प्रियवर मुझे याद था किंतु एक बहुत बड़ी गलती हो गई। मैं आपका नाम नहीं ले सका, वीडियो के समय भूल गया, क्षमा चाहता हूं। संभवत आपका नाम ऋषभ मिश्रा है, स्थान मुझे पता नहीं है।।
गुरूजी मैं उत्तर प्रदेश में होने वाली डिग्री कॉलेज प्रवक्ता की तैयारी कर रहा हूँ, सलेबस में आदिकाल भक्ति काल और रीति काल की रचनाएँ लगी हुई हैं जो समझने में कठिन लग रही है। गुरूजी अगर आप उन रचनाओं को सरल भाषा में समझा देंगे तो काफी अनुग्रह होगा 🙏🏻
यह पूरा हिंदी साहित्य का इतिहास हजारों वीडियो का है, हिंदी साहित्य के इतिहास के मेरे वीडियो उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त यदि कोई पद या छंद आपकी समझ में नहीं आ रहा है तो आप निसंकोच पूछ सकते हैं। मुझे व्हाट्सएप पर भी जुड़ सकते हैं। धन्यवाद।
जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुदंर छाया में। अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में। गुरुदेव प्रसाद जी की इस पंक्ति मे व्यतिरेक अलंकार है क्या??एंव निवेदन है कि इसके अर्थ को सपष्ट करने का कष्ट करे
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद जी।
गुरूजी आपकी कक्षा सुनकर अपार ज्ञान और आनंद प्राप्त होता है, गुरूजी विनम्र निवेदन है कि रीतिकालीन प्रमुख कवियों की व्याख्या बता दें। 🙏🏻🙏🏻💐
आप जिन कविताओं की व्याख्या चाहते हैं कृपया अवगत कराइयेगा।
आपने लाइक भी नहीं किया है कृपया लाइक करने का कष्ट करें। धन्यवाद।❤️❤️
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं गुरुवर🙏🙏
मंगल कामनाओं सहित हार्दिक धन्यवाद।।
अद्वतीय बखान गुरुजी 🙏🙏
हार्दिक धन्यवाद प्रिय।❤️
Hare Krsna Guruji Ye Maine aapke saath share ki thi Aur Aapne kaha Bhi Tha ki aap iski Samiksha karengein 🙏🏻🙏🏻
प्रियवर मुझे याद था किंतु एक बहुत बड़ी गलती हो गई। मैं आपका नाम नहीं ले सका, वीडियो के समय भूल गया, क्षमा चाहता हूं।
संभवत आपका नाम ऋषभ मिश्रा है, स्थान मुझे पता नहीं है।।
@@RiddhiSiddhiPravah
Haan Mera naam yahi, kintu Nhi koi baat Nhi guruji Maine ye isliye yaad Nhi dilaya ki mujhe naam chahiye Tha Kewal excitement Mein bola.
गुरूजी मैं उत्तर प्रदेश में होने वाली डिग्री कॉलेज प्रवक्ता की तैयारी कर रहा हूँ, सलेबस में आदिकाल भक्ति काल और रीति काल की रचनाएँ लगी हुई हैं जो समझने में कठिन लग रही है। गुरूजी अगर आप उन रचनाओं को सरल भाषा में समझा देंगे तो काफी अनुग्रह होगा 🙏🏻
यह पूरा हिंदी साहित्य का इतिहास हजारों वीडियो का है, हिंदी साहित्य के इतिहास के मेरे वीडियो उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त यदि कोई पद या छंद आपकी समझ में नहीं आ रहा है तो आप निसंकोच पूछ सकते हैं। मुझे व्हाट्सएप पर भी जुड़ सकते हैं। धन्यवाद।
Guruji Mera Naam Rishabh Mishra hi hai, kintu Maine ye baat excitement Mein kahi, isliye nhi Kyonki aap Mera naam bhool gaye.
❤️❤️❤️
जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुदंर छाया में।
अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।
गुरुदेव प्रसाद जी की इस पंक्ति मे व्यतिरेक अलंकार है क्या??एंव निवेदन है कि इसके अर्थ को सपष्ट करने का कष्ट करे
अरुण कपोल में रूपक प्रतीत होता है।
कृपया इसका भावार्थ भी कर दे।