उसकी सत्ता ही सत्य है || डॉ. वेदपाल आचार्य

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  • Опубліковано 15 лис 2024

КОМЕНТАРІ • 9

  • @baburam-qy3hf
    @baburam-qy3hf 4 місяці тому

    सत्य की निरूक्ति ----सत्य प्रतिष्ठायाम् क्रिया फलाश्रयत्वम्।। सत्य प्रतिष्ठायामम् तत् ( इस सूत्र में तत् शब्द अनुवृत्ति से प्राप्त हुआ है ) अर्थात् सत्य में प्रतिष्ठित वह अर्थात् सच्चा वह है जिसकी हर इच्छा पूर्ण होती है।। वासियों में सत्य आंशिक है

  • @baburam-qy3hf
    @baburam-qy3hf 4 місяці тому +1

    हमारे ऋषियों ने कितनी महत्वपूर्ण शिक्षा कितने संक्षेप में और कितनी सटीकता से हमें दी है जिनके कथनों में विश्व का कोई भी ज्ञानी एक भी मात्रा ना घटा सकता है और ना बढ़ा सकता है।।

  • @ramkrishandhakad1033
    @ramkrishandhakad1033 5 місяців тому

    प्रणाम

  • @ShauryaSingh-g2s
    @ShauryaSingh-g2s 5 місяців тому +2

    ।। ओ ३ म्।। नमस्ते, श्रद्धेय आचार्य श्री।

  • @baburam-qy3hf
    @baburam-qy3hf 4 місяці тому +1

    आचार हीनानि ना पुन्यनति वेद:।।

  • @baburam-qy3hf
    @baburam-qy3hf 4 місяці тому

    धर्म की निरूक्ति ------यतो अभ्युदय निश्रेयस सिद्धि स‌‌‌: धर्म:।। जैसा करने से किसी का श्रेय(उत्तम गति) प्रशस्त होती है वैसा करना धर्म है।

  • @subratnayakarya7646
    @subratnayakarya7646 5 місяців тому +1

    Om Paramapurusate Namaha

  • @baburam-qy3hf
    @baburam-qy3hf 4 місяці тому

    ब्रह्मचर्य की निरूक्ति -----ब्रह्मचार्य प्रतिष्ठायाम् वीर्य लाभ:।। ब्रह्मचर्य प्रतिष्ठायाम् तत् अर्थात् ब्रह्मचर्य में प्रतिष्ठित वह अर्थात् ब्रह्मचारी वह है जिसको अपने प्रत्येक कार्य, प्रत्येक वल और वीर्य से लाभ हि लाभ होता है कभी किसी कार्य से हानि नहीं होती अर्थात् किसी कार्य का परिणाम अशुभ नहीं होता है।।