आचार्य जी, आपको सादर प्रणाम! मैं पिछले कुछ महीनों से आपकी वीडियो देख रहा हूं। और सीख कर अपने 25 लोगों के परिवार में सबको आपकी बातें सुनाता हूं। मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन आया अब हम नौकरी और पढ़ाई के साथ-साथ आपके सभी विचारों का मेरे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए धन्यवाद आशा है। जीवन में आपको सुनते रहेंगे और आपको सभी खुशियां मिले मात्र 24 वर्ष की आयु में आपने हमें बहुत कुछ सिखा दिया। जो शायद हम 40 वर्ष की आयु में जाकर सीखते। मुझे गर्व है मुझे आपका शिष्य बनने का मौका मिला।
अनादि वैदिक जाति प्रथा को कुतर्क के द्वारा निराकरण सर्वथा अनुचित है, श्रीऋषि दयानन्द जी जन्मत: ब्राह्मण थे, जातिवाद का पूर्ण समर्दक थे,परन्तु आङ्ग्रेजोङ्को सन्तुष्ट करने केलिए उस को आपातत: खण्डन किये है,100008 श्री पुरीशङ्कराचार्यजी जगद्गुरु जी प्रवचन सुने,ऐरे गिरे नत्थे लोगोङ्का नही
Bohot bohot dhanyewad guru ji ki ap vaidik dharm ko aage badha rahe hai🙏🚩..tahe dil se apka shukriya....maine apko pehli baar kal brij vihar ke c block ke arya samaj mandir mein suna tha mujhe bohot acha laga ap jis tarike se sab janta ko saare bacho ko vaidik dharm ke liye jagruk kar rhe hai...main bohot khush naseeb hu ki mujhe apko sun-ne ka mauka mila...ek bar firse apka bohot bohot dhaneyad guru ji🙏🚩💐
गुरु कूलों का खुलना वेद पुराणों को पढ़ाना बहुत ज़रूरी है और पढ़ने हर कोई जाए जो ना जाए उसको सज़ा हो.. वेदो के साथ हर किसम की पढ़ाई बी हो जिसकी ज़रूरत है...देश बी बचेगा और सनातन बी बचेगा... हर कोई सनातनी ही है.. गुरु कूलों मैं पढ़ने वाले को हर्गीज़ पता चल जाएगा खुद को पहचान लेगा मैं कौन हूँ
जैसे दान सत्पात्री लोगोणको करणा चाहीये वैसे ही मदत सही लोगोणको करणी चाहीये।1947 मे जब बतवारा हुआ तब सभी मुसलमनोको यहासे निकाला होता तो आज पुरा देश सुखी ,समृद्ध होता,लेकीन गलत के साथ अच्छा कर्णेपर परिणाम गलत ही होते है।
भक्ति में शक्ति होती है ये अनुभव से पता चलता है और भगवान से प्रार्थना करने में बस मांगना उद्देश्य नही होता ईश्वर बिना मांगे सब दे देते हैं मन का भाव होता है ये ऐसा है खीर। खाए बिना खीर का स्वाद बताए भक्त जब ईश्वर से हृदय से बात करते हैं वो श्रद्धा है इसे हर कोई नही समझ सकता ईश्वर सर्व शक्तिमान है हर हर महादेव 🕉️🙏🙏🙏🖐️🕉️
महोदय क्या आप सभी संस्कारों के जो हमारे दैनिक जीवन में अक्सर हम करते या करते हैं उनका भावार्थ नहीं कर सकते कृपया आप ऐसा करके अनेक लोगों का कल्याण करें आभारीहूंगा
अगर किसी माता पिता ना कोई बुरा काम भी नहीं किया हो फिर भी उसकी सन्तान गलत रास्तो पर चल पड़े तो स्वामी जी वह कोनसे कर्मो का फल है please🙏 स्वामी जी बताइये
Namaste sir ji Yadi koi valmiki Sanskrit ka teacher ban jae to kya wah pandit ji ban jayega yadi haan to uske bacche ko kya naam denge pandit ya valmiki wah jaroor valmiki hi lagaega kyuki uske bacche ko tabhi reservation milega
Apke first swal k jbaab se mai satisfy nhi hu bilkul bhi. Har kisi ka IQ alag alag hota hy scientifically proved hy psychologists ne logo ko iq level pe divided kiya hy _ from feeble minded to supra genius . Ap toh scientific baate krte ho.
To Acharyaji reservation bhi inhe chod deni chahiye. Aaj sirf brahmano ko nishana banaya ja raha hai aur yogyata ka apman to General walo ke saath ho raha hai. Brahmano ko kaha jata hai ki inhone aur kisi jati ko padne nahi diya jabki saikdo saalo tak mughlo ka raaz tha fir angrezo ne raaz kiya. Swami Dayanandji, Shraddhanandji ne to sirf brahmano ko nahi padaya tab kyun kaha jata hai ki sirf brahmano ko shiksha ka adhikar tha?
श्री ऋषि दयानन्दजी वस्तुत: जन्मजात ब्राह्मण धे,और वर्णाश्रमधर्म एवं मूर्तीपूजा के समर्थक थे,परन्तु यथा प्रजापतिजी ने विरोचन को चार्वाकमत के समान दीखने वाला वाक्योङ्से उपदेश दिया वैसे ही अवैदिक लोगोङ्को सत्यार्थ प्रकाश नामक किताब के द्वारा असत्यार्थ का प्रकाश किया,इस रहस्य को जान कर श्री बाबा रामदेवजी वैदिक वर्णाश्रम व्यवस्था ,मूर्ती पूजा आदि मानते है,इस रहस्य को आप भी समझो,वैसे सही उपदेश करो ,लोगोङ्को भ्रमित मत करो
किसी के मानने भर से सत्य असत्य में परिवर्तित नहीं हो जाएगा। आप मूर्तिपूजा को सही सिद्ध करके ईश्वर को सीमित करना चाहते हैं क्या? बुद्धिमान विद्वानों व सत्यज्ञान के जिज्ञासुओं के लिए मूर्तिपूजा किसी काम की नहीं है। मूर्तिपूजा बच्चों के गुड्डे-गुड़ियों के खेल जैसा ही है।
@@ashcharya27 देहात्मप्रत्ययो यद्वत् प्रमाणं त्वात्मनिश्चयात्। लौकिकं तद्वदेवेदं प्रमाणं त्वात्मनिश्चयात्।। इस वाक्य आचार्यशङ्करभगवत्पाद ने सिद्ध किया कि जीवन्मुक्तोङ्केलिए ये सब खेल है,परन्तु हम लोगोङ्को तो यही साधन है,अत: वेदे*अर्चन्तो ,,, पदमन्वविन्दन्*लिखा है
आचार्य जी नमस्ते। आपके प्रवचन बहुत ही सरल भाषा में सार्थक होते हैं
आचार्य जी, आपको सादर प्रणाम!
मैं पिछले कुछ महीनों से आपकी वीडियो देख रहा हूं।
और सीख कर अपने 25 लोगों के परिवार में सबको आपकी बातें सुनाता हूं।
मेरे जीवन में बहुत परिवर्तन आया अब हम नौकरी और पढ़ाई के साथ-साथ आपके सभी विचारों का
मेरे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए धन्यवाद आशा है। जीवन में आपको सुनते रहेंगे और आपको सभी खुशियां मिले मात्र 24 वर्ष की आयु में आपने हमें बहुत कुछ सिखा दिया।
जो शायद हम 40 वर्ष की आयु में जाकर सीखते।
मुझे गर्व है मुझे आपका शिष्य बनने का मौका मिला।
आपका यह प्रेम हमारे लिए प्रेरणा है
@@Prahari 🙏🙏🙏🙏
बहुत अच्छी जानकारी दे रहे हो बेटा बस इसी तरह कार्य करते रहो भगवान आप की लम्बी आयु दे
आचार्य जी जाति प्रथा पर आपका बोलना तर्क के साथ बहुत ही अच्छा लगा। मुझे खुशी हुई कि मुझे आप जैसे आचार्यों का सानिध्य प्राप्त हुआ है। 🙂🙂🙏🙏
वेदों में जाती प्रथा जैसा कुछ नहीं है
अनादि वैदिक जाति प्रथा को कुतर्क के द्वारा निराकरण सर्वथा अनुचित है, श्रीऋषि दयानन्द जी जन्मत: ब्राह्मण थे, जातिवाद का पूर्ण समर्दक थे,परन्तु आङ्ग्रेजोङ्को सन्तुष्ट करने केलिए उस को आपातत: खण्डन किये है,100008 श्री पुरीशङ्कराचार्यजी जगद्गुरु जी प्रवचन सुने,ऐरे गिरे नत्थे लोगोङ्का नही
@@parbhakarprasad153,?
इस से अच्छा समाधान नुई हो सकता बहुत बहुत धन्यवाद
❤ bhi
Bohot bohot dhanyewad guru ji ki ap vaidik dharm ko aage badha rahe hai🙏🚩..tahe dil se apka shukriya....maine apko pehli baar kal brij vihar ke c block ke arya samaj mandir mein suna tha mujhe bohot acha laga ap jis tarike se sab janta ko saare bacho ko vaidik dharm ke liye jagruk kar rhe hai...main bohot khush naseeb hu ki mujhe apko sun-ne ka mauka mila...ek bar firse apka bohot bohot dhaneyad guru ji🙏🚩💐
सादर नमस्ते गुरूजी महाराज 🙏🙏💐💐🌺🏵️❤️❤️
Jai shree ram guru jii❤😊
ओऊम जी शंका समादन कि जानकारी प्राप्त करने का कक्षाओं लाभ होता जा रहा है जी धन्यवाद
ऊं 🌹🌹🌹☂️🙏
🕉🙏
गुरु कूलों का खुलना वेद पुराणों को पढ़ाना बहुत ज़रूरी है और पढ़ने हर कोई जाए जो ना जाए उसको सज़ा हो.. वेदो के साथ हर किसम की पढ़ाई बी हो जिसकी ज़रूरत है...देश बी बचेगा और सनातन बी बचेगा... हर कोई सनातनी ही है.. गुरु कूलों मैं पढ़ने वाले को हर्गीज़ पता चल जाएगा खुद को पहचान लेगा मैं कौन हूँ
ओ३म् सादर नमस्ते 🙏🏻🙏🏻 आचार्य जी
किसी भी विषय पर इतना अच्छे ढंग समझाना बहुत बड़ी बात है सुपर आचार्य.🙏🙏
बहुत सुन्दर नमस्ते आचार्य जी
🙏🙏
👏👏😇adbhut🙏🏼
🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी सादर नमस्कार
🙏
🚩जय भारत
Suraj Bhan Dagar baut Dhanyawad
आप को बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
🙏🏼🙏🏼🙏🏼
नमस्ते आचार्य जी
नमस्ते आचार्य जी. अति उत्तम.
जैसे दान सत्पात्री लोगोणको करणा चाहीये वैसे ही मदत सही लोगोणको करणी चाहीये।1947 मे जब बतवारा हुआ तब सभी मुसलमनोको यहासे निकाला होता तो आज पुरा देश सुखी ,समृद्ध होता,लेकीन गलत के साथ अच्छा कर्णेपर परिणाम गलत ही होते है।
भक्ति में शक्ति होती है ये अनुभव से पता चलता है
और भगवान से प्रार्थना करने में बस मांगना उद्देश्य नही होता ईश्वर बिना मांगे सब दे देते हैं मन का भाव होता है ये ऐसा है खीर। खाए बिना खीर का स्वाद बताए भक्त जब ईश्वर से हृदय से बात करते हैं वो श्रद्धा है इसे हर कोई नही समझ सकता ईश्वर सर्व शक्तिमान है हर हर महादेव 🕉️🙏🙏🙏🖐️🕉️
Namaste acharya ji 🙏🙏🙏🙏
Hii
Kirendra singha
महोदय क्या आप सभी संस्कारों के जो हमारे दैनिक जीवन में अक्सर हम करते या करते हैं उनका भावार्थ नहीं कर सकते कृपया आप ऐसा करके अनेक लोगों का कल्याण करें आभारीहूंगा
Please I do not know hindi that is why give the title in English also
स्वामी जी नमस्ते, प्रणाम, स्वामी जी समाधी में होने वाले अनुभवों के बारे में विस्तार से जानकारी देने की कृपा करें ।
अगर किसी माता पिता ना कोई बुरा काम भी नहीं किया हो फिर भी उसकी सन्तान गलत रास्तो पर चल पड़े तो स्वामी जी वह कोनसे कर्मो का फल है please🙏 स्वामी जी बताइये
Namaste sir ji
Yadi koi valmiki Sanskrit ka teacher ban jae to kya wah pandit ji ban jayega yadi haan to uske bacche ko kya naam denge pandit ya valmiki wah jaroor valmiki hi lagaega kyuki uske bacche ko tabhi reservation milega
Mob..
इस हिसाब से तो जाति, उप नाम रोज बदले जाएंगे। और बचपन में पैदा होते तो क्या सर नेम होगा?
Apke first swal k jbaab se mai satisfy nhi hu bilkul bhi. Har kisi ka IQ alag alag hota hy scientifically proved hy psychologists ne logo ko iq level pe divided kiya hy _ from feeble minded to supra genius . Ap toh scientific baate krte ho.
Janm se hi ब्राह्मण पैदा हुए और नामकरण भी किया to इसमे क्या गलत है आचार्य जी
Jiska bap viswkarmatha would ab katha sunata hai use ab Kya khege pandit
haa
To Acharyaji reservation bhi inhe chod deni chahiye. Aaj sirf brahmano ko nishana banaya ja raha hai aur yogyata ka apman to General walo ke saath ho raha hai. Brahmano ko kaha jata hai ki inhone aur kisi jati ko padne nahi diya jabki saikdo saalo tak mughlo ka raaz tha fir angrezo ne raaz kiya. Swami Dayanandji, Shraddhanandji ne to sirf brahmano ko nahi padaya tab kyun kaha jata hai ki sirf brahmano ko shiksha ka adhikar tha?
Aache log thaklif me kuy jeete h?
Galat bol rhe hai
Kio public ko baib koof banatey ho. Or koi kaam Nahi hai. Dhian mey jao bolna vedio Banana band kar dogey.
मेरा पता नहीं, पर क्या आपको कमेंट करने अतिरिक्त कोई काम है?
श्री ऋषि दयानन्दजी वस्तुत: जन्मजात ब्राह्मण धे,और वर्णाश्रमधर्म एवं मूर्तीपूजा के समर्थक थे,परन्तु यथा प्रजापतिजी ने विरोचन को चार्वाकमत के समान दीखने वाला वाक्योङ्से उपदेश दिया वैसे ही अवैदिक लोगोङ्को सत्यार्थ प्रकाश नामक किताब के द्वारा असत्यार्थ का प्रकाश किया,इस रहस्य को जान कर श्री बाबा रामदेवजी वैदिक वर्णाश्रम व्यवस्था ,मूर्ती पूजा आदि मानते है,इस रहस्य को आप भी समझो,वैसे सही उपदेश करो ,लोगोङ्को भ्रमित मत करो
किसी के मानने भर से सत्य असत्य में परिवर्तित नहीं हो जाएगा। आप मूर्तिपूजा को सही सिद्ध करके ईश्वर को सीमित करना चाहते हैं क्या? बुद्धिमान विद्वानों व सत्यज्ञान के जिज्ञासुओं के लिए मूर्तिपूजा किसी काम की नहीं है। मूर्तिपूजा बच्चों के गुड्डे-गुड़ियों के खेल जैसा ही है।
@@ashcharya27 देहात्मप्रत्ययो यद्वत् प्रमाणं त्वात्मनिश्चयात्। लौकिकं तद्वदेवेदं प्रमाणं त्वात्मनिश्चयात्।।
इस वाक्य आचार्यशङ्करभगवत्पाद ने सिद्ध किया कि जीवन्मुक्तोङ्केलिए ये सब खेल है,परन्तु हम लोगोङ्को तो यही साधन है,अत: वेदे*अर्चन्तो ,,, पदमन्वविन्दन्*लिखा है