पूज्य श्री कानजी स्वामी और दिगम्बरत्व | क्या गुरुदेवश्री कानजी स्वामी व उनके अनुयायी दिगम्बर जैन हैं

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  • Опубліковано 15 січ 2025

КОМЕНТАРІ • 294

  • @sadhanabanzal7172
    @sadhanabanzal7172 4 місяці тому +11

    कान्जी स्वामी श्वेतांबर थे
    उन्होंने दिगंबर जैनियों को आकर्षित कर
    दिगंबर परंपरा में सेंध लगायी यह बात बांबे
    हाईकोर्ट में स्वयं स्वीकार की है

  • @alkajain1643
    @alkajain1643 11 місяців тому +7

    मंगलम भगवान वीरो, मंगलम गौतमौ गड़ी। मंगलम कुंदकुदाध्दौ, जैन धर्मोस्तु मंगलम।।
    सभी दिगम्बरत्व व्रतो को चारित्र मे धारण करने वाले महा मुनिराजो को मेरा अनंतो बार,कोटिशः नमन🙏💯🙏

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому +3

      समस्त सच्चे दिगंबर मुनिराजो को ही मेरा नमन 🙏
      बाकी ढोंगी नंगों को नहीं

    • @rajatjain9639
      @rajatjain9639 9 місяців тому +2

      @@MahaveerOnline-qe3zy आपकी भाषा आपके अंदर के कषाय अच्छे से बयान कर रहे है। समयसार पड़ने वालो के अंदर ऐसी कषाय नहीं होती, इससे साबित होता है आप का समयसार का ज्ञान भी अभी अधूरा है आपके गुरु की तरह। सच्चे दिगंबर साधुओं को गुरु बनाइए जिससे आपका मिथ्या ज्ञान सम्यक् मे बदल सके।

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому +1

      @@rajatjain9639 आपकी बाते मूर्खतापूर्ण है। जिस दिन मुझे सच्चे दिगंबर साधू मिलेंगे उस दिन गुरु बना लेंगे।
      वैसे आप मूर्ख इसलिए है की आपको नही पता की ज्ञान अलग बात है और परिणाम अलग बात। हम कोई मुनि नही जो गलत बात होते देख भी गुस्सा न आए। इसलिए अपनी मूर्खता हटाने के लिए आप भी सच्चे दिगंबर मुनि के शिष्य बने न्ंगो के नहीं। 😁
      ...और रही बात पंडितो की तो आप जैसे मूर्खो से तो कही ज़्यादा बेहतर है। जिनके पास इतना ज्ञान है की विरोधियो की औकात नहीं शास्त्रार्थ करने की।
      वैसे भी मुझे कषाय का हास्यास्पद और बचकाना उपदेश देने से पेहले स्वयम सही गलत पहचान करना सीखे।

  • @sudeepjain2679
    @sudeepjain2679 3 місяці тому +4

    यह श्वेतांबर संप्रदाय से हैं वहां इनका कोई स्थान नहीं मिला तो यह दिगंबर में घुस गई

  • @amitjain1229
    @amitjain1229 2 роки тому +30

    जय जिनेन्द्र🙏, कहने वाले लोग कुछ भी कहेंगें लेकिन सत्य तो यह है कि पूज्य गुरुदेव श्री के कारण ही हमको महावीर स्वामी और परम्परा से आचार्यों के द्वारा प्रतिपादित सच्चा आगम प्राप्त हुआ।

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому +3

      ua-cam.com/video/fCHINW9cnoE/v-deo.html&si=dCtiPnrgMHiWtO1b 🫣
      Suno kanjaiysto 🫵

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔
      मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐
      लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️
      ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖
      लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲
      तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆
      तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍
      तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚
      तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ
      तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄
      तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा
      तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹
      तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜
      महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️
      लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟
      मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲
      मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️
      लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄
      इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔
      तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄
      प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏
      अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫
      अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜
      मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖
      ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨
      और ये सोचना कि मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄
      गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌
      ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫
      मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हें सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘
      फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄
      जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो, उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓
      और उसकी भी वह ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚
      ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हैं, हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦
      अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢
      आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫
      बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏
      अब इन बगुलभक्तों को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @amitjain1229
      @amitjain1229 11 місяців тому

      @@Sudhasagarshorts भूले हुए भगवान हो । सही बस्तुस्वरूप को समझोगे तो भूल अवश्य दूर होगी। और भगवान जरूर बनोगे

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 10 місяців тому

      @@amitjain1229 मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔
      मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐
      लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️
      ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖
      लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲
      तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆
      तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍
      तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚
      तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ
      तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄
      तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा
      तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹
      तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜
      महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️
      लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟
      मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲
      मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️
      लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄
      इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔
      तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄
      प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏
      अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫
      अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜
      मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖
      ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨
      और ये सोचना कि मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄
      गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌
      ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫
      मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हें सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘
      फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄
      जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो, उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓
      और उसकी भी वह ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚
      ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हैं, हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦
      अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢
      आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫
      बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏
      अब इन बगुलभक्तों को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @yennk3603
      @yennk3603 10 місяців тому

      बकवास करने में कुछ तो सीमा रखो।

  • @suparshvyt8295
    @suparshvyt8295 2 роки тому +28

    गुरुदेव श्री का दिगंबर जैन संप्रदाय पर अनंत उपकार है की आज भी हम उस तत्व की बात को समज और सुन पा रहे हैं। ये आत्मा की बात तो विलुप्त हो गई होती अगर गुरुदेव श्री नहीं होते तो

    • @nemichandjain7774
      @nemichandjain7774 2 роки тому

      wiwuwwiww twit wiwtiywwwuwuwuwwety ore oeetowooiooriwtitttytrtuooroyooerurtoeeorotoyrteeuwo boo) #vb

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      #️⃣मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔 मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐 लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️ ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖 लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲 तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆 तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍 तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚 तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄 तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹 तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜 महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️ लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟 मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲 मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️ लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄 इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔 तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄 प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏 अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫 अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜 मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖 ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨 और ये सोचना की मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄 गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌ ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫 मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हे सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘 फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄 जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓 और उसकी भी वो ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚 ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦 अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢 आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫 बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏 अब इन बगुलभक्तो को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔
      मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐
      लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️
      ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖
      लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲
      तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆
      तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍
      तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚
      तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ
      तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄
      तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा
      तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹
      तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜
      महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️
      लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟
      मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲
      मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️
      लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄
      इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔
      तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄
      प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏
      अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫
      अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜
      मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖
      ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨
      और ये सोचना कि मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄
      गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌
      ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫
      मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हें सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘
      फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄
      जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो, उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓
      और उसकी भी वह ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚
      ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हैं, हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦
      अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢
      आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫
      बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏
      अब इन बगुलभक्तों को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 10 місяців тому

      मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔
      मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐
      लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️
      ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖
      लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲
      तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆
      तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍
      तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚
      तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ
      तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄
      तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा
      तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹
      तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜
      महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️
      लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟
      मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲
      मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️
      लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄
      इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔
      तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄
      प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏
      अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫
      अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜
      मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖
      ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨
      और ये सोचना कि मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄
      गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌
      ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫
      मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हें सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘
      फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄
      जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो, उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓
      और उसकी भी वह ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚
      ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हैं, हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦
      अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢
      आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫
      बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏
      अब इन बगुलभक्तों को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 10 місяців тому +3

      आपको (कांजी पंथ) मिथ्या की नींद से कोई नहीं जगा सकता। 😴
      अगर कांजी स्वामी के शिष्य इतने ही ज्ञानी, संयमी, वीतरागी और वैरागी हैं, तो कोई क्यों नहीं दिगम्बरत्व को धारण कर पा रहा है? 🤔
      लगता है बोलने के ही शेर है, जब संयम करने की आती है तो होता नहीं है। 🗣️
      जिसका ज्ञान और आंखें दोषमय हो, वह हीरे की गुणवत्ता नहीं देख पाता। 💎 दोषपूर्ण दृष्टि और ज्ञान केवल गलत ही देख सकते हैं। आपका काम सिर्फ अपने गुरु कांची स्वामी के उपदेशों को आगे बढ़ाना है। 🙏
      आचार्य गुरुवर विद्यासागर जीते जागते तीर्थ हैं, पिछले 55 वर्षों में उन्होंने अपार तप किया है और दिगंबर जैन समाज को सही दिशा दी है। 🙌 ऐसे गुरुवर के चरणों में अनंत बार नमोस्तु। 🙏
      आप लोग मिथ्या में रह सकते हैं. दिगम्बर जैन धर्म दिगम्बर मुनिराज का धर्म है। 🌺 भगवान महावीर ने कहा कि 5वें आरे के अंतिम समय तक जैन धर्म भरत क्षेत्र में रहेगा, इसका मतलब है कि दिगंबर मुनि महाराज 5वें आरे के आखिरी तक जीवित रहेंगे। 🌏 दिगंबरत्व के बिना कोई दिगंबर धर्म नहीं है। 🙅‍♂️
      याद रखें आपके कर्म आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। ⚖️ न्याय मिलने तक वे आपकी आत्मा से जुड़े रहेंगे। 👣 आप बस अपने लिए एक अत्यंत अंधकारमय भविष्य तैयार कर रहे हैं। 🌌

  • @madhujain3833
    @madhujain3833 2 роки тому +16

    जय जिनेंद्र
    आपका बहुत-बहुत उपकार जो आपने गुरुदेव श्री के बारे में सही बात कही और उसके उसे मीडिया के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया।
    जय जिनेन्द्र

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      #️⃣मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔 मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐 लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️ ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖 लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲 तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆 तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍 तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚 तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄 तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹 तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜 महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️ लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟 मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲 मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️ लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄 इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔 तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄 प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏 अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫 अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜 मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖 ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨 और ये सोचना की मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄 गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌ ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫 मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हे सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘 फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄 जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓 और उसकी भी वो ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚 ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦 अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢 आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫 बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏 अब इन बगुलभक्तो को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @yennk3603
      @yennk3603 9 місяців тому

      🧐🧐 विचार करें कि श्री कानजी भाई ने
      न नौकर-चाकर त्यागे..न मोटर कार ..
      न रसोईया ..न स्लीपर..न ए सी..
      न अंग्रेजी दवाइयां..न अस्पताल।
      और अपनी इसी सुख-सुविधा पूर्ण चर्या
      को स्वीकार्यता प्रदान करवाने के लिये वे,
      जो भी तात्कालीन दिगंबर आचार्य- उपाध्याय- साधु परमेष्ठि थे, उनके बाह्य संयम स्वरूप के बारे में नई- नई परिभाषाएं गढ़कर, उनके प्रति सुविधा भोगी लोगों के मन में अरुचि और द्वेष पैदा करने में अति सफल रहे। वे चेलों को
      मोक्ष के हवा-हवाई सपन बाग दिखाते रहे।..
      ..आ..हा..हा..परम आनंद ज्ञान स्वरूपी भगवान आत्मा ...तू तो भूला हुआ भगवान आत्मा है, स्वयं भगवान है.. शुद्ध द्रव्य है, पर से भिन्न है आत्मा .. अनंतकाल से बाह्य दिगंबर स्वरुप धारण कर तुझे क्या मिला..अब तो चेत। ..आदि -आदि बोलकर वे चेलों को भ्रमित करने में सफल रहे।.. (जैसे कि वर्तमान में केजरीवाल सफल रहा)..।.. ज्ञानस्वभावी आत्मा पर से भिन्न है , आत्मा आनंद स्रोत है, कहने वाले कानजी भाई इसी अचेतन-पर का इलाज कराने अस्पताल चले गये और वहीं से देह त्याग कर दिये। इसी को उनके चेले
      समाधि बताकर छल करते हैं।
      सुविधा भोगी लोगों को, सेठियों को लगता रहा कि सोनगढ़िये बनकर उन्हें, बिना दिगंबर आचार्य-उपाध्याय-साधु बने, मोक्ष का शार्ट कट मिल गया है‌। आत्मा..आ..हा..हा..आत्मा करके उनकी तो सीट भी मोक्ष में बुक हो गई है। इसी का झांसा देकर, साधुओं का अंतरंग दूषित बताकर, सारे सोनगढ़िये पंडित नोट छापने में लगे हैं। आजतक कोई
      भी सोनगढ़िया किताब जमा खर्च से आगे
      बढ़ा हो तो अवश्य विचार करना।
      गजब धूर्तता है।🧐🧐🫢🫢

  • @dilipmudholkar-n6k
    @dilipmudholkar-n6k 5 місяців тому +4

    कानजी पंथ स्वतंत्र पंथ है यह सभी को समझना होगा। दिगंबर पंथ का मूल आधार , मुनी परंपरा है जो भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के बाद गौतम गणधर स्वामी से शुरु होती है। कानजी पंथने आचार्य कुंदकुंद को माना , उनके पहले और बाद मे भी अनेक प्रतिभावंत आचार्य पंचम काल मे हुए है और आज भी मुनी परंपरा व्यवस्थित रूपसे आगमानुसार चर्या पालन कर रही है और पंचम काल के अंत तक मुनीधर्म रहेगा यह महावीर स्वामी की दिव्यध्वनी मे बताया गया था।
    कानजी पंथ को मानने वाले यह स्पष्ट कह दे हमारा पंथ स्वतंत्र पंथ है, वे श्वेतांबर या दिगंबर पंथी नही है, सब समस्याए हल हो जाएगी।

  • @CKumar-pz4yl
    @CKumar-pz4yl 4 місяці тому +4

    गुरुदेव कानजी स्वामी का दिगम्बर जैन धर्म में आकर सब कुछ अच्छा करने का कार्य सराहनीय है, किन्तु महावीर के लघुनंदन वर्तमान में साक्षात् मुनि भगवनतों को स्वीकार नहीं करना दुःखद है, हमारे भीलवाड़ा में कानजी जैन मंदिर हैं जिसमें 2015 में आचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज को ले जाकर मंदिर जी में प्रवचन करवाया था जो कि यहां की समाज के लिए एक सुखद अनुभव था, जय जिनेन्द्र 🙏

  • @manujain2572
    @manujain2572 3 місяці тому +2

    बिल्कुल गलत, जैन समाज को दो भागो मे बाट दिया।और अस्पताल से मोक्ष चले गये।।वाह😢😢😢

    • @sukumalBelokar
      @sukumalBelokar 3 місяці тому +1

      दिगंबर समाज को आचार्य कुंदकुंद, आचार्य उमास्वामी आदी आचार्यों की वाणी को जन जन तक पोहचाने का कार्य गुरुदेव ने किया है। रही बात समाज को बांटने की बात तो वो आप जैसे अंधभक्त करते हैं। क्यों आज के प्रमुख आचार्य संघ एक दुसरे का विरोध करते, क्यौ एक संघ के भक्त दुसरे संघ के मुनी को आहार देना तो दुर उनके दर्शन तक नहीं करते। कपड़ों का त्याग तो सभी संघ के मुनियोने किया है, तो क्यों वे एक दुसरे को पाखंडी कहने में लगा है।

  • @rakeshjain1012
    @rakeshjain1012 11 місяців тому +9

    Aapne kyo alag se songarh parampara chalu ki kya aacharya shanti sagar mai kya koi kami thi kyoki aap sab sanyam tyag tapasya kar nahi sakte bus samaysar paDke swarg jana chahte ho moksh ki rah kewal veetragi banne se hi mil sakti hai

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому +1

      Ek dum sahi kaha aapne

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      #️⃣मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔 मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐 लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️ ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖 लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲 तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆 तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍 तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚 तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄 तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹 तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜 महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️ लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟 मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲 मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️ लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄 इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔 तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄 प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏 अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫 अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜 मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖 ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨 और ये सोचना की मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄 गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌ ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫 मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हे सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘 फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄 जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓 और उसकी भी वो ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚 ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦 अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢 आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫 बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏 अब इन बगुलभक्तो को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +2

      वीतरागता और संयम का स्वरूप पढ़िए भाई!

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому

      @@Sudhasagarshorts सही गलत का निर्णय करिए

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      @@CharchaSamadhanSangrah मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔
      मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐
      लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️
      ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖
      लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲
      तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆
      तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍
      तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚
      तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ
      तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄
      तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा
      तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹
      तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜
      महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️
      लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟
      मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲
      मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️
      लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄
      इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔
      तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄
      प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏
      अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫
      अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜
      मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖
      ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨
      और ये सोचना कि मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄
      गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌
      ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫
      मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हें सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘
      फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄
      जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो, उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓
      और उसकी भी वह ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚
      ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हैं, हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦
      अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢
      आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫
      बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏
      अब इन बगुलभक्तों को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

  • @rakeshjain1012
    @rakeshjain1012 11 місяців тому +7

    BAAP EK HI HOTA HAI BHAGWAN MAHAVIR KE HOTE HUE KYO APNA ALAG PANTH BANAYA AACHARYA PARAMPARA KO KYO NAHI MANA

    • @Arjun-wh7em
      @Arjun-wh7em 11 місяців тому +2

      Right bro
      ये अब ना गदे रहे ना हि घोड़े ये बीच के खच्चर रह गये.....😂😂😂

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +1

      कोई नया नही है, समझो तो जानो

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +1

      @@Arjun-wh7em धन्य है आपकी भाषा

    • @sangeetashah7008
      @sangeetashah7008 9 місяців тому +2

      Kanjiswamine koi alag panth nahi banaya vo to aaplogo ne nam diya he ki ye kanji panth he ve to apne ko digambar hi mante the. Vo ek shravak the aur apne aachryo ke likhe huye shastron me se adhyatm samjate the. Unke charnanuyog ke shastron ka (purusharth siddhi upay,astpahud vgere) pravachan suno munirajke kitne gun gaye hai vo pata chalega.yuhi bina soche samje kisiko badnam na karo. Iske pap se kaise bachaoge?

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  9 місяців тому +1

      @@sangeetashah7008 बिल्कुल सही

  • @sadhanabanzal7172
    @sadhanabanzal7172 4 місяці тому +2

    आचार्य कुंद कुंद के बाद के आचार्यों को
    विलोपित कर दिया
    बिना चारित्र के कोई पंडित तो बन सकता है
    गुरु नही बन सकता

  • @rameshshah6576
    @rameshshah6576 2 роки тому +3

    सादर जय जिनेन्द्र

  • @khemchandshastri
    @khemchandshastri 4 місяці тому

    बहुत सुंदर समाधान

  • @JineshJatakia
    @JineshJatakia 11 місяців тому +3

    Why you are not doing paryusana seva upasana of digamber sadhu as you are digmber?????

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому

      Will definitely do when we see real digamber muniraj.

    • @yennk3603
      @yennk3603 9 місяців тому

      ☝️कार, AC, रसोईया, नौकर-चाकर, अंग्रेजी दवाइयां, अस्पताल..कुछ का भी त्याग नहीं किया था श्री कानजी भाई ने।
      ..आ..हा..हा..परम आनंद ज्ञान स्वरूपी भगवान आत्मा ...तू तो भूला हुआ भगवान आत्मा है, स्वयं भगवान है.. शुद्ध द्रव्य है,
      पर से भिन्न है आत्मा ..
      अनंतकाल से बाह्य दिगंबर स्वरुप धारण कर तुझे क्या मिला..अब तो चेत। ..
      आदि -आदि बोलकर,
      वे चेलों को मोक्ष के हवा-हवाई सपन बाग दिखाकर, अपनी शाही सुख-सुविधा पूर्ण चर्या को स्वीकार्यता प्रदान करवाने के लिये वे, जो भी तात्कालीन दिगंबर आचार्य- उपाध्याय- साधु परमेष्ठि थे, उनके बाह्य संयम स्वरूप के बारे में नई- नई परिभाषाएं गढ़कर, उनके प्रति लोगों के मन में अरुचि/ द्वेष पैदा करने में, भ्रमित करने में, वे अति सफल रहे।..
      पर कैसी बिडंबना है कि ज्ञानस्वभावी आत्मा पर से भिन्न है, आत्मा परम आनंद स्रोत है.. कहने वाले कानजी भाई इसी अचेतन-पर का इलाज कराने अस्पताल
      चले गये और वहीं से देह त्याग कर दिये। फिर भी उनके चेले
      बेशर्मी से इसे समाधि बताकर छल करते हैं।
      ***
      सेठियों को लगता रहा कि सोनगढ़िये बनकर उन्हें,
      बिना दिगंबर साधु बने, मोक्ष का शार्ट कट मिल गया है‌।
      शुद्धआत्मा..आ..हा..हा..
      आनंद स्वरूपी आत्मा का नाम लेकर मोक्ष में सीट बुक हो गई है। ऐसा झांसा देकर, मुमुक्षु पंडित नोट छापने में लगे हैं। आजतक कोई
      भी मुमुक्षु किताबी जमा खर्च से आगे बढ़ा हो तो अवश्य विचार करना। ..गजब धूर्तता है।.. दिगंबर जैन समाज में सबसे बड़ा विभाजन करने में कानजी भाई सफल रहे।🧐

  • @AnitaSamaiya
    @AnitaSamaiya 11 місяців тому +1

    Wah

  • @avaneesh26
    @avaneesh26 5 місяців тому

    Very informative

  • @anitajain1930
    @anitajain1930 2 роки тому +10

    Gurudev ka Anant Anant upkar h ,hum Jeeva par🎉🎉🎉😊😊

  • @jainismbysarthakjain4753
    @jainismbysarthakjain4753 9 місяців тому +3

    Mujhe garv hai ki me gurudev ki sachchi bhakt hu kanji swami hi sachche samyak drasti mahan purush hai unhone hi sabhi ko bhagwan atma ka bodh karaya gurudev ko mera barambar namaskar gurudev ki jai ho 🙏🙏🙏

  • @Sudhasagarshorts
    @Sudhasagarshorts 11 місяців тому +12

    #️⃣मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔 मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐 लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️ ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖 लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲 तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆 तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍 तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚 तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄 तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹 तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜 महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️ लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟 मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲 मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️ लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄 इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔 तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄 प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏 अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫 अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜 मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖 ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨 और ये सोचना की मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄 गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌ ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫 मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हे सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘 फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄 जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓 और उसकी भी वो ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚 ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦 अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢 आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫 बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏 अब इन बगुलभक्तो को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +3

      णमो लोए सव्वसाहूणं!

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      ​@@CharchaSamadhanSangrahThe End ua-cam.com/video/fCHINW9cnoE/v-deo.html&si=dCtiPnrgMHiWtO1b

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 10 місяців тому +2

      ​@@CharchaSamadhanSangrahआपको (कांजी पंथ) मिथ्या की नींद से कोई नहीं जगा सकता। 😴
      अगर कांजी स्वामी के शिष्य इतने ही ज्ञानी, संयमी, वीतरागी और वैरागी हैं, तो कोई क्यों नहीं दिगम्बरत्व को धारण कर पा रहा है? 🤔
      लगता है बोलने के ही शेर है, जब संयम करने की आती है तो होता नहीं है। 🗣️
      जिसका ज्ञान और आंखें दोषमय हो, वह हीरे की गुणवत्ता नहीं देख पाता। 💎 दोषपूर्ण दृष्टि और ज्ञान केवल गलत ही देख सकते हैं। आपका काम सिर्फ अपने गुरु कांची स्वामी के उपदेशों को आगे बढ़ाना है। 🙏
      आचार्य गुरुवर विद्यासागर जीते जागते तीर्थ हैं, पिछले 55 वर्षों में उन्होंने अपार तप किया है और दिगंबर जैन समाज को सही दिशा दी है। 🙌 ऐसे गुरुवर के चरणों में अनंत बार नमोस्तु। 🙏
      आप लोग मिथ्या में रह सकते हैं. दिगम्बर जैन धर्म दिगम्बर मुनिराज का धर्म है। 🌺 भगवान महावीर ने कहा कि 5वें आरे के अंतिम समय तक जैन धर्म भरत क्षेत्र में रहेगा, इसका मतलब है कि दिगंबर मुनि महाराज 5वें आरे के आखिरी तक जीवित रहेंगे। 🌏 दिगंबरत्व के बिना कोई दिगंबर धर्म नहीं है। 🙅‍♂️
      याद रखें आपके कर्म आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। ⚖️ न्याय मिलने तक वे आपकी आत्मा से जुड़े रहेंगे। 👣 आप बस अपने लिए एक अत्यंत अंधकारमय भविष्य तैयार कर रहे हैं। 🌌

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  10 місяців тому +3

      @@Sudhasagarshorts सद्बुद्धि के लिए स्वाध्याय आवश्यक है। 😎🙏

  • @स्वाध्यायपरमंतप

    नय ज्ञान से शून्य अज्ञानी, व्यवहाराभासी, तत्व ज्ञान को समझने में जिनकी योग्यता नही हो वहीं विरोध करता है, ऐसे भूले भटके जीवों के विरोध से घबडाए नही, मेंढक कुएँ को ही समुद्र समझता है, वैसे ही ये विरोधी हैं, इसलिए अपने भावों में क्षोभ उत्पन्न न होने दें, जिसकी जैसी होनहार होनी है, कोई नही बदल सकता। जय जय गुरुदेव,।

  • @aviraljain9729
    @aviraljain9729 11 місяців тому +3

    Acharya shanti sagar maharaj … param pujya vidya sagar maharaji ki jay … namostu guruwar

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +2

      णमो लोए सव्वसाहूणं!

    • @aviraljain9729
      @aviraljain9729 11 місяців тому

      @@CharchaSamadhanSangrah that includes shanti sagar maharaj ❤️ jay bolne mai sharmaana nhi chahiye…

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +1

      @@aviraljain9729 साधु परमेष्ठी के सभी 28 मूलगुणों का निरतिचार पालन करने वाले मुनिराजों की जय हो!

    • @aviraljain9729
      @aviraljain9729 11 місяців тому

      Aur bistar pe khoon chadwaake hospital mai shaant hone ko bhi samaadhi kehte hai kya? Bhulene bhagwaan che par che to bhagwaan ne

    • @aviraljain9729
      @aviraljain9729 11 місяців тому

      Kitne abhaage hai hum… sakshaat chalte phirte teerth hone ke baad bhi .. songad mai abhi panchkalyanak mai suryakeetthi ( kanji ki murti) viraajman kar rahe hai … inme sakshaat saadhuon ke darshan nahi kiye jaate… asli sithlachaari ko ye log hai ghar baithke bolenge ki bhagwaan aur hum same hai dravya drashti se dekhe to… charitra ke bina gyan kis kaam hai hai bhai… bhulene bhagwaan che par che to bhagwaan ne .. jaisa kanji bina petrol ke gaadi chalata fha waise hi bina charitra ke moksha bhi pahuchaata hai kya?

  • @manikpatni7119
    @manikpatni7119 4 місяці тому +3

    गुरुदेव श्री कानजी स्वामी ने सच्चा मोक्ष बताकर हम लोगों पर अनंत अनंत उपकार किए है। वे नहीं होते तो हम अभी भी अभिप्राय में यही बात लेके बैठे होते कि दया करो, दान करो, मंदिर बनाओ जो कि धर्म नहीं शुभ राग मात्र है और उसका फल स्वर्ग है, मोक्ष नहीं। हमारे तीर्थंकर जब मोक्ष मार्ग में लगे थे तो उन्होंने किसका दान दिया, किसकी पूजा की? कितने मंदिर निर्माण किए। परद्रव्य और परभावो से दृष्टि हटाकर स्वद्रव्य की दृष्टि करना ही सच्चा मोक्ष मार्ग है।

  • @गुणमाला
    @गुणमाला 4 місяці тому

    Jai jinendra udaipur 🙏🙏🙏

  • @devendrakumarjain1782
    @devendrakumarjain1782 4 місяці тому +2

    कानजी स्वामी पंथी वालों ने जिनवाणी को घर घर तक पहुंचा दिया , पाप पुण्य से ऊपर उठकर आत्मा की विशेष रूप से आराधना की चर्चा की ,लेकिन उन्हें 28 मूल गुण धारी मुनियों नमस्कार करना ही चाहिए

  • @swatidoshi8117
    @swatidoshi8117 11 місяців тому +1

    🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • @SonaJain-q8l
    @SonaJain-q8l 4 місяці тому

  • @ajayjain1541
    @ajayjain1541 11 місяців тому +1

    Jindharm ko manoranjan ka marg banane bale kanji Swami ko dhanyabad.

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  10 місяців тому +1

      मूल जैन तत्त्वज्ञान को छोड़कर बाह्य वेश मात्र को देखकर आनन्दित होना ही लौकिक मनोरंजन है। आप स्वयं निर्णय करें।

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому

      ये बात आपने किस आधार पर कही? मम्मी ने बताया क्या 😂

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  9 місяців тому

      @@MahaveerOnline-qe3zy हाँ बिल्कुल मम्मी ने बताया है, जिनवाणी मम्मी है और जिनदेव पापा। आपको इसमें आपत्ति हो तो बताइए। 😎

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому

      @@CharchaSamadhanSangrah क्षमा कीजिये ये हमने आप से नहीं कहा

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  9 місяців тому

      @@MahaveerOnline-qe3zy 🙏

  • @ninashah7129
    @ninashah7129 Рік тому +6

    Jai Jinendra 🙏 Shri Kahan Gurudev ki Jai Ho 🙏 jai ho 🙏

  • @sudeepjain2679
    @sudeepjain2679 3 місяці тому +1

    आप मन गणित नहीं है सही है

  • @ayushjain4226
    @ayushjain4226 2 роки тому +15

    कानजी स्वामी का अनंत उपकार है जिसे भुलाया नही जा सकता।

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому

      #️⃣मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, 😔 मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, 🌐 लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, 🚶‍♂️ ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, 📖 लेकिन तुम अडिग रहना, 🤲 तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, 📆 तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, 🌍 तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, 📚 तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, 🔄 तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, 🏹 तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, 📜 महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, 🕉️ लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। 🌟 मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, 🤲 मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, 🗣️ लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, 🔄 इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, 🤔 तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, 🔄 प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, 🙏 अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, 🚫 अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, 📜 मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, 📖 ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है कि मुनि बना ही नहीं जा सकता, इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, 🤨 और ये सोचना की मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, 🔄 गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ❌ ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। 🚫 मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हे सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, 🧘 फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। 🔄 जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, 🎓 और उसकी भी वो ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। 📚 ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते कहते हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, 🥦 अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, 🍢 आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए। 🚫 बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, 🙏 अब इन बगुलभक्तो को कौन समझाए मुनिव्रत। 🤷‍♂️

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 11 місяців тому +1

      ua-cam.com/video/fCHINW9cnoE/v-deo.html&si=dCtiPnrgMHiWtO1b 🫣
      Suno kanjaiysto 🫵

    • @aviraljain9729
      @aviraljain9729 11 місяців тому +2

      Accha joke hai😂

    • @ayushjain4226
      @ayushjain4226 11 місяців тому

      @@aviraljain9729 चूतियो को jock ही लगेगा😁

    • @Sudhasagarshorts
      @Sudhasagarshorts 10 місяців тому

      @@aviraljain9729 😂

  • @vimaljain6833
    @vimaljain6833 2 роки тому +4

    🙏🙏🙏🙏👌👌👌

  • @narendravandnajainjaijiend8213
    @narendravandnajainjaijiend8213 3 місяці тому +1

    गुरुदेव का अनंत अनंत उपकार है

  • @PCJain-ov4fw
    @PCJain-ov4fw 6 місяців тому +5

    कानजी स्वामी न होते तो अन्य मत और जैन मत में कोई अंतर नहीं होता।

  • @anitajain1930
    @anitajain1930 2 роки тому +4

    Bhout Bhout sunder 🎉🎉😊😊

  • @ashokjainkota6372
    @ashokjainkota6372 11 місяців тому +4

    आदरणीय कानजी स्वामी श्वेतांबर कुल में पैदा हुए, श्वेतांबर गुरु से दीक्षा लेकर श्वेतांबर साधु बने, श्वेतांबर ग्रंथो का अध्ययन किया, फिर फिर पंचम काल के दिगंबर आचार्यों के द्वारा प्रणीत ग्रंथो का अध्ययन किया,बाहर से वेष भी यथावत श्वेतांबर साधु का ही रहा,यदि दिगंबर धर्म ग्रहण किया होता,तो दिगंबर भेष होता,पंडित,प्रतिमाधारी, एलक,क्षुल्लक का वेष होता,अंत समय तक श्वेतांबर साधु का ही वेश रखा,उपलब्ध ग्रंथो को पढ़ कर बिना किसी निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज से ज्ञान लिए स्वयं उनका प्रवचन स्वयं की समझ और ज्ञान के हिसाब से करने लगे, स्वयं को और उनके भक्तों को मुमुक्षु (यानी मोक्ष मार्गी,यानी रत्नत्रयधारी मुनिराज)मानने लगे, समयसार जैसे महान ग्रंथों का स्वाध्याय करने के बाद भी पंच परमेष्ठी मैं वर्तमान में उपलब्ध आचार्य परमेष्ठी एवम साधु परमेष्ठि के दर्शन की,वंदना की,पूजा की, वैया वृत्ति की,आहार देने की,भावना नहीं हुई, मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए, रत्नत्रय धारण करने के लिए,मुनि बनने के लिए,संयम के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए ,न तो किसी को प्रेरणा दी और न स्वयं आगे बढ़े , यह ज्ञान होने के बाद भी कि पंचम काल के अंत तक भावलींगी मुनिराज का सद्भाव रहेगा,फिर भी सभी मुनियों में शिथिलाचारी मुनिराज को ही ढूंढते रहे, आदरणीय कानजी स्वामी के द्वारा किए हुए स्वाध्याय के द्वारा जो उन्होंने प्रवचन किए हैं ,उनसे पिछले लगभग 80 वर्षों में उन्हें गुरुदेव श्री मानने वाले भक्तों में एक भी व्यक्ति मोक्षमार्ग पर आगे नहीं बढ़ा, एक भी व्यक्ति मुनि नहीं बना,उत्कृष्ट श्रावक ऐलक जी,क्षुल्लक जी भी नहीं बना ,जो भी कानजी स्वामी को गुरु मानते हैं,उनके मुनिराज के दर्शन वंदना के भाव ही नही होते,क्योंकि उन्होंने यही समझा है कि सभी मुनिराज शिथिलाचारी ही है, उन्हें तो सामने मुनिराज आते हुए दिख जाए तो अपना मुंह फेर लेते है,(शायद कोई दिव्य ज्ञान हो जिससे किसी भी मुनिराज को बिना देखे ही उनकी चर्या एवम मूलगुणो के बारे में पता चल जाता है )वर्तमान में जो उत्कृष्ट प्रतिमा धारी श्रावक ऐलक जी,क्षुल्लक जी महाराज हैं उनकी विनय के भाव भी नहीं बनते,वहां तो शिथिलाचर वाला भी कोई प्रश्न नहीं है,
    आदरणीय कानजी स्वामी ने अंतिम समय में भी "मुझे संथारा दिला दो" ऐसा पंडित सुमत प्रकाश जी ने समाधि मरण के प्रवचन में कहा है , यदि वह दिगंबर होते तो संथारा की बजाय सल्लेखना या समाधिमरण की बात उनके मुंह से निकलती,
    ua-cam.com/video/bdKZZvZ7qqk/v-deo.htmlsi=sG5bB-rTJL_IT4J3
    आदरणीय पंडित जी आपमें और कानजी स्वामी में कोई अंतर नही है,उन्होंने बिना निर्ग्रंथ दिगंबर गुरु के शास्त्रों का अध्ययन करके प्रवचन किए,आप भी शास्त्रों का अध्ययन करके और कानजी स्वामी के प्रवचन सुन कर प्रवचन करते हो,जो अन्य समाज के कथा वाचक है वह भी उनके शास्त्रों को पढ़कर प्रवचन करते हैं,मुद्रा और आचरण आदरणीय कानजी स्वामी का ,आपका और अन्य समाज के कथा वाचक का ,सबका ग्रहस्थ , परिग्रह धारी का ही है, गुणस्थान सबका एक जैसा है,संयम किसी के भी नहीं है,फिर तो आप भी और आपके जैसे विद्वान प्रवचनकर्ता भक्तों के लिए सभी पूज्य गुरुदेव श्री ही है, सम्यक दृष्टि के गुरु तो निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज ही होते है, वस्त्र धारी गुरु
    तो श्वेतांबर एवम अन्य अजैन धर्मो में होते है ,दिगंबर जैन धर्म में नहीं,,इसलिए दिगंबरत्व पर आपका प्रवचन ,गलत को सही सिद्ध करने का प्रयास है,
    🙏यदि मैंने कुछ भी गलत लिखा है तो कृपया मुझे अवश्य बताएं जिससे मैं अपनी जानकारी सही कर सकूं,🙏
    इस वक्तव्य से आपको जो भी दुःख हुआ है उसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं 🙏
    अशोक जैन🙏

    • @anubhavjainkolaras983
      @anubhavjainkolaras983 11 місяців тому +1

      बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद ये कहावत आदरणीय आपके लिए प्रयोग है परम कृपालु गुरुदेव श्री के प्रवचन आप जेसे अज्ञानी के समझ में आने की बस की बात नही है जब ही आप ऐसी बात कर रहे हों ।आप मुझे गुरुदेव श्री के प्रवचन या उनकी चर्या में एक भी कमी बता देंगे तो में आपकी बात सत्य मान लूंगा में बच्चा हूं आपके आगे लेकिन सीख बच्चे से लो या बड़े से सीख सीख होती है
      "इस दशम भीष्म काल में जिनदेव का जब हो विरह जब मातृ सम उपकार करते शास्त्र ही आधार है"
      आप सही से गुरुदेव श्री के जीवन परिचय एवं उनके द्वारा बताए गए पंचपरमेष्टि एवं भगवान महावीर एवं कुंद ~कुंद स्वामी के मार्ग को समझेंगे तो आपको आत्म कल्याण का मार्ग जरूर मिलेगा । जय जिनेन्द्र 🙏

    • @ashokjainkota6372
      @ashokjainkota6372 11 місяців тому +4

      @@anubhavjainkolaras983 अनुभव जी मैने जो लिखा है वह सही है या गलत,यदि कुछ गलत लिखा है तो कृपया बताए, एक वस्त्रधारी के लिए चर्या शब्द ही नहीं है,ये शब्द तो मुनिराज,आर्यिका माताजी,एवम उत्कृष्ठ प्रतिमाधारी श्रावक के लिए उपयोग लिया जाता है,जैन आगम के अनुसार निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज ही गुरु होते है,वस्त्रधारी आदरणीय, सम्मानीय,हो सकते है गुरु नहीं,और जो ऐसे व्यक्ति को गुरु माने वह मिथ्या दृष्टि,वो अलग बात है कि गुरु मिथ्या दृष्टि रहे और चेला सम्यक दृष्टि बन जाए,अनुभव जी आप सोनगढ़ के अतिरिक्त कानजी स्वामी के पैदा होने के पहले के शास्त्रों का स्वाध्याय करे,आपको सही और गलत की पहचान हो जायेगी,आप चाहे तो मुझसे फोन पर बात कर सकते हैं,
      अशोक जैन 9414844071

  • @sudeepjain2679
    @sudeepjain2679 3 місяці тому

    आगम में बताया गया है कि 363 मत चलेंगे उनमें से एक मत यह भी है जो कंजी का है कांची मत😊

  • @niharikabothra4437
    @niharikabothra4437 2 роки тому +3

    Ha vo to 100% sach hei

  • @kljain2388
    @kljain2388 4 місяці тому +1

    आपने स्वामी जी का चारिञ ठीक ठीक बताया आभार। लोगो को यह जानना चाहिये। स्वामी जी का जोअनादर करते हैं वे धर्म को नही जानते ।

  • @अरिहंतजैन
    @अरिहंतजैन 12 днів тому

    एकान्तिक पंथ चलाने वाले ने श्वेताम्बर और दिगम्बर संप्रदायों के बीच फूट डालने का कार्य किया ।

  • @aaaj666
    @aaaj666 3 місяці тому +1

    आप अपनी आध्यात्मिक क्रांति को जारी रखें और जैन समाज को अपना भरपूर योगदान देते रहें। जो कांजी स्वामी के मार्ग की आलोचना करते हैं वो दूरदृष्टि नहीं है

  • @trilokjain-rx7lb
    @trilokjain-rx7lb 4 місяці тому +2

    न दिगंबर, न स्वेतांबेर कोई बीच का ही एक panth है, स्थानक वासी परंपरा को छोडकर
    नया ही panth चलाया, अनेको लोगों को गुमराह कर दिया। वर्तमान समय के निन्हेव।
    स्थानक वासी परम्परा मेरी दृष्टि में शुद्ध तम परम्परा है। Jain dharm आत्मिक धर्म है। बाह्य आडम्बर का इसमें कोई स्थान नही है l

  • @dineshjain1009
    @dineshjain1009 11 місяців тому +4

    दिगंबरत्व का विरोध अलग बात है और शिथिलाचारी दिगंबर का विरोध और बात है।

  • @sukmaljain8339
    @sukmaljain8339 10 місяців тому +2

    धन्य गुरुदेव हमारे है, हमें प्राणों से प्यारे है🙏🚩📓🙏

  • @laxmikantjain8394
    @laxmikantjain8394 2 роки тому +6

    NAMAN,VANDAN,ABHINANDAN.....

    • @yennk3603
      @yennk3603 9 місяців тому

      🧐🧐 विचार करें कि श्री कानजी भाई ने
      न नौकर-चाकर त्यागे..न मोटर कार ..
      न रसोईया ..न स्लीपर..न ए सी..
      न अंग्रेजी दवाइयां..न अस्पताल।
      और अपनी इसी सुख-सुविधा पूर्ण चर्या
      को स्वीकार्यता प्रदान करवाने के लिये वे,
      जो भी तात्कालीन दिगंबर आचार्य- उपाध्याय- साधु परमेष्ठि थे, उनके बाह्य संयम स्वरूप के बारे में नई- नई परिभाषाएं गढ़कर, उनके प्रति सुविधा भोगी लोगों के मन में अरुचि और द्वेष पैदा करने में अति सफल रहे। वे चेलों को
      मोक्ष के हवा-हवाई सपन बाग दिखाते रहे।..
      ..आ..हा..हा..परम आनंद ज्ञान स्वरूपी भगवान आत्मा ...तू तो भूला हुआ भगवान आत्मा है, स्वयं भगवान है.. शुद्ध द्रव्य है, पर से भिन्न है आत्मा .. अनंतकाल से बाह्य दिगंबर स्वरुप धारण कर तुझे क्या मिला..अब तो चेत। ..आदि -आदि बोलकर वे चेलों को भ्रमित करने में सफल रहे।.. (जैसे कि वर्तमान में केजरीवाल सफल रहा)..।.. ज्ञानस्वभावी आत्मा पर से भिन्न है , आत्मा आनंद स्रोत है, कहने वाले कानजी भाई इसी अचेतन-पर का इलाज कराने अस्पताल चले गये और वहीं से देह त्याग कर दिये। इसी को उनके चेले
      समाधि बताकर छल करते हैं।
      सुविधा भोगी लोगों को, सेठियों को लगता रहा कि सोनगढ़िये बनकर उन्हें, बिना दिगंबर आचार्य-उपाध्याय-साधु बने, मोक्ष का शार्ट कट मिल गया है‌। आत्मा..आ..हा..हा..आत्मा करके उनकी तो सीट भी मोक्ष में बुक हो गई है। इसी का झांसा देकर, साधुओं का अंतरंग दूषित बताकर, सारे सोनगढ़िये पंडित नोट छापने में लगे हैं। आजतक कोई
      भी सोनगढ़िया किताब जमा खर्च से आगे
      बढ़ा हो तो अवश्य विचार करना।
      गजब धूर्तता है।🧐🧐🫢🫢

  • @mahendrajain6310
    @mahendrajain6310 9 місяців тому +3

    कांजी स्वामी श्वेतांबर स्थानक वासी समाज से थे, उन्होंने दिगंबर धर्म को तो अंगीकर किया लेकिन दिगंबर धर्म का जो मूल आधार हैं दिगंबर मुनिराज उन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया। बाद में भी जितने उनके शिष्य हुए उन्होंने भी दिगंबर मुनिराजों का उपहास ही उड़ाया। आप भी उनमें से एक हैं।
    आपके द्वारा कुछ समय पूर्व आचार्य श्री जी के बारे में जो भाषा बोली गयी थी उससे तो लगता है कि आपने जैन कुल में जन्म ही नहीं लिया है। जिन आचार्य श्री जी को जैन के अलावा हिंदू मुस्लिम सिक्ख ईसाई भी आदर्श मानते थे उन महान आचार्य श्री जी के बारे में आप जैसे फर्जी विद्वानों ने अपशब्द बोलकर साबित कर दिया है कि आप जैसे लोग जैन समाज के नाम पर कलंक हैं।
    इन्हीं हरकतों के कारण अलीगढ़ कोर्ट ने भी कांजी स्वामी के भक्तों को दिगंबर जैन मानने ही इंकार कर दिया है।
    आप लोग बार बार चौथे काल के मुनिराजों की बात करते हैं तो क्यों नहीं चौथे काल जैसे मुनि बनकर दिखाते हो। वस्त्र पहन कर समयसार पढ़ना और स्वयं में ही समयसार हो जाने में बहुत अंतर है। ये बात अच्छे से समझ लीजिये आज पंचम काल में दिगंबर मुनियों के विहार से ही दिगंबर जैन धर्म की पहचान है। आप लोग जितना मुनियों की बुराई करोगे उतना ही नीचे गिरोगे ये बिल्कुल पक्का है। जय जिनेंद्र की 🙏

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  9 місяців тому +1

      आप अलीगढ़ कोर्ट का निर्णय सार्वजनिक करिए, नहीं तो भ्रामक खबर से जैन समाज को गुमराह मत करिए। कोर्ट की अवमानना और गलत निर्णय संबंधी जानकारी फैलाने के अपराध में आप ही कानून के दोषी माने जायेंगें।
      देव-शास्त्र-गुरु सर्वोपरि हैं, आप सही स्वरूप मानो या मत मानो, झूठी बातें फैलाना आपके विद्वेष को दर्शा रहा है।

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому +1

      बेटा जब कुछ ढंग से पता न हो तो बकवास नहीं किया करते। तुम्हारे जैसे कान के कच्चे मूर्ख बहुत पड़े हैं 😂
      जब तक दोनों पक्षो को ढंग से सुना व समझा ना जाये तो कुछ भी कहना भी पाप की श्रेणी मे आता है।

  • @niharikabothra4437
    @niharikabothra4437 2 роки тому +4

    Meri sasu maa kahti hei ki songhar walo ki soch alag hei or vo apne pariwar ke liye nhi sochte or sab wahi daan de dete apne pariwar ko kuch nhi dete

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому +2

      Daan to bhaavna ke anusaar diya jaata hai, har kisi ki bhaavna alag ho sakti hai. Aisa ho sakta hai ki koi parivar ke baare main zyada sochta ho aur koi kum sochta ho.

    • @vishalkumarrajnikantjakhar5012
      @vishalkumarrajnikantjakhar5012 2 роки тому +3

      Jai jinendra....aisa bilkul nahi hai.

    • @yennk3603
      @yennk3603 9 місяців тому +1

      🧐🧐 विचार करें कि श्री कानजी भाई ने
      न नौकर-चाकर त्यागे..न मोटर कार ..
      न रसोईया ..न स्लीपर..न ए सी..
      न अंग्रेजी दवाइयां..न अस्पताल।
      और अपनी इसी सुख-सुविधा पूर्ण चर्या
      को स्वीकार्यता प्रदान करवाने के लिये वे,
      जो भी तात्कालीन दिगंबर आचार्य- उपाध्याय- साधु परमेष्ठि थे, उनके बाह्य संयम स्वरूप के बारे में नई- नई परिभाषाएं गढ़कर, उनके प्रति सुविधा भोगी लोगों के मन में अरुचि और द्वेष पैदा करने में अति सफल रहे। वे चेलों को
      मोक्ष के हवा-हवाई सपन बाग दिखाते रहे।..
      ..आ..हा..हा..परम आनंद ज्ञान स्वरूपी भगवान आत्मा ...तू तो भूला हुआ भगवान आत्मा है, स्वयं भगवान है.. शुद्ध द्रव्य है, पर से भिन्न है आत्मा .. अनंतकाल से बाह्य दिगंबर स्वरुप धारण कर तुझे क्या मिला..अब तो चेत। ..आदि -आदि बोलकर वे चेलों को भ्रमित करने में सफल रहे।.. (जैसे कि वर्तमान में केजरीवाल सफल रहा)..।.. ज्ञानस्वभावी आत्मा पर से भिन्न है , आत्मा आनंद स्रोत है, कहने वाले कानजी भाई इसी अचेतन-पर का इलाज कराने अस्पताल चले गये और वहीं से देह त्याग कर दिये। इसी को उनके चेले
      समाधि बताकर छल करते हैं।
      सुविधा भोगी लोगों को, सेठियों को लगता रहा कि सोनगढ़िये बनकर उन्हें, बिना दिगंबर आचार्य-उपाध्याय-साधु बने, मोक्ष का शार्ट कट मिल गया है‌। आत्मा..आ..हा..हा..आत्मा करके उनकी तो सीट भी मोक्ष में बुक हो गई है। इसी का झांसा देकर, साधुओं का अंतरंग दूषित बताकर, सारे सोनगढ़िये पंडित नोट छापने में लगे हैं। आजतक कोई
      भी सोनगढ़िया किताब जमा खर्च से आगे
      बढ़ा हो तो अवश्य विचार करना।
      गजब धूर्तता है।🧐🧐🫢🫢

  • @dilipmudholkar-n6k
    @dilipmudholkar-n6k 4 місяці тому

    Khudka nam aur panth kanji ne sthapna ki hai, ve gruhstha the . Ve sthanakvasi the aur vaha unko koi followers nhi mile , digamber panth me followers mile, bs, apna panth sthapan kiya.
    Kanji , pancham kal me Digambar muni nhi manate tb ve Digambar kese hai?
    Kanji follwers ye declare kare ki ve swatantra panth hai.
    Kanji ne koi pratima nhi li ya vrat bhi nhi liye , phir ve Digambar kese hai.Undr kya chalta kisko kese pta chalega, vo keval gyan ka vishay hai.
    Kund kund achary ke alawa kanji kisi ko nhi manate, kund kund kahan aisa manate hai.
    Panch kalyanak dwara sthapit pratima ka jalabhishek bhi nhi kiya jata , keval gile kapde se pocha kiya jata hai.
    Vartman me konse muniraj ko kanji , namostu karte the, ye bhi batane ka kasta kare.
    Kanji ka mrutu ka samay asptal me bit gya . Agar ve Digambar panth ko man ne wale hote, tb , koi muni raj ki sharan me jakar sallekhana li hoti .

  • @narmeshjain4934
    @narmeshjain4934 5 місяців тому

    Shwetamber ,Digamber etc are sects not spirituality. Veetragta can be called spirituality which has been proposed to be way to liberation by Kanjiswamiji and make sense to lakhs of seekers.

  • @laxmikantjain8394
    @laxmikantjain8394 2 роки тому +5

    Shree veer prabhuji ko mane par veer prabhuji ki na mane sambhave nahi........

  • @niharikabothra4437
    @niharikabothra4437 2 роки тому +6

    Vo swetamber hei or bachpan digamber dharam ko apnaya hei or bachpan se gurudev ko sun te aaye hu

  • @yennk3603
    @yennk3603 9 місяців тому

    देविंद्र कुमार यह disclaimer तो दे देते पहले कि वे
    सोनगढ़ियों के वेतनभोगी किराये के पंडित हैं, सो उनको अपनी जिम्मेदारी पूरी करना है।

    • @DevendrakumarJainBijoliya
      @DevendrakumarJainBijoliya 9 місяців тому +1

      दशलक्षण पर्व में राशि तय करनेवाले अब समझायेंगे कि कौन वेतनभोगी है।

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  9 місяців тому +1

      जिनवाणी के लिए सर्वस्व समर्पण चाहिए, दोषारोपण नहीं।

    • @DevendrakumarJainBijoliya
      @DevendrakumarJainBijoliya 9 місяців тому +1

      @@CharchaSamadhanSangrah जो सँवयं दोषपूर्ण हो उसे सब वैसे ही दिखते हैं भाई ,इनका दोष नहीं।

    • @PCJain-ov4fw
      @PCJain-ov4fw 6 місяців тому +1

      सावन के अंधे को सब तरफ हरा ही हरा दिखता है , आप लोगो के पंडित विना पैसे लिए दसलक्षण में ,विधान आदि करने नहीं जाते इसलिए आपको सभी पंडित वेतनभोगी दिखते हैं।भिखारी चक्रवर्ती की संपदा का अनुमान नहीं कर सकता उसी तरह आप जैसे लोग आदरणीय श्री देवेन्द्र कुमार जी साहब को क्या समझोगे।

  • @jainism6893
    @jainism6893 Рік тому +4

    Jab tak bharast sadhu ko to hum bhi nhi mante lekin jo sadhu achi charya wale h unko tum kanjist nhi manoge tab tak kanji wale aur digamber samaj ek nhi ho sakte ye patthar ki lakeer h

    • @gurukahan-pb7cm
      @gurukahan-pb7cm Рік тому

      दिगंबर समाज हम है तुम तो अंधभक्त हो 😂😂😂😂😂😂😂

    • @jyotihawale3226
      @jyotihawale3226 Рік тому +1

      Swayam Purvacharyoka Granthhonka swadhyay Karo fir batana ki kya sahi aur kya galat

    • @jainism6893
      @jainism6893 Рік тому

      @@jyotihawale3226 kanjist 😃

  • @amburedevichand
    @amburedevichand 5 місяців тому

    आग म. को. आगे.कर. जो. मुनी. जो. मन में. आया. ओ. बोल. रहे. हैं. बिमार. हैं. शुगर. से. पीडित. हैं.

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  5 місяців тому +1

      @@amburedevichand आगम सर्वोपरि है, परीक्षा प्रधानी होकर आगम की बात का निर्णय करना चाहिए।

  • @amburedevichand
    @amburedevichand 5 місяців тому +1

    जैन.हैं. ये. काफी.हैं. उनका. कार्य. म हा न.हैं. ओ. मुनिका. आदर. करते. थे.(८४) शाका ये.हैं.धर्म.के.आप. सब.सत्य.. जाणकारी. बोल. रहे.हो.आचार्य. कानजी.स्वामी.को. शत.शत.प्रणाम.आखिल.भारतीय. दिगंबर. जैन. समाज. के. संग टक.. प्रमुख. हर. बात. को. स्वीकार. करते.हैं.

  • @mukeshvakharia1981
    @mukeshvakharia1981 Рік тому +1

    Bhoot sunder kahan gurudev no jai ho VADODARA🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

  • @ashokjainkota6372
    @ashokjainkota6372 9 місяців тому

    आपके पूज्य आदरणीय कानजी स्वामी ने सम्यक दर्शन प्राप्त करने का बहुत ही आसान तरीका बताया था, उन्होंने कहा था कि चंपा बहन के तलवे चाटने से सम्यक दर्शन हो सकताहै, उन्ही चंपा बेन ने कानजी स्वामी को धात की खंड का सूर्य कीर्ति नाम के तीर्थंकर होना बता दिया, वर्तमान में कानजी स्वामी और चंपा बहन के भक्तों ने सूर्य कीर्ति की प्रतिमा को सोनगढ़ में विराजमान कर दिया, कानजी स्वामी ने यह भी बताया कि वह पूर्व जन्म में सीमंधर भगवान के समव शरण में गए थे,वह राजकुमार थे, कानजी स्वामी को पूर्व जन्म की बातें याद थी, और उन्होंने बताई, चंपा बेन को कानजी स्वामी को भविष्य का तीर्थंकर बता दिया,
    गजब का ज्ञान था भाई दोनों का, ऐसी बात दिगंबर जैन , जिसे थोड़ा सा भी ज्ञान है वह नहीं कर सकता, इन्ही के भक्त आदरणीय विद्वान पंडित श्री हुकम चंद जी भारिल्ल ने 2012 में अमेरिका कैलिफोर्निया के Milpitas जैन मंदिर में (मेरे सामने) प्रवचन के समय एक प्रश्न के जवाब में कहा कि मैं स्वयं (पंडितजी) तो सम्यक दृष्टि नहीं हूं किंतु कानजी स्वामी सम्यक दृष्टि थे,
    मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि उन्होनें कानजी स्वामी को गुरु मानने के बाद स्वयं को सम्यक दृष्टि नहीं माना,

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  9 місяців тому +1

      आपको और हमें भी सम्यग्दर्शन प्राप्त हो यही भावना...

    • @pavanjain5330
      @pavanjain5330 6 місяців тому +1

      एकदम सही विष्लेषण

    • @PCJain-ov4fw
      @PCJain-ov4fw 6 місяців тому +2

      जाति स्मरण किसी को भी हो सकता ।विदेह क्षेत्र से आयु पूर्ण कर भरत क्षेत्र में आने में क्या बाधा हैं भाई,कुछ भी बोलते हो। जीव अपने परिणामों के हिसाब से तीर्थंकर भी हो सकते हैं, स्वर्ग में भी जा सकते हैं। जैसी मति वैसी गति। इसमें क्या आश्चर्य है।

  • @vaibhavshah4775
    @vaibhavshah4775 Рік тому +3

    Kanji swami vale vartman munirajo ko kyo nahi mante?
    Unaka apaman kyo karate he??

  • @anshjain8968
    @anshjain8968 2 роки тому +6

    Digambar sadhu kyu nhi bane agar unko lagta tha ki aaj k sadhu sahi charya nahi karte to unko example set karna chaiye tha sacche digambar sadhu banke

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому

      चश्मा लगाने वाले दिगम्बर साधु नही बन सकते भाई।

    • @anshjain8968
      @anshjain8968 2 роки тому +2

      @@CharchaSamadhanSangrah kapde pehne huye judge nahi kar sakte kyuki unka chasma kisi संसारी सुख k liye nahi h aagam k adhayan k liye tha sadhu kai prakar k hotey jo agma me leen ho jinko shravak ko pdane se matlab nahi vo jungle ne tap me leen rehte unko jarurat nahi h but aaj sansar me shravak ko shi marg pe rakhne k liye sadhu ko unke bich rehna padta h or unko agam ka gyaan dena padta h

    • @anshjain8968
      @anshjain8968 2 роки тому +3

      @@CharchaSamadhanSangrah isliye kehte h jarurat se jyada gyaan bhi haanikarak h samay-saar rat liya bs lekin uska koi fayda nahi diya samaj ko balki muniyo ko judge karne wale log bana diye

    • @anshjain8968
      @anshjain8968 2 роки тому +3

      @@CharchaSamadhanSangrah or judge kro lekin iska matlab ye nahi unko nakar hi do kyuki vo sadhu roop me kabhi bhi apni charya me sudhaar laa sakte h

    • @anshjain8968
      @anshjain8968 2 роки тому +2

      @@CharchaSamadhanSangrah aap ek grahasth ko guru bana sakte h lekin h thode sithilachari sadhu ko nahi jo kabhi bhi sudhar kar apna aachran sahi kar sakte h

  • @sanjayjain2384
    @sanjayjain2384 2 роки тому +5

    गुर देव तो सिर्फ पांच को ही कहते हैं।।
    आज हर शास्त्र के ऊपर फोटो और पुज्य कहना क्या यह ग्रहीत मिथ्यातव में आएगा या नहीं।।
    इस पर भी प्रकाश डालें।। जिससे समझ भी बड़े।।

    • @DevendrakumarJainBijoliya
      @DevendrakumarJainBijoliya 2 роки тому +5

      अवश्य प्रकाश डालेंगे।अभी समय मिलने पर और भी ओडियो बनाये जाएंगे ,सभी प्रश्नों का समाधान कियि जाएगा ।पूर्वाग्रह से दूर रहकर समझना चाहेंगे ,उनका समाधान होगा।बाकी तो तीर्थंकर भी किसी को नही समझा सकते ।प्रतीक्षा कीजिए, हर बिंदु पर चर्चा की जाउगी

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому +4

      सम्यग्दृष्टि जीव देवों द्वारा भी पूज्य है चाहे वह मनुष्य हो या तिर्यंच।
      रही बात गुरुदेव की तो शायद आपके यहाँ शिक्षक को नाम लेकर अनादर से बोलते होंगे, हमारे यहाँ तो आज भी गुरुजी ही बोलते हैं।

    • @sanjayjain2384
      @sanjayjain2384 2 роки тому +4

      @@CharchaSamadhanSangrah
      यह तो शायद केवली ही के ज्ञान में आता है कि कौन सम्यक दृष्टि है।।पर आप कह रहे हैं तो शायद आपकी वाणी सही होगी।।
      क्यों कि मुझे समझना है फालतू की बहस में नहीं पड़ना।।
      पंडित जी का जबाव और अपने जबाव में अंतर देखें
      इससे ही पता लग रहा है कि आप ज्ञानी है।।

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому +1

      @@sanjayjain2384 सद्गुरु कहें, सहज का धंधा वाद विवाद करे सो अंधा 😊🙏

    • @siddharthjain6912
      @siddharthjain6912 2 роки тому +3

      @@CharchaSamadhanSangrah is jagat mein teen sharan hi sachi sharan hai- dev shastra guru ki sharan.....
      Dekha jaye toh tithankar bhangwan bhi bachpan se samyak drasti hote hai parantu jabtak ve saiyam ko dharan kr muniraaj nhi bnte tbtk be bhi pujya nhi hote, agr hote toh baal avastha me unki pratima apne mandiro me pujya niya hoti....

  • @kalpanameghani8213
    @kalpanameghani8213 Рік тому +5

    Hamare liye Gurudevshree sarvashv the hai aur rahenga.

  • @sureshjain6336
    @sureshjain6336 Рік тому +4

    संयम धारण की योग्यता बढ़ाओ तभी दिगम्बर कह लाएंगे नहीं तो पुज्य गुरुदेव सुधासागर जी से सुनें.....

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  Рік тому +2

      संयम का अर्थ समझो भाई, सम्यग्दर्शन से पहले होता है या बाद में विचार करो!

    • @chhaganlaljain5197
      @chhaganlaljain5197 Рік тому +4

      सच्चा संयम तो सम्यकदर्शन के बाद ही होता है जो आत्मानुभूति पुर्वक ही होता है कोई मिथ्या दृष्टि भी अगर नग्नदिक्षा धारण करे उसका आगम मे भी निषेध तो नही है लेकीन जबतक आत्मानुभूति सहीत सातवे गुणस्थान को प्राप्त नही हो जाता तबतक मिथ्या दृष्टि द्रव्य लिंगी ही है पहले सातवा गुणस्थान आता है फिर छठा आता है

    • @dineshjain1009
      @dineshjain1009 11 місяців тому +4

      वस्त्र उतारना संयम नहीं है। स्वरूप रमणता पूर्वक इंद्रिय निरोध और अहिंसक आचरण संयम होता है।

    • @DevendrakumarJainBijoliya
      @DevendrakumarJainBijoliya 11 місяців тому +1

      सुना तुम्हारे सुधासागरजी को आजकल ताजमहल को मनोवैज्ञानिक तीर्थ बताकर अपनी बुद्धि का दिवालियापन दर्शा रहे हैं

    • @ashokjainkota6372
      @ashokjainkota6372 11 місяців тому

      ​@@DevendrakumarJainBijoliya
      आदरणीय कानजी स्वामी श्वेतांबर कुल में पैदा हुए, श्वेतांबर गुरु से दीक्षा लेकर श्वेतांबर साधु बने, श्वेतांबर ग्रंथो का अध्ययन किया, फिर फिर पंचम काल के दिगंबर आचार्यों के द्वारा प्रणीत ग्रंथो का अध्ययन किया,बाहर से वेष भी यथावत श्वेतांबर साधु का ही रहा,यदि दिगंबर धर्म ग्रहण किया होता,तो दिगंबर भेष होता,पंडित,प्रतिमाधारी, एलक,क्षुल्लक का वेष होता,अंत समय तक श्वेतांबर साधु का ही वेश रखा,उपलब्ध ग्रंथो को पढ़ कर बिना किसी निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज से ज्ञान लिए स्वयं उनका प्रवचन स्वयं की समझ और ज्ञान के हिसाब से करने लगे, स्वयं को और उनके भक्तों को मुमुक्षु (यानी मोक्ष मार्गी,यानी रत्नत्रयधारी मुनिराज)मानने लगे, समयसार जैसे महान ग्रंथों का स्वाध्याय करने के बाद भी पंच परमेष्ठी मैं वर्तमान में उपलब्ध आचार्य परमेष्ठी एवम साधु परमेष्ठि के दर्शन की,वंदना की,पूजा की, वैया वृत्ति की,आहार देने की,भावना नहीं हुई, मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए, रत्नत्रय धारण करने के लिए,मुनि बनने के लिए,संयम के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए ,न तो किसी को प्रेरणा दी और न स्वयं आगे बढ़े , यह ज्ञान होने के बाद भी कि पंचम काल के अंत तक भावलींगी मुनिराज का सद्भाव रहेगा,फिर भी सभी मुनियों में शिथिलाचारी मुनिराज को ही ढूंढते रहे, आदरणीय कानजी स्वामी के द्वारा किए हुए स्वाध्याय के द्वारा जो उन्होंने प्रवचन किए हैं ,उनसे पिछले लगभग 80 वर्षों में उन्हें गुरुदेव श्री मानने वाले भक्तों में एक भी व्यक्ति मोक्षमार्ग पर आगे नहीं बढ़ा, एक भी व्यक्ति मुनि नहीं बना,उत्कृष्ट श्रावक ऐलक जी,क्षुल्लक जी भी नहीं बना ,जो भी कानजी स्वामी को गुरु मानते हैं,उनके मुनिराज के दर्शन वंदना के भाव ही नही होते,क्योंकि उन्होंने यही समझा है कि सभी मुनिराज शिथिलाचारी ही है, उन्हें तो सामने मुनिराज आते हुए दिख जाए तो अपना मुंह फेर लेते है,(शायद कोई दिव्य ज्ञान हो जिससे किसी भी मुनिराज को बिना देखे ही उनकी चर्या एवम मूलगुणो के बारे में पता चल जाता है )वर्तमान में जो उत्कृष्ट प्रतिमा धारी श्रावक ऐलक जी,क्षुल्लक जी महाराज हैं उनकी विनय के भाव भी नहीं बनते,वहां तो शिथिलाचर वाला भी कोई प्रश्न नहीं है,
      आदरणीय कानजी स्वामी ने अंतिम समय में भी "मुझे संथारा दिला दो" ऐसा पंडित सुमत प्रकाश जी ने समाधि मरण के प्रवचन में कहा है , यदि वह दिगंबर होते तो संथारा की बजाय सल्लेखना या समाधिमरण की बात उनके मुंह से निकलती,
      ua-cam.com/video/bdKZZvZ7qqk/v-deo.htmlsi=sG5bB-rTJL_IT4J3
      आदरणीय पंडित जी आपमें और कानजी स्वामी में कोई अंतर नही है,उन्होंने बिना निर्ग्रंथ दिगंबर गुरु के शास्त्रों का अध्ययन करके प्रवचन किए,आप भी शास्त्रों का अध्ययन करके और कानजी स्वामी के प्रवचन सुन कर प्रवचन करते हो,जो अन्य समाज के कथा वाचक है वह भी उनके शास्त्रों को पढ़कर प्रवचन करते हैं,मुद्रा और आचरण आदरणीय कानजी स्वामी का ,आपका और अन्य समाज के कथा वाचक का ,सबका ग्रहस्थ , परिग्रह धारी का ही है, गुणस्थान सबका एक जैसा है,संयम किसी के भी नहीं है,फिर तो आप भी और आपके जैसे विद्वान प्रवचनकर्ता भक्तों के लिए सभी पूज्य गुरुदेव श्री ही है, सम्यक दृष्टि के गुरु तो निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज ही होते है, वस्त्र धारी गुरु
      तो श्वेतांबर एवम अन्य अजैन धर्मो में होते है ,दिगंबर जैन धर्म में नहीं,,इसलिए दिगंबरत्व पर आपका प्रवचन ,गलत को सही सिद्ध करने का प्रयास है,
      🙏यदि मैंने कुछ भी गलत लिखा है तो कृपया मुझे अवश्य बताएं जिससे मैं अपनी जानकारी सही कर सकूं,🙏
      इस वक्तव्य से आपको जो भी दुःख हुआ है उसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं 🙏
      अशोक जैन🙏
      आदरणीय कानजी स्वामी जीवन के अंतिम समय तक श्वेतांबर ही थे , क्योंकि उन्होंने अंतिम समय में हॉस्पिटल में बार बार यही कहा कि मुझे संथारा दिला दो,मुझे संथारा दिला दो, ऐसा पंडित सुमत प्रकाश जी ने समाधि मरण के प्रवचनों में कहा है,यदि दिगंबर होते तो सल्लेखना की कहते,कृपया सुमत प्रकाश जी का लिंक सुन लें,जो नीचे दिया है
      ua-cam.com/video/bdKZZvZ7qqk/v-deo.htmlsi=TzmwK8s198j502Vm

  • @sethvinodjain1729
    @sethvinodjain1729 2 роки тому +4

    मान्यवर! एक बार निवेदन करना चाहूँगा कि वर्तमान के वर्धमान सन्त शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी के पादमूल में विराजकर सिद्धान्तों पर चर्चा की जाए तब यह भ्रान्ति है या फिर सच्चाई हस्ताकमलवत् स्पष्ट हो जाएगी। पञ्चमकाल में भी तीर्थंकर के अभाव में भी तीर्थंकर प्रकृति का बंध आदि विषय का भी खुलासा करें।
    पर आचार्य श्री के पास जरूर जाना।
    हठाग्रह छोड़ो दिगम्बरत्व का विरोध

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому +4

      चर्चा उससे की जाए जो समझना चाहे, जो समझाना चाहे उसे कौन समझा सकता है। आपने खानियाँ तत्त्वचर्चा का नाम तो सुना ही होगा, इसे पढ़ लीजिये सब शंकाएं दूर हो जाएंगी।
      www.vitragvani.com/uploads/pdfs/C/Jaipur(khaniya)_Tattavcharcha_Part-1_H.pdf
      www.vitragvani.com/uploads/pdfs/C/Jaipur(khaniya)_Tattavcharcha_Part-2_H.pdf
      रही बात तीर्थंकर प्रकृति की, वह तो पंचम काल में बंधती नही। ना हम मानते और ना चाहते कि वर्तमान में कोई 25वां तीर्थंकर बनकर बैठ जाये।

    • @sethvinodjain1729
      @sethvinodjain1729 2 роки тому +3

      मेरे द्वारा किसी को तीर्थंकर सिद्ध नहीं किया।
      शायद अलङ्कार शास्त्र की वृत्तियों से अनजान बन रहे हैं आप।
      जबकि आपके ही एक तथाकथित विदुषी के द्वारा सग्रन्थ गुरु को अगले भव में तीर्थंकर बनेंगे ऐसा कह दिया गया है।
      इसका मतलब क्या समझा जाए।
      रही बात समझने की आप आईए हमारे साथ चलते हैं गुरुजी के पादमूल में।

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому

      @@sethvinodjain1729 पादमूल तो केवली श्रुतकेवली का होता है भाई हर किसी का नही।

    • @sethvinodjain1729
      @sethvinodjain1729 2 роки тому +1

      @@CharchaSamadhanSangrah भाई जी पादमूल का अर्थ चरण सन्निधि में बैठकर होता है।
      व्याकरण, न्याय साहित्य के साथ जैनागम केप्रत्युत्तर की आशा रखते हैं।

    • @sethvinodjain1729
      @sethvinodjain1729 2 роки тому +2

      तथाकथित विदुषी के द्वारा अमुक तीर्थंकर बनेंगे इस सन्दर्भ में आपकी लेखनी प्रवृत्त नहीं हुई।

  • @komaljain1273
    @komaljain1273 11 місяців тому

    Digamber ko manate kyo nahi

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +1

      दिगम्बर भगवान और उनकी निर्ग्रन्थ वाणी के अनुसार मुनिराज भी निर्ग्रन्थ दिगम्बर ही होते हैं। भगवान की वाणी के अनुसार न चले और स्वयं को मुनि कहें, उन्हें कैसे साधु मान सकते हैं?

    • @aviraljain9729
      @aviraljain9729 11 місяців тому

      Kitne abhaage hai hum… sakshaat chalte phirte teerth hone ke baad bhi .. songad mai abhi panchkalyanak mai suryakeetthi ( kanji ki murti) viraajman kar rahe hai … inme sakshaat saadhuon ke darshan nahi kiye jaate… asli sithlachaari ko ye log hai ghar baithke bolenge ki bhagwaan aur hum same hai dravya drashti se dekhe to… charitra ke bina gyan kis kaam hai hai bhai… bhulene bhagwaan che par che to bhagwaan ne .. jaisa kanji bina petrol ke gaadi chalata fha waise hi bina charitra ke moksha bhi pahuchaata hai kya?

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому +1

      @@aviraljain9729 समझो और निर्णय करो भाई

  • @jainism6893
    @jainism6893 Рік тому +3

    Muthhi bhar kanjist 40 lac digambaro ka apman kare wo sahi h sabhi digamber guruo ko na mankar kanjisto ne digamber samaj ka apman kiya h

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  Рік тому +2

      स्वाध्याय करो भाई तभी समझोगे, यहाँ वाद विवाद का कोई लाभ नही।

    • @dineshjain1009
      @dineshjain1009 11 місяців тому +1

      स्वाध्याय परमं तप:

    • @jainism6893
      @jainism6893 11 місяців тому

      @@dineshjain1009swadhyay ka fal h tap diksha charitra kanjisto aise swadhyay ka kya fayda jisse koi bhi kanjist aaj tak charitra ko prapt nhi hua

    • @sangeetashah7008
      @sangeetashah7008 9 місяців тому

      Pahele purvacharyo ke shastrome se charitra kise kahte he vo to samjo

  • @sethvinodjain1729
    @sethvinodjain1729 2 роки тому +3

    महाशय! आचार्य कुन्दकुन्द के वास्तविक प्रहरी तो दिगम्बर सन्त हैं।
    आचार्य कुन्दकुन्द महाराज की बातें बोलना नहीं चरितार्थ करना है उसके लिए दिगम्बरत्व धारण करना आवश्यक है।
    जो दिगम्बरत्व का विरोध करे वह दिगम्बर कैसे कहा जाए चिन्तनीय है।

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому +3

      वस्त्र उतारने में और अंतर्बाह्य परिग्रह का त्याग करने में अन्तर है महानुभाव! जो समझना चाहे वह समझे।

    • @sethvinodjain1729
      @sethvinodjain1729 2 роки тому +3

      @@CharchaSamadhanSangrah ओहो! तो अब आपको अंतरंग परिणामों के बारे में भी ज्ञात है।
      अच्छा यह बता दीजिए कि इस जगत में वर्तमान में कितने सम्यग्दृष्टि और कितने मिथ्यादृष्टि हैं।

    • @siddharthjain6912
      @siddharthjain6912 2 роки тому +8

      Satya hai aacharya kundkund ke anugami toh bhaav lingi digambar muniraj hi hai.
      Kanji swami ne swayam kha h vah munirajo ke daas nu daas hai....
      Vastav me ve digambaratva ke nhi pakhndi ke virodhi rhe hai...

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  2 роки тому

      @@siddharthjain6912 सही

    • @sacchajain
      @sacchajain 2 роки тому +3

      @@sethvinodjain1729 अगर कुछ भी पूर्व आचार्य द्वारा लिखित ग्रंथो का स्वधाये किया होता तो यह प्रश्न नहीं होता .. वैसे भी जिसके अंदर इतना द्वेष भरा हो उसको जिनवाणी नही उतरती

  • @akashrautjain
    @akashrautjain 8 місяців тому

    Jinko aaj ke samay me real digambar muni nahi dikh rhe hai unko khud ko hi digambar muni banke sahi charya dikhana jaruri hai, Khud muni bante nahi bane huye ko mante nahi or fir bhi hum digambar hai ye kaise bol lete hai ?

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  8 місяців тому +1

      जिनवाणी की बातों को ना मानकर भी स्वयं को दिगम्बर जैन कहना भी कौनसी समझदारी है?

  • @jainism6893
    @jainism6893 Рік тому +1

    Mar jaoge kehte kehte ki hum bhi digamber 😂 lelin samaj tumhe apnane wali nhi h 🍌

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  Рік тому +3

      किसी के कहने से कोई धर्म पालन को मजबूर या दूर नही कर सकता।

    • @dineshjain1009
      @dineshjain1009 11 місяців тому +1

      दिगंबर कहने सुनने से नहीं होता, भाई! वीतराग धर्म को मानने से होता है। दिगंबर तो रूढ़ शब्द है।भाव समझो।

    • @jainism6893
      @jainism6893 11 місяців тому

      @@dineshjain1009 kanjisto aatma aatma kehte kehte mar jaoge lekin aatma ki sidhdhi hone Wali nhi h jab tak charitra nhi dharan karoge sirf charcha karne se ghanta milega kanji ki Tarah hi hospital me marte h charcha karne wale

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому

      क्या फर्क पड़ता है। सत्य मार्ग तो मिल गया ना।
      मै तो कहता हूँ की कांजी स्वामी की बातों को मानने वाले लोग नंगों को दिगंबर मानना छोड़ दे।
      🤪🤪🤪

  • @Samaysaar-f6x
    @Samaysaar-f6x 10 місяців тому

    मेरा दिगंबर बंधुओं से निवेदन है, ये काल दुखमा है, दुख तकलीफ परेशानियां होंगी ही, मिथ्यात्व तुम्हे अपनी ओर आकर्षित करेगा ही, लेकिन तुम अपने अनादिकालीन मार्ग से च्युत मत होना, ऐसे कई कांजी आएंगे, सब अपने अपने हिसाब से श्रुत की परिभाषाएं बदलेंगे, लेकिन तुम अडिग रहना, तुम वो हो जिसे करोड़ों करोड़ों साल पहले मारीच द्वारा चलाए गए 363 मत प्रभावित नही कर पाए, तुम वो हो जो जिन धर्म का अभाव होने पर भी अपने मार्ग पर अडिग रहे, तुम वो हो जिसे वेद पुराण वाले पंडित नहीं भटका पाए, तुम वो हो जो बुद्ध के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ तुम वो हो जो चंद्रगुप्त के समय पड़े अकाल के कारण भी परिवर्तित नहीं हुए, तुम वो हो जिसने विदेशी आक्रमण कारी के समय भी खुदको अडिग रखा तुम वो हो जो जिसे मुगल और अंग्रेज भी मार्ग से नही भटका पाए, तुम वो भी हो जो 50 साल पहले आए कहान की कहानी में नहीं उलझे, और इस कई कहान अपनी अपनी कहानी लेकर आएंगे, महावीर स्वामी की वाणी है, पंथ बनेंगे बनते रहेंगे, लेकिन तुम अपने समयक्त्व पर अडिग रहना। मोक्षमार्ग आसान नहीं है, चरित्र अंगीकार करना आसान नहीं है, मुनियों की निंदा से संबंधित कई प्रसंग तुम्हारे सामने आएंगे, लेकिन तुम इस कारण से पंथ मत बदल लेना, सम्यकदर्शन के 8 अंगों का चिंतन करना जिसमे से एक स्थितिकरण अंग है, इसको तुम अपना कर्तव्य समझ लेना, तुम ये भी समझना की द्रव्य क्षेत्र काल भाव की अपेक्षा से चरित्र में प्रभाव पड़ते हैं, प्रमाद वस व्रतों में अतिचार लगते हैं, अगर मुनि बनने के बाद चरित्र में कोई दोष लगते ही नहीं तो फिर, 6th गुणस्थान के बाद का जीव कभी नीचे गिरता ही नहीं, अतिचार और अतिचारो के प्रश्चित का कोई विधान ही नहीं होता, मुनि की चर्या में प्रतिक्रमण जैसा कोई शब्द ही नहीं होता, ये कह देना की मुनि बनना इतना महान है की मुनि बना ही नहीं जा सकता इससे बड़ी कोई मूर्खता नहीं होगी, और ये सोचना की मुनि वही बने जो मोक्ष पहुंचने तक कभी मार्ग से न भटके तभी बने अथवा न बने ये उससे भी बड़ी मूर्खता की बात है, गिरने के डर से कदम आगे बढ़ाया ही न जाए, ये न किसी सांसारिक सफलता के लिए उचित है, और न ही वीतरागिता के मार्ग के लिए। मोक्ष मार्ग के लिए किसी वस्त्रधारी को सच्चा गुरु कहना ही अपने आप में तुम्हे सम्यकदर्शन से दूर ले जाता है, फिर उनका अनुसरण या अनुकरण करना तो क्या ही होगा। जिस व्यक्ति को तुम लोग गुरु बोल रहे हो उस व्यक्ति ने दिगंबरत्व के स्कूल में सिर्फ पहली कक्षा में एडमिशन लिया था, और उसकी भी वो ABCD अच्छे से नहीं सीख पाया। ठीक उसी प्रकार जैसे VEGAN लोग खुदको शाकाहारी से श्रेष्ठ बताते 😂 कहते हम तो शाकाहारी से भी ज्यादा शाकाहारी हैं, अब दूध को मांस और बेसन और सोयाबीन की हड्डी बनाकर वेगन कबाब बनाने वालो को पानी छानना, आटे नमक की मर्यादा, 22 अभक्ष सत असत का भेद कौन बताए😅। बेसई ये कंजाइष्ट हैं जो खुदको दिगंबरो से ज्यादा मुनिभक्त बताते हैं, अब इन बगुलभक्तो को कौन समझाए मुनिव्रत।

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  10 місяців тому +2

      अधिक लिखा है, इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि आप चिन्तन भी अधिक करते होंगे। वाद-विवाद से कोई लाभ नहीं, स्वाध्याय करो और सही निर्णय पर पहुंचो भाई!

    • @Samaysaar-f6x
      @Samaysaar-f6x 10 місяців тому

      ​@@CharchaSamadhanSangrah आप लोगों से भी निवेदन है कि अब स्वाध्याय से आगे बढिए, व्रत सिर्फ पढ़ने के लिए ही बस नहीं लिखे, और न ही व्रतियों के अतिचर इत्यादि को देखकर उनकी निंदा करने के लिए, बोधि दुर्लभ भावना का चिंतन कीजिए मेरा कमेंट पढ़ने के बाद, कितनी दुर्लभतम पर्याय मे हो जान जाओगे, इस शरीर के साथ संयम धारण किया जा सकता है, महाव्रत धारण किए जा सकते है, शुद्ध भाव भी धारण किए जा सकते है इसी काल में ये स्वयं महावीर स्वामी की वाणी है "पंचम काल के अंत तक मुनि रहेंगे", कम से कम उन्हें झूठा तो मत कहिए और तो और आपके लिए पूज्य गुरुदेव कानजी स्वामी चूंकि मोक्ष मार्ग की अपेक्षा से किसी वस्त्रधारी को पूज्य और गुरुदेव की संज्ञा देने से ही सम्यक दर्शन के अमूढ दृष्टि अंग में दोष लग जाएगा इसे जरूर पढ़ना, बहरहाल जो आपके गुरुदेव हैं उन्होंने स्वेतंबर मुनि से दिगंबर अ वृति श्रावक कहलाना ही उचित समझा तो शिष्य का कर्तव्य होता है की गुरु जिस पथ पर चले हैं कम से कम उसी पथ पर आगे बड़े, आपके गुरु किन्ही कारणों से व्रत संयम इत्यादि धारण नहीं कर पाए तो कम से कम एक अच्छा शिष्य बनकर आप लोग आगे बड़ो, उनके पास बहुत कारण थे रुकने के, एक तो जिस पंथ से उन्होंने बदलाव किया था उसका प्रेशर, इस बदलाव से अचानक viral होने से मान का बड़ जाना और चर्या कठिन लगने के कारण प्रमाद करना एवं पूर्व के स्वेतंबरत्व के गहरे संस्कार इत्यादि, कारणों से वो अव्रती रह गए, लेकिन आप लोग थोड़ा आगे बढ़िए, क्यों रुके हुए हो?

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  10 місяців тому +1

      @@Samaysaar-f6x जिस जिनागम में मुनिराज का पंचम काल में सद्भाव कहा है उसी में मुनिराज के मूलगुण उत्तरगुण भी लिखें हैं। आशा है आप भी उन्हें पढ़े और समझेंगे।

    • @MahaveerOnline-qe3zy
      @MahaveerOnline-qe3zy 9 місяців тому +1

      @@CharchaSamadhanSangrah अरे भाई साहब इन मूर्खो को समझाने से कोई लाभ नहीं। जो कुछ जानता नहीं वही बिना सोचे समझे भौकना शुरू कर देता है।

  • @shubhamjain-oz3yz
    @shubhamjain-oz3yz 8 місяців тому

    Ye na digamber hai na shwetambar hai ye to bich me latke pde hai bs kisi din muh ke bal girenge us din shanti ho jayegi samaj me...or ese insan ko gurudev keh kr shri lga kr kripya in shabdo ka mehatva km na kare

  • @Vegan_Voice
    @Vegan_Voice 11 місяців тому +2

    Me Digamber Jain Hu aur aap ka video Digamber Jain samaj me fele gue bhram ko aap ka yeh prayas prashansniya hai.

    • @yennk3603
      @yennk3603 9 місяців тому

      🧐🧐 विचार करें कि श्री कानजी भाई ने
      न नौकर-चाकर त्यागे..न मोटर कार ..
      न रसोईया ..न स्लीपर..न ए सी..
      न अंग्रेजी दवाइयां..न अस्पताल।
      और अपनी इसी सुख-सुविधा पूर्ण चर्या
      को स्वीकार्यता प्रदान करवाने के लिये वे,
      जो भी तात्कालीन दिगंबर आचार्य- उपाध्याय- साधु परमेष्ठि थे, उनके बाह्य संयम स्वरूप के बारे में नई- नई परिभाषाएं गढ़कर, उनके प्रति सुविधा भोगी लोगों के मन में अरुचि और द्वेष पैदा करने में अति सफल रहे। वे चेलों को
      मोक्ष के हवा-हवाई सपन बाग दिखाते रहे।..
      ..आ..हा..हा..परम आनंद ज्ञान स्वरूपी भगवान आत्मा ...तू तो भूला हुआ भगवान आत्मा है, स्वयं भगवान है.. शुद्ध द्रव्य है, पर से भिन्न है आत्मा .. अनंतकाल से बाह्य दिगंबर स्वरुप धारण कर तुझे क्या मिला..अब तो चेत। ..आदि -आदि बोलकर वे चेलों को भ्रमित करने में सफल रहे।.. (जैसे कि वर्तमान में केजरीवाल सफल रहा)..।.. ज्ञानस्वभावी आत्मा पर से भिन्न है , आत्मा आनंद स्रोत है, कहने वाले कानजी भाई इसी अचेतन-पर का इलाज कराने अस्पताल चले गये और वहीं से देह त्याग कर दिये। इसी को उनके चेले
      समाधि बताकर छल करते हैं।
      सुविधा भोगी लोगों को, सेठियों को लगता रहा कि सोनगढ़िये बनकर उन्हें, बिना दिगंबर आचार्य-उपाध्याय-साधु बने, मोक्ष का शार्ट कट मिल गया है‌। आत्मा..आ..हा..हा..आत्मा करके उनकी तो सीट भी मोक्ष में बुक हो गई है। इसी का झांसा देकर, साधुओं का अंतरंग दूषित बताकर, सारे सोनगढ़िये पंडित नोट छापने में लगे हैं। आजतक कोई
      भी सोनगढ़िया किताब जमा खर्च से आगे
      बढ़ा हो तो अवश्य विचार करना।
      गजब धूर्तता है।🧐🧐🫢🫢

  • @hansagala724
    @hansagala724 5 місяців тому

    🙏🙏🙏

  • @ashokjainkota6372
    @ashokjainkota6372 11 місяців тому +3

    आदरणीय कानजी स्वामी श्वेतांबर कुल में पैदा हुए, श्वेतांबर गुरु से दीक्षा लेकर श्वेतांबर साधु बने, श्वेतांबर ग्रंथो का अध्ययन किया, फिर फिर पंचम काल के दिगंबर आचार्यों के द्वारा प्रणीत ग्रंथो का अध्ययन किया,बाहर से वेष भी यथावत श्वेतांबर साधु का ही रहा,यदि दिगंबर धर्म ग्रहण किया होता,तो दिगंबर भेष होता,पंडित,प्रतिमाधारी, एलक,क्षुल्लक का वेष होता,अंत समय तक श्वेतांबर साधु का ही वेश रखा,उपलब्ध ग्रंथो को पढ़ कर बिना किसी निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज से ज्ञान लिए स्वयं उनका प्रवचन स्वयं की समझ और ज्ञान के हिसाब से करने लगे, स्वयं को और उनके भक्तों को मुमुक्षु (यानी मोक्ष मार्गी,यानी रत्नत्रयधारी मुनिराज)मानने लगे, समयसार जैसे महान ग्रंथों का स्वाध्याय करने के बाद भी पंच परमेष्ठी मैं वर्तमान में उपलब्ध आचार्य परमेष्ठी एवम साधु परमेष्ठि के दर्शन की,वंदना की,पूजा की, वैया वृत्ति की,आहार देने की,भावना नहीं हुई, मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए, रत्नत्रय धारण करने के लिए,मुनि बनने के लिए,संयम के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए ,न तो किसी को प्रेरणा दी और न स्वयं आगे बढ़े , यह ज्ञान होने के बाद भी कि पंचम काल के अंत तक भावलींगी मुनिराज का सद्भाव रहेगा,फिर भी सभी मुनियों में शिथिलाचारी मुनिराज को ही ढूंढते रहे, आदरणीय कानजी स्वामी के द्वारा किए हुए स्वाध्याय के द्वारा जो उन्होंने प्रवचन किए हैं ,उनसे पिछले लगभग 80 वर्षों में उन्हें गुरुदेव श्री मानने वाले भक्तों में एक भी व्यक्ति मोक्षमार्ग पर आगे नहीं बढ़ा, एक भी व्यक्ति मुनि नहीं बना,उत्कृष्ट श्रावक ऐलक जी,क्षुल्लक जी भी नहीं बना ,जो भी कानजी स्वामी को गुरु मानते हैं,उनके मुनिराज के दर्शन वंदना के भाव ही नही होते,क्योंकि उन्होंने यही समझा है कि सभी मुनिराज शिथिलाचारी ही है, उन्हें तो सामने मुनिराज आते हुए दिख जाए तो अपना मुंह फेर लेते है,(शायद कोई दिव्य ज्ञान हो जिससे किसी भी मुनिराज को बिना देखे ही उनकी चर्या एवम मूलगुणो के बारे में पता चल जाता है )वर्तमान में जो उत्कृष्ट प्रतिमा धारी श्रावक ऐलक जी,क्षुल्लक जी महाराज हैं उनकी विनय के भाव भी नहीं बनते,वहां तो शिथिलाचर वाला भी कोई प्रश्न नहीं है,
    आदरणीय कानजी स्वामी ने अंतिम समय में भी "मुझे संथारा दिला दो" ऐसा पंडित सुमत प्रकाश जी ने समाधि मरण के प्रवचन में कहा है , यदि वह दिगंबर होते तो संथारा की बजाय सल्लेखना या समाधिमरण की बात उनके मुंह से निकलती,
    ua-cam.com/video/bdKZZvZ7qqk/v-deo.htmlsi=sG5bB-rTJL_IT4J3
    आदरणीय पंडित जी आपमें और कानजी स्वामी में कोई अंतर नही है,उन्होंने बिना निर्ग्रंथ दिगंबर गुरु के शास्त्रों का अध्ययन करके प्रवचन किए,आप भी शास्त्रों का अध्ययन करके और कानजी स्वामी के प्रवचन सुन कर प्रवचन करते हो,जो अन्य समाज के कथा वाचक है वह भी उनके शास्त्रों को पढ़कर प्रवचन करते हैं,मुद्रा और आचरण आदरणीय कानजी स्वामी का ,आपका और अन्य समाज के कथा वाचक का ,सबका ग्रहस्थ , परिग्रह धारी का ही है, गुणस्थान सबका एक जैसा है,संयम किसी के भी नहीं है,फिर तो आप भी और आपके जैसे विद्वान प्रवचनकर्ता भक्तों के लिए सभी पूज्य गुरुदेव श्री ही है, सम्यक दृष्टि के गुरु तो निर्ग्रंथ दिगंबर मुनिराज ही होते है, वस्त्र धारी गुरु
    तो श्वेतांबर एवम अन्य अजैन धर्मो में होते है ,दिगंबर जैन धर्म में नहीं,,इसलिए दिगंबरत्व पर आपका प्रवचन ,गलत को सही सिद्ध करने का प्रयास है,
    🙏यदि मैंने कुछ भी गलत लिखा है तो कृपया मुझे अवश्य बताएं जिससे मैं अपनी जानकारी सही कर सकूं,🙏
    इस वक्तव्य से आपको जो भी दुःख हुआ है उसके लिए मैं आपसे क्षमा चाहता हूं 🙏
    अशोक जैन🙏

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому

      सबसे पहले रत्नत्रय और संयम के स्वरूप का निर्णय करो भाई!

    • @ashokjainkota6372
      @ashokjainkota6372 11 місяців тому

      @@CharchaSamadhanSangrah मैंने जो लिखा है उस से आप सहमत हैं, और आप सहमत हैं कि आदरणीय कानजी स्वामी अंत समय तक श्वेतांबर साधु ही थे🙏

    • @CharchaSamadhanSangrah
      @CharchaSamadhanSangrah  11 місяців тому

      @@ashokjainkota6372 पूज्य गुरुदेवश्री कानजी स्वामी ने श्वेताम्बर साधु की दीक्षा छोड़कर दिगम्बर अव्रती श्रावकपना अंगीकार किया था। यही वास्तविक स्थिति है, अब जो चाहे उनके बारे में कुछ भी अनर्गल प्रलाप करता रहे कोई फर्क नही पड़ता।

    • @ashokjainkota6372
      @ashokjainkota6372 11 місяців тому

      @@CharchaSamadhanSangrah कानजी स्वामी अंतिम समय में भी श्वेतांबर ही थे क्योंकि उन्होंने हॉस्पिटल में बार बार ये कहा, कि मुझे संथारा दिला दो,ऐसा पंडित सुमत प्रकाश जी के प्रवचन से प्रमाणित होता है,यदि दिगंबर होते तो सल्लेखना की भावना करते ,कृपया इस लें को सुने ,ua-cam.com/video/bdKZZvZ7qqk/v-deo.htmlsi=kqvujVbgYfVT00WB

    • @rajatjain9639
      @rajatjain9639 9 місяців тому

      बहुत ही सटीक लिखा है आपने- इन पंडित की भी बोलती बंद हो ज्ञी, कोई जवाब नहीं है इनपे। इनके एकांत और अभद्र भाषा साधुओं के लिए जो होती है उसका कोई जवाब नहीं- जब ये लोग साधुओं को मानते ही नहीं है टी टीका टिप्पणी पटानी क्यों करते है उनपे- कोई साधु डोली मे बैठे स्वास्थ्य प्रतिकूल होने पे तो बकवास करने आ जाते है- अरे भाई आप तो उन्हें पहले ही साधु नी मानते तो फ़ालतू ज्ञान काहे पलटे हो?? जो क़िस्सा सामने अता है- की आचार्य विमल सागर जी की फोटो किताब से निकलवाके पेरो से कुचलवाई थी इनके सठिओ ने- उसका ये खंडन करते है कि ऐसा हुआ या नहीं?? अगर हुआ तो अब आप सो कॉल्ड गुरु को कोई कुछ बोले तो मिर्ची लगने का क्या प्रयोजन। बिना किसी गुरु के एक जन्मजात श्वेतांबर आदमी एकदम से दिगंबर धर्म का महा ज्ञानी पंडित बन गया- वाह रे तत्व ज्ञान। उनके जो मान्यताएँ बैठी हुई थी बचपन से उसको एकदम से शून्य कर देना भोट मुश्किल था- यही वजह थी उन्होंने दिगंबर धर्म स्वीकार तो कर लिया पर सही ढंग से उसका अभिप्राय नहीं कर पाए।