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सच्चा और खरा बिना मिलावट के आखरी बात *आत्मज्ञान का अभाव ही अधर्म है। आत्मज्ञान ही धर्म लाता है। आत्मा और आत्मा को प्रकट करने वाले को सर झुकाकर कर नमन करता हूं। प्रणाम आचार्य जी।
एक जन हैं उन्हें पता है कि मैं क़िताब पढ़ना पसंद करता हूँ, उन्होंने ने मुझे एक क़िताब दी औऱ मैंने उसका टाइटल पढ़ा, उसमें लिखा था अपनी सोंच कैसे बदलें? मैंने खोला भी नहीं क़िताब को औऱ रख दिया! ऐसे ही मुझे परफ्यूम की उपयोगिता एकदम नहीं लगती है जीवन में, परफ्यूम माने जैसे एक मुखौटा, उन्हीं ने मुझे बहुत कोशिश करी परफ्यूम देने की पर मैंने नहीं लिया जबकि पता था कि वो आहत होंगे! जो चीज़ जरूरी नहीं हैं उसको मना कर पाना काफ़ी आसान हो गया है।
१. माया- छोटे उलझावों का उद्देश्य ही यही है, कि बड़ी समस्या से बच सके। २. बड़ा सवाल- जिए तो, जिए कैसे? ३. नकली समस्याएं, हमने ही रची है, स्वयं को धोखा देने के लिए। समस्या तो है, पर समस्या वो नहीं है, जो हमें लगती है। ४. आत्मज्ञान- जानना कि, भीतर समस्या क्या है? ५. हम नहीं जानते कि बात क्या है। हम सोचते है, समस्या का कारण बहर है। मनुष्य की मूल समस्या, संसार नहीं, अहम्(में भाव) है। ६. धर्म- मनुष्य की समस्याओं का मूल निदान और समाधान है, वो तो धर्म ही है, और यही धर्म की परिभाषा है। ७. जगत मिथ्या है- हम जगत को जैसा समझ रहे है, जगत वैसा नहीं है। ८. आदमी की सबसे बड़ी समस्या है- विकृत धर्म। ९. धर्म के छेत्र में १ प्रतिसत की मिलावट भी, प्राणघातक होती है। १०. धर्म का अर्थ है, सत्ता भीतर है। धर्म माने आत्मज्ञान। ११. आत्मज्ञान के अतिरिक्त, धर्म को कुछ भी और मान लेना ही, धर्म का विकार है। १२. स्वयं को हटाना ही, भगवत प्राप्ति है। १३. जिस दिशा में इंद्रियां जाती है, उसी दिशा में भगवत्ता को स्थापित कर देना ही, धर्म का विकार है। १४. महा अंजन- God, the creator. वेदांत- God, the witness (साक्षी). १५. ब्रह्म है, ब्रह्मांड नहीं है। १६. उपवास- अहम् जब, आत्मा के निकट वास करने लगे। १७. धर्म के छेत्र में, हर समय, अहम् और आत्मा का संबंध खोंचते रहे। १८. पुण्य- आत्मज्ञान ही, पुण्य है। 🙏🏻🪔
सारी समस्याओं का मूल कारण प्राकृतिक संसाधनों पर अधिपत्य स्थापित करना है। और धर्म उस अधिपत्य को उचित ठहराने के लिए होते हैं। और आध्यात्म संसाधनों से वंचितों को सब्र करने की ट्रेनिंग देता है।
I learnt following from this session, 1)We are busy in our small difficulties, and this is our way to ignore the fundamental crisis of our life i.e Aham. 2)Our fundamental problem is not the world but Aham . 3)And the real and pure Dharma is Aatmagyan (The knowing of self) and nothing else other than that. 4)And the world only exist for Aham.God is not the creator of world ,he is witness. 5)Aatmagyan is must.
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आचार्य प्रशांत से समझें गीता,
लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00037
✨ हर महीने 30 लाइव सत्र
✨ 15,000+ गीता छात्रों की कम्युनिटी
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✨ आचार्य प्रशांत से पूछें अपने सवाल
जय हिन्द 🇮🇳
प्रणाम आचार्य जी 🙏🙏
Namaste Aacharya ji bahut bahut dhanyvad bahut pasand hua
आत्मज्ञान ही धर्म है
अहम जब आत्मा के निकट वास करने लगे उसको उपवास कहते हैं 🙏
Naman
जहां आत्म ज्ञान हो वहीं तीर्थ है
मूल समस्या आत्मज्ञान का अभाव है ।
सच्चा और खरा बिना मिलावट के आखरी बात *आत्मज्ञान का अभाव ही अधर्म है। आत्मज्ञान ही धर्म लाता है। आत्मा और आत्मा को प्रकट करने वाले को सर झुकाकर कर नमन करता हूं। प्रणाम आचार्य जी।
Naman sir ❤❤❤❤
जहां आत्मज्ञान है वही स्थान तीर्थ है ।
PRANAAM ACHARYA JI 🙏🙏🙏
आपसे बार कोई नहीं जो आपका भाग्य विधाता हो आपसे ऊंचा हो आपसे श्रेष्ठ हो सर आसानी से मत झुकाया करो आचार्य प्रशांत❤
Manushya ki sari samasya uski Ahankar hai🎉🎉🎉🎉🎉
Ek ek baat ka shuddh paribhasha batane ke liye Aacharya ji dhanyvad
Thanks sir
आत्मज्ञान ही पुण्य है ❤
❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙌🙏🙏Amazing session!!
AP❤❤
स्वयं को हटाना ही भगवत प्राप्ति है जय श्री कृष्ण भगवन
Aacharya ji parnam
साधुवाद 🙏
🌞 ☀️
प्रणाम आचार्य जी🙏🙏
आत्मज्ञान ही मात्र धर्म है
Rare to find ordinary persons with extra ordinary wisdom AP as per my perception is one of them Learning to improve atfag end
अपने विवेक से ही अज्ञान को दूर हटाणा है.
Pranam guruvar!
बहुत बहुत धन्यवाद आचार्य जी 🙏❤
एक जन हैं उन्हें पता है कि मैं क़िताब पढ़ना पसंद करता हूँ, उन्होंने ने मुझे एक क़िताब दी औऱ मैंने उसका टाइटल पढ़ा, उसमें लिखा था अपनी सोंच कैसे बदलें? मैंने खोला भी नहीं क़िताब को औऱ रख दिया! ऐसे ही मुझे परफ्यूम की उपयोगिता एकदम नहीं लगती है जीवन में, परफ्यूम माने जैसे एक मुखौटा, उन्हीं ने मुझे बहुत कोशिश करी परफ्यूम देने की पर मैंने नहीं लिया जबकि पता था कि वो आहत होंगे! जो चीज़ जरूरी नहीं हैं उसको मना कर पाना काफ़ी आसान हो गया है।
❤❤❤
Pranam acharya ji 🙏🙏🙏❤️
१. माया- छोटे उलझावों का उद्देश्य ही यही है, कि बड़ी समस्या से बच सके।
२. बड़ा सवाल- जिए तो, जिए कैसे?
३. नकली समस्याएं, हमने ही रची है, स्वयं को धोखा देने के लिए। समस्या तो है, पर समस्या वो नहीं है, जो हमें लगती है।
४. आत्मज्ञान- जानना कि, भीतर समस्या क्या है?
५. हम नहीं जानते कि बात क्या है। हम सोचते है, समस्या का कारण बहर है। मनुष्य की मूल समस्या, संसार नहीं, अहम्(में भाव) है।
६. धर्म- मनुष्य की समस्याओं का मूल निदान और समाधान है, वो तो धर्म ही है, और यही धर्म की परिभाषा है।
७. जगत मिथ्या है- हम जगत को जैसा समझ रहे है, जगत वैसा नहीं है।
८. आदमी की सबसे बड़ी समस्या है- विकृत धर्म।
९. धर्म के छेत्र में १ प्रतिसत की मिलावट भी, प्राणघातक होती है।
१०. धर्म का अर्थ है, सत्ता भीतर है। धर्म माने आत्मज्ञान।
११. आत्मज्ञान के अतिरिक्त, धर्म को कुछ भी और मान लेना ही, धर्म का विकार है।
१२. स्वयं को हटाना ही, भगवत प्राप्ति है।
१३. जिस दिशा में इंद्रियां जाती है, उसी दिशा में भगवत्ता को स्थापित कर देना ही, धर्म का विकार है।
१४. महा अंजन- God, the creator.
वेदांत- God, the witness (साक्षी).
१५. ब्रह्म है, ब्रह्मांड नहीं है।
१६. उपवास- अहम् जब, आत्मा के निकट वास करने लगे।
१७. धर्म के छेत्र में, हर समय, अहम् और आत्मा का संबंध खोंचते रहे।
१८. पुण्य- आत्मज्ञान ही, पुण्य है। 🙏🏻🪔
धन्यवाद हिमांशु जी
Naman apko
🙏🙏
आत्मा क्रिएटर नही है आत्मा विटनेस है साक्षी है ।
सारी समस्याओं का मूल कारण प्राकृतिक संसाधनों पर अधिपत्य स्थापित करना है।
और धर्म उस अधिपत्य को उचित ठहराने के लिए होते हैं।
और आध्यात्म संसाधनों से वंचितों को सब्र करने की ट्रेनिंग देता है।
अहम् पर जब कोई धूल जम जाए तो उसे तपा कर जला दिया जाए तो उसे तप कहते हैं ❤
प्रणाम आचार्य जी
One men army of the world
Hamara tirth Aapke pas hai Acharya ji
🕉️🙏
जय श्री कृष्णा आचार्य जी 🙏🏻
आचार्य जी जैसा बहादुर गुरु चाहिए हमें सुधारने और शिक्षा प्रदान करने में मदद 👍🏹💪👍🙏💯🌺
Solution to our problem which becomes all world's problem is my and ours lack of self knowledge
🙇♀️.....
❤..💙💙💙💙 ❤️
जिस दिशा में इन्द्रिया जाती है उस दिशा में भगवत्ता को स्थापित कर देना धर्म का विकार है ❤
ऐसी संगत में बैठना जहां आत्मज्ञान मिले वही तीर्थाटन है ❤
अहम् जब आत्मा के निकट वास करने लगे तो उसे उपवास कहते हैं ❤
धर्म याने आत्मज्ञान
parnam achary ji
अहम् भक्त बन जाए , प्रेमी बन जाए, पुजारी बन जाए और आत्मा मन्दिर का गर्भगृह, केन्द्र बन जाए तब मन्दिर है ❤
अंतर्मुख होना अध्यात्म का चिर पठनीय अध्याय हैं।
🙏🙏 pranam sir
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आत्मज्ञान ही पुण्य है ।
Ego dissolves and real self appears
#paramshanti
❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
😮😊
सारी समस्या हमारी अज्ञानता है हमें आत्मज्ञान हो जायें तो सारी बाहरी भीतर सारी समस्या मिंट जायेगी
I learnt following from this session,
1)We are busy in our small difficulties, and this is our way to ignore the fundamental crisis of our life i.e Aham.
2)Our fundamental problem is not the world but Aham .
3)And the real and pure Dharma is Aatmagyan (The knowing of self) and nothing else other than that.
4)And the world only exist for Aham.God is not the creator of world ,he is witness.
5)Aatmagyan is must.
God bless all
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🙏🙏
👌🙏🚩
जीवन दुख है ,और इस दुख से निकला जा सकता है
महात्मा गौतम बुद्ध ।।
मुल समस्या आत्मज्ञान का अभाव
इसान की मुरखता दूर हटाणी है हमे
❤❤❤❤❤👍👍👍👍👍🙏🙏🙏👌👌👌👌
Bhogi dukhi yogi sukhi
Mul Samsiy Aatmgiyan ka Abhav hai
अविद्या है प्रकृति में आत्मा को खोजना , विद्या है यह जानना कि आत्मा को भीतर जानना ।
ब्रम्हांड अहम के लिए है ।
दीवाली भी पहले सफाई फिर अत। ज्ञान दीप जलाना
मेरे हिसाब से मूल समस्या अकेलापन है इसलिए बाहर से समान इकठ्ठा करते हैं
Ashli samsya bhiter hai....
19:18
...........🎉...........
i really dont know anymore.
Mane suna hai ved me kabir or buddha ka nam hai kaya ye satya ......
साधु बनने की इच्छा क्यों होती है
नैतिकता छोड़ो, आध्यात्मिक बनो' केन्द्र ठीक करो।
ब्रह्म है ब्रम्हांड नही है
क्या आपके धर्म गुरु हिंदू धर्म की रीढ़ पवित्र गीता और पवित्र चारों वेद शास्त्रों को खोलकर दिखा रहा है अगर नहीं तो आपको मूर्ख बना रहा है।
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Pranam acharya ji❤❤🙏🙏❤❤
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Pranam Acharya ji 🙏🙏🌺🌺
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