स्मृति और जानने में क्या अंतर है? || आचार्य प्रशांत (2024)
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- Опубліковано 6 лип 2024
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#acharyaprashant
वीडियो जानकारी: 04.07.2024, अनौपचारिक सत्र
प्रसंग:
~ जानने का महत्व क्या है?
~ समझ कितनी महत्वपूर्ण है?
~ स्मृति और जानने में क्या अंतर है?
~ जानना क्या शरीर के मिटने के साथ मिट जाएगा?
~ क्या ज्ञान का संचय ही जानना होता है?
संगीत: मिलिंद दाते
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स्मृति दिमाग का खेल है और जानना एक निरंतर प्रक्रिया है।दिमाग मिट जाता है तो स्मृति भी मिट ही जाति है,लेकिन जानना अनंत है वो कैसे मिटेगा।
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शत शत नमन गुरुदेव ❤ ❤ ❤
जहां सौदा नहीं हैं वहां भविष्य नहीं हैं****A.P
स्मृति शारीरिक होती हैं।
Very nice❤
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करता था सो क्यों किया, अब कर क्यों पछिताय।
बोया पेड़ बबूल का, आम कहाँ से खाय।।
~ संत कबीर साहेब जी ❤❤
स्मृति स्वार्थ के पीछे चलती है। आध्यात्मिक जानने का मतलब होता है कि वह चीज जिसकी प्रकृति खुल गई और साफ दिख गया कि वह मुझसे अलग है। पर्पसलेस नोइंग।
अध्यात्म में जानने का मतलब भी यही होता है कि कुछ लेना ना देना मगन रहना।
आचार्य जी को कोटि कोटि नमन 🙏🏼
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Love you so much sir ❤❤❤
Acharya ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जानना याने साक्षी होना
Namaskar aacharya ji 🙏🙏💐💐🌺🌺❤️
शरीर के मिटने के साथ स्मृति मिट जाती है। जानने का मतलब होता है इससे मेरा कोई लेना नहीं देना नहीं। जानते आप उसको हो सिर्फ जिसके आप साक्षी हो पा रहे हो।
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Perpuse less knowing याने जानना