Very well said , I agree that without the Gyannam aur Dhiyannam there is no Santanaam ! Formula is hidden with every human being but amazingly trapped in the 3D world. Very sad . Mann aur Maya ke jaal hai my friends. Sabadh guru ki jay ! Satnam .
🙏🙏 waheguru ji itni deep giyan dene ke liye bohat bohat dhanwad app ki video ka hamesha intzar rehta hai thora sa gurbani ke ucharn me galti ho jati hai pls uss ka dhiyan rakha jaye app ji maffi to mang lete hai phir bhi Jaye nahi hai jhadaye hai ਛਡਾਇ hai waheguru ji aur gurbani me chotti ee ki matra nahi boli jatti ji gurmukhi nahi gurmukh bola jata hai bakki giyan ke liye bohat bohat dhanwad waheguru ji sab par kirpa kar ji 🙏🙏
आपका संदेश पढ़कर दिल को बहुत खुशी हुई। आपके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया और सुझावों के लिए दिल से धन्यवाद। गुरबानी के उच्चारण में यदि कोई त्रुटि हो जाती है तो उसके लिए मैं क्षमा चाहती हूँ। यह त्रुटियाँ मेरी भाषा पंजाबी न होने के कारण होती हैं। फिर भी, मैं हमेशा प्रयास करती हूँ कि हर शब्द सटीक हो। आपके स्नेह और आशीर्वाद के लिए मैं दिल से आभारी हूँ। कृपया अपना स्नेह और समर्थन इसी तरह बनाए रखें। वाहेगुरु जी सभी पर कृपा करें। धन्यवाद।
“मध्यस्थता (ध्यान) की अंतिम अवस्था को ‘समाधि’ कहा जाता है। यह अवस्था वह स्थिति है जहां साधक का मन पूरी तरह से स्थिर और शांत हो जाता है। इस अवस्था में विचारों और भावनाओं का कोई प्रभाव नहीं रहता, और साधक अपनी आत्मा और परमात्मा के साथ पूर्ण एकत्व का अनुभव करता है। इसे आनंद, शांति और पूर्णता की अवस्था माना जाता है। यह वही क्षण है जब आत्मा अनंत के साथ मिल जाती है और ध्यान की यात्रा अपने चरम पर पहुंचती है।”
“आत्मा को यह अनुभव तब होता है जब वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परम शांति और आनंद की अवस्था में प्रवेश करती है। यह स्थिति ध्यान, ब्रह्मज्ञान और सत्संग के माध्यम से प्राप्त होती है। कबीर साहिब ने भी कहा है: ‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं। सब अँधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं।’ इसका अर्थ है कि जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो अहंकार और अज्ञान मिट जाते हैं और आत्मा को मुक्ति का बोध होता है।
Pichle janmo me agar sadhna adhuri rah jaye to agle janam me kese continue rakha jaye or kya lakshan milte hai ki pichhle janmo me sadhna adhuri rah gyi thi kripa kar ek vedio es pr bhi banaye dhanyavad.
“भाई जी, सुमिरन और ध्यान का अर्थ केवल अनुभव करना नहीं, बल्कि एक दृढ़ निष्ठा और विश्वास के साथ परमात्मा की ओर बढ़ना है। कभी-कभी अनुभव तुरंत नहीं होता, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपका सुमिरन व्यर्थ है। यह यात्रा धैर्य और समर्पण की है। कृपया अपने सुमिरन में निरंतरता बनाए रखें, और अपने मन को निर्मल रखें। गुरु महाराज की कृपा से सही समय पर आपको दिव्य अनुभव अवश्य होगा। सत्संग में जुड़े रहें और गुरु के बताए मार्ग पर चलते रहें। 🙏🌸”
ध्यान के दौरान होने वाले सिरदर्द को समझने के लिए सबसे पहले अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति का अवलोकन करें। यदि यह दर्द ध्यान शुरू करते ही तुरंत होता है और लगातार बना रहता है, तो यह गलत मुद्रा, तनाव, या शरीर की किसी सामान्य समस्या का परिणाम हो सकता है। लेकिन यदि यह दर्द ध्यान में गहराई के साथ आने वाली ऊर्जा का अनुभव कराता है, जैसे मस्तिष्क के केंद्र में गर्माहट, हल्की तरंगों का अनुभव, या प्रकाश की अनुभूति, तो यह आध्यात्मिक ऊर्जा का संकेत हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि आप ध्यान के दौरान अपने माथे के केंद्र पर देखने की कोशिश करते हैं, तो इससे भी सिरदर्द हो सकता है, क्योंकि मस्तिष्क के इस भाग पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करने से मानसिक थकावट हो सकती है। इस स्थिति में यह महसूस करें कि आपका मन और शरीर इस अनुभव के प्रति शांत और सहज हैं या नहीं। यदि समस्या लगातार बनी रहती है, तो अपने दैनिक जीवन में जल की कमी, नींद की कमी, या अन्य शारीरिक कारणों पर ध्यान दें। साथ ही, अपने गुरु या किसी आध्यात्मिक मार्गदर्शक से सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है। ध्यान में संतुलन और सहजता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
बहुत ही अच्छा समझाया हे प्रभु के बारे में,🎉 बहना🎉 चरण स्पर्श,
Regards
Har. Har. Mahadev. Ji
🙏🙏🙏
Satnam wahaguru ji 🙏
🙏🙏
Radha soami ji ❤❤❤❤❤
Regards
Meri behan ne ek bahut he गुड रहस्य की बात बताई है मेरा sat sat naman है uski chetna ko🙏🙏
Regards
कोटि कोटि नमन
🙏🙏
🙏🙏
Thanks sir 🙏
🙏🙏🙏
Apki kripa muj par sada bani rhe🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙂🙂
Very well said , I agree that without the Gyannam aur Dhiyannam there is no
Santanaam !
Formula is hidden with every human being but amazingly trapped in the 3D world.
Very sad .
Mann aur Maya ke jaal hai my friends.
Sabadh guru ki jay !
Satnam .
🙏🙏🙏
Very inspiring video❤
Regards 🙏
Very knowledgeable...
🙏🙏🙏
Radhe Radhe ji 🙏🙏
🙏🙏
🙏🙏 waheguru ji itni deep giyan dene ke liye bohat bohat dhanwad app ki video ka hamesha intzar rehta hai thora sa gurbani ke ucharn me galti ho jati hai pls uss ka dhiyan rakha jaye app ji maffi to mang lete hai phir bhi Jaye nahi hai jhadaye hai ਛਡਾਇ hai waheguru ji aur gurbani me chotti ee ki matra nahi boli jatti ji gurmukhi nahi gurmukh bola jata hai bakki giyan ke liye bohat bohat dhanwad waheguru ji sab par kirpa kar ji 🙏🙏
आपका संदेश पढ़कर दिल को बहुत खुशी हुई। आपके द्वारा दी गई प्रतिक्रिया और सुझावों के लिए दिल से धन्यवाद। गुरबानी के उच्चारण में यदि कोई त्रुटि हो जाती है तो उसके लिए मैं क्षमा चाहती हूँ। यह त्रुटियाँ मेरी भाषा पंजाबी न होने के कारण होती हैं। फिर भी, मैं हमेशा प्रयास करती हूँ कि हर शब्द सटीक हो।
आपके स्नेह और आशीर्वाद के लिए मैं दिल से आभारी हूँ। कृपया अपना स्नेह और समर्थन इसी तरह बनाए रखें। वाहेगुरु जी सभी पर कृपा करें।
धन्यवाद।
OmNamahshivay
OM 🙏🙏
👣🙇🌺🪷🪔🙏
🙏🙏🙏
Please discribe last stage of mediation.
“मध्यस्थता (ध्यान) की अंतिम अवस्था को ‘समाधि’ कहा जाता है। यह अवस्था वह स्थिति है जहां साधक का मन पूरी तरह से स्थिर और शांत हो जाता है। इस अवस्था में विचारों और भावनाओं का कोई प्रभाव नहीं रहता, और साधक अपनी आत्मा और परमात्मा के साथ पूर्ण एकत्व का अनुभव करता है। इसे आनंद, शांति और पूर्णता की अवस्था माना जाता है। यह वही क्षण है जब आत्मा अनंत के साथ मिल जाती है और ध्यान की यात्रा अपने चरम पर पहुंचती है।”
@Santmatt thanks sir
आत्मा को कैसे पता लगता हैं मुक्ति मिल गई किस अनुभव से
“आत्मा को यह अनुभव तब होता है जब वह सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर परम शांति और आनंद की अवस्था में प्रवेश करती है। यह स्थिति ध्यान, ब्रह्मज्ञान और सत्संग के माध्यम से प्राप्त होती है। कबीर साहिब ने भी कहा है:
‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं।
सब अँधियारा मिट गया, जब दीपक देख्या माहिं।’
इसका अर्थ है कि जब आत्मा परमात्मा से जुड़ती है, तो अहंकार और अज्ञान मिट जाते हैं और आत्मा को मुक्ति का बोध होता है।
Pichle janmo me agar sadhna adhuri rah jaye to agle janam me kese continue rakha jaye or kya lakshan milte hai ki pichhle janmo me sadhna adhuri rah gyi thi kripa kar ek vedio es pr bhi banaye dhanyavad.
For sure🙏🙏
सूमिरन करते वक्त जब ध्यान लगाते हैं तो कुछ भी अनुभव नहीं हो रहा है तो क्या हमारा सुमिरन व्यर्थ है कृपया मेरा मार्गदर्शन करें जी 🙏🙏🙏🙏
“भाई जी, सुमिरन और ध्यान का अर्थ केवल अनुभव करना नहीं, बल्कि एक दृढ़ निष्ठा और विश्वास के साथ परमात्मा की ओर बढ़ना है। कभी-कभी अनुभव तुरंत नहीं होता, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आपका सुमिरन व्यर्थ है। यह यात्रा धैर्य और समर्पण की है। कृपया अपने सुमिरन में निरंतरता बनाए रखें, और अपने मन को निर्मल रखें। गुरु महाराज की कृपा से सही समय पर आपको दिव्य अनुभव अवश्य होगा। सत्संग में जुड़े रहें और गुरु के बताए मार्ग पर चलते रहें। 🙏🌸”
Sar Dard hota hai meditation ke dauran Insan Kaise samjhe ke yah Urja hai ya ya koi normal Dard Hai
ध्यान के दौरान होने वाले सिरदर्द को समझने के लिए सबसे पहले अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति का अवलोकन करें। यदि यह दर्द ध्यान शुरू करते ही तुरंत होता है और लगातार बना रहता है, तो यह गलत मुद्रा, तनाव, या शरीर की किसी सामान्य समस्या का परिणाम हो सकता है।
लेकिन यदि यह दर्द ध्यान में गहराई के साथ आने वाली ऊर्जा का अनुभव कराता है, जैसे मस्तिष्क के केंद्र में गर्माहट, हल्की तरंगों का अनुभव, या प्रकाश की अनुभूति, तो यह आध्यात्मिक ऊर्जा का संकेत हो सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि आप ध्यान के दौरान अपने माथे के केंद्र पर देखने की कोशिश करते हैं, तो इससे भी सिरदर्द हो सकता है, क्योंकि मस्तिष्क के इस भाग पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित करने से मानसिक थकावट हो सकती है।
इस स्थिति में यह महसूस करें कि आपका मन और शरीर इस अनुभव के प्रति शांत और सहज हैं या नहीं। यदि समस्या लगातार बनी रहती है, तो अपने दैनिक जीवन में जल की कमी, नींद की कमी, या अन्य शारीरिक कारणों पर ध्यान दें। साथ ही, अपने गुरु या किसी आध्यात्मिक मार्गदर्शक से सलाह लेना भी फायदेमंद हो सकता है। ध्यान में संतुलन और सहजता बनाए रखना सबसे महत्वपूर्ण है।
जेथे जातो तेथे तु माझा सांगाती.
🙏🙏