भाई कृष्णचंद्र दहिया जी के विचार में दम है जो तरीके से बता रहे हैं जो अच्छा सन्देश दिया गया है जो बोल रहे हैं उस के अपने विचार व्यक्त करते है जो ज्ञान की बात लगती हैं जो काफी तजुर्बा है जो प्राप्त किया है उस को बता रहे है जो जाति प्रथा पर भी विचार व्यक्त कर रहे हैं बरानी भूमि आम आदमी को समझना चाहिए जो लगातार खेती करने हुए कुछ समय के लिए खाली छोड़ना भूमि को तो ताकत लेती है कुदरत से
Knowledge full , or apne itihas ko janane k liye jo mehnat ki hai Dahiya sahaab ne , aapne usko value or importance di , Bahut hi khoobsurat interview cum gupshup ....dharmender kanwari ji .
जैसे माहार और मराठा एक है वैसेही जाटव और जाट एक है । जैसे माहारो मे जो पहलवान लोग थे उन्हे माहारठ्ठे बोला जाता था और बादमे माहारठ्ठे का मराठा हुवा और मराठा यह शब्द बादमे समुह के रूप किया गया वैसेही जाटव मे जो पहलवान थे जाट्टे कहलाया जाता था और बादमे जाट्टे का जाट हुवा है और जाट यह शब्द भी समुह रूप मे लिया गया। माहार और जाटव एक पद था उसका काम सुरक्षा करना-देना , सबकी जानकारी रखना, प्रशासन करने मे सहयोग देना, न्यायनिवाडा मे मजबुत साक्ष देना-समजना ऐसे अन्य काम थे। बादमे मराठे और जाट अलग अलग समजने के कारण मराठा और जाट का एक स्वतंत्र अस्थित्व हो गया और जो आज भी है । मराठा और जाट का मुख्य काम शेती है। बादमे मराठा और जाट से ही अन्य जातिया हुवी जैसे मराठी मे माळी, कुणबी और इन जैसे अन्य और हिंदी मे माली, कुर्मी और इन जैसे अन्य । अगर स्वतंत्र दिमाग से वास्तविक इतिहास जानोगे तो समझ मे आयेगा। यह सभी लोग इस देश के प्रतिष्ठित निवासी है जो अब दूसरों के याने दिखावटी, ठगी करके षडयंत्र करने वालों के कारण जाती से जाने जाते है शुद्र। षडयंत्रकारीयोने शुद्र का जलन और षडयंत्र के कारण अर्थ और संबोधन बताया निम्मस्तरीय लोग। और इन्होंने इनके ही नजर से अपने आप को समझने लगे- समझने लगते । अगर स्वयं के नजर से स्वयं के बारे मे सोचते और उसके बाद समझते- समझने लगेंगे तो वो होगे सर्वोच्च, सर्वोशुद्ध, सर्वश्रेष्ठ। "बामण"-"माहार-मराठा"-"जाटव-जाट" टिप: इसमे बामण याने ब्राम्हण धर्मिय नही है तो नाग राजाओंके और बुद्धधम्म के वक्त और उसके बाद भी प्रशासकीय पद पर जो बुद्धीमान, सच्चे, न्यायी लोग रहते थे और उसे माहार-मराठा और जाटव-जाट के सलाह पर सबसे उँचे पद पर पदस्थ किया जाता था वो बामण है।
Aapko darshan shastra ka vidvan ban ne ki jo ruchi hai na bade bhai, usko tyag do. Nahin toh Jaat aapko baandh kar bohat maarenge. Kyun kisi ke vishaya mein faltu bolna. Jaat aur Jaatav mein Raajanya aur Anya wala antar hai. Soch samajh kar bolo. Mana Jaat digbhramit ho gaye hain aur dhan ke lobhi ho gaye hain kintu itne bure bhi nahin. Jab tak chup rehte hain, Mahabharat ke charitra lagte hain adhikansh. Jab bolte hain toh bhram toot jata hai.
Farmana meham Rohtak me approx kai acre me harppa kalin fossils ,makan ,prof Shinde Pune ke supervision me archeology department ne kai artefacts mile ,va carbon dating bhi karai thi ,🙏
Bhai beerani hamare yha bhi hue h jo baarish p depend hoti h... Orr chawyi hoti h paani p depend ho tubewell ya bahar p... Orr pollaj hoti h 3-4 saal wali k liye... Tau kuch bhi jodd rhya h.... Orr ye word har jgh use hote h special ek jgh k liye nahi... Geography p depend karta h....
Alberuni apni bharat yatra ke vivran me Mahabharat kahani ke patr vasudev yani aaj ke krishn ko shudr jati neechi jati jat batata h jo use brahmano ne sunayi thi ye vasudev kushano ke do raja hue hain vasudev l or vasudev ll kushano ki ek rajdhani mathura me thi mathura charo taraf se jato se bhara pada h Mahabharat ki kalpnik kahani ka patr vasudev yani krishn bhi mathura ka h 👍👍👍
Haribhoomi nhi harbhumi ...jat shiv ko apna devta mante hain jo kushano ke vanshajo se jato me aaye kushano ka Greek devta oisheo tha kushano ke sikko par ek or oisheo or dusri or buddh milta h 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
भाई कृष्णचंद्र दहिया जी के विचार में दम है जो तरीके से बता रहे हैं जो अच्छा सन्देश दिया गया है जो बोल रहे हैं उस के अपने विचार व्यक्त करते है जो ज्ञान की बात लगती हैं जो काफी तजुर्बा है जो प्राप्त किया है उस को बता रहे है जो जाति प्रथा पर भी विचार व्यक्त कर रहे हैं बरानी भूमि आम आदमी को समझना चाहिए जो लगातार खेती करने हुए कुछ समय के लिए खाली छोड़ना भूमि को तो ताकत लेती है कुदरत से
Knowledge full , or apne itihas ko janane k liye jo mehnat ki hai Dahiya sahaab ne , aapne usko value or importance di , Bahut hi khoobsurat interview cum gupshup ....dharmender kanwari ji .
ताऊ कृष्ण चंद्र दहिया जी की बात बिल्कुल सही है, आप दोनो को राम राम जी.
Hamare aas paas ke kheshtron me aaj bhi barani kheti hoti hai . Tau ji ne bilkul sahi baat boli hai . Good information. Nice video.
Keep it up
Good news.tau.ji
good thought
जैसे माहार और मराठा एक है वैसेही जाटव और जाट एक है । जैसे माहारो मे जो पहलवान लोग थे उन्हे माहारठ्ठे बोला जाता था और बादमे माहारठ्ठे का मराठा हुवा और मराठा यह शब्द बादमे समुह के रूप किया गया वैसेही जाटव मे जो पहलवान थे जाट्टे कहलाया जाता था और बादमे जाट्टे का जाट हुवा है और जाट यह शब्द भी समुह रूप मे लिया गया। माहार और जाटव एक पद था उसका काम सुरक्षा करना-देना , सबकी जानकारी रखना, प्रशासन करने मे सहयोग देना, न्यायनिवाडा मे मजबुत साक्ष देना-समजना ऐसे अन्य काम थे। बादमे मराठे और जाट अलग अलग समजने के कारण मराठा और जाट का एक स्वतंत्र अस्थित्व हो गया और जो आज भी है । मराठा और जाट का मुख्य काम शेती है। बादमे मराठा और जाट से ही अन्य जातिया हुवी जैसे मराठी मे माळी, कुणबी और इन जैसे अन्य और हिंदी मे माली, कुर्मी और इन जैसे अन्य । अगर स्वतंत्र दिमाग से वास्तविक इतिहास जानोगे तो समझ मे आयेगा। यह सभी लोग इस देश के प्रतिष्ठित निवासी है जो अब दूसरों के याने दिखावटी, ठगी करके षडयंत्र करने वालों के कारण जाती से जाने जाते है शुद्र। षडयंत्रकारीयोने शुद्र का जलन और षडयंत्र के कारण अर्थ और संबोधन बताया निम्मस्तरीय लोग। और इन्होंने इनके ही नजर से अपने आप को समझने लगे- समझने लगते । अगर स्वयं के नजर से स्वयं के बारे मे सोचते और उसके बाद समझते- समझने लगेंगे तो वो होगे सर्वोच्च, सर्वोशुद्ध, सर्वश्रेष्ठ।
"बामण"-"माहार-मराठा"-"जाटव-जाट"
टिप: इसमे बामण याने ब्राम्हण धर्मिय नही है तो नाग राजाओंके और बुद्धधम्म के वक्त और उसके बाद भी प्रशासकीय पद पर जो बुद्धीमान, सच्चे, न्यायी लोग रहते थे और उसे माहार-मराठा और जाटव-जाट के सलाह पर सबसे उँचे पद पर पदस्थ किया जाता था वो बामण है।
Bhai us tarike se aaj ke SC ST OBC or genral bhi ek hi hai fir bhi hum lad rahe hai kyuki itihas nhi pta 🥺
😂
Aapko darshan shastra ka vidvan ban ne ki jo ruchi hai na bade bhai, usko tyag do. Nahin toh Jaat aapko baandh kar bohat maarenge.
Kyun kisi ke vishaya mein faltu bolna. Jaat aur Jaatav mein Raajanya aur Anya wala antar hai. Soch samajh kar bolo. Mana Jaat digbhramit ho gaye hain aur dhan ke lobhi ho gaye hain kintu itne bure bhi nahin. Jab tak chup rehte hain, Mahabharat ke charitra lagte hain adhikansh. Jab bolte hain toh bhram toot jata hai.
Sir books khaa se lu please bta dijiye
Bhai ye book kaha milengi
Farmana meham Rohtak me approx kai acre me harppa kalin fossils ,makan ,prof Shinde Pune ke supervision me archeology department ne kai artefacts mile ,va carbon dating bhi karai thi ,🙏
mere mama h farmana ke
I salute this historian
Book kha milagi
Bhai beerani hamare yha bhi hue h jo baarish p depend hoti h... Orr chawyi hoti h paani p depend ho tubewell ya bahar p... Orr pollaj hoti h 3-4 saal wali k liye... Tau kuch bhi jodd rhya h.... Orr ye word har jgh use hote h special ek jgh k liye nahi... Geography p depend karta h....
Isne origin batYa hai , English bhi to sab use kar rahe hai iska ye matlab nahi ki vo hamare yaha ki ho gai
Sir mere ko inn historian ka number chahiye kýa mill Sakta h
किताबें कैसी खरीदी जा सकती हैं इनकी?
8901035084
Alberuni apni bharat yatra ke vivran me Mahabharat kahani ke patr vasudev yani aaj ke krishn ko shudr jati neechi jati jat batata h jo use brahmano ne sunayi thi ye vasudev kushano ke do raja hue hain vasudev l or vasudev ll kushano ki ek rajdhani mathura me thi mathura charo taraf se jato se bhara pada h Mahabharat ki kalpnik kahani ka patr vasudev yani krishn bhi mathura ka h 👍👍👍
Jatt
Topma
Hai😅😅😅😅😅
Haribhoomi nhi harbhumi ...jat shiv ko apna devta mante hain jo kushano ke vanshajo se jato me aaye kushano ka Greek devta oisheo tha kushano ke sikko par ek or oisheo or dusri or buddh milta h 🙏🏾🙏🏾🙏🏾🙏🏾
Yo.kiska.etiyaskar.tyry.jysa.mandi.phandi.ka.chamchasy.kom.gadar.ha
भाई जी ताऊजी से पुच्छना भगवान कबसे है सभ्यताओं में
Jaat bhagwan Shankar ko mante hain jo keval Agni roop me or mot ke Devta ke roop me Jane jate hain.
Phle tho sabke nai chamar balmiki alg alg hote the. OR ik dusre ko support karte the. Lekin aaj ke time sab......
हमें गलत इतिहास पढ़ाया जा रहा है। आर्य भारत के ही मूल निवासी हैं।
Boring 😓
Kuchh na pta patrkar bhai kya deekhate ho
ये आप कैसे कह सकते हो।
Bhai aap ek kitab likh do,taki hume kuchh peta pede
Kuchh na bera es tou n
Tne bera h to tu de de bhai jawab tau ki baat ka..
Tanne bera hai tere baap ka ,ek nafrat ki den hai
Yah aapke liye nahin hai aap is chij Se Dur Rahe Dev Kumar
देखिए आप सहमत या असहमत हो सकते हैं अगर असहमत हैं तो फिर कारण बताएं।
Bhai tu beta de ya koi kitab likh de