May this year Lord ganssh kills this corona virus ,and next year with full energy and happiness and with dhol and Tasha we will dance and bring our dearest Lord ganesha.🙏Ganpati Bappa Morya🙏
मुंबई महाराष्ट्र में क्या कमी है मजदूरों की यूपी बिहार के लोग रोजगार ले लेते हैं महाराष्ट्र का अब दो रोजगार महाराष्ट्र के लोगों को और कम पड़े तो राज ठाकरे को बता देना उनकी नजर में बहुत लोगा हैं महाराष्ट्र के बेरोजगार ।
गणपति की असलियत... अभी लोकशाही व्यवस्था में देश का प्रमुख "राष्ट्रपति" होता है, उसी प्रकार प्राचीन भारत में गण व्यवस्था होती थी और उस गण व्यवस्था का प्रमुख "गणपति" होता था. याने के जो राजा/सम्राट होता था उसको गणपति (गण) बोलते थे गण मतलब मुखया/राजा/सम्राट और उसके प्रजा को (पति) बोलते थे. "गणपति बाप्पा मोरया" अर्थात मौर्य राजाओ में गणपती ~"चन्द्रगुप्त मोरया" विदेशी ब्राह्मणो ने इसी गणपति शब्द से गणपति उठा लिया और आगे उन्ही का मोर्य नाम लगा दिया किउ की विदेशी कपटी ब्राह्मणो या कहो युरेशियन ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंगने (राम,परशुराम) ने आखरी बृहद्रथ मोर्य की धोकेसे हत्या करके अपना कपटी मानवता के ख़िलफ ब्रह्मणराज्य प्रस्थापित किया... और इस मौर्य शासन से पहले प्राचीन भारत में एक राजघराने में "सिद्धार्थ गौतम" राजकुमार का जन्म हुआ। वही आगे चल कर "शाक्य गण" का प्रमुख हुए. कालांतर में सिद्धार्थ ने बुद्धत्व प्राप्त किया ....। और विदेशी ब्राह्मण पहिलेसेही बुद्ध के खिलाफ थे. अब सच्चे गणपति और काल्पनिक गणपति के बीच में का फर्क समझ लेते है । कूछ चालाक कपटी ब्राह्मणों ने सच्चे गणपति को काल्पनिक गणपति बनाया। शाक्य गण का प्रमुख इस नाते से लोग "बुद्ध "को उस वक्त गण का पति अर्थात गणपति कहने लगे थे। उसी प्रकार जब बुद्ध लोगों को धर्म का सन्देश देते थे तब उनके संदेशों में दो शब्दों का मुलभुत रूप से उल्लेख होता था, वे शब्द है, 1.चित्त और 2.मल्ल चित्त याने शरीर (मन) और मल्ल यानि मल (अशुद्धी). तुम्हारे शरीर व मन से मल निकाल देने पर तुम शुद्ध हो जाओगे और दुःख से मुक्त हो जाओगे, ऐसा बुद्ध कहते थे. इसी संकल्पना को विकृत कर, विदेशी कपटी ब्राह्मणों ने काल्पनिक पार्वती के शरीर से मल निकालकर एक बालक (अर्थात गणपति) के जन्म की कहानी को प्रस्तुत कर दी। गौतम बुद्ध के सबसे पाहिले अनुयायी नागलोग (नागवं शी) थे। पाली भाषा में "नाग" का अर्थ "हाथी" होता है. और बुद्ध की माँ महामाया के अनेक शिलालेख, स्तूपों पे सम्राट अशोका ने बनाये हुए मिलते हे उसमे भी महामाया माँ के आजु बाजू 2 हाथी दिखते हे. और उसी शिलालेख और मूर्तियों से विदेशी आर्य ब्राह्मणो ने महामाया से महालक्ष्मी बना दी. इसी लिए ब्राह्मणो ने...., "हाथी का सर काटा और बालक को लगाया शिवजी ने" ऐसा प्रचार किया और लिखा. और तथागत बुद्ध ज्ञान के प्रतिक हुआ करते थे पुरे अखंड भारत के फिर कपटी ब्राह्मणो ने ऐसा भी प्रचार कर दिया की गणपति ज्ञान का प्रतिक हे. इसलिए इस नए जन्मे बालक (सिद्धार्थ) को हाथी के स्वरुप में बताया गया है अर्थात, हाथी बुद्ध के जन्म का प्रतीक है और हाथी बौद्ध धर्म का भी प्रतीक है। इस सत्य को छुपाने के लिए, कपटी ब्राहमणों ने काल्पनिक पार्वती के काल्पनिक पुत्र को हाथी की गर्दन लगाई, किसी अन्य प्राणी जैसे शेर, बैल, गाय, घोडा, चूहा की गर्दन नहीं लगाईं......!!! " अष्टविनायक का सत्य " जगत में दुःख है, यह बात दुनिया में सबसे पहले बताने वाला बुद्ध ही था और दुःख को दूर कर सुखी होने के लिए "अष्टांगिक मार्ग" भी बुद्ध ने ही बताया. "अष्टांगिक" मार्ग का अवलम्ब करने से दुःख नष्ट होता है यह बुद्ध ने सिद्ध कर दिखाया। यह आठ नियम या सिद्धांत विनय से सम्बंधित है. इसलिए, बुद्ध को 'विनायक' कहा गया और " आठ मार्गो " पर विनयशील होने से "अष्टविनायक "भी बुद्ध को ही कहा गया था. अर्थात, अष्टांगिक मार्ग से अष्टविनायक होकर दुःख को नष्ट कर सुख की प्राप्ति करवाने वाला बुद्ध था. इसलिए, बुद्ध को लोग 'सुखकर्ता और दुखहर्ता' कहने लगे थे. इस सत्य को दबाने के लिए विदेशी कपटी ब्राहमणों ने काल्पनिक गणपति को अष्टविनायक भी कहा और सुखकर्ता दुखहर्ता भी कहा। सारा का सारा छाप दिया और एक मंघडत कल्पनिक गणपति बना लिया. और वास्तव में गणपति बना बनाया हुआ काल्पनिक पात्र हे जो गौतम_बुद्ध की और उनके सिद्धान्तों की और चन्द्रगुप्त_मोर्य और सभी मोर्य कालीन सम्राट की विटम्बना हे. या ये केह लो "भारत के लोगों की और सम्राटोन की कपट से हत्या और उनके हार का जश्न और विदेशी_ब्राह्मणो का जीत का प्रतिक याने विदेशी आर्य ब्राह्मणो ने बनाया हुआ गणपति..." विदेशी कपटी ब्राहमणों ने बुद्ध के अस्तित्व को नष्ट करने के लिए काल्पनिक गणपति का निर्माण किया।
गणपती बाप्पा मोरया तयारीला लागा झोरात.तयारी.करा
Ganpati bappa morya
Jai ganpati bappa
Hoga definitely Festival hoga, No matter what 22nd August will be celebrated with lots of love and joy. Ganpati Bappa Morya.
Ha bhai
Right bro mumbai is king to make this festival
Nitu pandey
I will be so sad..
Kaash.. Hum log Ganesh Chaturthi bana sake..
Hey Ganpati Bappa.. Kuch toh kijiye... 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🥺🥺🥺💔💔💔
अब तो गणपति बप्पा हि हमें इस महामारी से बचा सकते है। सब उनकी मर्जी से होगा बोल गणपति बप्पा मोरिया !
Corona ka khatma Jun me 100%Ganpati bapa morya. Aap sahi kah rahi ho bahan
Bilkul sahi
Ganpti bappa moriya 🙏🙏
Shri Shri Ganeshaya namah Koi Rasta dikhao Ganpati Bappa
Ganpati baapa moriya 🙏🙏
ऊं गणेशाय नमः।।
Saala ye China ke wajah se hum ganpati bappa ka is baar welcome nhi Kar paaenge 😔😔😔😔
Lord ganesh will finish corona virus for sure
Ganpati bappa moriya...
May this year Lord ganssh kills this corona virus ,and next year with full energy and happiness and with dhol and Tasha we will dance and bring our dearest Lord ganesha.🙏Ganpati Bappa Morya🙏
He Deva, Corona Var Laksh Theva, & Complete Vat Lawa
I also wish the same
Kewal news wale hi banaynge festival
Bappa will come again
Papa aaenge Corona Lekar Jaenge Ganpati Bappa Moriya..jai bhole
मुंबई महाराष्ट्र में क्या कमी है मजदूरों की यूपी बिहार के लोग रोजगार ले लेते हैं महाराष्ट्र का अब दो रोजगार महाराष्ट्र के लोगों को और कम पड़े तो राज ठाकरे को बता देना उनकी नजर में बहुत लोगा हैं महाराष्ट्र के बेरोजगार ।
BAPPA ❤️
Canapati bapa moreya ❤🙏🏼
रेश्मा खातू मुंबई no 1 मूर्तिकार
गणपति की असलियत...
अभी लोकशाही व्यवस्था में देश का प्रमुख "राष्ट्रपति" होता है, उसी प्रकार प्राचीन भारत में गण व्यवस्था होती थी और उस गण व्यवस्था का प्रमुख "गणपति" होता था. याने के जो राजा/सम्राट होता था उसको गणपति (गण) बोलते थे गण मतलब मुखया/राजा/सम्राट और उसके प्रजा को (पति) बोलते थे.
"गणपति बाप्पा मोरया" अर्थात
मौर्य राजाओ में गणपती ~"चन्द्रगुप्त मोरया"
विदेशी ब्राह्मणो ने इसी गणपति शब्द से गणपति उठा लिया और आगे उन्ही का मोर्य नाम लगा दिया किउ की
विदेशी कपटी ब्राह्मणो या कहो युरेशियन ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंगने (राम,परशुराम) ने आखरी बृहद्रथ मोर्य की धोकेसे हत्या करके अपना कपटी मानवता के ख़िलफ ब्रह्मणराज्य प्रस्थापित किया...
और इस मौर्य शासन से पहले प्राचीन भारत में एक राजघराने में "सिद्धार्थ गौतम" राजकुमार का जन्म हुआ। वही आगे चल कर "शाक्य गण" का प्रमुख हुए. कालांतर में सिद्धार्थ ने बुद्धत्व प्राप्त किया ....।
और विदेशी ब्राह्मण पहिलेसेही बुद्ध के खिलाफ थे.
अब सच्चे गणपति और काल्पनिक गणपति के बीच में का फर्क समझ लेते है ।
कूछ चालाक कपटी ब्राह्मणों ने सच्चे गणपति को काल्पनिक गणपति बनाया। शाक्य गण का प्रमुख इस नाते से लोग "बुद्ध "को उस वक्त गण का पति अर्थात गणपति कहने लगे थे। उसी प्रकार जब बुद्ध लोगों को धर्म का सन्देश देते थे तब उनके संदेशों में दो शब्दों का मुलभुत रूप से उल्लेख होता था, वे शब्द है,
1.चित्त और 2.मल्ल
चित्त याने शरीर (मन) और मल्ल यानि मल (अशुद्धी). तुम्हारे शरीर व मन से मल निकाल देने पर तुम शुद्ध हो जाओगे और दुःख से मुक्त हो जाओगे, ऐसा बुद्ध कहते थे. इसी संकल्पना को विकृत कर, विदेशी कपटी ब्राह्मणों ने काल्पनिक पार्वती के शरीर से मल निकालकर एक बालक (अर्थात गणपति) के जन्म की कहानी को प्रस्तुत कर दी।
गौतम बुद्ध के सबसे पाहिले अनुयायी नागलोग (नागवं शी) थे। पाली भाषा में "नाग" का अर्थ "हाथी" होता है.
और बुद्ध की माँ महामाया के अनेक शिलालेख, स्तूपों पे सम्राट अशोका ने बनाये हुए मिलते हे उसमे भी महामाया माँ के आजु बाजू 2 हाथी दिखते हे. और उसी शिलालेख और मूर्तियों से विदेशी आर्य ब्राह्मणो ने महामाया से महालक्ष्मी बना दी.
इसी लिए ब्राह्मणो ने....,
"हाथी का सर काटा और बालक को लगाया शिवजी ने" ऐसा प्रचार किया और लिखा.
और तथागत बुद्ध ज्ञान के प्रतिक हुआ करते थे पुरे अखंड भारत के फिर कपटी ब्राह्मणो ने ऐसा भी प्रचार कर दिया की गणपति ज्ञान का प्रतिक हे.
इसलिए इस नए जन्मे बालक (सिद्धार्थ) को हाथी के स्वरुप में बताया गया है अर्थात, हाथी बुद्ध के जन्म का प्रतीक है और हाथी बौद्ध धर्म का भी प्रतीक है। इस सत्य को छुपाने के लिए, कपटी ब्राहमणों ने काल्पनिक पार्वती के काल्पनिक पुत्र को हाथी की गर्दन लगाई, किसी अन्य प्राणी जैसे शेर, बैल, गाय, घोडा, चूहा की गर्दन नहीं लगाईं......!!!
" अष्टविनायक का सत्य "
जगत में दुःख है, यह बात दुनिया में सबसे पहले बताने वाला बुद्ध ही था और दुःख को दूर कर सुखी होने के लिए "अष्टांगिक मार्ग" भी बुद्ध ने ही बताया. "अष्टांगिक" मार्ग का अवलम्ब करने से दुःख नष्ट होता है यह बुद्ध ने सिद्ध कर दिखाया। यह आठ नियम या सिद्धांत विनय से सम्बंधित है. इसलिए, बुद्ध को 'विनायक' कहा गया और " आठ मार्गो " पर विनयशील होने से "अष्टविनायक "भी बुद्ध को ही कहा गया था. अर्थात, अष्टांगिक मार्ग से अष्टविनायक होकर दुःख को नष्ट कर सुख की प्राप्ति करवाने वाला बुद्ध था. इसलिए, बुद्ध को लोग 'सुखकर्ता और दुखहर्ता' कहने लगे थे.
इस सत्य को दबाने के लिए विदेशी कपटी ब्राहमणों ने काल्पनिक गणपति को अष्टविनायक भी कहा और सुखकर्ता दुखहर्ता भी कहा। सारा का सारा छाप दिया और एक मंघडत कल्पनिक गणपति बना लिया.
और वास्तव में गणपति बना बनाया हुआ काल्पनिक पात्र हे जो गौतम_बुद्ध की और उनके सिद्धान्तों की और चन्द्रगुप्त_मोर्य और सभी मोर्य कालीन सम्राट की विटम्बना हे. या ये केह लो "भारत के लोगों की और सम्राटोन की कपट से हत्या और उनके हार का जश्न और विदेशी_ब्राह्मणो का जीत का प्रतिक याने विदेशी आर्य ब्राह्मणो ने बनाया हुआ गणपति..."
विदेशी कपटी ब्राहमणों ने बुद्ध के अस्तित्व को नष्ट करने के लिए काल्पनिक गणपति का निर्माण किया।
भिमटा साला....मलमूत्र निवासी 😂😂
Bahut hi dikat hai
Gharguti ganapati basnar Ka?
What a name khatu
😩😷
Nahin ruk ne wala chaye khuch v kar
Maharashtra ki Amir ne garib ko roti a Sahara koi v nahi Dia...
Koi Nahi rahega sab chale jayenge