रामचरितमानस में तीन जोड़े ऐसे हैं जो एक ही रूप के हैं, और सहसा लोग पहचान नहीं पाते थे | भरतु राम ही की अनुहारी |सहसा लखि न सकहिं नर नारी || लखन सत्रुसूदन एक रूपा |नख सिख ते सब अंग अनूपा || और तीसरी जोड़ी थी -बालि और सुग्रीव की - एक रूप तुम भ्राता दोऊ |तेहि भ्रम ते मारेहुं नहिं सोऊ ||
Behtareen jabab vah R Rangeela ji
रामचरितमानस में तीन जोड़े ऐसे हैं जो एक ही रूप के हैं, और सहसा लोग पहचान नहीं पाते थे |
भरतु राम ही की अनुहारी |सहसा लखि न सकहिं नर नारी ||
लखन सत्रुसूदन एक रूपा |नख सिख ते सब अंग अनूपा ||
और तीसरी जोड़ी थी -बालि और सुग्रीव की -
एक रूप तुम भ्राता दोऊ |तेहि भ्रम ते मारेहुं नहिं सोऊ ||
सुन्दर जबाब, सुन्दर प्रस्तुति
Kya bhelpuri Ka yahi Samay Tha khane ka
Jungali gaon bhi hote hain kya