गुरु का प्रेम, विवशता और पीड़ा || आचार्य प्रशांत (2023)

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  • Опубліковано 10 жов 2024
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    वीडियो जानकारी: 12.09.23, बोध प्रत्यूषा, ग्रेटर नॉएडा
    प्रसंग:
    ~ गुरु हमारे लिए उपयोगी कब तक हैं?
    ~ गुरु को परफेक्ट मान लेना, पूर्ण मान लेना, शिष्य के ही अहित में क्यों है?
    ~ प्रार्थना का क्या अर्थ है?
    ~ भीतर की कामना ही बाहर प्रार्थना का विषय बन जाती है।
    ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु । सह वीर्य करवावहै।
    तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।
    ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
    ~ शान्ति पाठ, कठ उपनिषद
    संगीत: मिलिंद दाते
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