Udayagiri Caves | Udayagiri Ki Gufa | Udayagiri Vidisha | Udaigiri Caves Vidisha | Udaygiri Caves

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  • Опубліковано 10 вер 2024
  • Udayagiri Caves | Udayagiri Ki Gufa | Udayagiri Vidisha | Udaigiri Caves Vidisha | Udaygiri Caves
    उदयगिरि: गुफ़ाओं के अंदर फेला धर्म और इतिहास | Udaygiri, Madhya Pradesh
    Udayagiri and Khandagiri Caves, Bhuvaneshwar
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    जय श्री गणेश "उदयगिरि गुफाएँ"
    परिचय : हेलो दोस्तों आपका स्वागत है एक और नई वीडियो मेरे लिए
    आज हम आये हैं मध्य प्रदेश राज्य के विदिशा जिले में गुफ़ाएँ देखने के लिए।
    जोकी विश्व धरोहर स्थल साँची से लगभाग 10 किलोमीटर,
    और भोपाल से लगभाग 57 किलोमीटर,
    और विदिशा जिला मुख्यमंत्री से लगभाग 7 किलोमीटर है।
    उदयगिरी की ये गुफ़ाये बेतवा और बैस नदी के बीच में स्थित है|
    भारतीयों के लिए इसका टिकट 25 रुपये/व्यक्ति और विदेशी नागरिक के लिए 300 रुपये/व्यक्ति
    अगर आपके पास कोई कैमरा है तो उसका अलग से 25 रुपया लगेगा।
    गुप्त वंश का इतिहास:
    गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था| श्रीगुप्त कुषाणों का सामंत था|
    240 ई. से 280 ई. तक शासन किया |
    श्री गुप्त के बाद उनके पुत्र घटोत्कच ने शासन किया |
    घटोत्कच के बाद चन्द्रगुप्त प्रथम ने शासन किया |
    चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद समुद्रगुप्त ने शासन किया |
    समुद्रगुप्त के बाद चंद्रगुप्त द्वितीय ने शासन किया |
    चंद्रगुप्त द्वितीय 'विक्रमादित्य' की उपाधि धारण की
    चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य अपने उत्कर्ष पर पहुंचा|
    चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपने युद्ध कौशल से कई राज्यों को जीता|
    भारत के इतिहास में चंद्रगुप्त द्वितीय को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है,
    जैसे कि देवगुप्त, देव श्री, देवराज आदि|
    चंद्रगुप्त द्वितीय को उपाधियों से भी अलंकृत किया गया है जैसे कि परमभागवत, विक्रमादित्य,
    विक्रमांक, आदि|
    गुप्त वंश के शासक चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में कला और साहित्य का बहुत विकास हुआ
    चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नवरत्न थे|
    अकबर ने अपने नवरत्नों को चंद्रगुप्त के नवरत्नों के आधार पर ही रखा था |
    चंद्रगुप्त द्वितीय के नवरत्नों के नाम- कालिदास, घटकर्पर, वाराह मिहिर , धन्वंतरि, क्षपणक, वररुचि, शंकु, बेताल भट्ट, एवं अमर सिंह था|
    उदयगिरि की गुफाओं का निर्माण गुप्त राजवंश के चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन काल मे किया गया
    जिन्हे "चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य" के नाम से भी जाना जाता है|
    उनका राज्य 380-412 ई तक चला।
    उदयगिरि की गुफा का निर्माण 4थी से 5 शताब्दी में किया गया|
    यन्हा कुल 20 गुफाएं हैं जिनमें से 18 हिंदू धर्म और 2 गुफाएं जैन धर्म से संबंधित हैं|
    गुफ़ा नं. 1 और 20 जैन धर्म से सम्बंधित है|
    उदयगिरी नाम की कहानी :
    उदयगिरि को पहले "नीचैगिरि" नाम से जाना जाता था।
    10 वीं शताब्दी में जब परमार राजाओ का विदिशा राज्य पर अधिकार हुआ
    तो राजा भोज के पौत्र उदयादित्य के नाम पर इस स्थान का नाम उदयगिरि रख गया।
    यन्हा बने गुफा नंबर 1 पर जैन धर्म से जुड़े स्वामी शीतलनाथ जी की मूर्ति स्थापित है।
    इसलिए साथ ही इस गुफा में भगवान सूर्य का मंदिर भी है, इस गुफा को सूर्य मंदिर भी कहा जाता है
    जब भी सूर्य उदय होता है तब सूर्य की रोशनी सबसे पहले इस क्षेत्र में होती है, इसी सूर्य मंदिर पर आता है
    शंख लिपि : शंखलिपि, गुप्त काल की एक प्राचीन लिपि है. इसे "शेल-स्क्रिप्ट" भी कहा जाता है. यह ब्राह्मी लिपि से बनी है
    और इसके अक्षर शंख के आकार जैसे लगते हैं. गुप्त काल में संस्कृत आधिकारिक आम लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा थी.
    गुफ़ा नं. 5 में भगवान विष्णु के आदि वराह का चित्रांकन किया गया है
    यन्हा भगवान आदि वराह की लगभाग 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई गई है|
    आप सभी ने भगवान विष्णु के आदि वराह के बारे में तो सुना ही होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु के 3 वराह अवतार हुए हैं। जोकी नील वराह, आदि वराह और श्वेत वराह है|
    अगर आप भगवान विष्णु के तीनो अवतार से जुडी पौराणिक कथा जानना चाहते हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं|
    भगवान आदिवराह ने हिरण्याक्ष का वध करके माता पृथ्वी को मुक्ति दिलाई|
    यन्हा मूर्तियों पे लाल रंग किया है यन्हा समुंद्र का रंग लाल दिखया गया है, जोकी हिरण्याक्ष वध के बाद हुआ|
    हिरण्याक्ष के वध के बाद देवताओं ने किस प्रकार भगवान आदि वराह की स्तुति वन्दना की, उसके बारे में मुझे यह बताया गया है यहीं गंगा, यमुना और सरस्वती माता की प्रतिमा भी बनी है यहीं पानी को लाल रंग से दिखाया गया है
    आदि वराह के चरणों में भगवान शेष नाग को भी दिखाया गया है
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