चरण चूम कर दादा के,वह विजयी स्वर में बोला। काँप उठी सागर की लहरें, सिंहों का गर्जन डोला। चक्रव्यूह में रण करने की, अभिमन्यु ने ठानी थी। नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी। नहीं पता था अंतिम बाधा, कैसे तोड़ी जाएगी। हार की प्रतिध्वनि विजयी ध्वनि में,कैसे मोड़ी जाएगी। धर्मराज चिंतित थे, अभिमन्यु अभी बालक है। बाल हाथ करता है, हठ वश भूला मानक है। कैसे रण में भेजें, तुमको युद्ध भूमि का भान नहीं है। युद्धों की सीमा मर्यादा का, जरा सा तुमको ज्ञान नहीं है। रण भूमि की छल मर्यादा, उनकी जानी पहचानी थी। ज्ञान चक्रव्यूह तोड़ने का, केवल अर्जुन को आता है। बिन अर्जुन के रण में कोई, इसीलिए न जाता है। नहीं गए यदि युद्गभूमि में, तो अपयश ही पाएंगे। उस अपयश से तो हम, जीते जी मर जायेंगे। धर्म रक्षा को युद्धभूमि में, यौद्धा लड़ने जाता है। वीरगति पाकर वह वीर, स्वर्ग लोक को पाता है। वीरगति पाकर रण में, होनी धन्य जवानी थी। अंतिम द्वार का चिंतन करके, उसका साहस डोला था। उसको तो मैं गदा से तोड़ू, भीमसेन गरज कर बोला था। गुरु द्रोण के चरणों में, उसने तीर चलाया था। चरण वंदना करके उनकी, अपना शीश नवाया था। वीर अभिमन्यु अर्जुन पुत्र , तब था उनको बहन हुआ। पाण्डु वंश के गुरु प्रेम पर, फिर था उन्हें अभिमान हुआ। कुछ वर्षो का छोटा बालक, उसकी सूरत लगी सुहानी थी। प्रथम द्वार जयद्रथ खड़े थे, उनको था लाचार किया। चंद पलों में अभिमन्यु ने ,पहले द्वार को पार किया। प्रथम प्रवेश किया उसने, और नयन घुमाकर देखा था। बाहर सभी पाण्डु वीरों को, जयद्रथ ने रोका था। अब अभिमन्यु अकेला था, सामने शत्रु का मेला था। प्राण हथेली पर ऱखकर, सिंहों से तब वह खेल था। वह सिंह का छोटा शावक, सम्मुख सिंहों की मर्दानी थी। नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी। कैसे डर जाता सिंहों से, वह भी सिंह का शावक था। सिंहों की भाँति गरजता था, शत्रु सेना को पीड़ादायक था। अब उसने कौरव सेना का, खण्डन करना शुरू किया। पाण्डु वंश की वीर कथा का, महिमा मंडन करना शुरू किया। चाप चढ़ाकर धनुवा पर, रण की हुँकार लगाई थी। शत्रु की कौरव सेना में, तब बाढ़ रक्त की आई थी। रक्त की बहती गंगा में, शत्रु की नाव डुबानी थी। नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी। रक्त की नदिया बहती थी, सेना कट कट मरती थी। उसके पौरुष के सम्मुख, किसी की कुछ न चलती थी। युद्धभूमि में कँही किसी को, कुछ नही सुनाई पड़ता था। त्राहि माम् का शोर मचा था, सवर्त्र अभिमन्यु दिखाई पड़ता था। एक एक करके उसने, छह द्वार को तोड़ दिया। हर द्वार पर उसने, एक महारथी को पीछे छोड़ दिया। शत्रु को पीछे करने की, रण की रीति पुरानी थी। नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी। नाको चने चबवाकर सबको, सातवें द्वार पर जा पँहुचा। अंतिम द्वार तोड़ने का वह , शुअवसर भी आ पहुंचा। द्वार आख़िरी तोड़कर , विजयी पताका फहरा देता। अभिमान तोड़कर कौरव सेना का, अपने सम्मुख शीश झुका देता। कुछ छङ पश्चात तब ,पांडवो की होनी हार नही थी। लेकिन स्वयं भगवान कृष्ण को, ये विजय स्वीकार नहीं थी। चक्रव्यूह के काल चक्र में, होनी अभिमन्यु कुर्बानी थी। नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी। स्यवं रची थी उन्होंने होनी, खंडित युद्ध मर्यादा हो। खंडित करने वाले यौद्धा भी, ज्यादा से ज्यादा हो। युद्ध नियम खंडित हो, उसका भी कोई कारण था। छल से नियमो के खंडन में, अभिमन्यु मरा अकारण था। द्वार टूटता देखकर अंतिम, दुर्योधन का साहस डोला था। माँ धरती की गोद में, वह आँख मूंदकर सो गया। अम्बर का तेजस्वी तारा, धूमकेतु सा खो गया। लेकिन कोई तारे का तेज, फीका नहीं कर सकता है। वीरगति पाकर अमर हुआ हो, कभी नहीं मर सकता है। पुत्र सुभद्रा कुरुक्षेत्र में, जिसकी अमर कहानी थी। नौ माह में सीखी विद्या,तब सोलह साल जवानी थी।🪷✊🔥👑🚩🙏
क्या ये सच में आपने लिखा है..? ये बेहद खूबसूरत लिखा है जिसने भी सच उसका रक्त किसी राजपूत का होगा।ये पढ़कर एक पल के लिए दिल सहम भी गया और दूसरे ही पल आनंद और गर्व की अनुभूति भी हुई की हम ऐसे सनातन और भारत देश में पैदा हुए जिस माटी में अभिमन्यु जैसे वीर योद्धा ने जन्म लिया।मन कर रहा है आपसे बात करके आपके मुख से सुनूं ये सारी पंक्तियां। बहुत बहुत प्रणाम आपको🙏 सत्य सनातन अमर रहे🚩🚩🚩
कहने को तो बहुत कुछ मन करता है बार-बार, पर कम पड़ जाते सब्द हर बार इस महान कवि के मुख से। निकला हर सब्द मुझे। बुंदेलों की याद दिलाता। मैं बुंदेली हूं, मैं भारती हूं। गर्व से कहता हूं मैं हिन्दू हूं और हिन्दू की कहानी सुनाता हूं।❤ Jai Hind Jai Bharat Jai Shri Krishna
वाह...... वाह.... राणा साहब ❤ कसम से इस 5 मिनट की कविता ने पूरी महाभारत जहन में उतार दी 💥 क्या लिखा है और उससे भी ज्यादा आपकी कविता बोलने की शैली ने रोम रोम को रोमांचित कर दिया....!! धन्य हो ❤❤
I'm crying, I'm really crying, I'm just so overwhelmed...Kaise kaise yodha hue Sanatan mei, dandwat pranam Abhimanyu ji ko..Aur Ashutosh sir ki voice hi enough hai to give us goosebumps..🥺🤌🏼🧡
अभिमन्यु तो वीर था ही लेकिन ये वीर गाथा सर आपके जुबान से सुनकर एक अलग ही वीरगाथा का ऐहसास हुआ । पहले ही बहुत बार अभिमन्यु के बारे में सुना था लेकिन ऐसा ऐहसास पहली बार हो रहा है । आपको एवं इसके रचिता को शत - शत नमन ।
कविता को सुनते समय पूरे तेरेवे दिन के दृश्य आंखों के सामने थे,नेत्र अश्रु से भरे थे मन अभिमन्यु के साहस से गदगद था।।।मैं जीवन के उत्तर चढ़ाव से व्यथित थी लेकिन इस व्याख्यान को सुनने के बाद असीम ऊर्जा का अनुभव हो रहा है।।वीर अभिमन्यु आपको शत शत नमन।।।।
वाह वाह साहब क्या लिखा है आपने ऐसा लगता हे आपकी कविता सुनकर जैसे हम खुद वीर अभिमन्यु को युद्ध करते देख रहे है आपकी कविता बहुत ही सुंदर है साहब🙏❤️ #वीर_अभिमन्यु❤💪
रस पूर्ण शब्दों से परिपूर्ण जब इतनी सुंदर रचना, इस प्रकार की ओज पूर्ण वाणी को प्राप्त करती है, तब रोमोत्तेजक परिणाम होते हैं। धन्य हैं रचयिता सुशील जी और आशुतोष जी का तो कोई सानी ही नहीं।
आपके शब्दों के हर एक कण में.... वो छवि दिखी......जो वीरता को उल्लेखित कर रही थी....आज वीर अभिमन्यु की आत्मा भी आपको देख कर...आत्मविभोर...हो रही होगी....🙏🙏 You are a big inspiration of my life.......प्रणाम 🙏....राणा जी
अद्भुत 🙏 अदभुत है आपका लेखन और वाचन... जाय श्री कृष्णा मेरी सबसे प्रिय पंक्तियां - "याचना नही अब रण होगा, जीवन या कि मरण होगा"..... और " मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है".....
राणा जी आपके शब्दों और कविताओं की जितनी प्रशंसा करूं कम है और उससे भी ज्यादा शानदार है आपकी प्रस्तुति जिससे रोम रोम उत्साहित और पुलकित हो जाता है जय श्री राम जय श्री श्याम जय मां भवानी 🙏🚩🏹
अद्वितीय वीर अभिमन्यु जैसा न कोई और हुआ, जब जब अनिति, अत्याचार ,अन्याय चरम हुआ,तब तब अधर्म का दमन कर धर्म का जय घोष हुआ, आशुतोष राणा भी है अद्वतीय, वीर गाथा सुनकर हृदय मेरा धन्य हुआ।
अद्भुत अदभुत अद्भुत प्रणाम्य है आपकी लेखनी सादर, सुशील पांडेय जी, और अद्भुत प्रचंड प्रखरता से उसमे जान फूंकने वाले आदरणीय आशुतोष दादा को कोटि कोटि नमन, लेखनी के संग पूर्णतः न्याय आपके अतिरिक्त कौन कर सकता है, हार्दिक आभार दादा, जय श्री कृष्णा 🙏😊💐
उस अजर अमर अभिमन्यु की वीर गाथा सुनकर रोंगटे खडे हो गए, महाभारत की जब बात निकलती है तो इस वीर अभिमन्यु को बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है , उस अकेले योद्धा पर एक साथ टूट पड़ना वीरता नहीं कायरता थी , उसने अकेले सबका बहादुरी से सामना किया, परन्तु वीरगति को प्राप्त हुआ, विधि के विधान को कोई नहीं बदल सकता , 😢😢😢
Mai us veer abhimanyu ko ab baram bar pranam 🙏🏻🙏🏻😥 likhu Shat koti Naman hai hmare in Mahan yodhavo ko Hamara saubhagy ki Ham bharat jaise desh Me paida huye jaha par itne Mahan veero ka vyakhyan sunne ko Milta hai Ham dhany huye 🌍💫🙏🏻
Nice ....ksm se Bhai rongte khde dene wali poem hai .....hamre abhimanyu ji ...bs 18 saal ki umar mein history bna dii ....Jo ki inspiration hai aaj hamare liye ..hum kha jaa rhe hein .😮...love you sir .😊😊..😊😊
🌷👍👍👍👍👍👍👍👍🌷 अपूर्व, अद्भुत, वर्णनातीत है आपका यह अत्यंत भावपूर्ण काव्यपाठ आशुतोष जी ! आपकी बहुत बलशाली आवाज़ और एकदम सुसंगत अंगमुद्रा संचालन दिल व दिमाग को एकसाथ झिंझोड़ डालने की सुंदर क्षमतासंपन्नता युक्त है । बिल्कुल ऐसा लगता है जैसे मैं स्वयं महाभारत की रणभूमि में उन घृणित घटनाओं को देख रहा हूं । ईश्वर से प्रार्थना कि आपका यह रूप सदा यूं ही बना रहे !! इतनी सुन्दर-सजीव रचना के लिए पांडेय जी को भी बहुत साधुवाद। --राकेश शर्मा द्वारका -- दिल्ली
जब पर कुरुक्षेत्र की भीष्म में क्रोधा समर भूमि में सरसँया हुए तब कुरु कलंक के नैनों लगी और ग्रीष्म हुए गुरुदेव बनेंगे सेनापति कई जिसमें बुना यह चाल चली फंसकर था शकुनि अजब जिसमें तकर ने सब जूझ रहे वो जाल इस बार चली भी चाल ना कोई संधि हो गुरुवर द्वारा वो ज्येष्ठ पांडु सु समर भूमि में बंदी हो फिर पांडव सेना में गुरुवर ने ऐसा तांडव नृत्य किया सब समर मुंड से बाट दिए कुछ ऐसा चित्र विचित्र किया निज सेना की यह दशा देख अर्जुन को क्रोध अपार हुआ बज उठा कृष्ण का पांचजन्य फिर गांडीव का डंकार हुआ कौरव सेना के होश, उद्दे जब गुरुवर का रथ चूर हुआ जो सोचा था वह विफल हुआ सब हुआ फिर कहा द्रोण ने पार ना पा सकता अर्जुन सपना चकुना चूर दुर्योधन मैं उससे के रहते धर्मराज को बंदी नहीं बना सकता फिर कहा त्रिगंतो ने मिलकर हम प्रण पे माण लड़ाएगे हम अर्जुन को ललकारेगे और दूर तलक ले जाएंगे हम जान रहे हैं अर्जुन से पा सकता कोई, पार नहीं पर इससे बढ़कर मित्र तुम्हें में दे सकता उपहार नहीं फिर क्या था ऐसी नीति बनी जिसको सबने मंजूर किया उसने अर्जुन को ललकारा और समर भूमि से दूर किया। अर्जुन के जाते गुरुवर ने फिर कुछ न भी संस्चना की जिसका भेदन हो सके नहीं उस चक्रव्यूह की रचना की रचना की पाइव सेना भयभीत हई यह देख रात्र दल सुखी हुए! जो सदा शांत चित रहते थे वे
वीर अभिमन्यु एवं मुझमें एक चीज की समानता है उन्होंने माता के गर्भ में चक्रव्यूह में जाना जानते थे और मैने माता के गर्भ में शिव तांडव स्तोत्र कंठस्थ कर लिया था 🙌🙌📿📿🔔🔔🔱🔱🕉️🕉️🚩🚩🙏🙏🐍🐍🌙🌙 हर हर महादेव 🙏🙏
न जाने यह कविता सुनते हुए कितनी बार मेरे रोंगटे खड़े हो गए। सच मे कविता का हर एक शब्द बहुत बहुत heart touching है, कविता को बहुत ही बेहतरीन represent किया है सर आपने, उसके लिए अल्फाज नहीं है मेरे पास। न जाने मैंने आपकी कितनी ही कविता कितनी ही वीडियो देखे है लेकिन हर बार एक रोमांस आ जाता है। आपका हर एक वीडियो देखते हुए respect बढ़ जाती है आपके लिए। आपका एक प्रभुत्व है सर भाषा पर और वह दिखता है आपकी हर एक अल्फाज में, हर एक शब्द में। यह वीडियो कुछ 5:30 मिनट का था लेकिन इस 5:30 मिनट में कुरुक्षेत्र का वह हर एक पल दिमाग में चल रहा था, दिख रहा था कि क्या हो रहा है वहां पर। और कुछ कहूंगा आपकी तारीफ में तो बहुत कम हो जाएगा लेकिन एक बात तो सच है सर आपका हर एक वीडियो देखते हुए बहुत अच्छा लगता है आप ऐसी वीडियो लेकर आई हमारे लिए शुक्रिया बहुत-बहुत शुक्रिया🙏🙏
चरण चूम कर दादा के,वह विजयी स्वर में बोला।
काँप उठी सागर की लहरें, सिंहों का गर्जन डोला।
चक्रव्यूह में रण करने की, अभिमन्यु ने ठानी थी।
नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी।
नहीं पता था अंतिम बाधा, कैसे तोड़ी जाएगी।
हार की प्रतिध्वनि विजयी ध्वनि में,कैसे मोड़ी जाएगी।
धर्मराज चिंतित थे, अभिमन्यु अभी बालक है।
बाल हाथ करता है, हठ वश भूला मानक है।
कैसे रण में भेजें, तुमको युद्ध भूमि का भान नहीं है।
युद्धों की सीमा मर्यादा का, जरा सा तुमको ज्ञान नहीं है।
रण भूमि की छल मर्यादा, उनकी जानी पहचानी थी।
ज्ञान चक्रव्यूह तोड़ने का, केवल अर्जुन को आता है।
बिन अर्जुन के रण में कोई, इसीलिए न जाता है।
नहीं गए यदि युद्गभूमि में, तो अपयश ही पाएंगे।
उस अपयश से तो हम, जीते जी मर जायेंगे।
धर्म रक्षा को युद्धभूमि में, यौद्धा लड़ने जाता है।
वीरगति पाकर वह वीर, स्वर्ग लोक को पाता है।
वीरगति पाकर रण में, होनी धन्य जवानी थी।
अंतिम द्वार का चिंतन करके, उसका साहस डोला था।
उसको तो मैं गदा से तोड़ू, भीमसेन गरज कर बोला था।
गुरु द्रोण के चरणों में, उसने तीर चलाया था।
चरण वंदना करके उनकी, अपना शीश नवाया था।
वीर अभिमन्यु अर्जुन पुत्र , तब था उनको बहन हुआ।
पाण्डु वंश के गुरु प्रेम पर, फिर था उन्हें अभिमान हुआ।
कुछ वर्षो का छोटा बालक, उसकी सूरत लगी सुहानी थी।
प्रथम द्वार जयद्रथ खड़े थे, उनको था लाचार किया।
चंद पलों में अभिमन्यु ने ,पहले द्वार को पार किया।
प्रथम प्रवेश किया उसने, और नयन घुमाकर देखा था।
बाहर सभी पाण्डु वीरों को, जयद्रथ ने रोका था।
अब अभिमन्यु अकेला था, सामने शत्रु का मेला था।
प्राण हथेली पर ऱखकर, सिंहों से तब वह खेल था।
वह सिंह का छोटा शावक, सम्मुख सिंहों की मर्दानी थी।
नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी।
कैसे डर जाता सिंहों से, वह भी सिंह का शावक था।
सिंहों की भाँति गरजता था, शत्रु सेना को पीड़ादायक था।
अब उसने कौरव सेना का, खण्डन करना शुरू किया।
पाण्डु वंश की वीर कथा का, महिमा मंडन करना शुरू किया।
चाप चढ़ाकर धनुवा पर, रण की हुँकार लगाई थी।
शत्रु की कौरव सेना में, तब बाढ़ रक्त की आई थी।
रक्त की बहती गंगा में, शत्रु की नाव डुबानी थी।
नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी।
रक्त की नदिया बहती थी, सेना कट कट मरती थी।
उसके पौरुष के सम्मुख, किसी की कुछ न चलती थी।
युद्धभूमि में कँही किसी को, कुछ नही सुनाई पड़ता था।
त्राहि माम् का शोर मचा था, सवर्त्र अभिमन्यु दिखाई पड़ता था।
एक एक करके उसने, छह द्वार को तोड़ दिया।
हर द्वार पर उसने, एक महारथी को पीछे छोड़ दिया।
शत्रु को पीछे करने की, रण की रीति पुरानी थी।
नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी।
नाको चने चबवाकर सबको, सातवें द्वार पर जा पँहुचा।
अंतिम द्वार तोड़ने का वह , शुअवसर भी आ पहुंचा।
द्वार आख़िरी तोड़कर , विजयी पताका फहरा देता।
अभिमान तोड़कर कौरव सेना का, अपने सम्मुख शीश झुका देता।
कुछ छङ पश्चात तब ,पांडवो की होनी हार नही थी।
लेकिन स्वयं भगवान कृष्ण को, ये विजय स्वीकार नहीं थी।
चक्रव्यूह के काल चक्र में, होनी अभिमन्यु कुर्बानी थी।
नौ माह में सीखी विद्या, अब सोलह साल जवानी थी।
स्यवं रची थी उन्होंने होनी, खंडित युद्ध मर्यादा हो।
खंडित करने वाले यौद्धा भी, ज्यादा से ज्यादा हो।
युद्ध नियम खंडित हो, उसका भी कोई कारण था।
छल से नियमो के खंडन में, अभिमन्यु मरा अकारण था।
द्वार टूटता देखकर अंतिम, दुर्योधन का साहस डोला था।
माँ धरती की गोद में, वह आँख मूंदकर सो गया।
अम्बर का तेजस्वी तारा, धूमकेतु सा खो गया।
लेकिन कोई तारे का तेज, फीका नहीं कर सकता है।
वीरगति पाकर अमर हुआ हो, कभी नहीं मर सकता है।
पुत्र सुभद्रा कुरुक्षेत्र में, जिसकी अमर कहानी थी।
नौ माह में सीखी विद्या,तब सोलह साल जवानी थी।🪷✊🔥👑🚩🙏
🔥🔥⚡
Brilliant 👏
क्या ये सच में आपने लिखा है..?
ये बेहद खूबसूरत लिखा है जिसने भी सच उसका रक्त किसी राजपूत का होगा।ये पढ़कर एक पल के लिए दिल सहम भी गया और दूसरे ही पल आनंद और गर्व की अनुभूति भी हुई की हम ऐसे सनातन और भारत देश में पैदा हुए जिस माटी में अभिमन्यु जैसे वीर योद्धा ने जन्म लिया।मन कर रहा है आपसे बात करके आपके मुख से सुनूं ये सारी पंक्तियां।
बहुत बहुत प्रणाम आपको🙏
सत्य सनातन अमर रहे🚩🚩🚩
❤
🔥🔥🔥🙏🙏🙏
वीर अभिमन्यु अटल थे ,अटल हैं और हमेशा अटल रहेंगे 🙏🙏वाह बहुत शानदार प्रस्तुति आशुतोष राणा सर 🙏🙏
❤❤
❤❤❤❤
कर्ण के सामने अर्जुन कुछ नही थे , बस अंतर इतना था की अर्जुन के पास स्वयं भगवान थे
@@rmkushawaha He was defeated by Abhimanyu, Bheem and Satyaki also
@@rmkushawahaphli bat tum kuch nhi ho 😂
कहने को तो बहुत कुछ
मन करता है बार-बार,
पर कम पड़ जाते सब्द हर बार
इस महान कवि के मुख से।
निकला हर सब्द मुझे।
बुंदेलों की याद दिलाता।
मैं बुंदेली हूं, मैं भारती हूं।
गर्व से कहता हूं मैं हिन्दू हूं और हिन्दू की कहानी सुनाता हूं।❤ Jai Hind Jai Bharat Jai Shri Krishna
👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻😇
Nice 🙏🙏
JAI JAI SHREE RADHEY KRISHNA
आपकी आवाज में कविता अपना सही मर्म रख पाती है। बहुत सुन्दर कविता पाठ।❤
श्रीमान आशुतोष राणा जी, आपने आज मेरी लेखनी को धन्य कर दिया । सर आपको कोटि-कोटि प्रणाम ।
*सुशील पाण्डेय*
You should ask them to give you credits this is unfair.
@@ThePallavime What is unfair? He has given the due credit..
@@erajeshkumar The description doesn't say anything
वाह...... वाह.... राणा साहब ❤ कसम से इस 5 मिनट की कविता ने पूरी महाभारत जहन में उतार दी 💥 क्या लिखा है और उससे भी ज्यादा आपकी कविता बोलने की शैली ने रोम रोम को रोमांचित कर दिया....!! धन्य हो ❤❤
Dil ko lga gya
'Arjun k hote dharmraj ko bandi na bana sakta' goosebumps line 🙏🙏
❤
I'm crying, I'm really crying, I'm just so overwhelmed...Kaise kaise yodha hue Sanatan mei, dandwat pranam Abhimanyu ji ko..Aur Ashutosh sir ki voice hi enough hai to give us goosebumps..🥺🤌🏼🧡
हम उस समय मे चले गए . .. ये सब जैसे हमारी आँखों के सामने हो रहा है | कविता पाठ अति सुन्दर है आपका #अभिमन्यु
भारतवर्ष का एकमात्र योद्वा "अभिमन्यु"🙏🙏🚩🚩
अभिमन्यु तो वीर था ही लेकिन ये वीर गाथा सर आपके जुबान से सुनकर एक अलग ही वीरगाथा का ऐहसास हुआ । पहले ही बहुत बार अभिमन्यु के बारे में सुना था लेकिन ऐसा ऐहसास पहली बार हो रहा है । आपको एवं इसके रचिता को शत - शत नमन ।
Abhimanyu pe ek movie toh banti hai❤❤❤
Web series ya serial banni chahiye. 2 hours ki movie me kya hi batayenge
Yes bro
Mera naam bhi abhimanyu hai
Bhai movie k naam pe aadipurush aaegi so better aap book pade
Ha bhai but Abhimanyu me banoga 😅😅😅😅😅
@@deveshupadhyay6861aapki baat sahi h
आनंद आ गया सर अभिमन्यु और अर्जुन को लेकर बहुत कम आजकल ऐसे कविताएं बनती है
अब केवल अधर्मियों का गुणगान होता है
Goosebumps 🔥🔥
Veer Abhimanyu jaisa koi nahi 🙏🙏
Pahli bar mahabharat ke sabse strong yodha per itni strong kavita sunne ko mili h dhanyavad Ashutosh ji
Kya Baat Hai Rana Sahab Ji Awesome ,,, Keep Going.....👍🤩
कविता को सुनते समय पूरे तेरेवे दिन के दृश्य आंखों के सामने थे,नेत्र अश्रु से भरे थे मन अभिमन्यु के साहस से गदगद था।।।मैं जीवन के उत्तर चढ़ाव से व्यथित थी लेकिन इस व्याख्यान को सुनने के बाद असीम ऊर्जा का अनुभव हो रहा है।।वीर अभिमन्यु आपको शत शत नमन।।।।
अभिमन्यु से एक सीख मिलती है।।
"हिम्मत से हारना, पर हिम्मत कभी मत हारना💪💪💪
वाह वाह साहब क्या लिखा है आपने ऐसा लगता हे आपकी कविता सुनकर जैसे हम खुद वीर अभिमन्यु को युद्ध करते देख रहे है आपकी कविता बहुत ही सुंदर है साहब🙏❤️
#वीर_अभिमन्यु❤💪
Abhimanyu means someone who has heroic quality and has a heart of a tiger. I'm glad my parents named me after him.
The Great Abhimanyu,,, Always ... Great😊😊😊😊
आपके आवाज से रोंगटे खड़े हो गए । वीर अभिमन्यु की जय हो ❤❤❤❤
में उस बालक अभिमन्यु को शत शत बार प्रणाम लिखूं।🙏🙏🙏
रस पूर्ण शब्दों से परिपूर्ण जब इतनी सुंदर रचना, इस प्रकार की ओज पूर्ण वाणी को प्राप्त करती है, तब रोमोत्तेजक परिणाम होते हैं। धन्य हैं रचयिता सुशील जी और आशुतोष जी का तो कोई सानी ही नहीं।
बल ओर वीरता की बड़ी ही शानदार प्रस्तुति । आपकी बुलंद जुवानी से सुनकर मन बड़ा ही प्रसन्न हो गया । आदरणीय दादा भैया । 😊🙏💐। सादर चरण स्पर्श 🙏💐।।
बहुत ही बढ़िया वर्णन किया है आपने वीर अभिमन्यु का.... 👍👍
समर्थ की न पूछो वह कण में भी दिखाया था, अभिमन्यु को साथ महारथिओं ने मिलकर हराया था|
Veer Abhimanyu ❤
जय चंद्रवंशी अभिमन्यु ❤❤❤❤
Bewakoof hai yaduvanshi kul ka yoddhas tha abhimanyu
Abhimanyu all time favorite character....pta ni kyu jb jb inhe ydd krta hu goosebumps Anna confirm h...Jai veer Abhimanyu ❤
जय हो यदुवंशी वीर
जय जय श्री कृष्ण 🚩🚩
Mata Saraswati ki kripa aap par bani rahe ashutosh sir ❤
आपके शब्दों के हर एक कण में....
वो छवि दिखी......जो वीरता को उल्लेखित कर रही थी....आज वीर अभिमन्यु की आत्मा भी आपको देख कर...आत्मविभोर...हो रही होगी....🙏🙏
You are a big inspiration of my life.......प्रणाम 🙏....राणा जी
अद्भुत, शब्द नहीं मिल रहें हैं
आपकी बड़ाई के लिए
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
वीर अभिमन्यु की वीर गाथा का एक सुंदर अप्रतिम और विराट वर्णन को मैं हमेशा कविवर प्रणाम लिखूं एक बार फिर प्रणाम लिखूं ❤।
अभिमन्यु वीर था है और रहेगा 😊❤
Abhimanyu ke jaisa balak na kbhi hua hai na hoga 😢 Aise veer ko mera pranam 🙏
वह राणा जी आप की बोली रक्तचाप उछालने की क्षमता रखती हैं
वा भाई वा कमाल कर दिया आप का प्रस्तुति अति सुन्दर प्रस्तुति भईया गजब अति उत्तम बहुत बहुत आभार जय श्री राधे कृष्णा हरे 🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️🌺🌺🌺🌺🌺🙏☝️👍🫡
❤️❤️🙏
❤❤
@@manojmeena57_ ❤️❤️🙏
❤️❤️❤️❤️
वा भई वाह अहो भाग्य हमारे ❤️❤️🙏🙏🌺🌺🫡
Veer Abhimanyu ko shat shat Naman or apko bhi Naman Rana ji
अद्भुत 🙏
अदभुत है आपका लेखन और वाचन...
जाय श्री कृष्णा
मेरी सबसे प्रिय पंक्तियां - "याचना नही अब रण होगा, जीवन या कि मरण होगा".....
और " मानव जब जोर लगाता है पत्थर पानी बन जाता है".....
Sir.... आँखें आँसू से भर गयीं😢
Bravest child in our history.... Pure goosebumps💀💀💀
बहुत बढ़िया आशुतोष राणा जी इतनी खूबसूरत कविता को अपनी सुंदर वाणी से सुशोभित करके वीर अभिमन्यु को सच्ची श्रद्धांजलि आपने दी है।
श्रद्देय दादा रोंगटे खड़े कर देने वाला अद्भुत रचना पाठ। वाह ,लजवाब। आज सुबह से कई बार सुन चुका पर मन नही भरता।
काव्य मंचन की उच्चतम श्रेणी ....बहुत ही सुंदर रचना और विवेचना आशुतोष जी ....धन्यवाद इस सुंदर प्रस्तुति के लिए
राणा जी आपके शब्दों और कविताओं की जितनी प्रशंसा करूं कम है और उससे भी ज्यादा शानदार है आपकी प्रस्तुति जिससे रोम रोम उत्साहित और पुलकित हो जाता है
जय श्री राम जय श्री श्याम जय मां भवानी 🙏🚩🏹
अद्वितीय वीर अभिमन्यु जैसा न कोई और हुआ, जब जब अनिति, अत्याचार ,अन्याय चरम हुआ,तब तब अधर्म का दमन कर धर्म का जय घोष हुआ,
आशुतोष राणा भी है अद्वतीय,
वीर गाथा सुनकर हृदय मेरा धन्य हुआ।
दिल की गहराई तक ❤❤❤ पहुंचने वाली कविता❤❤
धन्यवाद आशुतोष जी
बारम बार प्रणाम
यह कविता रौद्र और वीर रस से ओत प्रोत है, इसे सुनने के बाद ह्रदय अपने इतिहास पर चौड़ा हो जाता है, की कितने महान वीर थे, हमारे पूर्वज 🙏🙏
आभार हैं आपका जो आपने अपना स्वर इस कविता को दिया, आपका स्वर अतुलनीय हैं🙏
।। जय श्री राम ।। ।। जय श्री राम ।। ।। जय जय श्री राम ।। ।। हर हर महादेव ।। ।। हर हर महादेव ।। ।। जय श्री क्रष्ण ।। ।। जय श्री क्रष्ण ।।
अद्भुत अदभुत अद्भुत प्रणाम्य है आपकी लेखनी सादर, सुशील पांडेय जी, और अद्भुत प्रचंड प्रखरता से उसमे जान फूंकने वाले आदरणीय आशुतोष दादा को कोटि कोटि नमन, लेखनी के संग पूर्णतः न्याय आपके अतिरिक्त कौन कर सकता है, हार्दिक आभार दादा, जय श्री कृष्णा 🙏😊💐
उस अजर अमर अभिमन्यु की वीर गाथा सुनकर रोंगटे खडे हो गए, महाभारत की जब बात निकलती है तो इस वीर अभिमन्यु को बड़े सम्मान के साथ याद किया जाता है , उस अकेले योद्धा पर एक साथ टूट पड़ना वीरता नहीं कायरता थी , उसने अकेले सबका बहादुरी से सामना किया, परन्तु वीरगति को प्राप्त हुआ, विधि के विधान को कोई नहीं बदल सकता , 😢😢😢
प्रणाम 🙏🙏
राधेकृष्ण 🙏🙏
Mai us veer abhimanyu ko ab baram bar pranam 🙏🏻🙏🏻😥 likhu Shat koti Naman hai hmare in Mahan yodhavo ko Hamara saubhagy ki Ham bharat jaise desh Me paida huye jaha par itne Mahan veero ka vyakhyan sunne ko Milta hai Ham dhany huye 🌍💫🙏🏻
You are a blessing to the modern India for Our Ancient History❤
गुरु जी आपकी कविता खून के कतरे कतरे में आग लगती भारत मां शेरो की धरती हा हमको ये अहसास कराती हैं 🫡
क्या बात है, राना साहब, अद्भुत कविता पाठ, 👏👏🙌
जय श्री राधे कृष्णा 🚩🙏❤️
Mind Blowing sir. This is the best tribute to the greatest warrior of all time Abhimanyu❤❤❤❤
Nice ....ksm se Bhai rongte khde dene wali poem hai .....hamre abhimanyu ji ...bs 18 saal ki umar mein history bna dii ....Jo ki inspiration hai aaj hamare liye ..hum kha jaa rhe hein .😮...love you sir .😊😊..😊😊
वीर अभिमन्यु अमर रहे..🙏⚔️
🌷👍👍👍👍👍👍👍👍🌷
अपूर्व, अद्भुत, वर्णनातीत है आपका यह अत्यंत भावपूर्ण काव्यपाठ आशुतोष जी !
आपकी बहुत बलशाली आवाज़ और एकदम सुसंगत अंगमुद्रा संचालन दिल व दिमाग को एकसाथ झिंझोड़ डालने की सुंदर क्षमतासंपन्नता युक्त है ।
बिल्कुल ऐसा लगता है जैसे मैं स्वयं महाभारत की रणभूमि में उन घृणित घटनाओं को देख रहा हूं ।
ईश्वर से प्रार्थना कि आपका यह रूप सदा यूं ही बना रहे !!
इतनी सुन्दर-सजीव रचना के लिए पांडेय जी को भी बहुत साधुवाद।
--राकेश शर्मा
द्वारका -- दिल्ली
आपका इस धन्यवाद के शब्दों से बहुत प्रभावित हुआ ।
अति उत्तम👌👌
आपके इन शब्दों से हम प्रेरित हुए ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गोरखपुर ।
अमरजीत
😢😢😢😢 नमन है वीर अभिमन्यु को 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद महोदय
आप की कविता और आप की आवाज दोनों ही बहुत अच्छी है
और आप जो हमारी सभ्यता और संस्कृति से जुड़ी कविता सुनाते हो वह अति सुंदर है
बहुत सुंदर आदरणीय दद्दा जी रोगते खडे हो गए सादर नर्मदे हर 💐🙏
अभिमन्यु ! जैसा वीर अर्जुन जैसे महान योगी और योद्धा के ही रक्त से उत्पन्न हो सकता है। 🪐🔥🔥🚩
जब पर कुरुक्षेत्र की भीष्म में क्रोधा समर भूमि में सरसँया हुए तब कुरु कलंक के नैनों लगी और ग्रीष्म हुए गुरुदेव बनेंगे सेनापति कई जिसमें बुना यह चाल चली फंसकर था शकुनि अजब जिसमें तकर ने सब जूझ रहे वो जाल इस बार चली भी चाल ना कोई संधि हो गुरुवर द्वारा वो ज्येष्ठ पांडु सु समर भूमि में बंदी हो फिर पांडव सेना में गुरुवर ने ऐसा तांडव नृत्य किया सब समर मुंड से बाट दिए कुछ ऐसा चित्र विचित्र किया निज सेना की यह दशा देख अर्जुन को क्रोध अपार हुआ बज उठा कृष्ण का पांचजन्य फिर गांडीव का डंकार हुआ कौरव सेना के होश, उद्दे जब गुरुवर का रथ चूर हुआ जो सोचा था वह विफल हुआ सब हुआ फिर कहा द्रोण ने पार ना पा सकता अर्जुन सपना चकुना चूर दुर्योधन मैं उससे के रहते धर्मराज को बंदी नहीं बना सकता फिर कहा त्रिगंतो ने मिलकर हम प्रण पे माण लड़ाएगे हम अर्जुन को ललकारेगे और दूर तलक ले जाएंगे हम जान रहे हैं अर्जुन से पा सकता कोई, पार नहीं पर इससे बढ़कर मित्र तुम्हें में दे सकता उपहार नहीं फिर क्या था ऐसी नीति बनी जिसको सबने मंजूर किया उसने अर्जुन को ललकारा और समर भूमि से दूर किया। अर्जुन के जाते गुरुवर ने फिर कुछ न भी संस्चना की जिसका भेदन हो सके नहीं उस चक्रव्यूह की रचना की रचना की पाइव सेना भयभीत हई यह देख रात्र दल सुखी हुए! जो सदा शांत चित रहते थे वे
😊0😊😊0😊😊😊00😊😊😊😊😊😊😊
इस कविता में अभिमन्यु को प्रणामकरता हूं इस कवितासुनकर 😢 अश्रु अश्रु भरा है ऐसी कविता सुननीपर आशुतोष राणा को प्रणाम करता हूं 🙏
अद्भुत रचना एवम् अद्भुत काव्य वाचन 🙏🙏🙏
Bahut bahut sadhuvaad. hriday sparsh kar gaya❤
बहुत ही उत्कृष्ट एवं श्रेष्ठ रचना...दादा ❤❤❤
Bilkul real lag raha hai sir , adorable!!🙏✨
I was experiencing Goosebumps while listening to it. Amazingly written and recited ❤
Great, poem of reality, this happnd exat in mahabharat ,very nice Ashu sir, god bless you 🙏 stay happy 😊🙏
वीर अभिमन्यु एवं मुझमें एक चीज की समानता है उन्होंने माता के गर्भ में चक्रव्यूह में जाना जानते थे और मैने माता के गर्भ में शिव तांडव स्तोत्र कंठस्थ कर लिया था 🙌🙌📿📿🔔🔔🔱🔱🕉️🕉️🚩🚩🙏🙏🐍🐍🌙🌙 हर हर महादेव 🙏🙏
Really
जी
सच म
@@sanatan6127 जी हां
Jyada bol diye Aisa possible nhi
Kyoki tumhari age lagbhag 16-17 to hogi aur shiv tandav abhi 8-10 saal phle trend mein aaya hai
Mai up ke ek gaav me rahta hu aur ashutosh Rana ji ko apna guru Manta hu ....mujhe kewal aapse sunkar hi rashmirathi ka tritya sarg yaad ho gya ❤❤😊😊
Wah Dadda kya brattant sunaya hai.bahut hi rochak aawaj hai aapki. rom rom sihar utha.
अद्भुत sir आपके मुख से कविता सुनने का अलग ही आनंद मिलता है।
🕉Radhe Radhe🚩
Dil mai lagne wali katha veer Abhimanyu
❤❤❤❤❤🎉❤❤
अंत तक सुनते सुनते आंसू ही आ गए । 🚩❤️🥺
Goosebumps❤ I'm getting too much emotional while listening
Truly wonderful & great poetry for the legend Abhimanyu. ❤
Your voice & style as always gives goosebumps.
वाह दादा कुछ देर के लिए लगा कि हम वहीं खड़े होकर इसे देख रहा हूं
धन्यवाद।।
Pure goosebumps ❤
अद्भुत अद्वितीय। नमन आशुतोष जी।🙏
वाह बहुत शानदार प्रस्तुति आशुतोष राणा सर
इस महान् कवि का कोई भी सानी नहीं है , अद्भुत
Abhimanyu's story will be sung...even after thousand of years....❤❤❤
Bahot achi Kavita likhi h sir aapne. Itna bhavuk to me Mahabharat me Yudhoyono dekh kr bhi nhi hua tha.
Ashutosh sir apka voice tone bhut accha lgta hai ❤❤
मैं जितनी बार सुनता हूं मेरा हृदय हर बार तार तार हो जाया करता है मैं अपने आपको संभाल नहीं पाता रूदन भरी आंखों रोकने से रह नहीं पाता 😢😢😢😢😢😢😢
Ham aise hi kavita ke ichchhuk rahate hai, adbhut prastuti dhanyvad❤
न जाने यह कविता सुनते हुए कितनी बार मेरे रोंगटे खड़े हो गए। सच मे कविता का हर एक शब्द बहुत बहुत heart touching है, कविता को बहुत ही बेहतरीन represent किया है सर आपने, उसके लिए अल्फाज नहीं है मेरे पास। न जाने मैंने आपकी कितनी ही कविता कितनी ही वीडियो देखे है लेकिन हर बार एक रोमांस आ जाता है। आपका हर एक वीडियो देखते हुए respect बढ़ जाती है आपके लिए। आपका एक प्रभुत्व है सर भाषा पर और वह दिखता है आपकी हर एक अल्फाज में, हर एक शब्द में। यह वीडियो कुछ 5:30 मिनट का था लेकिन इस 5:30 मिनट में कुरुक्षेत्र का वह हर एक पल दिमाग में चल रहा था, दिख रहा था कि क्या हो रहा है वहां पर। और कुछ कहूंगा आपकी तारीफ में तो बहुत कम हो जाएगा लेकिन एक बात तो सच है सर आपका हर एक वीडियो देखते हुए बहुत अच्छा लगता है आप ऐसी वीडियो लेकर आई हमारे लिए शुक्रिया बहुत-बहुत शुक्रिया🙏🙏
Aisa Mahabharat ka varnan kon nai sunana chayega. Aj ke nayi pedhi ko aisa he joshila varnan sunana hai. hats off to rana sir
Vaah kitne dil se likha gya h ye kavita sun kr mn me abhimanyu k liye garw ho rha h
This is the kind of quality and audacity we need to hear more of . Pranam Ashutosh ji 🙏🏻
Brilliant sir aapko bhi bhut bhut dhanywad hume is kavita ka smran karane ke liye
बहुत बहुत धन्यावाद महोदय आप की आवाज बहुत आच्छा लगता है❤❤❤
रोंगटे खड़े हो गए सर पूरा सीन आंखों के सामने आ गया आपका कविता सुन के😌बहुत भयानक दृश्य रहा होगा😭