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चिदाकाश ज्ञानम्
Приєднався 20 бер 2024
ॐ
इस चैनल का उद्देश्य भारतीय तत्वदर्शन के रहस्यों का सरल विधि से उदघाटन करना है।मनुष्य जीवन अनमोल है। यह किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ईश्वर की तरफ से एक अनुग्रह है। वह कार्य है ईश्वर से जुड़ने का ..उससे अपना नित्य सम्बन्ध पहचानने का..संसार चक्र से छूटने का.. पूर्ण सुख सदा के लिए प्राप्त करने का.. अविनाशी जीवन मे प्रवेश करने का..। आइए हम सब उस ईश्वर तत्व की ओर चलें ।उस ओर ले जाने वाले सद्गुरु को समर्पित हो जाएं।आईये गुरु तत्व प्रवाह में अपने जीवन की नौका को परम् लक्ष्य की ओर प्रवाहित करें...ॐ
ईश्वर करे ईश्वर तक कि हम सब की यात्रा मंगलमय हो।
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(यह पूर्णत: निशुल्क है).
इस चैनल का उद्देश्य भारतीय तत्वदर्शन के रहस्यों का सरल विधि से उदघाटन करना है।मनुष्य जीवन अनमोल है। यह किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ईश्वर की तरफ से एक अनुग्रह है। वह कार्य है ईश्वर से जुड़ने का ..उससे अपना नित्य सम्बन्ध पहचानने का..संसार चक्र से छूटने का.. पूर्ण सुख सदा के लिए प्राप्त करने का.. अविनाशी जीवन मे प्रवेश करने का..। आइए हम सब उस ईश्वर तत्व की ओर चलें ।उस ओर ले जाने वाले सद्गुरु को समर्पित हो जाएं।आईये गुरु तत्व प्रवाह में अपने जीवन की नौका को परम् लक्ष्य की ओर प्रवाहित करें...ॐ
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सत्शास्त्र के अभ्यास और सत्संग के द्वारा बुद्धि को निर्मल बना के संसार से स्वयं का उद्धार करिये..
सत्शास्त्र के अभ्यास और सत्संग के द्वारा बुद्धि को निर्मल बना के संसार से स्वयं का उद्धार करिये..
योगवासिष्ठ
मुमुक्षु प्रकरण
सर्ग 6-2
योगवासिष्ठ
मुमुक्षु प्रकरण
सर्ग 6-2
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पौरुष से अतिरिक्त दैव नामकी कोई वस्तु नही है आज का दृढ़ प्रयत्न ही कल का दैव है..#yogvashishta
Переглядів 612 години тому
पौरुष से अतिरिक्त दैव नामकी कोई वस्तु नही है आज का दृढ़ प्रयत्न ही कल का दैव है.. योगवासिष्ठ मुमुक्षु प्रकरण सर्ग 6-1
जो दुराचरण का त्याग कर परमात्मा का अनन्य प्रेम से भजन करता है वह साधु है..#bhagwadgita #gita
Переглядів 834 години тому
जो दुराचरण का त्याग कर परमात्मा का अनन्य प्रेम से भजन करता है वह साधु है.. गीता अध्याय 9 श्लोक 30-34
पत्र,पुष्प, फल, जल जो कुछ भी भक्त मुझे प्रेम से अर्पण करता है मैं उसे ग्रहण करता हूँ..#gitagyan
Переглядів 1247 годин тому
पत्र,पुष्प, फल, जल जो कुछ भी भक्त मुझे प्रेम से अर्पण करता है मैं उसे ग्रहण करता हूँ.. Gita अध्याय9 श्लोक26-29
क्षीण पुण्य होने पर सकामी लोग स्वर्ग से पतित हो मर्त्यलोक को प्राप्त होते हैं..#gita #yatharthgeeta
Переглядів 759 годин тому
क्षीण पुण्य होने पर सकामी लोग स्वर्ग से पतित हो मर्त्यलोक को प्राप्त होते हैं.. Gita अध्याय 9 श्लोक 21-25
शास्त्र विधि से पुरुषार्थ करने पर सब कुछ पाया जा सकता है बस थक कर हारे नहीं..#yogvashishta #mumukshu
Переглядів 25012 годин тому
शास्त्र विधि से पुरुषार्थ करने पर सब कुछ पाया जा सकता है बस थक कर हारे नहीं.. योगवासिष्ठ मुमुक्षु प्रकरण सर्ग 5
नित्यमुक्त आत्मा का अज्ञान आवरण ही बन्धन है और कुछ बन्धन नहीं..#मुमुक्षु प्रकरण #yogvashishta
Переглядів 11414 годин тому
नित्यमुक्त आत्मा का अज्ञान आवरण ही बन्धन है और कुछ बन्धन नहीं..#मुमुक्षु प्रकरण #yogvashishta सर्ग 4
जीवनमुक्ति ज्ञान का फल है वह ज्ञान से ही होती है अन्य कर्म से नहीं..मुमुक्षु प्रकरण #yogvashishta
Переглядів 19616 годин тому
जीवनमुक्ति ज्ञान का फल है वह ज्ञान से ही होती है अन्य कर्म से नहीं... योगवासिष्ठ मुमुक्षु प्रकरण सर्ग 3
मनुष्य को आत्मतत्व का सामान्य बोध तो प्रायः अल्प श्रवण से हो जाता है पर#मुमुक्षु प्रकरण#yogvashishta
Переглядів 39219 годин тому
मनुष्य को आत्मतत्व का सामान्य बोध तो प्रायः अल्प श्रवण से हो जाता है पर #मुमुक्षु प्रकरण #yogvashishta सर्ग 2
मैं ही क्रतु,यज्ञ,औषधि, मन्त्र,घृत,हवन क्रिया आदि सर्व हूँ..राजविद्या राजगुह्य योग#गीता #gitagyan
Переглядів 7021 годину тому
मैं ही क्रतु,यज्ञ,औषधि, मन्त्र,घृत,हवन क्रिया आदि सर्व हूँ..राजविद्या राजगुह्य योग#गीता #gitagyan Shlok 16-20
पंच तत्त्वों पर जिनका अधिकार चलता है जो मूढ़ हैं वे उनके परम भाव को न जानकर साधारण मनुष्य मानते हैं..
Переглядів 192День тому
पंच तत्त्वों पर जिनका अधिकार चलता है जो मूढ़ हैं वे उनके परम भाव को न जानकर साधारण मनुष्य मानते हैं.. गीता अध्याय 9 श्लोक 11-15
कृष्ण का कहना है कि मैं सब प्राणियों में व्याप्त हूँ पर वे प्राणी मुझमें नही हैं .मैं उनमें नही हूँ.
Переглядів 128День тому
कृष्ण का कहना है कि मैं सब प्राणियों में व्याप्त हूँ पर वे प्राणी मुझमें नही हैं और मैं उनमें नही हूँ.. गीता अध्याय 9 श्लोक 4-10
जनकजी के द्वारा व्यास पुत्र शुकदेव को तत्व विश्रांति की प्राप्ति करवाना.#मुमुक्षु प्रकरण #योगवासिष्ठ
Переглядів 341День тому
जनकजी के द्वारा व्यास पुत्र शुकदेव को तत्व विश्रांति की प्राप्ति करवाना. #मुमुक्षु प्रकरण #योगवासिष्ठ #सर्ग 1
राम के वैराग्य वचनों को सुनकर देवता भी वाह वाह कहते हुए आकाश से पुष्पों की वर्षा करने लगे#योगवासिष्ठ
Переглядів 77День тому
रामजी के वैराग्य वचनों को सुनकर देवता भी वाह वाह कहते हुए आकाश से पुष्पों की वर्षा करने लगे.. योगवासिष्ठ वैराग्य प्रकरण सर्ग 32&33
इस जगत का कोई कार्य द्वंद से रहित नही है तब तत्व विश्राम का क्या उपाय है..#yogvashishta
Переглядів 18614 днів тому
इस जगत का कोई कार्य द्वंद से रहित नही है तब तत्व विश्राम का क्या उपाय है.. योगवासिष्ठ वैराग्या प्रकरण सर्ग 31
रामजी के द्वारा अपनी तत्व विश्रांति की उत्कंठा का अपने गुरु के समक्ष वर्णन करना..#yogvashishta
Переглядів 18514 днів тому
रामजी के द्वारा अपनी तत्व विश्रांति की उत्कंठा का अपने गुरु के समक्ष वर्णन करना..#yogvashishta
बलि के बकरे का अपने ब्राह्मण से बकरे बनने की कथा का वर्णन..#गीता #राजविद्या #gita #gitagyan #gitam
Переглядів 26514 днів тому
बलि के बकरे का अपने ब्राह्मण से बकरे बनने की कथा का वर्णन..#गीता #राजविद्या #gita #gitagyan #gitam
जिसमें सब भूत हैं जो सब भूतों में व्याप्त है जो सबसे परे है उसे अनन्य भक्ति से पाया जा सकता है.#gita
Переглядів 10214 днів тому
जिसमें सब भूत हैं जो सब भूतों में व्याप्त है जो सबसे परे है उसे अनन्य भक्ति से पाया जा सकता है.#gita
परमात्मा को प्राप्त कर लेने पर पुनर्जन्म नहीं होता.जबकि लोक लोकांतर मिलने पर भी आना जाना बना रहता है
Переглядів 17514 днів тому
परमात्मा को प्राप्त कर लेने पर पुनर्जन्म नहीं होता.जबकि लोक लोकांतर मिलने पर भी आना जाना बना रहता है
रामजी के द्वारा जगत की अनित्यता का वर्णन..योगवासिष्ठ #yogvashishta #yogvidya #vairagya #vairalvideo
Переглядів 20014 днів тому
रामजी के द्वारा जगत की अनित्यता का वर्णन..योगवासिष्ठ #yogvashishta #yogvidya #vairagya #vairalvideo
रामजी के द्वारा जगत की परिवर्तन शीलता का वर्णन.#yogvashishta #vairagya bodh#aatmamanthan #योगवासिष्ठ
Переглядів 11114 днів тому
रामजी के द्वारा जगत की परिवर्तन शीलता का वर्णन.#yogvashishta #vairagya bodh#aatmamanthan #योगवासिष्ठ
आजकल के मनुष्य गड्ढ़े के वृक्ष के जैसे हैं जो किसी दूसरे प्राणी के काम नहीं आते..#yogvashishta #bodh
Переглядів 15721 день тому
आजकल के मनुष्य गड्ढ़े के वृक्ष के जैसे हैं जो किसी दूसरे प्राणी के काम नहीं आते..#yogvashishta #bodh
जो सिर्फ देखने में ही सुंदर है यथार्थ में दुखदायी है उसे पाकर भी चित्त को विश्राम कैसे मिलेगा..
Переглядів 16921 день тому
जो सिर्फ देखने में ही सुंदर है यथार्थ में दुखदायी है उसे पाकर भी चित्त को विश्राम कैसे मिलेगा..
वेदविद आसक्ति रहित यति ब्रह्म की प्राप्ति के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ परम् पद को प्राप्त..
Переглядів 16021 день тому
वेदविद आसक्ति रहित यति ब्रह्म की प्राप्ति के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करता हुआ परम् पद को प्राप्त..
अंतकाल में जिस चिंतन से युक्त हो जीव शरीर त्यागता है वह उसी भाव को प्राप्त हो जाता है..#भगवद्गीता08
Переглядів 22321 день тому
अंतकाल में जिस चिंतन से युक्त हो जीव शरीर त्यागता है वह उसी भाव को प्राप्त हो जाता है..#भगवद्गीता08
सूक्ष्म और सबल बुद्धि के लिए निर्देशित ध्यान..guided meditation for strong and subtle intelligence
Переглядів 23221 день тому
सूक्ष्म और सबल बुद्धि के लिए निर्देशित ध्यान..guided meditation for strong and subtle intelligence
रामजी के द्वारा भाग्य के दुर्विलास का कथन..#yogvashishta #vairgya #viralvideos
Переглядів 18921 день тому
रामजी के द्वारा भाग्य के दुर्विलास का कथन..#yogvashishta #vairgya #viralvideos
जो बन रहा ..जो मिट रहा..वो काल के आधीन है..जो इस परिवर्तन का प्रकाशक है वही सत्य है..#yogvashishta
Переглядів 11221 день тому
जो बन रहा ..जो मिट रहा..वो काल के आधीन है..जो इस परिवर्तन का प्रकाशक है वही सत्य है..#yogvashishta
रामजी के द्वारा काल के दोषों की निंदा..योगवासिष्ठ.. वैराग्य प्रकरण #yogvashishta #vairgya bodh
Переглядів 14628 днів тому
रामजी के द्वारा काल के दोषों की निंदा..योगवासिष्ठ.. वैराग्य प्रकरण #yogvashishta #vairgya bodh
वृद्धावस्था जीव के लिए अत्यंत दुखदायी है ..#योगवासिष्ठ #yogvashishta #vairagya #aatmamanthan
Переглядів 35428 днів тому
वृद्धावस्था जीव के लिए अत्यंत दुखदायी है ..#योगवासिष्ठ #yogvashishta #vairagya #aatmamanthan
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बहुत आनंद
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हरिओम बेहतरीन विवेचन सबकी एक ही दवाई तत्वज्ञ हो जाओ भाई लेकिन कैसे होंगे इसलिए तो कहते हैं ब्रह्म ज्ञानी सद्गुरु या उनके प्यारो के हो जाओ भाई!
🌹🌹🌹जय हो 🌹🌹🌹
हरे कृष्ण
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श्री ॐ
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Satya bat kahi
App bahut badya kam kar rahe hein ji
😐😐😐😐🙏
❤❤❤ है ❤❤❤787❤❤❤
Ome Ram
सुनते रहने से शांति मिलती हैं सत्य हैं बस जब सात्विक हैं (उसमे शांति पहले से ही होती हैं) तामस से निकलने मे नहीं वंहा तो ज्ञान से ही निकाल पायेगे नहीं तो। सुख दुख मे हो आपके लिए ज्ञान शून्य हैं संतुना हैं बस मन द्वारा (अज्ञान से) संसार मे आते ही भोगों मे आसक्ति ना हो असम्भव हैं। अपने बताया था उससे अच्छा तो मरा व्यक्ति हैं कम से कम कर्म तो नहीं बनाएगा। - 1 मे 😐🙏
❤❤❤ है ❤❤❤ 787 ❤❤❤
बेहतरीन अनुभवजन्य वाणी
Om ram
😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰🥰🙏
❤❤❤ महावतार 787❤❤❤
Jai jo
🥰😊🥰🥰🥰🥰😊😊🥰😊🙏
भईयाजी प्रणाम 🌺🌺🙇🏻♀️ Sorry 😔 भईयाजी 🙏🏻 First time किया वो भी किसी की हेल्प से। मुझे पता नहीं था ऐसे comment में आ जाएगा।वो भी thanks लिख के। भईयाजी मेरी इच्छा से मेरा कोई काम नहीं बनता।अगर आज ये हो पाया तो ये केवल भगवान की कृपा है। भगवान ही सबकुछ है, सब उनका है ।हम उनको कुछ नहीं दे सकते। 🙏🏻🙏🏻 कृपया स्वीकार कीजियेगा🙇🏻♀️🙏🏻 उम्मीद है आप मुझे क्षमा करेंगे🙏🏻🙏🏻
ॐ नमो नारायण
ॐ नमो नारायण 🌺🙏🏻 धन्यवाद भईयाजी 🙏🏻🙏🏻
गुरुजी आदी शंकराचार्य जी ने अपने ब्रम्ह सुत्र 2.2.40 मे कहा है कि ईश्वर शरीर धारन नही करता पर वही गीता मे 4.6 मे उनोने अवतार माना है इसका क्या अर्थ है
ब्रह्म सूत्र में ईश्वर का अर्थ ब्रह्म से लिया जाता है जो सदैव उपाधि का प्रकाशक होने से निरुपाधि है इसलिए उसका अवतरण सम्भव नही है पर गीता में ईश्वर शब्द माया उपहित चैतन्य के लिए आया है
🌺🌺🙏🏻🙏🏻🌺🌺 🌺🌺ॐ श्री गुरवे नमः 🌺🌺
🥰🥰🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰🥰🙏
Ram
Govind
🪷
भईयाजी प्रणाम 🌺🌺🙇🏻♀️ भईयाजी आपने संकल्प विकल्प का बहुत अच्छा अर्थ बताया।आश्चर्यजनक लगा और खुशी भी हुई। दर्शन का अर्थ भी बहुत अच्छा लगा। भईयाजी आपने एक ध्यान में सभी को आनंदस्वरुप देखने का जो अभ्यास बताया है, बहुत स्लो हूं पर उसी की कोशिश कर रही हूं। वही करूं न? ये जो continue हम बिना बोले मन में बड़बड़ करते है यही विकल्प है न?वो रुक जाए तो अच्छा हो।
40 din to usi dhyan ka abhyas kriye ..मन मे जो कुछ बोल रहे उसे मनोराज्य या विकल्पना कुछ भी कह सकते हैं उसे मिटाने के लिए स्वांस गिनने की आदत डालनी चाहिए
जी भईयाजी धन्यवाद🙏🏻🙏🏻
एक प्रश्न था की परमार्थ का ब्रह्म निर्गुण निराकार है तो निर्गुण निराकार से व्यवहार का सगुण साकार जगत केसे आया अगर कहे की बिज मे अंकुर के समान ब्रह्म मे यह गुण पेहले से है तो ब्रह्म निर्गुण केसे हो सकता है
निर्गुण निराकार ब्रह्म से सगुण साकार जगत ठीक वैसे ही अनुभूत होता है जैसे आकाश में नीलिमा ..नही होने पर भी दिखती है ..वास्तव में जगत उतपन्न नही होता सिर्फ प्रतीत होता है
Hari
अगला प्रकरण कोन सा होगा 🙏
मुमुक्षु प्रकरण
🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🥰😊🙏
धन्यवाद भईयाजी 🙏🏻🙏🏻 प्रणाम🌺🌺🙇🏻♀️ गुरु कृपा🌺🌺🙇🏻♀️
लास्ट में आपके प्रश्न का उत्तर दिया है
जी भईयाजी मैने सुना ,आपका धन्यवाद गुरुजी का धन्यवाद।🙏🏻🙏🏻
Om
Jai ho
🙏🙏🙏ॐ ॐ हरी ॐ ॐ ॐ बापूजी ॐ 🙏🙏🙏💐💐💐
🙏🙏🙏ॐ ॐ हरी ॐ ॐ ॐ बापूजी ॐ 🙏🙏🙏💐💐💐
रामजी का वैराग्य🙏🏻🙏🏻 गुरुजनों को प्रणाम🌺🌺🙇🏻♀️ धन्यवाद भईयाजी 🌺🌺🙇🏻♀️ ।। ॐ शांति।।