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जीव , जीवात्मा और आत्मा में अंतर क्या है ?
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- Опубліковано 6 лис 2020
- / @divyasrijan
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बहुत अच्छा। बहुत ही अच्छी तरह से स्पष्ट किया है ताकि कोई संसय ही नहीं रहता। धन्यवाद सर
Tino ak hi hai par jiv jo hu ko jane to aatma hai
@@b.v.khatri7962 777777777777777777777777777777777777777 hmm
Om tat sat
😊😍
@@kshyamasagarmeher1671aaA
Mo q
श्रेष्ठ आत्मा द्वारा श्रेष्ठ भाव से ओत-प्रोत भेदिक रहस्य दरसाने के लिए धन्यवाद 👍🙏👍 जी
क्या कभी परमात्मा भी बंधन में आता है और यदि नही तो परमात्मा को आत्मा रूप में आने की क्या जरुरत है.....?
यही है वह प्रश्न ,
जो सृष्टि का कारक हो सकता है..
करता आवश्यकता थी,
रचने की..?!!
दूसरी तरफ ये तथ्य भी है,
कि,
जो भी रचयिता हैं,
उसका उद्देश्य है,
वर्ना, इतना बड़ा खेल न खेलता..!!
जैसा शास्त्रो में,
लिखा है, कि..
आत्मसाक्षात्कार ही,
मनुष्य जीवन का परम उद्देश्य है,
यदि,
ऐसा ही है,
तो परमेश्वर को
सर्वशक्तिमान को,
कुछ विशुद्ध आत्माएं चाहिए,
जो,
ब्रह्माण्ड में,
कहीं किसी काम को करने में सक्षम हो..
( ऐसा मेरा विचार है )🙏
परमात्मा भी बंधन की परिधि में निहित है।
जी हम आपसे सहमत हैं कि आपने बहुत सुन्दर और सरल व्याख्या की है.. बहुत ही सरल उदाहरण देकर, हमेंशा की तरह🙏 धन्यवाद🙏
🙏जय श्री कृष्ण🙏
विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है..🙏
राजा और महाराजा में अंतर है महाराजा राजाओं के ऊपर होता है राजा एक होता है महाराजा राजाओं के ऊपर होता है
jgd.अत्यंत गहन व सुक्ष्मतमविषय, समझाया है। धन्यवाद!
The concept of Atma, Parmatma, and Jeev, Jeevatma is quite clear.
Thank you.
ॐ नमः शिवाय।
धन्यवाद प्रभुजी अत्यंत महत्त्वपूर्ण ज्ञान देने के लिए ।
🔱🕉️🚩🚩🔱🚩🇮🇳
Main swami ashanand vedantaacharya.hmne apki bhut si video suni h ar hmare anubhav ke anusaar bhi ap bhut sunder vyaakhya kar rhe ho.hme bhut khusi hui apko sunkar,vedaant ka ghurh rhsay saankya yog, bhagwat Geeta, upnishd aadhi sabka samnvy karke ghurh arth Prakath kar rhe ho.hm bhut santust h.shivoham.
आप महान आत्मा हैं दुनिया को शास्रों का तत्वों का ज्ञान दे रहे हैँ प्रणाम जी
आत्मा प्रकृति से नहीं बनता। वह न बनता है न बिगडता है।
गुरूजी प्रणाम, आप स्पष्टीकयण तो बहुत सत्य और सटीक देते हो, कृपया उस सहज अवस्था में स्थित होने का मार्ग दिखा कर उपकृत करें, मैंने अंतरशक्ती जागने पर बहुत अतिद्रिय अनुभव लिए है, मगर आत्मस्थिरता की अनुभूति नहीं हो पा रही, कृपया मार्गदर्शन करें
आप के द्वारा स्पिरिचुअल जगत के विषय बहुत स्पस्ठ से समझ में आ रहे हैं। आप का कोटि कोटि धन्यवाद। नमन करता हूं।
वी पी गुलाटी।
🪔🪔🪔पूज्य गुरुदेव,
🙏आज का प्रवचन बहुत ही ज्यादा Valuable था। मै शब्दों में explain करने मे व्यान नही कर सकती।
आपकी ज्ञान की ज्योति का प्रकाश रहे...
यही प्रभु से निवेदन है।
🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🙏🙏
प्रभु ने माया क्यों बनाई
हम भक्ति क्यों करें
हमें मोक्ष क्यों चाहिए
जीव, देवता, ईश्वर और ब्रह्म ये सब क्या है?
Very well discription of Jiv ,Jivatma,Aatma and Parmatma. Be continue for Sanatan Dharma for ever . 🙏
You are great sir Namaskar.
गुरुजी में जो सपने में देखी वह हकीकत मेरे साथ होता है
I understood to the great extent.you have explained very smoothly..Thanks a lot. Pranav.
आत्मा और परमात्मा दोनों में भिन्नता है ,जीवात्मा शरीर धारण करने के बाद ही, परमात्मा की प्राप्ति हेतु प्रयत्न कर सकता है क्योंकि शरीर परमात्मा की प्राप्ति का एक, साधन व माध्यम है,
जीव जो नश्वर है ,जीवात्मा,जो जीव को संचालित करता है, और आत्म जो नश्वर नहीं है।जीव जीवंत,स्वरूप संरचना है।आत्म अतिशुक्षम ज्योति है।
परमात्मा और जीवात्मा में अंतर बीच में जो महात्मा आया मट्ठा काशी स्वरूप सांब सदाशिव और प्रकृति जिनके माध्यम से हम अमरलोक के हंस आत्मा से जीवात्मा संभोग क्रिया के माध्यम से शरीर की उत्पत्ति हुई जिसके अंदर अमर बूंद सूक्ष्म रूप से अस्तित्व मैं था और हरि दर्जी जुलाहा रुपी परमात्मा ने 9 मास में शरीर की संरचना किया स्वयं इस में समाविष्ट रहा सत्य हरि दर्जी का कोई पार न पाया जिन्होंने यह चोला अजब रचाया हरि ओम तत्सत साहब की जय हो
जीव जीवात्मा एवम आत्मा पर श्रीमान द्वारा की गई बृहद ब्याख्या अवश्य ही अति ज्ञान प्रद है, नमस्ते ।
हमें अच्छा तो बहुत लगता है परन्तु यह सब हमारे सर के उपर से जाता है अनंत में हम राम राम पर आ जाते है।
आप बहुत सही जानकारी दी,धन्यवाद
अति सुन्दर प्रस्तुति महात्मा जी।
Very good to change our life.
🙏जिसे आप निर्जीव कह रहे हो.. बाल , नाखून, यह देह के मल पदार्थ है, चेतना नही है तो वृद्धी नही... 🙏🙏
Hari om AAP itna acche se samjhate hai k anand aa jata bar bar sunnte hai
Dhanyawad
ओम नम शिवाय
जीव अर्थात शरीर जो पांच तत्त्व से बना हुआ है
जिवात्मा अर्थात शरीर+ चैतन्य आत्मा
आत्मा अर्थात निराकार शरीर को चलानेवाली उर्जा
sharir se jeev ke nikalne ke sath hi atma bhi nikal jati hai. to sarirme atma kaise rahta hai.
बहुत सुन्दर सारी बातें समझ मे आ रही हैं |प्रणाम
Acharya Manish ji aap bahut badhiya vyakhayan dene h ...kahi kahi to itna spsht batlaya h ki bahut prashsniy h par atma parmatma ke vishay me shayd thoda aur adhyayan baki h
I have joined live explain clearly difference amog jeev jeevatma and atma.
शरीर चाहे सूक्ष्म हो या स्थूल चैतन्य स्वरूप जीव और परमात्मा का स्वरूप आत्मा यह दोनों उपकरण से परे है इंद्रियों से परे है जीव कर्ता है भोक्ता है प्रकृति माध्यम है यह सत्य है कि हम प्रकृति और काल पुरुष के माध्यम से आए परंतु मैं जीव आत्मा परमात्मा का अंश चैतन्य स्वरूप हूं इसका जो दर्शन करा दे वह सदगुरुदेव है मैं भी सर्वव्यापी हूं परमात्मा भी सर्वव्यापी है मैं अल्पज्ञ हूं वह सर्वज्ञ है मैं घटा काशी हूं वह परमा काशी है मैं तुझ में हूं तू मुझ में है त्रिनेत्र खोल पहचान करो समदर्शी बनो हरि ओम तत्सत
Any books you have written in the subject? What's ahamkar?
शुकदेव रुपी गुरु को प्रणाम ।
🙏🙏🙏
Bahut acha gyaan Aur gehri bate hai
your voice is very impressive.
आत्मा का ध्यान /सुरती शरीर में आती है,मन तन जीव कहते है
बहुत सुंदर विचार,सद्गुरूवे नमः
जय श्री राम। क्या मुक्त आत्मा का पुनरागमन उन्हें प्राप्त लोक से उनके कर्मो के क्षय के कारण होता है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति . धन्यवाद .
गरीब दश इंद्री औजूद तन ,सो तो कहिये जीव...पाँच पचीसौ रहित है,मेरा साँई पीव.....संत गरीबाचार्य वाणी....
Guruji koti koti naman 🙏 Bahut badhiya spastikaran se samjhaya.Aap ki charan kamal me koti koti naman bandan🙏🙏
गुरुजी जय सियाराम आपके चरणों में नमस्कार
Om tatsat Jai Gurudev 🙏🙏🙏
शत शत प्रणाम गुरुजी
हरि ओम तत्सत इसीलिए तो कहा गया तत्व से एक है आत्मा घटा काफी है महात्मा देवात्मा मठा काशी है और परमात्मा परमा काशी है सर्व शक्तिमान है परमात्मा बंधन में नहीं है और यह आत्मा हम जीव के साथ पंचतत्व के अधीन होने के कारण कर्म फल के बंधन में है जिसको ज्ञान से मुक्ति पाकर जब तक शरीर में रहेगा सत्कर्म करते हुए निष्काम कर्म करते हुए अंत में परमात्मा का नाम लेते हुए परमात्मा के धाम को जाएगा परमात्मा की वास्तविक धाम को जानने के लिए सूक्ष्म वेद शास्त्र उपनिषद चारों वेद से परे कबीर वाणी को पढ़ें हरि ओम तत्सत सत साहेब की जय हो
निराकार का कोई प्रतिबिम्ब नहीं हो सकता
Good illustration
,superb talk.
Good view's very nice,but Nam Kia hey kese sapna h
Pranam guruver kripa kre guruji
Very fine.sirji
आज पहली बार आप जी को सुनकर बहुत अच्छा लगा है और तसल्ली हुई है, बहुत ही बढ़िया जानकारी मिली है
hatma aur prmatma yek hi hien yaah alek alek hien
जीव ज्योति उत्पत्ति भनिजे...जो जन्मा सो जीव कहिजे........संत गरीबदास वाणी..
Very nise you great
शत शत नमन👋👋
Shiv = Aatma
Shakti = Jeev
Shiv-Shakti = Jeevatma
Thanks
Very nice 👍
Sr ji jivo brhmvai naparah kyu aur kisake liye kaha gya hai yah jad maya hai ya ki chetan hai
App ka bahut Danbad je
बेद कहता है (तूतीये पूषठे)परमात्मा तीसरा लोक मे रहता है गीता कहता है परमधाम मे रहता है धर्म ग्लानि के समय अवतरित होता हु परमातमा सर्वव्यापी नही है ; आत्मा प्रकृति परमात्मा अलग अलग तीन सत्ता है
Jiva is not the doer (कर्ता). Prakriti and it's gunas are the doer (कर्ता). But the jiva has falsely assumed that it is कर्ता, therefore it has become the भोक्ता. One who can see this fact really sees.
प्रकृते: क्रियमाणानि गुणै: कर्माणि सर्वश: | अहङ्कारविमूढात्मा कर्ताहमिति मन्यते || Gita 3/27||
All activities are carried out by the three modes of material nature. But in ignorance, the jiva deluded by false identification with the body, assumes itself to be the doer.
प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वश: | य: पश्यति तथात्मानमकर्तारं स पश्यति || Gita 13/30||
The one truly sees who has realized that all actions (of the body) are performed by material nature, while the jiva actually does nothing.
By the way in Shri Bhagvad Gita the term जीव or जीवात्मा have not been used. Lord Krishna uses the term जीवभूत.
हरी 🕉️ तत्सत ❤️
Dhirubhai R Nadoda🙏l'm achieving good from you.
जीवात्मा तथा परमात्मा व प्रकृति मे क्या सभी अनादि हैं? केवल परमात्मा? परमात्मा व प्रकृति? उत्तर प्राप्त करने की याचना के साथ सादर नमन ॥
आदि अनादि अघोर ,घोर ,समुचित प्रफुलिट ,पांच तत्व निर्मित तन जीवा,जोड़ मोड़ तोड़,अंतिम चरण सौर भोर ब्रिकुटी दृष्टि दृष्टि ब्रिस्टी अग्नि ज्योति प्रफुल मोह मन काम क्रोध ,लिव ईर्ष्या द्वेषपाप ।☀️
Good job
साहब जी सुरती ओर मन ईन दोनोमे
क्या अंतर हे
Namskar sadgurude ji ke charno me, man niyantran ke bare me,
Very nice. Thank yu.
जयश्रीकृष्ण।
very nice
Hari om shanti jai mata pita guru deta jai mata di God bless everyone long live garu ji ghyan batay raho
जय श्री कृष्ण सदगुरू देव जी नमन् वंदन ।
आत्मज्ञान सुनो भाई युट्टुब चैनल :कहत कबीर सुनो भाई साधो|
दोनों नासिक छिद्र खोलने का मार्गदर्शन करें क्योंकि जो नासिक छिद्र साफ रहता है वह आज्ञा चक्र में गुदगुदी करता है दूसरा भारी वाला नहीं
आत्मा सब की अलग अलग है या समस्त की आत्मा एक ही है
Jivatma alag alag hai... But atma sab mei ek hi hai...!!!!
Jivatma = jiv (suksham sharir) + atma...!!!!
Guru ji pernam. Very nice 👌👍
જીવ આત્મા અને પરમાત્મા અંગે સચોટ માહિતી જાણી ધણોજ આનંદ થયો.🎉🎉🎉
महाराज जी क्या जीव प्रकृति केअधीन ही रहने को बाध्य है या वह इससे स्वतंत्र होसकता है
Guruji dhannywad Jai shanidev
प्रणाम गुरुजी, बार-बार वीडियो देखने से विषय और स्पष्ट होता जाता है ।यह विषय बड़ा ही कंफ्यूजिंग था लेकिन आपने इसको सरलता से समझा दिया। बहुत कुछ स्पष्टता आई है।
प्रणाम गुरूजी ,भुत और अबिध्या के बारेमे कुछ बताइए ।जय हो
🙏आप जब सकाश कह रहे हो तब उसका अर्थ स्+आकाश (' ख ' space) है क्या ?
jai Gurudev🙏jai Shri Krishna 🙏
Subject is important data. I can understand by examples .Thank you. Pranam swami.
कृपया ज्ञान की सात भूमिकाए बताओ
Om shanti
Very Very nice lecture.
अति सुन्दर सेवा आपको!! साधुवाद।
Jai shree Krishna
Om Namah shivay
Aatma kitni hoti h
Please Apka mo no
यदि आत्मा ही परममात्मा है तो आत्मा बंधन में क्यों आती है...?
बन्धन में जीव है । बन्धन को ख़तम कर जीव ही ब्रह्म है ।
चेतन मन और अवचेतन मन क्या है क्या करता है
जो जाग गया बो चेतन है जो मया या संसार में लिप्त है बह अवचेतन है
या जो जाग कर देख रहा बह चेतन है और जो होस में नही बो अवचेतन है
चेतन मन सिर्फ घटना को देखता है सिर्फ देखता है जुड़ता नहीं या प्रभावित नहीं होता जबकि अवचेतन मन सुख,दुख को देख कर प्रभावित होता है सारे कर्म अचेतन मन ही करता है,चेतन कुछ नहीं करता सिर्फ देखता है घटना को
નતમસ્તક પ્રણામ .........🙏
आत्मा को भूत नहीं कहेंगे, आत्मा अनादि है।