ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
हम आत्मा नहीं बल्कि जीवात्मा है । इस तत्व को समझना ज़रूरी है । यदि हम आत्मा होते तो कर्म कैसे करते ?!कर्मफल कैसे मिलता ?! बार बार कहने से कि तुम आत्मा हो तुम मुक्त हो किसी को मुक्ति नहीं मिलता । इस बात को समझने के लिए कि हम शरीर नहीं बल्कि जीवात्मा है ज्ञान और वैराग्य की ज़रूरत है । वैराग्य और ज्ञान प्राप्त करने के लिए निश्छल प्रेम , निष्काम सेवा और परमात्मा पर अटूट विश्वास की ज़रूरत है ॥
आस्ट्रावक्र Kahate Hain na hi Kahin Swarg Hai Na hi Kahin narak Nahin Bandhan naahi mukti Ham mukti Hai Mukti is baat ka support hai ki Atma Ne Kabhi Karm kiye hi Nahin ❤❤
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम
सुनो, इस टॉपिक पर अभी कुछ दिन पहले वीडियो डाला है उसे देखो। वीडियो का title है, "अष्टरिपु ध्यान विधि" Search करना शायद आ जाए या चैनल पर मिल जाएगा। कुछ ही दिन हुए है
अष्टावक्र जो कह रहे है वो एक अलग ही आयाम और स्वयं को जानने के बाद कह रहे, पर जिसने खुद को ही जाना नही,उसके लिए बंधन और मुक्ति दोनो ही कल्पना होगी, कल्पना मतलब विचार, जानकारी और जानने में फर्क है, वह जो खुद को जान लेता है वह अपने आप द्वैत का अतिक्रमण कर जाता है अन्यथा बुद्ध जनों की बाते कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ नही
हम आत्मा नहीं बल्कि जीवात्मा है । इस तत्व को समझना चाहिए । यदि हम आत्मा होते तो कर्म कैसे करते?! आत्मा तो कुछ कर्ता नहीं तो फिर कर्मफल किस को मिलता।? बार बार कहने से कि तुम आत्मा हो तुम मुक्त हो कोई मुक्त नहीं होता! इस बात को समझने के लिए कि हम शरीर नहीं बल्कि जीवात्मा है ज्ञान और वैराग्य की ज़रूरत है । इसके लिए निश्छल विश्वास और निष्काम सेवा चाहिए ॥
भाव के ऊपर निर्भर करता है. मुक्त है किसी भी बात के चुनाव के लिए ये सत्य है. किन्तु जो भी हम चुनेंगे उस कर्म का फल भोगना होता है. यह बात लागू होती है जब हमारा भाव हो की हम जीवात्मा है ओर हम कर्म कर रहे है. इसे कर्ता भाव कहते है. ओर अगर भाव हो की हम आत्मा है मुक्त है किन्तु जो भी कर्म हमसे हो रहा है वो प्रारब्धवश या कहे संस्कारवश हो रहा है. ऐसा भी कह सकते है प्रभु इच्छा से हो रहा है. होइ से सोहहि जो राम रचि रखा को करी तर्क बढ़ावे शाखा. तो इससे कर्म मे अकर्ता भाव आ जाता है. अकर्ता भाव होने पर हमें कर्म का फल नहीं भोगना होता. इसलिए भगवान गीता मे कहते है की तू सिर्फ कर्म कर फल की इच्छा मत कर इससे तू कर्मफल से नहीं बंधेगा ओर मुझे ही प्राप्त होगा. इसलिए निरभर करता है की हमारा भाव जीवात्मा वाला है या आत्मा वाला. मुक्ति दोनों से ही संभव हे.
jab jaan lo, samajh lo aur, uske baad jab bandhan bhi sachmuch kalpana lagane lage tab manana ki mukti bhi kalpana hai, abhi to aapko bandhan bhi sach hi lagate hain. dhyan rakho yah baat Raja Janak se kahi ja rhi hai. raja janak pehale hi bahut kuch janate samajhate the, lekin am aap nhi isliye aap abhi kaise keh payenge ki mukti aur bandhan se kalpana hai. pehale jano pir swikaar karo....
@@SwayamSeSatyaTak ok ji लेकिन kabhi kabhi legta h ki ye jo mukti vali bate hote h ye sab dakose h dil ko dilasa ki esa kuch mul jata h insaan ko ki vo mukht ho jata h , tabhi mujhe ye chunaav vali baat achi lage mukhti sayed ye hi h ki हम chun सकते h
@@jayshrikrishna1717 तुम्हारे सिर पे 10 किलो वजन है और मुक्ति के नाम पर 2 किलो और मिल गया तो क्या यह मुक्ति है? मुक्ति का अर्थ कुछ पाना या मिलना नहीं है। बल्कि जो पाया और मिला है 😀उससे मुक्ति। हाँ, यही चुनाव ही मुक्ति है। तुम जो चाहो चुन सकते हो। 👍
@SwayamSeSatyaTak hn bus me bhi ye hi sochta hu sir kyuki kuch pane ki hamre jo desire hote h vo bhi to kuch pane ke liye krte h Mukhti sayed kuch pana nhi jo h use dekhna hota hona sayed
Dehpursh banne se pehle meditation kya jaruri nahi ha yeh sehi hai Jo Jan jata hai os ke meditation ka Target hasal ho geyia phir os ki margi hai wo kare ja na kare par meditation es ly jaruri hai kyu ham kapit dunyia main rehte hai es ke effect se bache rehne ke leyia yeh karna jaruri hai
jab jaan lo, samajh lo aur, uske baad jab bandhan bhi sachmuch kalpana lagane lage tab manana ki mukti bhi kalpana hai, abhi to aapko bandhan bhi sach hi lagate hain. dhyan rakho yah baat Raja Janak se kahi ja rhi hai. raja janak pehale hi bahut kuch janate samajhate the, lekin am aap nhi isliye aap abhi kaise keh payenge ki mukti aur bandhan se kalpana hai. pehale jano pir swikaar karo....
हाँ तो रस्सी को रस्सी की भाँति देखो। जो जैसा है उसे वैसा ही देखो। हम तो इंसान को भी इंसान कहाँ देखते हैं। किसी को अपना पराया, किसी को पिता भाई पुत्र किसी को आदमी औरत। जो है उसे वैसा ही देखो
Nahi aaya samajh kuchh .. sapne .. raat mein kyun aate .. aur kya dekhte ..dekha hua aur socha hua ...socho ..ab bhi Mann kitna dooba hua hai un indriyon mein ..iss tarah pakddo mann ko ..to .. sapne .. raat mein kyun aate ..kyunki hum sote .. kyun sote .. battery down .. din bhar k baad rest .. complete .. rest ..why... Abhi tak to daud rahe they ..achanak kya hua .. sham se .. thakne kyun lage ..kyun hone laga Mood relax ka .... Kyunki sham ko aapki battery ka charger ne charging slow kar k .. band kar di ... Yani Surya ast k baad .. ek sikke k do pehlu duniya janti .. lekin .. sachchai aankhon k samne hote hue bhi khud bhi dhokhe mein hain doosron ko bhi rakhte .. are seedha sa matlab hai ...din raat black white ... Yani jaise subah suryoday se ya baad uth k phir se kaam pe lagte ...waise hi yahi to Satya hai Gita ka ..tumse hai ye jagat pasara ...tumhari aankhen khulij jag saamne ..band huin gayab .. andhera ..socho light na ho to ... Ghupp anant akash black ..deep ...12. Ghante din 12 ghante raat .. sabko barabar din .. karm tumhare ..yahi soch lo Khali .. future .. ya vichar kar lo satya ... Surya k ansh se hi hamara janm aur maran hai bas Vivek hai hum ye jaan sakte ..khud ..aankhon k saamne hai sab yahi kahte Krishna Gita mein mum vansho jeevloke jeevbhootah sanatanah .. saamne hai Krishna k bataye hue asli guru aali bhagwan k ansh .. bhagwan Surya Narayan ...kya aap poori aankh khol k Surya ko dekh sakte lagatar ..never
मिमान्सा की है तो इसके सही होने की जिम्मेदारी भी आपकी है मिमान्सक के रूप में आप कैसे अधिकृत हो बताना चाहिए। अष्टावक्र गीता को मदभगवत गीता से सिद्ध मत करो। मिमान्सक क्या कथावाचक तो बनो। अपनी बात का कापी राइट हो सकता है किसी अन्य पर नहीं।
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
Jaya hosa parvu best parbachan ❤🎉🎉
Wonderful. That's the truth & 100% wisdom. Thank you for this.
Thanks sir
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
धन्य है प्रभु आप
अति उतम ज्ञान है🙏❤
Thanku so much for great teaching ❤🎉
आप अष्टावक्र गीता को आगे भी हमें सुनाते रहना । आप बहुत अच्छे से समझाते हो
कृपया आप इसे continue rakh na🙏🙏🙏
Satya ka bahut hi achchhi prastuti,dhanyabad,naman
Wah
Very sundar gyaan
future.bright.your.spech.thanks.
हम आत्मा नहीं बल्कि जीवात्मा है । इस तत्व को समझना ज़रूरी है ।
यदि हम आत्मा होते तो कर्म कैसे करते ?!कर्मफल कैसे मिलता ?!
बार बार कहने से कि तुम आत्मा हो तुम मुक्त हो किसी को मुक्ति नहीं मिलता ।
इस बात को समझने के लिए कि हम शरीर नहीं बल्कि जीवात्मा है ज्ञान और वैराग्य की ज़रूरत है ।
वैराग्य और ज्ञान प्राप्त करने के लिए निश्छल प्रेम , निष्काम सेवा और परमात्मा पर अटूट विश्वास की ज़रूरत है ॥
आस्ट्रावक्र Kahate Hain na hi Kahin Swarg Hai Na hi Kahin narak Nahin Bandhan naahi mukti Ham mukti Hai Mukti is baat ka support hai ki Atma Ne Kabhi Karm kiye hi Nahin ❤❤
Thank you sir koti koti pranam astabakra ji
Koti koti pranam hai aise mahapurush ko 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Om arham
Mukt kare soi asli guru jaan!! 🙏
बहुत ही ज्ञान की बात है🙏
100%% really
Excellent ❤
🌸🙏🏼🌸🙏🏼🌸
Waheguru
Sabhi gyaniyon santo rishiyon ko ek sath lane ke liye aur itni acchi tarah samjhane ke liye bahut aabhar
धन्यवाद आपका मुझे समझ आया आपके इस वीडियो से।🙏
बहुत बहुत धन्यवाद, प्रणाम।🙏💐
🙏🙏
jbtk srir hai tbtk mukt nhi hi aatma ko jan lene
par hi mukt ho skti hai.
🙏🏻 Thankyou 🙏🏻 sir 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Apne bahut acha se samjhaya ... thanks...
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम
Thank you sir❤
आत्मा मुक्त हम भी मुक्त इच्छा करे ये बुरा इतका चुनाव भि हम ही करावे लेकीन आतं मे रिझल्ट मुक्त नही वो कर्म पे डिलेनी हे
Bahut he acha video hai, EECHA UTHATI KYON HAI ,J KRISHNAMURTI KE ANUSAAR,video ka intezaar kar raha mai
सबकी शिक्षा के अनुसार एक वीडियो बनाऊंगा, जल्दी ही
सुनो, इस टॉपिक पर अभी कुछ दिन पहले वीडियो डाला है उसे देखो।
वीडियो का title है,
"अष्टरिपु ध्यान विधि" Search करना शायद आ जाए या चैनल पर मिल जाएगा। कुछ ही दिन हुए है
@@SwayamSeSatyaTak Ji thx maargdarshan ke liye
I am Muslim and really appreciate this gyaaan❣️😊
सत्य सत्य होता है भाई सत्य हींदु या मुसलमान नही होता अल्लाह हाफीज
🙏
🌹🌹❣️❣️🙏🙏
Nice and very interested
Very nice 😊
Guruji, Mai bhi yahi sochta hu apne aap, Maine kabhi nhi padhi ashtavakra Geeta uske baad bhi
Ye baad Sach h, isliye rishiyo ne sansar ko Maya kaha h, Maya h nhi fir bhi itni prabal h, Kyoko insan mukt hona hi nhi chahta
अष्टावक्र जो कह रहे है वो एक अलग ही आयाम और स्वयं को जानने के बाद कह रहे, पर जिसने खुद को ही जाना नही,उसके लिए बंधन और मुक्ति दोनो ही कल्पना होगी, कल्पना मतलब विचार, जानकारी और जानने में फर्क है, वह जो खुद को जान लेता है वह अपने आप द्वैत का अतिक्रमण कर जाता है
अन्यथा बुद्ध जनों की बाते कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ नही
हम आत्मा नहीं बल्कि जीवात्मा है । इस तत्व को समझना चाहिए ।
यदि हम आत्मा होते तो कर्म कैसे करते?!
आत्मा तो कुछ कर्ता नहीं तो फिर कर्मफल किस को मिलता।?
बार बार कहने से कि तुम आत्मा हो तुम मुक्त हो कोई मुक्त नहीं होता!
इस बात को समझने के लिए कि हम शरीर नहीं बल्कि जीवात्मा है ज्ञान और वैराग्य की ज़रूरत है ।
इसके लिए निश्छल विश्वास और निष्काम सेवा चाहिए ॥
भाव के ऊपर निर्भर करता है. मुक्त है किसी भी बात के चुनाव के लिए ये सत्य है. किन्तु जो भी हम चुनेंगे उस कर्म का फल भोगना होता है. यह बात लागू होती है जब हमारा भाव हो की हम जीवात्मा है ओर हम कर्म कर रहे है. इसे कर्ता भाव कहते है.
ओर अगर भाव हो की हम आत्मा है मुक्त है किन्तु जो भी कर्म हमसे हो रहा है वो प्रारब्धवश या कहे संस्कारवश हो रहा है. ऐसा भी कह सकते है प्रभु इच्छा से हो रहा है. होइ से सोहहि जो राम रचि रखा को करी तर्क बढ़ावे शाखा. तो इससे कर्म मे अकर्ता भाव आ जाता है. अकर्ता भाव होने पर हमें कर्म का फल नहीं भोगना होता. इसलिए भगवान गीता मे कहते है की तू सिर्फ कर्म कर फल की इच्छा मत कर इससे तू कर्मफल से नहीं बंधेगा ओर मुझे ही प्राप्त होगा.
इसलिए निरभर करता है की हमारा भाव जीवात्मा वाला है या आत्मा वाला. मुक्ति दोनों से ही संभव हे.
Thanks for gyaan😊❣️
❤❤❤❤❤❤
आपको ज्ञान हो गया है भैया 🙏
आपको कैसे पता..?
आदरणीय प्रणाम जो आपकी बात सुन रहा हूँ यह सत्य है या कल्पना???
Tatvik vivechan
🙏👌👌👌🫶🔥🔥🔥🔥🤩
❤😅😂🎉🎉🎉
Sir Namaste. Request more episodes about astavakra mini.
Sure I will
Vivek ka vivechan aur gyani mein kaisekaren
ᴊᴀɴᴀᴋ ᴋɪ yᴏɢyᴀᴛᴀ ᴋᴀ ꜱʜɪꜱʜᴀ ʜᴏ ᴛᴏ ᴀꜱᴛᴀᴠᴀᴋʀᴀ ᴜɴᴋɪ yᴏɢyᴀᴛᴀ ᴅᴇᴋʜᴋᴀʀ ʜɪ ᴜɴᴋᴇ ʟᴇᴠᴇʟ ꜱᴇ ᴜᴩᴅᴇꜱʜ ᴅᴇ ʀᴀʜᴇ ʜᴀɪɴ!
Sampurna astabakra Gita. Apse sunna chahata hi. Plz
Fir astwrak ne apne pitta ka badla kiu liya jab sab kalpna matr hai
Sun ke esa lega ki me bhi mukht hi hu
jab jaan lo, samajh lo aur, uske baad jab bandhan bhi sachmuch kalpana lagane lage tab manana ki mukti bhi kalpana hai, abhi to aapko bandhan bhi sach hi lagate hain. dhyan rakho yah baat Raja Janak se kahi ja rhi hai.
raja janak pehale hi bahut kuch janate samajhate the, lekin am aap nhi isliye aap abhi kaise keh payenge ki mukti aur bandhan se kalpana hai. pehale jano pir swikaar karo....
@@SwayamSeSatyaTak ok ji लेकिन kabhi kabhi legta h ki ye jo mukti vali bate hote h ye sab dakose h dil ko dilasa ki esa kuch mul jata h insaan ko ki vo mukht ho jata h , tabhi mujhe ye chunaav vali baat achi lage mukhti sayed ye hi h ki हम chun सकते h
@@jayshrikrishna1717 तुम्हारे सिर पे 10 किलो वजन है और मुक्ति के नाम पर 2 किलो और मिल गया तो क्या यह मुक्ति है?
मुक्ति का अर्थ कुछ पाना या मिलना नहीं है। बल्कि जो पाया और मिला है 😀उससे मुक्ति।
हाँ, यही चुनाव ही मुक्ति है।
तुम जो चाहो चुन सकते हो। 👍
@SwayamSeSatyaTak hn bus me bhi ye hi sochta hu sir kyuki kuch pane ki hamre jo desire hote h vo bhi to kuch pane ke liye krte h
Mukhti sayed kuch pana nhi jo h use dekhna hota hona sayed
Astavakra Gita is far better than Gita from Mahabharat. (Krishna's Gita is confusing)
तुलना ठीक नहीं क्योंकि अर्जुन की स्थिति और राजा जनक की स्थिति में अंतर है 🌹🙏🌹
Dehpursh banne se pehle meditation kya jaruri nahi ha yeh sehi hai Jo Jan jata hai os ke meditation ka Target hasal ho geyia phir os ki margi hai wo kare ja na kare par meditation es ly jaruri hai kyu ham kapit dunyia main rehte hai es ke effect se bache rehne ke leyia yeh karna jaruri hai
ध्यान किया नहीं जाता है ध्यान में हुआ जाता है। जो भी देवपुरुष हुए हैं वो ध्यान में रहते थे
Vai jee guru pakar ne ki joru rat Nehi hay up bol ra hay to assta bakro jii janak jii ke oha gase char ne geyatha
What is pschycology time pl explain in simple way all bondages are result of time and all imaginary pl explain .
🌹🙏🌹you can watch 👍
@@SwayamSeSatyaTak thanks
Aapne bahut hi acche se explain Kiya hai thanks
Yog Vashtish study karo
Gyani hone ka bhram na paale aur logo ko gumrah na kare sahi gyan main bata dunga
अद्भुत क्षमता आपकी,
आप एक वीडियो वीर्य पर बनाए क्या ये शक्ति है ,
life bho toh drama hai maya jaal hai jhutha hai.
Muktha hona bhi toh ek kalpana hui na
jab jaan lo, samajh lo aur, uske baad jab bandhan bhi sachmuch kalpana lagane lage tab manana ki mukti bhi kalpana hai, abhi to aapko bandhan bhi sach hi lagate hain. dhyan rakho yah baat Raja Janak se kahi ja rhi hai.
raja janak pehale hi bahut kuch janate samajhate the, lekin am aap nhi isliye aap abhi kaise keh payenge ki mukti aur bandhan se kalpana hai. pehale jano pir swikaar karo....
कल्पना है तो कीस की कल्पना जैसे रज्जु से सर्प का भ्रम लेकीन सर्प तो अस्तीत्व मे है इसलीये ये भ्रम हुवा
हाँ तो रस्सी को रस्सी की भाँति देखो। जो जैसा है उसे वैसा ही देखो। हम तो इंसान को भी इंसान कहाँ देखते हैं। किसी को अपना पराया, किसी को पिता भाई पुत्र किसी को आदमी औरत।
जो है उसे वैसा ही देखो
Ek baat sahi nahi lagi ki guru ki need nahi hai , sant kabir ne guru ki need batayi hai....
ये बात राजा जनक से कही जा रही है आप या मुझसे नहीं। गुरु तो चाहिए। लेकिन जीवन भर तो बच्चा उंगली पकड़ के नहीं चलेगा न। इस अर्थ में समझो उसे
Nahi aaya samajh kuchh .. sapne .. raat mein kyun aate .. aur kya dekhte ..dekha hua aur socha hua ...socho ..ab bhi Mann kitna dooba hua hai un indriyon mein ..iss tarah pakddo mann ko ..to .. sapne .. raat mein kyun aate ..kyunki hum sote .. kyun sote .. battery down .. din bhar k baad rest .. complete .. rest ..why... Abhi tak to daud rahe they ..achanak kya hua .. sham se .. thakne kyun lage ..kyun hone laga Mood relax ka .... Kyunki sham ko aapki battery ka charger ne charging slow kar k .. band kar di ... Yani Surya ast k baad .. ek sikke k do pehlu duniya janti .. lekin .. sachchai aankhon k samne hote hue bhi khud bhi dhokhe mein hain doosron ko bhi rakhte .. are seedha sa matlab hai ...din raat black white ... Yani jaise subah suryoday se ya baad uth k phir se kaam pe lagte ...waise hi yahi to Satya hai Gita ka ..tumse hai ye jagat pasara ...tumhari aankhen khulij jag saamne ..band huin gayab .. andhera ..socho light na ho to ... Ghupp anant akash black ..deep ...12. Ghante din 12 ghante raat .. sabko barabar din .. karm tumhare ..yahi soch lo Khali .. future .. ya vichar kar lo satya ... Surya k ansh se hi hamara janm aur maran hai bas Vivek hai hum ye jaan sakte ..khud ..aankhon k saamne hai sab yahi kahte Krishna Gita mein mum vansho jeevloke jeevbhootah sanatanah .. saamne hai Krishna k bataye hue asli guru aali bhagwan k ansh .. bhagwan Surya Narayan ...kya aap poori aankh khol k Surya ko dekh sakte lagatar ..never
मिमान्सा की है तो इसके सही होने की जिम्मेदारी भी आपकी है मिमान्सक के रूप में आप कैसे अधिकृत हो बताना चाहिए। अष्टावक्र गीता को मदभगवत गीता से सिद्ध मत करो। मिमान्सक क्या कथावाचक तो बनो। अपनी बात का कापी राइट हो सकता है किसी अन्य पर नहीं।
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम
Wah
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय