कविता क्या होती है ? | अशोक चक्रधर की ज़ुबानी | What is Poetry | Ashok Chakradhar
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- Опубліковано 17 січ 2025
- मेरे एक अनुज मित्र शशिकांत सदैव ने कहा कि क्या आप मेरे लिए दो मिनिट की एक वीडियो क्लिप बना सकते हैं, जिसमें बता दें कि कविता क्या होती है? मैंने कहा दो मिनिट, यानी, एक सौ बीस सैकिंड! ये तो बहुत ज़्यादा समय है। मैं मात्र दस सैकिंड में बता देता हूँ, कि कविता क्या होती है। सुनो किसी कवि ने कविता लिखी, यदि श्रोता अथवा पाठक अथवा आलोचक मान ले कि कविता है, तो वह कविता होती है। बस बात ख़त्म!
वे मुस्कुरा के बोले, नहीं, आपके लिए कोई समय-सीमा नहीं है।
मैं भी मुस्कुरा दिया।
मैंने वीडियो बनाया। समय-सीमा तो समाप्त हो ही चुकी थी, बात ग्यारह मिनिट के लगभग हो गई।
भेज दूँगा उन्हें। वे जितना अंश चाहें रख लें।
लेकिन, उनके शब्द गूँजते रहे, 'आपके लिए समय की कोई सीमा नहीं है।'
अर्थात, मैं बात आगे भी बढ़ा सकता हूं।
अब मैं आप मित्रों से पूछता हूं कि क्या मैं बात को आगे बढ़ा सकता हूं?
इस विषय के अगले भाग भी बनाऊँ?
समय की कोई सीमा तो है नहीं।
पहले देखिए, फिर बताइए!
लवस्कार!
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#ashokchakradhar #kavita
यह जो कथन है: "कभी अर्थ के लिए शब्द ने धारी काया" - बहुत गूढ़ है । थोड़े में इतना कुछ समझाने के लिए धन्यवाद 🙏। यह समाज के गठन के साथ, साहित्य और भाषा - दोनो की रचना की बात कह देता है। रस के महत्व पर इस प्रकार प्रकाश डालने के लिए शुक्रिया। भक्तिकाल के पश्चात कविता को परिभाषित करने की आवशक्ता वाला point भी अद्वितीय है - कविताओं को पसंद करने वालों ने कभी इस तरह से नहीं सोचा होगा कि क्यों भक्ति काल की, या फिर रीति काल की कुछ कविताएँ हमें सहज ही स्पर्श कर जाती हैं और क्यों कुछ आधुनिक रचनाओं को परिभाषित और वर्गीकृत करने की ज़रूरत पड़ती है।
सरल ,सरस ढंग से कविता पर सराहनीय विश्लेषण। सादर नमन सर।
✍🏻
भावनाओं का चितेरा चित्र मन के खींचता हूँ, तुम समझते हो कवि हूँ ?
जो हृदय पर बोझ लगता उसको खुद से पूछता हूँ, तुम समझते हो कवि हूँ ?
मन बड़ा विचलित सा अपना,
अरे टूटता हर रोज़ सपना,
कौन किसका कौन अपना,
चंद रिश्तों को बचाने की जुगत नित सोंचता हूँ, तुम समझते हो कवि हूँ ?
पेट की ज्वाला बुझाने,
जाने कितने हैं ठिकाने,
अनगिनत करके बहाने,
अस्थियों पर शेष है उस मांस को फिर नोचता हूँ, तुम समझते हो कवि हूँ ?
डगमगा कर फिर सम्भलता,
पहुँचकर फिर से फिसलता,
मंद होकर फिर से जलता,
अश्क़ की धारा बहे गर स्वयं उनको पोंछता हूँ, तुम समझते हो कवि हूँ ?
हृदय पर पत्थर रखा है,
गरल जीवन का चखा है,
ढ़ेर वैरी कुछ सखा है,
कितना ऊहापोह निर्मित है स्वयं को खोजता हूँ, तुम समझते हो कवि हूँ ?
अमित द्विवेदी "मयंक"
बेहद उम्दा रचना 💞
सराहनीय रचना लिए प्रस्तुत हुए आप कवि हैं ,
निरंतर शब्दों को निचोड़ रस प्रकट हुए आप कवि हैं ।
प्रकृति बोध, सौन्दर्य महिमा शब्द की शब्दावली रहती सदा ,
लग रहा मस्तिष्क भी अब पुलकित हुआ ऐसे मिलें आप कवि हैं ।
🙏🙏
चक्रधर जी ने अपनी शैली में कविता को प्रणाम किया और एक सुखद विवेचना की
This man truely deserves Bharat Ratna! Great poet! Pride of India!
संवेदनात्मक भाव के रासात्मक अभिव्यक्त ही कविता है ।
ऎसा लगता है कि हिंदी साहित्य ओर व्याकरण का एक नया युग के अग्रणी है अशोक चक्रधर जी 💐💐
Aapke charno me dandwat pranaam gurujee !
Ati uttam 🙏🙏🙇🙇
गुरुद्रोण ...एकलव्य का प्रणाम स्वीकार करें ।
Namaste sir, bahut achha laga apko dekh aur sunke.
अब तक कविता की सबसे सुंदर अभिव्यक्ति......
कुंडलियां कमाल हैं ,
पूरा वीडियो ज्ञान का भंडार।,🌻🌻🌻🌻
Thanx for sharing this valuable video...You are great
🙏
अति सुंदर कविता सर🙏🙏आप सदैव से ही समकालीन एवं युवा पीढ़ी के प्रेरक रहे हैं।
🙏
जहां न पहुंचे रवि
वहां पहुंचे कवि ।।
, भाव ही काव्य का एक बड़ा कारण है
कृष्ण के चक्र को तो देखा नहीं सिर्फ महसूस कर सकते हैं
इस चक्र के चक्रधर को जो हिंदी साहित्य की एक धुरी है
साहित्य के माला का वह स्वरूप है जिस की रचनाओं से हम अभिभूत होते रहे हर अवसाद से बाहर निकलने का यह सरल माध्यम है 🙏🙏
Khubsurat
अद्भुत सर ....प्रणाम
🙏
Ati ati sundram🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Ati uttam 🙏🙏🙏👌👌👌👍
बेहद महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई गुरूदेव।
🙏🙏🙏 प्रणाम
🙏
Bahut achi jankari 😊
Sir mene apki kavita tamasha par school me अभिनय कराया था जो सभी को बहुत पसंद आया।गुजरात से हूं में सर।तारीफों के पुल बंध गए। जिसका श्रेय आपको जाता है। 🙏🙏
Naman
Ashok Ji, kitni gyaanvardhak aur kitni sundar vyaakhyaa ki hai aap ne! Shuddh Hindi mein aur voh bhi bahut svabhaavik aur saral shaili mein. Hindi mein vaartaalaap karna to koi aapse seekhe. Aajkal kitne log Hindi kaa apmaan karte hain-- har vaakya mein Angrezi ke ulte-seedhe shabd milaa dete hain. Unke vichaar agar behte bhi hain to gandi naali ki tarah, swachh saritaa ki tarah nahin. Meri aayu ab 80 saal ki hai. Aap ne jaise hi jaagriti or chetnaa ki baat kahi to mere andar aap se Hindi saahitya ke baare mein aur gyaan lene ki ichha jaagrit ho gayi. You Tube par is tarah ki prastutiyaan kripayaa jaari rakkhein. Dhanyavaad.
🙏
बहुत अच्छा जनाब!
Excellent series. Really excellent.
वाह शानदार सर
बहुत सुंदर सर! नमन!
🌹
Pranam sir🙏🏼🙏🏼🙏🏼
🙏
चरण बन्दना sir
🙏🏼🙏🏼🌷
जहां न पहुचे रवि वहां पहुचे कवि
Kavita kise kahte h iska bahut acha margdarshan h or achi kavita
🙏
🙏🙏🙏🙏🙏
Ashok Sir मैं आपका एक बहुत बड़ा fan हूँ। बचपन में आपको सुनकर ही शायद पहली बार लिखने का शौक़ हुआ था। Sir क्या ये संभव है की आप से मिल पाऊं या कम से कम एक अपनी रचना जो सिर्फ आपसे inspired है कभी आपको सुना पाऊं!! Please sir एक बार जवाब दीजिएगा।
क्यों नहीं! अवश्य मिलेंगे। कोविड तो टले!
@@ashokchakradhar asokjee aapse milneka bara man hai mai aPki bhua hun khurja se hipleasesamay
जिसे कविता से प्यार है उसकी ज़िन्दगी या तो चक्रधर है या गुलज़ार है!
Namaskar sir.....aapki Kavita man Ko moh leti hai, mein bhi kuch likhne ki koshish karta hoon, ek Nazar daal dijiye sawar jaayegiiiiiii...
महाशय मैथिली बोली कब से हो गई ?
Super Sir❤️❤️
Poetry, is first comes through Imagination, I say scientist are basically poet because through imagination they come to practical, any search first come imagination. I say poet is some where scientist,your yantra kavita says so,so. Second what imagination is not,because song itself a poetry first. A matter of heart poetry.
जब मोदीजी आकर एक साल हुए नए नए थे जब यह संपत सरल ने मोदीजी के विरोध कहा
अगर दम है तो अब कहके दिखा दे
Pranam sir ji 🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏