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😔😔😔aapas ek nivedan hai ki Kai vidharmiya durga devi ko sexleave and mahishasur ke saat 9 raat Suhasraat ki paat kar rahe hai jisse Kai hindu dharma parivartan kar rahe hai krupaya sachai Shahar laye 😔😔😔 Jay Mata di 😔😔😔 😡😡😡
😔😔😔aapas ek nivedan hai ki Kai vidharmiya durga devi ko sexleave and mahishasur ke saat 9 raat Suhasraat ki paat kar rahe hai jisse Kai hindu dharma parivartan kar rahe hai krupaya sachai Shahar laye 😔😔😔 Jay Mata di 😔😔😔 😡😡😡
@@parthasarathi3379 mujhe bas itna pata hai jab jaisi jarurate hai iswar wohi karwata hai aur aage ka path sugam karte hai..abhi alag alag soch ke budhdhi ke manushya kya karta hai wo unlogo ka vishay hai..mai to comply dueit mai believe karti hoo but shankaracharya ji pujniya hai unko baido ko phir se udhdhar kar unhe kaliyugi ki manushya ka udhdhar hetu bheja gaya hai..jabki iske baad phir se ramanujachary ji ka bhi to avtaran hua..Hari bol 🙏♥️
मिथ्या और असत्य में भेद है !! शंकराचार्य जी का सिद्धांत पूर्ण रूपेण व्यक्त नहीं हो पाया है ऐसा मेरा मत है !! और माध्वाचार्य जी के सिद्धांत को भी यदि और उदभासित किया जाता तो और बातें स्पष्ट हो सकती थी क्यूंकि मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे दोनों आचार्यों के सिद्धांतो में जो भिन्नता प्रतीत होती है वह वास्तव में ऐसे है जैसे जैसे 6 को उल्टे तरफ से पढ़ने वाला उसे. 9 समझ लेता है !! इस पर और अधिक शोध की आवश्यकता है !! परंतु हृदय से प्रसन्नता है कोई तो है जो इन उच्च बातो पर चर्चा कर रहा है 🙏 साधुवाद !!
अद्वैत सिद्धि सबके समझ में नहीं आ सकती है। आदि शंकराचार्य सबके समझ में नहीं आ सकते हैं। यहां यही गलती हुई है। कुछ कम समझ लोग जरुर गुमराह हो जाएंगे ऐसे अधकचरे विचारों से। 🌹🕉️🙏
माया के तर्क पर शंकराचार्य जी से बहुत प्रतिवाद हुआ है आज तक हो रहा है। इस पर अंत में आचार्य शंकर ने कहा है की वास्तव में माया है ही नही इस तर्क को अजातीवाद कहते है।और ब्रह्म को जगत के रूप में प्रकट होने की आवश्यकता क्यों पड़ी? तब कहते है की "स एकाकी न रमते "। जब ब्रह्म स्वात्माराम, चिदघन आनंद स्वरूप है तो दूसरे से रमने की आवश्यकता क्यों पड़ी? तब शब्द आया "लीला"। की यह उनकी कोई आवश्यकता नहीं है ये " लीला" मात्र है!!इस तरह तर्क अनंत तक जाएगा अनिर्णायक रहेगा,बौद्धिक कुश्ती रहेगी , फिर बात आती है की परम तत्व और सत्य को बुद्धि, मन, तर्क से तो समजा समजाया ही नही जा सकता इसकी केवल अनुभूति हो सकती है स्वयं को अनुभूति करनी पड़ेगी । उसके लिए क्या करना पड़ेगा? चित्त शुद्धि करनी पड़ेगी तब वो स्वयं प्रकाशित होगा क्योंकि परमात्म तत्व साधन साध्य नहीं है और अवांग मनसा गोचर है अर्थान वाणी मन और इन्द्रियों से जाना समझा पाया नही जा सकता। न अयमात्मा प्रवचनेंन लभ्य ना मेधया ना बहुना श्रुतें न, यमैवेश वृणुते स तेन लभ्यो। अर्थात यह आत्मा बहुत तत्व चर्चा बोलने सुनने पढ़ने से मेधा बुद्धि तर्क से प्राप्त होता है । जिसका जो वरण करता है उसे प्राप्त होता है।इस लिए केवल परमात्मा की कृपा गुरुकृपा इष्टकृपा से कृपा साध्य है , साधन साध्य नहीं है तो साधन यानी जप तप योग भक्ति ज्ञान तत्व विचार आदि साधन का क्या उपयोग है? केवल चित्त शुद्धि हेतु। चित्त शुद्धि हेतु क्या करना है उसके लिए हर एक दर्शन ,पंथ, संप्रदाय के अपने अनुभव है। वेदांत कहेगा मल आवरण और विक्षेप हटाना पड़ेगा,पाशुपत शैव आदि पंथ कहेगा अष्टविध पाश काटने पड़ेंगे , कोई कहेगा संपूर्ण समर्पित, शरणागत हो जाना पड़ेगा ,कोई कहेंगे प्रभु प्रेममय है प्रेम स्वरूप बन जाना पड़ेगा ,प्रेम किस तरह का तो उसमे भी प्रकार आए दास्यभाव सख्यभाव पुत्रभाव आदि आदि, कोई कहते है देह का तमस बहुत सघन है, इसके कारण सघन देहभाव में चित्त चेतना का उर्ध्विकरण नही हो पाता इस लिए षटकर्मादी से शरीर शुद्धि करनी है फिर मध्यकर्षण से मुक्त होना पड़ेगा ,प्राण अपान एक करना पड़ेगा कुंडलिनी जगानी पड़ेगी। हठ और राजयोग मंत्र योग , लय योग, नाद योग, आदि साधना मार्ग और पद्धतियां निर्माण हुई। रुचिनाम वैचित्र्यात नाना विध पथ जुशाम रुचि अधिकार आदि की भिन्नता के कारण अनेको प्रकार के पथ बने ,नृणाम एको गम्यते...आगे जाकर सब एक ही में विलीन हो जाते है।
Mujhe humesha peeda hoti haj jab dekhta hun ki itne shi channel tak mai log nhi aa pa rhe dekhne kese sakhsham hoga humra hindu yuva marxist ko seedha jawab dene ke liye 💔
संसार भर का यही चैनल नहीं है कुछ विज्ञान कुछ उपनिषद संस्कृतादि के भी चैनल हैं भवन् जो उन्हें सीधा पढ़ाते हैं मैंने आज तक जितना इन्हें सुना कम सुनना चाहा क्योंकि मुझे ज्ञान उन लोगो से प्राप्त करने की इच्छा रही जो विषय ज्ञानी हैं उसके। अस्तु धन्यवाद 🙏
@@-__________abhinavtariyal_5999 shi kha tumne lekin yh Jo padha rhe hai sath sath tark dete hai in nakli marswadi o ke samne bol paye wo log bhi bhot Kam kr rhe hai lekin yuva jispe Jaan hai uske liye bola mene yh best
@@HyperQuest sir as you know , ISKM is doing a lot of hodge podge , please expose them, only preaching Dharma is not enough sir , we also have to refute extremist believers right , India must always remain as a land of Seekers
Amazingly explained. I'm a follower of Shree Vallabhacharya. Happy to see such informative videos for normal people who are not able to read the mool scriptures of these great personalities. Only one thing is to be taken into consideration that we don't have the evolution theory in our philosophical thoughts. If this was so then Shankaracharya, Ramanujacharya, Madhvacharya, Vallabhacharya or Chaitanya mahaprabhu would have never claimed them to be in the succession discipline of Lord Shree Narayan. If we believe that Lord Shree Narayan is omniscient then how could the succession be incomplete without these Acharyas' opinions? It is so that these ideas were always prevailing but timely people stopped talking about them as Lord Shree Krishna says in Shreemad Bhagavad Gita: इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥ 4.1 ॥ एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः । स कालेनेह महता योगे नष्टः परन्तप ॥ 4.2 ॥ The contribution of these personalities is only that they proposed these ideas which existed before by the wish of Lord Shree Narayan. Keep it up.😊😊
Advait is not mere philosophy, it is an experience. That is why they say, "Brahma-vit Brahmaiva bhavati" meaning, "one who experiences God becomes God and is no longer the body." No matter how much we read about Advait, unless one experiences the ultimate reality or enlightenment, we are where we started only and haven't progressed spiritually.
It's not god, it's atman. After realisation a person becomes atman only by discarding all identities. There is no god or superior being in advait. Brahman n atman are the same.
Currently I'm doing MA in Sanskrit and I studied RigVeda in Childhood and keep studying till now. I like the way you present things in a comparative way. Thank you.🕉️🙏
Gyan yog ko follow karne wale logo ki aap bohot madad kar rahe hai, aapko dekhne wale kam hi sahi par aapka karya chakachoundh kar dene wala kam aur gyan se bhara hua jyada hai. Ye video ke liye aapka aabhar 🙏🏻
जिस प्रकार हम विचार करते हैं, सोचते हैं वैसे ही क्या ईश्वर भी विचार करता है या सोचता है, क्योंकि हमारे पास सोचने के लिए मन है, शरीर है, दिमाग है, बुद्धि है, आत्मा है, तो ईश्वर के पास क्या है ❤❤
वैसे उसे सोचने के लिए इन सबकी जरूरत पड़ती तो फिर वो भी साधारण होता परन्तु वो असाधारण शक्ति का स्वामी है। मन, बुद्धि व इंद्रियां न होते हुए भी वो सब कुछ कर लेता है तभी तो सब परमात्मा को भजते है क्योंकि वो सबसे न्यारा है इन्ही मामलों में।😊
मित्र ईश्वर या ब्रह्मा सोच विचार नहीं करते हैं यदि सोच विचार कर कार्य किए जाएंगे तो उसमें जो समय लगेगा तब तक तो यह अस्तित्व यह यह ब्रह्मांड न जाने कितने आगे जा चुका होगा. जहां सब कुछ फैक्ट हो वहां विचार का क्या काम ,,,,
महोदय , आप का कंटेंट वास्तव में बहुत रोचक ज्ञानप्रद और आज के समय के अनुकूल विषय सम्मत रहता है । इस पुनीत कार्य हेतु शुभेच्छा। ।। ॐ तन्मे मन: शिव सङ्कल्पमस्तु ।।
अकेला क्रिकेट नहीं खेल सकता है इसलिए ईश्वर ने अनेक रूप धारण कर लिए खिलाड़ियों के और उन खिलाड़ी यो में झगड़े न हो इसलिए एक रूप धारण किया अंपायर का जो खेल के नियमों से बंधे हैं अपने मर्जी से किसी को जीवन दान नहीं दे सकते हैं। यह अंपायर ही ईश्वर है और सब खिलाड़ी आत्मा है और दूसरे जड़ रूप है।इस तरह एक ही अंनंत रूपों में विद्यमान हैं।
जड़ का अर्थ क्या है? जड़ जो स्थिर है, या जो कभी नहीं बदलता, जड़ जो वस्तु को भार प्रदान करता है, या वृक्ष का जड़ जो मूल(origin/ root cause) है वो। कृपया जड़ का अर्थ बताए। मुझे समझने में सहायता होगी। जय श्री राम।
Sudha advait kya Hai usna tau advait ka khandan Kia aur rahi bat vallabhacharya Kaun tha wo bhi vaisnav tha amoghlila Prabhu na in point sa Shankaracharya ka khamdan Kia tha ya Sab hamesha ek dusra ko khandan karta Hai yahi tau maza Hai Indian philosophy ka
Adi Shankaracharya's teachings are pillars of modern-day Sanatana Dharma. If he had not preached Advaita and won debates against Adharmics, these other philosophies might not have emerged, as there would have been no Dharma left to inspire them. While no one has proven Adi Shankaracharya's philosophy wrong, many have interpreted Advaita in their own way to start new schools of thought. Every school of thought in Hindu philosophy is, in some way, derived from the teachings of Bhagavadpada Adi Shankaracharya.
बहोत ही रोचक, तुलनात्मक व ज्ञानवर्धक जानकारी आपने प्रेषित की। खूब खूब अभिनंदन व आभार। आज के आधुनिक सभ्यता के दौर में जहां हमारी सनातन संस्कृति का हा्स हो रहा है वहां इस तरह का उपक्रम हमारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है। इस संभाषण के संदर्भ में एक बात कहना चाहता हूं कि श्रीवल्लभाचार्यजी का मत संक्षेप में वैसे आपने सुंदर समझाया है पर आपश्री के मत का मुख्य थ्रष्ट लीलावाद है जिसमें हर वाद के समाने की सामर्थ्य है जिसे आप कवर नहीं कर पाये। लीलावाद ही वाल्लभवेदांत का सम है। जिसमें सारे वेदांत समायोजित हो सकते हैं। फिर भी इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद!!!
आदि शंकराचार्य के अद्वैत सिद्धान्त वेद उपनिषत् और वेदव्यास के महाभारत, आदि पर आधारित है | जो कुछ स्वामि वल्लभाचार्य ने आरोप लगा अद्वैत पर वह सब वेदोपनिषत्, भागवत आदि ग्रन्थ से ही समाहित हो जाते हैं | और शांकर भाष्य मे ही उन प्रश्नों का उत्तर भी है |
ब्रम्हांड ,बहुत कठिन है समझना । इसकी उत्पत्ति ,विस्तार ,निर्माता ,कारण आदि को जानना अभी तक केवल फिलोसॉपी के माध्यम से ही हो पाया है ।आज विज्ञान भी एक ऐसे अकेले समीकरण को ढूंढ़ रहा है जिससे इस ब्रम्हांड के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जा सके ।ऐसे में हमारे महान चिंतकों आदि गुरु शंकराचार्य ,वल्लभाचार्य आदि को नमन ।श्री हरि।।।
You are a born Acharya of Vedant of modern era. I was stunned to see a revered Shankaracharya whose inclination was very much towards worldly affairs. One has to be soft spoken with very limited ego in Spiritualism. The student or knowledge of Vedant is negligible when compared to huge population of our country. People to some extent are aware of rituals and follow it. Eventually Vedant (Sanatan Dharma) will bring Peace Peace Peace.
Finally , an evaluation of any Darshan has to be done with analysis of its Khyati ( Theory of errors).Advaita has prevailed as the supreme Philosophy with its Anirvachaneeya Khyativaad.
Bhaiyya is hi video ki jarurat thi mujhe Advaita Philosophy ko samajhne ke liye. When I think about it, it does make a lot of sense. I request you, aap baki ke jo Acharyo ne philosophies discuss ki hai, jaise ki Vishishta Advaita, Dvaita, etc. in sab par detail me video bana dijiye. Genuinely iss video ke baad aapke liye respect bohot badh gayi hai mann me. Please baki ke philosophies par bhi detailed videos banaiye.
@@themodernsage108 what he told about Swami Vivekananda (who was the main reason for Sanatana Dharma to get accepted in western world along with making the path for other sects of religion to reach out) and womens . If you take in consider then he is the original shishupala. Just being a devote does not make a good man. Ravana, MahishaSura and many others were also devotes.
The teachings of Adi Shankaracharya are the pillars of Hinduism and Indian philosophy. No one has ever succeeded in proving him wrong, rather everyone gave their own philosophy after learning his philosophy
Any Darsana cannot be created by merely studying Vedas & Upanishads. They can only originate with self-realization. Otherwise, we would've millions of Darsanas by now. It's not an intellectual exercise. As Bhagwan Ramana Maharshi says, all the Darsanas are various stages of realization in the journey of one ultimate truth. They differ until they dissolve in the Brahman.
Sab log unhein pakhandi bolte hai Par 'shri ramkrishna kathamrit' padkar mujhe laga ki Sare philosophy ka summry isime hai or shakt, vaishnav, saiv, nirgun, sagun , sakar, nirakar, shunybad, advait, bisitadvait, dvait and other three philosophy k bich mai bridge connection hai. "GOD IS CRUEL" namankit apka previous ek video pe maine yehi comment kiya tha or dangerous little Lerner reply mein unhein pakhandi or other ulta sidha bol rha tha
@@HyperQuest केरल में गौमांस कहा से आया? क्या अंबेडकर और बाकी हिंदू विरोधी सही है कि हिंदू गौमांस खाते थे? क्या सच में विवेकानंद जी ने गौमांस खाने को सही ठहराया है? क्या वेदों में गौमांस के विषय में कुछ कहा गया है? और हिंदूओं को गलत ठहराने वाले गौमांस को ही निशाने पर क्यों लेते हैं? और क्या सच में लाल मांस (Red Meat) खाने से कर्क रोग (Cancer) होता है? शाकाहार खाने के क्या वैज्ञानिक लाभ है? क्या शाकाहार खाने से लोग कमजोर बनते हैं? इस विषय पर प्रकाश डालिए क्योंकि अंध-विरोधी अब कथाओं से उठकर खान-पान पर आ गये है! और गौमांस और केरल के रिश्ते पर जरुर रोशनी डाले! मेरा उद्देश्य किसी को भी कुछ भी खाने से रोकने का नहीं है, लोग अपनी मनमर्जी का खाना खाने के लिए स्वतंत्र हैं। पर अपने खान-पान को धर्म से जोड़ना और उसे सही ठहराने के खिलाफ हूं। जो भी लोग गौमांस खाते हैं, वह जरुर खाये पर अपने आप को असली हिंदू या अपने खाने को हिंदू धर्म से न जोड़ें,आप अपनी स्वेच्छा से खा रहे हैं, इसे स्वीकार करें!
@@HyperQuest Sab log unhein pakhandi bolte hai Par 'shri ramkrishna kathamrit' padkar mujhe laga ki Sare philosophy ka summry isime hai or shakt, vaishnav, saiv, nirgun, sagun , sakar, nirakar, shunybad, advait, bisitadvait, dvait and other three philosophy k bich mai bridge connection hai. "GOD IS CRUEL" namankit apka previous ek video pe maine yehi comment kiya tha or dangerous little Lerner reply mein unhein pakhandi or other ulta sidha bol rha tha
Jai jagannath 🙏🙏🙏 sabhi gyanio ko ghum fir ke bhakti pe hi ana hoga. Chahe gyani log kuch bhi bakwas kare jab tak o bhakti pe nahi aayenge tab tak unka gyan purna nahi hoga. Best video 👍 Hare Krishna Hari Bol 👍🙏😀
Trigonometry in Panch Siddhanta derivation - व्यासार्थ [स्य] कृतिध्रुवसंज्ञिका कृतांशस्ततः स मेषस्य | ध्रुवकरणी मेषोना द्वयोस्तु राश्योः पदं ज्याः स्युः || R | ॥ Translation - The square of the radius, (i.e. 14,400), is called dhruva (karani), (literally, 'Fixed Irrational'"). The fourth part of it, (i.e. 3600), is the karani (Irrational) related to the first sign, (or 30°). Dhruvakaraņi minus the karani of Meşa, (i.e. 14 ,400-3600=10,800), is the karani of two signs, (or 60°). The square root of a karani is the tabular sine.
आपका कार्य सराहनीय है। आप ने जो कांसेप्ट को समझा और समझाया है वो बिलकुल भी वैसा नही है। यदि ईश्वर की इच्छा करने से यह दिव्य लीला या सृष्टि प्रकट होती तो ईश्वर जी के अस्तित्व पर सवाल खड़ा होता है की ईश्वर की न कोई इच्छा है न कोई आकर न कोई साकार इच्छा करने वाले भौतिक और जीवंत सृष्टि है अर्थात संपूर्ण शांख्य शास्त्र ने ईश्वर के अस्तित्व को नकार दिया हैं जबकि सृष्टि जड़ और चेतन का मिश्रण है। अर्थात कुछ तो ऐसा है जो इन में जड़ों मै हलचल का कारण है। वास्तव मै यह कांसेप्ट इतना जटिल है की इसे आपका यह छोटा सा वीडियो पूरा नही कर सकता है । माया और ईश्वर दो अनंत और अनादि है और जितनी भी सृष्टियों की रचना हुई है जिसके कारण यह स्थूल जगत अस्तित्व मै आया उसमे नियम यह बना है की जो भी इच्छा करेगा उसे संपूर्ण ब्रह्मांड उसकी इच्छा को पूरा करने मै लग जायेगा। क्योंकि इस स्थूल जगत की रचना के पीछे कारण एक इच्छा है वो किसने की है वो कोन है क्या है पर जो भी है वो ईश्वर नही है। माया को कार्य मिला है की आप इसे चलाओ और इसे चलाने के लिए माया ने 3प्रतिनिधि की न्युक्ति की है जिसमे सतोगुण से श्री विष्णु जी रजोगुण से श्री ब्रह्मा जी और तमोगुण से श्री शिव जी की इसलिए माया की इन तीनो शक्तियों को त्रिगुणात्मक कहा गया। अब इन शक्तियों मै ब्रह्मा जी कार्य जीव की उत्पत्ति है इसलिए इनका कार्य और रोल बहुत छोटा है इसलिए इनके पास कोई प्रतिनिधि नही है भगवान विष्णु जी पालन कर्ता है और बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिसके उन्होंने सभी जीवों मै अस्तित्व के द्रव्य का बटवारा सही से हो जाय जिसके कारण उन्होंने अपना एक प्रतिनिधि रखा जिनका नाम इंद्र देव है जो विष्णु जी की निधि का बटवारा सभी जीवों मै समान रूप से करते है। भगवान शंकर जी का संघार का जो अपने आप मै कठिन है इसलिए उन्होने भी अपना एक प्रतिनिधि रखा उनका नाम है कालदेव। इनका कार्य है यदि इंद्र देव एक प्रोजेक्टर है तो कालदेव एक परदा है। पर्दा हटते ही चित्र गायब। इश्लिये यह दुनिया मिथ्या है क्योंकि जो कुछ भी तुम और मै देख रहे है उसे दिखाने का कार्य काल देव कर रहे है आप वही देख रहे है जो कालदेव आपको दिखा रहे है वास्तव मै बचपन से आप मै यह भ्रम अनादि काल से भरा गया है की ये एक सेव है या यह मम्मी पापा वास्तव मै वहां पर कुछ नही है और है तो केवल वही एक जिसे यह त्रिगुणमयी माया दिखाना नही चाहती। अर्थात अंतिम मै वही है। बहुत कठिन चैप्टर है इतना समझ आ जाय बहुत बड़ी बात है। हा इंद्र देव भी बदलते है और कालदेव भी बदलते है जब यह विष्णु जी की निधि का वितरण जीवों के लिए न करके अपने लिए करते है तब भगवान विष्णु जी को लगता है की इंद्र देव अपना कार्य सही से नही कर रहे है और वो उनका पद किसी अन्य को दे देते है इसी प्रकार भगवान शिव भी काल देव के साथ करते है। मेने जो भी बात की है अभी तक वो इस ब्रह्माण्ड पर लागू होती है। माया जी और
I would refrain from saying so, but yes if you wish to find a philosophy that is closest to holographic theory in science, Adi Shankara’s Advaita is the one! 🙏🏻
@@mokshit7620Compare both, you will find the evidence. And every one knows that western physicists like openhiemer, schoringer, Einstein, etc have read Upnishads and they were all impressed......And as we know that Upnishads itself comes from Vedas and Adi Shankaracharya's philosophy also comes from Vedas and Upanishads!
@@x_y33 You got it wrong . That's what's the danger of half knowledge. They did read them, yes but that does not mean they were inspired and formed their theories from these texts. You forget a simple fundamental difference, Upanishads are philosophical texts and that is different from science. Also it has very less to do with Advaita vedanta. Holographic principle States that - "Information contained in a volume of space can be encoded on its boundary ". I see no relationship with Vedanta here. Advaita's metaphysics is different from theoretical physics. People have for no reason forcefully equated reading Upanishads ( which focuses more on self( Atman) than world) with physics ( concerned with outer world or jagat). So please understand both , it's impressive to see parallel but that does not mean they are related.🙏
@@mokshit7620 I don't have half knowledge. You couldn't got my words. When I said that they make their theory directly taking from Upnishads? Of course! They were inspired by Upnishads' Darshan. Hieseberg himself told it in his letters. But yes, it has inspired them a lot. Also some modern scientists say that this universe has no objective reality and Advait vedanta also says that Jagat is Maya (Delusion). So, not everything but some things are related to Upnishadic Darshanas. I said only that they inspired a lot from our Darshanas. I didn't claim that they had Directly taken their theory from Upnishads n all.......
नमस्ते, विशाल भैया। 😊 मैं, अक्षत, पटना में रहता हूँ, 11 वीं का छात्र हूँ, इस बार बोर्ड दिया (6 मई को रिजल्ट आया)। भारत ही नहीं, मुझे विश्व भर के दर्शन समझने में रूचि है। साथ ही, Physics, मनोविज्ञान, इतिहास और साहित्य (हिंदी व अंग्रेज़ी) भी काफ़ी प्रिय है मुझे। यह मेरा छोटा सा परिचय था। करीब 2 वर्ष 10 महीनों से आचार्य प्रशांत को सुनने के कारण उपरोक्त विषयों में और गहरी उत्सुकता पैदा हुई । वेदांत दर्शन पर आपकी सभी वीडियोज देखी थी मैंने। मुझे भ्रम था कि मैं वेदांत को अच्छा ख़ासा समझता हूँ, पर आज यह वीडियो देखकर मैं मूढ़ महसूस किया। मैं confuse हो गया। अपने जो प्रश्न रखे, उनको ना तो मैं कोई जवाब दे सकता हूँ, और ना ही उन प्रश्नों को गलत साबित कर सकता हूँ। 😶 इससे यह साबित हुआ कि मुझे अभी crystal clear clarity नहीं। मेरी भ्रांति कि गगरी फोड़ने के लिए धन्यवाद, भैया। ❤
@@user-dt2gl6ze6d Hmm. Sahi kaha. Mujhe bhi ye bada ajeeb laga, par sach to yahi hai ki dimaag mein Vedant darshan ko lekar 100% clarity nahi aayi hai. 😑
सूरज नीला है....8 मिनट स्वास रोक ध्यान कर खुद देख लो....जो नजर आता है वो सच नहीं बंद से सच ..चाँद गुलाबी है...60 मिनट 100 स्वास सेंचुरी...जय गुरु जी...जोगी
@@ganeshmenaria6441 mahamaya devi bhagwati ko bola ki jata hai jo Maya se pare hain aap un bhagawati ka majak uda re hai kripya ye mahamaya Saad apne comment se delete karen
बेसक विशिष्ट अद्वैत पे detailed video लेके जरूर आइए हमे काफी संतुष्टि मिलती है जब हमारे भारत का अपना बेटा लोगो को अपने विरासतों से मिली ज्ञान , संस्कृति से और philosphy से परिचित कराता है । बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Bhaiya bhaiya.... Literally no words for your hardwork i have some question if you have time then please reply me i will ask to you... Anyways your hardwork is really appreciatve and just loved your content❤ its rashi of class 9
This question is associated with Tantras bhaiya... I saw your video on yoga in which you told us that how britishers banned yoga in India and associated it all with tantric sex.. etc .Since that i have this question. You told us about ancient India but even now whenever we ask about tantras it is always misrepresented or associated with just the Union of male and female but if we go in depth then the ultimate goal of tantras is also to achieve God..A true tantric seeks to mind and body to almost a magical level and thus masters the external elements Moreover, inside it we worship group of goddesses called mahavidya (the goddesses of ultimate knowledge) So why it is misrepresented and what are things mentioned about it in our ancient literatures, books and philosphies? It is being said that whatever karma we are doing we will get it back. All our karmic debts cannot be cleared in only 1 life so that's why may be reincarnation happens... And if reincarnation happens to give us the results of our past actions then Is really heaven or hell exits? If yes then why we need heaven or hell if we are getting all the results in this mortal form? If no then why we have been told about it? Bhaiya i have many more questions like this even I want to discuss so many theories and questions with you but as all it is not possible now but literally I wanna meet you and discuss the things once in my life... Since then I will ask you questions and if you have time then please bhaiya reply me... ✨
We want to see through the spectrums of purpose not as to grasp or seek the nature of truth but to find an answer, that's why reality seems with various dualities with aligned base and differ or contradict one another.
sir, आपने मिथ्या का अर्थ illusion लिया है; जब कि कई विद्वान इसे illusion न कह कर ऐसी सत्ता मानते हैं जिसका अस्तित्व किसी दूसरे पर निर्भर करता है ; जैसे कि मिटटी का बर्तन मिटटी से बनता है; इसलिए बर्तन मिटटी के सापेक्ष मिथ्या है और मिटटी बर्तन के सापेक्ष वास्तविक है क्योंकि जब बर्तन का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा तो वह मिटटी ही बन जायेगा;
Maine Kitne UA-camr k vdo dekh liye jab se mujhe supreme energy mere dhyaan me aate hai lakin aap ki vdo me Jo bat hai woh kisse aur k vdo se feel nhi hoti
If the Jiva is limited in capacity as per Shuddādvaita, can we quantify the capacity of Brahman (our source), too? Even if someone claims it to be infinite, then Brahman is kindless towards Jiva by limiting his capacity? Isn't it a paradox? Sankara said Brahman is beyond attributes. He didn't say Brahman is without Gunas or attributes.
Advaita in simplest terms say the world is Maya and you the Atman is real you are the universe itself pretending to be whatever you wanna be in short you are divine you are god. It's very hard to understand not meant for common people but for brilliant minds and quantum physicist.
@SpiritualCorner-si8dz Bhai mene Kuch v galat nahi bola , science journey ek ek fact dikhak Hindu dharma ki dhoti khol Raha hai ,in bhaisab ko bhutbar live debate k Liye bulaya lekin ye nahi aaraha, himmat hai toh live debate Karke hara de
@SpiritualCorner-si8dz Chalo toh fir Hindu dharma k sabse purane rigveda se start karte hai debate ,Hindu dharma Mai islam jitna hi pakhanda vara pada hai, jab tak puri duniya se sabhi dharma ka sarbanaas nahi Hoga tabtak pakhandwad aaur aatangwad zinda Rahe ga
The greatest son of Kerala is Adi Sankaracharya who was born in 2000 BC at Kaladi. He was a 12 strand DNA seer with raised Kundalini , the world’s greatest and original philosopher, intellectual , scholar and poet. He mastered the Vedas written in 5000 BC, at the tender age of five. The white Christian invader pushed this great man back in history by an astounding 2800 years, so that his philosophy could be stolen and attributed to the West as a measure of blatant racism-to Shankara’s philosophy is now patented in the names of ancient Greek philosophers and the modern European philosophers. They will never write anywhere that both Plato and Pythagoras were students in India. They made cock and bull stories, and had it legitimized by the opportunistic and servile Tamilian Indian Brahmins. 4000 years ago when the white man was clubbing down animals and eating raw meat, and doing grunt grunt for language in damp caves , Adi Shankaracharua pondered about the source, nature, foundation, scope, validity and limits of human knowledge. He was the first metaphysicist. Metaphysics means “what comes after physics”. Its object is to determine the real nature of things-to determine the meaning, structure, and principles of whatever is insofar as it is-- with reality as a whole. It is a call to recognize the existence and overwhelming importance of a set of higher realities that ordinary men could not deduce. Metaphysics is the science of ultimate reality , as opposed to appearance or the contrast between appearance and reality . captajitvadakayil.in/2022/02/23/advaita-vedanta-philosophy-adi-shankaracharya-2000-bc-sanatana-dharma-capt-ajit-vadakayil/ A cloud appears to consist of some white, fleecy substance, although in reality it is a concentration of drops of water. Scientific theories can be brought to the test of experience, whereas metaphysical theories cannot. Metaphysician is a sort of super scientist, unlimited in his curiosity and gifted with a capacity for putting together other people's findings with a skill and imagination that none of them individually commands. He can refute by debate, through a method for systematic evaluation of definitions. Indian philosophy is distinctive in its application of analytical rigour to metaphysical problems and goes into very precise detail about the nature of reality, the structure and function of the human psyche and how the relationship between the two have important implications for human salvation (moksha). Maharishis centered philosophy on an assumption that there is a unitary underlying order in the universe which is all pervasive and omniscient. The efforts by various schools were concentrated on explaining this order and the metaphysical entity at its source (Brahman). .....
1. पहली बात जब बुद्ध की बात करें तो बुद्ध की बात करें | बुद्ध को आदि शंकर के समकक्ष न खड़ा करें | बुद्ध ने जो खड्डे हिंदुओं के लिए खोदे थे आदि शंकर सारी जिंदगी उन्हीं को भरने में निकल गया | बुद्ध का शून्य बाद इस जगत के बाहर नहीं जाता है | एक व्यक्ति की दुकान इस चौराहे पर है, दूसरे की अगले चौराहे पर तो दोनों का शून्य अलग हो गया | 2. दूसरी बात आदि शंकर कुछ भी, किन्ही भी परिस्थितियों ने कुछ भी imagine नहीं करेंगे | संन्यासी कभी भी कुछ भी imagine नहीं करता है | उसने जैसा जाना, जैसा अनुभव किया कहा दिया | आदि शंकर चित्त की अवस्था में जहां खड़े हैं वहां से एक मात्र ब्रह्म ही सत्य है दूसरा कुछ भी नहीं | बहुत से लक्ष्य तय करते हैं | 3. तीसरी बात गोड़पाद से गोविंद पाद को उसके बाद आदि शंकर को मिला , संन्यास में गुरु परंपरा से कुछ भी नहीं मिलता है | जब कोई संन्यास लेता है तो गुरु उसके हलक में हठ डालकर बुद्ध, महावीर, भगवत गीता सब कुछ निकाल लेते हैं |
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Sir please aap dhruv rathee ko sahi sabit kar dijiye ,meri aapse request hai🙏🙏
@@ArpitGupta-w4j
Nonsense comments 😤
कृपया योगवाशिष्ट पर भी course लाईए।
😔😔😔aapas ek nivedan hai ki Kai vidharmiya durga devi ko sexleave and mahishasur ke saat 9 raat Suhasraat ki paat kar rahe hai jisse Kai hindu dharma parivartan kar rahe hai krupaya sachai Shahar laye 😔😔😔
Jay Mata di 😔😔😔 😡😡😡
😔😔😔aapas ek nivedan hai ki Kai vidharmiya durga devi ko sexleave and mahishasur ke saat 9 raat Suhasraat ki paat kar rahe hai jisse Kai hindu dharma parivartan kar rahe hai krupaya sachai Shahar laye 😔😔😔
Jay Mata di 😔😔😔 😡😡😡
Jagatguru Adi Shankaracharya jayanti ki shubhkaamnaye🙏
Adi Shankaracharyaji ko koti koti pranaam 🙏🙏
Mujhe advaita concept me ek doubt he?
@@parthasarathi3379 mujhe bas itna pata hai jab jaisi jarurate hai iswar wohi karwata hai aur aage ka path sugam karte hai..abhi alag alag soch ke budhdhi ke manushya kya karta hai wo unlogo ka vishay hai..mai to comply dueit mai believe karti hoo but shankaracharya ji pujniya hai unko baido ko phir se udhdhar kar unhe kaliyugi ki manushya ka udhdhar hetu bheja gaya hai..jabki iske baad phir se ramanujachary ji ka bhi to avtaran hua..Hari bol 🙏♥️
मिथ्या और असत्य में भेद है !! शंकराचार्य जी का सिद्धांत पूर्ण रूपेण व्यक्त नहीं हो पाया है ऐसा मेरा मत है !! और माध्वाचार्य जी के सिद्धांत को भी यदि और उदभासित किया जाता तो और बातें स्पष्ट हो सकती थी क्यूंकि मुझे ऐसा आभास हुआ जैसे दोनों आचार्यों के सिद्धांतो में जो भिन्नता प्रतीत होती है वह वास्तव में ऐसे है जैसे जैसे 6 को उल्टे तरफ से पढ़ने वाला उसे. 9 समझ लेता है !! इस पर और अधिक शोध की आवश्यकता है !!
परंतु हृदय से प्रसन्नता है कोई तो है जो इन उच्च बातो पर चर्चा कर रहा है 🙏 साधुवाद !!
Satya kaha. Mitya aur asatya ye do alag alag hai.
अद्वैत सिद्धि सबके समझ में नहीं आ सकती है। आदि शंकराचार्य सबके समझ में नहीं आ सकते हैं। यहां यही गलती हुई है। कुछ कम समझ लोग जरुर गुमराह हो जाएंगे ऐसे अधकचरे विचारों से। 🌹🕉️🙏
Mithya bhram hai aur asatya adharm
माया के तर्क पर शंकराचार्य जी से बहुत प्रतिवाद हुआ है आज तक हो रहा है। इस पर अंत में आचार्य शंकर ने कहा है की वास्तव में माया है ही नही इस तर्क को अजातीवाद कहते है।और ब्रह्म को जगत के रूप में प्रकट होने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
तब कहते है की "स एकाकी न रमते "।
जब ब्रह्म स्वात्माराम, चिदघन आनंद स्वरूप है तो दूसरे से रमने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
तब शब्द आया "लीला"। की यह उनकी कोई आवश्यकता नहीं है ये " लीला" मात्र है!!इस तरह तर्क अनंत तक जाएगा अनिर्णायक रहेगा,बौद्धिक कुश्ती रहेगी ,
फिर बात आती है की परम तत्व और सत्य को बुद्धि, मन, तर्क से तो समजा समजाया ही नही जा सकता इसकी केवल अनुभूति हो सकती है स्वयं को अनुभूति करनी पड़ेगी ।
उसके लिए क्या करना पड़ेगा? चित्त शुद्धि करनी पड़ेगी तब वो स्वयं प्रकाशित होगा क्योंकि परमात्म तत्व साधन साध्य नहीं है और अवांग मनसा गोचर है अर्थान वाणी मन और इन्द्रियों से जाना समझा पाया नही जा सकता।
न अयमात्मा प्रवचनेंन लभ्य ना मेधया ना बहुना श्रुतें न, यमैवेश वृणुते स तेन लभ्यो।
अर्थात यह आत्मा बहुत तत्व चर्चा बोलने सुनने पढ़ने से मेधा बुद्धि तर्क से प्राप्त होता है । जिसका जो वरण करता है उसे प्राप्त होता है।इस लिए केवल परमात्मा की कृपा गुरुकृपा इष्टकृपा से कृपा साध्य है , साधन साध्य नहीं है तो साधन यानी जप तप योग भक्ति ज्ञान तत्व विचार आदि साधन का क्या उपयोग है?
केवल चित्त शुद्धि हेतु।
चित्त शुद्धि हेतु क्या करना है उसके लिए हर एक दर्शन ,पंथ, संप्रदाय के अपने अनुभव है।
वेदांत कहेगा मल आवरण और विक्षेप हटाना पड़ेगा,पाशुपत शैव आदि पंथ कहेगा अष्टविध पाश काटने पड़ेंगे ,
कोई कहेगा संपूर्ण समर्पित, शरणागत हो जाना पड़ेगा ,कोई कहेंगे प्रभु प्रेममय है प्रेम स्वरूप बन जाना पड़ेगा ,प्रेम किस तरह का तो उसमे भी प्रकार आए दास्यभाव सख्यभाव पुत्रभाव आदि आदि,
कोई कहते है देह का तमस बहुत सघन है,
इसके कारण सघन देहभाव में चित्त चेतना का उर्ध्विकरण नही हो पाता इस लिए षटकर्मादी से शरीर शुद्धि करनी है फिर मध्यकर्षण से मुक्त होना पड़ेगा ,प्राण अपान एक करना पड़ेगा कुंडलिनी जगानी पड़ेगी। हठ और राजयोग मंत्र योग , लय योग, नाद योग, आदि साधना मार्ग और पद्धतियां निर्माण हुई।
रुचिनाम वैचित्र्यात नाना विध पथ जुशाम
रुचि अधिकार आदि की भिन्नता के कारण अनेको प्रकार के पथ बने ,नृणाम एको गम्यते...आगे जाकर सब एक ही में विलीन हो जाते है।
Everything is actually doubtful unless diversity of mind could not reach to adweit ultimately with full root knowledge. ❤
Mujhe humesha peeda hoti haj jab dekhta hun ki itne shi channel tak mai log nhi aa pa rhe dekhne kese sakhsham hoga humra hindu yuva marxist ko seedha jawab dene ke liye 💔
संसार भर का यही चैनल नहीं है
कुछ विज्ञान कुछ उपनिषद संस्कृतादि के भी चैनल हैं भवन् जो उन्हें सीधा पढ़ाते हैं
मैंने आज तक जितना इन्हें सुना कम सुनना चाहा क्योंकि मुझे ज्ञान उन लोगो से प्राप्त करने की इच्छा रही जो विषय ज्ञानी हैं उसके।
अस्तु धन्यवाद 🙏
@@-__________abhinavtariyal_5999 shi kha tumne lekin yh Jo padha rhe hai sath sath tark dete hai in nakli marswadi o ke samne bol paye wo log bhi bhot Kam kr rhe hai lekin yuva jispe Jaan hai uske liye bola mene yh best
Bilkul sahi kaha bhi tumne
aisa keh rhe ho, khud tum Acharya Prashant ke baare me jaante ho Bhai?
इतना गहरा विषय पर कितनी सरल भाषा मे समझाने का प्रयास।
तर्क एवं उदाहरण प्रस्तुत कर के आपने काफी उलझनों को दूर कर दिया धन्यवाद।
One of the best youtubers who teach us deep knowledge about sanatan dharm 🙏🏻 नमस्कार है आपमें बसे परमात्मा को 🚩
Means a lot to us 😇 आपको भी नमस्कार 🙏🏻
One of the best ❌
The best ✅
@@Raamsenaa true
@@HyperQuest sir as you know , ISKM is doing a lot of hodge podge , please expose them, only preaching Dharma is not enough sir , we also have to refute extremist believers right , India must always remain as a land of Seekers
Amazingly explained. I'm a follower of Shree Vallabhacharya. Happy to see such informative videos for normal people who are not able to read the mool scriptures of these great personalities.
Only one thing is to be taken into consideration that we don't have the evolution theory in our philosophical thoughts. If this was so then Shankaracharya, Ramanujacharya, Madhvacharya, Vallabhacharya or Chaitanya mahaprabhu would have never claimed them to be in the succession discipline of Lord Shree Narayan. If we believe that Lord Shree Narayan is omniscient then how could the succession be incomplete without these Acharyas' opinions? It is so that these ideas were always prevailing but timely people stopped talking about them as Lord Shree Krishna says in Shreemad Bhagavad Gita:
इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।
विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥ 4.1 ॥
एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः ।
स कालेनेह महता योगे नष्टः परन्तप ॥ 4.2 ॥
The contribution of these personalities is only that they proposed these ideas which existed before by the wish of Lord Shree Narayan.
Keep it up.😊😊
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
Aham brahmasmi
Advait is not mere philosophy, it is an experience. That is why they say, "Brahma-vit Brahmaiva bhavati" meaning, "one who experiences God becomes God and is no longer the body." No matter how much we read about Advait, unless one experiences the ultimate reality or enlightenment, we are where we started only and haven't progressed spiritually.
it is not philosophy (speculative)it is darshan(speculative + personal enquiry + experienced reality)
The one who experience God doesn't become God. The one who experience God is God. We can see Him only through His Eyes.
It's not god, it's atman. After realisation a person becomes atman only by discarding all identities. There is no god or superior being in advait. Brahman n atman are the same.
@shubhan2002 Yes, there is no concept of God in Hinduism. There is only Brahman. My reference to God is for broader understanding.
@@SS-dn1pu you should not use the word "god" here because god has a different definition compared to brahman. People will misinterpret your comment.
Currently I'm doing MA in Sanskrit and I studied RigVeda in Childhood and keep studying till now. I like the way you present things in a comparative way. Thank you.🕉️🙏
It means a lot to us. Thank you 🙏🏻 ❤
Make Good use of your knowledge ❤
MA in Sanskrit? What worth is it? Kya job scope hai?
You tell me, what career will you build out of it? Will you become priest? Or teach Sanskrit in school or college? What else will you do?
@@HyperQuest science journey live debate k Liye bula Raha hai bhaisab jaiye aaur aapne dharma ko bachaiye
Gyan yog ko follow karne wale logo ki aap bohot madad kar rahe hai, aapko dekhne wale kam hi sahi par aapka karya chakachoundh kar dene wala kam aur gyan se bhara hua jyada hai. Ye video ke liye aapka aabhar 🙏🏻
जिस प्रकार हम विचार करते हैं, सोचते हैं वैसे ही क्या ईश्वर भी विचार करता है या सोचता है,
क्योंकि हमारे पास सोचने के लिए मन है, शरीर है, दिमाग है, बुद्धि है, आत्मा है, तो ईश्वर के पास क्या है ❤❤
Ishwar agar mrityulok mai koi avatar lekar lila karte hai so vo bhi ekk samanya manushya ke taur pe sochte hai par vastavikta isse koso dur hai.।!।
वैसे उसे सोचने के लिए इन सबकी जरूरत पड़ती तो फिर वो भी साधारण होता परन्तु वो असाधारण शक्ति का स्वामी है। मन, बुद्धि व इंद्रियां न होते हुए भी वो सब कुछ कर लेता है तभी तो सब परमात्मा को भजते है क्योंकि वो सबसे न्यारा है इन्ही मामलों में।😊
मित्र ईश्वर या ब्रह्मा सोच विचार नहीं करते हैं यदि सोच विचार कर कार्य किए जाएंगे तो उसमें जो समय लगेगा तब तक
तो यह अस्तित्व यह यह ब्रह्मांड न जाने कितने आगे जा चुका होगा.
जहां सब कुछ फैक्ट हो वहां विचार का क्या काम ,,,,
Bhai aur bheno please kamse kam is channel ko share jiya kro sirf bhakti nhi tark hona bhot zaroori hai in marxist ko jawab dene ke liye
महोदय ,
आप का कंटेंट वास्तव में बहुत रोचक ज्ञानप्रद और आज के समय के अनुकूल विषय सम्मत रहता है । इस पुनीत कार्य हेतु शुभेच्छा।
।। ॐ तन्मे मन: शिव सङ्कल्पमस्तु ।।
विपुल जी प्रशंसा के लिए धन्यवाद । 🙏🏻😇
@@HyperQuestPlease make a similar video on all astika darshanas with book recommendations by various publishers on the topic.
नमस्ते बेटा
आपसे और आपके चैनल से बहुत सरा शुद्ध ज्ञान समझ में आ रहा है । धन्यवाद,,🙏
आप इस युग के शंकराचार्य हैं, अद्वैत के प्रचार के लिए इसी तरह अभियान चलाइये और त्रिविध दुःखों से लोगों का उद्धार कीजिये. आपको शत शत नमन 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Pagal ho kya? Shankar ke saath kisi ko bhi compare kar rhe ho
किसी को भी देवी बना देते हो, किसी को भी शंकराचार्य, तुम लोगो की वजह से ही हमारे ग्रंथों और देवी देवताओं की इज्जत नहीं रह गई
i am vaishnav and from vallabh kul. you explained really very well. jai shri vallabhacharya jai shri nathji.🙏🙏
Vaishnavism is incomplete without Lord Shiva
Thank you so much 😇
@@Sigma01350 toh maine kab kaha shiv hi hari hai hari hi shiv hai.
main toh khud shiv bhakta hu , main shiv aaur hari mein kbhi fark nhi krta 🙏🙏🙏🙏
Nhi nirakar brahm sabse sresth om❤@@madhurvyas1148
परम पुजनीय सदगुरुदेव आदिगुरूशंकराचार्य जी एवं सभी सदगुरुदेव दी प्रणाम हैं।
अकेला क्रिकेट नहीं खेल सकता है इसलिए ईश्वर ने अनेक रूप धारण कर लिए खिलाड़ियों के और उन खिलाड़ी यो में झगड़े न हो इसलिए एक रूप धारण किया अंपायर का जो खेल के नियमों से बंधे हैं अपने मर्जी से किसी को जीवन दान नहीं दे सकते हैं। यह अंपायर ही ईश्वर है और सब खिलाड़ी आत्मा है और दूसरे जड़ रूप है।इस तरह एक ही अंनंत रूपों में विद्यमान हैं।
जड़ का अर्थ क्या है? जड़ जो स्थिर है, या जो कभी नहीं बदलता, जड़ जो वस्तु को भार प्रदान करता है, या वृक्ष का जड़ जो मूल(origin/ root cause) है वो।
कृपया जड़ का अर्थ बताए। मुझे समझने में सहायता होगी।
जय श्री राम।
Jad means non living... Chetan means living
क्रिकेट खेलना ही क्यों? ईश्वर को इच्छा ही क्यों हुई?
Jab woh akela nhi khel skta to bhagwan kis baat ka 😂😂
Brother aatma brham me bhed nhi hai yeh bass agynata ke karan humhe binn lagte hai yeh ek hi hai yehi advait hai 🙏🏻
Amogh lila Prabhu is not harmed during making this video...
Sudha advait kya Hai usna tau advait ka khandan Kia aur rahi bat vallabhacharya Kaun tha wo bhi vaisnav tha amoghlila Prabhu na in point sa Shankaracharya ka khamdan Kia tha ya Sab hamesha ek dusra ko khandan karta Hai yahi tau maza Hai Indian philosophy ka
He dead
मैं rationalist हूं
लेकिन आपके Video मुझे रोचक लगते हैं
मैं आपका आभारी हूँ । 🙏🏻
बहुत बड़ा एहसान कर रहे तुम rationalist होकर और ये वीडियो देख कर। अगर तुम ना होते तो शायद धर्म का ह्रास हो गया होता। अब पतली गली से निकल लो।
Dharm k gapod gatha ki bat man kar apne aap ko rationalist bol raha ho 🤦♂️😂
Adi Shankaracharya's teachings are pillars of modern-day Sanatana Dharma. If he had not preached Advaita and won debates against Adharmics, these other philosophies might not have emerged, as there would have been no Dharma left to inspire them. While no one has proven Adi Shankaracharya's philosophy wrong, many have interpreted Advaita in their own way to start new schools of thought. Every school of thought in Hindu philosophy is, in some way, derived from the teachings of Bhagavadpada Adi Shankaracharya.
बहोत ही रोचक, तुलनात्मक व ज्ञानवर्धक जानकारी आपने प्रेषित की। खूब खूब अभिनंदन व आभार। आज के आधुनिक सभ्यता के दौर में जहां हमारी सनातन संस्कृति का हा्स हो रहा है वहां इस तरह का उपक्रम हमारी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद है।
इस संभाषण के संदर्भ में एक बात कहना चाहता हूं कि श्रीवल्लभाचार्यजी का मत संक्षेप में वैसे आपने सुंदर समझाया है पर आपश्री के मत का मुख्य थ्रष्ट लीलावाद है जिसमें हर वाद के समाने की सामर्थ्य है जिसे आप कवर नहीं कर पाये। लीलावाद ही वाल्लभवेदांत का सम है। जिसमें सारे वेदांत समायोजित हो सकते हैं। फिर भी इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत साधुवाद!!!
जय श्री नारायण 🙏🏻🚩
आदि शंकराचार्य के अद्वैत सिद्धान्त वेद उपनिषत् और वेदव्यास के महाभारत, आदि पर आधारित है | जो कुछ स्वामि वल्लभाचार्य ने आरोप लगा अद्वैत पर वह सब वेदोपनिषत्, भागवत आदि ग्रन्थ से ही समाहित हो जाते हैं | और शांकर भाष्य मे ही उन प्रश्नों का उत्तर भी है |
ब्रम्हांड ,बहुत कठिन है समझना । इसकी उत्पत्ति ,विस्तार ,निर्माता ,कारण आदि को जानना अभी तक केवल फिलोसॉपी के माध्यम से ही हो पाया है ।आज विज्ञान भी एक ऐसे अकेले समीकरण को ढूंढ़ रहा है जिससे इस ब्रम्हांड के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया जा सके ।ऐसे में हमारे महान चिंतकों आदि गुरु शंकराचार्य ,वल्लभाचार्य आदि को नमन ।श्री हरि।।।
You are a born Acharya of Vedant of modern era. I was stunned to see a revered Shankaracharya whose inclination was very much towards worldly affairs. One has to be soft spoken with very limited ego in Spiritualism. The student or knowledge of Vedant is negligible when compared to huge population of our country. People to some extent are aware of rituals and follow it. Eventually Vedant (Sanatan Dharma) will bring Peace Peace Peace.
क्या पसंद करूं मैं खुद के लिए,
हर दिन कुछ ना कुछ जुदा होना है ❤️❤️
कहना तो मुझे है,
पर यह भी अंत में खुदा का होना है ❤️ ❤️
अद्भुत एवं प्रशंसनीय कार्य ❤
श्री राम जी सर्वदा आप पर स्नेह लुटाते रहें|
जय जय श्री सीता राम 🙏🙏
अद्वैत वेदांत 🙏
Finally , an evaluation of any Darshan has to be done with analysis of its Khyati ( Theory of errors).Advaita has prevailed as the supreme Philosophy with its Anirvachaneeya Khyativaad.
राधे राधे सभी लोगो को😊😊
राधे राधे 🙏🏻
जगद्गुरु श्री आदि शङ्कराचार्य जयन्तीको शुभकामना 🙏🕉️
Aj kal ke jo neele kabutar or baudhhistto ko ye vedeo jarur dekhni chahiye ......
Bhaiyya is hi video ki jarurat thi mujhe Advaita Philosophy ko samajhne ke liye. When I think about it, it does make a lot of sense. I request you, aap baki ke jo Acharyo ne philosophies discuss ki hai, jaise ki Vishishta Advaita, Dvaita, etc. in sab par detail me video bana dijiye. Genuinely iss video ke baad aapke liye respect bohot badh gayi hai mann me. Please baki ke philosophies par bhi detailed videos banaiye.
It means a lot to me 🙏🏻❤️ Yes will create detailed videos on other vedanta philosophies too 😇
Jagatguru Vallabhachary mahaprabhuji ki jai ho
सत्य सनातन धर्म की जय हो 🙏🚩🚩
जय श्री राम 🙏🙏🚩 हरि ॐ 🙏🙏🚩🚩
Jayatu hindurastram 🚩🔥
Vote for chaitanya mahaprabhu video ✅
Ha Bhai
Us beuquf meh kisi ko interest nehi.
@@piashbhowmik3768don't be Sisupala of kaliyuga , It seems like you're dissing God....
@@themodernsage108 what he told about Swami Vivekananda (who was the main reason for Sanatana Dharma to get accepted in western world along with making the path for other sects of religion to reach out) and womens . If you take in consider then he is the original shishupala.
Just being a devote does not make a good man. Ravana, MahishaSura and many others were also devotes.
Are u drunk or what do u even whom r u referring to CHAITANYA MAHAPRABHU is verily supreme lord himself !!!!@@piashbhowmik3768
The teachings of Adi Shankaracharya are the pillars of Hinduism and Indian philosophy. No one has ever succeeded in proving him wrong, rather everyone gave their own philosophy after learning his philosophy
Any Darsana cannot be created by merely studying Vedas & Upanishads. They can only originate with self-realization. Otherwise, we would've millions of Darsanas by now. It's not an intellectual exercise.
As Bhagwan Ramana Maharshi says, all the Darsanas are various stages of realization in the journey of one ultimate truth. They differ until they dissolve in the Brahman.
🙏🏻🙏🏻
अद्धभुत ज्ञान दिया आपने, जय गुरु आदि शंकर्याचार्य जय गुर वलभाचार्य
I was eagerly waiting for you to upload a video on advaita vedanta ❤🙏
Hope you liked it and got to learn something. Thank you 😇❤️
आपका ज्ञान अगाध है। आपको कोटि कोटि नमन।
अविद्या उसे कहते है जो वेदो के ज्ञान के अतिरिक्त ज्ञान है
Ramkrishna paramhansajii k bare mein ek video bana do bhaiya plz🙏🙏🙏
Tearful 😢 request from little brother and subscriber🥺🥺
Ji bilkul banayenge bhai 🙏🏻😇
Sab log unhein pakhandi bolte hai
Par 'shri ramkrishna kathamrit' padkar mujhe laga ki Sare philosophy ka summry isime hai or shakt, vaishnav, saiv, nirgun, sagun , sakar, nirakar, shunybad, advait, bisitadvait, dvait and other three philosophy k bich mai bridge connection hai.
"GOD IS CRUEL" namankit apka previous ek video pe maine yehi comment kiya tha or dangerous little Lerner reply mein unhein pakhandi or other ulta sidha bol rha tha
@@HyperQuest केरल में गौमांस कहा से आया? क्या अंबेडकर और बाकी हिंदू विरोधी सही है कि हिंदू गौमांस खाते थे?
क्या सच में विवेकानंद जी ने गौमांस खाने को सही ठहराया है? क्या वेदों में गौमांस के विषय में कुछ कहा गया है?
और हिंदूओं को गलत ठहराने वाले गौमांस को ही निशाने पर क्यों लेते हैं?
और क्या सच में लाल मांस (Red Meat) खाने से कर्क रोग (Cancer) होता है? शाकाहार खाने के क्या वैज्ञानिक लाभ है? क्या शाकाहार खाने से लोग कमजोर बनते हैं?
इस विषय पर प्रकाश डालिए क्योंकि अंध-विरोधी अब कथाओं से उठकर खान-पान पर आ गये है! और गौमांस और केरल के रिश्ते पर जरुर रोशनी डाले!
मेरा उद्देश्य किसी को भी कुछ भी खाने से रोकने का नहीं है, लोग अपनी मनमर्जी का खाना खाने के लिए स्वतंत्र हैं। पर अपने खान-पान को धर्म से जोड़ना और उसे सही ठहराने के खिलाफ हूं। जो भी लोग गौमांस खाते हैं, वह जरुर खाये पर अपने आप को असली हिंदू या अपने खाने को हिंदू धर्म से न जोड़ें,आप अपनी स्वेच्छा से खा रहे हैं, इसे स्वीकार करें!
@@HyperQuest
Sab log unhein pakhandi bolte hai
Par 'shri ramkrishna kathamrit' padkar mujhe laga ki Sare philosophy ka summry isime hai or shakt, vaishnav, saiv, nirgun, sagun , sakar, nirakar, shunybad, advait, bisitadvait, dvait and other three philosophy k bich mai bridge connection hai.
"GOD IS CRUEL" namankit apka previous ek video pe maine yehi comment kiya tha or dangerous little Lerner reply mein unhein pakhandi or other ulta sidha bol rha tha
Sir, India needs you. You should debate with science journey sir once. The country needs to know the complete history of India.
Jai jagannath 🙏🙏🙏 sabhi gyanio ko ghum fir ke bhakti pe hi ana hoga. Chahe gyani log kuch bhi bakwas kare jab tak o bhakti pe nahi aayenge tab tak unka gyan purna nahi hoga. Best video 👍 Hare Krishna Hari Bol 👍🙏😀
@@harekrishna2291 main to bhakti nhi karta hun fir bhi purn gyani hun.☺️
Please create a detailed video about 'Vishist Advait' and ThankYou Very Much for creating such amazing and detailed video!
Trigonometry in Panch Siddhanta derivation -
व्यासार्थ [स्य] कृतिध्रुवसंज्ञिका कृतांशस्ततः स मेषस्य | ध्रुवकरणी मेषोना द्वयोस्तु राश्योः पदं ज्याः स्युः || R | ॥
Translation -
The square of the radius, (i.e. 14,400), is called dhruva (karani), (literally, 'Fixed Irrational'"). The fourth part of it, (i.e. 3600), is the karani (Irrational) related to the first sign, (or 30°). Dhruvakaraņi minus the karani of Meşa, (i.e. 14 ,400-3600=10,800), is the karani of two signs, (or 60°). The square root of a karani is the tabular sine.
मौत है मत भूलना,
जिंदगी हर दिन याद दिलाएगी ❤❤
आपका कार्य सराहनीय है।
आप ने जो कांसेप्ट को समझा और समझाया है वो बिलकुल भी वैसा नही है। यदि ईश्वर की इच्छा करने से यह दिव्य लीला या सृष्टि प्रकट होती तो ईश्वर जी के अस्तित्व पर सवाल खड़ा होता है की ईश्वर की न कोई इच्छा है न कोई आकर न कोई साकार इच्छा करने वाले भौतिक और जीवंत सृष्टि है अर्थात संपूर्ण शांख्य शास्त्र ने ईश्वर के अस्तित्व को नकार दिया हैं जबकि सृष्टि जड़ और चेतन का मिश्रण है। अर्थात कुछ तो ऐसा है जो इन में जड़ों मै हलचल का कारण है। वास्तव मै यह कांसेप्ट इतना जटिल है की इसे आपका यह छोटा सा वीडियो पूरा नही कर सकता है । माया और ईश्वर दो अनंत और अनादि है और जितनी भी सृष्टियों की रचना हुई है जिसके कारण यह स्थूल जगत अस्तित्व मै आया उसमे नियम यह बना है की जो भी इच्छा करेगा उसे संपूर्ण ब्रह्मांड उसकी इच्छा को पूरा करने मै लग जायेगा। क्योंकि इस स्थूल जगत की रचना के पीछे कारण एक इच्छा है
वो किसने की है वो कोन है क्या है पर जो भी है वो ईश्वर नही है। माया को कार्य मिला है की आप इसे चलाओ और इसे चलाने के लिए माया ने 3प्रतिनिधि की न्युक्ति की है जिसमे सतोगुण से श्री विष्णु जी रजोगुण से श्री ब्रह्मा जी और तमोगुण से श्री शिव जी की इसलिए माया की इन तीनो शक्तियों को त्रिगुणात्मक कहा गया। अब इन शक्तियों मै ब्रह्मा जी कार्य जीव की उत्पत्ति है इसलिए इनका कार्य और रोल बहुत छोटा है इसलिए इनके पास कोई प्रतिनिधि नही है भगवान विष्णु जी पालन कर्ता है और बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिसके उन्होंने सभी जीवों मै अस्तित्व के द्रव्य का बटवारा सही से हो जाय जिसके कारण उन्होंने अपना एक प्रतिनिधि रखा जिनका नाम इंद्र देव है जो विष्णु जी की निधि का बटवारा सभी जीवों मै समान रूप से करते है। भगवान शंकर जी का संघार का जो अपने आप मै कठिन है इसलिए उन्होने भी अपना एक प्रतिनिधि रखा उनका नाम है कालदेव। इनका कार्य है यदि इंद्र देव एक प्रोजेक्टर है तो कालदेव एक परदा है। पर्दा हटते ही चित्र गायब। इश्लिये यह दुनिया मिथ्या है क्योंकि जो कुछ भी तुम और मै देख रहे है उसे दिखाने का कार्य काल देव कर रहे है आप वही देख रहे है जो कालदेव आपको दिखा रहे है वास्तव मै बचपन से आप मै यह भ्रम अनादि काल से भरा गया है की ये एक सेव है या यह मम्मी पापा वास्तव मै वहां पर कुछ नही है और है तो केवल वही एक जिसे यह त्रिगुणमयी माया दिखाना नही चाहती। अर्थात अंतिम मै वही है।
बहुत कठिन चैप्टर है इतना समझ आ जाय बहुत बड़ी बात है।
हा इंद्र देव भी बदलते है और कालदेव भी बदलते है जब यह विष्णु जी की निधि का वितरण जीवों के लिए न करके अपने लिए करते है तब भगवान विष्णु जी को लगता है की इंद्र देव अपना कार्य सही से नही कर रहे है और वो उनका पद किसी अन्य को दे देते है इसी प्रकार भगवान शिव भी काल देव के साथ करते है। मेने जो भी बात की है अभी तक वो इस ब्रह्माण्ड पर लागू होती है।
माया जी और
Adi Sankara's Advaita Vedanta gave birth to the holographic principle of the universe in Physics.
I would refrain from saying so, but yes if you wish to find a philosophy that is closest to holographic theory in science, Adi Shankara’s Advaita is the one! 🙏🏻
What's your evidence for such claims?
@@mokshit7620Compare both, you will find the evidence. And every one knows that western physicists like openhiemer, schoringer, Einstein, etc have read Upnishads and they were all impressed......And as we know that Upnishads itself comes from Vedas and Adi Shankaracharya's philosophy also comes from Vedas and Upanishads!
@@x_y33 You got it wrong . That's what's the danger of half knowledge.
They did read them, yes but that does not mean they were inspired and formed their theories from these texts.
You forget a simple fundamental difference,
Upanishads are philosophical texts and that is different from science.
Also it has very less to do with Advaita vedanta.
Holographic principle States that - "Information contained in a volume of space can be encoded on its boundary ".
I see no relationship with Vedanta here.
Advaita's metaphysics is different from theoretical physics.
People have for no reason forcefully equated reading Upanishads ( which focuses more on self( Atman) than world) with physics ( concerned with outer world or jagat).
So please understand both , it's impressive to see parallel but that does not mean they are related.🙏
@@mokshit7620 I don't have half knowledge. You couldn't got my words. When I said that they make their theory directly taking from Upnishads?
Of course! They were inspired by Upnishads' Darshan. Hieseberg himself told it in his letters. But yes, it has inspired them a lot. Also some modern scientists say that this universe has no objective reality and Advait vedanta also says that Jagat is Maya (Delusion). So, not everything but some things are related to Upnishadic Darshanas. I said only that they inspired a lot from our Darshanas. I didn't claim that they had Directly taken their theory from Upnishads n all.......
Yhea mhuje sci fi movie se bhot intrested laga
Apka knowledge sach mein mind boggling hai
❤
Most welcome 😇
बेस्ट धार्मिक और विज्ञान चैनल ❤
🙏🏻❤️
Dhanyawad 💐🙏
विशिष्ट अद्वैत पर बनाइये मित्र❤
अद्भुत ज्ञान
अद्भुत प्रस्तुति ❤❤❤❤❤❤
Thank you 🙏🏻❤️
Han mujhe विशिष्ट अद्वैत pr ek video chahiye आचार्य जी 🙏
अद्वैत महोत्सव की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं 💖
Make a video on jiddu krishnamurti and ramana maharshi
Sure 🙏🏻
शुद्ध अद्वैत और इस्लाम के सिद्धांतों में काफी समानताएं देखी जा सकती है। ❤️🇮🇳❤️
नमस्ते, विशाल भैया। 😊
मैं, अक्षत, पटना में रहता हूँ, 11 वीं का छात्र हूँ, इस बार बोर्ड दिया (6 मई को रिजल्ट आया)।
भारत ही नहीं, मुझे विश्व भर के दर्शन समझने में रूचि है। साथ ही, Physics, मनोविज्ञान, इतिहास और साहित्य (हिंदी व अंग्रेज़ी) भी काफ़ी प्रिय है मुझे।
यह मेरा छोटा सा परिचय था।
करीब 2 वर्ष 10 महीनों से आचार्य प्रशांत को सुनने के कारण उपरोक्त विषयों में और गहरी उत्सुकता पैदा हुई ।
वेदांत दर्शन पर आपकी सभी वीडियोज देखी थी मैंने। मुझे भ्रम था कि मैं वेदांत को अच्छा ख़ासा समझता हूँ, पर आज यह वीडियो देखकर मैं मूढ़ महसूस किया। मैं confuse हो गया। अपने जो प्रश्न रखे, उनको ना तो मैं कोई जवाब दे सकता हूँ, और ना ही उन प्रश्नों को गलत साबित कर सकता हूँ। 😶
इससे यह साबित हुआ कि मुझे अभी crystal clear clarity नहीं।
मेरी भ्रांति कि गगरी फोड़ने के लिए धन्यवाद, भैया। ❤
Bhayi prashant jaison se door hi rahein to sahi arth samjhne mei soch khuli rahegi
@@user-mw7kn9ft7v aap hamse door rahiye aapke dimag band the hai or rahenge
Bhai ab muje doubt hi Raha hai aap Aacharya Prashant ji se kabhi Jude hi nahi agar 2 saal pad kar bhi iska ans nahi de pa rahe
@@user-dt2gl6ze6d Hmm. Sahi kaha. Mujhe bhi ye bada ajeeb laga, par sach to yahi hai ki dimaag mein Vedant darshan ko lekar 100% clarity nahi aayi hai. 😑
Aapne kitni books padi hai Aacharya ji ki ya kisi k
Or ki vedant or upnishadh me
I need to understand each and every Advaita philosophy more deeply.... Kindly make another video Sir 🙏
Yes we will create 🙏🏻
सूरज नीला है....8 मिनट स्वास रोक ध्यान कर खुद देख लो....जो नजर आता है वो सच नहीं बंद से सच ..चाँद गुलाबी है...60 मिनट 100 स्वास सेंचुरी...जय गुरु जी...जोगी
Fir toh aap bhi kisi Chameleon se kam nhi dikh rhe ho! Aankh band krke! 😂
नीला कबूतर। नीली आखों वाले ग्रीक ,हाथी के वीर्य से महामाया के मलद्वार से उत्पन्न गजपूत्र की जय। जे सरिया जे बीम जे प्लास्टर जे प्लास्टिक।
Mahamaya devi bhagawati ko bola jata hai jo Maya se pare hai aap un mahamaya ke naam ka mazak kyo bana re ho@@ganeshmenaria6441
@@ganeshmenaria6441 mahamaya devi bhagwati ko bola ki jata hai jo Maya se pare hain aap un bhagawati ka majak uda re hai kripya ye mahamaya Saad apne comment se delete karen
Bhaiya Gautam Buddha ki ma ka naam bhi Mahamaya tha. Ye unki bat kr rhe hain.@@swapnajeetmohapatra9439
बेसक विशिष्ट अद्वैत पे detailed video लेके जरूर आइए हमे काफी संतुष्टि मिलती है जब हमारे भारत का अपना बेटा लोगो को अपने विरासतों से मिली ज्ञान , संस्कृति से और philosphy से परिचित कराता है ।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
Shree Ramanujacharya Ji ki Philosophy "Vishisht Advait" ke baare me video banaiye
🙏🏻🙏🏻.
Ji layenge 🙏🏻
Jay Bhagwan Shri Aadya Jagatguru Shankaracharya.
Mithya means Parivartansheel.
Ji bhav star par jagat mithya he hai 🙏🏻
"कुछ लोग अद्वैत चाहते हैं, कुछ लोग द्वैत। वे सत्य को नहीं जानते, जो हर समय और हर जगह एक समान है, जो द्वैत और अद्वैत दोनों से रहित है।"
Thanks!
Thank your for supporting us Shivam ji 🙏🏻
Shankaracharya is a part of lord shiva you know he visited our house we actually lucky to become relatives of god
Bhaiya bhaiya.... Literally no words for your hardwork i have some question if you have time then please reply me i will ask to you... Anyways your hardwork is really appreciatve and just loved your content❤ its rashi of class 9
Your appreciation means a lot to us Rashi. Do ask your question 😇
This question is associated with Tantras bhaiya... I saw your video on yoga in which you told us that how britishers banned yoga in India and associated it all with tantric sex.. etc .Since that i have this question.
You told us about ancient India but even now whenever we ask about tantras it is always misrepresented or associated with just the Union of male and female but if we go in depth then the ultimate goal of tantras is also to achieve God..A true tantric seeks to mind and body to almost a magical level and thus masters the external elements Moreover, inside it we worship group of goddesses called mahavidya (the goddesses of ultimate knowledge)
So why it is misrepresented and what are things mentioned about it in our ancient literatures, books and philosphies?
It is being said that whatever karma we are doing we will get it back. All our karmic debts cannot be cleared in only 1 life so that's why may be reincarnation happens... And if reincarnation happens to give us the results of our past actions then Is really heaven or hell exits?
If yes then why we need heaven or hell if we are getting all the results in this mortal form? If no then why we have been told about it?
Bhaiya i have many more questions like this even I want to discuss so many theories and questions with you but as all it is not possible now but literally I wanna meet you and discuss the things once in my life... Since then I will ask you questions and if you have time then please bhaiya reply me... ✨
I am so blessed to take birth in this month...finally today,mere doubts clear hue.. thanks brother.
Wishing you a very Happy Birthday. ❤ And most welcome.
Adi shankar❤❤❤
🙏🏻❤️
बोहत ही सुंदर और सरल तरीके से समजाया..... अब एक वीडियो विशिष्ठ अद्वैत पर भी बना दिजीये. जय श्री राम🚩🙏
🚩 जय श्री राम भाई🚩
जय श्री राम जी की 🙏🏻🚩
We want to see through the spectrums of purpose not as to grasp or seek the nature of truth but to find an answer, that's why reality seems with various dualities with aligned base and differ or contradict one another.
sir, आपने मिथ्या का अर्थ illusion लिया है; जब कि कई विद्वान इसे illusion न कह कर ऐसी सत्ता मानते हैं जिसका अस्तित्व किसी दूसरे पर निर्भर करता है ; जैसे कि मिटटी का बर्तन मिटटी से बनता है; इसलिए बर्तन मिटटी के सापेक्ष मिथ्या है और मिटटी बर्तन के सापेक्ष वास्तविक है क्योंकि जब बर्तन का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा तो वह मिटटी ही बन जायेगा;
परमतत्व से ही सभी कुछ बना है और सब कुछ वह परमतत्व ही है। उस तत्व को छोड़कर और कुछ exist ही नहीं करता।
Maine Kitne UA-camr k vdo dekh liye jab se mujhe supreme energy mere dhyaan me aate hai lakin aap ki vdo me Jo bat hai woh kisse aur k vdo se feel nhi hoti
It means a lot to us 🙏🏻❤️
@@HyperQuest 💗💗 thank learning a lot from you woh v free me 💗💗💗💗
Thankyou brother for appreciating my efforts 😊🙏
If the Jiva is limited in capacity as per Shuddādvaita, can we quantify the capacity of Brahman (our source), too? Even if someone claims it to be infinite, then Brahman is kindless towards Jiva by limiting his capacity? Isn't it a paradox?
Sankara said Brahman is beyond attributes. He didn't say Brahman is without Gunas or attributes.
That's right
Brahma satyam jagat mithya jivo brahmaiva na aparah (Niralambo upanishad)
|| वैदिक सनातन धर्म की सदा ही जय ||
Bhagwan aapko shat ayu de. Aj ka discussion bohot accha laga.
🙏🏻❤️
We are still waiting for video on *Shri Rajiv Dixit* …❤😊
It is under progress 🙏🏻❤️
हरी 🕉️ तत्सत ❤
Bhai aacharya prashant osho par vedio lao
जी भाई 🙏🏻
Bhagwan apko Humesha Khush rakhe bhaiya ❤
So kind of you, Priyanshu ❤️
Advaita in simplest terms say the world is Maya and you the Atman is real you are the universe itself pretending to be whatever you wanna be in short you are divine you are god.
It's very hard to understand not meant for common people but for brilliant minds and quantum physicist.
Tum muslim kab bani?
Wahh! Bhai kitni achi knowledge dii apne boht acha laga vedio aise hii vedios banate rehna😍
Science journey live debate k leye bularaha hai kyu nai ja raheho bhai
@SpiritualCorner-si8dz Bhai mene Kuch v galat nahi bola , science journey ek ek fact dikhak Hindu dharma ki dhoti khol Raha hai ,in bhaisab ko bhutbar live debate k Liye bulaya lekin ye nahi aaraha, himmat hai toh live debate Karke hara de
@SpiritualCorner-si8dz Chalo toh fir Hindu dharma k sabse purane rigveda se start karte hai debate ,Hindu dharma Mai islam jitna hi pakhanda vara pada hai, jab tak puri duniya se sabhi dharma ka sarbanaas nahi Hoga tabtak pakhandwad aaur aatangwad zinda Rahe ga
Om Namaha Shivay
Shivoham
Jai ShivShakti
Science journey ko jawab do bhai
Mithya does not mean imaginery, it means some thing impermanent or something that does not have an independent existence.
The greatest son of Kerala is Adi Sankaracharya who was born in 2000 BC at Kaladi.
He was a 12 strand DNA seer with raised Kundalini , the world’s greatest and original philosopher, intellectual , scholar and poet.
He mastered the Vedas written in 5000 BC, at the tender age of five.
The white Christian invader pushed this great man back in history by an astounding 2800 years, so that his philosophy could be stolen and attributed to the West as a measure of blatant racism-to
Shankara’s philosophy is now patented in the names of ancient Greek philosophers and the modern European philosophers.
They will never write anywhere that both Plato and Pythagoras were students in India.
They made cock and bull stories, and had it legitimized by the opportunistic and servile Tamilian Indian Brahmins.
4000 years ago when the white man was clubbing down animals and eating raw meat, and doing grunt grunt for language in damp caves , Adi Shankaracharua pondered about the source, nature, foundation, scope, validity and limits of human knowledge.
He was the first metaphysicist. Metaphysics means “what comes after physics”. Its object is to determine the real nature of things-to determine the meaning, structure, and principles of whatever is insofar as it is-- with reality as a whole.
It is a call to recognize the existence and overwhelming importance of a set of higher realities that ordinary men could not deduce. Metaphysics is the science of ultimate reality , as opposed to appearance or the contrast between appearance and reality .
captajitvadakayil.in/2022/02/23/advaita-vedanta-philosophy-adi-shankaracharya-2000-bc-sanatana-dharma-capt-ajit-vadakayil/
A cloud appears to consist of some white, fleecy substance, although in reality it is a concentration of drops of water. Scientific theories can be brought to the test of experience, whereas metaphysical theories cannot.
Metaphysician is a sort of super scientist, unlimited in his curiosity and gifted with a capacity for putting together other people's findings with a skill and imagination that none of them individually commands. He can refute by debate, through a method for systematic evaluation of definitions.
Indian philosophy is distinctive in its application of analytical rigour to metaphysical problems and goes into very precise detail about the nature of reality, the structure and function of the human psyche and how the relationship between the two have important implications for human salvation (moksha).
Maharishis centered philosophy on an assumption that there is a unitary underlying order in the universe which is all pervasive and omniscient. The efforts by various schools were concentrated on explaining this order and the metaphysical entity at its source (Brahman). .....
Born in 2000 BC? Are you crazy? Adi Shankaracharya was born in the 8th century A.D so please correct the fact.
1. पहली बात जब बुद्ध की बात करें तो बुद्ध की बात करें | बुद्ध को आदि शंकर के समकक्ष न खड़ा करें | बुद्ध ने जो खड्डे हिंदुओं के लिए खोदे थे आदि शंकर सारी जिंदगी उन्हीं को भरने में निकल गया | बुद्ध का शून्य बाद इस जगत के बाहर नहीं जाता है | एक व्यक्ति की दुकान इस चौराहे पर है, दूसरे की अगले चौराहे पर तो दोनों का शून्य अलग हो गया | 2. दूसरी बात आदि शंकर कुछ भी, किन्ही भी परिस्थितियों ने कुछ भी imagine नहीं करेंगे | संन्यासी कभी भी कुछ भी imagine नहीं करता है | उसने जैसा जाना, जैसा अनुभव किया कहा दिया | आदि शंकर चित्त की अवस्था में जहां खड़े हैं वहां से एक मात्र ब्रह्म ही सत्य है दूसरा कुछ भी नहीं | बहुत से लक्ष्य तय करते हैं | 3. तीसरी बात गोड़पाद से गोविंद पाद को उसके बाद आदि शंकर को मिला , संन्यास में गुरु परंपरा से कुछ भी नहीं मिलता है | जब कोई संन्यास लेता है तो गुरु उसके हलक में हठ डालकर बुद्ध, महावीर, भगवत गीता सब कुछ निकाल लेते हैं |
You explained Advaita & Shudh-Advaita beautifully. Please make a video on Vishist Advaita also & a separate video in Achintya-Bhed-Abhed also. 🙏🏻🩵
Thank you for the appreciation. Yes we will create videos on them too 🙏🏻
No doubt the best UA-cam channel
Bhai Aap Ko Science journey Ji Ne Debate Challenge Deya Hai Rational world Channel Par Challenge Accept Kare
Debate unworthy se nahi ki ka sakti
Bro ! You're doing phenomenal job. Keep doing
Thank you for the appreciation 🙏🏻 Will keep doing 🙌🏼
Rational world par jakar debate kar k dikhao.
kaise debate karu uss sj se link kaha hai?
@@Misterr_Noboddy apni akal se na ki apni dharmik siksha vala bhansa se 🤡
@@ayusharyarealist1273 abee contact kaise Karu usse
@@ayusharyarealist1273 ye 🤡 wala emoji laga deta hu funny lagunga🤡
@@Misterr_Noboddy aina dikhana padta hai 🤭🤭.
Bhagwan ki dp laga raha ho or ghatia bhansa usse kar raha ho or kehta ho tumhara dharm magan 🤔, 🤡 kahi k
शायद जो मैं बन गया हूं,
वो मैं रह जाता,
और जो मैं रह गया हूं,
वो मैं शायद बन जाता 😢😢😱😱