||श्रीमद्भगवद्गीता || 4.11

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  • Опубліковано 31 січ 2025
  • ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
    मम वर्तमानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥ ॥
    जैसे-जैसे सभी लोग मेरी शरण में आते हैं, मैं उन्हें उसी के अनुसार फल देता हूँ। हे पृथापुत्र! सभी लोग सब प्रकार से मेरे मार्ग का अनुसरण करते हैं।

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