In u have ik I juju u have you know how much as well you you are the way u have you u have a little more of u have a a good day off and the best friends j--h-hhgfhhfi
Ghazal is basically a medieval art. You may try to experiment but still, it will retain its medieval form. The progressive ghazal lost its steam after few decades. There is a tremendous shortage of subjects and the vocabulary is also limited for expression.Let us enjoy it as it is . At least millions of people try to sing everyday. That is its achievement. Prof Surender Bhutani Warsaw (Poland)
Now the knowledge has become information therefore art literature poetry words and alphabets have diluted so much in meaning and expression that the magic of the wonder has been evaporated,
Wah Wah!! janaab Shamsur Rehman Farooqi sb.!! Syed Mohd. Ashraf, there was no need of countering like this for Irfan Siddiqi. After some years you may also have changed your mind, may be or may be not. Kawish Abbasi.
پچھلے پچاس ستّر سال اَور اوپر کے کسی اُردو ادبی کورس ، لیکچر ، مباحث ، ، سب کو مِلا کر ، سے بر تر جناب شمس الرحمان فاروقی کا یہ ایک لیکچر یا انٹرویو یا مباحثہ۔ Kawish Abbasi.
आख़िर में एक साहब ने बड़ी ही बदतमीज़ी से फ़ारूक़ी साहब से बात की। और वहाँ पर उस वक़्त पर उन साहब को कोई टोकने वाला नहीं था। इस पर आपको शर्मसार होना चाहिए, टीम रेख़्ता।
@@danishakhtar3154 पहली बात तो ये कि बदतमीज़ी किसी घराने पे नहीं जचती और बड़े घराने से होना किसी के बे-अदब होने का सबब नहीं होना चाहिए। वो साहब जो भी हों, वो निहायत बे-अदबी से पेश आये और इसके लिए उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए। मरहूम फ़ारूक़ी साहब उर्दू के बड़े नामों में से एक नहीं हैं। बल्कि वो अपनी तरह के इकलौते हैं और उनके जैसा हो पाने में अच्छे-अच्छे इस तरह के लोग ख़र्च हो जायेंगे तो भी ना हो पाएँगे। बेहतर होगा आप इस तरह के लोगों की वकालत कर के अपना वक़्त ज़ाया ना करें।
थोड़ी बद्तमीज़ी तो थी। वो ख़ुद सैयद मोहम्मद अशरफ़ हैं, बड़े नोवेलनिगार और अफ़सानानिगार. अशरफ़ के नॉवेल "नंबरदार का नीला" पर उनका भी अच्छा तब्सिरा था। अशरफ़ साहब ने चूंकि इरफ़ान सिद्दिक़ी का कुल्लियात मुरत्तब किया है, उनके रिश्तेदार भी हैं और इरफ़ान थे भी बड़े शायर। लेकिन इस तरह इतना बड़ा कहानीकार कमेंट करे और जवाब सुने बगैर चल दे, यह थोड़ा ओछापन है। शोभा नहीं देता।
فاروقی صاحب جیسی جامع الکمالات شخصیت اردو کی پوری ادبی تاریخ میں شاید ہی مل سکے۔
In u have ik I juju u have you know how much as well you you are the way u have you u have a little more of u have a a good day off and the best friends j--h-hhgfhhfi
سبحان اللّہ ❤
سیر حاصل گفتگو
We will miss you Farooqui Sahab!!
Ghazal is basically a medieval art. You may try to experiment but still, it will retain its medieval form. The progressive ghazal lost its steam after few decades. There is a tremendous shortage of subjects and the vocabulary is also limited for expression.Let us enjoy it as it is . At least millions of people try to sing everyday. That is its achievement.
Prof Surender Bhutani Warsaw (Poland)
Bhai apna koi aisa sher sunao Jo tumara ab tak ka sabse acha sher ho
Nonsense
مغبچے ہیں متبسم، متحیر ساقی
پینے والے تجھے پینے کا نہ انداز آیا
شاد عظیم آبادی
Thanks Rekha
Mashallah Mashallah
Now the knowledge has become information therefore art literature poetry words and alphabets have diluted so much in meaning and expression that the magic of the wonder has been evaporated,
That's so beautifully put. Thank you for the light.
कमाल!
Firaq sahab ka bare mein kuchh naheen bole , jo ki bahut bade shayar the...
❤❤❤
I have met mehfooz sir
👌👌👌👌👏👏👏
Wah Wah!! janaab Shamsur Rehman Farooqi sb.!!
Syed Mohd. Ashraf, there was no need of countering like this for Irfan Siddiqi. After some years you may also have changed your mind, may be or may be not. Kawish Abbasi.
Bhai aapko faruqi sahab se ikhtilaf h kya ?
ZEUS THE GOD neheeN bhai
Aap apni baat sunaieN, agar koi hae!
نکتہ مشتاق و یار ہے اپنا
شاعری تو شعار ہے اپنا
مِیر ۔ ۲
فاروقی صاحب کا خلا کبھی پورا نہ ہوگا
us fehash novel ka name kiya tha??? please
Shayad Faruqi saahab ki murad 'The Pearl(1880)' se hai
कई चांद थे सरे-आसमां
پچھلے پچاس ستّر سال اَور اوپر کے
کسی اُردو ادبی کورس ، لیکچر ، مباحث ، ، سب کو مِلا کر ، سے بر تر
جناب شمس الرحمان فاروقی کا یہ ایک لیکچر یا انٹرویو یا مباحثہ۔
Kawish Abbasi.
What do u want to say ?
Do u not like shamsur rahman faruqi ?
Bhai unki zyadatar baatein thik lagti hain mujhe
Well , tumhe unki kin baato se ikhtilaf hai ? Plz tell me
ZEUS THE GOD
Yes, too much.
Bhai WO farooqi sahb ki tareef kar rahan hainn!!
Kkkkknc
आख़िर में एक साहब ने बड़ी ही बदतमीज़ी से फ़ारूक़ी साहब से बात की। और वहाँ पर उस वक़्त पर उन साहब को कोई टोकने वाला नहीं था। इस पर आपको शर्मसार होना चाहिए, टीम रेख़्ता।
Wo sahab bhi Urdu ke bade naamo mein se ek hain aur ek bahut purane khanwade se talluq rakhte hain.
@@danishakhtar3154 पहली बात तो ये कि बदतमीज़ी किसी घराने पे नहीं जचती और बड़े घराने से होना किसी के बे-अदब होने का सबब नहीं होना चाहिए। वो साहब जो भी हों, वो निहायत बे-अदबी से पेश आये और इसके लिए उन्हें शर्मिंदा होना चाहिए। मरहूम फ़ारूक़ी साहब उर्दू के बड़े नामों में से एक नहीं हैं। बल्कि वो अपनी तरह के इकलौते हैं और उनके जैसा हो पाने में अच्छे-अच्छे इस तरह के लोग ख़र्च हो जायेंगे तो भी ना हो पाएँगे। बेहतर होगा आप इस तरह के लोगों की वकालत कर के अपना वक़्त ज़ाया ना करें।
@@lucknownumaa Thik hai...Aap Jeet gaye
थोड़ी बद्तमीज़ी तो थी। वो ख़ुद सैयद मोहम्मद अशरफ़ हैं, बड़े नोवेलनिगार और अफ़सानानिगार. अशरफ़ के नॉवेल "नंबरदार का नीला" पर उनका भी अच्छा तब्सिरा था। अशरफ़ साहब ने चूंकि इरफ़ान सिद्दिक़ी का कुल्लियात मुरत्तब किया है, उनके रिश्तेदार भी हैं और इरफ़ान थे भी बड़े शायर। लेकिन इस तरह इतना बड़ा कहानीकार कमेंट करे और जवाब सुने बगैर चल दे, यह थोड़ा ओछापन है। शोभा नहीं देता।
ایسا لگ رہا ہے کہ شمس الرحمان فاروقی بہت ذیادہ پی کر لیکچر دے رہے ہیں۔