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  • Опубліковано 17 чер 2021
  • यहां भारत मैं संस्था का प्रथम परिसर है जो 1951 में आबू पर्वत पर स्थापित किया गया। यह परिसर सबसे पुराना नक्की झील के पास बना हुआ है। यही पिताश्री जी की कर्मभमि, तपस्या भूमि रही। जहां पिताश्री जी ने हर कार्य स्वयं करके सभी को प्रेरणा दी थी। यही वह स्थान है जहां मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती और पिता श्री ब्रह्मा बाबा आध्यात्मिक पुरुषार्थ द्वारा संपूर्णता को प्राप्त कर अव्यक्त हुए। यहां मुख्य चार धाम बने हुए हैं जहां सभी ब्रह्म बड़ी श्रद्धा से आते हैं और अपनी मनोकामना को पूर्ण होने का अनुभव करते हैं। पहला पिताश्री जी की का कमरा जहां उन्होंने तपस्या की थी, दूसरा बाबा की झोपड़ी है जहां बैठे ब्रह्मा बाबा सभी से मिलते थे और पत्र लिखते थे, तीसरी रहा है हिस्ट्री हाल जहां निराकार परमात्मा शिव ब्रह्मा बाबा के माध्यम से ज्ञान के अमृत वचन उच्चारण करते थे और चौथा है शांति स्तंभ जहां ब्रह्मा बाबा का अंतिम संस्कार किया गया। शांति स्तंभ के चारों ओर आने के जीवन के प्रेरकों बच्चन के रूप में महा वाक्य लिखे गए हैं जो देश-विदेश के अनेक लोगों को प्रेरणा देते हैं।

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