जनकजी के द्वारा व्यास पुत्र शुकदेव को तत्व विश्रांति की प्राप्ति करवाना.

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 25 гру 2024

КОМЕНТАРІ • 7

  • @RavinderKumar-s2n
    @RavinderKumar-s2n 7 днів тому +1

    Satya bat kahi

  • @SukaramVasuniya-u4w
    @SukaramVasuniya-u4w 13 днів тому

    Hari

  • @rajani00
    @rajani00 12 днів тому +1

    भईयाजी प्रणाम 🌺🌺🙇🏻‍♀️
    भईयाजी आपने संकल्प विकल्प का बहुत अच्छा अर्थ बताया।आश्चर्यजनक लगा और खुशी भी हुई। दर्शन का अर्थ भी बहुत अच्छा लगा।
    भईयाजी आपने एक ध्यान में सभी को आनंदस्वरुप देखने का जो अभ्यास बताया है, बहुत स्लो हूं पर उसी की कोशिश कर रही हूं। वही करूं न?
    ये जो continue हम बिना बोले मन में बड़बड़ करते है यही विकल्प है न?वो रुक जाए तो अच्छा हो।

    • @Chidakashgyanam
      @Chidakashgyanam  12 днів тому

      40 din to usi dhyan ka abhyas kriye ..मन मे जो कुछ बोल रहे उसे मनोराज्य या विकल्पना कुछ भी कह सकते हैं उसे मिटाने के लिए स्वांस गिनने की आदत डालनी चाहिए

    • @rajani00
      @rajani00 12 днів тому

      जी भईयाजी
      धन्यवाद🙏🏻🙏🏻

  • @Gopinathjadhav-u1d
    @Gopinathjadhav-u1d 13 днів тому +2

    एक प्रश्न था की परमार्थ का ब्रह्म निर्गुण निराकार है तो निर्गुण निराकार से व्यवहार का सगुण साकार जगत केसे आया अगर कहे की बिज मे अंकुर के समान ब्रह्म मे यह गुण पेहले से है तो ब्रह्म निर्गुण केसे हो सकता है

    • @Chidakashgyanam
      @Chidakashgyanam  13 днів тому +1

      निर्गुण निराकार ब्रह्म से सगुण साकार जगत ठीक वैसे ही अनुभूत होता है जैसे आकाश में नीलिमा ..नही होने पर भी दिखती है ..वास्तव में जगत उतपन्न नही होता सिर्फ प्रतीत होता है