Jaigurudev उबारो मुझ पतित को नाथ पावन हर छड़ तुम्हारे है Ubaaro mujh patit ko naath pawan har chhad
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- Опубліковано 6 вер 2024
- Jaigurudev sangat sidhi
गुरु ही लहर है
गुरु ही भीतर है
गुरु ही बाहर है
गुरु ही बहार है
गुरु ही प्राण है
गुरु ही जान है
गुरु ही संबल है
गुरु ही आलंबन है
गुरु ही दर्पण है
गुरु ही धर्म है
गुरु ही कर्म है
गुरु ही मर्म है
गुरु ही नर्म है
गुरु ही प्राण है
गुरु ही जहान है
गुरु ही समाधान है
गुरु ही आराधना है
गुरु ही उपासना है
गुरु ही सगुन है
गुरु ही निर्गुण है
गुरु ही आदि है
गुरु ही अन्त हैै
गुरु ही अनन्त है
गुरु ही विलय है
गुरु ही प्रलय है
गुरु ही आधि है
गुरु ही व्याधि है
गुरु ही समाधि है
गुरु ही जप है
गुरु ही तप है
गुरु ही ताप है
गुरु ही यज्ञः है
गुरु ही हवन है
गुरु ही समिध है
गुरु ही समिधा है
गुरु ही आरती है
गुरु ही भजन है
गुरु ही भोजन है
गुरु ही साज है
गुरु ही वाद्य है
गुरु ही वन्दना है
गुरु ही आलाप है
गुरु ही प्यारा है
गुरु ही न्यारा है
गुरु ही दुलारा हैै
गुरु ही मनन है
गुरु ही चिंतन है
गुरु ही वंदन है
गुरु ही चन्दन है
गुरु ही अभिनन्दन है
गुरु ही नंदन है
गुरु ही गरिमा है
गुरु ही महिमा है
गुरु ही चेतना है
गुरु ही भावना है
गुरु ही गहना है
गुरु ही पाहुना है
गुरु ही अमृत है
गुरु ही खुशबू है
गुरु ही मंजिल है
गुरु ही सकल जहाँ है
गुरु समष्टि है
गुरु ही व्यष्टि है
गुरु ही सृष्टी है
गुरु ही सपना है
गुरु ही अपना है
"पानी" के बिना
"नदी" बेकार है,
"अतिथि" के बिना
"आँगन" बेकार है,
"प्रेम" ना हौ तो
"सगेसम्बन्धी"बेकार है,
और
जीवन में "गुरु" ना हौ तो
"जीवन" बेकार है।त है*
गुरु ही जीवन है
गुरु ही प्रकाश है
गुरु ही सांस है
गुरु ही आस है
गुरु ही प्यास हैै
गुरु ही ज्ञान है
गुरु ही ससांर है
गुरु ही प्यार है
गुरु ही गीत है
गुरु ही संगीत है
गुरु ही लहर है
गुरु ही भीतर है
गुरु ही बाहर है
गुरु ही बहार है
गुरु ही प्राण है
गुरु ही जान है
गुरु ही संबल है
गुरु ही आलंबन है
गुरु ही दर्पण है
गुरु ही धर्म है
गुरु ही कर्म है
गुरु ही मर्म है
गुरु ही नर्म है
गुरु ही प्राण है
गुरु ही जहान है
गुरु ही समाधान है
गुरु ही आराधना है
गुरु ही उपासना है
गुरु ही सगुन है
गुरु ही निर्गुण है
गुरु ही आदि है
गुरु ही अन्त हैै
गुरु ही अनन्त है
गुरु ही विलय है
गुरु ही प्रलय है
गुरु ही आधि है
गुरु ही व्याधि है
गुरु ही समाधि है
गुरु ही जप है
गुरु ही तप है
गुरु ही ताप है
गुरु ही यज्ञः है
गुरु ही हवन है
गुरु ही समिध है
गुरु ही समिधा है
गुरु ही आरती है
गुरु ही भजन है
गुरु ही भोजन है
गुरु ही साज है
गुरु ही वाद्य है
गुरु ही वन्दना है
गुरु ही आलाप है
गुरु ही प्यारा है
गुरु ही न्यारा है
गुरु ही दुलारा हैै
गुरु ही मनन है
गुरु ही चिंतन है
गुरु ही वंदन है
गुरु ही चन्दन है
गुरु ही अभिनन्दन है
गुरु ही नंदन है
गुरु ही गरिमा है
गुरु ही महिमा है
गुरु ही चेतना है
गुरु ही भावना है
गुरु ही गहना है
गुरु ही पाहुना है
गुरु ही अमृत है
गुरु ही खुशबू है
गुरु ही मंजिल है
गुरु ही सकल जहाँ है
गुरु समष्टि है
गुरु ही व्यष्टि है
गुरु ही सृष्टी है
गुरु ही सपना है
गुरु ही अपना है
"पानी" के बिना
"नदी" बेकार है,
"अतिथि" के बिना
"आँगन" बेकार है,
"प्रेम" ना हौ तो
"सगेसम्बन्धी"बेकार है,
और
जीवन में "गुरु" ना हौ तो
"जीवन" बेकार है।