ब्रज रज रंजित सरीर सुभ उद्धव को: रत्नाकर (उद्वव शतक)

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  • Опубліковано 31 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 10

  • @m12160m
    @m12160m 25 днів тому +2

    Keep it up guruji❤

  • @HindiSaarbySwabhiman
    @HindiSaarbySwabhiman 26 днів тому +3

    लाइक 2, सर्वप्रथम सादर धन्यवाद आदरणीय सर, बहुत सुंदर कवित्त समझाया आपने🙏 आजकल तो मोबाइल आदि आधुनिक साधनों के होते हुए भी यदि किसी का फोन न उठे तो प्रियजन कैसे व्याकुल हो उठते हैं और उस समय तो ऐसा साधन भी नहीं था कई दिनों बाद संदेश आ पाते थे तब विरह व्यथा क्या होती थी ये रत्नाकर के उद्धव शतक से प्रतीत होती है 😢🙏

    • @RiddhiSiddhiPravah
      @RiddhiSiddhiPravah  25 днів тому +1

      परिवर्तन ही जीवन है, वर्तमान से सब असंतुष्ट हैं, भविष्य की सुखद कल्पना की जाती है और, बाद में वर्तमान ही अतीत और स्मृतियों की पूंजी बन जाता है।
      आपकी परीक्षा सफल हो,श्रेष्ठ अंक प्राप्त हो,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।🌹🌹🌹

  • @bckadala
    @bckadala 25 днів тому +1

    चरण स्पर्श गुरुदेव जी
    अति सुन्दर

    • @RiddhiSiddhiPravah
      @RiddhiSiddhiPravah  25 днів тому

      बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय।
      कृपया लाइक कर दीजिए।

  • @ruchipandey4166
    @ruchipandey4166 25 днів тому +1

    सादर प्रणाम गुरु जी 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @rinkiradigo
    @rinkiradigo 12 днів тому +1

    Sir apke sath podcast krna h, please bataye..

    • @RiddhiSiddhiPravah
      @RiddhiSiddhiPravah  12 днів тому

      बताइए। क्या जानना चाहते हैं।