दुष्कर्म का अर्थ है व्यक्ति अपने कर्मो से दूसरों को हानि ना पहुंचाए । अगर व्यक्ति अपने कर्मों से केबल स्वयं को हानि पहुंचाए तो क्या वह दुष्कर्म नही होगा..? जैसे हस्तमैथुन करना , इतना ही नशा करना जिससे किसी को कोई हानि ना हो । जैसे भगवान शंकर भांग का सेवन करते है किंतु सभी की भलाई करते है ।
सर , बहुत विरोधाभाष है , गृहपति कंगला नही होना चाहिए और मालिक जिसके यहाँ गृहपति मजदूरी कर रहा है वह व्यापार शील होना चाहिए क्या ऐसा कोई व्यक्ति है जो व्यापार शील हो और अपने यहाँ मजदूर लगाए कही ना कहीं तो उसको व्यापार शील भंग होता है और अगर गृहपति व्यापार शील भंग व्यक्ति से मजदूरी ग्रहण करता तो गृहपति गलत हुआ या फिर व्यापारी जिसने शील भंग कर धन कमाया और उस धन से मजदूरों को मजदूरी दी वह सही हुआ ।
🙏🙏🙏नमो बुद्धाय🙏🙏🙏
सबका मंगल हो साधु साधु साधु सामंत भाई दाफड़ा ❤❤❤
साधू साधू साधू 🌹🙏
साधु 🌷साधु 🌷साधु
Bahut badhiya hai aapko sab badhiya
Bahut badhiya goyanka ji aapka Jo bhashan sunta hun main pravachan sunta Hun to mere man ko bahut
साधु साधु साधु
Sadhu sadhu sadhu 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Mangal hi mangal ho...
सबका मंगल हो...।
Sadhu sadhu sadhu
सत वचन
कीसी के अ प्रियता के कारण हम अपनी वाणी सत्य से असत्य में परिवर्तन करते है, तो क्या यह उसके लिए धोखा नहीं होगा?🙏मंगल हो
Mangal ho sadhu sadhu sadhu
Best
Sabka mangal ho
Mangal ho
यह विराट जो पूर्ण है, अंश के पीछे नही चल सकता 🌹
दुष्कर्म का अर्थ है व्यक्ति अपने कर्मो से दूसरों को हानि ना पहुंचाए । अगर व्यक्ति अपने कर्मों से केबल स्वयं को हानि पहुंचाए तो क्या वह दुष्कर्म नही होगा..? जैसे हस्तमैथुन करना , इतना ही नशा करना जिससे किसी को कोई हानि ना हो । जैसे भगवान शंकर भांग का सेवन करते है किंतु सभी की भलाई करते है ।
🙏Thank you so much for wonderful explaination.Be happy.
🙏🙏🙏
धर्म का पहला आंग है शील,रही मन बावरी,बोली सोच समझ कर करे,मीठी वाणी चाहिए,फिर सुख ही सुख है,
सबका मंगल होय रे सबका मंगल होय 🙏🙏🙏
Sheel ka Matlab Bramhacharya hota Hai na ?
🙏🙏sabhka mangal ho🙏🙏
Sandhar
sildharma ki nib he
धन्यवाद गोयंकाजी!
सर , बहुत विरोधाभाष है , गृहपति कंगला नही होना चाहिए और मालिक जिसके यहाँ गृहपति मजदूरी कर रहा है वह व्यापार शील होना चाहिए क्या ऐसा कोई व्यक्ति है जो व्यापार शील हो और अपने यहाँ मजदूर लगाए कही ना कहीं तो उसको व्यापार शील भंग होता है और अगर गृहपति व्यापार शील भंग व्यक्ति से मजदूरी ग्रहण करता तो गृहपति गलत हुआ या फिर व्यापारी जिसने शील भंग कर धन कमाया और उस धन से मजदूरों को मजदूरी दी वह सही हुआ ।
Sandhar