Om namah Shivay koti koti pranam Gurudev Guru Purnima ke din jinke Guru nahin Hai vah kiska Samman Karen jeev jantuon ka ya mandiron mein jaen❤ आत्मा गुरु परमात्मा गुरु इष्ट गुरु मार्गदर्शन गुरू हमारे किसी शब्द से आपको अच्छा नहीं लगा हो तो हमें क्षमा करें आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव❤❤❤
🙏 आपकी भावनाएँ अत्यंत पवित्र और गहरी हैं। गुरु के प्रति आपका समर्पण और श्रद्धा सच्ची भक्ति का प्रतीक है। गुरु ही वह प्रकाश हैं, जो हमारी आत्मा को अज्ञान के अंधकार से मुक्त करते हैं। आपकी इन शब्दों में छिपा प्रेम और आदर गुरुवर के चरणों में आपकी गहन भक्ति को प्रकट करता है। यदि हम शब्दों से किसी का हृदय जीत सकते हैं, तो वह केवल विनम्रता और सत्य के साथ ही संभव है। आपका यह भावपूर्ण संदेश सभी को प्रेरणा देगा। गुरुदेव के चरणों में बारंबार प्रणाम और आपकी आध्यात्मिक यात्रा में अद्वितीय प्रकाश एवं मार्गदर्शन प्राप्त हो। 🙏❤️”
“आपकी भावनाएं अत्यंत पवित्र और गहरी हैं। गुरु का आशीर्वाद और उनके चरणों की शरण सच्चे आध्यात्मिक मार्ग की पहचान है। जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 4, श्लोक 34 में कहा गया है: ‘तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया। उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः॥’ अर्थात, सत्य को जानने के लिए विनम्रता और समर्पण के साथ ज्ञानी गुरु की शरण में जाओ। वे तुम्हें ज्ञान देंगे क्योंकि वे सत्य के जानकार हैं। गुरु का आशीर्वाद वह दीपक है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर आत्मा को ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। आपकी श्रद्धा और समर्पण इसी मार्ग की ओर प्रेरित करता है। 🙏❤️”
Gurudev pranam aapka video Gurudev bahut kam aate Hain mujhe aisa lagta hai Jaise Dharti aur ped paudhon se aapka Bani aata hai main video mein aapka video dekhne ke liye intezar karta rahata hun aap Jo bolate Hain Satya bolate Hain aur man Ko chhu leta hai Om namah Shivay
“धन्यवाद आपके स्नेह और विश्वास के लिए। यह जानकर खुशी हुई कि मेरी बातों से आपको प्रेरणा और शांति मिलती है। मैं आपके प्रेम और समर्थन का आभारी हूं। प्रयास करूंगा कि और अधिक वीडियो आपके साथ साझा कर सकूं। ओम नमः शिवाय। 🙏”
Bai ek स्वयं का mantar jaap h jo mene lgbag 1.6 se 2 saal jaap kiya usse muje kuch समय बाद nubhav bi hue Or name jaap karte smy sona bi ata tha . Kuch dino dyan yatra bi hue lekin me dar gya jiske karn mene guru ki saran li or usne mujhe mantar diya naam jap k liye 6,7 mahine hi gye hai lekin me dekh pa rha hu na to muje koi anubhav hua hai na koi dyan me pargati or khud me b koi bdlav nhe hua h. Esa lg rha h jese me pehle se b khrab ho gya hu jaam japne se bi esa hi lg rha h or bina jape b khud par koi frak nhe par rha. Sir ap btaiye esi halt me muje kya krna chahiye jo mera स्वयं का mantar tha use japu ya guru ke mantar ko. Bai mujhe sahi rasta btaiye ese me muje kya krna chahiye jisse mujme b bdlav ane lge or dyan me age b bad saku 🙏. Mere liye kya uchit h.
“भाई, आपकी जिज्ञासा और अनुभव बहुत ही विशेष हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि साधना में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं। कभी-कभी साधक को अनुभव में ठहराव महसूस होता है, और यह उसकी यात्रा का एक हिस्सा है। स्वयं के मंत्र और गुरु द्वारा दिए गए मंत्र के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गुरु का दिया हुआ नाम एक आध्यात्मिक मार्गदर्शन और आशीर्वाद के साथ आता है। यह नाम गुरु की कृपा और शक्ति से पोषित होता है, जिससे आत्मा को गहराई से जागरूकता प्राप्त होती है। लेकिन ध्यान रखें, गुरु का पूर्ण होना भी अत्यंत आवश्यक है। पूर्ण गुरु ही सच्चे मार्ग पर ले जा सकता है। वह 5 नाम का सिमरन मंत्र देता है और सूरत-शब्द योग की विधि सिखाता है, जिससे साधक अपनी आत्मा को उच्चतम स्तर पर ले जा सके। आपका प्रयास और श्रद्धा अति महत्वपूर्ण हैं। मेरा सुझाव है कि आप गुरु के दिए गए नाम का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। अगर अनुभव तुरंत नहीं हो रहे हैं, तो भी धैर्य बनाए रखें, क्योंकि आध्यात्मिक परिवर्तन अक्सर अंदरूनी स्तर पर होता है और धीरे-धीरे प्रकट होता है। साथ ही, अपने जीवन में सकारात्मकता और सच्चाई को अपनाएं, सेवा और प्रेम का भाव बनाए रखें। गुरु की शरण में रहकर हर दिन नाम सिमरन करें और अपने दिल से किसी भी प्रकार के संदेह को निकाल दें। आपकी साधना का फल निश्चित रूप से मिलेगा, और यह यात्रा आपको आत्मिक शांति और उन्नति की ओर ले जाएगी। गुरबाणी में कहा गया है: ‘सबद गुरु सुरति धुन चेला।’ यानी, गुरु के शब्द (मंत्र) पर ध्यान लगाना और गुरु की कृपा में पूर्ण विश्वास रखना ही आत्मा को उन्नति की ओर ले जाता है। आपके अनुभव और मनोदशा को समझते हुए, यही कहना चाहूंगा कि अपने गुरु के मार्गदर्शन में आगे बढ़ें और पूरी श्रद्धा से उनके बताए मार्ग का अनुसरण करें। गुरु की कृपा से ही आपका ध्यान और साधना गहराई में जाएगी।”
“नमस्कार जी, मंत्र के साथ ध्यान में उतरने के लिए सबसे पहले मन को शांत और स्थिर करना आवश्यक है। जब गुरु पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ पाँच नामों का मंत्र देते हैं, तो उनका जप करने से मन धीरे-धीरे एकाग्र होने लगता है। यह मंत्र केवल शब्द नहीं होते, बल्कि ये गुरु की कृपा और आध्यात्मिक शक्ति से भरे होते हैं, जो हमारे भीतर की ऊर्जा को जागृत कर हमें ध्यान की गहराइयों में ले जाते हैं। ध्यान के दौरान, आप शांत और एकांत स्थान चुनें, अपनी रीढ़ को सीधा रखें, और अपने मन को मंत्र पर केंद्रित करें। जब भी मन भटकने लगे, उसे धीरे से वापस मंत्र पर लाएं। यह प्रक्रिया समय के साथ आपके भीतर आत्मिक स्थिरता और गहराई लाती है। सतगुरु की कृपा से, जब इस अभ्यास को नियमित रूप से किया जाता है, तो आत्मा दिव्य प्रकाश और ध्वनि से जुड़ने लगती है। इसलिए, धैर्य और प्रेम के साथ इस साधना को जारी रखें। सतगुरु सदा आपकी साधना को सफल बनाएंगे। सतनाम।”
Bai ji sabse pehle Me apke charno me parnaam krta hu,🙏. Bai ji mene lgbag har ek satgang me yaha tak ki apke bi satsang me mene or har ek sant mene apne satsang me ye kehte suna hai k hme धैर्य rakhna chahiye। Bhai जी me धैर्य ke bare me जानना चाहता हु कि धैर्य किसे कहते है धैर्य कैसे किया जाता है और कहा किया जाता है,धैर्य कब कब करना चाहिए। मैं स्वयं कैसे समझूं कि मुझे अब धैर्य रखना चाहिए। है bhai ji हो सकता है मैं अज्ञानता वस इसके बारे में जानते हुए भी कुछ भी ना जनता हो। Bai जी मुझे इसके बारे में detail में बताइए कि मुझे ध्यान साधना के दौरान कब,कहा,ओर कैसे धैर्य रखना चाहिए। Bai जी या तो इसके बारे में एक विस्तार से वीडियो बनाए या मुझे msg में समझाइए। Bai जी में धैर्य और विवेक के बारे में कुछ भी नहीं जानता किरपा मार्ग दर्शाए गुरुस्वरूप 🙏
प्रिय भाई जी, आपका संदेश पढ़कर प्रसन्नता हुई और आपके गहन प्रश्न के लिए मैं आपके चरणों में धन्यवाद करता हूँ। आपने धैर्य, विवेक और ध्यान-साधना के बारे में जो जानना चाहा है, वह न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि आध्यात्मिक पथ पर एक गहन विषय भी है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं और आपके हर प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करते हैं। 1. धैर्य का अर्थ और उसकी महत्ता • धैर्य का अर्थ: धैर्य का अर्थ है कठिन परिस्थितियों में स्थिर रहना और किसी भी कार्य या साधना को बिना विचलित हुए निरंतर करते रहना। यह एक ऐसा गुण है, जो हमें आत्मिक यात्रा में सफल बनाता है। • महत्ता: गुरु का मार्गदर्शन पाना और उस पर चलना तभी संभव होता है जब हमारे अंदर धैर्य हो। धैर्य हमारे भीतर की अशांति को समाप्त करता है और हमें गुरु द्वारा दिए गए निर्देशों पर चलने के लिए तैयार करता है। याद रखें: भक्ति का मार्ग प्यार का मार्ग है। जब सच्चे गुरु से प्यार और पूर्ण विश्वास होता है, तभी भक्ति पूरी होती है। गुरु पर यह विश्वास हमें धैर्य और विवेक से भर देता है, जिससे साधना के हर पड़ाव को पार करना सरल हो जाता है। 2. धैर्य कैसे रखा जाए? • ध्यान-साधना में: जब आप ध्यान कर रहे हों और मन बार-बार भटकता हो, तब गुरु द्वारा बताए गए मंत्र, शबद, या ध्यान के बिंदु पर मन को लौटाएं। हर बार भटकने पर मन को वापस लाने की यह प्रक्रिया ही धैर्य का अभ्यास है। • जीवन में: कठिन समय में खुद से कहें, “यह समय भी बीत जाएगा।” यह सोच हमें गुरु की कृपा और मार्गदर्शन के प्रति जागरूक रखती है। 3. नाम दान और गुरु का महत्व • आध्यात्मिक यात्रा में एक पूर्ण गुरु से नामदान प्राप्त करना आवश्यक है। गुरु ही हमें सही मार्ग दिखाते हैं और यह सिखाते हैं कि इस जीवन का उद्देश्य क्या है। • गुरु का 5 नाम का भेदी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। केवल ऐसा गुरु, जो इन पांच पवित्र नामों का ज्ञान और गहराई से भेद जानता हो, हमें आत्मा के वास्तविक स्वरूप और परमात्मा से जोड़ सकता है। • जब गुरु से सच्चा प्यार और पूर्ण विश्वास होता है, तो साधक की भक्ति फलदायी होती है। महत्वपूर्ण बिंदु: यह मार्ग प्यार और समर्पण का है। हमें बस गुरु के बताए मार्ग पर चलना है। जब हम पूरी तरह तैयार हो जाते हैं, तब गुरु की कृपा स्वतः होती है। 4. धैर्य कब और कहाँ उपयोग करना चाहिए? • ध्यान-साधना के दौरान: जब मन अशांत हो और साधना में गहराई नहीं बन रही हो, तब धैर्य के साथ गुरु पर भरोसा करते हुए साधना करते रहें। • जीवन की परिस्थितियों में: जब कठिनाई या परीक्षा का समय आए, तो गुरु द्वारा बताए गए ज्ञान और विवेक का सहारा लें। यह सोचें कि यह सब गुरु की कृपा और सीखने का माध्यम है। 5. धैर्य और विवेक का संबंध • धैर्य हमें परिस्थितियों को सहन करने और समझने का समय देता है। • विवेक हमें सही और गलत का निर्णय करने में मदद करता है। • गुरु का सान्निध्य और सत्संग ही हमारे भीतर इन दोनों गुणों को मजबूत बनाते हैं। 6. संदेश और सुझाव • गुरु पर विश्वास रखें और अपनी साधना में निरंतरता बनाए रखें। • हर दिन ध्यान और नाम-स्मरण के लिए समय निर्धारित करें। • अपने मन में आने वाले हर प्रश्न को गुरु के चरणों में समर्पित करें। 7. आध्यात्मिक मार्गदर्शन • यदि आपके पास इस विषय में और भी संदेह हों, तो सत्संग में भाग लें या मुझसे और संवाद करें। • गुरु से जुड़कर और उनकी कृपा से ही हमारे जीवन के हर प्रश्न का समाधान संभव है। निष्कर्ष: गुरु की शरण और उनकी शिक्षा ही हमारा सच्चा सहारा है। भक्ति का मार्ग प्यार और विश्वास का मार्ग है। हमें बस अपना कार्य-गुरु द्वारा दिखाए मार्ग पर चलना-सच्चे मन से करना है। गुरु का 5 नामों का भेदी होना इस पथ की सबसे बड़ी शर्त है, क्योंकि यही 5 नाम हमें आत्मिक ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। जब हमारा समय आएगा, गुरु की कृपा स्वतः ही होगी। गुरुचरनों में मेरी प्रार्थना है कि आपको इस मार्ग पर शांति और सफलता प्राप्त हो। कृपया अपनी साधना में निरंतरता बनाए रखें और धैर्य के साथ गुरु के निर्देशों पर चलते रहें। गुरु रक्षक! आपका दोस्त 🙏🏻
Namaskar ji mai abhi apne room mei simran kar rahi thi room bund tha aur heat chal rahi thi lekin mujhe thandi hawa feel ho rahi thi kafi der tak aur meri body bhi thodi thodi hil rahi thi aisa kyon hoya please bataye
“नमस्कार जी, यह अनुभव आत्मिक ऊर्जा और ध्यान की गहराई से जुड़ा हो सकता है। जब हम सिमरन या ध्यान में गहराई से उतरते हैं, तो हमारे शरीर और मन पर इसका प्रभाव महसूस होता है। ठंडी हवा या शरीर का हिलना आत्मिक ऊर्जा के प्रवाह या ध्यान की गहराई का संकेत हो सकता है। यह हमारे भीतर की आध्यात्मिक जागरूकता को जागृत करने का संकेत भी हो सकता है। ध्यान करते समय ऐसी अनुभूतियां स्वाभाविक हैं और यह आपके सिमरन की प्रगति को दर्शाता है। आप इसे एक सकारात्मक संकेत मानें और अपनी साधना को निरंतर बनाए रखें। सतगुरु कृपा बनाए रखें।”
Satnamji 🎉🎉❤❤
🙏🙏
साहिब बंदगी सतनाम जय हो गुरुजी 🌷🌹🌼🙏🙏
Regards
🙏🙏
Radhe Radhe ji 🙏🙏🙏🙏
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Very nice satsang thanks
Regards
जयगुरूदेव नाम प्रभु का 🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹
🙏🙏
Sat.kabir
🙏🙏
Brahma Gyaan Dhyaan omkarom kar OM 🕉
🙏🙏
Om namah Shivay koti koti pranam Gurudev Guru Purnima ke din jinke Guru nahin Hai vah kiska Samman Karen jeev jantuon ka ya mandiron mein jaen❤ आत्मा गुरु परमात्मा गुरु इष्ट गुरु मार्गदर्शन गुरू हमारे किसी शब्द से आपको अच्छा नहीं लगा हो तो हमें क्षमा करें आपके चरणों में कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव❤❤❤
🙏 आपकी भावनाएँ अत्यंत पवित्र और गहरी हैं। गुरु के प्रति आपका समर्पण और श्रद्धा सच्ची भक्ति का प्रतीक है। गुरु ही वह प्रकाश हैं, जो हमारी आत्मा को अज्ञान के अंधकार से मुक्त करते हैं। आपकी इन शब्दों में छिपा प्रेम और आदर गुरुवर के चरणों में आपकी गहन भक्ति को प्रकट करता है।
यदि हम शब्दों से किसी का हृदय जीत सकते हैं, तो वह केवल विनम्रता और सत्य के साथ ही संभव है। आपका यह भावपूर्ण संदेश सभी को प्रेरणा देगा।
गुरुदेव के चरणों में बारंबार प्रणाम और आपकी आध्यात्मिक यात्रा में अद्वितीय प्रकाश एवं मार्गदर्शन प्राप्त हो। 🙏❤️”
Radha Swami ji 🙏
🙏🙏
Jay hos
🙏🙏🙏
Waheguru ji 🙏🎉🎉🎉
🙏🙏🙏
Radha Soami Ji 🙏🙏
🙏🙏
Radha Soami ji 🙇🙏😇
Jai shree rajendra singh ji maharaj ❤❤
🙏🙏🙏
Parnam ji
🙏🙏
Thanks sir
Regards
सत्य।
🙏🙏🙏
Good job 🙏💐
🙏🙏
🙏
🙏🙏
कोटि कोटि प्रणाम गुरुदेव आपके चरणों में ओम नमःशिवाय❤ गुरु एक तत्व है या आशीर्वाद है किसी की किस्मत में नहीं होता नाम दान लेने से ही कुछ नहीं मिलता
“आपकी भावनाएं अत्यंत पवित्र और गहरी हैं। गुरु का आशीर्वाद और उनके चरणों की शरण सच्चे आध्यात्मिक मार्ग की पहचान है। जैसा कि श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 4, श्लोक 34 में कहा गया है:
‘तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।
उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः॥’
अर्थात, सत्य को जानने के लिए विनम्रता और समर्पण के साथ ज्ञानी गुरु की शरण में जाओ। वे तुम्हें ज्ञान देंगे क्योंकि वे सत्य के जानकार हैं।
गुरु का आशीर्वाद वह दीपक है, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर आत्मा को ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। आपकी श्रद्धा और समर्पण इसी मार्ग की ओर प्रेरित करता है। 🙏❤️”
Gurudev pranam aapka video Gurudev bahut kam aate Hain mujhe aisa lagta hai Jaise Dharti aur ped paudhon se aapka Bani aata hai main video mein aapka video dekhne ke liye intezar karta rahata hun aap Jo bolate Hain Satya bolate Hain aur man Ko chhu leta hai Om namah Shivay
“धन्यवाद आपके स्नेह और विश्वास के लिए। यह जानकर खुशी हुई कि मेरी बातों से आपको प्रेरणा और शांति मिलती है। मैं आपके प्रेम और समर्थन का आभारी हूं। प्रयास करूंगा कि और अधिक वीडियो आपके साथ साझा कर सकूं। ओम नमः शिवाय। 🙏”
Bai ek स्वयं का mantar jaap h jo mene lgbag 1.6 se 2 saal jaap kiya usse muje kuch समय बाद nubhav bi hue Or name jaap karte smy sona bi ata tha . Kuch dino dyan yatra bi hue lekin me dar gya jiske karn mene guru ki saran li or usne mujhe mantar diya naam jap k liye 6,7 mahine hi gye hai lekin me dekh pa rha hu na to muje koi anubhav hua hai na koi dyan me pargati or khud me b koi bdlav nhe hua h. Esa lg rha h jese me pehle se b khrab ho gya hu jaam japne se bi esa hi lg rha h or bina jape b khud par koi frak nhe par rha. Sir ap btaiye esi halt me muje kya krna chahiye jo mera स्वयं का mantar tha use japu ya guru ke mantar ko. Bai mujhe sahi rasta btaiye ese me muje kya krna chahiye jisse mujme b bdlav ane lge or dyan me age b bad saku 🙏. Mere liye kya uchit h.
“भाई, आपकी जिज्ञासा और अनुभव बहुत ही विशेष हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि साधना में उतार-चढ़ाव स्वाभाविक हैं। कभी-कभी साधक को अनुभव में ठहराव महसूस होता है, और यह उसकी यात्रा का एक हिस्सा है।
स्वयं के मंत्र और गुरु द्वारा दिए गए मंत्र के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतर यह है कि गुरु का दिया हुआ नाम एक आध्यात्मिक मार्गदर्शन और आशीर्वाद के साथ आता है। यह नाम गुरु की कृपा और शक्ति से पोषित होता है, जिससे आत्मा को गहराई से जागरूकता प्राप्त होती है। लेकिन ध्यान रखें, गुरु का पूर्ण होना भी अत्यंत आवश्यक है। पूर्ण गुरु ही सच्चे मार्ग पर ले जा सकता है। वह 5 नाम का सिमरन मंत्र देता है और सूरत-शब्द योग की विधि सिखाता है, जिससे साधक अपनी आत्मा को उच्चतम स्तर पर ले जा सके।
आपका प्रयास और श्रद्धा अति महत्वपूर्ण हैं। मेरा सुझाव है कि आप गुरु के दिए गए नाम का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। अगर अनुभव तुरंत नहीं हो रहे हैं, तो भी धैर्य बनाए रखें, क्योंकि आध्यात्मिक परिवर्तन अक्सर अंदरूनी स्तर पर होता है और धीरे-धीरे प्रकट होता है।
साथ ही, अपने जीवन में सकारात्मकता और सच्चाई को अपनाएं, सेवा और प्रेम का भाव बनाए रखें। गुरु की शरण में रहकर हर दिन नाम सिमरन करें और अपने दिल से किसी भी प्रकार के संदेह को निकाल दें। आपकी साधना का फल निश्चित रूप से मिलेगा, और यह यात्रा आपको आत्मिक शांति और उन्नति की ओर ले जाएगी।
गुरबाणी में कहा गया है:
‘सबद गुरु सुरति धुन चेला।’
यानी, गुरु के शब्द (मंत्र) पर ध्यान लगाना और गुरु की कृपा में पूर्ण विश्वास रखना ही आत्मा को उन्नति की ओर ले जाता है।
आपके अनुभव और मनोदशा को समझते हुए, यही कहना चाहूंगा कि अपने गुरु के मार्गदर्शन में आगे बढ़ें और पूरी श्रद्धा से उनके बताए मार्ग का अनुसरण करें। गुरु की कृपा से ही आपका ध्यान और साधना गहराई में जाएगी।”
Sir mantar ke sath dhayan me kaise utra jai
“नमस्कार जी, मंत्र के साथ ध्यान में उतरने के लिए सबसे पहले मन को शांत और स्थिर करना आवश्यक है। जब गुरु पूर्ण समर्पण और श्रद्धा के साथ पाँच नामों का मंत्र देते हैं, तो उनका जप करने से मन धीरे-धीरे एकाग्र होने लगता है। यह मंत्र केवल शब्द नहीं होते, बल्कि ये गुरु की कृपा और आध्यात्मिक शक्ति से भरे होते हैं, जो हमारे भीतर की ऊर्जा को जागृत कर हमें ध्यान की गहराइयों में ले जाते हैं।
ध्यान के दौरान, आप शांत और एकांत स्थान चुनें, अपनी रीढ़ को सीधा रखें, और अपने मन को मंत्र पर केंद्रित करें। जब भी मन भटकने लगे, उसे धीरे से वापस मंत्र पर लाएं। यह प्रक्रिया समय के साथ आपके भीतर आत्मिक स्थिरता और गहराई लाती है।
सतगुरु की कृपा से, जब इस अभ्यास को नियमित रूप से किया जाता है, तो आत्मा दिव्य प्रकाश और ध्वनि से जुड़ने लगती है। इसलिए, धैर्य और प्रेम के साथ इस साधना को जारी रखें। सतगुरु सदा आपकी साधना को सफल बनाएंगे। सतनाम।”
Bai ji sabse pehle Me apke charno me parnaam krta hu,🙏. Bai ji mene lgbag har ek satgang me yaha tak ki apke bi satsang me mene or har ek sant mene apne satsang me ye kehte suna hai k hme धैर्य rakhna chahiye। Bhai जी me धैर्य ke bare me जानना चाहता हु कि धैर्य किसे कहते है धैर्य कैसे किया जाता है और कहा किया जाता है,धैर्य कब कब करना चाहिए। मैं स्वयं कैसे समझूं कि मुझे अब धैर्य रखना चाहिए। है bhai ji हो सकता है मैं अज्ञानता वस इसके बारे में जानते हुए भी कुछ भी ना जनता हो।
Bai जी मुझे इसके बारे में detail में बताइए कि मुझे ध्यान साधना के दौरान कब,कहा,ओर कैसे धैर्य रखना चाहिए।
Bai जी या तो इसके बारे में एक विस्तार से वीडियो बनाए या मुझे msg में समझाइए। Bai जी में धैर्य और विवेक के बारे में कुछ भी नहीं जानता किरपा मार्ग दर्शाए गुरुस्वरूप 🙏
प्रिय भाई जी,
आपका संदेश पढ़कर प्रसन्नता हुई और आपके गहन प्रश्न के लिए मैं आपके चरणों में धन्यवाद करता हूँ। आपने धैर्य, विवेक और ध्यान-साधना के बारे में जो जानना चाहा है, वह न केवल महत्वपूर्ण है बल्कि आध्यात्मिक पथ पर एक गहन विषय भी है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं और आपके हर प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करते हैं।
1. धैर्य का अर्थ और उसकी महत्ता
• धैर्य का अर्थ: धैर्य का अर्थ है कठिन परिस्थितियों में स्थिर रहना और किसी भी कार्य या साधना को बिना विचलित हुए निरंतर करते रहना। यह एक ऐसा गुण है, जो हमें आत्मिक यात्रा में सफल बनाता है।
• महत्ता: गुरु का मार्गदर्शन पाना और उस पर चलना तभी संभव होता है जब हमारे अंदर धैर्य हो। धैर्य हमारे भीतर की अशांति को समाप्त करता है और हमें गुरु द्वारा दिए गए निर्देशों पर चलने के लिए तैयार करता है।
याद रखें: भक्ति का मार्ग प्यार का मार्ग है। जब सच्चे गुरु से प्यार और पूर्ण विश्वास होता है, तभी भक्ति पूरी होती है। गुरु पर यह विश्वास हमें धैर्य और विवेक से भर देता है, जिससे साधना के हर पड़ाव को पार करना सरल हो जाता है।
2. धैर्य कैसे रखा जाए?
• ध्यान-साधना में: जब आप ध्यान कर रहे हों और मन बार-बार भटकता हो, तब गुरु द्वारा बताए गए मंत्र, शबद, या ध्यान के बिंदु पर मन को लौटाएं। हर बार भटकने पर मन को वापस लाने की यह प्रक्रिया ही धैर्य का अभ्यास है।
• जीवन में: कठिन समय में खुद से कहें, “यह समय भी बीत जाएगा।” यह सोच हमें गुरु की कृपा और मार्गदर्शन के प्रति जागरूक रखती है।
3. नाम दान और गुरु का महत्व
• आध्यात्मिक यात्रा में एक पूर्ण गुरु से नामदान प्राप्त करना आवश्यक है। गुरु ही हमें सही मार्ग दिखाते हैं और यह सिखाते हैं कि इस जीवन का उद्देश्य क्या है।
• गुरु का 5 नाम का भेदी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। केवल ऐसा गुरु, जो इन पांच पवित्र नामों का ज्ञान और गहराई से भेद जानता हो, हमें आत्मा के वास्तविक स्वरूप और परमात्मा से जोड़ सकता है।
• जब गुरु से सच्चा प्यार और पूर्ण विश्वास होता है, तो साधक की भक्ति फलदायी होती है।
महत्वपूर्ण बिंदु: यह मार्ग प्यार और समर्पण का है। हमें बस गुरु के बताए मार्ग पर चलना है। जब हम पूरी तरह तैयार हो जाते हैं, तब गुरु की कृपा स्वतः होती है।
4. धैर्य कब और कहाँ उपयोग करना चाहिए?
• ध्यान-साधना के दौरान: जब मन अशांत हो और साधना में गहराई नहीं बन रही हो, तब धैर्य के साथ गुरु पर भरोसा करते हुए साधना करते रहें।
• जीवन की परिस्थितियों में: जब कठिनाई या परीक्षा का समय आए, तो गुरु द्वारा बताए गए ज्ञान और विवेक का सहारा लें। यह सोचें कि यह सब गुरु की कृपा और सीखने का माध्यम है।
5. धैर्य और विवेक का संबंध
• धैर्य हमें परिस्थितियों को सहन करने और समझने का समय देता है।
• विवेक हमें सही और गलत का निर्णय करने में मदद करता है।
• गुरु का सान्निध्य और सत्संग ही हमारे भीतर इन दोनों गुणों को मजबूत बनाते हैं।
6. संदेश और सुझाव
• गुरु पर विश्वास रखें और अपनी साधना में निरंतरता बनाए रखें।
• हर दिन ध्यान और नाम-स्मरण के लिए समय निर्धारित करें।
• अपने मन में आने वाले हर प्रश्न को गुरु के चरणों में समर्पित करें।
7. आध्यात्मिक मार्गदर्शन
• यदि आपके पास इस विषय में और भी संदेह हों, तो सत्संग में भाग लें या मुझसे और संवाद करें।
• गुरु से जुड़कर और उनकी कृपा से ही हमारे जीवन के हर प्रश्न का समाधान संभव है।
निष्कर्ष:
गुरु की शरण और उनकी शिक्षा ही हमारा सच्चा सहारा है। भक्ति का मार्ग प्यार और विश्वास का मार्ग है। हमें बस अपना कार्य-गुरु द्वारा दिखाए मार्ग पर चलना-सच्चे मन से करना है। गुरु का 5 नामों का भेदी होना इस पथ की सबसे बड़ी शर्त है, क्योंकि यही 5 नाम हमें आत्मिक ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। जब हमारा समय आएगा, गुरु की कृपा स्वतः ही होगी।
गुरुचरनों में मेरी प्रार्थना है कि आपको इस मार्ग पर शांति और सफलता प्राप्त हो। कृपया अपनी साधना में निरंतरता बनाए रखें और धैर्य के साथ गुरु के निर्देशों पर चलते रहें।
गुरु रक्षक!
आपका दोस्त 🙏🏻
Namaskar ji mai abhi apne room mei simran kar rahi thi room bund tha aur heat chal rahi thi lekin mujhe thandi hawa feel ho rahi thi kafi der tak aur meri body bhi thodi thodi hil rahi thi aisa kyon hoya please bataye
“नमस्कार जी, यह अनुभव आत्मिक ऊर्जा और ध्यान की गहराई से जुड़ा हो सकता है। जब हम सिमरन या ध्यान में गहराई से उतरते हैं, तो हमारे शरीर और मन पर इसका प्रभाव महसूस होता है। ठंडी हवा या शरीर का हिलना आत्मिक ऊर्जा के प्रवाह या ध्यान की गहराई का संकेत हो सकता है। यह हमारे भीतर की आध्यात्मिक जागरूकता को जागृत करने का संकेत भी हो सकता है। ध्यान करते समय ऐसी अनुभूतियां स्वाभाविक हैं और यह आपके सिमरन की प्रगति को दर्शाता है। आप इसे एक सकारात्मक संकेत मानें और अपनी साधना को निरंतर बनाए रखें। सतगुरु कृपा बनाए रखें।”
Radha soami Ji 🙏
🙏🙏