कितनी खुशी की बात है कितने लोगों को यह कहानी बहुत अच्छी लगी | बहुत से लोग रोये भी होंगे | मेरे भाइयो और बहनो क्या हम भी साहूकार और बाके ग्राम वासियों के तरह शिस्टाचार निभा रहे हैं | आज भी कितने किसान सुसाइड कर रहे हैं | आज भी गरीब किसान हजारो रपये के कर्ज तले दब कर अपनी जान गँवा देता है और बड़े बड़े व्यापारी करोडो का कर्जा माफ करवा लेते हैं | जब से देश आजाद हुआ है किसान गरीब से गरीबतर हो गया है| जब एक कर्मचारी अच्छा कार्य करता है, तो उसका प्रमोशन होता है,ओर उसे बोनस भी मिलता है,मगर जब देश का किसान अपनी कड़ी मेहनत से अनाज को दुगना करता है,तो उसकी फसलो के दाम आधे हो जाते है ऐसा क्यो ??? “ दुनिया के सभी देश दो शक्ति पर ही निर्भय होते है, (1) सैनिक शक्ति (2) किसान शक्ति जय जवान-जय किसान
मेरे खेत खलिहान मेरे कफ़न हो जायेंगे,, हम मरकर उसी मिट्टी में दफ़न हो जायेंगे,, प्रणाम मनोज भैया 🙏🙏 मै भी एक किसान पुत्र हूँ यह कहानी सुनकर मुझे रोना आ गया 😢
इस कहानी से 2 शिक्षा मिलती है | १. हरकू को डॉक्टर के पास जाना चाहिए था अपने गांव के दोस्तों पर दवाई के लिए निर्भर नहीं होना चाहिए था | २. गिरिधारी को हरकू के मरने पर गांव वासियों के ऊपर कुछ भी पैसे खर्च नहीं करने थे | यदि गिरिधारी वो पैसे खर्च नहीं करता तो नजराने के पैसे किसे तरह पूरे कर पाता | क्या फायदा ऐसे रसम और कर्मकांड का जो आपको अपनी मृत्यु की और धकेल दे | जिन लोगों ने हरकू के मृत्यु पर गिरिधारी के घर खाना खाया क्या किसी ने भी गिरिधारी के सहायता की | किसे ने भी नहीं | यही समाज की सच्चाई है जो आपको ताने मार सकता है पर मुसीबत में काम नहीं आएगा |
मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित बलिदान की कहानी आदर्श मनोज मुंतसीर के मुखारबिंध से अवगत होकर हमारी आखें नम हो गई। मैं आपका हर एक वीडियो को बड़ी बारीकी से देखता हूं। धन्यवाद!
एक मात्र मुंशी प्रेमचंद ही जो मिट्टी से जुड़े इंसान होने के साथ साथ हमारे हिन्दी सहित्य के महान साहित्यकार हैं। काश इन्हे वी साहित्य पुरस्कार से नवाजा होता तो इनका बलिदान वी आज मात्र sallybs ना होकर बच्चे बच्चे की जुबान को मुंशी प्रेमचंद का नाम स्मरण होता❣❣✍✍✍
महोदय जी ! आप ने बिलकुल सच कहा है। मुंशी जी के लेखो मे ऐसे जादुई एहसास छिपे होते हैं कि जब उनको पढ़ा जाता है तो वो हमारे सामने उस घटना को प्रस्तुत करते दिखाई पड़ते हैं ! इस धरती पर ऐसे लोग कभी कभी ही जनम लेते हैं ! मुंशी जी ने अपने छोटे से जीवन मे जो अतुलनीय कार्य किया है मैं तो सदा सदा के लिए उनका ऋणी हो चुका हूँ ! उनकी कहानियो मे वो दर्द आओ छवि दिखाई देती है जो वास्तव मे समाज मे दिख रही है ; एक पल को भी ऐसा नहीं लगता कि मैं कहानी पढ़ रहा हूँ बल्कि ऐसा अनुभव होता है जैसे कि मैं उस घटना को अपने इन जिवंत आँखों से साक्षात् देख रहा हूँ ! आप जैसे मानव भी हैं इस युग मे इसपर कभी कभी भरोसा नहीं होता ! आप जिस प्रकार से कहानियो को पढ़ते हैं आपका जो समझाने का तरीका है महोदय ! मुझे आप जैसा बनने के लिए बहुत प्रेरित करता है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
आँखे नम हो गई मुंशी जी कि कहानी और मनोज जी आपके वक्तव्य को सुनकर और एक किसान का बेटा होने के नाते गिरधारी जैसे एक कर्मठ किसान के पुत्र पर गर्व करता हूँ। जय जवान जय किसान💪💪
300 से ज्यादा कहानियाँ लिखने वाले, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद आज इस भौतिक जगत में तो नहीं हैं, लेकिन अपनी अमर कृतियों के कारण ही इस भुवन में अमर हैं। मुंशी जी की कहानियाँ रस की पिच कारिया हैं, जहाँ से तोड़िये रस ही रस निकलता है। मैं अपने जीवन काल तक मुंशी जी को प्रणाम करता रहूँगा। ❤❤❤❤❤
I am so proud that i read munshi premchand beyond my syllabus as well and that too at a very young age of 14-15.his almost all the mansarovar was my first bite into his magical world
My Dada ji had numerous books (novels, stories) of Premchand ji,and other great Indian writer...I feel very fortunate that my dada ji gave all books to me.... His books are like treasure for me!!! One of those treasure is collection of novels and stories by munshi premchand 🙏 I spent my whole vacation in the world of Premchand..... ❤✨✨ Even films are fail before his stories Thank you sir for bringing this story to us🙏
मनोज भैया आप नयी पीढ़ी को हमारे हिन्दी साहित्य के पुराधाओं के बारे में, उनके पवित्र चरित्र के बारे में जागरूक कर रहे हैं। आपको सादर प्रणाम 🙏🏻❣️ मुंशी प्रेमचंद जी वास्तव में हर शिक्षित और अशिक्षित ग्रामीण पृष्ठभूमि के व्यक्तियों में आज भी बसा करते हैं। कोटिशः नमन उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को 🙏🏻🙏🏻❣️
👌👌 मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत चित्रण, आपकी गम्भीर वाणी ने इसे और भी सजीव बना दिया । उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी स्वयं ज़िन्दगी भर आभावों से जूझते रहे इसलिए उनकी हर रचना में गांवों और गरीबी का बहुत महीन चित्रण किया गया है जो हर व्यक्ति की आत्मा तक को झकझोर कर रख दिया है
प्रणाम जी 🙏🙏 आपके पढ़ने का अंदाज हर प्रसंग को जीवित कर उसे खुली आंखो से देखने,दिखाने पर मजबूर कर देता हैं। कमल का वाक्चातुर्य हैं आपमें।हम बस सुनते ही रहना चाहते हैं।🙏🙏
Biggest fan of manoj jee.. ua-cam.com/video/2w2S62ZrX-o/v-deo.html Hello Vidya jee..... today i am introducing you with one of the best story channel on UA-cam....... Divyansh srivastav.... please take a look........🙏🙏
मुंशीप्रेमचन्द जी आज भी भारत देश मे लोगो के दिलो पर राज करते हैं , आप इतिहास की सच्चाई को उजागर करते रहें हम सभी साथ है ।। जय हिन्दू रष्ट्र वन्देमातरम 💐💐💐💐👍💐💐💐
Great sir....it is always glad to hear your inspirational and patriotic videos. Kindly make a video series on unforgettable Real Heroes of India who remained unsung eg: Ram Prasad Bismil, SagarMal Gopa etc. There are lot of such personalities. It is my humble request to yu if yu can manage from your busy schedule. Many people will get these precious information and and know about their highest sacrifice and contribution to Maa Bharti. Jai Hind🇮🇳 🙏🏻
स्वर्णिम है वह कलम जिसने ये बलिदान लिखा साथ ही नमन आपको भी है मनोज सर सुनकर आंखे भर आई। जिस भाव से आदरणीय प्रेमचंद जी ने लिखा वही भाव आपके वाचन में भी है।
बलिदान कहानी स्कूल की बेंचो पर बैठकर कई बार पढ़ी ,तब शायद इसमें कुछ छूट गया था। लेकिन अब इस कहानी का एक एक शब्द तीर कि तरह ह्रदय को छू गया है। सर बहुत-बहुत धन्यवाद।
मनोज भाई साहब आप को सत सत नमन आप इस कहानी को कितने अंछे भाव से प्रगट किये है की सुनने बाला कभी भी किसी किसान की जमीन हणफने की कोसिश नही करेगा आप को मेरा प्रणाम 🙏🙏
मनोज जी आपका आभार। जो आपने बड़े मनोभाव से कहानी सुनाई। कभी हमने किताबों में लिखी कहानियां वगैरा परीक्षा पास करने की दृष्टि से पढ़ी थी मगर आज जेहन में बहुत अन्दर तक चली आती हैं। बहुत आनन्द आता है प्रेमचन्द जी को फ्ढ़कर सुनकर।
मुंशी प्रेमचंद की यह करुणामयी कहानी किताबों में ही रह जाती और लोग किताब उठाने की जेहमत भी न करते.... लेकिन आप ने इस कहानी को अपनी जिस मधुर आवाज और निष्ठा के द्वारा हम लोगों तक पहुँचाया उसके लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद। 🙏🙏
मैं वो पथिक हूँ जो चला है वीरान रस्तों पर, भरी दोपहरी नंगें पांव जिसने दर्द सहा हो, रिस्ते हुए घावों का उसका ये काँटें क्या रस्ता रोकेंगे तुम क्या मुझको रोक पाओगे? -कविता
मनोज भाई आपका बहुत बहुत आभार 🙏🙏 मुझे माफ़ करना मैं आपको sir नहीं बोल पाऊंगा क्योंकि sir कहने से शायद मुझे वो अपनापन महसूस न हो पायेगा । ये कहानी मैंने बहुत समय पहले पढ़ी थी परन्तु आज आपके मुखारबिंद से सुनकर हृदय द्रवित हो गया है , मैं उत्तराखंड से हूँ और गांव में रहता हूँ । मैं भी अपनी स्थिति को गिरधारी के समीप पाता हूँ हालाँकि गिरधारी की अपनी मजबूरियां और मेरी बेबसी कुछ और है मैं बंजर हो चुके खेतों को देख धान पकने की सुगंध को फिर से महसूस करना चाहता हूँ परंतु फिलहाल ये सिर्फ मेरी कल्पनाओं में ही सम्भव है। और महान शब्दकार प्रेमचंद जी के बारे में मैं कुछ कह सकूँ मेरी इतनी हैसियत नहीं ।
ये कहानी मैंने बचपन मे भी पढ़ी थी लेकिन आज आपसे सुना तो बहुत अच्छा लगा और ये भी सीखा की परिस्थितियाँ इंसान को तो अंदर से तोड़ देती हैं और बहुत कुछ सिखा भी देती हैं 🙏🙏🙏🙏🙏
मनोज जी आपको कोटि कोटि नमन। मुझे पहले मुंशी प्रेमचन्द की कहानियां सच में समझ नहीं आती थी और इसी वजह मैं एक दो लाइन पढ़ कर रख देता था लेकिन आज आपकी मुख से सुनकर सचमुच मैं धन्य हो गया।
साहित्य को नया नजरिया एवं सम्मान दिलाने का जो पथ आपने ने चुना है वह अनूठा है निश्चित रूप से युवा पीढ़ी और साहित्य प्रेमियों को एक अलग अनुभूति होती है इसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार💐💐
Great fan of Manoj muntasir.I love your narrative, way to express words through poetry and everyday more and more influenced by great Bharat.Dispite born in different country still I love munchi Premchand, Haribansha Rai Bacchan,Tulashidas and many more....From Nepal, Currently living in Canada.
इन महान ब्यक्तियों के भावनाओ से लिखी कहानी और आपके मन से निकली आवाज को अंत तक सुनते हुए आदमी का ह्रदय एक बार स्तब्ध रह जाता और सोचने पर मजबूर हो जाता हैं कोई इतना गहराई में कैसे जा सकता हैं।
मुंशी प्रेमचंद भारतीय साहित्य और भारतीय संस्कृति के एक महान नायक हैं जिन्होंने अपने विचारों के बलबूते लाखों लोगों के दिलों पर राज किया है, ऐसी संवेदनशीलता उन्हीं के लेखों में देखी जा सकती है। मानवीय समाज के एकदम साधारण पहलूओं को जितनी सहजता के साथ वो दर्शा सकते हैं,शायद ही कोई और दिखा पाए।।।❤️🙏🏻
मनोज भैया को इतनी शानदार प्रस्तुति के लिए आभार।🙏🙏 लिखित साहित्य को सोशल मीडिया के माध्यम से सहज, सरल और मनोरंजक रूप से घर-घर तक पहुंचाने के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद। लेकिन भैया आप से मेरी एक मीठी सी शिकायत है। कल कथा-सम्राट प्रेमचंद जी की जयंती थी। जयंती के अवसर पर साहित्यानुरागियों द्वारा उनको नमन करते हुए अनेक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाले गए हैं। देख कर अच्छा लगा। लेकिन एक बात को देख कर दुःख भी हुआ। सबने एक सुर से प्रेमचंद को 'मुंशी प्रेमचंद' संबोधित किया है। आपने भी। प्रेमचंद मुंशी नहीं थे। जानकारी के अभाव में प्रेमचंद को मुंशी प्रेमचंद बना दिया गया है। प्रेमचंद के नाम के साथ न तो पुश्तैनी रूप से मुंशी शब्द लगा हुआ था, न ही उन्होंने कभी मुंशीगिरी की थी। यह सच है कि वे कायस्थ परिवार से थे और उस समय कायस्थ लोगों के नाम में मुंशी शब्द का प्रयोग उपनाम के रूप में होता था। यह भी सत्य है कि वे शिक्षक थे और उस समय शिक्षकों को भी लोग सम्मान से मुंशी कहते थे । लेकिन इन दोनों बातों में से कोई भी बात प्रेमचंद के साथ लागू नहीं होती है। प्रेमचंद को न तो उनकी जाति की वजह से मुंशी कहा गया और ना ही उनके अध्यापक होने की वजह से। प्रेमचंद के नाम में कभी भी मुंशी शब्द का प्रयोग हुआ ही नहीं है। इस बात का प्रमाण उनकी पत्नी शिवरानी देवी और पुत्र अमृत राय भी दे चुके हैं। प्रेमचंद के नाम के साथ मुंशी विशेषण जुड़ने का एकमात्र कारण यह है कि 'हंस' नामक पत्र प्रेमचंद एवं 'कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी' के सह संपादन में निकलता था। जिसकी कुछ प्रतियों पर 'कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी' का पूरा नाम न छपकर मात्र 'मुंशी' छपा रहता था। साथ ही प्रेमचंद का नाम इस प्रकार छपा होता था- संपादक मुंशी, प्रेमचंद (हंस की प्रतियों पर देखा जा सकता है)। 'हंस के संपादक प्रेमचंद तथा कन्हैयालाल मुंशी थे। परन्तु कालांतर में पाठकों ने 'मुंशी' तथा 'प्रेमचंद' के बीच के कमा ( , ) को गायब कर दिया और दोनों को एक समझ लिया और इस तरह 'प्रेमचंद'- 'मुंशी प्रेमचंद' बन गए। जो लोग इस बात को नहीं जानते हैं, उनके लिए प्रेमचंद, मुंशी प्रेमचंद हैं लेकिन हिंदी साहित्य के जानने और समझने वाले लोग जब इस तरह प्रेमचंद के नाम से पहले मुंशी का प्रयोग करते हैं तो अच्छा नहीं लगता है। - मुकेश रंजन
अद्भुत मनोज सर आज मैं प्रेमचंद की तीन कहानी आपकी सुनी। प्रेमचंद जी की सारी कहानी और उपन्यास पढ़ने से ऐसा प्रतीत होता है की उस कहानी को जी रही हू । अद्भुत लेखनी है उनकी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Manoj Muntasheer ji aap ke presentation ko pranam and great poet munshi premchand ji ko naman.🙏🙏🙏🙏🙏Godan khilonewala primary school sylabus main padhi thee makhan lal chaturvedi ji ki pushp ki abhilasha ke shabad aaj bhi jahan main ghoom rahe hain but true words by you that we are losing reading habits and when we read we read shekspeare and others europian and american but not our own munshi premchand ji ramdhari dinkar, ravindra nath tagore,amrita preetam,,makhanlal chaturvedi ji tulsidas surdas,kabir rahim valmili ki ji sab ko bhulte ja rahen.🙏👍👌
महान लेखक मुंशी प्रेम चंद को मेरा प्रणाम🙏🏻🙏🏻🙏🏻,, मैने इस कहानी के हर वाक्य और उसमें समाए भाव को महसूस किया। एक किसान और अपने खेतों से उसका रिश्ता लाजवाब है भावुक करने वाला है।।। मैं भी एक किसान का बेटा हूं।।
सर आप इतने प्रसिद्धि पाने के बाद भी जमीन से ही जुड़े ही हैं...भारतीय संस्कृति को बचाये रखने के लिए भारत को आप जैसे महान लोगों की ज़रूरत है 🙏🙏🙏🙏🙏 आपका बहुत- बहुत आभार!
रात्रि के 1:27 हुए है मेरी आंखों से आंसू और हृदय चीर देने वाला दर्द मन में भरा हुआ है मेरे मुंह से सिर्फ एक आवाज आई हे राम! ये क्या हुआ......आज भी लाखो किसान ऐसे है ऐसे प्रेमचंद जी ऐसा साहित्य और ऐसा बखान....ऐसी कहानी आप को प्रणाम प्रेमचंद जी और शुक्ला जी प्रणाम❤️❤️
कितना भयावह दर्द हैं इस कहानी में ,सुनते वक्त आंखो में आंसुओ का सैलाब उमड़ कर बह रहा था। माननीय मुंशी प्रेमचंद जी ने कहा से ऐसा जिगरा पाया था जो उनकी कलम सिर्फ लिखती ही नहीं हर शब्द शब्द बोलती हैं।और आपके क्या कहने अपने तो उसे सजीव चित्रण कर दिया हम खुद को नसीबो वाले समझते हैं जो हमें भगवन ने आपसे मिलाया ,आपको सुनने की मन में ललक जगाई ।आपका ये कार्य निरंतर चलता रहे,हम आपको सुनते रहें।कान्हा जी सब जानते हैं,वो आपको स्वस्थ रखें,मस्त रखें,खुशियों से भरपूर जबरदस्त रखें।शुभरात्री मनोज जी 🙏🙏 राधे राधे जी 🙏🙏
सर हम भी कीसान के ही बेटे है मुंशी प्रेमचन्द जी की ये कहानी सुन के हमको अपना बचपन याद आ गया अपने खेत की मिट्टी की खूशबू ही अलग है 🙏👍लास्ट तक तो आंसू आने लगे❤️❤️❤️🚩🚩 🙏🙏
I am grandson of Sahukar, my grandfather died before I was born. My father once visiting a small village and someone recognized him and got very emotional he told him how my grandfather gave away land away in Bhumi Dhan movement even my father and uncles didn't knew about it, we all felt a sense of pride in our ancestor I proud of him and whatever he was.
धन्यवाद सर जी।बलिदान कहानी के हर एक पात्र को एक बार फिर से मेरे सामने रखने के लिए।क्योंकि मैंने यह कहानी कथा भारती नामक किताब में कक्षा 12 वी में पढ़ा था...जय हिन्द सर जी।
Munshi Preamchand ji has been all time great writer . The way he portrayed the contemporary real life scenario in his books & stories is unmatched. Salute to this greatest writer ( महारावल) ।
इसे कहते हैं heart touching story 💔💔 shakespear थे, उसी tarah मुंशीप्रेमचंद थे bs yhi चाहते है सम्मान बराबर हो बो अपनी जगह ये अपनी जगह 🙏🙏🙏 लव यू मनोज मुंटासिर जय हिन्द
It was really a very detailed oriented video with best presentation that you put forth. I thank you and acknowledge for bringing up the dead to life for people who aren't not even interested knowing the content but really behind western things . Thank you
❤️श्रीमान ! हम भी बहुत गहराइयों में इस तरह मेरे प्रिय मुशी प्रेमचंद की कहानियों को ,प्रकृति की खूबसूरती ,और अपनी पुराणों की ज्ञान के समुन्द्र में समा जाना चाहता हु लेकिन कमबख्त इस जमाने की सोच (पहले बोर्ड पास कर ले ,neet निकाल ले)ने मेरी अपनी इच्छा को दबा कर रख दिया है ।
आपने जितनी मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियां अभी तक सुनाएं मैंने सब सुनी और ऐसा लग रहा था जैसे कि मानो सब मेरे आंखों के सामने हो रहा है सिनेमा में बैठ कर दे देख रही हूं धन्यवाद सर हो सके तो आप ऐसी और वीडियो बनाएं अच्छा लगेगा हमें🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
What a great story. I have gone to that class room where I have read thus again and again. What a great narration....please carry on this journey as you are one of Karndhar of Indian literature.....
मुंशी प्रेमचंद की कहानी सिर्फ कहानी अमर गाथा है हमारे देश का स्वर्णिम दौर था हमे गर्भ है की हम भारत के धरती से है जहां महान कवि और लेखक का घर था शत शत नमन है आपको जो आपने हमे ये अनमोल कहानी सुनाते है I 🙏
कितनी खुशी की बात है कितने लोगों को यह कहानी बहुत अच्छी लगी | बहुत से लोग रोये भी होंगे |
मेरे भाइयो और बहनो क्या हम भी साहूकार और बाके ग्राम वासियों के तरह शिस्टाचार निभा रहे हैं |
आज भी कितने किसान सुसाइड कर रहे हैं | आज भी गरीब किसान हजारो रपये के कर्ज तले दब कर अपनी जान गँवा देता है और बड़े बड़े व्यापारी करोडो का कर्जा माफ करवा लेते हैं | जब से देश आजाद हुआ है किसान गरीब से गरीबतर हो गया है| जब एक कर्मचारी अच्छा कार्य करता है, तो उसका प्रमोशन होता है,ओर उसे बोनस भी मिलता है,मगर जब देश का किसान अपनी कड़ी मेहनत से अनाज को दुगना करता है,तो उसकी फसलो के दाम आधे हो जाते है ऐसा क्यो ???
“ दुनिया के सभी देश दो शक्ति पर ही निर्भय होते है, (1) सैनिक शक्ति (2) किसान शक्ति
जय जवान-जय किसान
Kya khub kaha hai bhai ❤❤
मेरे खेत खलिहान मेरे कफ़न हो जायेंगे,,
हम मरकर उसी मिट्टी में दफ़न हो जायेंगे,,
प्रणाम मनोज भैया 🙏🙏 मै भी एक किसान पुत्र हूँ यह कहानी सुनकर मुझे रोना आ गया 😢
इस कहानी से 2 शिक्षा मिलती है |
१. हरकू को डॉक्टर के पास जाना चाहिए था अपने गांव के दोस्तों पर दवाई के लिए निर्भर नहीं होना चाहिए था |
२. गिरिधारी को हरकू के मरने पर गांव वासियों के ऊपर कुछ भी पैसे खर्च नहीं करने थे | यदि गिरिधारी वो पैसे खर्च नहीं करता तो नजराने के पैसे किसे तरह पूरे कर पाता | क्या फायदा ऐसे रसम और कर्मकांड का जो आपको अपनी मृत्यु की और धकेल दे | जिन लोगों ने हरकू के मृत्यु पर गिरिधारी के घर खाना खाया क्या किसी ने भी गिरिधारी के सहायता की | किसे ने भी नहीं | यही समाज की सच्चाई है जो आपको ताने मार सकता है पर मुसीबत में काम नहीं आएगा |
@@rishikaarya707 right sister
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@@rishikaarya707😢😢😊🎉😊 to😢hg🎉🎉
"विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला विद्यालय आज तक नहीं खुला"
- मुंशी प्रेमचंद 🌼
Bilkul sahi 🙏
Kw@@healthyrecipeswithsharmila2163
What a marvellous upanyas indeed,!!!!!!
मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित बलिदान की कहानी आदर्श मनोज मुंतसीर के मुखारबिंध से अवगत होकर हमारी आखें नम हो गई। मैं आपका हर एक वीडियो को बड़ी बारीकी से देखता हूं। धन्यवाद!
👍🔥👍
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मुंशी प्रेम चंद जी ने हिंदी साहित्य में एक नयी क्रांति लायी क्योंकि इनकी अधिकतर रचनाएं कृषि जीवन पर आधारित थी always like munsi pream chand💜🙏
एक मात्र मुंशी प्रेमचंद ही जो मिट्टी से जुड़े इंसान होने के साथ साथ हमारे हिन्दी सहित्य के महान साहित्यकार हैं। काश इन्हे वी साहित्य पुरस्कार से नवाजा होता तो इनका बलिदान वी आज मात्र sallybs ना होकर बच्चे बच्चे की जुबान को मुंशी प्रेमचंद का नाम स्मरण होता❣❣✍✍✍
महोदय जी ! आप ने बिलकुल सच कहा है। मुंशी जी के लेखो मे ऐसे जादुई एहसास छिपे होते हैं कि जब उनको पढ़ा जाता है तो वो हमारे सामने उस घटना को प्रस्तुत करते दिखाई पड़ते हैं ! इस धरती पर ऐसे लोग कभी कभी ही जनम लेते हैं ! मुंशी जी ने अपने छोटे से जीवन मे जो अतुलनीय कार्य किया है मैं तो सदा सदा के लिए उनका ऋणी हो चुका हूँ ! उनकी कहानियो मे वो दर्द आओ छवि दिखाई देती है जो वास्तव मे समाज मे दिख रही है ; एक पल को भी ऐसा नहीं लगता कि मैं कहानी पढ़ रहा हूँ बल्कि ऐसा अनुभव होता है जैसे कि मैं उस घटना को अपने इन जिवंत आँखों से साक्षात् देख रहा हूँ !
आप जैसे मानव भी हैं इस युग मे इसपर कभी कभी भरोसा नहीं होता ! आप जिस प्रकार से कहानियो को पढ़ते हैं आपका जो समझाने का तरीका है महोदय ! मुझे आप जैसा बनने के लिए बहुत प्रेरित करता है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Munshi ji mahaan lekhak the ,,,bada darad hai unki kahaniyon me ,,,or samajik jeevan par adharit,,,,,,or bilkul sachhi hoti hain kahaniyan,,,,,
आँखे नम हो गई मुंशी जी कि कहानी और मनोज जी आपके वक्तव्य को सुनकर और एक किसान का बेटा होने के नाते गिरधारी जैसे एक कर्मठ किसान के पुत्र पर गर्व करता हूँ। जय जवान जय किसान💪💪
300 से ज्यादा कहानियाँ लिखने वाले, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद आज इस भौतिक जगत में तो नहीं हैं, लेकिन अपनी अमर कृतियों के कारण ही इस भुवन में अमर हैं।
मुंशी जी की कहानियाँ रस की पिच कारिया हैं, जहाँ से तोड़िये रस ही रस निकलता है।
मैं अपने जीवन काल तक मुंशी जी को प्रणाम करता रहूँगा। ❤❤❤❤❤
मुंशी प्रेमचंद जी हमारे भारत के अनमोल रतन थे... ये कहानी नहीं उनकी भावनात्मक देखी हुई कहानी होगी ❤❤❤🙏🙏🙏
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My Dada ji had numerous books (novels, stories) of
Premchand ji,and other great Indian writer...I feel very fortunate that my dada ji gave all books to me....
His books are like treasure for me!!!
One of those treasure is collection of novels and stories by munshi premchand 🙏
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Thank you sir for bringing this story to us🙏
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बहुत ही मार्मिक एवं सजीव चित्रण प्रेमचंद्र जी के द्वारा।
आपकी वाणी ने इसकी सजीवता में चार चांद लगा दिए।
List of those all book?
All movei fail. This level drecter not available it's heat to worj
मनोज जी प्रणाम आपने कहानी सजीव कर दी मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियां आज भी समाज में प्रासंगिक हैं
मनोज भैया आप नयी पीढ़ी को हमारे हिन्दी साहित्य के पुराधाओं के बारे में, उनके पवित्र चरित्र के बारे में जागरूक कर रहे हैं। आपको सादर प्रणाम 🙏🏻❣️ मुंशी प्रेमचंद जी वास्तव में हर शिक्षित और अशिक्षित ग्रामीण पृष्ठभूमि के व्यक्तियों में आज भी बसा करते हैं। कोटिशः नमन उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को 🙏🏻🙏🏻❣️
मुंशी प्रेमचंद जैसा कहानीकार को आज शायद वो सम्मान नहीं मिला जो मिलना चाहिए आप इस दिशा में बहुत बड़ा काम कर रहे हैं आपका आभार🙏🙏
👌👌 मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत चित्रण, आपकी गम्भीर वाणी ने इसे और भी सजीव बना दिया ।
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी स्वयं ज़िन्दगी भर आभावों से जूझते रहे इसलिए उनकी हर रचना में गांवों और गरीबी का बहुत महीन चित्रण किया गया है जो हर व्यक्ति की आत्मा तक को झकझोर कर रख दिया है
कोई अभाव नही था उन्हे । अच्छी जानकारी लेकर आइये।
प्रणाम जी 🙏🙏
आपके पढ़ने का अंदाज हर प्रसंग को जीवित कर उसे खुली आंखो से देखने,दिखाने पर मजबूर कर देता हैं।
कमल का वाक्चातुर्य हैं आपमें।हम बस सुनते ही रहना चाहते हैं।🙏🙏
Meri poetry ko vi Moka de plz.Muje vi AP jese darshko ki jrurt h
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मनोज सर जी आप जैसे कवियों की हमारे देश में बहुत जरुरत है। इस कहानी के लिए आपको कोटि कोटि प्रणाम करता हूं 🙏🙏।
मुंशी प्रेम चंद की कहानी सुनकर मनोज जी
दिल को छू लेने वाली कहानी है आपको दिल से धन्यवाद
धन्यवाद मनोज जी 🙏🙏🙏
hdZ
मुंशी प्रेमचंद जी का गोदान पढ़ के पास हुए है collage मैं! बहुत सुन्दर चित्रण करते हैँ 🙏🏻बहुत कुछ सिखने को मिला
मुंशी जी के लेखन और आपके वाचन के जादू में खो कर आँखे नम हो गई 😥
जितनी सुंदर ढंग से इसे मुंशी जी ने लिखा है उतने ही सुंदर ढंग से आपने सुनाया मन गदगद हो गया इस रचना को सुनकर
नमन है मुंशी जी को
मुंशीप्रेमचन्द जी आज भी भारत देश मे लोगो के दिलो पर राज करते हैं , आप इतिहास की सच्चाई को उजागर करते रहें हम सभी साथ है ।।
जय हिन्दू रष्ट्र वन्देमातरम 💐💐💐💐👍💐💐💐
जिस भाव से प्रेमचंद जी ने यह कहानी लिखी थी उसी भाव से आपने हमें सुनाया है और हमें भावविभोर कर दिया है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।🙏
बहुत बहुत धन्यवाद sir 🙏🙏🙏🙏🙏 जीतने मनोबल से मुंशी जी ने ये कहानी लिखी उससे कई ज्यादा भाव से आप ने सुनाई।🙏🙏🙏🙏🙏
Great sir....it is always glad to hear your inspirational and patriotic videos. Kindly make a video series on unforgettable Real Heroes of India who remained unsung eg: Ram Prasad Bismil, SagarMal Gopa etc. There are lot of such personalities. It is my humble request to yu if yu can manage from your busy schedule. Many people will get these precious information and and know about their highest sacrifice and contribution to Maa Bharti. Jai Hind🇮🇳 🙏🏻
Plz meri poetry ko vi Moka de plz.Muje vi AP jese shrotau ki jrurt h
स्वर्णिम है वह कलम जिसने ये बलिदान लिखा साथ ही नमन आपको भी है मनोज सर सुनकर आंखे भर आई।
जिस भाव से आदरणीय प्रेमचंद जी ने लिखा वही भाव आपके वाचन में भी है।
बलिदान कहानी स्कूल की बेंचो पर बैठकर कई बार पढ़ी ,तब शायद इसमें कुछ छूट गया था। लेकिन अब इस कहानी का एक एक शब्द तीर कि तरह ह्रदय को छू गया है। सर बहुत-बहुत धन्यवाद।
Meri poetry ko vi Moka de plz.Muje vi AP jese darshko ki jrurt h
मनोज भाई साहब आप को सत सत नमन आप इस कहानी को कितने अंछे भाव से प्रगट किये है की सुनने बाला कभी भी किसी किसान की जमीन हणफने की कोसिश नही करेगा आप को मेरा प्रणाम 🙏🙏
मुंशी प्रेमचंद की कविता आज भी अमर है उन्होंने किसान के जीवन पर बहुत अमूल्य रचना लिखी है वो हमेशा अमर रहेंगे
Meri poetry ko vi Moka de plz.Muje vi AP jese darshko ki jrurt h
मनोज जी आपका आभार। जो आपने बड़े मनोभाव से कहानी सुनाई। कभी हमने किताबों में लिखी कहानियां वगैरा परीक्षा पास करने की दृष्टि से पढ़ी थी मगर आज जेहन में बहुत अन्दर तक चली आती हैं। बहुत आनन्द आता है प्रेमचन्द जी को फ्ढ़कर सुनकर।
साहित्य के सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी के चरणों में बारंबार नमन
🙏🙏
Plz ek bar meri poetry ko vi Moka de plz.Muje vi AP jese darshko ki jrurt h
मुंशी प्रेमचंद की यह करुणामयी कहानी किताबों में ही रह जाती और लोग किताब उठाने की जेहमत भी न करते.... लेकिन आप ने इस कहानी को अपनी जिस मधुर आवाज और निष्ठा के द्वारा हम लोगों तक पहुँचाया उसके लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद। 🙏🙏
मैं वो पथिक हूँ
जो चला है वीरान रस्तों पर,
भरी दोपहरी नंगें पांव
जिसने दर्द सहा हो,
रिस्ते हुए घावों का
उसका ये काँटें क्या रस्ता रोकेंगे
तुम क्या मुझको रोक पाओगे?
-कविता
👏👏
मनोज भाई आपका बहुत बहुत आभार 🙏🙏 मुझे माफ़ करना मैं आपको sir नहीं बोल पाऊंगा क्योंकि sir कहने से शायद मुझे वो अपनापन महसूस न हो पायेगा । ये कहानी मैंने बहुत समय पहले पढ़ी थी परन्तु आज आपके मुखारबिंद से सुनकर हृदय द्रवित हो गया है , मैं उत्तराखंड से हूँ और गांव में रहता हूँ । मैं भी अपनी स्थिति को गिरधारी के समीप पाता हूँ हालाँकि गिरधारी की अपनी मजबूरियां और मेरी बेबसी कुछ और है मैं बंजर हो चुके खेतों को देख धान पकने की सुगंध को फिर से महसूस करना चाहता हूँ परंतु फिलहाल ये सिर्फ मेरी कल्पनाओं में ही सम्भव है। और महान शब्दकार प्रेमचंद जी के बारे में मैं कुछ कह सकूँ मेरी इतनी हैसियत नहीं ।
मुंशी प्रेमचंद जी के जैसा उपन्यासकार कोई नहीं हमारे सबसे पसंदीदा कवि हैं।
Thank you Bhai
Lekhk h
Vo kavi ni h mahashay vo ek lekhak h
True
ये कहानी मैंने बचपन मे भी पढ़ी थी लेकिन आज आपसे सुना तो बहुत अच्छा लगा और ये भी सीखा की परिस्थितियाँ इंसान को तो अंदर से तोड़ देती हैं और बहुत कुछ सिखा भी देती हैं 🙏🙏🙏🙏🙏
सर आप को कोटि-कोटि नमन आपने मुंशी प्रेमचंद्र की कहानी इतना अच्छा से सुनाए दिल भर आया जय हिंद जय भारत 🙏🙏🙏🙏
सर आपकी लेखनी का और बोलने की शैली का बहुत ही बड़ा कदरदान हूं बहुत ही बढ़िया सुनाया आपने ! प्रणाम ,❤️🙏
बालिदान कहानी आप से सुने के लिए कब से इंतजार था आपने मेरी विनती को स्वीकार किया आज इतनी खुशी हो रही है मैं बता नहीं सकता, धन्यवाद गुरुजी 🙏🙏🙏🙏🙏
हमने यह कहानी कई बार पढ़ी है पर आपके शब्दों में सुनकर आखों में आंसू आ गए 🥺
I was so lost in this story and imagined everything as if every this is going in front of my eyes . what a narration !! what a Writer !!
@Rupendra Sharma I am writing comment in English doesn't mean I don't live in village 😂
@Rupendra Sharma greater Noida
Girdhari bn ke kahani suni..aankhe num hu uthi ....Shahab you are mindblowing 🙏
वाकई बेहद कारुणिक और दर्दनाक कहानी! ऐसी कहानियों के लेखक को कोटि - कोटि नमन व अभिनंदन!
ये सुन कर मै शब्दहीन हो चुका हूँ कि जैसा पहले था अभी कुछ वेसा ही अब भी हर रोज न जाने कितने किसान ऐसा करते हैं जय जवान जय किसान 🙏🙏🙏 हर हर महादेव🙏
मनोज जी आपको कोटि कोटि नमन। मुझे पहले मुंशी प्रेमचन्द की कहानियां सच में समझ नहीं आती थी और इसी वजह मैं एक दो लाइन पढ़ कर रख देता था लेकिन आज आपकी मुख से सुनकर सचमुच मैं धन्य हो गया।
साहित्य को नया नजरिया एवं सम्मान दिलाने का जो पथ आपने ने चुना है वह अनूठा है निश्चित रूप से युवा पीढ़ी और साहित्य प्रेमियों को एक अलग अनुभूति होती है इसके लिए आपका बहुत-बहुत आभार💐💐
अत्यन्त भावुक आख्यान! और अत्यंत भावप्रवण प्रस्तुति!
Great fan of Manoj muntasir.I love your narrative, way to express words through poetry and everyday more and more influenced by great Bharat.Dispite born in different country still I love munchi Premchand, Haribansha Rai Bacchan,Tulashidas and many more....From Nepal, Currently living in Canada.
इन महान ब्यक्तियों के भावनाओ से लिखी कहानी और आपके मन से निकली आवाज को अंत तक सुनते हुए आदमी का ह्रदय एक बार स्तब्ध रह जाता और सोचने पर मजबूर हो जाता हैं कोई इतना गहराई में कैसे जा सकता हैं।
मुंशी प्रेमचंद भारतीय साहित्य और भारतीय संस्कृति के एक महान नायक हैं जिन्होंने अपने विचारों के बलबूते लाखों लोगों के दिलों पर राज किया है, ऐसी संवेदनशीलता उन्हीं के लेखों में देखी जा सकती है। मानवीय समाज के एकदम साधारण पहलूओं को जितनी सहजता के साथ वो दर्शा सकते हैं,शायद ही कोई और दिखा पाए।।।❤️🙏🏻
इस कहानी को सुनने के बाद आंखों में आंसू आ गए।
🙏🏻🙏🏻
मनोज भैया को इतनी शानदार प्रस्तुति के लिए आभार।🙏🙏 लिखित साहित्य को सोशल मीडिया के माध्यम से सहज, सरल और मनोरंजक रूप से घर-घर तक पहुंचाने के लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद। लेकिन भैया आप से मेरी एक मीठी सी शिकायत है। कल कथा-सम्राट प्रेमचंद जी की जयंती थी। जयंती के अवसर पर साहित्यानुरागियों द्वारा उनको नमन करते हुए अनेक पोस्ट सोशल मीडिया पर डाले गए हैं। देख कर अच्छा लगा। लेकिन एक बात को देख कर दुःख भी हुआ। सबने एक सुर से प्रेमचंद को 'मुंशी प्रेमचंद' संबोधित किया है। आपने भी। प्रेमचंद मुंशी नहीं थे। जानकारी के अभाव में प्रेमचंद को मुंशी प्रेमचंद बना दिया गया है। प्रेमचंद के नाम के साथ न तो पुश्तैनी रूप से मुंशी शब्द लगा हुआ था, न ही उन्होंने कभी मुंशीगिरी की थी। यह सच है कि वे कायस्थ परिवार से थे और उस समय कायस्थ लोगों के नाम में मुंशी शब्द का प्रयोग उपनाम के रूप में होता था। यह भी सत्य है कि वे शिक्षक थे और उस समय शिक्षकों को भी लोग सम्मान से मुंशी कहते थे । लेकिन इन दोनों बातों में से कोई भी बात प्रेमचंद के साथ लागू नहीं होती है। प्रेमचंद को न तो उनकी जाति की वजह से मुंशी कहा गया और ना ही उनके अध्यापक होने की वजह से। प्रेमचंद के नाम में कभी भी मुंशी शब्द का प्रयोग हुआ ही नहीं है। इस बात का प्रमाण उनकी पत्नी शिवरानी देवी और पुत्र अमृत राय भी दे चुके हैं। प्रेमचंद के नाम के साथ मुंशी विशेषण जुड़ने का एकमात्र कारण यह है कि 'हंस' नामक पत्र प्रेमचंद एवं 'कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी' के सह संपादन में निकलता था। जिसकी कुछ प्रतियों पर 'कन्हैयालाल माणिक लाल मुंशी' का पूरा नाम न छपकर मात्र 'मुंशी' छपा रहता था। साथ ही प्रेमचंद का नाम इस प्रकार छपा होता था-
संपादक
मुंशी, प्रेमचंद
(हंस की प्रतियों पर देखा जा सकता है)।
'हंस के संपादक प्रेमचंद तथा कन्हैयालाल मुंशी थे। परन्तु कालांतर में पाठकों ने 'मुंशी' तथा 'प्रेमचंद' के बीच के कमा ( , ) को गायब कर दिया और दोनों को एक समझ लिया और इस तरह 'प्रेमचंद'- 'मुंशी प्रेमचंद' बन गए। जो लोग इस बात को नहीं जानते हैं, उनके लिए प्रेमचंद, मुंशी प्रेमचंद हैं लेकिन हिंदी साहित्य के जानने और समझने वाले लोग जब इस तरह प्रेमचंद के नाम से पहले मुंशी का प्रयोग करते हैं तो अच्छा नहीं लगता है।
- मुकेश रंजन
Unbreakable Love For M... Muntashir 🥰🥰
अद्भुत मनोज सर आज मैं प्रेमचंद की तीन कहानी आपकी सुनी। प्रेमचंद जी की सारी कहानी और उपन्यास पढ़ने से ऐसा प्रतीत होता है की उस कहानी को जी रही हू । अद्भुत लेखनी है उनकी🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Manoj Muntasheer ji aap ke presentation ko pranam and great poet munshi premchand ji ko naman.🙏🙏🙏🙏🙏Godan khilonewala primary school sylabus main padhi thee makhan lal chaturvedi ji ki pushp ki abhilasha ke shabad aaj bhi jahan main ghoom rahe hain but true words by you that we are losing reading habits and when we read we read shekspeare and others europian and american but not our own munshi premchand ji ramdhari dinkar, ravindra nath tagore,amrita preetam,,makhanlal chaturvedi ji tulsidas surdas,kabir rahim valmili ki ji sab ko bhulte ja rahen.🙏👍👌
महान लेखक मुंशी प्रेम चंद को मेरा प्रणाम🙏🏻🙏🏻🙏🏻,,
मैने इस कहानी के हर वाक्य और उसमें समाए भाव को महसूस किया। एक किसान और अपने खेतों से उसका रिश्ता लाजवाब है भावुक करने वाला है।।। मैं भी एक किसान का बेटा हूं।।
जहाँ विश्वास है, वहाँ सबूत देने की जरूरत नहीं होती,
आखिर 'गीता' पर भी कहाँ 'भगवान श्री कृष्ण'
के 'दस्तखत' हैं..
💐 राम-राम जी 💐
मानव चित्त के चितेरे प्रेमचंद की कहानियों का पिटारा खोल कर रखने के लिए आभार, मनोज!
सर आप इतने प्रसिद्धि पाने के बाद भी जमीन से ही जुड़े ही हैं...भारतीय संस्कृति को बचाये रखने के लिए भारत को आप जैसे महान लोगों की ज़रूरत है 🙏🙏🙏🙏🙏 आपका बहुत- बहुत आभार!
रात्रि के 1:27 हुए है मेरी आंखों से आंसू और हृदय चीर देने वाला दर्द मन में भरा हुआ है मेरे मुंह से सिर्फ एक आवाज आई हे राम! ये क्या हुआ......आज भी लाखो किसान ऐसे है ऐसे प्रेमचंद जी ऐसा साहित्य और ऐसा बखान....ऐसी कहानी आप को प्रणाम प्रेमचंद जी और शुक्ला जी प्रणाम❤️❤️
Wonderful work sir it always inspires me as a student to write and narrate more.
Plz meri poetry ko vi Moka de plz.Muje vi AP jese shrotau ki jrurt h
मुंशी प्रेमचंद की इस लेखनी को हम लोगो के बीच पेश करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया ।
❤❤❤❤❤❤❤❤❤
इसी तरह की और कहानीयो की आपसे उम्मीद
करते है।
Maine yahan paath kaksha 10 mein padha tha aur पढ़ते-पढ़ते aankhon mein aansu a gaye 🥺🥺 the words great artist Munshi Premchand
कितना भयावह दर्द हैं इस कहानी में ,सुनते वक्त आंखो में आंसुओ का सैलाब उमड़ कर बह रहा था। माननीय मुंशी प्रेमचंद जी ने कहा से ऐसा जिगरा पाया था जो उनकी कलम सिर्फ लिखती ही नहीं हर शब्द शब्द बोलती हैं।और आपके क्या कहने अपने तो उसे सजीव चित्रण कर दिया हम खुद को नसीबो वाले समझते हैं जो हमें भगवन ने आपसे मिलाया ,आपको सुनने की मन में ललक जगाई ।आपका ये कार्य निरंतर चलता रहे,हम आपको सुनते रहें।कान्हा जी सब जानते हैं,वो आपको स्वस्थ रखें,मस्त रखें,खुशियों से भरपूर जबरदस्त रखें।शुभरात्री मनोज जी 🙏🙏
राधे राधे जी 🙏🙏
आपका बहुत बहुत धन्यवाद की आपने इतनी सुंदरता से प्रस्तुत किया❤️
Ise sunkr aisa lg rha h jaise.. Saamne chal rhi ho y to hamara saubhagaya h ki aapse sunne ko mili
.... Sacchi rone jaisa man ho gya hai......
सर हम भी कीसान के ही बेटे है मुंशी प्रेमचन्द जी की ये कहानी सुन के हमको अपना बचपन याद आ गया अपने खेत की मिट्टी की खूशबू ही अलग है 🙏👍लास्ट तक तो आंसू आने लगे❤️❤️❤️🚩🚩 🙏🙏
प्रेमचंद हिंदी साहित्य के वास्तविक जीवन में हुए घटनाओं को उकेरते है और सर आप उसे सुनाकर उन घटना को जीवन्त कर देते हैं,🙏🙏🙏🙏
I am grandson of Sahukar, my grandfather died before I was born. My father once visiting a small village and someone recognized him and got very emotional he told him how my grandfather gave away land away in Bhumi Dhan movement even my father and uncles didn't knew about it, we all felt a sense of pride in our ancestor I proud of him and whatever he was.
आपने मुंशी जी की कहानी को हमारे मष्तिष्क में चलचित्र की तरह उकेर दिया,,,,,आपकी आवाज में कहानी का असल भाव झलकता है,,,,,धन्यवाद🤗
He had a very tough n rough life..he struggled so much in life since he was Born.....wen u read abt him u'll start crying....💔
धन्यवाद सर जी।बलिदान कहानी के हर एक पात्र को एक बार फिर से मेरे सामने रखने के लिए।क्योंकि मैंने यह कहानी कथा भारती नामक किताब में कक्षा 12 वी में पढ़ा था...जय हिन्द सर जी।
Munshi Preamchand ji has been all time great writer . The way he portrayed the contemporary real life scenario in his books & stories is unmatched.
Salute to this greatest writer ( महारावल) ।
उपन्यास सम्राट श्री मुंशी प्रेमचंद जी का गोदान मेरा सबसे प्रिय उपन्यास है।
मुंशी जी का हिन्दी साहित्य में अविस्मरणीय योगदान रहा है।
Read this story earlier also but the way you narrated made the story all the more touching and appealing 👍
इसे कहते हैं heart touching story 💔💔 shakespear थे, उसी tarah मुंशीप्रेमचंद थे bs yhi चाहते है सम्मान बराबर हो बो अपनी जगह ये अपनी जगह 🙏🙏🙏 लव यू मनोज मुंटासिर जय हिन्द
मनोज सर आभार तो आपका, क्योंकि आप के माध्यम से आज प्रेमचंद्र जीवित हैं।
बहुत ही अच्छी रचनाओं का संकलन है मुंशी प्रेमचंद जी का
बहुत बहुत आभार 🙏
It was really a very detailed oriented video with best presentation that you put forth. I thank you and acknowledge for bringing up the dead to life for people who aren't not even interested knowing the content but really behind western things . Thank you
मनोज जी आप कभी तो रुला देते आँखों मे आँसू लादेतो हो कभी सीना इतना छोड़ा कर देते हो कि इस भारत मे पैदा होने पर गर्व होता है धन्य हो आप 🇮🇳🇮🇳🚩🚩🚩
really this heart touching, and today I realised the power of munsi premchand
no more words to say, charan vandhna to our indian writer 💕
❤️श्रीमान ! हम भी बहुत गहराइयों में इस तरह मेरे प्रिय मुशी प्रेमचंद की कहानियों को ,प्रकृति की खूबसूरती ,और अपनी पुराणों की ज्ञान के समुन्द्र में समा जाना चाहता हु
लेकिन कमबख्त इस जमाने की सोच (पहले बोर्ड पास कर ले ,neet निकाल ले)ने मेरी अपनी इच्छा को दबा कर रख दिया है ।
He’s was very brave man wen I read about him,I started crying 😭
आपने जितनी मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियां अभी तक सुनाएं मैंने सब सुनी और ऐसा लग रहा था जैसे कि मानो सब मेरे आंखों के सामने हो रहा है सिनेमा में बैठ कर दे देख रही हूं धन्यवाद सर हो सके तो आप ऐसी और वीडियो बनाएं अच्छा लगेगा हमें🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
My favourite story sir ❣️ बलिदान just ek कहानी nhi it is emotion sir 😢😢🙏🙏🥰🥰❣️❣️❣️
Dil ko chhu Jane vali behud sunder , Munshiji ki kahani Manoj ji se sunkar aankh nam ho gayi.
मुंशी प्रेमचंद की कृतियों के साथ वे भी अमर हो गए। 🙏🏻💐
Thank you very much sir....aapke mukh se mahan kavi munshi premchand ki rachana balidaan sun kar bhut accha laga🙏😊♥️
Sir bahut wait karne ke baad finally aap story par come back kya hai 🙏🙏🙏 but i am never forget munshi premchand ji and Hindi ,, Jai Hind 🇮🇳🇮🇳🇮🇳
What a great story. I have gone to that class room where I have read thus again and again. What a great narration....please carry on this journey as you are one of Karndhar of Indian literature.....
*His stories open your eyes and keeps your mouth opened*
मुंशी प्रेमचंद की कहानी सिर्फ कहानी अमर गाथा है हमारे देश का स्वर्णिम दौर था हमे गर्भ है की हम भारत के धरती से है जहां महान कवि और लेखक का घर था शत शत नमन है आपको जो आपने हमे ये अनमोल कहानी सुनाते है I 🙏
Munshi premchand is a great writer....... 🙏🙏❤❤thanks sir 🙏🙏🙏🥰🥰🥰
Plz meri poetry ko sune ji.Muje vi AP jese darshko ki jrurt h
Ok jii😍
Munsi premchand ji ke balidan se parichay Krane k liye .... Manoj sir aap ka koti koti naman .........love u sir❤️
Munshi Premchand ki rachnaye hmesha Dil ko chhu leti hai ❤️
मनोजजी !
आपके मुखारविंद से मुंशी प्रेमचंद को सुनना रोम-रोम को आह्लादित करता है।🙏
मुन्शीप्रेमचन्द ने कहानी नहीं बल्कि समाज का सच लिखा है । 🙏
Ham sabko ye chahiye ki, ham keval परीछाओ me uttarin hone ke liye nahi, बल्कि कुछ sikhne ke liye padhe.
जय मुंशी प्रेमचंद्र.🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
मुंशी प्रेमचंद जी एक यथार्थ लेखक थे, उनकी रचनायें पढ़ने पर हमेशा रोमांचित कर देती है
Very heart touching story,, aakho me aashu aa gye