aatmgyan kaise prapt karen hindi? आत्मज्ञान में क्या दिखाई देता है?
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- Опубліковано 15 тра 2023
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Note: अस्वीकरण(Disclaimer): इस वीडियो का उद्देश्य सभी के जीवन में प्रेम, शांति, स्पष्टता, जागरुकता, समझ और बोध लाना है। किन्तु समुचित ध्यान रखने के बाद भी, हो सकता है कि किसी श्रोता के मन या जीवन पर इस वीडियो का अनपेक्षित प्रभाव पड़ जाए। इसलिए, उचित यही होगा कि जो श्रोतागण 18 वर्ष से कम आयु के हों, अथवा जिन्हें हृद्धय व मनो-चिकित्सा संबंधी कोई रोग हो, या वो ऐसी किसी अन्य स्थिति में हों, जिसके कारण इस वीडियो को देखने के बाद उनके मन में किसी प्रकार की असाधारण या अस्वाभाविक प्रतिक्रिया शुरू हो जाती हो, उन्हें या तो इस वीडियो से परहेज करना चाहिए (दूर रहना चाहिए) अन्यथा पूरी सावधानी और जिम्मेदारी के साथ इस वीडियो को देखना व सुनना चाहिए। स्वयं से सत्य तक चैनल सभी दर्शकों के जीवन में प्रेम, शांति, आनंद और बोध की अभिलाषा रखता है, और दर्शकों की शारीरिक एवं मानसिक हानि के लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं होगा। धन्यवाद!
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स्वयं से सत्य तक,swayam se satya tak
जहां तक दर्शन है । जहां तक आप अपने आप से अलग समज रहे हैं ओर पूर्ण को आप से अलग जुदा समज रहे हो तो आप आत्म ज्ञानी हो ही नहीं। जहां स्वयं के सीवाय ओर कुछ भी आप को द्रष्य नहीं आए ओर आप दृष्टा भी नही हो । जब पूर्ण के सीवाय ओर कुछ है हीं नहीं तो कौन किसका दृष्टा ओर कौन किसका साक्षी । और कौन सा द्रष्य। सब ओर सभी मै अपने आपको देखो और सब और सभी को अपने आप मै देखो तो आपको आपके सीवाय और पूर्ण के सीवाय कुछ भी अलग जुदा दिखाई ही नहीं देगा । आप और पूर्ण अलग जुदा नहीं हो । नित्य अनित्य का भी भेद न रहे वो है पूर्ण आत्म ज्ञानी है। खुदा मुजसे जुदा नहीं और खुदा को मै अपने से जुदा मानता नहीं और ख़ुदा मुजको अपने से जुदा मानता है तो मै दिदार किसका करुं । जहां संप्रदाय है पंथों है ओर ईन सभी से जोभी जुडे है और ईन संप्रदायों से पंथों से जोड रहा है समझो ईन में कोई भी आत्म ज्ञानी नहीं है। क्यों कि संप्रदायों और पंथों मत भेद भ्रम शंकाएं कुशंकाएं और अंधविश्वास पेदा कर के वाद विवाद के वाड और वाडे के सीवाय ओर कुछ भी नहीं खड़ा कर रहे हैं। आत्म ज्ञान का अर्थ हीं ये ही है कि किसी को भी अपने से पूर्ण से स्वयं से कभी भी जुदा या अलग दुसरा न मानना । जहां एक के सीवा दुसरा है हीं नहीं यह कह ने वाला बताने वाला दुसरा नहीं पूर्ण हीं है । क्यों कि आत्म ज्ञानी कहला ना भी अपने को आत्मा से अलग और जुदा मान ने वाला और समज ने वाला है । एक मै अनेक अनेकों मै एक । ये हीं पूर्ण आत्म ज्ञान है । ओम साईं राम ॐ । परम पूज्य परमहंसजी विश्वगुरु संत श्री स्वयं साईं सतगुरु देवजी । मोबाइल 7990890317 . धर्मशाला गांव झनोर । उत्तर तट । नर्मदा नदी । शुक्लतीर्थ कबीर वड रोड । गुजरात भारत ।
आत्मज्ञान में अनंता अनंत सर्वव्यापी निराकार निरंजन ईश्वर दिखाई देता है
शरीर ख़ुद ही अहंकार का पुतला है , शरीर के मिटने के बाद ही ईश्वर की अनुभूति होती है । आत्मज्ञानी के लिए प्रकृति सब कुछ खोल देती है ।
सबसे आसान तरीका है खुद को आत्मा के साथ रखने का कि,हम जीवन केवल आवश्ययकता ले आधार पर जिये इच्छा के आधार पर नही आपमें आप जीवन शांति ओर संतोस से भर जयगा,क्योकि आवश्यकता प्राकृतिक है चाहे शरीर की हो या जिने हेतु भौतिक साधनों की पर इच्छाओ का अंत हि नही एक के पुरी होते हि दुसरी दस्तक देने लगती है पर है अप्राकृतिक बनाकर आत्मा के प्रवाह् से असंतुलित कर देती है।अतः जीवन मै इच्छाओ ओर जरूरतों के बिच अंतर करना आ जाये तो समजो आत्मा को पकड़ना सिख गये🙏🏻🙏🏻
परमात्मा को जाना जाता है खुद का सरुप जाना जाता हैं भक्ति करने से बिना अनुभव के यह बुदि का ज्ञान है
सत्य की अनुभूति होना, व्यक्ति के हर प्रश्न का उत्तर दिखाई देना। आत्मा ज्ञान होने पर अखंड ऊर्जा के साथ जीवन जीना बन जाता है। केवल वही शाश्वत सत्य है।
हम सब को आप को भी जो कोई भी आत्मज्ञान प्राप्त कर लेना चाहते हैं, यही प्रश्न पड़ता है आत्मज्ञान मिलना मतलब क्या है और जो कोई भी इस विषय पर सोचेंगे तो जो आप ने बताया वही आख़िर में पाएंगे
मैं जितना समझता हूँ अपनी आत्मा को जानना ही आत्मज्ञान या ब्रह्मज्ञान है यह बिना किसी लाग- लपेट के कहा जा सकता है
आप तो कर्म मेही उलझें पड़े है।
ये मै खुद इस आत्मा का अनुभव गये15सालसे अनुभव कर रहा हूं आप की हर बात सच है......
आत्म ज्ञान मे ईश्वर और आत्मा का मिलन होने पर ईश्वर को जाना जाता है। क्योंकि जीवित मानव मे आत्मा विद्यमान रहती है जब ईश्वर की अनुभूति होती है तो ईश्वर को जाना जा सकता है
खुद को खुदा से जोड़ना..
अनुमान , अनुभव, और अनुभूती ।(Realisations-अनुभूती - is Final Stage), 🌹 *ओम श्री सच्चिदानंद प्रभू*🌹
अपने आत्मस्थ अनुभव पर रेहणा.. बहोत सरलता से विवेचन किया गुरूवर.. धन्यवाद 🎉🎉🎉🎉❤
Itana achha Samaja diya mujhe Mera confirmation mil gaya, vah bhi aap se ! Thanks alot.
🙏🙏🙏 आत्मज्ञान का अर्थ बहुत सरल शब्द मे स्पष्ट करके समझाया सर, धन्यवाद 🙏🙏🙏
bahut sunder, jo bat koi nhi bta ska vh apne saral shbdo m kah di.. muje yhi lgta h ap hamesha har karm hosh purvk krte ho, or hosh m jo kam hote h vhi parm dhyan gyan h.. thanks
Apne bahot badhiya samjaya.thankyuo.
मिटो और जान लो❤nic information
Bahut sundor❤