Jaigurudev sangat Sidhi dwara sarvat vitarn

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 6 вер 2024
  • "इस शरीर के रहते-रहते अपना काम बना लो।
    अपना काम क्या है?..."
    *- बाबा उमाकान्त जी महाराज*
    इस अनमोल मानव जीवन के महत्व को, इस मानव जीवन के असली उद्देश्य को, बताने और समझाने वाले, वक्त के संत सतगुरु उज्जैन वाले,
    बाबा उमाकान्त जी महाराज ने मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित ग्राम रत्नाखेडी में दिये गये सतसंग में बतलाया कि,
    इस मनुष्य शरीर से प्रभु की अंश यानी जीवात्मा के निकलने के बाद मिट्टी को श्मशान घाट पर ले जा कर, जला कर राख कर देंगे।
    शरीर की तो मुक्ति करा देते हैं, लेकिन जीवात्मा की मुक्ति नहीं होती है। इसको कर्मों के अनुसार नर्कों में जाना पड़ता है। वहां मार पड़ती है, काटी जाती है और सड़ाई गलाई जाती है।
    "मनुष्य शरीर छूटने के बाद..."
    जीवात्मा को पिशाच के शरीर में डाल कर तरह-तरह की सजाऐं देते हैं।
    मनुष्य शरीर तो छूट जाता है लेकिन पिशाच का शरीर जो कि मनुष्य शरीर जैसा ही होता है, उसमें बंद करके ले जाते हैं और सजा देते हैं।
    जब वहां से छुटकारा मिलता है तब कीड़ा, मकोड़ा, सांप, बिच्छू आदि के शरीर में जीवात्मा बंद की जाती है। चौरासी लाख योनियां बताई गई। इतनी बार मरना और पैदा होना पड़ता है।
    जनमत मरत दुःसह दु:ख होई। बहुत तकलीफ होती है। अंत में गाय और बैल की योनि के बाद फिर यह मनुष्य शरीर मिलता है।
    "चौरासी लाख योनियों में सबसे सर्वश्रेष्ठ योनि यह मनुष्य शरीर है..."
    इसीलिए इसको चौरासी लाख योनियों में उत्तम और सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। मनुष्य शरीर जो अभी मिला है यह फिर जल्दी मिलने वाला नहीं इसलिए शरीर के रहते-रहते अपना काम बना लो।
    अपना काम क्या है? जो इस शरीर के लिए करने में लगे हुए हो, यह अपना काम नहीं है।
    आप कहते हो मेरा बैंक बैलेंस, मेरी जमीन, मेरा मकान लेकिन जब शरीर छूटेगा तो सब दूसरे का हो जाएगा।
    शरीर के रहते रहते आप अपनी जगह बनाओ जहां से कोई आपको निकाल नहीं सकता। अगर मनुष्य शरीर पाने की कीमत न समझे तो शरीर छूटते ही भारी तकलीफों की शुरुआत होती है।
    इसलिए इस जीवात्मा के लिए आपको अपनी थोड़ी जगह बनानी है।
    तो जगह कहां बनेगी? वहां प्रभु के धाम में, प्रभु के पास वहां बन जाएगी।
    कैसे बन जाएगी? इसी गृहस्थ आश्रम में रहते हुए सीधा सरल रास्ता नामदान का आपको बताया जाएगा, उससे।
    जयगुरुदेव
    [ परम पूज्य परम सन्त दु:खहर्ता बाबा उमाकान्त जी महाराज के सतसंग प्रतिदिन प्रातः 8:40 से 9:15 बजे तक (कुछ समय के लिए) साधना टीवी चैनल पर प्रसारित किये जा रहे हैं और संस्था के अधिकृत यूट्यूब चैनल jaigurudevukm पर कभी भी देखे/सुने जा सकते हैं।
    जरूर सुनिए क्योंकि रोज सतसंग सुनने से कोई न कोई नई बात मिल ही जाती है। ]

КОМЕНТАРІ • 3