सनातन धर्म रक्षक राजा मानसिंह जी आमेर | जिनका इतिहास छिपाया गया जिन्होंने धर्म का बचाया Rajveer sir
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- Опубліковано 9 чер 2022
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Msg खम्मा घनी 🙏
जय मां भवानी
वीडियो देखने के लिए आपका खूब खूब आभार 🙏
आप सभी से सविनय निवेदन है कि हमारे द्वारा अगर कुछ असत्य उक्ति की जाती है तो आप हम क्षमा चाहते है आपके छोटे भाई समझ कर क्षमा करना
ओर सुधार करने के लिए instagram या comment section मै feedback जरूर देना
#Rawlebanna #kshatriyawarriors #rajput #राजा_मानसिंह_जी_आमेर #Rajamansinghjiamer #history
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप सिंह जी की जय छत्रपति शिवाजी महाराज की जय।।
जो 77 युद्धों के विजेता को एक भाले के वार में ओहदे में छुपने पे विवश कर दे, वो वीर शिरोमणि एकलिंग दीवान महाराणा प्रताप |
जय श्री राम
जय राणा प्रताप
जय मेवाड़
राजा जी कभी बीच जंग से नहीं भागे…बाक़ी तुम समझदार हो 😂
77 nhi 85
Asuthosh
@@milindpanho pahle history pad le beta pahle baaga man Singh tha jo akbar ka senapati tha
🙏🙏
⚔️जय राजपुताना⚔️
🚩जय मां जमवाय🚩
जय महाराणा प्रताप सिंह
जय राजा मान सिंह आमेर की जय 💗🔱🚩
Head or tell dono ek nahi ho skte bhai
1 sikke ke 2 pehlu 1 kese ho skte hai?
😂😂
Raja Mansingh dalla thaa
Hamara rajput Raja ha dono
योद्धा श्रेष्ठ था कोई संशय नहीं लेकिन सनातन को ज्यादा फायदा नहीं हुआ 😢😢😢😢
Jay Rajputana 🙏🙏🙏
अफगानो के खिलाफ एक और व्यक्ति सफल हुआ जिस का नाम है हरि सिंह नलवा।
Ithass pdhna sikho bs baat ni nalwa peshwar tk jeeta tha or Ranjit ka raj peshawar tk tha peshawar pakistan mey ata h naki kabul mey nalua mahan yodha tha pr sbka apna apna hota h yodha ki pehchan
Bus hr kisi ko baap bna lo
Sikhs defeat afghans and get back Kashmir into Punjab
Sikhs defeat Afghan British as well iran
UA-cam ke chode ek baar history to pdh... Uzbekistan ki border me mandir bna h pdh lena uske bare me
Raja Mansingh + Maldev + Rav Chandrasen + Maharana Pratap Agar Ek Sath Hote Too Mugal Apne 7 Janmo me Bhi Vapis Aane Ka Nhi Sochte 🖤
Parantu bhai raghukul reet sada chali aayi pran jaye par vachan na jayi sandhi mtb vachan tha ki dono ek dusre ke virudh nahi jaenge mughal to bhul gaye par ek kshtriya kabhi apna vachan nahi bhulta
Chandrasen rathore maharana pratap ji ke sath hi thee
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Babur se lade the sare Rajput ikatthe par har hui kyunki top baarud bandook mughalon ke pas thi .. man Singh Ji hi top barud ki knowledge Kabul se bharat laye the 50 sal baad
भाई जसवंत सिंह को भूल गए क्या डील का डाकी
हिन्दूह्रदय सम्राट वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज की जय।
ये नही होते आज पुरा भारत..........
Kuch ni hota jaisa aaj h waisa hi hota 😂
@@jaatfreefirerespect krna siko aise veero ki jin hone desh k liye aapni jan tak de di
@@jaatfreefire तेरा खतना होता
फिल्में कम दिखा कर यह फिल्म देखकर जो इतिहास पढ़ लेना वह इतिहास नहीं होता है इतिहास के लिए किताबें पढ़नी पड़ती।
Asali Yoddha Raghukul Tilak Raja Mansingh Nahin Hote to aaj hinduon ka namu Nishan MIT Gaya Hota
राजा मानसिंह के चरित्र का एक और पहलू, इनकी अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति एकनिष्ठ प्रतिबद्धता है। हिन्दू-धर्म के कुछ अप्रतिम प्रतीक-चिन्हों और विग्रहों को सुरक्षित ला कर आमेर में स्थापित करने में मानसिंह प्रथम सदा उत्सुक रहे
Jo mughal ki adhinta sweekar Kar liya aur mahrana Pratap ke virudh Lada wo kis baat ka kshatriya.
काश हम सब हिन्दू एक होते फिर तो ना कोई दूसरे धर्म के लोग ना हम पे राज कर पाते
बिलकुल ठीक बोला आपने भाई अगर राजा भारमल के साथ सभी राजपूत खड़े हो जाते तो अकबर जैसा नीच कभी जोधा से जबरदस्ती विवाह नहीं कर पाता मानसिंह को अकबर की सेना मे नही जाना पढ़ता
@@AshutoshRaghuvanshi5862रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
@ashutoshraghuvanshi5862 abe lode jodha fake hai itihas path serial mat dekha kar,
वो तो आज भी अलग अलग हैं।
राजा मान सिंह का वीडियो आपको सर कई बनाने पड़ेंगे यहां सोचने वाली बात ये ह की जब मेने इनका इतिहास पढ़ा तो में इस नतीजे पर पहुंचा की इस जैसा योद्धा सनातन धर्म का सबसे बड़ा रक्ष्यक जिन पर तुलसीदास अग्रदेवा चर्या जी महाराज जो दिव्यdarati से भी देखकर हिंदुस्तान की घटनाओं को बता दिया करते थे ऐसे महान संतों और देवियो का आसीरवाद अगर इस महान राजा मान सिंह आमेर पर था और धरती के समस्त हिंदुओ की रक्ष्या का भार भी था महान विभूति था राजा मान सिंह
अगर ये हिंदू राजाओ की और से लड़ता तो दिल्ली पर किसी हिंदू राजा का वर्चस्व रहता और औरंगज़ेब जैसे पेदा भी नहीं होते
@@prakashkumarpatel8063 majburi hoti hai agar vo akbar ke khilaf ho jate us time to pure amer me koi nhi bachta .bharat me sabse jyada mandir inhone bnaye the jaganath mandir, Kashi,mathura,vardavan,haridwar me mandir inhone bachaye or fir se purnnirman karvaya inke kehne pe hi akbar ne jajia kar hataya tha .Tulsi das ji inke liye kaha tha .shyam dharam rakhwala rajo man singh
Isi kutte k karan afganistan se bangladesh tak muslim abadi itni ho gai
@@lyrical_boyy aur wo sare mandit Akbar k vanshajo ne tod diye.kaya fayda hua.
@@danishahmadsheikh6567 matlab tumhe future dikhta h kya baki inhone hindu dharam ke 4 main dhamo me se ek jagannath puri ko tutne se bachaya tha
जय राजपूताना जय मां भवानी 🙏🚩
वीर शिरोमणि भगवन महाराणा प्रताप की जय 🚩
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Maharana pratap was the greatest warrior and legend king of Rajputaanaa and Mewar at that time.
Jay KUSHWANSHI 🚩🚩🚩🚩🚩
Jay RAJA MANSINGH 🚩🚩🚩🚩🚩
Kushwaha murya saky seni ek hi he. Sabjiyan bechne wale 😂😂😂😂
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Kachwaha gaddar the
हिंदू रक्षक थे तो महाराणा प्रताप जो अपने हिंदुत्व के लिएलड़ना पसंद किया झुकना नहीं जय महाराणा प्रताप जय मेवाड़
और चलो अपने स्वाभिमान के लिए हर आदमी लड़ता है परंतु धर्म के लिए मना प्रताप ने क्या किया कृपया बताएंगे
@@Windfanclub. धर्म के लिए महाराणा प्रताप ने यह किया कि जो अकबर से राजा हार चुके तो उनको आश्रय दिए वह भी बिना अकबर के डर से उस समय में कौन सा राजा था जो अकबर के खिलाफ जा सके तब तुम बता सकते हो जो महाराणा प्रताप पर सवाल उठा रहे हो
@@Windfanclub.धर्म के लिए तो बहुत कुछ किया है महाराणा प्रताप जी ने उनके बारे में अगर जान ने कि कोशिश की होती तुमने जो तो इस तरह का प्रश्न नहीं करते
@@amitbaba361iam rajput and also respect maharana pratap but aapki ye soch galat he ki maharana ke satha koi nahi the rana punja/rao Chandrasen rathore/akheraj singh songara or bhi bahut he or ha hamara itihas bhot bada he ye hamse chupaya gaya he
@@businessquotes97 वो अकेले थे उनकी सेना राज्य साथ नहीं था इसलिए उनके शोर्य धर्म हितेषी थे चंन्द्रसेन राठौड़ का भाई राजा था रामसिंह जो अकबर से बहुत भयभीत था इसलिए चंद्र सेन नाराज होकर अकेले ही हल्दी घाटी युद्ध मे मेवाड़ का साथ दिया था रामसिंह राजपुताने कि मजबुत रियासत थी धन वैभव,भोग का मोह छोड़ कर अगर मेवाड़ का साथ देता तो अकबर कभी मेवाड़ से युद्ध नहीं लड़ता रामसिंह का डर देखकर ही बीकानेर रियासत अकबर कि अधिनता स्वीकार कि ओर हल्दीघाटी युद्ध में सैना भी भैजी थी बीकानेर ने,,,
Jai shree ram🚩 Jai rajputana🗡️ Jai ma jamwai🚩
जय महाराज मान सिंह कुशवाह सनातन धर्म रक्षा
To muglo se dikkat kyo h
🤣🤣🤣😆😆😆
Kusvah nhi kachhavaha samje
@@adimanav4986तू पहले पता कर जाकर कुशवाहा से ही कचवहा बना है इसलिए फालतू का ज्ञान मत पेल दिया कुमारी जी से जाकर पता कर
Are bhai chod de jo mughal ke saath diya aur mahrana Pratap se ladai Kiya wo kis baat ka sanatan dharm ka rakshak
जो इंसान दुश्मन का साथ दे उसके लिए युद्ध लड़े वह महान कैसे हो सकता है उस इन्सान ने अकबर का साथ दिया लड़ाइयां उसके लिए लड़ी अपने स्वार्थ के लिए अगर उन्होंने महाराणा प्रताप का साथ दिया होता अकबर को देश से बाहर खदेड़ा होता या कोशिश भी की होती तब हम मानते उनको महान्
जय बजरंगबली
1000 se zyada mandir banawaye kai mandiro ko dubara banwaya mana ki gaddari ki lekin dhrm ki rakhsha krri smjhe
मान सिंह एक योद्धा था और योद्धा कभी भी वचन नही तोड़ते थे अर्थात महाभारत में कर्ण की तरह 🙏🙏🙏
राजा मान सिंह आमेर महान राजा थे सही इतिहास पढ़े सब कुछ पता चल जाएगा
मानसिंह अपने काल के कर्ण थे, वीर व धर्म परायण होते हुए भी उन्हें अधर्म का साथ देना पड़ा।
Karn se nhi bhishm pitamah ka example lo.
Bhishma pitamah apne pratigya ke karan kaurvo ka sath dene pr majbor the kyoki us time rajgadi kauravo ke pas thi jiske pas rajgadi hogi unki raksha krna pitamah ka kam tha.
Karn to by choice kaurvo ke sath gya tha. Karn ne by choice kaurvo ke sath milkar pandavo ko vanvas me jivit jalane ki koshish ki.
Karn ne to by choice apne guru ko bevkoof bnakr vidhya sikhi vha Karn koi vishvash nhi tha by choice hi tha sb.
Agr aap Karn k can ho to Syd aapko ye sb hajm nhi hoga lekin reality reality hai.
Life me sch me kuch sikhna ho grow krna ho to kabhi bhi vykti vadi nhi hona chahiye ki ye vykti kuch bhi kre hamesha shi hi hai.
Vykti vadi ki jgh sidhant vadi hona chahiye ki hamara favourite vykti glt kr rha hai to use glt kahenge aur hmse jisse hate krte hai lekin usne bdiya kam kiya hai appreciate krenge.
Kuch glt lga ho to sorry
कर्ण और भीष्मपितामह ने किसी विदेशी और हिन्दूविरोधी का साथ नही दिया
लेकिन मानसिंह ने तो एक विदेशी और हिन्दुओ पर अत्याचार करने वाले शासक अकबर का साथ दिया।
Or arjun maharana pratap thay or maan singh ne haldighati yudh me bola tha ki es yudh me arjun ham nahi maharana pratap hai
Ye kayr tha ye klank h rajput ke nam pr
Gaddar tha man Singh , jai dada Maharana pratap ji ki ❤
Jay shree ram jay maharana Pratap Singh jay raghuwansh jay suryavansh
It was a time when Rajputs unity was very weak! Rajputs had loss of Army & Weapons since they were constantly fighting with mughals for 1200 years!! Rajputs needed some break to improve their battlefield!! And Jaipur kACHHAWA'S knew they practical reality!! KACHHAWA'S always fought against Afghans Or Turks even after being in alliance with mughals!! Raja Maan Singh was the first Hindu knew who brought the technology of Gun power and canon and even brought this technology to India and set up a laboratory in Jaigarh Fort ! 💯
. ......... . 😅😊
Q
Bhai aap ek dum sahi or logical. Baat Kari h
🙏🙏
सनातन धर्म के bhut बड़े रक्ष्यक थे राजा मान सिंह आमेर
Gadaar ko kabi rakshak nhi ho sakta h
🤫🤫🤫🤫🤫
🔔
Right✔✔
Khud ki bhen betiyon ko muglo k sath bhaj kr raksha ki thi😂😂😂
राजा मानसिंह महान क्षत्रिय सम्राट थे
Chutiya the mansingh kachhwaha 😂😂😂 क्षत्रीय 😂😂nhi
@@ThakurAbhi.Kacchwah rajput hote hain raj main chambal kota raja bhi kachwah hain ...abhi bhi raha chal rahe
⚔️🚩🚩छत्रपती शिवाजी महाराज कि जय🚩🚩⚔️ हर हर महादेव 🚩🚩🚩
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Nice
Only topper rajputana.kumbha sanga and maharana pratap 🙏🙏🙏🙏🙏
You don't have right to judge . Rajputs are kings and please humare beech ladai mat karwao.
Tumahra comment Rajputana me ladai karwa sakta hai.
Jai राजपुताना.... jai कछवाहा
Only maharana pratap ji ki jai man Singh Gaddar ki murdabad
मुस्लिम को अपनी बेटी बहन भी दिया और वफादार कुत्ता भी बना
Isme jai mugal bhi jod deta mansingh la fhufa lgta tha akbar 😂😂😂😂😂
@@tryit8922sale agar man Singh na hote to Hindu dharm na hota
मीणाओ ने पाला सालो को और उनके साथ धोखा कर दिया गद्दारों
Ek mahan raja
Jai maharana
जय महाराणा प्रताप 🙏🙏🙏
Nice history, also make some video on MP rajput areas.
यतो धमशय जय
जय महाराणा प्रताप सिंह जी 🙏🚩
जय मान सिंह जी 🙏🚩
🙏🙏🙏
जिन जीवनों एक नाम उनरो नाम परताप बाकी की नमा कई भूप घास री रोटी कोनि खावे जग मई रनिया
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
जयपुर राजभाषा में लिखीं वंशावली नामक प्राचीन ग्रंथ में राजा केदार रॉय का ज़िक्र है
केदार रॉय कें साथ मानसिंह का युद्ध लिखा हुआं हैं
❤❤
जय राजपुताना जय हिन्द ❤
Vah Re Sher
वह अद्भुत थे उनके जैसा कोई नहीं। 🙏🏿
Shi me 😁😁😁😁 itne adbhudh the ki jo sanatan walo ke katle aam kr reha tha uske sath apni bahen betiyo ko bhej kar uski adhinta svikar ki👏👏👏 Gdhaaar mansingh ya ( mugal mansingh )
@@tryit8922tum beti chodo ko ithass ka kuch pta ni hota konsi bhen thi bechod onki........sale chapri whssup univerty wale aa jate hai........Jodha Jodha krte hai bhen ke lodo ko itna bar pta chl geya hai Jodha hai ni thi.............bhen ke lode Aaj hindu hai na issi raja ki vjah se hai kbhi kisi bde historian se maan singh ka puchna santan rakshak aise ni kaha jata
Sahi kaha aapne bhai😂😂😂😂😂
चुतिया समजता हे ये जय चंद जेसा था 😂
He has just other way of protecting sanatan he had army which was smaller than akabars so he fought practically n he fought against Turks and afgans he rebuild a lot of our religious places its just that he had his own way bt unfortunately he fought from akbar side bt he always protected sanatan @@tryit8922
जय महाराणा जय छत्रपति
आप रो प्रशंसक हूँ गुरुजी
बंगाल से(स्थायी निवास सीकर
Kushwaha mai bhi hu...but gaddar smjhta hu maan singh ko....kul ka naam kharab kr diya
लेकिन अगर महाराणा प्रताप महाराज का साथ देता तो इतिहास मे मान सम्मान भी मिलता परंतु इन्हें तो उन लुटेरो का साथ देना था " जय महाराणा प्रताप महाराज जय श्री राम "
Bhai us तरह की परिस्थिति ही ऐसी थी
@@SwagatKushwah achaa kya ti aapne raje ko bachane ki tabi aapni buva ji de di ese raja ko darpok bolte h jitne bi yud lage akbar k daam pr lade Maharana pratap ka ek war jel nhi paye
Aaj Modi jaise China ka de rha😂
@@yashpsrajawat6388 Aaj modi k raj m india powerful h america jese des k prime minister hat milane k liye tarste hai
@@RAILFANSADULPUR sach me lagta hai foreign policy diplomacy aise chalti hai,jab yahi log Hitler bolte to kyu mante ho
Thank you so much sir app Itihas ki sahi jankari bhacho ko dete ho👍🙏 varna ajkal ke sikshak to namak- mirchi lagakar ke ek jati veshes ko target karne ke liye ltihaas padate h 😡fir un siksako se padhe hue bhache apne hi purvajo ke bare me parsan puchne lagte hai 😒vo bhache ye nahi jante ki purane samay me kya paristhitiya thi 😒 Rajputo ne hamesa Hindu darm ki raksa hi ki h 🙏 Aaj bhi aap Rajput samaj ka koi verod pardasan ya andolan dekh lijiye unhone kabhi bhi sarkari sampati ko nuksaan nahi pahuchate h ❤️ kyoki vo is darti ko apni maa mante hai 🙏🙏
❤❤❤❤
धर्म धारण करना चाहिए या रक्षा करनी चाहिए.
भाई आमेर के राजाओं ने मेवाड़ के राजाओं के साथ मिलकर अनेक युद्ध किया राणा कुम्भा राणा हामीर राणा सांगा माहाराणा प्रताप के समय आमेर के राजा भगवंत दास के भाईयों आपस में झगड़ रहे थे लण रहे थे और इनके पड़ोसी ने आमेर पर कब्जा करना चाहते थे उधर पठानों भी भारत में आगये थे आक्रमण कर रहे थे उसी समय मुग़लो ने भी आक्रमण कर रहे थे क ई परतिथी देखकर अकबर से सधी किया राजा मानसिंह ने पहले पठानों को निपटाना असके बाद अनेक युद्ध किया पाकिस्तान अफगानिस्तान से तोप बंदुकें राजा मानसिंह ने पहले लाया भारत में
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
जयपुर राजभाषा में लिखीं वंशावली नामक प्राचीन ग्रंथ में राजा केदार रॉय का ज़िक्र है
केदार रॉय कें साथ मानसिंह का युद्ध लिखा हुआं हैं
ऐसा योद्धा भारतवर्ष के लिए खतरनाक था
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Sir ye book jo aapne batayi hai ye kha se milegi koi link send karo sir
राजवीर जी ऐसे जयचदो अधर्मी यो के बारे में हमें मत सुनाओ अखंड भारत के पांच जयचंद जिसने हिंदुआ सूरज सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ गद्दार क्षत्रिय कलंक जयचंद मुगल गोरी के साथ मिलकर हिन्द के महान शुरवीर वीर शिरोमणि सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ धोखा किया था और गद्दार जयचंद मानसिंह के पिता क्षत्रिय कलंक भगवान दास ने अधर्मी मुगल को अपनी बहन की शादी कर दी थी वो मुगलों के रितिरिवाज से और मानसिह व इनका वंश ता उम्र अधर्मी मुगलों की चाटुकारिता की भारत मरूधरा राजस्थान मेवाड़ मुकुट हिंदुआ सूरज वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया हल्दी घाटी के मैदान में उस अधर्मी मुगल का सेनापति था और वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने भारत देश के स्वाभिमान 🚩⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️⚔️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️🗡️ जंगलों में रहकर भी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों अधिनता स्वीकार नहीं की क्षत्रिय धर्म निभाया और आजीवन मुगलों व जयचंद गद्दार मानसिंह के दांत खटे कर दिए थे आज भी वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को दुनिया प्रणाम 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏 करते और गद्दार जयचंद और गद्दार मानसिंह मुगलों के चाटुकारों को कोई याद नहीं करता जय वीर शिरोमणि सम्राट पृथ्वीराज चौहान जय वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जय एकलिंग जी जय मेवाड़ जय मरूधरा
राजा मानसिंह ओर राणा अमर सिंह एक साथ लड़ते तो मुगलो का क्या होता सोचिये
Agar man Singh maharana pratap ka sath deta to akbar auragjab jese raja nhi hote na hi india anrejo ka gulam banta
@@RAILFANSADULPUR tere purvaj jhunjhuna Baja rhe the kya bhai
@@KunwarSa_Jojan Hamare purvaj ki maharaja surajmal jaat k vaj saj h jin hone akbar hi hadiya jali ti or agra or delhi ko jita tha
@@RAILFANSADULPURvery good king raja surajmal
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
अपने घर पर कोई हमला करे कत्लेआम मचाए,कब्जा करे
और ऐसे मे अपने घर का कोई भेदी उस आततायी का साथ दे
तो बताओ ऐसे व्यक्ति को क्या कहेंगे......गद्दार
तुम उसकी जगह होते तो क्या करते ?
तुम्हारा लालन पोषण एक इंसान के अंडर में हुआ, बचपन से तुमने उस इंसान को देखा, क्या तुम उसे धोका दे दोगे ? Even अगर वो इंसान गलत होगा तो उस इंसान को तुम समझा सकते हो उसके खिलाफ नही जाओगे क्युकी बचपन से तुमने इस इंसान को देखा है, साथ रहे हो
अब अपने आप को राजा मान सिंह समझो और उस इंसान को अकबर
पता तो भीष्म पितामह और कर्ण को भी था की वो अधर्म का साथ दे रहे हैं, लेकिन फिर भी देना पढ़ा
प्रैक्टिकली सोचो समझ आयेगा
💯
बुद्धि जीवी की कमी नही है इस देश
चुतिया,कब कत्ले आम मचाया।उल्टे भूख से पिडित अपनी सेना को भी लूटने से मना कर दिया।अकबर का साथ तो शक्ति सिंह ,जगमाल,वह सगर ने भी दिया था तो वे फिर क्या थे। और लाल किले पर तलवारों का प्रर्दशन करना व तिरंगे झण्डे को उतारकर दूसरा झण्डा लगाना क्या देशभक्ति है
Use tym Bharat ek desh nhi tha balik khand khand me Bata hua tha aur unhone apne ghr ki hi raksha ki .. Jo ki aamer tha...
राजवीर जी, अफगानिस्तान में सिक्ख राजा रंजीत सिंह जी ने भी निर्बाध शासन किया था
Sirf pehsawar tak raaj tha unka jo aaj pakistan ke North west fronteir province ka capital hai Peshawar ke aage ka area afghans ke under he tha asli Afghanistan to peshawar ke baad shuru hota hai peshawar se khyber ka darra aur usee enter hote hai Afghanistan me
Bilkul sahi
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Are Bhai maharaja ranjeet singh ji maan singh se 100 ya 200 saal baad aye
जय महाराणा प्रताप जय भवानी जय महाकाल जय सनातन
गंगा माई के भजनों में आज भी राजा मान सिंह आमेर का नाम आदर से लिया जाता ह
ऐसी वीरता भी किस काम की जो अपने देश के खिलाफ हो
Baat to sahi hai lekin unko Haldighati nahin dekhni humko pura Rajasthan dekhna isiliye isiliye musibat mein gadhe ko bhi apna banana padta
छोटे बचों के सामने जो परिपाटी दिखती है वो saharsh स्वीकार कर लेता है की वो उमर विरोध करने की नहीं होती और जब उसको समज आये तो वो उस रंग में रंग चुका होता है तो मानसिंह जी के साथ भी यही हुआ था
सही कहा, राजा मान सिंह का पालन पोषण मुगल साम्राज्य में हुआ, वो क्यू उनके खिलाफ जाते, अगर मैं, आप या कोई भी ज्ञानी को आज ज्ञान देते हैं, उनकी जगह होते तो वही करना पड़ता जो राजा मान सिंह ने किया
@@prince5478Man Singh Gaddar tha aapni jan bachane k liye aapni buva de di aise raja ko darpok hi kahege jo yud k bar se hathiyar dal diya i proud of maharana pratap pura rajputana kilap hone k baad bi un hone har nhi mani or haldi ghati yud ko jita jai maharana pratap ji ki 🚩🚩🚩
@@RailLive548 Man Singh ne kab karwa di shadi apni bhua ki ? Matlab kuch bhi 😂 beta Raja Man Singh nahi hote to tum aaj muslim hote.
@@prince5478 joda mahal aise todi Goole pr dek jhoda akbar ki wifi ti but man Singh n bi akbar ki sister se sadi ki ti
@@RailLive548 bhen ke lavde bhuva is liye dedi ke Teri bhen ko burkha nahi phen na pde or tere jaise chutiyo ko chote bhai ka pjama nahi Phan na pde
Sir aak Bar mil liya jay patha chal jaha ga konsi part Joini kar ni h please
मानसिह से बडा गध्दार भारत मे कौई नही है ईशने राजपुतौ की शान वीरता और शौर्य पर ऐसा बदनुमा दाग लगाया जौ कभी मीट नही सकता ईशने सब राजपुत राजाऔ कौ मुगलौ की गुलामी मान लेने कौ तेय्यार किया और सबकौ अपनी बेटीया मुगलौ के साथ शादी करने की सन्धी करवायी सिर्फ राणाप्रताप कौ नही समजा सका मुगलौ ने मानसिह कौ हिन्दुऔ से लडाया लुटा और मुगलौ का हर जगह साथ दिया जीससे हिन्दुऔ की तरफ से लडने वाला कौई नही बचा क्यौकी ईर लौगौ ने दुसरौ कौ लडने का अधीकार नही दिये जीससे मुगलौ ने हिन्दुऔ पर मनमानी हत्याचार किये मन्दिरौ कौ तौडा हजारौ और सौना लुटा लाखौ हिन्दुऔ कौ तलवार के दम पर मुसलमान बनाया लाखौ औरतौ कौ लुट कर अब्दाली ले गया उनका नीलाम किया ईश तरह हिन्दुऔ के साथ धौखा हुआ और यह सब ईश गद्धार की वजह से हुआ अगर आखीर मै जनता ने अपनी फौज बनायी हिन्दुऔ ने सिक्खौ की और जाटौ ने मुगलौ से लडाई लडी कुरबानीया दी आखीर मे जाट राजा सुरजमल व सिक्खं के महाराजा रणजीत सिह ने मुगलौ कौ भारत से भगाया औ, सारा सौना वापीस लीया जौ स्वर्ण मन्दीर पर चढाया रणजीत सिह ने अफगान लाहौर पेशावर सब पर कब्जा करलीया मुगलौ का कत्लेआम किया मुगल पठार औरतौ की शलवारे पहन कर छिपे आखीर जनता ने जीत दर्ज की जनता अग्रेजौ से भी लडी और देस आजाद कराया और आज जनता का राज है ईश तरह ऐक मानसिह ने राजपुतौ कौ 500साल तक बाबर से हारने और देस आजाद हौने तक राजपुत नही लडा ईश सबका जीम्मेदार मानसिह था जीस डरपौक ने पुरी कौम कौ लडना भुलादिया और राजपुत शञीय धर्म भुलगया मान सिह शब राजपुतौ कौ ऐक करके मुगलौ से लडता तौ आज ईतीहास अलग हौता।
❤
तेरा बाप एक ही युद्ध लड़ा इन तुर्कहाथ ही मरा इसे क्यूं नहीं बताते सूरजमल
जय राजपुताना 🙏⚔️🚩
Jay rajputana
Namaskar shaheb Abhar 👏
बालक पने में मुग़लों के संपर्क में आये तो थोड़ा बहुत उस रंग में रंग गये और रिश्तेदारी हो गयी थी तो विद्रोह नहीं कर पाये होंगे और फिर युद्धों में मसगुल हो गये और अपने मन की बाँतें मन में ही रह गयी होंगी
𝐊𝐡𝐚 𝐬𝐞 𝐡𝐨 𝐛𝐡𝐚𝐢
शेखावत जी हरियाणा से
ऐसी बात नही ह रविकुमार जी इतिहास पढ़ो राजा मान सिंह महान योद्धा थे
Ji vacno mai bandh diya tha , ki aap apne purvajo k vacho sai peech ht rhai hai
Masgul kuch nhi hue
Vachno se bandhe the lekin uska bhi inhone samjhdari se use liya.
Akbar ko kahi bar roka mandiro sadhu santo tirtho ko nasht krne se bhi inhone kahi bar roka. Kahi tax hatvaye
Is trh akbar ke pas rhkr sanatan dharm ke liye kam kiya
Mansingh sadhu santo me bahut shradha rkhte the kahi Santo ki jivni me mansingh ka name aata hai.
Mansingh ne kahi sadhu santo ki seva ki hai.
Jay rajputana 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay Rajputana main Kan Singh Adidas Parivar Jila neemkathana Tahsil shrimadhopur gram jugalpura tavran Govinda ji maharaj ka Itihaas
Sir aap jese is sansar me koi acha teacher nhi h
Sir hum aapka samman karte hai par aap in jaise gaddaron ka paksha rakhkar inko mahan bananeki koshish mat kariye
Jab chittod mein mein 30 hajar samanya janata ko kata tha to ye kaha tha ye unhi lutero mein se ek hai
Hm sisaudiya hai sir g
Hmara 1 question h ki hmare yha rakshabandhan kyu nhi mante plz full information mil skti h ky
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
जयपुर राजभाषा में लिखीं वंशावली नामक प्राचीन ग्रंथ में राजा केदार रॉय का ज़िक्र है
केदार रॉय कें साथ मानसिंह का युद्ध लिखा हुआं हैं
Jay maanshing
Jai ram man singh kushwaha
Bhai netoji palkar(kuli Khan) Jo chhatrapati shivaji Maharaj ka senapati jise Aurangjeb dhokese dharm parivartan karke Kabul me bheja ta unone Kabul pe sabse acha control kiya that.
Koi buwa nahi thi wo dassi putri thi
Jay maharana partap Singh ji
Jay Maharana partap Singh🚩🚩🚩🚩 🙏🙏💪💪
Jai Hindua suraj Mewar Maharana Pratap 🙏🙏🙏❤️❤️
Jai maharana pratap ji ki 🚩🚩🚩🚩
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Hindu tha maharana partap ji
Maharana Pratap sache sapoot the
Aisi virta kis kaam ki jo desh ka kaam hi na aaye.
Use tym Bharat koi desh nhi tha.. use tym Bharat Bharat khand khand me Bata hua tha.. aur usne apne desh Jo ki use tym aamer tha unke liye usne uski bakhubi raksha ki..
@@Kittutv523 aapne vansej ho tabi ye sab bol rahe ho but sach sabko pta h kitne veer te
@@RailLive548 77 yudh lad rakhe the... Sirf ek rajputana ke khilaf baki sub afghaniyo ke khilaf lde.. aur me uska koi vansaj nhi hu... somanath mandir dubara maansingh ne, banvaya , varndwan ka 8 manjila mandir maansingh ne banvaya, jagnathmanir tutne se bachaya... Hardware ki har ki podi bachayi .. .. hmmm bsss usne swabhiman se samjhota Kiya ye kami thi.. aur swabhiman se badhke kuch nhi hota
Pahle Bharat desh nhi usme riyasat thi chutiye mewad desh tha aamer /Jaipur desh the sab apne apne Desh ki prati vafadaar the akhand chutiye
Apne Desh ke kaam aaya tha mtlb aamer ki janta k sath glt ni hua
Agar Maan Singh sirf Haldighati ka yudh haare hei to isliye kunki man se wo bhi Rana Pratap ka samman krte the..bus political condition ki wjh se Raja Maan Singh ne Akbar k sath kaam kia..Maan Singh ne hindu dharam k lie itna kaam kia h to unke bhi dimag me ye sab tha ki Mughal k sath rhke hindu dhram ko protect kia ja skta hei..it means Maan Singh was a super intellectual man..
@Utkarsh Singh [ कुशवाहा 🚩] agar vo Maharana pratap ka sath de dete akbar har jata
@Utkarsh Singh [ कुशवाहा 🚩] to fida kya huva jahangir or aurajgajab n tod diye na maharana pratap ji ka sath dete ho india se baga sakte te or kitni hi raniyo ho johar krna pada
आपने बिलकुल सत्य लिखा ह
@@RAILFANSADULPUR us time ki political or economical conditions ko hum aaj ke presepective se nahi dekh or samaj sakte
Wo ladai aaj ke elections jaise ladai nahi thi ki ek election har gaye to 5 sal bad fir se election lad lenge
Agar tab koi Raja har jata tha to sirf Raja uska pariwar or uski army nahi mari jati thi sath me uske rajya ke innocent log bhi mare jate the sirf ek battle harne se ek pura Rajya 10-15 sal piche chala jata tha
Or Akbar ane ke 800 sal pehle se Rajputana ka har rajya kisi na kisi Muslim Invader se 800 sal se lagatar jujh raha tha ese me unki itne lambe war time ke bad Rajya ke economical or military power weak hona aam bat hai
Khanwa me sare Rajput ek sath lade the or Agar Babur ke pass Gunpowder wale weapons na hote to uska Khanwa se zinda wapis jana impossible hi tha or Khanwa hi kya bina Gunpowder ke Babur to Ibrahim Lodhi ko bhi nahi hara pata jise hamare Rajputs Khatoli or Dholpur me do bar dhul chata chuke the
Akbar ke time Rajputs states army or weapons ke hisab se Kafi kamzor ho chuki thi or us time ki need thi ki in Gunpowder wale weapons ko behtar tarike se samjha gaye or inka use or inse protection kaise ki jaye wo sikha jaye jo ki Jaipur ke rajas ne khub kiya
Akbar ke 100 sal bad hi Sawai Jai Singh ke pass India ki best Gunpowder artillery or Musket Infantry thi jo Marathas or Europeans se bhi better or efficient thi
@@RAILFANSADULPURAgar Hakam kha Sur Apne Topkhane or 1000 Afgani sena ke sath Samil nhi hota to Pratap bhag bhi nhi pata...
Jai Baan Mata Jai Mewad
Jai Maharana Pratap 🚩
महाराणा प्रताप की जय
Jay kachhwah Raja man Singh
Only maharana pratap ji ki 🚩🚩🚩 Jai
@@RailLive548 brother apani apni
Jagah theek he 1100 se lekar 1550 tak ladate hi Rahe the bhai socho
Bhahut katheen hota he
@@prakharshankar3064रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
राजा मान सिंहजी के कारण ही जयपुर रियासत सुखी संपन्न थी।
Nyc Jock 😂😂😂
सत्य कहा
गुलामी थी वो
@@devendra4866 इतिहास पढ़ ढंग से पता चल जायेगा
@@devendra4866 aur baaki jagaho ke logo ne toh ki nahi na Odisha up haryana punjab afghanistan khyber maharashtra hn? Phir kyun keh rha ki sirf jaipur ne ki???
जय श्री रामचंद्र जी
जय कुशबंशी
जय मौर्य साम्राज्य
जय कुशवाह समाज
जय मां शिला देवी
जय सैनी समाज
😂 bhosdike ye Rajput hai
इनके राष्ट्रधर्म की ऐतिहासिक समीक्षा करो ।
Jai Raja man Singh
man Singh murdabad
Only Maharana pratap ji ki jai 🚩🚩😍
@@RailLive548 aesha nhi ho shakta sirf ek Ko hi izzat mile 😂 aesha nhi hoga
@@devendra_kachwah_13 jai maharana pratap jai prithvi raj
@@RailLive548जब राजा भारमल को राज्य समेत मुगलों की करोड़ों की सेना ने घेर लिया था जबरदस्ती अकबर ने जोधा से विवाह कर लिया तब कोई दूसरा राजपूत राजा भारमल के साथ खड़ा नहीं हुआ था न महाराणा प्रताप ने साथ दिया लेकिन मानसिंह ने महाराणा प्रताप का साथ नहीं दिया तो सब उंगली उठाने आ गए
Akar humahre porvaj Maharaj Mansing ne akbar ka saath dete hue maharana pratap ka sath diya hota to aaj humhare desh main Ram raj hota . 😔😔
Rajput bachan ko dharm manta hai or halat me dhrm nibhata hai or unke pita ne akbar ko bachan dia tha jiske chlte be mjbur the lekin apni trf se bo jo hinduo k liye kr skte the unhone kia baki baat agr bo hinduo ka sath apna bachan shod k de v dete to aj nich jaat k dlle bkwas krte h j fr v aese hi bkwas krte or hmm m maan singh ji k khandan se nhi hu jo muje unke pksh me hi bolna h
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
Are sir aap mp ki history bhi pada do
I am kaschwaha Rajawat
He was the person who break temples of Bengal.....and he was the reason why mugals rule arya vrat.....he was the reason how aurenzeb break Kashi vishwanth....kayar tha jo aapni pagdi ka Maan Jukka dia....
Bsdk mandir ka naam bta jo Manningh ne toda ho ulta bengal Sultanate se bengal or odisha ko Azad kiya or puri jagannath ka re-construction krvaya or hinduo ke liye vapas mandir khulvaya or kashi vishwanath ke ghat banwaye or vishwanath mandir ko bhi reconstruction karvaya haridwar me bhi inhone ghat banvaye jha aaj hindu apne pitro ki rakh bhate or antim sanskar ki prakriya poori karte hai Or bsdk aryavarta jyadatar hisse par mughal or Afghanio ka kabja tha inhone bengal or Afghanistan se Afghan sultan or tribes ko haraya tha jo ki mughalo se jyada kattar the or akbar ne man Singh or baki hinduo ko apne saath rakhne ke liye jaziya hataya or gau hatya par rok laga di jis karan aaj india me hindu Bache nhi to jaziya bharte bharte jyadatar lower caste hindu hi muslim ban jaate or kayar bolne ki aukaat he teri bsdk Akele 5 afghani tribes ko haraya tha bengal Sultanate ko khatam kiya or bengal ke hindu rajao ki betiyo se shadi karke unhe security guarantee di or inki family me Martial tradition aaj bhi hai raja maan singh ke vanshaj H.H. maharaja Sawai bhawani singh ji ne 1971 me pakistan ke Sindh par attack kar diya jiske liye unhe maha vir chakra mila tha 2nd highest gallantry award of war time Teri family me aaj tak kisi ko mila bhi hai tum bsdk sirf jal sakte ho barabari nhi kar sakte
Aurangzeb ke time to tha bhi nhi Man Singh, aur Bengal Me konse mandir toodwa diye ye bhi Bata de.
मानसिंह को आप साहसी कह सकते हो धार्मिक व्यक्ति कह सकते हो लेकिन महान कैसे कह सकते हो क्योंकि आप इतना क्या अर्थ निकलता इन बातों का
Abh tum logo ka raajpath chin liya to maahan thori h vo shi kha na meena jii
रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज तों गएं थें और मानसिंह नें उनकों भीं हराया वों अकबर कें खिलाफ न जाकर जहांगीर कें खिलाफ गएं वो जब हार तों जैसोंर तों उनकों बंदी बना दिया जैसोंर कि सारी स्त्रियों को़ मिर्जा नाथन नें बंदी बनाकर बाजार में बिकवाया था और मानसिंह प्रतापादित्य कों लेकर चला गया बंगाली लोगों कें ऐंसा हाल देखकर बनारस में नदी कें में डूबकर आत्महत्या कर दीं प्रतापादित्य नें पर पता नहीं केदारनाथ देव राय का भीं नाम गायब गणेश नारायण भादुरी का भीं नाम गायब ईस्टन गंगाज कें शासकों कें नाम हीं गायब है और मानसिंह को भी़ मिर्जा नाथन नें एक औरत दीं
मानसिंह कि आंखों कें, सामनें पर मानसिह को केदार राय नें पत्र लिखकर सहीं कहां तुम म्लेच्छों कें नौकर हों और रहोंगे Sadwip का राजा था बिक्रमपूर का उसकों भीं मानसिंह नें खत्म किया १६१६ में वहां पर भी यहीं कांड हुएं इतना महान् था
इसपर में आपकों जयपुर कें दस्तावेजों का लेटर दिखाना चाहूंगा '' पाछे उठाने केदार कायत कों राज छो। सो राजा बाजै छो। सो उकोई सिलमाता छी। सो माता का प्रताप सें उने कोंईं विजित तों नाहीं। सो मानसिंहजी पुची- "इसो काइलो बल छईं। सो अर्ज करि सो सीलमाता कों बल छे । यदि आप माता नै प्रसन्न होबा बातें होम औगरैछ करारो जदि माता
प्रसन्न होई; अर केदार राजा
हूँ माता कों जों बचन छो -
सो भु राजी होय कहसी सो
तुजा - जदी जास्यु।
जिसका अर्थ हैं कि यहाँ केदारनाथ नाम कें कायस्थ शासकों का राज्य था।। उसे राजा कहां जाता था शिलामाता समीप थीं उसनें शिलामाता का प्रभाव में उन्हें अर्थात् केदार राय कों कोंईं पराजीत नहीं कर सकता इसकी महिमा का कारण क्या है उसका कारण हैं शीलामाता
तों मानसिंह बहुत महान् व्यक्ति था अपनी बहन का विवाह मानबाईं का उसकें साथ किया जहांगीर कें साथ और तातार गुलाम नें अकबर कों यें कहाँ हैं खुसरो कों राजा बनानें कें कारण अर्थात् मानबाई कें पुत्र कों राजा बनानें कें कारण जहांगीर बहुत क्रोधीत हुआं इतना कि मानबाईं कों पीटता था परन्तु मानसिंह कुछ नहीं कर सकता मानसिंह नें जगतसिंह कि पुत्री सें शादी करवा लीं जहांगीर कि अर्थात् अपने पुत्र कि बेटी सें वर्णसंकरों मानसिकता ऐंसी हीं होतीं केदारनाथ देव राय नें चैलेंज किया कि तू म्लेच्छों का नौकर हैं अगर तुझको हिम्मत तेरे राजा कों कह मुझसे लड़ हिम्मत हैं तों केदारनाथ राय नें पत्र लिखा मानसिंह कों और मानसिंह नें उसकों ज़ंजीर भिजवाईं और एक तलवार अगर मानसिंह तलवार उठाता हैं तों युद्ध कें लिएं तैयार रहे अगर वों जंजीर उठाता हैं तों खजाना देकर शासन कर सकता हैं और एक तरफ मुगलों कि अधीनता स्वीकार करनें कों कहां तों केदारनाथ राय नें कहां कीं केदार राय नें ज़ंजीर कों चुना इसका मतलब युद्ध कहाँ मेरें जैसें स्वाभिमान राजा को तेरे जैसे म्लेच्छों कें गुलाम से झुकने कि कोंईं ज़रुरत नहीं
यें भीं हिंदु राजा सें लडाईं का किस्सा हैं
सिर्फ मेवाड कों छोड़कर सभी नें अपनी पुत्रियां मुगलों सें ब्याहीं थी़ क्यूंकि राजस्थान रेगिस्तान था इसकें कारण सभीं कों मुगलों कें सामनें झुकना पड़ता अगर यें सारें राजा राणा अमरसिंह, केदार राय, रायश्रेष्ठ प्रतापादित्य महाराज, और केदार राय , हम्मीर मल्ल और उस वक्त कें अहोम राज टेबल पर आकर विचार करतें तों भीं इतिहास और होंता मानसिंह का देखना पड़ता इस ज़हांगीर कें गुलाम कों कहां कैद करु भगवंतदास मानसिंह कें पिता अकबर कों १५६७ में जों कांड किया ३०,००० लोगों कों मारने का यें अबूल फजल नें लिखा मेवाड़ का कत्लेआम अकबर कों बहुत प्रोत्साहित किया
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Jai Kushwaha Jai samrat man Singh
Isne bs apne Rajput bhaiyo par hi talwar uthayi baki isne kuch nahi kiya
gadar or Akbar ka nokar tha man Singh
Aaj nam ke aage Sharma nhi Khan laga hota man Singh nhi hote to
@@KuldeepSingh-ub1mt
Dekh Bhai sabki apni apni soch hai. Kya pata tum jo bol rahe ho vo sach ho. Par tumne jo kaha uska koyi parman nahi hai koi saboot nahi hai isliye duniya inko aise hi janti hai
जय कुशवाहा समाज
Kachwaha rajputo ki baat ho rhi hai
Shudro ki nhi 😂😂
✔️💯
@@Mragnayanikadiwana kachwaha aur kushwaha ak hai bhele hamlog obc mai rakh diya hai oo alag bath hai
@@nitishSingh-ow2cw Kya tum rajput ho.. kuki ye baat rajput samaj ke kushwaha gotr ki hori hai..
Jinka ..
Varn:-- kashtriye
Cast:-- rajput
Vans:-- survansi
Gotr:-- kushwaha (kachwaha)
Ki baat hori hai..
@@Kittutv523 bhai me naruka hu kachwah rajput hu par obc me hu jaipur ke pass ke jile alwar me narukao ka hi Raj tha
Rajasthan ke alawa vaki log kaha the, ye jo baad me aye wo aueangjeb je time aye lekin 712 se lekar rajasthan wale hi lad re the mar re the fir uth re the fir lad re the, unhone hindutva ki spirit ko jinda rakha tha
Raja ranjeet singh
Purane ithaas me baadshah ki Jagah padshsah padne ko milta he ase kyu plz bataye
Padshah sahi shabd he Badshah hamne Bana diya he use
Sikh commander who was sent Punjab Kesari Ranjit Singh to conquered the Afganistan .He succedef. Every Afgan mother to silent their childrrn to show the panic of Sikh Commander Hari Dingh Nalva Man singh or his father Bharamal wedded their daughter Harka devi to Akber very bad you are forgotten the name of great Sikh warrior Hari Singh Nalva.
Ha bhai ye aadmi kuch bhi fekta hai