KEDARNATH TO BHAIRAVNATH || भुकुंट भैरवनाथ मंदिर || Episode 3

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  • Опубліковано 22 сер 2024
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    Kedarnath Yatra June 2023
    Episode 1 :- • Kedarnath Yatra || Gau...
    Episode 2 :- • KEDARNATH YATRA || यात...
    हिंदू धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार, देश में जहां-जहां भगवान शिव के सिद्ध मंदिर हैं, वहां-वहां कालभैरवजी के मंदिर भी हैं और इन मंदिरों के दर्शन किए बिना भगवान शिव के दर्शन करना अधूरा माना जाता है। चाहे काशी के बाबा विश्‍वनाथ हों या उज्‍जैन के बाबा महाकाल। दोनों ही स्‍थानों पर काल भैरव के मंदिर हैं और भक्‍त भगवान शिव के दर्शन के बाद इन दोनों स्‍थानों पर भी आकर सिर झुकाते हैं तब उनकी तीर्थ यात्रा पूर्ण मानी जाती है। ऐसे ही केदारनाथ में भी भुकुंट भैरव भैरवनाथ का मंदिर है। यहां भी हर साल केदारनाथ के कपाट खुलने से पहले भैरव मंदिर में पूजापाठ की जाती है। कुछ साल पहले ऐसा भी सुनने में आया था कि पुरोहितों से पूजापाठ में कुछ कमी रह जाने के कारण भीषण आपदा आई थी। आइए जानते हैं भुकुंट भैरव के मंदिर के बारे में खास बातें…
    भुकुंट बाबा को केदारनाथ का पहला रावल माना जाता है। उन्‍हें यहां का क्षेत्रपाल माना जाता है। बाबा केदार की पूजा से पहले केदारनाथ भुकुंट बाबा की पूजा किए जाने का विधान है और उसके बाद विधिविधान से केदानाथ मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।
    भुकुंट भैरव का यह मंदिर केदारनाथ मंदिर से आधा किमी दूर दक्षिण दिशा में स्थित है। यहां मूर्तियां बाबा भैरव की हैं जो इसी प्रकार से बिना छत के स्‍थापित की गई हैं। भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। पुजारियों के अनुसार, हर साल मंदिर के कपाट खोले जाने से पहले मंगलवार और शनिवार को भैरवनाथ की पूजा की जाती है।
    स्‍थानीय लोग बताते हैं कि वर्ष 2017 में मंदिर समिति और प्रशासन के लोगों को कपाट बंद करने में काफी परेशानी हुई थी। कपाट के कुंडे लगाने में दिक्‍कत हो रही थी औ‍र फिर उसके बाद पुरोहितों ने भगवान केदार के क्षेत्रपाल भुकुंट भैरव का आह्वान किया तो कुछ ही समय के बाद कुंडे सही बैठ गए और ताला लग गया। यहां शीतकाल में केदारनाथ मंदिर की सुरक्षा भुकुंट भैरव के भरोसे ही रहती है।
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