@@kamladutt9114 या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए जब तक किसी की ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ सँवर न जाए मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए मैं आज गुलसिताँ में बुला लूँ बहार को लेकिन ये चाहता हूँ ख़िज़ाँ रूठ कर न जाए पैदा हुए हैं अब तो मसीहा नए नए बीमार अपनी मौत से पहले ही मर न जाए कर ली है तौबा इस लिए वाइज़ के सामने इल्ज़ाम-ए-तिश्नगी मिरे साक़ी के सर न जाए
Thank you once again, Gagan Saab. One dose a day will be good enough for rest of my life
Beautifully sung! I have never heard this one before.
❤❤❤ Thanks for yet another gem.
Nayaab gem by the Genius ❤
How many can understand the the first three ashar. It is just out of box thinking in Urdu poetry ❤
Behtreen Kalaam aur Adayegi Lajawaab !! ❤
Today i got lil time to check YT and here it is.
Wah kya baat hai! What an outstanding way of presenting as per her vision ❤❤❤
Thank you for sharing 🙏
Thank you Gagan Afzal ji fir sharing such a rare gem of Begum Akhtar Sahiba! It is mesmerizing 🙏🎶💖
Historical Recording of this Queen of Gazal …. Thanks ! Is the Photograph from the same Maifils ? On the Harmonium you see Appa Jalgaonkar !
Kar lee he toba isliye waiz ke saamne..fir ilzaam-e-tashngi mere saqi ke ghar na jaayein..
I think singing is perfected with poetry.
❤❤❤❤
ilzame tishnagi saki ke nam na jaye kya andaz sayar ka puri gazal samajh nahi pai jo samajh aaya gam ka asar najaye shukriya gagan ji kamla dutt
@@kamladutt9114
या रब मिरी हयात से ग़म का असर न जाए
जब तक किसी की ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ सँवर न जाए
मेरे जुनूँ को ज़ुल्फ़ के साए से दूर रख
रस्ते में छाँव पा के मुसाफ़िर ठहर न जाए
मैं आज गुलसिताँ में बुला लूँ बहार को
लेकिन ये चाहता हूँ ख़िज़ाँ रूठ कर न जाए
पैदा हुए हैं अब तो मसीहा नए नए
बीमार अपनी मौत से पहले ही मर न जाए
कर ली है तौबा इस लिए वाइज़ के सामने
इल्ज़ाम-ए-तिश्नगी मिरे साक़ी के सर न जाए
Appa Jalgaokar on harmonium
@@manoharbodas618 no. Only in the pic. This is an older recording. No Appa here. ( To my great relief!)