बहन जी मै नेपाल के एक सरकारी शिक्षक एवं बौद्ध उपासिका भी हुँ । बुद्ध धम्म व्यवहारिक ,तार्किक,पाखण्डरहित और विवेकशील ज्ञान उपलब्ध कराता है । आपका प्रस्तुति ने दिलको छू लिया । नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
Aapne mughe Buddha ideology ke karib laane me acchi example diye hain. Boond Boond se ghada bharta hai, waise hi choti choti Buddha ki baatein bhi Manushya ke jeevan me shanti làati hain basarte usko sahi tarah se samajha jaaye. Namo Buddhaya Appko bhi.
सब मानव जाती को काहणा चाहता है , भाईयो, बहनो,कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है उसके बिना ना अनुभव ना सीख मिलती है,जो जाता कर्म करेगा,वी जादा अनुभव करेगा, सिखेगा , पायेगा जिंदगी सवर जायेगी,जीवन का सफर पार होगा,बाकी सब व्यर्थ है
Jishako apna itihaash janna hai vo retional world me aaye jo dushare ke itihaash ko apna itihaash manta hai vo apna avidenc lekaara aaye aur ha gaaly galaaoch logo ke liye koi jagah nahy hai
Hindu log thanks karate hai praise prarthana our Prasad bantkar logo main .kiyoun ki hum sabhi surya chandrama water agni aakash dharti ke reani (owe) hai kiyoun ki hame sab kuch ye Devt a free main de rahe hai . Kya sap ahsan pharamosh hai?
May navyani ho may 22 vowes the buddha and his dhamma writen by bodisatvaa dr ambedkar and open eyed buddha believer I don't believe god and meditation it's Selfishness
बुद्ध और कल्कि अवतार (अग्नि पुराण 16 वा अध्याय ) अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया ) मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे । तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है । जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८ इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त हुआ ।। १६ । ।
"जय भीम जय मीम " वालो से मेरा एक सवाल - बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में दलितों को आरक्षण हैं, लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया में नहीं। ऐसा क्यूँ ?????
बुद्ध और कल्कि अवतार (अग्नि पुराण 16 वा अध्याय ) अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया ) मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे । तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है । जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८ इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त हुआ ।। १६ । ।
@@soni-kinnisonihaiduniya999 aap bhi ek baar Science Journey Human with science The realistic azad Rational world Satye ke darshan Ye channels ko jarror visit kariyega
😂😂 budh Bhagwan Vishnu ke hi Avtar the kyo ki jab detya asur yagya karke devtao se jyada shaktishali ho rahe the tab bhagwan vishnu ne budh ke rup me janm liya or un asuro ko bataya ki yagya karna sab vyarth hai bhog me hi Anand hai
Sirf namo bhudhay kahne se gyan prapt hoga ye to jo bhudh ji kaha sirf pooja path ya bhagwan ke naam lene se kuch nahi hoga to aaj sab unki baat wyar t kar rahe hai
बहन जी मै नेपाल के एक सरकारी शिक्षक एवं बौद्ध उपासिका भी हुँ । बुद्ध धम्म व्यवहारिक ,तार्किक,पाखण्डरहित और विवेकशील ज्ञान उपलब्ध कराता है । आपका प्रस्तुति ने दिलको छू लिया ।
नमो बुद्धाय: ! जय भीम !!
बुद्ध के श्रेष्ठ विचार को समझाया , धन्यवाद जी।
बहुत ही अच्छा वीडियो बहुत-बहुत धन्यवाद नमो बुद्धाय
Apko bahut bahut dhanyawad jo aap buddha ke sandesh ko ghar ghar jagane ka kaam kar rahe hai Jay bhim namo buddhay
खुप छान खुप सुंदर वीडियो ताई 👌
बेहतरीन प्रस्तुति धन्यवाद आपका ।👍👍🙏🙏
❤️❤️ ye life anmole h ll बस को्ध पर काबू और क्षमा ll आप का परीबार स्वर्ग बन जायेगा ll ❤️❤️
क्रोध पर ब्रेक लगाने के लिए संयम की अवश्यकता है.और संयम आता है अहिंसा और शाकाहार से. इसलिए हाथी इतना ताकदवर होकर भी शांत है.
@@dwaitastroguru5187 aap shi ho jisa Ann byesa mn l malik ki kripa sb pr verse ll 🙏🙏🙏🙏🙏 g
❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
भगवान बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग।
1. सम्यक दृष्टि
2. सम्यक संकल्प
3. सम्यक वाणी
4. सम्यक कर्मांत
5. सम्यक आजीविका
6. सम्यक व्यायाम
7. सम्यक स्मृति
8. सम्यक समाधि
❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
अत्यंत प्रेरणादायी ।नमो बुद्धाय जय भीम जय भारत जय मूलनिवासी ।
नमो बुद्धाय🙏🙏 💐💐
🙏🙏🙏👌👌👌 नमो बुद्धाय
V nice presentation,thanku
Jay Bheem Namo buddhay bahut acchi lagi aapka kahani
Bahut Sundar 🌷 💐🌹💖 namo budhay 👏👏👏👏
मुझे तीस साल से पूजा पाठ मे कुछ नही मिला जितना एक महिने भगवान बुद्ध के उपदेश को सुनकर जीवन धन्य हो गया।
नमो-नमो बुद्धराम नमः
नमो बुद्धाय 🙏🙏🙏🙏🙏
Namo budhay ji
Nice share
सिंगर सी एल मीणा डेकवा आपके विचारों से बहुत प्रभावित हुआ
Veri good
Very nice
नमो बुद्धाय
Aapne mughe Buddha ideology ke karib laane me acchi example diye hain. Boond Boond se ghada bharta hai, waise hi choti choti Buddha ki baatein bhi Manushya ke jeevan me shanti làati hain basarte usko sahi tarah se samajha jaaye.
Namo Buddhaya Appko bhi.
Namo budhay
ओम पद्ममे होम नमो बुद्धय🌹🙏
लेकीन अंदर कैसे जाणे का , येणे की, स्वयं क्या ओर कैसे अनुभव करणे का ? ये विधी बता
Very Knowledgeable Video.. keep it up.. 👍
Jeevan path prashast karne ke liye dhanyavad Devi Jii
Bahutprednadayakprsanghai
Bhut sundar aur pyara video..
Bahut sundar
Thank you
Dhany bad
Bhut shandar video
Aapka bahut bahut dhanyvad didi🙏🙏🙏⭐️
Good
सब मानव जाती को काहणा चाहता है , भाईयो, बहनो,कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है उसके बिना ना अनुभव ना सीख मिलती है,जो जाता कर्म करेगा,वी जादा अनुभव करेगा, सिखेगा , पायेगा जिंदगी सवर जायेगी,जीवन का सफर पार होगा,बाकी सब व्यर्थ है
Khupach Chhan Post 👌
Lord Buddha 🌹🙏🌹
Nice
Great👍
Bahut achha
साधू साधू साधू 🙏🙏🙏
खुप छान 👌🙏
nice
खुप छान
Namo Buddhay
👌👌
🙏
What about various rituals of buddhism like vajrayanyaism
Right
Nano buddhya jay bhim
GOOD ONE. THE SAME SHOULD ALSO APPLICABLE TO OTHER RELIGIONS AT PAR🙏👍❤️.
Puja path se man ki santi or ojan layer ki raksha karti he
Nmo Budhay jai bhim 🙏❤️
❤❤❤❤
Ye kya h
Buddha ko intelligent our
rational log samaz, I sakate
hai bhuddhism ko
Namobudha🌹🌹
साधु साधु साधु 🙏🙏🙏
साधु साधु साधु साधु
Truly said
बुद्धि मान लोग किसी की अभेलना नहीं करते हैं ll आप तो बुद्धि मान हैं तो फिर
Like dn aap bhi aana
Ma'am 🙏💝
Vadant hai.
nmo bhuddhay jay bhim
Read book Gyan Ganga for trooth about Sapretual knowledge.
sadu sadu
🙏👍👍👍👍👍👉❤🇮🇳
Jishako apna itihaash janna hai vo retional world me aaye jo dushare ke itihaash ko apna itihaash manta hai vo apna avidenc lekaara aaye aur ha gaaly galaaoch logo ke liye koi jagah nahy hai
Satya Marg per Hi chalna puja hai Baki sab karna vyarth hai
Vagyaban Goutam buddha sanatan dharma ke hi gyan fehlaya
अमल करना भी जरूरी है।
Hindu log thanks karate hai praise prarthana our Prasad bantkar logo main .kiyoun ki hum sabhi surya chandrama water agni aakash dharti ke reani (owe) hai kiyoun ki hame sab kuch ye Devt a free main de rahe hai . Kya sap ahsan pharamosh hai?
😁😁😁😁😁😁
पूजा का अर्थ अलग है, उपासना, साधना का अलग, यज्ञ का उद्देश्य अलग होता है। पहले ज्ञान प्राप्त करो, फिर बांटो। ध्यान भी उपासना ही है।
तो फिर वंदना परित्राणपाठन बुद्धम शरम गच्छामि ॐ मणि पद्मे हूँ ये किस लिए है फिर
Tumhara name hi kafi he ki tum kitne soch sakteho
Wo word ka matlab jano tab pata chalega ,
Bhakti ka marg nahi janta budh.
Lekin buddh urmila kashyp jaise shishy to tayar nahi kar sake? Unhone pujapath se tayyar swishy hi hijacked!
Buddhism ko samaz ana
tumare bas ki baat Nahi
Kyo ki bhuddhism science
hai...Andhshradha nahi
Sadhu sadhu sadhu
🙏🙏🙏
No match to bhuddha namo bhuddhaye
क्या ये आवाज यशोधाराका हें?
SATYA SARTHAK SARWATHA .
Dharm kisi vises jaati ka ek dhandha hai aur kuch nhi
May navyani ho may 22 vowes the buddha and his dhamma writen by bodisatvaa dr ambedkar and open eyed buddha believer I don't believe god and meditation it's Selfishness
Bhai 22 vows me astangik marg diya hai na jisme meditation bhi ata hai
बुद्ध और कल्कि अवतार (अग्नि पुराण 16 वा अध्याय )
अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया ) मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे । तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है । जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८
इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त हुआ ।। १६ । ।
"जय भीम जय मीम " वालो से मेरा एक सवाल -
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में दलितों को आरक्षण हैं,
लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया में नहीं।
ऐसा क्यूँ ?????
कर्म प्रधानता तो गीता मैं लिखी हुईं इतना तंग होने की क्या जरुरत थी ये एक दुखी निराशा से भरी आत्मा थी
सब कुछ पहले से लिखा हुआ हैं खोजा हुआ हैं बस modify कर देते हैं अपने नोट्स तैयार क़रके छाप देते हैं और नया धर्म तैयार कर देते हैँ confuse करने के लिए
आप बौद्ध धम्म के बारे में दूश्प्रचार कर रही हो।
जब बौद्ध धम्म के बारे में जानकारी नहीं है तो बूद्ध धम्म के बारे में दूश्प्रचार नहीं करना चाहिए।
बुद्ध और कल्कि अवतार (अग्नि पुराण 16 वा अध्याय )
अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया ) मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे । तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है । जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८
इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त हुआ ।। १६ । ।
Sach toh Sirf Sanatan hai... Sach kabhi Chupa nahi reheta....
Agar pooja path vyarth hai or koi ishwar nhi hai to aap other bhagwan ki like krishna ki videos kyu banate ho
😊 जब आप उन वीडियो को सुनेंगे तब आपको स्वयं पता चल जाएगा 🙏🏻
@@soni-kinnisonihaiduniya999 aap bhi ek baar
Science Journey
Human with science
The realistic azad
Rational world
Satye ke darshan
Ye channels ko jarror visit kariyega
Buddh ka Gyan bekar hai. Pls read book Gyan Ganga.
😂😂 budh Bhagwan Vishnu ke hi Avtar the kyo ki jab detya asur yagya karke devtao se jyada shaktishali ho rahe the tab bhagwan vishnu ne budh ke rup me janm liya or un asuro ko bataya ki yagya karna sab vyarth hai bhog me hi Anand hai
Ab tum andhabhakta ka dimag itnahi bol saktahe 😁😁😁😁😁
Kya apne 10 divsni sibhir kriche
Kya apne 10 divsni sibhir kriche
@@nishan.tmg7 or tum jaiso ka dimag itna hi soch sakta hai 😆😆
@@pitambartrada1646 kya aap achche se bol sakte ho 😅
Bakwas video
फिर बुद्ध को भगवान क्यों मानूं
Kis n kaha man
Baat sab thik ye sab sirf sunte samay hi acha lagta par jaise hi apkea ye video hatte sab bhool jaynge jo bahut achha achha kar rahe hai
Sirf namo bhudhay kahne se gyan prapt hoga ye to jo bhudh ji kaha sirf pooja path ya bhagwan ke naam lene se kuch nahi hoga to aaj sab unki baat wyar t kar rahe hai
Aaj bhudh ji bhagwan manke sirf unki photo laga ke ye pakhnd nahi
Unhone to nahi kaha meri pooja par ghoom kar wahi pakhnd suru jaha se suraat hua isliye bhudh jaisa bano n ki unki pooja kare
Very nice
नमो बुद्धाय