तेरी बह रही निर्मल धार मेरी पतित पावनी मां गंगे पापी भी दर पर आते हैं गंगा में डुबकी लगाते हैं मैया

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  • Опубліковано 11 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 10

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹सत्यम शिवम् सुंदरम।।*🌹

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    माताश्री प्रणाम चरण स्पर्श जय जय श्री सीताराम 🙏🙏🙏🙏🙏

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
    हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे हरे।।🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    हानि, लाभ, प्रिय मिलन और वियोग प्रारब्ध वश होते ही रहते हैं। ऐसे अवसरों पर ऋषियों को भी क्षणिक हर्ष-विषाद होता है। जैसे संग्रहीत धन से संकट को दूर किया जाता है उसी प्रकार हृदय में संग्रहीत ज्ञान-वैराग्य के द्वारा सज्जन लोग हार्दिक कष्टों से बच जाते हैं उनके भजन-साधन में विघ्न विशेष नहीं होता है। ज्ञान भक्ति, वैराग्य का संग्रह भी इसीलिए किया जाता है कि समय पर काम आवे। हमको वियोग के कारण से दुःख होता है पर भगवत् कृपा उन्हें सुखमय श्रेष्ठ स्थान देकर और सुखी बनाती है। अतः हरि कृपा के विधान में संतोष करना चाहिए। जय जय श्री राधेश्याम 🙏🙏☝☝

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹हर हर महादेव।।🌹🌹

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    || जयश्री सीताराम ||
    श्री रामचरितमानस
    (बालकांड)
    🔶
    दोहा-:
    सूख हाड़ लै भाग सठ स्वान निरखि मृगराज।
    छीनि लेइ जनि जान जड़ तिमि सुरपतिहि न लाज॥
    भावार्थ-:
    जैसे मूर्ख कुत्ता सिंह को देखकर सूखी हड्डी लेकर भागे और वह मूर्ख यह समझे कि कहीं उस हड्डी को सिंह छीन न ले, वैसे ही इंद्र को (नारद मेरा राज्य छीन लेंगे, ऐसा सोचते) लाज नहीं आई॥ 125॥
    🔶
    चौपाई-:
    "तेहि आश्रमहिं मदन जब गयऊ।
    निज मायाँ बसंत निरमयऊ॥
    कुसुमित बिबिध बिटप बहुरंगा।
    कूजहिं कोकिल गुंजहिं भृंगा॥"
    भावार्थ-:
    जब कामदेव उस आश्रम में गया, तब उसने अपनी माया से वहाँ वसंत ऋतु को उत्पन्न किया। तरह-तरह के वृक्षों पर रंग-बिरंगे फूल खिल गए, उन पर कोयलें कूकने लगीं और भौंरे गुंजार करने लगे।
    🔶
    "चली सुहावनि त्रिबिध बयारी।
    काम कृसानु बढ़ावनिहारी॥
    रंभादिक सुर नारि नबीना।
    सकल असमसर कला प्रबीना॥"
    भावार्थ-:
    कामाग्नि को भड़काने वाली तीन प्रकार की (शीतल, मंद और सुगंध) सुहावनी हवा चलने लगी। रंभा आदि नवयुवती देवांगनाएँ, जो सब की सब कामकला में निपुण थीं,
    🔶
    "करहिं गान बहु तान तरंगा।
    बहुबिधि क्रीड़हिं पानि पतंगा॥
    देखि सहाय मदन हरषाना।
    कीन्हेसि पुनि प्रपंच बिधि नाना॥"
    भावार्थ-:
    बहुत प्रकार की तानों की तरंग के साथ गाने लगीं और हाथ में गेंद लेकर नाना प्रकार के खेल खेलने लगीं। कामदेव अपने इन सहायकों को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और फिर उसने नाना प्रकार के मायाजाल किए।
    🔶
    "काम कला कछु मुनिहि न ब्यापी।
    निज भयँ डरेउ मनोभव पापी॥
    सीम कि चाँपि सकइ कोउ तासू।
    बड़ रखवार रमापति जासू॥"
    भावार्थ-:
    परंतु कामदेव की कोई भी कला मुनि पर असर न कर सकी। तब तो पापी कामदेव अपने ही (नाश के) भय से डर गया। लक्ष्मीपति भगवान जिसके बड़े रक्षक हों, भला, उसकी सीमा (मर्यादा) को कोई दबा सकता है?//
    🕉
    जयश्री सीताराम

  • @aloksingh8328
    @aloksingh8328 18 днів тому

    ┈┉═❀๑⁂❋⁂๑❀═┉┈
    त्रिजटा नाम राच्छसी एका। राम चरन रति निपुन बिबेका ॥
    सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना। सीतहि सेइ करहु हित अपना ॥ १ ॥
    भावार्थ:
    उनमें एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी। उसकी श्री रामचंद्र जी के चरणों में प्रीति थी और वह विवेक (ज्ञान) में निपुण थी। उसने सबों को बुलाकर अपना स्वप्न सुनाया और कहा-सीता जी की सेवा करके अपना कल्याण कर लो ॥ १ ॥
    ┈┉═❀जय श्रीराम❀═┉┈