यज्ञ क्या है, और क्यो है, इसका महत्व????? भगवद्गीता के अनुसार परमात्मा के निमित्त किया कोई भी कार्य यज्ञ कहा जाता है। हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ। 'यज्ञ' शब्द संस्कृत की यज् धातु से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है दान, देवपूजन एवं संगतिकरण। भारतीय संस्कृति में यज्ञ का व्यापक अर्थ है, यज्ञ मात्र अग्निहोत्र को ही नहीं कहते हैं वरन् परमार्थ परायण कार्य भी यज्ञ है। यज्ञ स्वयं के लिए नहीं किया जाता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए किया जाता है। यज्ञ का प्रचलन वैदिक युग से है, वेदों में यज्ञ की विस्तार से चर्चा की गयी है, बिना यज्ञ के वेदों का उपयोग कहां होगा और वेदों के बिना यज्ञ कार्य भी कैसे पूर्ण हो सकता है। अस्तु यज्ञ और वेदों का अन्योन्याश्रय संबंध है।जिस प्रकार मिट्टी में मिला अन्न कण सौ गुना हो जाता है, उसी प्रकार अग्नि से मिला पदार्थ लाख गुना हो जाता है। अग्नि के सम्पर्क में कोई भी द्रव्य आने पर वह सूक्ष्मीभूत होकर पूरे वातावरण में फैल जाता है और अपने गुण से लोगों को प्रभावित करता है। इसको इस तरह समझ सकते हैं कि जैसे लाल मिर्च को अग्नि में डालने पर वह अपने गुण से लोगों को प्रताडित करती है इसी तर सामग्री में उपस्थित स्वास्थ्यवर्धक औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती है तब वह अपना औषधीय प्रभाव व्यक्ति के स्थूल व सूक्ष्म शरीर पर दिखाती है और व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता चला जाता है। मनुष्य के शरीर में स्नायु संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन संस्थान, प्रजनन संस्थान, मूत्र संस्थान, कंकाल संस्थान, रक्तवह संस्थान आदि सहित अन्य अंग होते हैं उपरिलिखित हवन सामग्री में इन सभी संस्थानों व शरीर के सभी अंगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली औषधियां मिश्रित हैं। यह औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती हैं तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह सभी औषधियां अपने-अपने गुणों के अनुसार हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं। इसके अलावा हमारे मनरूपी सूक्ष्म शरीर को भी स्वस्थ रखती हैं।यज्ञ की महिमा अनन्त है। यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजस्विता, विद्या, यश, पराक्रम, वंशवृद्धि, धन-धन्यादि, सभी प्रकार का राज-भोग, ऐश्वर्य, लौकिक एवं पारलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल से लेकर अब तक रुद्रयज्ञ, सूर्ययज्ञ, गणेशयज्ञ, लक्ष्मीयज्ञ, श्रीयज्ञ, लक्षचंडी भागवत यज्ञ, विष्णुयज्ञ, ग्रह-शांति यज्ञ, पुत्रेष्टि, शत्रुंजय, राजसूय, ज्योतिष्टोम, अश्वमेध, वर्षायज्ञ, सोमयज्ञ, गायत्री यज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञ होते चले आ रहे हैं। हमारा शास्त्र, इतिहास, यज्ञ के अनेक चमत्कारों से भरा पड़ा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह-संस्कार यज्ञ से ही प्रारंभ होते हैं एवं यज्ञ में ही समाप्त हो जाते हैं। क्योंकि यज्ञ करने से व्यष्टि नहीं अपितु समष्टि का कल्याण होता है। अब इस बात को वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि यज्ञ करने से वायुमंडल एवं पर्यावरण में शुद्धता आती है। संक्रामक रोग नष्ट होते हैं तथा समय पर वर्षा होती है। यज्ञ करने से सहबन्धुत्व की सद्भावना के साथ विकास में शांति स्थापित होती है।यज्ञ को वेदों में 'कामधेनु' कहा गया है अर्थात् मनुष्य के समस्त अभावों एवं बाधाओं को दूर करने वाला। 'यजुर्वेद' में कहा गया है कि जो यज्ञ को त्यागता है उसे परमात्मा त्याग देता है। यज्ञ के द्वारा ही साधारण मनुष्य देव-योनि प्राप्त करते हैं और स्वर्ग के अधिकारी बनते हैं। यज्ञ को सर्व कामना पूर्ण करने वाली कामधेनु और स्वर्ग की सीढ़ी कहा गया है। इतना ही नहीं यज्ञ के जरिए आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति भी संभव है।यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है। शास्त्रों में गायत्री को माता और यज्ञ को पिता माना गया है। कहते हैं इन्हीं दोनों के संयोग से मनुष्य का दूसरा यानी आध्यात्मिक जन्म होता है जिसे द्विजत्व कहा गया है। एक जन्म तो वह है जिसे इंसान शरीर के रूप में माता-पिता के जरिए लेता है। यह तो सभी को मिलता है लेकिन आत्मिक रूपांतरण द्वारा आध्यात्मिक जन्म यानी दूसरा जन्म किसी किसी को ही मिलता है। शारीरिक जन्म तो संसार में आने का बहाना मात्र है लेकिन वास्तविक जन्म तो वही है जब इंसान अपनी अंत: प्रज्ञा से जागता है, जिसका एक माध्यम है 'यज्ञ'।यज्ञ की पहचान है 'अग्नि' या यूं कहें 'अग्नि', यज्ञ का अहम हिस्सा है जो कि प्रतीक है शक्ति की, ऊर्जा की, सदा ऊपर उठने की।🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Samay ke anusaran li gayi sikha aur majbut ped ki jade bhi nast ho jati hai keval kiya gaya yagay aur diya gaya dan hi kayam rehti hai 😊😊😊😊😊😊 Danvir karn ☺
Koi bhi serial dekho Mahabharat ho ya shiv puran sabme Indra dev ko chhal karte hi dikhaya hai fir inhe devtaon ka raja kyun chuna gya radhe Krishna radhe Krishna ❤❤
Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree
इंद्रा मध्ये दम होता तर काढलेले कवच कुंडल प्रसन्न होऊन कर्नाला माघारी दिलेअसते परंतु त्याच्या मनामध्ये पाप होते तसा तो पहिल्यापासून पापी आहे पुत्र प्रेमाने पार वेडा झाला होता
आप धन्य हैं कर्ण आपके जैसा कोई भी दान वीर नही हो सकता 🙏🙏
Hj
udaynidhi stalin calls hindu dharma dengue
आपके जैसा दानवीर तीनों लोको में कोई नहीं है अंगराज कर्ण
Raja Bali and puru
🥺🥺😢 इसलिए आज भी कर्ण की पूजा होती है, हमारे यहां कर्णप्रयाग में कर्ण मंदिर है 🙏🙏🙏 धन्य हैं ऐसे महान दानवीर🙏🙏
ap kaha se ho
@@FF....111 uttarakhand
पर ये vahi कर्ण है जो द्रौपदी के वस्त्र उतारते समय दांत फट रहा था
Karan se parakrmi yodha koi nhi tha ❤❤❤
Dropadi ne pahle insult kiya tha swamwar me@@virajvaid1003
कर्ण एक महान योद्धा थे 🙏🏼🙏🏼🚩🚩😭😭😭😭😭
Or maha daanveer bi🙏🙏🙏🙏
@@monusaini1100 Haa🙏🙏
धन्य हो कर्न आपके जैसा कोई भी दानवीर नहीं हो सकता 🙏🙏🙏
कर्ण की दान वीरता युगों युगों तक अमर रहेगा ❤❤
कर्ण जैसा धानवीर न कोई हुआ न कोई होगा
अंग राज कर्ण ,👏👏
Raja bali , raja shibi
@@ishuchoudhary8406Raja Shiwi Satyug,Raja Bali Treta or Karna Dwapar yug mein
हे कर्न आप दानियों मे श्रेष्ट दानी हो जय श्री कृष्ण
😊
सुंदरता सुंदरता 🌍🌍🌍🌍🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
धन्य हो कर्ण दानवीरता तुम्हारी स्वर्ग के देवता भी बनकर आए भिकारी❤❤❤
गर्व होता है अपने आप में की मेरे माता पिता जी ने महदानी कर्ण के नाम पर मेरा नाम रखा ❤❤❤❤❤
❣️Mahabharat main karna is a real hero❣️
Aur sokuni vi hi
शैष कर्णो महादानी 🙏🙏🙏
🙏🏻🌸🌹🌺Jay Shri Radhey Krishna Bhagwan Ki Jay 🌺🌹🌸🙏🏻🪔🪔🪔🪔🪔🪔🪔
Maha Danvir maharathi kran my experience and my big favourite warrior Jai Radha kran 🙏🙏🏼
हे भगवान कर्ण जी जैसी किस्मत किसी की भी ना हो 😢😢😢😢😢
Jai Shree Krishna 🙏🙏
👑🙏🙏 जय हो कर्ण 😭😭
Waaaa karan waaa 🙏🙏❤️❤️
कर्ण जैसा कोई दानवीर पुरुष नहीं होसक्ता ❤❤❤❤
एसी दिव्य शक्ति का प्रयोग कर्ण ने एक बार भी अर्जुन पर नहीं किया ❤❤❤
Jai Shree Krishna Jii 🙏❤️🌼🌸📿💕✨📿
कण जी आप जैसा कोई नहीं नाही अर्जुन नाही कोई और
Hello
Ja ho danvir karn ki❤❤
Jay shree krishna ...Radhe Radhe ...
जय श्री राधे कृष्णा
जय हो दानवीर कर्ण की
Dani to karan jesa ho karan ki jay ho 😥😥😥
क्या कोई ये अंदाज लगा सकता है की जीवित शरीर से चर्म को अलग करना कितना दर्दनाक होता होगा।
yehi to hamari sanatan dharma hain
@sanatani brahman boy danveer me karn sabse mahan tha bhagwan ko chohd but dhurdhar me arjun hi better tha aur kuch time equal tha
@@sanatanibrahmanboy1019 bilkul shi karna bahut Mahaan the
उस समय शक्ति थी सबमे आजकल के आदमी कमजोर है वो द्वापर युग था उसमें 1000 साल उम्र होती थी यह कलयुग है इसमें 80 से 70 उमर होती है
उचित बात है
Jay Shri krishna🙏🙏
Karn bhagvaan ke saath anyay hua he unki bhi Pooja honi chaiye unka bhi mandir banna chaiye 🙏😭
Ha yaar hmesha he dhoka 😭😭😭😭
Karne is very important danveer world very good nice
Jai shree krishna ji 🙏
Mere priyo yodha karna ki jai ho tum sabse bara danbir ho aur hamesa rohoge
Me ese veer yoddha ko parnaam krta hu
यज्ञ क्या है, और क्यो है, इसका महत्व?????
भगवद्गीता के अनुसार परमात्मा के निमित्त किया कोई भी कार्य यज्ञ कहा जाता है।
हमारी प्राचीन संस्कृति को अगर एक ही शब्द में समेटना हो तो वह है यज्ञ। 'यज्ञ' शब्द संस्कृत की यज् धातु से बना हुआ है जिसका अर्थ होता है दान, देवपूजन एवं संगतिकरण।
भारतीय संस्कृति में यज्ञ का व्यापक अर्थ है, यज्ञ मात्र अग्निहोत्र को ही नहीं कहते हैं वरन् परमार्थ परायण कार्य भी यज्ञ है। यज्ञ स्वयं के लिए नहीं किया जाता है बल्कि सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए किया जाता है।
यज्ञ का प्रचलन वैदिक युग से है, वेदों में यज्ञ की विस्तार से चर्चा की गयी है, बिना यज्ञ के वेदों का उपयोग कहां होगा और वेदों के बिना यज्ञ कार्य भी कैसे पूर्ण हो सकता है।
अस्तु यज्ञ और वेदों का अन्योन्याश्रय संबंध है।जिस प्रकार मिट्टी में मिला अन्न कण सौ गुना हो जाता है, उसी प्रकार अग्नि से मिला पदार्थ लाख गुना हो जाता है। अग्नि के सम्पर्क में कोई भी द्रव्य आने पर वह सूक्ष्मीभूत होकर पूरे वातावरण में फैल जाता है और अपने गुण से लोगों को प्रभावित करता है।
इसको इस तरह समझ सकते हैं कि जैसे लाल मिर्च को अग्नि में डालने पर वह अपने गुण से लोगों को प्रताडित करती है इसी तर सामग्री में उपस्थित स्वास्थ्यवर्धक औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती है तब वह अपना औषधीय प्रभाव व्यक्ति के स्थूल व सूक्ष्म शरीर पर दिखाती है और व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करता चला जाता है।
मनुष्य के शरीर में स्नायु संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन संस्थान, प्रजनन संस्थान, मूत्र संस्थान, कंकाल संस्थान, रक्तवह संस्थान आदि सहित अन्य अंग होते हैं उपरिलिखित हवन सामग्री में इन सभी संस्थानों व शरीर के सभी अंगों को स्वास्थ्य प्रदान करने वाली औषधियां मिश्रित हैं।
यह औषधियां जब यज्ञाग्नि के सम्पर्क में आती हैं तब सूक्ष्मीभूत होकर वातावरण में व्याप्त हो जाती हैं जब मनुष्य इस वातावरण में सांस लेता है तो यह सभी औषधियां अपने-अपने गुणों के अनुसार हमारे शरीर को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती हैं।
इसके अलावा हमारे मनरूपी सूक्ष्म शरीर को भी स्वस्थ रखती हैं।यज्ञ की महिमा अनन्त है। यज्ञ से आयु, आरोग्यता, तेजस्विता, विद्या, यश, पराक्रम, वंशवृद्धि, धन-धन्यादि, सभी प्रकार का राज-भोग, ऐश्वर्य, लौकिक एवं पारलौकिक वस्तुओं की प्राप्ति होती है।
प्राचीन काल से लेकर अब तक रुद्रयज्ञ, सूर्ययज्ञ, गणेशयज्ञ, लक्ष्मीयज्ञ, श्रीयज्ञ, लक्षचंडी भागवत यज्ञ, विष्णुयज्ञ, ग्रह-शांति यज्ञ, पुत्रेष्टि, शत्रुंजय, राजसूय, ज्योतिष्टोम, अश्वमेध, वर्षायज्ञ, सोमयज्ञ, गायत्री यज्ञ इत्यादि अनेक प्रकार के यज्ञ होते चले आ रहे हैं।
हमारा शास्त्र, इतिहास, यज्ञ के अनेक चमत्कारों से भरा पड़ा है। जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह-संस्कार यज्ञ से ही प्रारंभ होते हैं एवं यज्ञ में ही समाप्त हो जाते हैं।
क्योंकि यज्ञ करने से व्यष्टि नहीं अपितु समष्टि का कल्याण होता है। अब इस बात को वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि यज्ञ करने से वायुमंडल एवं पर्यावरण में शुद्धता आती है।
संक्रामक रोग नष्ट होते हैं तथा समय पर वर्षा होती है। यज्ञ करने से सहबन्धुत्व की सद्भावना के साथ विकास में शांति स्थापित होती है।यज्ञ को वेदों में 'कामधेनु' कहा गया है अर्थात् मनुष्य के समस्त अभावों एवं बाधाओं को दूर करने वाला। 'यजुर्वेद' में कहा गया है कि जो यज्ञ को त्यागता है उसे परमात्मा त्याग देता है।
यज्ञ के द्वारा ही साधारण मनुष्य देव-योनि प्राप्त करते हैं और स्वर्ग के अधिकारी बनते हैं। यज्ञ को सर्व कामना पूर्ण करने वाली कामधेनु और स्वर्ग की सीढ़ी कहा गया है। इतना ही नहीं यज्ञ के जरिए आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर प्राप्ति भी संभव है।यज्ञ भारतीय संस्कृति का आदि प्रतीक है।
शास्त्रों में गायत्री को माता और यज्ञ को पिता माना गया है। कहते हैं इन्हीं दोनों के संयोग से मनुष्य का दूसरा यानी आध्यात्मिक जन्म होता है जिसे द्विजत्व कहा गया है। एक जन्म तो वह है जिसे इंसान शरीर के रूप में माता-पिता के जरिए लेता है। यह तो सभी को मिलता है लेकिन आत्मिक रूपांतरण द्वारा आध्यात्मिक जन्म यानी दूसरा जन्म किसी किसी को ही मिलता है।
शारीरिक जन्म तो संसार में आने का बहाना मात्र है लेकिन वास्तविक जन्म तो वही है जब इंसान अपनी अंत: प्रज्ञा से जागता है, जिसका एक माध्यम है 'यज्ञ'।यज्ञ की पहचान है 'अग्नि' या यूं कहें 'अग्नि', यज्ञ का अहम हिस्सा है जो कि प्रतीक है शक्ति की, ऊर्जा की, सदा ऊपर उठने की।🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Bhale hi apke es massage ko kisi ne pura na pda ho par apne bilkul sach kaha
Jay ho Karn apke jaisa koi danvir nhi h
❤️🙏
दानवीर कर्ण मैं दीवाना हो गया तेरा दीवाना हो गया
वाह कर्ण वाह
Mujhe garv hai me ang pardesh hun karan ki nagari ka ❤️❤️❤️❤️
Jay Shri Krishna 🙏🙏🙏😭🙏❤️
करण के साथ हमेशा धोखा और सौदा हुआ है करण जैसा दानवीर हुआ ना ही होगा
jai shree krishna 🙏🏻🙏🏻
Dani veri kran ku koti🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 Very Nice Actor Dani Veri Kran, Jay shree Krishna bhagwan,Ram Nada Sagar ki Rachana
Hi so best💯 mahabharat around the world🌎🌎🌎🌎🌎
Akolovy ❤Karan ti🎉
Jay Shri Radhe Krishna
Karn adharmi nahi dharm veer hai
Lekin usne adharma ka sath Diya tha
सच में महान कर्ण और बाली जी जैसा महान दानी कोई कभी नहीं हो सकता 😢😢😢😢😢😢😢😢😢
Hindi Bhasha Kuch Samajh nahi pata isliye English bhasha trying se Samjha ye 😢
Sansar ki sare dani ik tarf, aur karn ik tarf🙏
Mahan Dhani Karna 🙏🙏🙏🙏🙏
सबसे बड़े दानी बलि थे,, दूसरे दानी अंग राज कर्ण
Dhaan mein rajya Dena aur apne sharir ka ang Dena ismein anter hota hai...
Kon kon Khan sir ka video dekh ke aaya hai😂😂
जय श्री कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
है दानवीर कर्ण तेरी सदा ही जय हो🙏
Samay ke anusaran li gayi sikha aur majbut ped ki jade bhi nast ho jati hai keval kiya gaya yagay aur diya gaya dan hi kayam rehti hai 😊😊😊😊😊😊 Danvir karn ☺
Ramayan ka meghnath. Or.
Mahabharat ka karn dono ka kirdar hame behad achha lagta h
Koi bhi serial dekho Mahabharat ho ya shiv puran sabme Indra dev ko chhal karte hi dikhaya hai fir inhe devtaon ka raja kyun chuna gya radhe Krishna radhe Krishna ❤❤
Mahaveer Karnn kii Jay Ho..
🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏
☀️putra #Karna(Vasusen) ki jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bhagvaan #Suryadev(☀️GOD) ki jai ho 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🕉 namah Shivaya 🙏🙏🙏🙏🙏
HAR HAR #MAHADEV 🔱🔱🔱🔱🔱.
😊 vah Shri Krishna shadyantra Kari ho to aap jaisa dhanyvad danvir Karn jiske samne Bhagwan bhi bheekh mangte hain
*Vah karna vah* 🔥
Dani ho to karan jassa jay ho karan
Jay shree karna 🙏🙏🙏🙏
Danveer karne ko mera sat sat naban
Darveer karna apki jay ho🙏
7:48❤️❤️❤️❤️🚩
Radhe radhe 🙏♥️
Jay Shree Hari Narayan visnhu ji 🙏🚩
Is sansar mein sabse bada Dani koi nahin hai maharathi Karn
Islie to wo dhanveer khelata hai... 🙏🙏
JAI SHREE KRISHNA JI 🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
Karan .iswar.hai.shiv.saytan.hai
Ye aisa videos hai jo mai bar bar dekh Sakata hu
मनोज कुमार,,, राज कुमार,, भावना कुमारी, hare Krishna hare Krishna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺🌺🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
Jisse bhagwan bhi magne lge usse bada koi Dani kaise ho skta h 😂
Karn ki daan virta yugo yugo Tak Amar rahega
Agar koi arjun se kuch mangta to woh apne gaandiv ke sath bagh jata.
DHANYA HO AAP KARN
Abe gadha h kya
Shree Ganeshay Namah🙏🏻
Danveer karna🙏🙏🙏Super fabulous fantastic actor
आपके साथ कभी भी न्याय नहीं हो saka, iska khed aur dukh apke chahte waalon ko hamesha rhega
Please tv serial dekhkr koi opinion na banaye Asli mahabharat padhe ved vyas ji ka
Jai shree krishna
जय, श्री कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा हरे हरे कृष्णा कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा
Karn. Ak. Mahan. Danvir
Yodha. Hai
aap bahut danivir ho karn🙏🙏🙏🙏🙏❤❤❤❤❤
जय श्री राम जय श्री राम जय श्री राम 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾🪔🪔🪔🪔🪔
दान बीर कर्ण कोई नही हो सकता
Jai Shree Rukmani Mata ji ki🙏🏻
Mere aakho me assu a gaye
Such me mam 😭
Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree Krishna Jay shree
Karan se upar koi danvir nahin tha
इंद्रा मध्ये दम होता तर काढलेले कवच कुंडल प्रसन्न होऊन कर्नाला माघारी दिलेअसते परंतु त्याच्या मनामध्ये पाप होते तसा तो पहिल्यापासून पापी आहे पुत्र प्रेमाने पार वेडा झाला होता
Indra ki Puja koi na karna chahiye
Kis liye
Danbir karn ki mahanta dekha kr akhe nam ho jate wo
आप धन्य हैं अंग राज
Jay ho suryadev jay mata kunti maiya ki
Jai Shree Radhe Krishna🙏🏻
Yishu Bhagwan ka Leela hai Srishti ka niyam bhi hai Jay Shri
Aap dhanya hai karn jai shree krishna
Karna jaise dani nahi,,bhishma jaisa pratigya nahi
Aaj se hum aram karenge insaan bankar ,,,,last me fir avtar lunga ,,,❤❤