अशोक महान का कालसी शिलालेख

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  • Опубліковано 14 жов 2024
  • देहरादून के कालसी में एक ऐतिहासिक स्थल अशोक महान के कालसी शिलालेख स्थल, उनके अवशेष एवं इतिहास के बारे में बनाया गया है।
    सम्राट अशोक जिन्होंने कलिंग युद्ध के पश्चात बौद्ध धर्म अपना लिया था। उसके पश्चात 272 ईस्वी पूर्व वे यहाँ आए। जहां अपने उपदेशों को एक विशाल शिलालेख पर अंकित किया, हालांकि बाद में कुछ राजाओं ने इसे नष्ट कर दिया। फिर सन 1860 में जॉर्ज फारेस्ट ने इन शिलालेखों की खोज की। ओर आज भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को संरक्षित किया है।
    देहरादून से कालसी जाते समय कालसी, अमलावा से कुछ दूरी पहले एक छोटी नदी यमुना नदी से मिलती है। मौर्य राजा अशोक के चौदह शिलालेखों में 13वाँ शिलालेख अमलावा और यमुना नदी के संगम पर स्थित है। यह स्थान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पूरे उत्तर भारत में केवल कालसी में ही सम्राट अशोक का शिलालेख है। महाभारत काल में कालसी के शासक राजा विराट थे और उनकी राजधानी विराटनगर थी। वनवास के समय पांडव अपना रूप बदलकर राजा विराट के यहां रहने लगे। सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने इस क्षेत्र की पहचान 'सुधनगर' के रूप में की थी। ऐसा माना जाता है कि कालसी के स्तूपों का विनाश 1254 ई. में हुआ था। इसकी खोज 1860 ई. में ब्रिटिश व्यक्ति फॉरेस्ट ने की थी।
    कालसी शिलालेख एक बड़ी चट्टान पर बना हुआ है। इस शिलालेख में एक हाथी की आकृति बनी हुई है जिसके नीचे गजेतम शब्द लिखा हुआ है। हाथी को आसमान से उतरते हुए दिखाया गया है। इस संरचना की ऊंचाई 10 फीट और चौड़ाई 8 फीट है। कालसी क्षेत्र को "अपरांत" शब्द से तथा कालसी निवासियों को "पुलिंदा" शब्द से संबोधित किया गया है। यह शिलालेख अशोक के आंतरिक प्रशासन से संबंधित है।
    इसके साथ ही यह शिला सम्राट के रवैये, प्रजा के साथ नैतिक, आध्यात्मिक और पितृतुल्य संबंध, अहिंसा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और युद्ध में सम्राट के त्याग के बारे में बताती है। अशोक ने इन कार्यों के लिए निषेधात्मक एवं प्रयोगात्मक नीतियां बनाई थीं। अशोक की इन निषेधात्मक नीतियों में सांसारिक मनोरंजन, पशु बलि, अनावश्यक गतिविधियों में लिप्तता, आत्म-निरीक्षण और व्यावहारिक नीतियों में आत्म-संयम, आत्म-संयम, मन की पवित्रता, कर्तव्य, माता-पिता की सेवा, ब्राह्मणों और संन्यासियों की सेवा और दान शामिल थे। और धार्मिक विषय. लेकिन आपसी मेल-मिलाप की वाणी है.
    इस चट्टान का अपना महत्व है. इस चट्टान पर लिखे लेखों की भाषा प्राकृत और लिपि ब्राह्मी है। प्राचीन प्रकृति के बीच स्थित, इस महानतम शासक के शासनकाल के बारे में पर्याप्त मात्रा में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। कालसी में स्थित ये शिलालेख इस बात का प्रमाण देते हैं कि सम्राट अशोक द्वारा प्रतिपादित ये शिक्षाएँ मात्र उपदेश नहीं थीं। इनका प्रयोग व्यवहार में भी किया जाता था। यह हमारे इतिहास का खजाना है. यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो महान भारतीय इतिहास से जुड़ना और हमारी विरासत का पता लगाना पसंद करते हैं, तो आपको इस जगह को अवश्य देखना चाहिए।
    कालसी शिलालेख में क्या लिखा है?
    कालसी शिलालेख ब्राह्मी लिपि में लिखा गया है और इसमें भारतीय सम्राट अशोक का एक संदेश है, जिन्होंने 269 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व तक शासन किया था। शिलालेख में, अशोक ने अपनी प्रजा से धर्म या धार्मिकता के सिद्धांतों का पालन करने और हिंसा और अन्य हानिकारक कार्यों से दूर रहने का आग्रह किया। यह आदेश सभी प्राणियों के साथ दया और करुणा का व्यवहार करने के महत्व पर भी जोर देता है। यहाँ आदेश के भाग का अनुवाद है:
    "देवताओं के प्रिय, राजा पियादासी, इस प्रकार कहते हैं: अतीत में, जो राजा धर्म के प्रति और अपनी प्रजा की भलाई के लिए समर्पित थे, वे धर्म को बढ़ावा देने में बहुत उत्साही थे, और धर्म के प्रति उनकी भक्ति में, वे वे अपनी प्रजा के कर्त्तव्यों के साथ-साथ अपने कर्त्तव्यों के प्रति भी बहुत सावधान रहते थे। हालाँकि, आजकल, लोग केवल दिखावे के लिए धर्म का कार्य करते हैं, और वे अपने दिलों में धर्म के प्रति उदासीन हो गए हैं।
    यह आदेश लोगों को धर्म के मार्ग पर चलने और जानवरों सहित सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा दिखाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इसमें शिक्षा के महत्व और अपनी प्रजा के कल्याण को बढ़ावा देने में सरकार की भूमिका का भी उल्लेख है।

КОМЕНТАРІ • 48

  • @sudarshankushwaha2187
    @sudarshankushwaha2187 2 місяці тому +4

    जय हो महान सम्राट अशोक,,जय भीम जय भारत नमो बुद्धाय🎉🎉🎉🎉🎉🎉

  • @Rohit-zz8zu
    @Rohit-zz8zu 7 місяців тому +9

    The Great Ashoka ☀️☀️

  • @dhananjaypandey5020
    @dhananjaypandey5020 2 місяці тому +1

    Ashok the gret

  • @dashrathbhaikantibhai7383
    @dashrathbhaikantibhai7383 7 місяців тому +5

    जय सम्राट अशोक नमो बुद्धाय ❤

  • @Gaurav.jjjj2222
    @Gaurav.jjjj2222 7 місяців тому +5

    नमो बुद्धाये ☸️

  • @VaishaliChoudhari-jm2pd
    @VaishaliChoudhari-jm2pd 7 місяців тому +7

    जय भीम नमो बुद्धाय जय असोक सम्राट 💙🙏

  • @NirajKumar-gp6bw
    @NirajKumar-gp6bw 7 місяців тому +4

    Namo Buddhay ❤

  • @rahultasambad4022
    @rahultasambad4022 6 місяців тому +6

    अशोक के शिलालेख की लिपी को ब्राम्ही नही " धम्मलिपी " कहा जाता है जो अशोक ने खुद एक शिलालेख में लिखवाया है कि ' इदं धम्मलिपि लिपितं ' (यह लेख मैने धम्मलिपि में लिखवाया है )

    • @arjunpanwar4662
      @arjunpanwar4662  6 місяців тому

      आपका कहना भी सही है।
      लेकिन जो उक्त स्थान की भाषा शैली के बारे में इतिहास कर स्थानीय लोग कहते हैं। वो ही मैंने कहा है और लिखा है।
      अब तो क्लियर होना ही चाहिए।
      आखिर लिपि क्या थी और भाषा क्या??
      आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया का धन्यवाद।

  • @baliramkamble1432
    @baliramkamble1432 7 місяців тому +13

    अरे भाई ब्राह्मी नहीं। पाली भाषा बोलो।

  • @rp2792
    @rp2792 7 місяців тому +17

    ब्राम्ही लिपी नहीं सम्राट असोक ने शिलालेख मे खुद इस लिपी को धम्म लिपी कहा हे. और सम्राट असोक पैदाईशी बौद्ध थे.. जय सम्राट असोक..!

    • @arjunpanwar4662
      @arjunpanwar4662  7 місяців тому

      इतिहास की गहराई में जाना इस वीडियो का उद्देश्य नहीं।। किंतु जितना स्थानीय स्तर पर जानकर लोग बताते हैं, उसके हिसाब से ही बताया गया है।।
      भाषा और लिपि अलग होती है।।
      इस शिलालेख पर लिखी भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राम्ही है।
      यह भी अनेक ऐतिहासिक पुस्तकों से स्पष्ट होता है।
      आपकी प्रतिक्रिया का धन्यवाद।।

    • @anandrawat6017
      @anandrawat6017 7 місяців тому +1

      ​​​@@arjunpanwar4662भाई सबसे पहले जो आप भाषा,लिपि का खेल रहे हो ये लड़का आपसे ये पूछ नही रहा,सब जानते है भाषा,लिपि अलग होती है .....मेरा मतलब अधिकतम जानते है
      उसने भाषा के बारे में बात ही नही की वो सिर्फ कह रहा है ब्राह्मी लिपि न बोल के धम्म लिपि बोलो क्यू की मनुस्क्रिप्ट के अनुसार, उसे हर जगह धम्म लिपि कहा गया है.......अशोक के इंस्क्रिप्शन में कई जगह धम्म शब्द आता है,
      अब आप मुझे बताओ,लेख है बौद्ध राजा के, वो भी बुद्ध के ऊपर
      कोई एक कारण बता दो जिस कारण इसका नाम ब्राह्मी लिपि पड़े..... ये सिर्फ इतिहास के साथ लीपा पोती है
      वैसे भी 600 BCE के बाद का इतिहास तो घोट गए है ये तथकथित इतिहासकर.....एक नंबर के biased है
      देखो भाई भारत के बारे में आप किसी भी ऐतिहासिक बातो को आप इतनी सुनिश्चित नही कर सकते,जो इस्केवेशन में मिलता है उसकी सच्चाई तो बताते नही उल्टा उसे माइथोलॉजी से जोड़ ने उसका बेड़ा गर्ग कर देते है.... खैर कितना भी बक लू करोगे तो अपनी वाली और आपके। विचाधारा पर भी निर्भर करता है
      दूसरी बात मान लो आपके पिता क्रिश्चियन से हिंदू धर्म में कन्वर्ट हो गए थे, तो क्या आपका धर्म हिंदू नही है,मतलब भाई साहेब पूरी दुनिया गवाह है,होता असल में यही है,माता पिता से इन्हेरिटेंस में हमे सब कुछ मिलता है.....जात,धर्म, संस्कृति,विचार, यहां तक रोग भी मिलते है..... तो मेरा प्वाइंट था, अशोक के बाप का नाम था बिंदुसार जो कह सकते हो पैदाइशी जैन था,जिसने बौद्ध धर्म अपना लिया......Assagutta नामक बौद्ध भिक्षु के द्वारा जाके आप भी फैक्ट चेक कर लेना,
      तो अब ये बताओ अशोक पैदाइशी बौद्ध हुआ की नही,
      भाड़ में जाए इतिहासकार, वैसे भी इतिहास झूठों का बंडल है ,जो सत्ता में रहता है अपने अनुसार पोथी बना देता है,

    • @ramsinghania349
      @ramsinghania349 2 місяці тому

      और "धम्म" शब्द कहाँ से आया 😉

  • @vishalmaurya2961
    @vishalmaurya2961 4 місяці тому +1

  • @sanjaykushwaha9532
    @sanjaykushwaha9532 5 місяців тому +2

    Jay mauryavansh

  • @arunkumarsinha974
    @arunkumarsinha974 7 місяців тому +5

    It was very good at that time. No brahman, no hindu, no muslim that time. The brahman you are reading is baman and shaman.

  • @schoolhamara7996
    @schoolhamara7996 7 місяців тому +3

    Yah shilalekh kahan per sthit hai

    • @arjunpanwar4662
      @arjunpanwar4662  7 місяців тому

      Kalsi dehradun
      Dehradun uttarakhand se 50 km

  • @AnilSingh-fl3bh
    @AnilSingh-fl3bh 7 місяців тому +41

    सम्राट अशोक महान मैं बौद्ध धर्म को अपनाया नहीं था वह पैदाइशी बौद्ध थे इसलिए कोई भी वीडियो बनाया तो पहले इतिहास की जानकारी सही सही जानकारी ले लीजिए इसके लिए आप यूट्यूब चैनल साइंस जर्नी और पाली भाषा विद्वान प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद सिंह जी को या फिर प्रोफेसर विलास खरात जी को आप सुन सकते हैं फॉलो कर सकते हैं सकते हैं

    • @arjunpanwar4662
      @arjunpanwar4662  7 місяців тому +3

      वीडियो का उद्देश्य इतिहास की गहराई में जाना नहीं।
      बस स्थानीय स्तर पर लोग क्या जानकारी रखते हैं, तथा इस क्षेत्र का आज का दृश्य कैसा है, यह महत्वपूर्ण है।। वैसे भी इतिहास को चैलेंज नही किया जा सकता।
      अनेक लेखकों व इतिहासकारों ने एक ही घटना को अलग अलग तरह से बयान किया है।।

    • @Gaurav.jjjj2222
      @Gaurav.jjjj2222 7 місяців тому +11

      ​@@arjunpanwar4662इतिहास को नहीं ग़लत इतिहास को बिलकुल चैलेंज किया जा सकता है. एक विचारधारा के इतिहासकारों ने ये ग़लत फेहमी फैलाई है की सम्राट अशोक ने धर्म परिवर्तन करा जबकि ये झूठ है वो हमेशा से बौद्ध थे उनके पूर्वज भी बौद्ध थे.

    • @anilshinde3074
      @anilshinde3074 7 місяців тому +4

      Right bro

    • @prakharshankar3064
      @prakharshankar3064 7 місяців тому +1

      ​@@arjunpanwar4662 great chandragupta the kyu ki unke. Guru. Brahmin the isliye unse left ko nafarat he bo last time main Jain ho gaye the

    • @rehanveersingh6588
      @rehanveersingh6588 5 місяців тому

      Asok ke silalikhe se hi pata chala ki vo aur unko pita pehle se hi buddh the, aur smart mahan ke silalikho se hi Pata chala ke gutam buddh 27 budh the.... jis ne apna itihas khud hi Bata diya , us per ab gap bajhi nhi chale gi.. ​@@prakharshankar3064

  • @anshsingh6199
    @anshsingh6199 2 місяці тому +1

    Kalsi kha hai

  • @jaspreetmahi1987
    @jaspreetmahi1987 5 місяців тому +1

    Kalsi gautar walon ko dekhna chahiye

  • @ashokmehere9490
    @ashokmehere9490 4 місяці тому +2

    Dhamm lipi hai.sab.correct kijiye.

  • @sunilgaikwad3238
    @sunilgaikwad3238 6 місяців тому +1

    Pali bhasha hain vo pali ki upbhasha bramhi bovar hain jaybhim namo budhhay

  • @ramniksingh10
    @ramniksingh10 Місяць тому

    Pura moryavash budh dram me hi paida hua

  • @manmohansingh8106
    @manmohansingh8106 6 місяців тому +3

    महोदय! तब ब्राम्ही लिपि होता ही नहीं था बल्कि धम्म लिपि हुआ करता था। ठीक है न? बमण _स्रमण होते थे ?

    • @arjunpanwar4662
      @arjunpanwar4662  6 місяців тому

      Chek karte hai

    • @Pioneer-zx5fx
      @Pioneer-zx5fx 5 місяців тому +1

      गंगाधर ही शक्तिमान है
      ब्रह्मण ही बोध है जैन है मुस्लिम है

  • @nileshpanpatil1313
    @nileshpanpatil1313 6 місяців тому +1

    Ye brahmi lipi nahi hai ye Pali lipi hai

  • @agyaramshakya5187
    @agyaramshakya5187 6 місяців тому +1

    All the mauryan kings are buddhisth as their ancestors are kins of Buddha.

    • @arjunpanwar4662
      @arjunpanwar4662  6 місяців тому

      Jo bhi koi nayi khoj hogi wahi history ho jayegi

  • @vivekpandey9567
    @vivekpandey9567 14 днів тому

    Ary andho cahe Budh ho cahe Ashok dharm apnaya tha Kalinga ke youdh ke baad samajh me aya

  • @vivekpandey9567
    @vivekpandey9567 14 днів тому

    Kabhi padhai karliya karo

  • @vivekpandey9567
    @vivekpandey9567 14 днів тому

    Or sabse pahle tum sab jawo budh ki jivani padho

  • @DurgeshSingh-kk6xx
    @DurgeshSingh-kk6xx Місяць тому

    Ye Jhuth bol rahe hai, Samraat Asok Mahaan ki Lipi Ko Dhamm Lipi Kehte hai,,,
    Samraat Asok Mahaan ke Samay kisi Videshi ki Himmat nahi thi Bharat Desh me Ghuspaith karne ki,, Tab Videshi Uresian Bhahmano ka Naamo Nishaan Nahi Tha,,, Bharat Desh ( Jambu Dweep ) Me,,,,,,
    Jai Samraat Asok Mahaan 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
    Jai Moolnivaasi 🙏🙏🙏🙏