#राहुल
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- Опубліковано 23 вер 2024
- राहुल देव बर्मन, जिसे पंचम दा के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय फ़िल्म उद्योग में एक प्रसिद्ध संगीत संगीतकार और गायक थे। यहां उनके बारे में कुछ विवरण हैं:
प्रारंभिक जीवन: आर. डी. बर्मन का जन्म 27 जून, 1939 को कोलकाता, भारत में हुआ था, उनके पिता रचनाकार सचिन देव बर्मन और मीरा देव बर्मन के यशस्वी संगीत संगीतकार हैं। उन्हें बचपन से ही संगीत का परिचय उनके पिता के प्रभाव के कारण हुआ।
संगीत करियर: आर. डी. बर्मन ने अपना करियर अपने पिता के सहायक के रूप में शुरू किया और बॉलीवुड में स्वतंत्र संगीत निर्देशक के रूप में काम किया। उन्होंने 1961 में "छोटे नवाब" के साथ संगीत निर्देशन की शुरुआत की।
नवाचारात्मक शैली: बर्मन को उनके नवाचारात्मक और प्रयोगात्मक संगीत संगीतन के प्रयासों के लिए जाना जाता था। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय, लोक, जैज़, और रॉक जैसे विभिन्न संगीत शैलियों को सहजता से मिलाया और अद्वितीय और यादगार संगीत बनाया।
सहयोग: उन्होंने कई प्रसिद्ध गीतकारों और गायकों के साथ मिलकर काम किया, जैसे गुलज़ार, आनंद बक्शी, किशोर कुमार, लता मंगेशकर, आशा भोसले, और मोहम्मद रफ़ी, आदि।
प्रसिद्ध गाने: आर. डी. बर्मन ने बहुत सी हिट फिल्मों के लिए संगीत निर्देशन किया, और उनके कई गाने क्लासिक के रूप में माने जाते हैं। उनकी बहुत सारी प्रसिद्ध रचनाओं में "दम मारो दम" ("हरे रामा हरे कृष्ण"), "मेहबूबा मेहबूबा" ("शोले"), "पिया तू अब तो आजा" ("कैरवां"), "ये शाम मस्तानी" ("कटी पतंग"), और "चुरा लिया है तुमने जो दिल को" ("यादों की बारात") शामिल हैं।
पुरस्कार और सम्मान: अपने यशस्वी करियर के दौरान, आर. डी. बर्मन ने कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, जैसे फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड फ़ॉर बेस्ट संगीत डायरेक्टर।
विरासत: आर. डी. बर्मन का भारतीय संगीत पर गहरा और टिकाऊ प्रभाव है। उनके नवाचारात्मक रचनाओं और प्रयोगात्मक ध्वनि आज भी संगीतकारों और संगीतकारों की पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।
व्यक्तिगत जीवन: आर. डी. बर्मन की विवाहित थीं प्लेबैक गायिका आशा भोसले, और दोनों मिलकर कई हिट गानों पर काम किया। उनकी जीवन में भी उनके पारिवारिक और व्यावसायिक साथ का उत्कृष्ट सम्मान है।
आर. डी. बर्मन का निधन 4 जनवरी, 1994 को हुआ, लेकिन उनकी संगीत अमर है, जो पीढ़ियों को प्रेरित करता है।
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कुछ लोग लंबे समय तक चलता है कि उनके क्षमता सिर्फ मर्यादित समय तक चलता है जैसे कि आर डी बर्मन और कुछ लोगों की क्षमता समयानुसार बदलाव नहीं आया है कि समय चलते बेहतर होता है कि मदन मोहन, जयदेव,सी अर्जुन इत्यादि