पंडित हरीश तिवारी बहुत अच्छा गाते हैं। वह भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी के सच्चे शिष्य हैं। लेकिन दर्शक हमेशा उन्हें भीमसेन जोशी की नकल के रूप में सुनेंगे। यदि आप अपनी आँखें बंद करते हैं, आपको लगता है कि यह महान भीमसेन जोशी है। उनका तान, अलाप, अलंकार, सब कुछ समान है। हरिशजी को अपनी शैली विकसित करनी चाहिए।
सहमत। लेकिन मेरे जैसे 40 से ज्यादा साल जिसने पंडित भीमसेन जी को नजदीक से सुना हो, उसे तिवारीजी बहुत कम पड़ते नजर आते है। भीमसेनजी कि शैली, फिरत, मुरकियाँ और टोनालिटी, पिच की साम्यता के बावजूद, वह सिर्फ एक कॉपी का प्रयत्न लगता है। राग को जिस तरह से कली से फूल तक का प्रवास भीमसेनजी कराते थे, जिसमें स्वर्गीय अनुभूती थी, हम ख़ुद को उसमें खो देते थे, तालियोंकी गूंज हमें वापस धरती पर ले आती थी, उसके सामने तिवारीजी कहीं भी नजदीक नहीं है। भीमसेनजी कि शैली ही सुननी है, तो हम सिर्फ उन्हींको सुनेंगे ना, तिवारीजी या जयतीर्थ मेवूंडी को हम क्यों ही सुनेंगे ना? लेकिन अब तिवारीजी को इतनी आदत हो चुकी है, की अब उनमें अपनी शैली विकसित होनेका कोई चान्स नहीं, और उनकी लिमिट्स उनको भी पता है, इसलिए वह अपनी किराना घराने में ही ओरिजिनल शैली विकसित करेंगे भी नहीं। मेरी बात उनके फैन्स को बुरी लग सकती है, लेकिन और दस साल के बाद उन्हें भी ये पता चल ही जायेगा, बशर्ते वे मेरे जितने ही भारतरत्न पंडित भीमसेनजी के मुरीद हो।
I agree in toto with the comments by Rajendra Kulkarni. Harishji as an imitator is great. He could not have been better as an blind imitator. Instead of criticising the ANDHA BHAKTA like Tiwariji we should ignore such artists because such and bhaktas have no discerning abilities. Late Pt.Bhmsenji did not blindly copies his Guru and improved upon his Guru and thus reached unique heights. I THINK ATTJIS STAGE😊 THIS STAGE HARISHJI SHOULD BE LEFT TO HIMSELF. MORE DISCERNING LISTENERS SHOULD LEAVE HARISHAJI WHERE HE IS.
कभी कभी नक्कल से भी खुश रहना है क्योंकी नकल अपने गुरू की ही हैl वैसे सही है की अपनी पेहच्यान हो पर जरुरी नहीं लगता सब को l हम भी आनंद ले l बहुत बढिया गायन ❤❤
Awesome pandit ji🎉🎉🎉❤
Beautiful 🙏🙏🙏🙏😘😘🌹🌹
Guddu
Kya baat hai, pt.bheemsen Joshi ji ki yaad aai
Extra ordinary excellent quality performance 🕉
Bilkul पंडित जी वापस आ गए
Thanks Mahalaxmi Apparels
Thank you for the acknowledgement. We respect this deeply.
Bahut hi madhur aur manmohak prastuti, abhang to bahut hi sundar 🙏🙏🙏
अति मधुर रसीला गायन
Marvelous...!!!!
बहुत बढ़िया
कैसे कहूं।क्या कहूं।कुछ समझ में नहीं आता।एक लम्बे अरसे के बाद इस प्रकार का गायन सुनने को मिला। वर्तमान पीढ़ी आपसे बहुत कुछ सीख सकता है।
Panditji Bhimsen Joshi rediscovered.
Excellent singing...
पंडित हरीश तिवारी बहुत अच्छा गाते हैं। वह भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी के सच्चे शिष्य हैं। लेकिन दर्शक हमेशा उन्हें भीमसेन जोशी की नकल के रूप में सुनेंगे। यदि आप अपनी आँखें बंद करते हैं, आपको लगता है कि यह महान भीमसेन जोशी है। उनका तान, अलाप, अलंकार, सब कुछ समान है। हरिशजी को अपनी शैली विकसित करनी चाहिए।
सहमत। लेकिन मेरे जैसे 40 से ज्यादा साल जिसने पंडित भीमसेन जी को नजदीक से सुना हो, उसे तिवारीजी बहुत कम पड़ते नजर आते है। भीमसेनजी कि शैली, फिरत, मुरकियाँ और टोनालिटी, पिच की साम्यता के बावजूद, वह सिर्फ एक कॉपी का प्रयत्न लगता है। राग को जिस तरह से कली से फूल तक का प्रवास भीमसेनजी कराते थे, जिसमें स्वर्गीय अनुभूती थी, हम ख़ुद को उसमें खो देते थे, तालियोंकी गूंज हमें वापस धरती पर ले आती थी, उसके सामने तिवारीजी कहीं भी नजदीक नहीं है। भीमसेनजी कि शैली ही सुननी है, तो हम सिर्फ उन्हींको सुनेंगे ना, तिवारीजी या जयतीर्थ मेवूंडी को हम क्यों ही सुनेंगे ना?
लेकिन अब तिवारीजी को इतनी आदत हो चुकी है, की अब उनमें अपनी शैली विकसित होनेका कोई चान्स नहीं, और उनकी लिमिट्स उनको भी पता है, इसलिए वह अपनी किराना घराने में ही ओरिजिनल शैली विकसित करेंगे भी नहीं। मेरी बात उनके फैन्स को बुरी लग सकती है, लेकिन और दस साल के बाद उन्हें भी ये पता चल ही जायेगा, बशर्ते वे मेरे जितने ही भारतरत्न पंडित भीमसेनजी के मुरीद हो।
I agree in toto with the comments by Rajendra Kulkarni.
Harishji as an imitator is great. He could not have been better as an blind imitator. Instead of criticising the ANDHA BHAKTA like Tiwariji we should ignore such artists because such and bhaktas have no discerning abilities. Late Pt.Bhmsenji did not blindly copies his Guru and improved upon his Guru and thus reached unique heights. I THINK ATTJIS STAGE😊 THIS STAGE HARISHJI SHOULD BE LEFT TO HIMSELF. MORE DISCERNING LISTENERS SHOULD
LEAVE HARISHAJI WHERE HE IS.
कभी कभी नक्कल से भी खुश रहना है क्योंकी नकल अपने गुरू की ही हैl
वैसे सही है की अपनी पेहच्यान हो पर जरुरी नहीं लगता सब को l
हम भी आनंद ले l बहुत बढिया गायन ❤❤
Superb Harish sir.you have such a divine voice.kya baat hai.keep it up.main to Aapka murid ban gaya.tabalji ki Saath BHI bahut badhiya.all the best.
CLASSICAL MUSIC IS HEAVANLY
Lovely Kafi thumri!
VINAY Kumar Jha your old friend
Nice
Student of Delhi university
Kya baat hai awesome