business ideas | how to start a new business | Motivational story | Ravinder Puri

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  • Опубліковано 8 жов 2022
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    [ ] एक बार एक खरगोश को मस्ती सूझी और उसने एक कछुए को रेस का चैलेंज दे डाला। दोनों में रेस शुरू हुई । खरगोश देखते ही देखते कछुए से बहुत आगे निकल गया। रास्ते में एक छायादार पेड़ दिखाई दिया।खरगोश ने सोचा कि कछुआ तो अभी बहुत दूर है मैं थोड़ी देर सुस्ता लेता हूं। गर्मी में छाया के कारण खरगोश की आंख लग गई। थोड़ी देर बाद धीरे धीरे चलता कछुआ भी आ गया । उसने देखा कि खरगोश तो पेड़ की छाया में आराम कर रहा है। आराम का मन तो उसका भी हुआ पर वो बिना रुके धीरे धीरे चलता रहा और अपने गोल तक पहुंच गया। शाम को खरगोश की नींद खुली तो अपने गोल की तरफ भागा।जब वहां पहुंचा तो उसने देखा कछुआ उससे पहले ही वहां पहुंच चुका था। और कछुआ रेस जीत गया।
    [ ] इस कहानी ने हमे सबक सिखाया कि जब तक अपने लक्ष्य तक न पहुंचे तब तक आराम न करें। इस कहानी ने हमें ये भी सिखाया कि किसी को अपने से कमजोर मत समझो।
    [ ] अब खरगोश को चैन कहां। एक कछुए ने खरगोश को हरा दिया ये बात खरगोश की ego को हर्ट किए जा रही थी।
    खरगोश कछुए से बोला देख भाई रेस को मैने सीरियसली नही लिया था ,इस लिए रेस दोबारा होनी चाहिए।रेस दोबारा शुरू हुई। अबकी बार खरगोश ने पहले वाली गलती नही की। वो बिना रुके ,बिना आराम किए अपने लक्ष्य पर पहुंच कर ही रुका। जाहिर सी बात थी। खरगोश जीत गया क्योंकि कछुए की स्पीड तो बहुत ही कम थी।
    इस कहानी ने हमे सिखाया कि अपनी गलतियों को दोबारा न करो।अपनी अपनी असफलतों से सबक लो।
    अब कछुआ बोला भाई एक बार मैं जीत गया और एक बार तुम। मैच फाइनल करने के लिए हमे तीसरी रेस और लगानी होगी। लेकिन अब की बार रेस नए रास्ते पर होगी । कछुए ने कहा कि अब की बार फिनिशिंग लाइन पास में बह रही नदी के उस पार उगे पेड़ के पास होगी । ओवर कॉन्फिडेंट खरगोश मान गया। रेस शुरू हुई। क्योंकि खरगोश गहरे पानी में नही तैर सकता था इसलिए उसने नदी के किनारे भागना शुरू किया ताकि कोई जगह मिले और वो नदी के उस पर जा सके। काफी दूर तक भाग कर उसने नदी को पार किया और उस निश्चित किए गए पेड़ के पास पहुंचा तो देखा कछुआ पहले से ही वहां पहुंच चुका था।दरअसल कछुए को पानी में तैरना आता था और वो नदी को बहुत जल्दी पार करके अपने लक्ष्य तक पहुंच गया।
    इस कहानी से हमें सबक मिलता है कि अपने आप को पहचान कर बस उन्ही क्षेत्रों में प्रयास करो जिसमें आप की योग्यता है। कछुए ने बस यही किया उसे अपनी कमजोरी का अहसास था कि वो खरगोश की मानिंद तेज नही दौड़ पाएगा पर वो खरगोश से बेहतर तैराक अवश्य है। आप भी और अपने बच्चों को भी उन्ही क्षेत्रों में जाने दें जिसके लिए वो बने हैं या उनमें योग्यता है।
    ठहरिए , कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त।
    अब खरगोश हताश हो गया । वो इस बात को पचा नहीं पा रहा था कि कछुआ उस से जीत गया। वो दोबारा से मुकाबला करना चाहता था। तीन मुकाबलों के बाद दोनो में कुछ दोस्ती भी हो गई।
    शाम को कछुए से मिलने खरगोश उसके घर गया और अपने मन की इच्छा उसे बताई। ये सुन का खरगोश हस पड़ा और बोला क्यों न हम आपस में मुकाबला छोड़ कर एक दूसरे के साथ मिल कर कोई काम करें। जहां जमी वहां मैं तुम पर सवार हो कर आगे बढूंगा और जहां पानी वहां तुम मुझ पर सवारी करके आगे बढ़ना।
    तब से अब तक दुनिया भर में खरगोशों और कछुओं की इस पार्टनरशिप ने बड़े बड़े अंपायर खड़े कर दिए। बड़े बड़े बिजनेस शुरू हो गए।
    याद रखें जिंदगी में लोगों से रेस लगाना छोड़ दो। नही तो आप कभी भी जीत नही पाएंगे।अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक दूसरे का पूरक बनें। और सफलता अर्जित करें।
    ये बात भी समझ लें कि हर आदमी किसी क्षेत्र में खरगोश होता है और कहीं कछुआ।
    अपने आप को समझ कर , अपनी शक्तियों और कमजोरियों पहचान कर जिंदगी के मैदान उतरो, सफलता आप का इंतजार करती मिलेगी।
    व्यापार का नया आइडिया | how to start a new business | Psychologist Dr Ravinder Puri
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