or vaibreshan hote hey or sar hilanepe sarki khopadi hilti hey or sarpe kucha to rkha huva hey aisa jadatv jisa lagata hey kurpa batay ye kay hey
ध्यान के दौरान चींटियां काटने की अनुभूति होना तब होता है जब प्राण वायु शरीर की सूक्ष्म नस नाड़ियों मे प्रवेश करती है, वस्तुतः एनर्जी भीतर की सूक्ष्म नाड़ियों मे जब गति करती है तो चींटियां चलने जैसी प्रतीति होती है, य़ह एक अच्छा चिन्ह है।
Super 😇🙏
Mujko bhi btao guru ji m diyan lagati toh hu but mujko bas Andhra hi dikhta h jab kosish krti hu andhra dikhta h kuj btao
अगर आप सही तरीके से एक सिस्टम के साथ ध्यान करेगें तो आपको इसमे जरूर सफ़लता मिलेगी।
अगर आप ध्यान शुरु करना चाहते है तो सब से पहले अपने शरीर को शुद्ध करने से शुरुआत करे । आप योग व प्राणायाम की विभिन क्रियाओं द्वारा अपने तन व मन की शुद्धि करे । शरीर को तैयार करने के लिये आप अपना कोई भी अच्छा लगने वाला वयायाम, कसरत,दौड़ आदि या आसन आदि या सुर्य नमस्कार का अभ्यास कर सकते है । उसके बाद फिर कपालभाति व अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास आवश्यक व अति उतम है ।
धीर धीर कुछ दिनो मे जब आपका शरीर स्वस्थ व शुद्ध हो जाये तो ओर आगे बढ़ने के लिये महामंत्र औम का उचारण नित्यप्रति आंरभ कर दे । फिर उचारण के बाद नित्यप्रति विपश्यना ध्यान जिसमे अपनी आती जाती श्वास पर ध्यान को केंद्रित किया जाता है, हर रोज 30 से 40 मिनट तक इसका अभ्यास करे ।
आप इस प्रकार अपना एक घंटे का साधना का क्रम बना सकते है सर्वप्रथम 10 मिनट के लिये शारिरिक व्यायाम फिर 10 मिनट के लिये प्राणायाम फिर 10 मिनट के लिये ओम का उच्चारण फिर 30 मिनट के लिये विपश्यना ध्यान ।
अपने खान पान को शुद्ध व सात्विक रखे । अपने मन मे संकल्प करके व्यर्थ की सभी क्रियाए जैसे मनोरंजन, बातचीत, गप शप आदि बंद करके अपना पुरा ध्यान अपने लक्ष्य पर केंद्रित करने की आदत बनाये ।
कुछ दिन इतना करने भर से ही आप के अंदर बदलाव आने शुरु हो जायेगे, और आगे क्या करना है उसका रास्ता दिखना शुरु हो जायेगा ।
@@Dhyankagyan777 thank you sir apka bhut bhut shukriya guru ji main kafi time se try kri thi
Pranam sir,pahle mujhe dhyan me kuch adbhut anubhav ho rahe the,or blue colour , white cloud ball jesa dikhata tha but ab 2-3 mahino se dhyan me sirf andhera hi dikhta h or urja ka khel puri body khas kar gardan se upri hisse pr.kripya margdarshan karein🙏
जब तक आप ध्यान मे कुछ सुनने या कुछ देखने के अनुभवों की इच्छा करेगे तब तक आप उनके घटित होने मे रूकावट पैदा करते रहेंगे, ध्यान के आध्यात्मिक अनुभव हमारी चाहना से नहीं होते अपितु वे तो सहज ही अचानक से बिना आपके किसी प्रयास के स्वयं ही होते है, होते है तो होते है और नहीं होते तो नहीं होते, उनपर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं होता, ऐसे अनुभव तभी होते है जब परमात्मा की इच्छा होती है अथवा ऐसे अनुभव तब होते है जब हमारी ध्यान साधना गहरी होने लग जाती है इसलिए आप अनुभवों से ध्यान हटाकर अपना पूरा ध्यान ध्यान के अभ्यास को गहरा करने मे केंद्रित करे ।
इस तरह के अनुभव अधिकतर अपने आप होते है और कोशिश करने से नही होते । अगर आप की इच्छा है की ये अनुभूतियाँ आपको हो तो मन मे आकाँक्षा रख के ध्यान ना करे और फल की इच्छा भी ना रखे, बस अपना सारा ध्यान केवल विधि को करने मे लगाये और किसी भी प्रकार का अनुभव हो या ना हो, इस तरफ ध्यान ना दे, फल की प्राप्ति भी परमात्मा की कृपा पर छोड़ दे
अगर अनुभव ना भी हो रहे तो भी उनके घटित होने की आकांक्षा मन मे नही रखनी है । बस आप अपनी साधना की प्रक्रिया को बिना रूके जारी रखे । सब अपने से हो जायेगा ।
याद रखे की साधना के दौरान होने वाली अनुभूतियों के प्रति हमे मोह नही रखना है क्युकी वे तो मार्ग की मात्र रंगीनियाँ है जबकि साधक का मुख्य उदेश्य अपने मूल स्वरूप को जानना है नाकि अनुभवों मे उलझना ।
और फिर वास्तविक अनुभव किसी चमत्कारिक प्रतिति का होना नही है अपितु आप की मानसिक, भावनात्मक व आत्मिक प्रगति हो, यही असली बदलाव है व अनुभव है ।
अगर आपको ध्यान के अभ्यास से शांति, सुख और सुकून मिल रहा है तो यही सबसे बड़ा और मूल्यवान अनुभव है।
🙏धन्यवाद गुरुजी,ध्यान में ऐसा महसूस होता है कि मेरा चेहरा गुब्बारे की तरह हवा से भरा है और शरीर में हवा से बना कोई शेषनाग नीचे से ऊपर की ओर गोल-गोल घूमता हो और हर के ऊपर अपना फन फैला कर बैठ गया हो। कृपया मार्गदर्शन करें।🙏
@@bundleofjoyaaravslife5450 य़ह ऊर्जा जागरण का अनुभव है।
हमारा सूक्ष्म शरीर प्राण अथवा अदृश्य वायु से बना है।
आपका अनुभव इसी वायु का ही अनुभव है।
और कुंडलिनी शक्ति जोकि इसी सूक्ष्म शरीर पर विधमान है, आपको इसी शक्ति का सर्प रूप मे इसका प्रतीकात्मक दर्शन हुआ है । अतः आपका अनुभव एक अद्भूत व सुन्दर अनुभव है।
आपका बहुत-बहुत आभार गुरुजी 🙏
प्रणाम गुरुजी 🙏 एक जिज्ञासा और शांत कीजिए। ध्यान में दांतों में बहुत ज्यादा खिंचाव महसूस होता है और लगता है कि कुछ है जो बहुत दबाव के साथ सर को फोड़ कर बाहर निकलना चाहता है। कृपया बताएं कि ये क्या हो रहा है।🙏
इस मे से बहुत से लक्षणो मे से मै गुजर चुका हूँ, मेरूदंड क्रिया ऊपर और नीचे भी करता हूँ, लेकिन विपश्यना ध्यान मे कोई नाम को माध्यम या समर्ण करने से मना किया है।
Ye sub kuch hua hai mera sath par abhi kuch kami hai
Kyi baar to mala jaap karte karte neend me sapne aate h gher k log bate karte h dhyan nahi laga pati or un logo se m bhi baat karne lagti hu mantra jaap khandit ho jata h kya kru
Guruji mera question he ki ..
1.kya pregnancy plan krte vkt ya pregnancy ke baad bhi ye dhyan vidhi ko kiya ja skta he?
2.khan pan me kya niyam rkhe.
Pregnancy plan karte vkt ya iske dauran aap koi bhi aisi meditation technique kar sakti hai jo active na ho or abdomen par koi effect na dalti ho, aap aisi koi bhi meditation technique kar sakti hai jo inactive ho or visualization ya imagination se judi ho
Khan pan me jaisa aapko doctor guide kare vaisi diet le or satvik aur healthy diet le
🙏
Mgr gurujii inmese kuch lakshan to ho rahe hai mere sath mgr iske upranth kya krna hai
इसके उपरांत आप अपनी साधना जारी रखे ।
Muje Dhan karte lagbag 3 years and six month ho gay ha muje bohat Se Anubhav aye but ab sirf muje Dhan m choti wali Jagga per hi vibration hi hoti ha neck Se choti tak hi vibrations hi hoti ha
इसका अर्थ अब आपकी प्राण ऊर्जा की भीतरी उथल पुथल शांत हो गई है और सभी चीजें अपनी जगह आकर ऊर्जा सहस्रार चक्र मे बैठ गई है, तभी आपको मस्तिष्क मे चोटी वाली जगह पर वाइब्रेशन हो रहीं हैं। आप सही मार्ग पर है।
Thanks
Guruji kya hum mooladhaar se pehle agya chakra jagrat kar sakte hai kya
बिल्कुल कर सकते है ।
सभी चक्र एक ही तार से जुडे हुए है वे भिन्न नही है । ऐसी कोई अनिवार्यता नही है कि आपको सबसे पहले मूलाधार चक्र ही जागृत करना है तब दूसरा और फिर तीसरा चौथा आदि । हालाकि चक्रों को क्रमिक रूप से भी जागृत किया जाता है वह भी एक मार्ग है किंतु एकमात्र मार्ग नही है ।
मूलाधार चक्र व आज्ञा चक्र, ये दोनो चक्र अलग नही है अपितु एक ही सीधी रेखा के दो विपरित ध्रुव है, जब इसके पहले ध्रुव यानी मूलाधार पर यदि कोई जागृति होती है तो उसका प्रभाव आज्ञा चक्र पर स्पंदन के रूप मे महसूस होता है या यदि इसके दूसरे ध्रुव यानी आज्ञा चक्र पर कोई जागृति होती है तो उसका प्रभाव हमे स्पंदन के रूप मे मूलाधार पर भी महसूस होता है । इसी आधार पर तो आज्ञा चक्र पर ध्यान करने से मूलाधार जागृत होता है । तो इस प्रकार दोनो चक्र आपस मे आधारभूत रूप से जुडे है, एक का अनुभव ही दूसरे का अनुभव बन जायेगा । इसलिये यह आवश्यक नही है की आप मूलाधार से शुरुवात करे, आप आज्ञा चक्र पर सीधे भी ध्यान कर सकते है ।
यह आजकल कुछ पश्चिमी जगत ने काफी प्रचारित कर दिया है की केवल पहले चक्र से ही शुरुवात होनी चाहिये जो सत्य नही है, अगर आप प्राचीन काल मे देखे तो सभी सिद्घ मुनि हमेशा से ही आज्ञा चक्र, भृकुटि पर ध्यान करतें आये है ।
ऐसा इसमे कुछ गलत नही है की हमे सीधे आज्ञा चक्र पर ध्यान नही करना चाहिए, मैने स्वयं पुरा जीवन सीधे आज्ञा चक्र पर ही ध्यान किया है और ऐसा करने से मेरा पुरा जीवन सुख शन्ति व आनंद से भर गया है । इसमे कुछ भी गल्त नही है ।
Pranam Maharaj ji is video mein jitni bhi baten aapane batai Hain mostally yah sthiti mere sath bahut time tak rahi thi jiske Karan main kafi disturb Rahi FIR mere Ghar walon ne mujhe kaha yah pagal ho gai hai ab isko doctor ko dikhana chahie UN dinon mujhe dawai Di gai thi aur mujhe koi solution nahin bataya gaya tha jinse humne namdan liya tha unhone bhi is sthiti ko control karane ka koi solution nahin bataya tha ab mere pass koi upay nahin hai maine apne aap ko stop kar liya hai itne dinon se vaise tabiyat theek hai lekin jab main sochati Hun ki main wapas shuru Karun to fir mere andar vahi chinta aur bhay wapas aane lagta hai mujhe solution bataen
Aap UA-cam par aachary Rameshwar hindu k naam se search kare or apni sadhna suru kare aapka magal hi hoga
Okay main dekhti hun
@@mamtasharma6273 आपने जो स्थिति बताई है वो तब बनती है जब हम गहरी ध्यान साधना बिना शुद्धीकरण के शुरू कर देते हैं जिससे जागृत प्राण ऊर्जा सुषुम्ना नाड़ी मे प्रवेश करने की बजाय अपना मार्ग भटक कर इडा या पिंगला नाड़ी मे प्रवेश कर जाती है।
इसलिए आवश्यक है की आप कुंडलिनी साधना से पहले अपने स्थूल व सूक्ष्म शरीर का शुद्धीकरण करे।
योग में विभिन्न प्राणायाम जैसे कपालभाति व नाड़ी शोधन का अभ्यास और पंचकर्म आदि इस उद्देश्य के लिए कुंडलिनी जागरण की प्रकिया से पहले किए जाते हैं।
आप अपने नजदीकी किसी योग व आयुर्वेदिक केंद्र मे जाकर इस समबन्ध मे अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
Guru ji aap kundalini aur kanth chakra(heart chakra) ki shaktipat detey hey ? plz reply zaroor kijiega,
love from Pakistan.
हमारे केंद्र के भारत के विभिन्न नगरो मे ध्यान के शिविर लगते है जिसमें हम सभी चक्रों आदि के विभिन्न ध्यान प्रयोग करवाते है और इन ध्यान विधियों के प्रयोगों से सबको बहुत लाभ होता है।
आप भी आमंत्रित है ।