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सत्य की आवाज satya ki aavaj
Приєднався 23 січ 2017
उद्देश्य- कृणवन्तो विश्वमार्यम =सारे संसार को श्रेष्ठ बनाना।
योजना (मिशन)- वैदिक युग निर्माण=राष्ट्र अभ्युदय , मानव धर्मस्य अभ्युत्थानम्,विश्व कल्याणार्थ जन जागरण ।
आत्मनिवेदन -
आदरणीय समाज के शुभ चिंतक,मोक्षानुरागी, ईश्वर एवं राष्ट्र भक्त बहिन-भाइयो! सत्य ही ईश्वर है सत्य की आवाज ही ईश्वर की आवाज है जिसको चरितार्थ करना ही ईश्वर आज्ञा का अनुपालन करना है। वस्तुत: ईश्वर आज्ञा का अनुपालन एवं प्रचार-प्रसार करने कराने के उद्देश्य से ही"सत्य की आवाज"यूट्यूब चैनल का निर्माण किया गया है जिससे उस जगत पिता जगदीश्वर के शुभ सन्देश को जन-जन तक पहुंचाया जा सके इसलिए आप से निवेदन है कि चैनल को अधिक से अधिक सब्सक्राइब एवं शेयर कर सत्य की आवाज को अपनी आवाज़ बनायें और जन-जन तक पहुंचाएं जिससे संसार का प्रत्येक नर-नारी सत्यासत्य से परिचित हो असत्य का त्याग और सत्य को ग्रहण कर सृष्टि के सर्वोत्तम मानव जीवन को सफल बना सके। अतः आप इस ईश्वरीय महा कार्य में सहभागी हों आत्म कल्याण एवं पुण्य यश को प्राप्त करें ।
आप का मित्र
आचार्य रक्षपाल देव आर्य
योजना (मिशन)- वैदिक युग निर्माण=राष्ट्र अभ्युदय , मानव धर्मस्य अभ्युत्थानम्,विश्व कल्याणार्थ जन जागरण ।
आत्मनिवेदन -
आदरणीय समाज के शुभ चिंतक,मोक्षानुरागी, ईश्वर एवं राष्ट्र भक्त बहिन-भाइयो! सत्य ही ईश्वर है सत्य की आवाज ही ईश्वर की आवाज है जिसको चरितार्थ करना ही ईश्वर आज्ञा का अनुपालन करना है। वस्तुत: ईश्वर आज्ञा का अनुपालन एवं प्रचार-प्रसार करने कराने के उद्देश्य से ही"सत्य की आवाज"यूट्यूब चैनल का निर्माण किया गया है जिससे उस जगत पिता जगदीश्वर के शुभ सन्देश को जन-जन तक पहुंचाया जा सके इसलिए आप से निवेदन है कि चैनल को अधिक से अधिक सब्सक्राइब एवं शेयर कर सत्य की आवाज को अपनी आवाज़ बनायें और जन-जन तक पहुंचाएं जिससे संसार का प्रत्येक नर-नारी सत्यासत्य से परिचित हो असत्य का त्याग और सत्य को ग्रहण कर सृष्टि के सर्वोत्तम मानव जीवन को सफल बना सके। अतः आप इस ईश्वरीय महा कार्य में सहभागी हों आत्म कल्याण एवं पुण्य यश को प्राप्त करें ।
आप का मित्र
आचार्य रक्षपाल देव आर्य
आओ जानें जन्मदिन कैसे मनाएं? (भाग–2) आचार्य रक्षपाल देव आर्य
आओ जानें जन्मदिन कैसे मनाएं? (भाग-2) आचार्य रक्षपाल देव आर्य
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पितर कौन ? श्राद्ध एवं तर्पण क्या है? (भाग-2) आचार्य रक्षपाल देव आर्य
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पितर कौन? श्राद्ध एवं तर्पण क्या है? (भाग-३)आचार्य रक्षपाल देव आर्य
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पितर कौन? श्राद्ध एवं तर्पण क्या है? (भाग-३)आचार्य रक्षपाल देव आर्य
पितर कौन? श्राद्ध एवं तर्पण क्या है? (भाग-1) आचार्य रक्षपाल देव आर्य
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#श्राद्धपक्ष #पितर
मनुष्य ने मानवता विसराई।
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#humanity #manav #आचार्य #आर्यसमाज #aryasamaj #aryasamajmandir
पं० नेत्रपाल आर्य । आर्यसमाज वार्षिकोत्सव सिंगापुर
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पं० नेत्रपाल आर्य । आर्यसमाज वार्षिकोत्सव सिंगापुर
ये भावना बना ले मत कर बुरा किसी का।
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#भजन #song #गाना #वैदिक #aryasamaj #आर्यसमाज
नारी जागरण पर अद्भुत उपदेश करते हुए। आचार्य रक्षपाल देव आर्य, ग्राम सींगापुर के वार्षिक उत्सव में
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#नारी #संस्कार #girls #power #aryasamaj #आर्यसमाज #जागरण #महिला आचार्य
सत्संग क्या है? सत्संग की महिमा क्या है?
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जानें सत्संग की महिमा और पतिव्रता नारी की पहचान। आचार्य रक्षपाल देव आर्य #सत्संग #satsang #आर्यसमाज #aryasamaj #aacharya #वैदिक #आचार्य #vaidik #पतिव्रता #नारी #pati
आचार्य रक्षपाल देव आर्य।तृतीय आर्यसमाज वार्षिकोत्सव सिंगापुर
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#आर्यसमाज #aryasamaj #aacharya #vaidik #वेद
घर घर अलख जगाएंगे हम बदलेंगे जमाना। बहिन कोमल आर्या
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आर्यसमाज सिंग तृतीय वार्षिकोत्सव #आर्यसमाज #शाहजहांपुर #aryasamaj #गीत #geet #बहिन
वैदिक राम कथा कहने वाले हो जाओ सावधान
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#वैदिक #राम #कथा #aryasamaj #आर्यसमाज #आचार्य
कुल की परंपरा मर्यादा निभाती रहना बेटी। गीत
Переглядів 33921 день тому
कुल की परंपरा मर्यादा निभाती रहना बेटी। गीत
आओ जानें जन्मदिन कैसे बनाए? ( भाग-1) आचार्य रक्षपाल देव आर्य
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1 जनवरी को new year मनाने वाले हो जाओ सावधान।
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1 जनवरी को new year मनाने वाले हो जाओ सावधान।
वैदिक संध्योपासना शब्दार्थ और अर्थ सहित
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वैदिक संध्योपासना शब्दार्थ और अर्थ सहित
प्राण प्रदाता संकट दाता हे सुखदाता ओम ओम
Переглядів 336Місяць тому
प्राण प्रदाता संकट दाता हे सुखदाता ओम ओम
प्रभु के नाम की भक्ति सदा मन में बसाया कर। गीत
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प्रभु के नाम की भक्ति सदा मन में बसाया कर। गीत
वैदिक विधि द्वारा गृहप्रवेश कार्यक्रम । आचार्य रक्षपाल देव आर्य । #गृहप्रवेश #वैदिक#आर्यसमाज
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वैदिक विधि द्वारा गृहप्रवेश कार्यक्रम । आचार्य रक्षपाल देव आर्य । #गृहप्रवेश #वैदिक#आर्यसमाज
यज्ञमयी जीवन कैसे बनाएं? #यज्ञ #आर्यसमाज
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यज्ञमयी जीवन कैसे बनाएं? #यज्ञ #आर्यसमाज
याज्ञिक जीवन क्या है जानें #yagya #याज्ञिक #dharma #aryasamaj
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याज्ञिक जीवन क्या है जानें #yagya #याज्ञिक #dharma #aryasamaj
#ये चांद सा रोशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा❎ था उस योगी का चेहरा चेहरे का रंग सुनहरा✔️#दयानंद #arya
Переглядів 42Місяць тому
#ये चांद सा रोशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा❎ था उस योगी का चेहरा चेहरे का रंग सुनहरा✔️#दयानंद #arya
सस्वर शांतिकरणम् पाठ #यज्ञ #शांतिकरणम #वैदिक #aryasamaj #धर्म #aryasamajmandir #सोरों
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सस्वर शांतिकरणम् पाठ #यज्ञ #शांतिकरणम #वैदिक #aryasamaj #धर्म #aryasamajmandir #सोरों
पाखंड का त्याग कर सत्य ग्रहण करो । भाग-2 #aryasamaj #vaidik #सत्य
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पाखंड का त्याग कर सत्य ग्रहण करो । भाग-2 #aryasamaj #vaidik #सत्य
Avhaan ji carrer is ended
Jay shree ram
प्रणाम आचार्य जी🎉🎉
आर्य समाज अमर रहे।
बहुत बहुत धन्यवादआदरणीय सादर नमस्ते जी
ईश्वर समझने के लिए जन्म नहीं लेता ।ईश्वर को समझने की आवश्यकता है।
अति सुन्दर
ओउम् जी 🎉🎉
स्वामी दयानन्द जी ने उबने वाली बात लिखी ही नहीं ये झूठ बोल रहे हैं।
राम और कृष्ण महापुरुष ही थे।
आज तो आह्वान के पसीने छूट गए
26:33 अधर्म बड़ता गया और अवतार डर के मारे घटता गया😂😂
आर्य समाज ऋषि दयानंद की जय
आचार्य जी को 10008 श्री शङ्कराचार्यजीवकेवपुण्य प्रवचन 108 बार सुनना चाहिए दयानन्द जी नेवकेवल ब्रिटिश लोगोङ्को खुश करने हेतु ही इसे गलत रूप से वेद धर्म बताये थे
शिबू को पूछो कि ये गु खा सकता है ये इसका कार्य नहीं है जब इसको शक्तिशाली घोषित कर देते हैं
और कोई मंत्र नहीं आता है क्या😂😂😂
सब बिधि गलत है
Namste guru ji (omkar Singh Nausara)
इस आदमी ने पूरी कोशिश की उलझाने की लेकिन असफल हुआ सुधर जा आव्हान अब भी वक्त है। वेद को पढ़ कर ज्ञान को बड़ा ले। भाई और कहां कहां शर्मिन्दा होगा समझा भाई
सभी मत पंथ संप्रदायों में जो जो समान है उसको सबको स्वीकार करना चाहिए और जो विरोध है उसका त्याग करना चाहिए ~ सत्यार्थ प्रकाश भूमिका
आह्वान के तर्क और प्रश्न नास्तिक जैसे है, प्रतीत होता है आह्वान ईश्वर की सत्ता और वेदों पर विश्वास नहीं रखता है, उसका विरोध करता है
30:37 आचार्य जी कुल की बात कर रहे है और आह्वान गलत अर्थ ग्रहण कर रहा है, कुल और वर्ण अलग है एक नहीं
लोटो वेदों की ओर......,,,,,|
आह्वान (शिवांश द्विवेदी) के तर्क और प्रश्न नास्तिकों जैसे है।
आचार्य जी को नमन ! यद्यपि मै आर्य नहीं हूं , क्यों कि आर्य सरलता से नहीं बना जा सकता। फिर भी महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की विलक्षण प्रतिभा के आगे नत मस्तक हूं। आचार्य जी ! यह आह्वान नामी व्यक्ति दुष्ट प्रकृति का है। इसने आर्य समाज और महर्षि को बदनाम करने की सौगन्ध खा रखी है। इसको इस बात की पीडा है कि इसके स्वप्न साकार नहीं हो पा रहे हैं। यह कभी आर्य समाज मन्दिर के सामान्य पुरोहित से प्रश्न करता है कभी सामान्य सदस्य से। प्रश्न भी इसके बेतुके होते हैं। आप से शास्त्रार्थ करने से पहले इसका विचार था कि आचार्य जी भजन उपदेशादि करते हैं बहुत बडे विद्वान नहीं होंगे। अब पता चला होगा कि किसी विद्वान से पाला पडा हैं। आह्वान की धूर्तता उसकी वाणी और चेहरे से छलकती है। यह "बाहर से कुछ और अन्दर से कुछ और नजर आता है ......."। यह ढोल का पोल है। मै इसे परामर्श देना चाहूंगा कि महर्षि जैमिनी के पश्चात् इतनी विलक्षण प्रतिभा के धनी महर्षि दयानन्द के अतिरिक्त और कोई नहीं हुआ। जिस जिस ने महर्षि दयानन्द और आर्य समाज को बदनाम तथा विरोध करने की धृष्टता की उनका क्या परिणाम हुआ ! काङ्ग्रेस और रामपाल का उदाहरण सामने है। एक घनानन्द जिसे अमृतानन्द भी कहते हैं , वह भी अपने को बहुत बडा विद्वान महात्मा समझता था। उसने आर्यों और महर्षिद दयानन्द को खूब गाली दी। शास्त्रार्थ करने की योग्यता थी नहीं फिर उसने सोचा यह मैने किससे पङ्गा ले लिया मेरे बस का रोग नहीं। अब वह "चुपचाप चार आना बोले आठ आना" हो गया है। आह्वान की भी यही दशा होगी।
आपने जिसप्रकार से धोती धारण की है, कृपया उसपर एक वीडियो बनाइये, आपकी अति कृपा होगी।
आपने जिसप्रकार से धोती धारण की है, कृपया उसपर एक वीडियो बनाइये, आपकी अति कृपा होगी।
Absloute truth
Shivansh ko ab pata chala Arya Samaj kya hei
Sri Maanji satya ki awaz naam ka ek UA-cam channel pahle se hai, isliye aap apne UA-cam channel ke naam mai kuchh parivartan kariye nahi toh aage paresaani hogi
आचार्य जी -- आपके सवालों का उत्तर दे रहा हूं, आपका सवाल है ईश्वर को अवतार लेने की आवश्यकता क्यों है। निराकार रहकर ईश्वर कुछ नहीं कर सकता है, इसलिए ईश्वर को साकार होना पड़ता है। ईश्वर इच्छा मात्र से सृष्टि करता है, इच्छा करना, संकल्प लेना आदि मन - बुद्धि का कार्य है और मन बुद्धि को शरीर की आवश्यकता होती है। मन बुद्धि स्वतंत्र अपनी सत्ता नहीं रखते है अतः वेद घोषणा कर रहा है कि ईश्वर को सृष्टि करने के लिए साकार होना पड़ता है। जीवात्मा भी निराकार है परंतु वह भी शरीर धारण करने पर ही कोई भी कार्य संपन्न कर पाता है। विद्युत निराकार है परंतु कार्य करने के लिए तार, यंत्र आदि साकार माध्यम की आवश्यकता होती है। वायु सब जगह एक रस है फिर भी टयुब, फूटबॉल आदि में सर्वव्यापी हवा काम नहीं आती है। धर्म का अर्थ है धारण करना। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पौष्टिक तत्व धारण करने पड़ते हैं जो भोजन से प्राप्त होता है। पौष्टिक तत्व निराकार है और भोजन साकार है अर्थात निराकार को धारण करने के लिए साकार की आवश्यकता है। ईश्वर निराकार है पर वह धारण नहीं किया जा सकता है अतः वह जीवों के कल्याण के लिए राम कृष्ण के रूप में अवतार लेकर आता है ताकि हम मन से भगवान का रुप धारण कर सकें। जब राम आते हैं तो मानव की तरह ही व्यवहार करते हैं पर जिन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त होता है वे राम को देखकर समझ जाते हैं कि राम ईश्वर ही है, अन्य लोगों को वे मनुष्य के जैसे दिखाई देते हैं। पुराण वेद मंत्र का अर्थ है, बिना पुराण के कोई भी वेद को नहीं समझ सकता है क्योंकि वेद परोक्षवाद है, शब्द कोष से भी वेद का अर्थ प्रकट नहीं हो सकता है, जैसे शब्द है - पृथ्वी और इसका भाव है ब्रह्म। शब्द है आकाश और भाव है ब्रह्म। परोक्षवादोयम वेदः । अतः पुराण को नकारने वाले वेद के अर्थ को नहीं जानते है, दयानंद ने तो वेदों का मनगढ़ंत अर्थ निकालने के लिए पुराण को नकार दिया। पुराण की जो बात समझ नहीं आती है, वहां आर्य समाज //मिलावट// जैसे शब्द का इस्तेमाल करके भागने का ही प्रयास करता है। आचार्य जी - आप पहले किसी पौराणिक विद्वान से मिलिए और अपने संशय मिटाएं।
Tum kis guru ke chele ho dost
हिम्मत हो तो आर्य समाज के किसी विद्वान से अपनी इच्छा को मिटा लो
Are bhai isvar ko sochne ke liye man budhi ki avashyakta nhi hai kyu ki vah purn hai jivaata purn nhi hai isi liye jivaaatma ko karya karane ke liye man budhi ki jarurat hai par isvar to purn hai yahi to tum logo ki soch galat hai
भाई आपको किसने बोल दिया कि विद्युत निराकार है विद्युत निराकार है विद्युत में क्या होता है इलेक्ट्रोनिक का प्रवाह होता है और माइक्रोस्कोप से देखने पर इलेक्ट्रॉन दिखाई देते हैं आपको नहीं पता है आप कैसी बात कर सकते हैं कि विद्युत विद्युत निराकार है अगर मां लीजिए की ईश्वर निराकार है तो उसे कम म करने के लिए किसी चीज की जरूरत क्यों पड़ रही है अगर जरूरत पड़ रही है तो फिर सर्वशक्तिमान कैसे हैं
आप बच्चों जैसा प्रलाप कर रहे है मित्र ऐसे में तो भूख लगती है पर वो तो दिखाई ही नहीं देती तो इसका मतलब ये है कि भूख जब तक दिखेगी नहीं तब तक आप मानोगे नहीं क्या तो अब से ऐसा ही करना भूख लगे तो बोलना को पहले मेरे को देखो तब के खाना खाऊंगा कैसी बुद्धि है आपकी जड़ के सामान भगवान को कार्य करने के लिए अवतार लेना पड़ेगा उसी से रावण की उत्पत्ति हुई उसी से राम की हुई तो रावण को बनाने वाला।उसे मरने के लिए इंसान का अवतार लेगा वह क्या बात है जो बनाया है वह चुटकी में मिटा भी सकता है पहले पुराणों से बाहर निकलो फिर समझ में अभी ढक्कन बंद है आपकी
बहुत सुंदर सादर नमस्तेजी
दुनिया में जितने भी बुद्धिजीवी जिनके पास ऐसा कोई ज्ञान है जो समाज का भला कर सकता है। "ULM hindi" चैनल में वक्ता के रूप में आमंत्रित हैं।
Btao
बेहत अच्छा धोया हे आचार्य जी ने, इस छपरी को😂😂
कितने बेशर्म बनोगे भाई, देख रहा है सब कि किसको किसने धोया है, इतनी अंधभक्ति भी सही नहीं
Yes bro 😂😂@@Who_I_am55
महर्षि ब्रह्मा से लेकर महर्षि जैमिनी तक की परंपरा है ऋषि दयानंद की, ओउम 🙏
????
to sabhi ka name batao na khuch parmpra nhi h dayanand ji ki inhone bas hindhu dharm me aapne man mutabic aagyan diya h . ianke aanusar bhgbaan sarbsaktisali nhi h .
@GAMERBOY-zi5lj apni parampara shiddh kro? Pahle , Rishi Dayanand ne madhyakalin bhashyakaro ke Vedic bhashya ki jagah prachin rishiyo ke anuroop bhashya kiya hai, unki parampara Vedic hai
ऐसे बोलने से हो जाएगा क्या। अजीब लोग हैं। संपूर्णानन्द के पहले का नाम तो नहीं पता, और बात करते हैं वैदिक महर्षिंयों की
@@AB-yp7nc महाभारत काल में किसी शंकराचार्य का जिक्र नहीं है तो यह नवीन परंपरा कब शुरू हो गई। ऋषि दयानंद के भाष्य प्राचीन ऋषियों के अनुरूप है अतः वह ऋषि परंपरा है। किसी भी शंकराचार्य ने वेद भाष्य नहीं किया है। और यदि तथाकथित परंपरागत आचार्य परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं तो उनमें अलग अलग वाद क्यों है? महर्षि कपिल के सिद्धांत का विरोध करने वाले किस परंपरा का अनुसरण कर रहे हैं? ओउम
पिता जन्म से नहीं है, बहुत अच्छा आवाहन जी , वो बाद की बात नहीं पहले की बात है। जन्म से सभी शूद्र है, ओउम रामायण व महाभारत में शंकराचार्य कौन थे? कोई परम्परा नहीं थी। व्यास, जैमिनी आदि की परम्परा है।, ऋषि दयानंद की। वेद की परम्परा है, ऋषि दयानंद की वेद आपने नहीं दिये, ईश्वरीय ज्ञान है। Career ज्ञानदाता नहीं होता। Post man किसी का letter deliver करता है। Post man इसका ज्ञान दाता नहीं है । सायणाचार्य , शंकराचार्य जी की कोई परम्परा नहीं सिद्ध होगी। ओउम। ओउम
आर्य समाजी इतना भयानक कुतर्क करते हैं - 1. हमने यह नहीं कहा कि शंकराचार्य चिरंजीवी हैं। तो महाभारत में वे कौन हैं ये कैसा फालतू प्रश्न है। शंकराचार्य जी महाभारत युद्ध के 2500 वर्ष बाद अवतरित हुए। पर उनकी परंपरा गौडपाद गोविंगपाद शुक व्यास पराशर वसिष्ठ ऐसी चली आ रही है। 2. दयानंद की कोई परंपरा नहीं है। केवल बोलने से नहीं होता। संपुर्णानंद के पीछे का नाम तो बता नहीं पा रहे हो। 3. आप यह कहते हैं कि इस इमां वाचं कल्याणीं मंत्र में केवल शूद्र का अर्थ जन्मना शूद्र है अर्थात् शूद्र पिता को जन्मा व्यक्ति। और अन्यत्र सब जगह शूद्र कर्म से है। ये कैसा तर्कहीन बात है। वाह।
भजन के साथ संधिया कैसे करे 🎉🎉
बहुत अच्छा 🎉 बताया आचार्य जी ने , आचार्य जी के तर्कों की कोई मुकाबला नहीं
Guru ji dharma ki raksha ke liye hinsa dharm ke liye avasyak hai akshma chahta hu agar aap ki beti ka koi seel bhang kare ab dharm ki aap ke hisaab se kyaa vayakhya hai Bk bindas 🙏🙏🙏🙏🙏
Guru ji kyaa Agni sarvatra hai ek desiye hai ya Bahu desiye
Guru ji ye kyonkar pata Laga ha ki use Avtar Lene ki jarurat nahi hai Bk bindas 🌄🙏
Guru ji ye kyonkar pata Laga ha ki use Avtar Lene ki jarurat nahi hai Bk bindas 🌄🙏
अति सुन्दर आचार्य जी केई दिनों से आवाहन चेनल ऋषि दयानंद को पाखंडी जैसे सब्दो से संबोधित कर रहा था अपने बहुत अच्छी तरह से शास्त्रथ किया आनंद आया और बहुत कुछ सीखने को मिला।🎉🎉
गायत्री जप उपांशु विधान है। केवल ओठ हिल सकते हैं, मन्त्र दूसरे को सुनाई न दे।
😂😂😂 jokers
😂😂😂. Murkh samaj arya samaj😂
🙏🙏🙏
Didiji.sadar namestey ,charanvandna .
Arya,smaj,hi,esa,mision,Jo,.Bharatke,patan,ko,rok,sakta,hai
Namste bahin g baut accha