Urea ka jaivik vikalp | Nano Natrajen 4x यूरिया की जगह डालें ये Organic fertilizer

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  • Опубліковано 9 вер 2024
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    यूरिया का विकल्प - जैविक खेती की जरूरत
    प्रस्तुत है - नैनो नत्रजन (जैविक प्रमाणित)
    नाइट्रोजन की आवश्यकता -
    फसल की उपज आती है उसके पत्ते की हरित लवक से पत्ता जितना हर रहेगा उतना ज्यादा प्रकाश संश्लेषण होगा, पौधा उतना ग्लूकोज का निर्माण करेगा और उतना ही ज्यादा उपज देगा पत्ते को हरा नाइट्रोजन बनाता है, और आज के खेती के परिवेश में फसलों को नाइट्रोजन उपलब्ध कराने का एक ही सोर्स है यूरिया, सरकार हो या किसान दोनो जानते हैं कि यूरिया से
    👉मिट्टी खराब हो रही है
    👉पानी खराब हो रहा है
    👉पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है,
    👉फसलों की बीमारी बढ़ रही है
    👉उपज का स्वाद घट रहा है
    फिर भी ना तो सरकार यूरिया का निर्माण बंद कर सकती है, ना ही किसान अपनी खेती में यूरिया डालने से बच सकता है, क्योंकि दोनों ने फसलों में नाइट्रोजन की पूर्ति की प्राकृतिक पद्धति को गंवा दिया है। TCBT भूमि उपचार प्रक्रिया से किसान अपनी खेती में इस व्यवस्था को पुनः स्थापित कर सकता है, हवा में 78% नाइट्रोजन है, मिट्टी में कार्बन और जीवाणु बढ़ाकर इसका उपयोग किया जा सकता है, TCBT कृषि परंपरा ये करने में सक्षम है,पर इसके लिए एक दो वर्ष का समय लगता है। तब तक फसलों को तात्कालिक नत्रजन की जरूरत तो चाहिए ही। सरकार यदि किसानों को समय से यूरिया उपलब्ध न करा पाए तो प्रशासन की सांस फूल जाती है, कोई भी सरकार हो यूरिया के उत्पादन को किसी भी मजबूरी में कम नहीं कर सकती, पिछले वर्ष केंद्र सरकार को 70 हजार करोड़ की यूरिया सब्सिडी जारी करनी पड़ी थी, इतनी बड़ी भारी रकम प्रकृति और पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए खर्च किया जा रहा है, इतना ही नही यूरिया को गांव-गांव तक ले जाने में न जाने कितने करोड रुपए का डीजल खर्च होता है, पर्यावरण प्रदूषण में 20% योगदान कृषि का आंका गया है इसमें अधिकतम योगदान यूरिया का ही है,यदि खेती में यूरिया डालने की मजबूरी समाप्त कर दी जाए तो मिट्टी बंजर होने से बचेगी, पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा, सरकार की लाखों करोड़ की सब्सिडी की रकम बचेगी, गोपालन बढ़ेगा, गांव स्वावलंबी होने लगेंगे।
    एकदम से यूरिया बंद नहीं किया जा सकता,नही तो खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जायेगा। दो तीन साल के लिए यूरिया का तात्कालिक विकल्प चाहिए ही क्योंकि खेती की मिट्टी में नाइट्रोजन संग्रहित करने वाले जीवाणुओ की संख्या बढ़ाने में 2 से 3 वर्ष का समय तो लगता ही है, इसके अलावा इस विधा को सिखाने में भी किसान को समय चाहिए अस्तु TCBT - Soul टीम ने "नैनो नत्रजन" तरल खाद के रूप में आपको यूरिया का वास्तविक जैविक विकल्प दे रहा है। ये पूर्णता जैविक उत्पाद है, भारत सरकार के जैविक उत्पादन कार्यक्रम NPOP से अनुशंसित है, यह मिट्टी और फसल को बिना नुकसान पहुंचाए पत्तों को हरा भरा कर देता है।
    हमारा नैनो नत्रजन #गोमूत्र बेस्ड (आधारित) है, इसके उपयोग से गौ पालन में भी बढ़ावा मिलेगा।
    TCBT पंचमहाभूत कृषि (रसायन-मुक्त, जहर-मुक्त,मूल प्राकृतिक खेती) से अभी तक हमने 38 तरह की फसलों में रासायनिक खेती के मुकाबले ज्यादा उपज प्राप्त भी कर लिया है। लिंक निम्न है
    👇
    • TCBT से 38तरह की फसलों...
    जाकर देखिए कि सभी फसले कितनी हरी भरी स्वस्थ है, किसी भी फसल में कहीं भी नाइट्रोजन की कमी किसी भी पत्ते में दिखाई नहीं दे रही है और इसीलिए हमें रिकॉर्ड पर रिकार्ड उत्पादन हर फसलों में प्राप्त हो रहा है।
    TCBT SOUL के नैनो नत्रजन 4X को 1ML प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर फसलों पर सीधे स्प्रे करें और पत्तों को हरा भरा करें,अधिक उपज प्राप्त करें
    🙏
    ताराचंद बेलजी
    Product Link:
    esoullyf.in/pr...
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