अति सुन्दर आचार्य जी केई दिनों से आवाहन चेनल ऋषि दयानंद को पाखंडी जैसे सब्दो से संबोधित कर रहा था अपने बहुत अच्छी तरह से शास्त्रथ किया आनंद आया और बहुत कुछ सीखने को मिला।🎉🎉
Guru ji dharma ki raksha ke liye hinsa dharm ke liye avasyak hai akshma chahta hu agar aap ki beti ka koi seel bhang kare ab dharm ki aap ke hisaab se kyaa vayakhya hai Bk bindas 🙏🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी -- आपके सवालों का उत्तर दे रहा हूं, आपका सवाल है ईश्वर को अवतार लेने की आवश्यकता क्यों है। निराकार रहकर ईश्वर कुछ नहीं कर सकता है, इसलिए ईश्वर को साकार होना पड़ता है। ईश्वर इच्छा मात्र से सृष्टि करता है, इच्छा करना, संकल्प लेना आदि मन - बुद्धि का कार्य है और मन बुद्धि को शरीर की आवश्यकता होती है। मन बुद्धि स्वतंत्र अपनी सत्ता नहीं रखते है अतः वेद घोषणा कर रहा है कि ईश्वर को सृष्टि करने के लिए साकार होना पड़ता है। जीवात्मा भी निराकार है परंतु वह भी शरीर धारण करने पर ही कोई भी कार्य संपन्न कर पाता है। विद्युत निराकार है परंतु कार्य करने के लिए तार, यंत्र आदि साकार माध्यम की आवश्यकता होती है। वायु सब जगह एक रस है फिर भी टयुब, फूटबॉल आदि में सर्वव्यापी हवा काम नहीं आती है। धर्म का अर्थ है धारण करना। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक तत्व धारण करने पड़ते हैं जो भोजन से प्राप्त होता है। पौष्टिक तत्व निराकार है और भोजन साकार है अर्थात निराकार को धारण करने के लिए साकार की आवश्यकता है। ईश्वर निराकार है पर वह धारण नहीं किया जा सकता है अतः वह जीवों के कल्याण के लिए राम कृष्ण के रूप में अवतार लेकर आता है ताकि हम मन से भगवान का रुप धारण कर सकें। जब राम आते हैं तो मानव की तरह ही व्यवहार करते हैं पर जिन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त होता है वे राम को देखकर समझ जाते हैं कि राम ईश्वर ही है, अन्य लोगों को वे मनुष्य के जैसे दिखाई देते हैं। पुराण वेद मंत्र का अर्थ है, बिना पुराण के कोई भी वेद को नहीं समझ सकता है क्योंकि वेद परोक्षवाद है, शब्द कोष से भी वेद का अर्थ प्रकट नहीं हो सकता है, जैसे शब्द है - पृथ्वी और इसका भाव है ब्रह्म। शब्द है आकाश और भाव है ब्रह्म। परोक्षवादोयम वेदः । अतः पुराण को नकारने वाले वेद के अर्थ को नहीं जानते है, दयानंद ने तो वेदों का मनगढ़ंत अर्थ निकालने के लिए पुराण को नकार दिया। पुराण की जो बात समझ नहीं आती है, वहां आर्य समाज //मिलावट// जैसे शब्द का इस्तेमाल करके भागने का ही प्रयास करता है। आचार्य जी - आप पहले किसी पौराणिक विद्वान से मिलिए और अपने संशय मिटाएं।
Are bhai isvar ko sochne ke liye man budhi ki avashyakta nhi hai kyu ki vah purn hai jivaata purn nhi hai isi liye jivaaatma ko karya karane ke liye man budhi ki jarurat hai par isvar to purn hai yahi to tum logo ki soch galat hai
भाई आपको किसने बोल दिया कि विद्युत निराकार है विद्युत निराकार है विद्युत में क्या होता है इलेक्ट्रोनिक का प्रवाह होता है और माइक्रोस्कोप से देखने पर इलेक्ट्रॉन दिखाई देते हैं आपको नहीं पता है आप कैसी बात कर सकते हैं कि विद्युत विद्युत निराकार है अगर मां लीजिए की ईश्वर निराकार है तो उसे कम म करने के लिए किसी चीज की जरूरत क्यों पड़ रही है अगर जरूरत पड़ रही है तो फिर सर्वशक्तिमान कैसे हैं
इस आदमी ने पूरी कोशिश की उलझाने की लेकिन असफल हुआ सुधर जा आव्हान अब भी वक्त है। वेद को पढ़ कर ज्ञान को बड़ा ले। भाई और कहां कहां शर्मिन्दा होगा समझा भाई
आह्वान (शिवांश द्विवेदी) के तर्क और प्रश्न नास्तिकों जैसे है।
बहुत अच्छा 🎉 बताया आचार्य जी ने , आचार्य जी के तर्कों की कोई मुकाबला नहीं
अति सुन्दर आचार्य जी केई दिनों से आवाहन चेनल ऋषि दयानंद को पाखंडी जैसे सब्दो से संबोधित कर रहा था अपने बहुत अच्छी तरह से शास्त्रथ किया आनंद आया और बहुत कुछ सीखने को मिला।🎉🎉
नमस्ते आचार्य जी 🙏🏻🙏🏻
Guru ji ye kyonkar pata Laga ha ki use Avtar Lene ki jarurat nahi hai Bk bindas 🌄🙏
आपने जिसप्रकार से धोती धारण की है, कृपया उसपर एक वीडियो बनाइये, आपकी अति कृपा होगी।
Guru ji dharma ki raksha ke liye hinsa dharm ke liye avasyak hai akshma chahta hu agar aap ki beti ka koi seel bhang kare ab dharm ki aap ke hisaab se kyaa vayakhya hai Bk bindas 🙏🙏🙏🙏🙏
बेहत अच्छा धोया हे आचार्य जी ने, इस छपरी को😂😂
कितने बेशर्म बनोगे भाई, देख रहा है सब कि किसको किसने धोया है, इतनी अंधभक्ति भी सही नहीं
Yes bro 😂😂@@Who_I_am55
Guru ji kyaa Agni sarvatra hai ek desiye hai ya Bahu desiye
Shivansh ko ab pata chala Arya Samaj kya hei
आचार्य जी -- आपके सवालों का उत्तर दे रहा हूं, आपका सवाल है ईश्वर को अवतार लेने की आवश्यकता क्यों है।
निराकार रहकर ईश्वर कुछ नहीं कर सकता है, इसलिए ईश्वर को साकार होना पड़ता है। ईश्वर इच्छा मात्र से सृष्टि करता है, इच्छा करना, संकल्प लेना आदि मन - बुद्धि का कार्य है और मन बुद्धि को शरीर की आवश्यकता होती है। मन बुद्धि स्वतंत्र अपनी सत्ता नहीं रखते है अतः वेद घोषणा कर रहा है कि ईश्वर को सृष्टि करने के लिए साकार होना पड़ता है।
जीवात्मा भी निराकार है परंतु वह भी शरीर धारण करने पर ही कोई भी कार्य संपन्न कर पाता है।
विद्युत निराकार है परंतु कार्य करने के लिए तार, यंत्र आदि साकार माध्यम की आवश्यकता होती है।
वायु सब जगह एक रस है फिर भी टयुब, फूटबॉल आदि में सर्वव्यापी हवा काम नहीं आती है।
धर्म का अर्थ है धारण करना। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक तत्व धारण करने पड़ते हैं जो भोजन से प्राप्त होता है। पौष्टिक तत्व निराकार है और भोजन साकार है अर्थात निराकार को धारण करने के लिए साकार की आवश्यकता है।
ईश्वर निराकार है पर वह धारण नहीं किया जा सकता है अतः वह जीवों के कल्याण के लिए राम कृष्ण के रूप में अवतार लेकर आता है ताकि हम मन से भगवान का रुप धारण कर सकें।
जब राम आते हैं तो मानव की तरह ही व्यवहार करते हैं पर जिन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त होता है वे राम को देखकर समझ जाते हैं कि राम ईश्वर ही है, अन्य लोगों को वे मनुष्य के जैसे दिखाई देते हैं।
पुराण वेद मंत्र का अर्थ है, बिना पुराण के कोई भी वेद को नहीं समझ सकता है क्योंकि वेद परोक्षवाद है, शब्द कोष से भी वेद का अर्थ प्रकट नहीं हो सकता है, जैसे शब्द है - पृथ्वी और इसका भाव है ब्रह्म।
शब्द है आकाश और भाव है ब्रह्म।
परोक्षवादोयम वेदः । अतः पुराण को नकारने वाले वेद के अर्थ को नहीं जानते है, दयानंद ने तो वेदों का मनगढ़ंत अर्थ निकालने के लिए पुराण को नकार दिया।
पुराण की जो बात समझ नहीं आती है, वहां आर्य समाज //मिलावट// जैसे शब्द का इस्तेमाल करके भागने का ही प्रयास करता है।
आचार्य जी - आप पहले किसी पौराणिक विद्वान से मिलिए और अपने संशय मिटाएं।
Tum kis guru ke chele ho dost
हिम्मत हो तो आर्य समाज के किसी विद्वान से अपनी इच्छा को मिटा लो
Are bhai isvar ko sochne ke liye man budhi ki avashyakta nhi hai kyu ki vah purn hai jivaata purn nhi hai isi liye jivaaatma ko karya karane ke liye man budhi ki jarurat hai par isvar to purn hai yahi to tum logo ki soch galat hai
भाई आपको किसने बोल दिया कि विद्युत निराकार है विद्युत निराकार है विद्युत में क्या होता है इलेक्ट्रोनिक का प्रवाह होता है और माइक्रोस्कोप से देखने पर इलेक्ट्रॉन दिखाई देते हैं आपको नहीं पता है आप कैसी बात कर सकते हैं कि विद्युत विद्युत निराकार है अगर मां लीजिए की ईश्वर निराकार है तो उसे कम म करने के लिए किसी चीज की जरूरत क्यों पड़ रही है अगर जरूरत पड़ रही है तो फिर सर्वशक्तिमान कैसे हैं
इस आदमी ने पूरी कोशिश की उलझाने की लेकिन असफल हुआ सुधर जा आव्हान अब भी वक्त है।
वेद को पढ़ कर ज्ञान को बड़ा ले। भाई
और कहां कहां शर्मिन्दा होगा समझा भाई
Guru ji ye kyonkar pata Laga ha ki use Avtar Lene ki jarurat nahi hai Bk bindas 🌄🙏