ऋषिवर ने कहा वेद ईश्वरीय वाणी है। आर्य समाज रूपी पौधा लगया। और ये सत्य है अगर ऋषि दयानन्द वेद विद्या को नही बताते तो आज भारत से वेद की विद्या समाप्त हो जाती। हिन्दू बस वेद वेद करते लेकिन वेद के भाष्य को नही जान पाते जिस प्रकार आचार्य जी ने उदारण देकर बताया। ऋषि को अगर जहर पिलाया न होता । तो आज हमारे पास विद्या की कमी न होती। ऋषिवर ने हर धर्म ग्रंथ को तराजयु में तोले।
यह लोग Arya samaji है, इनके मुँह में राम बगल में छुरी , लहजे में बदतमीजी और शब्दों में गिरावट रहती है, दोगलापन इनकी छिपी आदत है , किरदार को गिरा कर इनके नशेड़ी, नंगे, नीठले दयानंद (मूल शंकर) को बराबरी कराने की हसरत रहती हैं, .. गुरु ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ महाराज दे लड़के नहीं सुपुत्र ही बोल लेन कम से कम...., दयानंद के पाखण्डी प्रोडक्ट 😅😂 और क्योकि जो अधुरा सच है. जो कि झूठ के बराबर होता है इसलिए, मत ही बोले यह Arya samaji कपटी जयचंद , पूरा सच यह रहा, 1. इस जैन family को कंगाल से अमीर बनाया sikh GURU o ने वो भी बता दिया करो, उसकी ही गुरु दीक्षा 6th गुरु जी ने यह कह कर रख दी थी कि 11th स्वरूप में हम यह सेवा लेगे l तब आना l ❤ 2. ( बंदा सिंह बहादुर के बारे मे पूरा सच) Pt. जब सिख बना तब हिम्मत आयी, phale-phale तो डर से छुपा हुआ रहता था pt. Veragi, सिंह बना तब गुरु कृपा हुई, तब गुरु सेवा में ladda था, वह कोई तिलक, जनेऊ वाला pt. नहीं ladda था,... ❤ 3. दोनों के ही परिवार आज भी सिख हैं कोई भी इंटरव्यू सर्च कर लो,.., तुम लोग दोगलापन ही कर सकते हो...सच नहीं बोल सकते..... 😂😁🤣🫢😅 ❤ उस waqt के arya samaji जेसे ही.. सूच्चा नंद और गंगू ब्राह्मण के बारे में भी बताए, ❤ धन बाबा मोती लाल मेहरा सिख के परिवार बलिदान का भी बता दे, नहीं बताएंगे ये लोग हिस्ट्री डिजाइन करने वाले दोगले लोग है Arya samaj तो सिर्फ यहि एक काम करता है सिखी को बर्बाद करना, पंजाब को ख़तम करना 😡😡😡🤬🤬🤬 ❤ ओह्ह सिखों जागो Arya samaj दी साजिश nuu ज़वाब देय करो .
@@user-ARYAJAGATयह लोग Arya samaji है, इनके मुँह में राम बगल में छुरी , लहजे में बदतमीजी और शब्दों में गिरावट रहती है, दोगलापन इनकी छिपी आदत है , किरदार को गिरा कर इनके नशेड़ी, नंगे, नीठले दयानंद (मूल शंकर) को बराबरी कराने की हसरत रहती हैं, .. गुरु ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ महाराज दे लड़के नहीं सुपुत्र ही बोल लेन कम से कम...., दयानंद के पाखण्डी प्रोडक्ट 😅😂 और क्योकि जो अधुरा सच है. जो कि झूठ के बराबर होता है इसलिए, मत ही बोले यह Arya samaji कपटी जयचंद , पूरा सच यह रहा, 1. इस जैन family को कंगाल से अमीर बनाया sikh GURU o ने वो भी बता दिया करो, उसकी ही गुरु दीक्षा 6th गुरु जी ने यह कह कर रख दी थी कि 11th स्वरूप में हम यह सेवा लेगे l तब आना l ❤ 2. ( बंदा सिंह बहादुर के बारे मे पूरा सच) Pt. जब सिख बना तब हिम्मत आयी, phale-phale तो डर से छुपा हुआ रहता था pt. Veragi, सिंह बना तब गुरु कृपा हुई, तब गुरु सेवा में ladda था, वह कोई तिलक, जनेऊ वाला pt. नहीं ladda था,... ❤ 3. दोनों के ही परिवार आज भी सिख हैं कोई भी इंटरव्यू सर्च कर लो,.., तुम लोग दोगलापन ही कर सकते हो...सच नहीं बोल सकते..... 😂😁🤣🫢😅 ❤ उस waqt के arya samaji जेसे ही.. सूच्चा नंद और गंगू ब्राह्मण के बारे में भी बताए, ❤ धन बाबा मोती लाल मेहरा सिख के परिवार बलिदान का भी बता दे, नहीं बताएंगे ये लोग हिस्ट्री डिजाइन करने वाले दोगले लोग है Arya samaj तो सिर्फ यहि एक काम करता है सिखी को बर्बाद करना, पंजाब को ख़तम करना 😡😡😡🤬🤬🤬 ❤ ओह्ह सिखों जागो Arya samaj दी साजिश nuu ज़वाब देय करो .
ऋषिवर ने कहा वेद ईश्वरीय वाणी है। आर्य समाज रूपी पौधा लगया। और ये सत्य है अगर ऋषि दयानन्द वेद विद्या को नही बताते तो आज भारत से वेद की विद्या समाप्त हो जाती। हिन्दू बस वेद वेद करते लेकिन वेद के भाष्य को नही जान पाते जिस प्रकार आचार्य जी ने उदारण देकर बताया। ऋषि को अगर जहर पिलाया न होता । तो आज हमारे पास विद्या की कमी न होती। ऋषिवर ने हर धर्म ग्रंथ को तराजयु में तोले।🙏🙏
Well said, Dayanand ji was a great social reformer. Purana interpretation leads to room for superstition if it is not controlled by a system. शास्त्रार्थ गोष्ठी आयोजन ही एकमात्र विकल्प है।
😂यह लोग Arya samaji है, इनके मुँह में राम बगल में छुरी , लहजे में बदतमीजी और शब्दों में गिरावट रहती है, दोगलापन इनकी छिपी आदत है , किरदार को गिरा कर इनके नशेड़ी, नंगे, नीठले दयानंद (मूल शंकर) को बराबरी कराने की हसरत रहती हैं, .. गुरु ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ महाराज दे लड़के नहीं सुपुत्र ही बोल लेन कम से कम...., दयानंद के पाखण्डी प्रोडक्ट 😅😂 और क्योकि जो अधुरा सच है. जो कि झूठ के बराबर होता है इसलिए, मत ही बोले यह Arya samaji कपटी जयचंद , पूरा सच यह रहा, 1. इस जैन family को कंगाल से अमीर बनाया sikh GURU o ने वो भी बता दिया करो, उसकी ही गुरु दीक्षा 6th गुरु जी ने यह कह कर रख दी थी कि 11th स्वरूप में हम यह सेवा लेगे l तब आना l ❤ 2. ( बंदा सिंह बहादुर के बारे मे पूरा सच) Pt. जब सिख बना तब हिम्मत आयी, phale-phale तो डर से छुपा हुआ रहता था pt. Veragi, सिंह बना तब गुरु कृपा हुई, तब गुरु सेवा में ladda था, वह कोई तिलक, जनेऊ वाला pt. नहीं ladda था,... ❤ 3. दोनों के ही परिवार आज भी सिख हैं कोई भी इंटरव्यू सर्च कर लो,.., तुम लोग दोगलापन ही कर सकते हो...सच नहीं बोल सकते..... 😂😁🤣🫢😅 ❤ उस waqt के arya samaji जेसे ही.. सूच्चा नंद और गंगू ब्राह्मण के बारे में भी बताए, ❤ धन बाबा मोती लाल मेहरा सिख के परिवार बलिदान का भी बता दे, नहीं बताएंगे ये लोग हिस्ट्री डिजाइन करने वाले दोगले लोग है Arya samaj तो सिर्फ यहि एक काम करता है सिखी को बर्बाद करना, पंजाब को ख़तम करना 😡😡😡🤬🤬🤬 ❤ ओह्ह सिखों जागो Arya samaj दी साजिश nuu ज़वाब देय करो .
🙏🙏परम श्रद्धेय गुरु जी कोटि कोटि नमन हैं आपको. सिंधु घाटी के लोग मूर्तिपूजक थे. उन के देवताओं की मूर्तियां उपलब्ध हुई हैं. पर आर्य लोग मूर्ति पूजा के विरोधी थे. वेदों मे स्पष्ट लिखा मिलता है. "न तस्य प्रतिमास्ति यस्य महदयश:" (यजुर्वेद 32/33) अर्थात जिस परमात्मा का नाम महदयश है, उसकी कोई मूर्ति ,शक्ल ,व तौलने का साधन नही है. स्वामी दयानंद ने कोई अलग से मत नही थोपा. जो वेदों मे हैं उसे ही सत्य के रुप मे प्रकाश की भांति फैलाया. और वेद भी सनातन ही हैं. लेकिन बड़ी भारी विडंबना देखो,स्वामी जी ने सत्यार्थप्रकाश मे अन्य धर्मों की आलोचना की फिर भी हिन्दुओं ने उनकी हत्या कर दी.
Pranam guru jee, kripa baatayie "Ved " konse publication books shuddh hai. Kripa video banayie Margadarshan kare. Great guru jee, how you remember all this at this age great amazing. Thanks for your Best efforts knowledge on you tube. Thanks
RISHI DAYANAND JI WAS MODERN AGE RISHI. WE HAVE NOT SEEN PATANJALI, KANAD, PANINI BUT WE ARE FORTUNATE TO HAVE RISHI DAYANAND. ONE WAS RISHI CHANAKYA AROUND 2500 YEARS AGO THEN COMES RISHI DAYANAND.
आत्म ज्ञान ब्रह्म ज्ञान जो समझ जाएगा।वो सभी ब्राह्मण है जो कर्म में लगे है।वो ब्राह्मण नही माने जाते। वो कर्म योगी हैं।जो जिस विषय को समझेगा उसी को उस विषय का ज्ञानी माना जायेगा।भाव श्रद्धा,ज्ञान,सत्य ये भक्त में होना चाहिए। झूठ पाखण्ड नही होना चाहिए।इंसान के समझ से जो बाहर हो तो वो विरोध करना शुरू करता है।इंसान के पास समय बहुत कम रहता है।आत्म ज्ञान ही नही तो फिर ईश्वर को पाना तो कितना कठिन है। जय श्री कृष्णा।
Prof Sinha ji saadar namaskar. itni lanbi aayu mein bhi aapka gyan wa updesh wa jan kalyan hetu bharm jaal ko todna vishesh mehatv rakhta hai maalik aapko dirghau pradan kare yahi aapke prati hamara sneh wa naman satkar aapko arpit hai.
Ye prakriti me hi parmatma samaya hai ,aur kamal ki baat hai ki fir bhi nazar nahi aata ,usko mahsdoos karna padta hai ,murti puja vyarth nahi hai ,haalaaki isse pakhand jarur faila hai ,lekin parmatma prakriti ki har avastha me maujudchai. Vigyan ki dristi se samjho ,agar glaas kaxrefractiv index water ke barabar ho jaaye to usko glass ko paani daalne par vo gayab ho jasyega ye practical hai koi kalpna nahi lekin jis vyakti ko pata n ho vo nahi bata payega ki paani me glass maujud hai ,haath daal ke tatolega tab pata chalega. Yese hi parmatma prakriti se pare nahi hai prakriti me hi samaya hai . Tabhi to usko prikriti me pada hua manusya mahsoos kar sakta hai , Agar parmatma prakriti se pare ho jaaye ,to koi bhi mahapurus ho usse sambandh jod hi nahi sakte . Kya vidhi hai sambandh jodne ki koi bataye ? Agar ishwar ek hai aur prakriti se pare hai ,to prakriti ke aadheen manusya ke paas usko anubhav karne ki kya vyavastha hai iska kya uttar hai.? Isliye Jagadguru adi Shankracharya ka mat sahi hai ,isme vivad nahi karma chahiye . Parmatma aur prakriti do nahi ek hi tatva ki do avasthaye hai . Aaj vigyan se itna to siddh hi hai ki kisi drisya ko kirno me badal se ek sthaan se dusre sthaan par bhej sakte hai. Apke television me jo drishya dikhai dete hai ve nirakaar kirno ke rup me aate hai aur ek yantra ki sahayta se saakaar drishya ka rup lete hai. Jab bhautik jagat me ye vyavastha sambhav hai to adhyatmik jagat me kyu nahi hogi ,isme hathdharmita dikhana avaigyanik hai.
स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान विद्वान और उच्च चरित्र के स्वामी थे।परंतु मैं अभी तक स्वामी जी के 2 मंतव्यों से सहमत नही हो पाया हूँ।1.विधवा विवाह निषेध व नियोग का प्रावधान 2.ईश्वर को निर्बल बना दिया (क्योंकि उसने जीव व प्रकृति उत्पन्न नही किये वे अनादिकाल से हैं,ईश्वर की भांति सदैव से हैं न उत्पति न नाश
स्वामी दयानंद सरस्वती ने अलग से कोई मत मज़हब, पंथ नहीं चलाया। अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के मत -मतान्तरो की समालोचना के बाद स्वमन्तव्यामनतव्य प्रकाश में लिखते हैं कि मेरा अभिप्राय है कोई मत चलाने यह प्रचार करने का नहींहै। जो धर्म काप्रचार ब्रह्मा से लेकर जैमिनी तक ऋषियों ने किया। उसी का प्रचार प्रसार करना चाहता हूं। अन्यथा नहीं। "वेदोsखिलोधर्ममूलम्"अर्थात वेद ही धर्म कामूल है। इसीलिए कहा वेद की ओरलौटो।"वसुधैव कुटुंबकम्"की भावना का प्रतिपादन मात्र वेद करता है। धर्म हमेशा प्राणी मात्र के कल्याण कीभावना उपदेश आदेश करता है, वह मात्र वेद धर्म ग्रंथ हो सकता है। धर्म सार्वजनिक सभी प्राणियोंहित की भावना रखता है। वेद भी ईश्वरीय ज्ञान जो मानव की उत्पत्ति के समय प्राप्त हुआ।विदलृ=ज्ञाने धातु से वेद बना। ईश्वरने वेद का ज्ञान चार ऋषियों की हृदय में आत्मस्थ हो कर दिया। मत किसी के द्वारा चलाया या संचालित किया जाता है। किसके द्वारा सारे विश्व के प्राणियों को हितों की भावना को ध्यान नहीं रखा जासकता। मान लीजिए क्या कोई मंदिर में नमाज पढ़ सकता है? क्या मस्जिद में शंख, घंटा बजा कर पूजा किया जा सकता है? क्या मंदिर मस्जिद में बाइबल का पाठ किया जासकता है? यह ग्रंथ साहब का पाठ किया जा सकता है? उत्तर मिलेगा ऐसा हरगिज नहीं होगा। इसका सीधा अर्थ है कुछ अर्थों में धर्म की बातें हैं।। पर अपने में पूर्ण बिल्कुल नहीं है। वह सिर्फ सृष्टि के हाथ में उत्पन्न हुए वेद धर्मग्रंथ है। दूसरी कोई पुस्तक धर्म ग्रंथ नहीं है। क्योंकि आठ प्रमाणों से प्रमाणित नहींहै। ऋत और सत्य से युक्त तृण ईश्वर के सृष्टि पर्यंत विज्ञान से परिपूर्ण स्वाध्याय, चिंतन, आत्मा परमात्मा की जानकारी के लिए वेद धर्म ग्रंथ ही है। इसीलिए आर्यआर्यावर्त, वेद, तथा एक अभिवादन नमस्ते, एक धर्म मानवता, एक ईश्वर की पूजा, मात्र संध्या हवन का प्रतिपादनकिया। महर्षि दयानंद ने त्रैतवाद को स्वीकार किया क्योंकि तीनों केबगैर ईश्वर, जीव, प्रकृति के बगैर सृष्टि की रचनासंभव नहीं। ईश्वर सृष्टि का विशेष निमित्त कारण, जीव साधारण निमित्त कारण, प्रकृति सृष्टि काउपादान कारण है। इन तीनों के बगैर सृष्टि का निर्माण मुश्किलहै। इसीलिए त्रैतवाद सृष्टि के आस्तिक ता का प्रतीक है। महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज सुधार, शिक्षा उद्धार, वेदोद्धार, अछूतोद्धार, जन्मना जात का खण्डन, कुरीतियों, अंधविश्वास, पाखंड का खंडन, देश की स्वतंत्रता के लिए लोगों को जागृत करना इसीलिए भारत के स्वतंत्रता के पुरोधा माने जाने वाले, वेदों का भाषा करने वाले, अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश को प्रकाशित मानव जाति का उद्धार करने वाले सर्वश्रेष्ठ आदित्य ब्रह्मचारी, 19 वीं शताब्दी ऋषि दयानन्द जी हैं।
Allha will allow only the Arabs in Heaven. (Need to read the book, written by the Albanian Sunni Arab Writer) Non-Arab Muslims are NOT EQUAL to Arabs and will NEVER Enter the Heaven.
Bhai aapka prashna vajib hai. Ishwar ok pane ke liye andar dekhna padta hai ek scientist ki tarah. Kisi kitab ne bata diya isiliye ishwar nahi hai. Jab hum hamari kamnain vasnain kaise kam kartin hai ye andar dekhne jaten hai to hamari hi pure consciousness ishwar hai. Vohi Sab jagah vyapt hai
Isle liye budh aur rishiyon ki tarah thodi tapasya karni padti hai. Ishwar ki khoj hindu ya sanatan dharm me koi jabardasti manna nahi hai . Kisi kitab ne kah diya isiliye thodi na ishwar ko man liya. Ishwar hai to Jinda rahate hi experience karna padega. Marne ke bad jannat me nahi. Kyonki swarg Barak ye sirf mansik tal par hai. Aisa kuch hota nahi. Ye surf shuruat me chote bacchon ko bataya jata hai. Yehi fark hai.
वेद ईश्वरीय वणी हैं शाश्वत है और उनमें ईश्वर जीव प्रकृति का यथार्थ ज्ञान है । वेद के ईश्वर और कुरान के ईश्वर वा अल्लाह में बहुत अन्तर हैं- १) ईश्वर सर्वव्यापक (omnipresent) है, जबकि अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है। २) ईश्वर सर्वशक्तिमान (omnipotent) है, वह कार्य करने में किसी की सहायता नहीं लेता, जबकि अल्लाह को फरिश्तों और जिन्नों की सहायता लेनी पड़ती है। ३) ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है, जबकि अल्लाह केवल क़यामत के दिन ही न्याय करता है, और वह भी उनका जो कि कब्रों में दफनाये गए हैं। ४) ईश्वर क्षमाशील नहीं, वह दुष्टों को दण्ड अवश्य देता है, जबकि अल्लाह दुष्टों, बलात्कारियों के पाप क्षमा कर देता है। मुसलमान बनने वाले के पाप माफ़ कर देता है। ५) ईश्वर कहता है, "मनुष्य बनो" *मनुर्भव ज॒नया॒ दैव्यं॒ जनम् - ऋग्वेद 10.53.6*, जबकि अल्लाह कहता है, *मुसलमान बनों.* _सूरा-2, अलबकरा पारा-1, आयत-134,135,136_ ६) *ईश्वर सर्वज्ञ है*, जीवों के कर्मों की अपेक्षा से तीनों कालों की बातों को जानता है, जबकि *अल्लाह अल्पज्ञ है*, उसे पता ही नहीं था की शैतान उसकी आज्ञा पालन नहीं करेगा, अन्यथा शैतान को पैदा क्यों करता? ७) ईश्वर निराकार होने से शरीर-रहित है, जबकि अल्लाह शरीर वाला है, एक आँख से देखता है। यजुर्वेद के 26 वें अध्याय में ईश्वर का उपदेश है -मैंने कल्याणकारी वेदवाणी को सब लोगों के कल्याण के लिए दिया है। ''अल्लाह 'काफिर' लोगों (गैर-मुस्लिमों) को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान --9:37--)। ८- ईश्वर कहता है सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवां भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते ।।-(ऋ० १०/१९१/२) अर्थ:-हे मनुष्यो ! मिलकर चलो, परस्पर मिलकर बात करो। तुम्हारे चित्त एक-समान होकर ज्ञान प्राप्त करें। जिस प्रकार पूर्व विद्वान, ज्ञानीजन सेवनीय प्रभु को जानते हुए उपासना करते आये हैं, वैसे ही तुम भी किया करो। क़ुरान का अल्लाह कहता है ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सख्ती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१) (कुरान 9:123)। ९- अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सं भ्रातरो वावृधुः सौभाय ।-(ऋग्वेद ५/६०/५) अर्थ:-ईश्वर कहता है कि हे संसार के लोगों ! न तो तुममें कोई बड़ा है और न छोटा। तुम सब भाई-भाई हो। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ो। ''हे 'ईमान' लाने वालो (केवल एक अल्लाह को मानने वालो ) 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१) (कुरान 9:28) १० क़ुरान का अल्लाह अज्ञानी है वे मुसलमानों का इम्तिहान लेता है तभी तो इब्रहीम से पुत्र की क़ुर्बानी माँगीं। वेद का ईश्वर सर्वज्ञ अर्थात मन की बात को भी जानता है उसे इम्तिहान लेने की अवशयकता नही। ११ अल्ला जीवों के और काफ़िरों के प्राण लेकर खुश होता है लेकिन वेद का ईश्वर मानव व जीवों पर सेवा भलाई दया करने पर खुश होता है। ... विशेष जानकारी के लिए कृपया महर्षि दयानंद कृत सत्यार्थप्रकाश का चौदहवां समुल्लास पढें ।
Satya to keval ek hai n adaitam n dwaitam n traitam n vedam n puranam n geetaam n upnisdaam , bina prem ke us ek ishwar ko kisi vidhi se nahi jana ja sakta ,bina prem ke saaraa gyan agyaan hai sir par bijh hai ,yesa bhi vidwano ka mat hai.
@@abhimukherjee690 महोदय, पहले ब्रह्मा और ब्रह्म में अंतर समझो। मन को ब्रह्मा कहा गया है। जगत का कारण मन है। मन का सृजन जगत है। जो मन की जैसी स्थिति होती है उसे वैसा ही दिखता है। सुख, दुःख, लाभ, हानि, हार,जीत, लोभ,लालच, वासना, क्रोध,घृणा, शत्रुता, मित्रता ये सब मन के कारण है। यदि मन को एकाग्र कर दिया जाए तो ये कुछ नही होगा। और ब्रह्म अर्थात आत्मा कहा जाता है, आत्मा को ब्रह्म, परब्रह्म, परमात्मा आदि भी कहा जाता है। ब्रह्म अर्थात आत्मा निराकार, निर्गुण, अव्यक्त, अखंड, गुनातीत, निर्वाचनीय,मन, बुद्धि, इंद्रियों, अहम का विषय नही है। ब्रह्म मन, बुद्धि का विषय नही है। जो मन, बुद्धि ,इंद्रियों का विषय है वे सभी मिथ्या है। मिथ्या का अर्थ जैसा है वैसा नही दिखने से है। मिथ्या का अर्थ असत्य नही होता है। ईश्वर, अल्लाह, गॉड,खुदा, परमेश्वर,जीव ये सब मिथ्या है। क्युकी ये मन का विषय है। समझे। नशे में तुम हो। इसलिए बिना ज्ञान के बात नही किया करते।
Asal me na shankr kuch jante the aur na swami Dayanand mool shankr.....Darasal koi kuch bhi nahi Janta ...SB kuch bs anumaan hai aur kuch nhi.. SB soonya hai..Noone knows nothing.. yahi Param satya hai...
@@harsh312harshh Advait vedanta cast mai believe nhi karta aur na hi womens ko restriction deta hai. Aap ja ke Arya samaj aur Maharishi Dayananda Saraswati Ji Kai bare mai phle Jano fir baat karo.
@@Ayushsingh-bj4ry arya samaj vedic he arya samaj sb ko brabar manta he ,advait varn vyvstha ko janm se manta he aur dalito strio ko janeyo nahi pehn ne deta ved nahi pdne deta hawan nahi krne dete brahmsutr pdo aap log advait ke they belive in castism
@@harsh312harshh Galat hai... me Neo advaiti hu...Jo swami vivekanand se ata hai, aur abh acharya prashant..Listen to video - shudra kaun by acharya prashant?? Hum neo vedanti varna ko gun aur karm ke adhar pe hi mante... janm ke adhar pe nahi... thora jan to lijie gehrai se ... janm se hum sab shudra hi hai... yeh mante... sanskar aur vidya (atmagyan/ vedic gyan) se kisika chetna ka uthhan hoke, kushalta hasil karke varn nirdharan hosakta...
@@balleballey Hum vedo ko kuch karmakand ko nahi mante, sirf upanishad jo vedo ke gyan khand ko mante...Ved birodhi nahi... vedo ke darshan ko leke chalte sirf.. hawan ka ghor birodhi nahi hai vedant... sirf satapatha brahmana ke kuch arambarpurn karmakand nahi mante
🎉 वेद कह रहे हैं परमात्मा पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है। 🎉 आर्यपुत्र कह रहे हैं कि परमात्मा संसार में है। 🎉 वेद कह रहे हैं निराकार साकार माया है यजुर्वेदका मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है। 🎉 लेकिन आर्यपुत्र कह रहे हैं निराकार साकार परमात्मा है। 🎉 अब बताइए जो वेद विरोध चल रहे हैं वह समाज का क्या विकास करेंगे जो खुद बंधन मुक्त नहीं है।
2 tatv hain jad Chetan Ye dono jab ek hote hain toh sansar banta hain Shiv and shakti Shiv chetn tatv hain shakti jad tatv jismai gun hain sat Raj Tam Shakti k gunn hain Chetn avgun hain
@@amarnathkulkarni6271 "sabhi ka parmeshwar" se kya tatparya hai tumhara? Param ishwar ek hi hota hai aur wo har jagah hai . Matlab wo anant hai uska koi ant nhi wo itna bada hai
@@sumanshikhasharma5445सः। परि॑। अ॒गा॒त्। शु॒क्रम्। अ॒का॒यम्। अ॒व्र॒णम्। अ॒स्ना॒वि॒रम्। शु॒द्धम्। अपा॑पविद्ध॒मित्यपा॑पऽविद्धम् ॥ क॒विः। म॒नी॒षी। प॒रि॒भूरिति॑ परि॒ऽभूः। स्व॒यम्भूरिति॑ स्वय॒म्ऽभूः। या॒था॒त॒थ्य॒त इति॑ याथाऽत॒थ्य॒तः। अर्था॑न्। वि। अ॒द॒धा॒त्। शा॒श्व॒तीभ्यः॑। समा॑भ्यः ॥८ ॥ यजुर्वेद » अध्याय:40» मन्त्र:8 हे मनुष्यो ! जो ब्(शुक्रम्) शीघ्रकारी सर्वशक्तिमान् (अकायम्) स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीररहित (अव्रणम्) छिद्ररहित और नहीं छेद करने योग्य (अस्नाविरम्) नाड़ी आदि के साथ सम्बन्धरूप बन्धन से रहित (शुद्धम्) अविद्यादि दोषों से रहित होने से सदा पवित्र और (अपापविद्धम्) जो पापयुक्त, पापकारी और पाप में प्रीति करनेवाला कभी नहीं होता (परि, अगात्) सब ओर से व्याप्त जो (कविः) सर्वत्र (मनीषी) सब जीवों के मनों की वृत्तियों को जाननेवाला (परिभूः) दुष्ट पापियों का तिरस्कार करनेवाला और (स्वयम्भूः) अनादि स्वरूप जिसकी संयोग से उत्पत्ति, वियोग से विनाश, माता, पिता, गर्भवास, जन्म, वृद्धि और मरण नहीं होते, वह परमात्मा (शाश्वतीभ्यः) सनातन अनादिस्वरूप अपने-अपने स्वरूप से उत्पत्ति और विनाशरहित (समाभ्यः) प्रजाओं के लिये (याथातथ्यतः) यथार्थ भाव से (अर्थान्) वेद द्वारा सब पदार्थों को (व्यदधात्) विशेष कर बनाता है, (सः) वही परमेश्वर तुम लोगों को उपासना करने के योग्य है ॥८
सः। परि॑। अ॒गा॒त्। शु॒क्रम्। अ॒का॒यम्। अ॒व्र॒णम्। अ॒स्ना॒वि॒रम्। शु॒द्धम्। अपा॑पविद्ध॒मित्यपा॑पऽविद्धम् ॥ क॒विः। म॒नी॒षी। प॒रि॒भूरिति॑ परि॒ऽभूः। स्व॒यम्भूरिति॑ स्वय॒म्ऽभूः। या॒था॒त॒थ्य॒त इति॑ याथाऽत॒थ्य॒तः। अर्था॑न्। वि। अ॒द॒धा॒त्। शा॒श्व॒तीभ्यः॑। समा॑भ्यः ॥८ ॥ यजुर्वेद » अध्याय:40» मन्त्र:8 हे मनुष्यो ! जो ब्(शुक्रम्) शीघ्रकारी सर्वशक्तिमान् (अकायम्) स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीररहित (अव्रणम्) छिद्ररहित और नहीं छेद करने योग्य (अस्नाविरम्) नाड़ी आदि के साथ सम्बन्धरूप बन्धन से रहित (शुद्धम्) अविद्यादि दोषों से रहित होने से सदा पवित्र और (अपापविद्धम्) जो पापयुक्त, पापकारी और पाप में प्रीति करनेवाला कभी नहीं होता (परि, अगात्) सब ओर से व्याप्त जो (कविः) सर्वत्र (मनीषी) सब जीवों के मनों की वृत्तियों को जाननेवाला (परिभूः) दुष्ट पापियों का तिरस्कार करनेवाला और (स्वयम्भूः) अनादि स्वरूप जिसकी संयोग से उत्पत्ति, वियोग से विनाश, माता, पिता, गर्भवास, जन्म, वृद्धि और मरण नहीं होते, वह परमात्मा (शाश्वतीभ्यः) सनातन अनादिस्वरूप अपने-अपने स्वरूप से उत्पत्ति और विनाशरहित (समाभ्यः) प्रजाओं के लिये (याथातथ्यतः) यथार्थ भाव से (अर्थान्) वेद द्वारा सब पदार्थों को (व्यदधात्) विशेष कर बनाता है, (सः) वही परमेश्वर तुम लोगों को उपासना करने के योग्य है ॥८
Arya Samaj propagate Namaste as a form of greetings each other's,and advocate the Veda's as the true form of knowledge,every Hindus should read and promote the Veda's and vehemently oppose all other forms of ilknowledge and superstition.
Isliye jb Satya kisi Ko pata hi nhi aur apni man ki shanti k liye kisi Ko manna hi hai..to jo Sabse sugam hai usi Ko kyu na mane ....aur Sabse sugam Sagun bhakti hai...
@@vimal_parmar iss bande ko ek thaapad maar kar poocho ki ye thappad satya hai ya mithya? Ye log ganja phoonk kar rehte hain aur jagat ko mithya batate hain. Jo vidya aur avidya dono ko jaan leta hai wo moksh ka adhikari hota hai. Baaki andhkaar me bhatak jata hai.
ऋषिवर ने कहा वेद ईश्वरीय वाणी है। आर्य समाज रूपी पौधा लगया। और ये सत्य है अगर ऋषि दयानन्द वेद विद्या को नही बताते तो आज भारत से वेद की विद्या समाप्त हो जाती। हिन्दू बस वेद वेद करते लेकिन वेद के भाष्य को नही जान पाते जिस प्रकार आचार्य जी ने उदारण देकर बताया।
ऋषि को अगर जहर पिलाया न होता । तो आज हमारे पास विद्या की कमी न होती। ऋषिवर ने हर धर्म ग्रंथ को तराजयु में तोले।
@Pankaj Kumar Rampal Dass ohhh sry jailpal dass 😂😂😂 tera dimag kha hai.... Ved ka toh pta nhi khtm hua ya nhi lakin tumha ab kheer milti hai....😂😂😂😂
@@BhagwanSingh-nx6tr
सत्य है हिन्दूधर्म ही था और मूर्ति पूजा बुरा नहीं यदि पत्थर को भी पूजे तो क्या बुरा है केवल परमपरा बुरी है व अनध विश्वास अधिक है
यह लोग Arya samaji है, इनके मुँह में राम बगल में छुरी ,
लहजे में बदतमीजी और शब्दों में गिरावट रहती है, दोगलापन इनकी छिपी आदत है , किरदार को गिरा कर इनके नशेड़ी, नंगे, नीठले दयानंद (मूल शंकर) को बराबरी कराने की हसरत रहती हैं,
..
गुरु ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ महाराज दे लड़के नहीं सुपुत्र ही बोल लेन कम से कम...., दयानंद के पाखण्डी प्रोडक्ट 😅😂
और क्योकि जो अधुरा सच है. जो कि झूठ के बराबर होता है इसलिए, मत ही बोले यह Arya samaji कपटी जयचंद ,
पूरा सच यह रहा,
1. इस जैन family को कंगाल से अमीर बनाया sikh GURU o ने वो भी बता दिया करो, उसकी ही गुरु दीक्षा 6th गुरु जी ने यह कह कर रख दी थी कि 11th स्वरूप में हम यह सेवा लेगे l तब आना l
❤
2. ( बंदा सिंह बहादुर के बारे मे पूरा सच) Pt. जब सिख बना तब हिम्मत आयी, phale-phale तो डर से छुपा हुआ रहता था pt. Veragi, सिंह बना तब गुरु कृपा हुई, तब गुरु सेवा में ladda था, वह कोई तिलक, जनेऊ वाला pt. नहीं ladda था,...
❤
3. दोनों के ही परिवार आज भी सिख हैं कोई भी इंटरव्यू सर्च कर लो,.., तुम लोग दोगलापन ही कर सकते हो...सच नहीं बोल सकते..... 😂😁🤣🫢😅
❤
उस waqt के arya samaji जेसे ही.. सूच्चा नंद और गंगू ब्राह्मण के बारे में भी बताए,
❤
धन बाबा मोती लाल मेहरा सिख के परिवार बलिदान का भी बता दे,
नहीं बताएंगे ये लोग हिस्ट्री डिजाइन करने वाले दोगले लोग है Arya samaj तो सिर्फ यहि एक काम करता है सिखी को बर्बाद करना, पंजाब को ख़तम करना 😡😡😡🤬🤬🤬
❤
ओह्ह सिखों जागो Arya samaj दी साजिश nuu ज़वाब देय करो
.
@@user-ARYAJAGATयह लोग Arya samaji है, इनके मुँह में राम बगल में छुरी ,
लहजे में बदतमीजी और शब्दों में गिरावट रहती है, दोगलापन इनकी छिपी आदत है , किरदार को गिरा कर इनके नशेड़ी, नंगे, नीठले दयानंद (मूल शंकर) को बराबरी कराने की हसरत रहती हैं,
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गुरु ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ महाराज दे लड़के नहीं सुपुत्र ही बोल लेन कम से कम...., दयानंद के पाखण्डी प्रोडक्ट 😅😂
और क्योकि जो अधुरा सच है. जो कि झूठ के बराबर होता है इसलिए, मत ही बोले यह Arya samaji कपटी जयचंद ,
पूरा सच यह रहा,
1. इस जैन family को कंगाल से अमीर बनाया sikh GURU o ने वो भी बता दिया करो, उसकी ही गुरु दीक्षा 6th गुरु जी ने यह कह कर रख दी थी कि 11th स्वरूप में हम यह सेवा लेगे l तब आना l
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2. ( बंदा सिंह बहादुर के बारे मे पूरा सच) Pt. जब सिख बना तब हिम्मत आयी, phale-phale तो डर से छुपा हुआ रहता था pt. Veragi, सिंह बना तब गुरु कृपा हुई, तब गुरु सेवा में ladda था, वह कोई तिलक, जनेऊ वाला pt. नहीं ladda था,...
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3. दोनों के ही परिवार आज भी सिख हैं कोई भी इंटरव्यू सर्च कर लो,.., तुम लोग दोगलापन ही कर सकते हो...सच नहीं बोल सकते..... 😂😁🤣🫢😅
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उस waqt के arya samaji जेसे ही.. सूच्चा नंद और गंगू ब्राह्मण के बारे में भी बताए,
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धन बाबा मोती लाल मेहरा सिख के परिवार बलिदान का भी बता दे,
नहीं बताएंगे ये लोग हिस्ट्री डिजाइन करने वाले दोगले लोग है Arya samaj तो सिर्फ यहि एक काम करता है सिखी को बर्बाद करना, पंजाब को ख़तम करना 😡😡😡🤬🤬🤬
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ओह्ह सिखों जागो Arya samaj दी साजिश nuu ज़वाब देय करो
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Thank you
बहुत अच्छी तरह से समझाया, बहुत सी भ्रान्तियाँ दूर हो गईं
सब सत्य विद्या और पदार्थ जो विद्या से जाने जाते हैं उन सबका आदि मूल परमेश्वर है
अविद्या का मूल क्या हे?
वेद की ज्योति जलती रहे
@@Yoga143-24h अज्ञान
ऋषिवर ने कहा वेद ईश्वरीय वाणी है। आर्य समाज रूपी पौधा लगया। और ये सत्य है अगर ऋषि दयानन्द वेद विद्या को नही बताते तो आज भारत से वेद की विद्या समाप्त हो जाती। हिन्दू बस वेद वेद करते लेकिन वेद के भाष्य को नही जान पाते जिस प्रकार आचार्य जी ने उदारण देकर बताया।
ऋषि को अगर जहर पिलाया न होता । तो आज हमारे पास विद्या की कमी न होती। ऋषिवर ने हर धर्म ग्रंथ को तराजयु में तोले।🙏🙏
दयानंद सरस्वती ज्ञान को अंतिम सत्य भी नही माना जा सकता है
@@chandrabhankumar316antim hi hai yadi nhi toh proof kro
Maharsi Dayanand ji amar. Rahe.
Well said, Dayanand ji was a great social reformer. Purana interpretation leads to room for superstition if it is not controlled by a system. शास्त्रार्थ गोष्ठी आयोजन ही एकमात्र विकल्प है।
😂यह लोग Arya samaji है, इनके मुँह में राम बगल में छुरी ,
लहजे में बदतमीजी और शब्दों में गिरावट रहती है, दोगलापन इनकी छिपी आदत है , किरदार को गिरा कर इनके नशेड़ी, नंगे, नीठले दयानंद (मूल शंकर) को बराबरी कराने की हसरत रहती हैं,
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गुरु ਗੋਬਿੰਦ ਸਿੰਘ ਜੀ महाराज दे लड़के नहीं सुपुत्र ही बोल लेन कम से कम...., दयानंद के पाखण्डी प्रोडक्ट 😅😂
और क्योकि जो अधुरा सच है. जो कि झूठ के बराबर होता है इसलिए, मत ही बोले यह Arya samaji कपटी जयचंद ,
पूरा सच यह रहा,
1. इस जैन family को कंगाल से अमीर बनाया sikh GURU o ने वो भी बता दिया करो, उसकी ही गुरु दीक्षा 6th गुरु जी ने यह कह कर रख दी थी कि 11th स्वरूप में हम यह सेवा लेगे l तब आना l
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2. ( बंदा सिंह बहादुर के बारे मे पूरा सच) Pt. जब सिख बना तब हिम्मत आयी, phale-phale तो डर से छुपा हुआ रहता था pt. Veragi, सिंह बना तब गुरु कृपा हुई, तब गुरु सेवा में ladda था, वह कोई तिलक, जनेऊ वाला pt. नहीं ladda था,...
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3. दोनों के ही परिवार आज भी सिख हैं कोई भी इंटरव्यू सर्च कर लो,.., तुम लोग दोगलापन ही कर सकते हो...सच नहीं बोल सकते..... 😂😁🤣🫢😅
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उस waqt के arya samaji जेसे ही.. सूच्चा नंद और गंगू ब्राह्मण के बारे में भी बताए,
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धन बाबा मोती लाल मेहरा सिख के परिवार बलिदान का भी बता दे,
नहीं बताएंगे ये लोग हिस्ट्री डिजाइन करने वाले दोगले लोग है Arya samaj तो सिर्फ यहि एक काम करता है सिखी को बर्बाद करना, पंजाब को ख़तम करना 😡😡😡🤬🤬🤬
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ओह्ह सिखों जागो Arya samaj दी साजिश nuu ज़वाब देय करो
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India should revive the teachings of Swami Dayanandji for India to be a World Leader.
जय सत्य सनातन वैदिक धर्म। जय गुरु देव महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज आर्य समाज अमर रहे वेद की ज्योति जलती रहें।। आर्य पुत्र।।
🙏🙏परम श्रद्धेय गुरु जी कोटि कोटि नमन हैं आपको.
सिंधु घाटी के लोग मूर्तिपूजक थे.
उन के देवताओं की मूर्तियां उपलब्ध हुई हैं.
पर आर्य लोग मूर्ति पूजा के विरोधी थे.
वेदों मे स्पष्ट लिखा मिलता है.
"न तस्य प्रतिमास्ति यस्य महदयश:"
(यजुर्वेद 32/33)
अर्थात जिस परमात्मा का नाम महदयश है, उसकी
कोई मूर्ति ,शक्ल ,व तौलने का साधन नही है.
स्वामी दयानंद ने कोई अलग से मत नही थोपा. जो वेदों मे हैं उसे ही सत्य के रुप मे प्रकाश की भांति फैलाया.
और वेद भी सनातन ही हैं. लेकिन बड़ी भारी विडंबना देखो,स्वामी जी ने सत्यार्थप्रकाश मे अन्य धर्मों की आलोचना की फिर भी हिन्दुओं ने उनकी हत्या कर दी.
Excellent analysis by Prof Sinha .He is a very learned person .
😂Sindhu ghati ke log Murti pujak the ye Apne kis adhar par kah diya 🤣
@@harshvardhangupta4311 murti ki poja nahi krte the murti thi yeh sb jante he lekin pooja nahi hoti thi
गुरू जी प्रणाम
Thank u sir u r videos create clarity in common indian man where should we start our sipritual journey
God bless u sir
गुरु जी,इतनी स्पष्टता से सब कुछ समझाने के लिये असीम धन्यवाद!
Maharishi dayanand saraswati koti koti naman# ved hi ishwar kirit granth # ved hi samvidhan hai # ved hi vigyan hai # Vedic dharam ke Jai 🙏
बहुत सुंदर दार्शनिक चिंतन रखा आपने
Pranam guru jee, kripa baatayie "Ved " konse publication books shuddh hai. Kripa video banayie Margadarshan kare. Great guru jee, how you remember all this at this age great amazing. Thanks for your Best efforts knowledge on you tube. Thanks
🙏🙏 Pranam Guru ji
Guru ji आपको शत शत नमन
Thank you for nice clarifications
त्रैतवाद: सांख्य पाद्धत्यानुसारं सम्पूर्णं वर्तते। ऋषिवर दयानन्दसरस्वती महोदयेन कृतं सत्यार्थप्रकाशम् अवश्यमेव पठनीयम्।
हार्दिक नमन:
शत शत नमन
Pranam guruji
Namaskar! Aapka Shubha Aashish Banta Rahei!
you will be always remembered ...Pranam Guruji 🙏🙏🌹🌹🍁🍁🍁🍁🌺🌺
JAI HO MAHARSHI DAYANAND SARASWATI JI
जय दयानंद सरस्वती जी
Aap ke Zan ko pranam guru ji
Guruji parnam thanks
Pranaam guru ji very nice analysis sir Pranaam
🙏 dhanyawaad 🙏🙏
अति सुन्दर
Saadar Pranam 🙏🙏🙏
Sir aapne indian philosophy ko bahut achha describe kiya hai, kripya western philosophy ke videos bhi upload kijiye.🙏
Philosophy is the wrestling of mind. We are always trapped on the level of mind. Braham is beyond Mind " अव्यक्त"
Thank you Guruji for sharing a piece of your vast knowledge 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
🕉️ प्रणाम आदरणीय आचार्य जी
RISHI DAYANAND JI WAS MODERN AGE RISHI. WE HAVE NOT SEEN PATANJALI, KANAD, PANINI BUT WE ARE FORTUNATE TO HAVE RISHI DAYANAND. ONE WAS RISHI CHANAKYA AROUND 2500 YEARS AGO THEN COMES RISHI DAYANAND.
आत्म ज्ञान ब्रह्म ज्ञान जो समझ जाएगा।वो सभी ब्राह्मण है जो कर्म में लगे है।वो ब्राह्मण नही माने जाते। वो कर्म योगी हैं।जो जिस विषय को समझेगा उसी को उस विषय का ज्ञानी माना जायेगा।भाव
श्रद्धा,ज्ञान,सत्य ये भक्त में होना चाहिए।
झूठ पाखण्ड नही होना चाहिए।इंसान के समझ से जो बाहर हो तो वो विरोध करना शुरू करता है।इंसान के पास समय बहुत कम रहता है।आत्म ज्ञान ही नही तो फिर ईश्वर को पाना तो कितना कठिन है।
जय श्री कृष्णा।
गुरु जी , कृपया पाश्चात्य दर्शन भी बताइए विशेषतः कार्ल रोजर्स ,सिमुअल कांट , रूसो इनकी फिलोसफी समझ नहीं आ रही है , गुरु जी कृपया बताएं।
🙏🙏🙏🙏
नमस्ते जी आप को प्रणाम बहुत ही सुन्दर बताया आप ने
Sir please western philosophy ke lectures bi upload kar dijiye
Brahma Vishnu Mahesh 3on ise hi dikhte he iska kya praman vedon mein granthon mein puranon mein aisa kuchh varnan hai kya,? Inka guruji answer dijiy
Aisa photo kalpanatmak hai ky?
❤🌹🙏🏼🚩🌿🌺🙏🏼🙏🏼
जय वेद माता
badiyaaa
🕉️🙏🙏🙏🌹🌹🌹
Darshan🙏
हार्दिक आभार।
❤❤❤
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ❣️
?galt
Jai Shri krishna
Radhe shyam 😊😊😊
Ram Ram sa pranam sa 🌄🇮🇳 रामजी her गर मैं ऐसी संतान हों ,
Prof Sinha ji saadar namaskar. itni lanbi aayu mein bhi aapka gyan wa updesh wa jan kalyan hetu bharm jaal ko todna vishesh mehatv rakhta hai maalik aapko dirghau pradan kare yahi aapke prati hamara sneh wa naman satkar aapko arpit hai.
Satye kaha guru ji 🙏🕉️🙏
Wahh
Guru ji ko dekhne ka aur unke charan sparsh krne ka sobhagya mujhe prapt hua tha bachpan me.
.
Main bhi kurukshetra se hun
🔱
Ye prakriti me hi parmatma samaya hai ,aur kamal ki baat hai ki fir bhi nazar nahi aata ,usko mahsdoos karna padta hai ,murti puja vyarth nahi hai ,haalaaki isse pakhand jarur faila hai ,lekin parmatma prakriti ki har avastha me maujudchai.
Vigyan ki dristi se samjho ,agar glaas kaxrefractiv index water ke barabar ho jaaye to usko glass ko paani daalne par vo gayab ho jasyega ye practical hai koi kalpna nahi lekin jis vyakti ko pata n ho vo nahi bata payega ki paani me glass maujud hai ,haath daal ke tatolega tab pata chalega.
Yese hi parmatma prakriti se pare nahi hai prakriti me hi samaya hai .
Tabhi to usko prikriti me pada hua manusya mahsoos kar sakta hai ,
Agar parmatma prakriti se pare ho jaaye ,to koi bhi mahapurus ho usse sambandh jod hi nahi sakte .
Kya vidhi hai sambandh jodne ki koi bataye ?
Agar ishwar ek hai aur prakriti se pare hai ,to prakriti ke aadheen manusya ke paas usko anubhav karne ki kya vyavastha hai iska kya uttar hai.?
Isliye Jagadguru adi Shankracharya ka mat sahi hai ,isme vivad nahi karma chahiye .
Parmatma aur prakriti do nahi ek hi tatva ki do avasthaye hai .
Aaj vigyan se itna to siddh hi hai ki kisi drisya ko kirno me badal se ek sthaan se dusre sthaan par bhej sakte hai.
Apke television me jo drishya dikhai dete hai ve nirakaar kirno ke rup me aate hai aur ek yantra ki sahayta se saakaar drishya ka rup lete hai.
Jab bhautik jagat me ye vyavastha sambhav hai to adhyatmik jagat me kyu nahi hogi ,isme hathdharmita dikhana avaigyanik hai.
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
बहुत सुंदर विचार
Lekin Dayanad ji ne shanracharya ji ko to tod hi diya ,kya isse samaj nahi tutega ?
सुंदर व्याख्या🙏
Swami Dayanand Ishwar ko Sagun bhi mante the. Aap Satyarth Prakash ka 7th samullas parke dekhlijiye. So, aapne thoda galat kaha hai.
🥀🙏🙏🙏🥀
Thank you acharya ji.
स्वामी दयानंद सरस्वती एक महान विद्वान और उच्च चरित्र के स्वामी थे।परंतु मैं अभी तक स्वामी जी के 2 मंतव्यों से सहमत नही हो पाया हूँ।1.विधवा विवाह निषेध व नियोग का प्रावधान
2.ईश्वर को निर्बल बना दिया (क्योंकि उसने जीव व प्रकृति उत्पन्न नही किये वे अनादिकाल से हैं,ईश्वर की भांति सदैव से हैं न उत्पति न नाश
मैं दे सकता हु ?
Pado satyarth prkash
I heard in tube someone tried to contempt dayanand Saraswati on wrong interpretation on Vedanta.... I don't know why
Bilakul saty hai dhanyawad.
स्वामी दयानंद सरस्वती ने अलग से कोई मत मज़हब, पंथ नहीं चलाया। अपने अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के मत -मतान्तरो की समालोचना के बाद स्वमन्तव्यामनतव्य प्रकाश में लिखते हैं कि मेरा अभिप्राय है कोई मत चलाने यह प्रचार करने का नहींहै। जो धर्म काप्रचार ब्रह्मा से लेकर जैमिनी तक ऋषियों ने किया। उसी का प्रचार प्रसार करना चाहता हूं। अन्यथा नहीं। "वेदोsखिलोधर्ममूलम्"अर्थात वेद ही धर्म कामूल है। इसीलिए कहा वेद की ओरलौटो।"वसुधैव कुटुंबकम्"की भावना का प्रतिपादन मात्र वेद करता है। धर्म हमेशा प्राणी मात्र के कल्याण कीभावना उपदेश आदेश करता है, वह मात्र वेद धर्म ग्रंथ हो सकता है। धर्म सार्वजनिक सभी प्राणियोंहित की भावना रखता है। वेद भी ईश्वरीय ज्ञान जो मानव की उत्पत्ति के समय प्राप्त हुआ।विदलृ=ज्ञाने धातु से वेद बना। ईश्वरने वेद का ज्ञान चार ऋषियों की हृदय में आत्मस्थ हो कर दिया। मत किसी के द्वारा चलाया या संचालित किया जाता है। किसके द्वारा सारे विश्व के प्राणियों को हितों की भावना को ध्यान नहीं रखा जासकता। मान लीजिए क्या कोई मंदिर में नमाज पढ़ सकता है? क्या मस्जिद में शंख, घंटा बजा कर पूजा किया जा सकता है? क्या मंदिर मस्जिद में बाइबल का पाठ किया जासकता है? यह ग्रंथ साहब का पाठ किया जा सकता है? उत्तर मिलेगा ऐसा हरगिज नहीं होगा। इसका सीधा अर्थ है कुछ अर्थों में धर्म की बातें हैं।। पर अपने में पूर्ण बिल्कुल नहीं है। वह सिर्फ सृष्टि के हाथ में उत्पन्न हुए वेद धर्मग्रंथ है। दूसरी कोई पुस्तक धर्म ग्रंथ नहीं है। क्योंकि आठ प्रमाणों से प्रमाणित नहींहै। ऋत और सत्य से युक्त तृण ईश्वर के सृष्टि पर्यंत विज्ञान से परिपूर्ण स्वाध्याय, चिंतन, आत्मा परमात्मा की जानकारी के लिए वेद धर्म ग्रंथ ही है। इसीलिए आर्यआर्यावर्त, वेद, तथा एक अभिवादन नमस्ते, एक धर्म मानवता, एक ईश्वर की पूजा, मात्र संध्या हवन का प्रतिपादनकिया। महर्षि दयानंद ने त्रैतवाद को स्वीकार किया क्योंकि तीनों केबगैर ईश्वर, जीव, प्रकृति के बगैर सृष्टि की रचनासंभव नहीं। ईश्वर सृष्टि का विशेष निमित्त कारण, जीव साधारण निमित्त कारण, प्रकृति सृष्टि काउपादान कारण है। इन तीनों के बगैर सृष्टि का निर्माण मुश्किलहै। इसीलिए त्रैतवाद सृष्टि के आस्तिक ता का प्रतीक है। महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती ने समाज सुधार, शिक्षा उद्धार, वेदोद्धार, अछूतोद्धार, जन्मना जात का खण्डन, कुरीतियों, अंधविश्वास, पाखंड का खंडन, देश की स्वतंत्रता के लिए लोगों को जागृत करना इसीलिए भारत के स्वतंत्रता के पुरोधा माने जाने वाले, वेदों का भाषा करने वाले, अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश को प्रकाशित मानव जाति का उद्धार करने वाले सर्वश्रेष्ठ आदित्य ब्रह्मचारी, 19 वीं शताब्दी ऋषि दयानन्द जी हैं।
Lekin surya bhi usi ishwar ka rup hai to surya bhi to sagun hua n ?
Very nice sir - I am also follower of this Samaj
It appears that both Arya Samaj and Brahma Samaj tried to imitate the monotheism of Christianity.
Agyani pehle kuchh padke a
@@abhimukherjee690😂😂 hum oreo samaj ke book nehi padhte
What is difference btn Allha and eshwar
Allha will allow only the Arabs in Heaven. (Need to read the book, written by the Albanian Sunni Arab Writer) Non-Arab Muslims are NOT EQUAL to Arabs and will NEVER Enter the Heaven.
Bhai aapka prashna vajib hai. Ishwar ok pane ke liye andar dekhna padta hai ek scientist ki tarah. Kisi kitab ne bata diya isiliye ishwar nahi hai. Jab hum hamari kamnain vasnain kaise kam kartin hai ye andar dekhne jaten hai to hamari hi pure consciousness ishwar hai. Vohi Sab jagah vyapt hai
Isle liye budh aur rishiyon ki tarah thodi tapasya karni padti hai. Ishwar ki khoj hindu ya sanatan dharm me koi jabardasti manna nahi hai . Kisi kitab ne kah diya isiliye thodi na ishwar ko man liya. Ishwar hai to Jinda rahate hi experience karna padega. Marne ke bad jannat me nahi. Kyonki swarg Barak ye sirf mansik tal par hai. Aisa kuch hota nahi. Ye surf shuruat me chote bacchon ko bataya jata hai. Yehi fark hai.
@@ChachaChaudhari95 गजब
वेद ईश्वरीय वणी हैं शाश्वत है और उनमें ईश्वर जीव प्रकृति का यथार्थ ज्ञान है । वेद के ईश्वर और कुरान के ईश्वर वा अल्लाह में बहुत अन्तर हैं- १) ईश्वर सर्वव्यापक (omnipresent) है, जबकि अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है। २) ईश्वर सर्वशक्तिमान (omnipotent) है, वह कार्य करने में किसी की सहायता नहीं लेता, जबकि अल्लाह को फरिश्तों और जिन्नों की सहायता लेनी पड़ती है। ३) ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है, जबकि अल्लाह केवल क़यामत के दिन ही न्याय करता है, और वह भी उनका जो कि कब्रों में दफनाये गए हैं। ४) ईश्वर क्षमाशील नहीं, वह दुष्टों को दण्ड अवश्य देता है, जबकि अल्लाह दुष्टों, बलात्कारियों के पाप क्षमा कर देता है। मुसलमान बनने वाले के पाप माफ़ कर देता है। ५) ईश्वर कहता है, "मनुष्य बनो" *मनुर्भव ज॒नया॒ दैव्यं॒ जनम् - ऋग्वेद 10.53.6*, जबकि अल्लाह कहता है, *मुसलमान बनों.* _सूरा-2, अलबकरा पारा-1, आयत-134,135,136_ ६) *ईश्वर सर्वज्ञ है*, जीवों के कर्मों की अपेक्षा से तीनों कालों की बातों को जानता है, जबकि *अल्लाह अल्पज्ञ है*, उसे पता ही नहीं था की शैतान उसकी आज्ञा पालन नहीं करेगा, अन्यथा शैतान को पैदा क्यों करता? ७) ईश्वर निराकार होने से शरीर-रहित है, जबकि अल्लाह शरीर वाला है, एक आँख से देखता है। यजुर्वेद के 26 वें अध्याय में ईश्वर का उपदेश है -मैंने कल्याणकारी वेदवाणी को सब लोगों के कल्याण के लिए दिया है। ''अल्लाह 'काफिर' लोगों (गैर-मुस्लिमों) को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४) (कुरान --9:37--)। ८- ईश्वर कहता है सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्। देवां भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते ।।-(ऋ० १०/१९१/२) अर्थ:-हे मनुष्यो ! मिलकर चलो, परस्पर मिलकर बात करो। तुम्हारे चित्त एक-समान होकर ज्ञान प्राप्त करें। जिस प्रकार पूर्व विद्वान, ज्ञानीजन सेवनीय प्रभु को जानते हुए उपासना करते आये हैं, वैसे ही तुम भी किया करो। क़ुरान का अल्लाह कहता है ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' (गैर-मुस्लिमो) से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सख्ती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१) (कुरान 9:123)। ९- अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सं भ्रातरो वावृधुः सौभाय ।-(ऋग्वेद ५/६०/५) अर्थ:-ईश्वर कहता है कि हे संसार के लोगों ! न तो तुममें कोई बड़ा है और न छोटा। तुम सब भाई-भाई हो। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ो। ''हे 'ईमान' लाने वालो (केवल एक अल्लाह को मानने वालो ) 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक (अपवित्र) हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१) (कुरान 9:28) १० क़ुरान का अल्लाह अज्ञानी है वे मुसलमानों का इम्तिहान लेता है तभी तो इब्रहीम से पुत्र की क़ुर्बानी माँगीं। वेद का ईश्वर सर्वज्ञ अर्थात मन की बात को भी जानता है उसे इम्तिहान लेने की अवशयकता नही। ११ अल्ला जीवों के और काफ़िरों के प्राण लेकर खुश होता है लेकिन वेद का ईश्वर मानव व जीवों पर सेवा भलाई दया करने पर खुश होता है। ... विशेष जानकारी के लिए कृपया महर्षि दयानंद कृत सत्यार्थप्रकाश का चौदहवां समुल्लास पढें ।
Guru ji Apka gyan asimit hai
Satya to keval ek hai n adaitam n dwaitam n traitam n vedam n puranam n geetaam n upnisdaam , bina prem ke us ek ishwar ko kisi vidhi se nahi jana ja sakta ,bina prem ke saaraa gyan agyaan hai sir par bijh hai ,yesa bhi vidwano ka mat hai.
ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या। जगदगुरू आद्य शंकराचार्य नमः
गलत सिधांत
Agar jagat mithya hai to bhramma bhi mithya hai kyoki woh mithya jagat ki invention hai.Ganja mat fooka karo bhram paida hota hai.
@@abhimukherjee690 महोदय, पहले ब्रह्मा और ब्रह्म में अंतर समझो। मन को ब्रह्मा कहा गया है। जगत का कारण मन है। मन का सृजन जगत है। जो मन की जैसी स्थिति होती है उसे वैसा ही दिखता है। सुख, दुःख, लाभ, हानि, हार,जीत, लोभ,लालच, वासना, क्रोध,घृणा, शत्रुता, मित्रता ये सब मन के कारण है। यदि मन को एकाग्र कर दिया जाए तो ये कुछ नही होगा। और ब्रह्म अर्थात आत्मा कहा जाता है, आत्मा को ब्रह्म, परब्रह्म, परमात्मा आदि भी कहा जाता है। ब्रह्म अर्थात आत्मा निराकार, निर्गुण, अव्यक्त, अखंड, गुनातीत, निर्वाचनीय,मन, बुद्धि, इंद्रियों, अहम का विषय नही है। ब्रह्म मन, बुद्धि का विषय नही है। जो मन, बुद्धि ,इंद्रियों का विषय है वे सभी मिथ्या है। मिथ्या का अर्थ जैसा है वैसा नही दिखने से है। मिथ्या का अर्थ असत्य नही होता है। ईश्वर, अल्लाह, गॉड,खुदा, परमेश्वर,जीव ये सब मिथ्या है। क्युकी ये मन का विषय है। समझे। नशे में तुम हो। इसलिए बिना ज्ञान के बात नही किया करते।
@@prabhatrajput2827oreo namazi wrong😂
If he is so knowledgeable at 91 , how much knowledgeable he would be when younger
Asal me na shankr kuch jante the aur na swami Dayanand mool shankr.....Darasal koi kuch bhi nahi Janta ...SB kuch bs anumaan hai aur kuch nhi.. SB soonya hai..Noone knows nothing.. yahi Param satya hai...
Agar sab Shoonya hai toh tum kaha se aye ho
Mujhe advaita vaad zyada logical lagta..
Advait belive in castism advait restrict women to do hawan yahy and vedas
@@harsh312harshh Advait vedanta cast mai believe nhi karta aur na hi womens ko restriction deta hai. Aap ja ke Arya samaj aur Maharishi Dayananda Saraswati Ji Kai bare mai phle Jano fir baat karo.
@@Ayushsingh-bj4ry arya samaj vedic he arya samaj sb ko brabar manta he ,advait varn vyvstha ko janm se manta he aur dalito strio ko janeyo nahi pehn ne deta ved nahi pdne deta hawan nahi krne dete brahmsutr pdo aap log advait ke they belive in castism
@@harsh312harshh Galat hai... me Neo advaiti hu...Jo swami vivekanand se ata hai, aur abh acharya prashant..Listen to video - shudra kaun by acharya prashant?? Hum neo vedanti varna ko gun aur karm ke adhar pe hi mante... janm ke adhar pe nahi... thora jan to lijie gehrai se ... janm se hum sab shudra hi hai... yeh mante... sanskar aur vidya (atmagyan/ vedic gyan) se kisika chetna ka uthhan hoke, kushalta hasil karke varn nirdharan hosakta...
@@balleballey Hum vedo ko kuch karmakand ko nahi mante, sirf upanishad jo vedo ke gyan khand ko mante...Ved birodhi nahi... vedo ke darshan ko leke chalte sirf.. hawan ka ghor birodhi nahi hai vedant... sirf satapatha brahmana ke kuch arambarpurn karmakand nahi mante
🎉 वेद कह रहे हैं परमात्मा पांच तत्व तीन गुण प्रकृति जड़ संसार से अलग है।
🎉 आर्यपुत्र कह रहे हैं कि परमात्मा संसार में है।
🎉 वेद कह रहे हैं निराकार साकार माया है यजुर्वेदका मंत्र है संभूति असंभूति अर्थात साकार निराकार माया है।
🎉 लेकिन आर्यपुत्र कह रहे हैं निराकार साकार परमात्मा है।
🎉 अब बताइए जो वेद विरोध चल रहे हैं वह समाज का क्या विकास करेंगे जो खुद बंधन मुक्त नहीं है।
2 tatv hain jad Chetan
Ye dono jab ek hote hain toh sansar banta hain
Shiv and shakti
Shiv chetn tatv hain shakti jad tatv jismai gun hain sat Raj Tam
Shakti k gunn hain
Chetn avgun hain
@RMVlogsCreatives अंग्रेजी समझ नहीं आती हिंदी में लिखो।
परमेश्वर एक है इसका क्या प्रमाण है?
वेद मे इश्वर ऐक ही है
Agar ishwar har jagah hai to wo ek hi hoga , itni si baat bhi nhi samajh paa rhe
@@Trollers233 क्या सभी का परमेश्वर हर जगह पे है?
@@amarnathkulkarni6271 "sabhi ka parmeshwar" se kya tatparya hai tumhara?
Param ishwar ek hi hota hai aur wo har jagah hai . Matlab wo anant hai uska koi ant nhi wo itna bada hai
@@Trollers233 क्या आपने उसको देखा है?
हरी 🕉️ तत्सत ❤❤❤
Buddha ka matlab budda hota h means Sayana
Bhuat sundar discription 🙏🙏
Mahabharata mai to Shri Krishna aur Indir ki katha he
Tin Gur to Bhaghvat geeta mai hai
Kuch samjh nhi araha 😞😞
Arya samaj bhagwan Kai Avtar mai Vishwash nhi karte. Aur teen gur ki baat brama samajh ki philosophy mai aati hai
Mahbharat aur Ramayana kai baar likha gaya hai aur usko intresting banane ke liye samay ke sath her philosophy ko mix gaya hai.
SHAT SHAT NAMAN
जय भारत
हम एक ईश्वर को क्यों माने?
Yes
@@balleballey ये प्रश्न अर्थहीन है।
Usi tarah jaise hum ek pita ko mante hai
@@abhimukherjee690 मैं ईश्वर को पिता ही क्यों मानू?
@@amarnathkulkarni6271 Woh tumara niji mat hai, Usse tum ishwar hone ya na hone ko kharij nahi kar sakte.
Thanks Om Shanti Om
अगर ईश्वर कैसा है ये पता नही तो वो निर्गुण निराकार कैसे मान लिया?
अनंत ब्रह्मांड को धारण करने वाला भी अनंत तक व्याप्त होगा
@@brijeshrai9041 lekin anant kaa arth nirakar nhi
@@sumanshikhasharma5445सः। परि॑। अ॒गा॒त्। शु॒क्रम्। अ॒का॒यम्। अ॒व्र॒णम्। अ॒स्ना॒वि॒रम्। शु॒द्धम्। अपा॑पविद्ध॒मित्यपा॑पऽविद्धम् ॥ क॒विः। म॒नी॒षी। प॒रि॒भूरिति॑ परि॒ऽभूः। स्व॒यम्भूरिति॑ स्वय॒म्ऽभूः। या॒था॒त॒थ्य॒त इति॑ याथाऽत॒थ्य॒तः। अर्था॑न्। वि। अ॒द॒धा॒त्। शा॒श्व॒तीभ्यः॑। समा॑भ्यः ॥८ ॥
यजुर्वेद » अध्याय:40» मन्त्र:8
हे मनुष्यो ! जो ब्(शुक्रम्) शीघ्रकारी सर्वशक्तिमान् (अकायम्) स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीररहित (अव्रणम्) छिद्ररहित और नहीं छेद करने योग्य (अस्नाविरम्) नाड़ी आदि के साथ सम्बन्धरूप बन्धन से रहित (शुद्धम्) अविद्यादि दोषों से रहित होने से सदा पवित्र और (अपापविद्धम्) जो पापयुक्त, पापकारी और पाप में प्रीति करनेवाला कभी नहीं होता (परि, अगात्) सब ओर से व्याप्त जो (कविः) सर्वत्र (मनीषी) सब जीवों के मनों की वृत्तियों को जाननेवाला (परिभूः) दुष्ट पापियों का तिरस्कार करनेवाला और (स्वयम्भूः) अनादि स्वरूप जिसकी संयोग से उत्पत्ति, वियोग से विनाश, माता, पिता, गर्भवास, जन्म, वृद्धि और मरण नहीं होते, वह परमात्मा (शाश्वतीभ्यः) सनातन अनादिस्वरूप अपने-अपने स्वरूप से उत्पत्ति और विनाशरहित (समाभ्यः) प्रजाओं के लिये (याथातथ्यतः) यथार्थ भाव से (अर्थान्) वेद द्वारा सब पदार्थों को (व्यदधात्) विशेष कर बनाता है, (सः) वही परमेश्वर तुम लोगों को उपासना करने के योग्य है ॥८
सः। परि॑। अ॒गा॒त्। शु॒क्रम्। अ॒का॒यम्। अ॒व्र॒णम्। अ॒स्ना॒वि॒रम्। शु॒द्धम्। अपा॑पविद्ध॒मित्यपा॑पऽविद्धम् ॥ क॒विः। म॒नी॒षी। प॒रि॒भूरिति॑ परि॒ऽभूः। स्व॒यम्भूरिति॑ स्वय॒म्ऽभूः। या॒था॒त॒थ्य॒त इति॑ याथाऽत॒थ्य॒तः। अर्था॑न्। वि। अ॒द॒धा॒त्। शा॒श्व॒तीभ्यः॑। समा॑भ्यः ॥८ ॥
यजुर्वेद » अध्याय:40» मन्त्र:8
हे मनुष्यो ! जो ब्(शुक्रम्) शीघ्रकारी सर्वशक्तिमान् (अकायम्) स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीररहित (अव्रणम्) छिद्ररहित और नहीं छेद करने योग्य (अस्नाविरम्) नाड़ी आदि के साथ सम्बन्धरूप बन्धन से रहित (शुद्धम्) अविद्यादि दोषों से रहित होने से सदा पवित्र और (अपापविद्धम्) जो पापयुक्त, पापकारी और पाप में प्रीति करनेवाला कभी नहीं होता (परि, अगात्) सब ओर से व्याप्त जो (कविः) सर्वत्र (मनीषी) सब जीवों के मनों की वृत्तियों को जाननेवाला (परिभूः) दुष्ट पापियों का तिरस्कार करनेवाला और (स्वयम्भूः) अनादि स्वरूप जिसकी संयोग से उत्पत्ति, वियोग से विनाश, माता, पिता, गर्भवास, जन्म, वृद्धि और मरण नहीं होते, वह परमात्मा (शाश्वतीभ्यः) सनातन अनादिस्वरूप अपने-अपने स्वरूप से उत्पत्ति और विनाशरहित (समाभ्यः) प्रजाओं के लिये (याथातथ्यतः) यथार्थ भाव से (अर्थान्) वेद द्वारा सब पदार्थों को (व्यदधात्) विशेष कर बनाता है, (सः) वही परमेश्वर तुम लोगों को उपासना करने के योग्य है ॥८
@@harsh312harshh क्या परमेश्वर दुष्ट,पापियोंका तिरस्कार करता है?
जय श्री कृष्ण 🙏
Pujiniya bharat mata, which actually to address bharat
Arya Samaj propagate Namaste as a form of greetings each other's,and advocate the Veda's as the true form of knowledge,every Hindus should read and promote the Veda's and vehemently oppose all other forms of ilknowledge and superstition.
Insaan khud ko jaanlega wo ved ko maan lega....braham ko jaan jayega.,..
👏👏
सत्य
Isliye jb Satya kisi Ko pata hi nhi aur apni man ki shanti k liye kisi Ko manna hi hai..to jo Sabse sugam hai usi Ko kyu na mane ....aur Sabse sugam Sagun bhakti hai...
OM NAMASTE
Sahi kaha
हम अद्वैत है। हम ज्ञान मार्ग पर चलते है। ना की भक्ति पर।
@@vimal_parmar iss bande ko ek thaapad maar kar poocho ki ye thappad satya hai ya mithya? Ye log ganja phoonk kar rehte hain aur jagat ko mithya batate hain. Jo vidya aur avidya dono ko jaan leta hai wo moksh ka adhikari hota hai. Baaki andhkaar me bhatak jata hai.
😂