'मैं हूँ' का भाव ही गुरू है (A Tribute to Shri Nisargdutt Maharaj)
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- Опубліковано 20 сер 2024
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❤मैं हू यहीं आत्मा ज्ञान है ❤प्रणाम स्वामी जी ❤
Hariom Tatsat namah Shivay
ॐ
सत्य जंगलों में नहीं मिलेगा। न ही आश्रमों में मिलेगा। सत्य तो हमारे दैनिक जीवन को आध्यात्मिक दृष्टि के अनुसार जीने से मिलेगा । 💯 प्रतिशत सत्य। बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏दंडवत प्रणाम महाराज जी🙏
महाराज जी आपका सत्संग सुनते ही हृदय गदगद हो गया और जो अपने गुरु की परिभाषा बताइ वह बहुत अच्छी लगी क्योंकि अभी तक गुरु के नाम पर भटकाव ही मिला है और गुरु के नाम पर हर जगह शोषण ही देखने को मिलता है महाराज जी हमने बहुत सी जगह देखा है मंदिरों में आश्रमों में हर जगह कहीं ना कहीं गुरु के नाम पर सेवा दान आदि देखने को मिलता है पर आपने बहुत ही सरल शब्दों में बताया कि आखिरकार गुरु किस चीज का नाम है
🙏प्रणाम आपके चरणो में कोटि कोटि नमन🙏
महाराज जी प्रणाम,
अगर कोई अध्यात्म का विद्यार्थी है तो आप सर्वश्रेष्ठ शिक्षक हैl अगर कोई समझे तो यह जीवन परिवर्तन करने वाला सत्संग हैl कोटि कोटि धन्यवाद🙏🙏
Hari Om Guruji
🙏दंडवत प्रणाम महाराज जी 🙏
आपकी वाणी अति सुंदर है और आपकी वाणी से हम प्रभावित हैं और आपकी वाणी से जीवन परिवर्तन हो रहा है हमारा और हमको पता चल गया है कि आध्यात्म क्या है आपने बहुत ही सरल शब्दों में समझाया है और आपके सत्संग सुनने के बाद अब हम अध्यात्म के नाम पर हमारा शोषण नहीं हो सकता है
दंडवत प्रणाम महाराज जी आपके 🙏चरणों में कोटि कोटि नमन🙏
पूर्ण सत्य बता दिया आपने 😊
जीवन को सजग होकर देखनें में ही मिलेगा सत्य कहा आपनें प्रणाम 🙏
प्रणाम महारज जी 🙏| आपने परम गोपनिय ज्ञान को यथार्थ रुप मे वर्णन करके बताया की
कृपा बाहर से नहीं मिलेगी पर अन्दर से अपने आप से ही मिलेगी। आत्मा ही खुद कृपा है। आत्माकार को अन्दर से ही आशीर्वाद मिलेगा बाहर से नहीं। बाहर से कहीं से भी कृपा नहीं होगी। 'सब कुछ घर में बाहर नाहीं, बाहर टोले से भरम भुलाई। जहा तक मुझे समझ में आया वो इस प्रकार से हे|
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।
आपको कोटि कोटि प्रणाम 🙏
Pranam maharaj ji 🙏🙏
Adhyatm ko satsang mai bahut hi saralta se samjhaya gaya hai
Hridaye se aap ka dhanyawad .
Pranam Maharaj ji, I truly liked this video ❤
Hariom Prabhu
आप प्रकर्ती की जबरदस्त रचना हैं,सत्य से भटका रहे हैं, खुद भ्रमित हैं, अन्यों को भी सत्य से भटका रहे हैं, प्रकर्ती इसी सोच के जीवों से अपना कारोबार चला रही है और सत्य जो परमात्मा है आत्मा है उससे विमुख कर रही है,आप आत्मा नहीं शरीर और मन की अद्भुत प्रकर्ती प्रदत्त जीव रुप में रचना हैं और कुछ नहीं
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत बहुत अच्छा बिलकुल सत्य वचन
❤❤❤❤❤
👏🌹👏
Jay guru dew
Great work guru dhanyvad 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🎉🎉🎉
परन्तु ये भी एक सच्चाई है कि यदि शरीर बीमार हो या किसी गहरी चोट के कारण हम क्या शरीर की अवहेलना कर सकते हैं यदि शरीर अति भूखा हो दो चार दिन से खाना ना मिला हो तो उससे कह सकते हैं कि तू शरीर नहीं है हो सकता है कि बहुत ऊंचाई पर पहुंचा सिद्ध महापुरुष ही ऐसा कर सकता हो बहुत भूखा और रोग से तड़पता मनुष्य ऐसा संवाद करने वाले को भगा ही देगा
महाराज जी, आपके इस वीडियो के लिए मेरा कोटि-कोटि आभार! यह सत्संग वीडियो बहुत ही सीधा और समझने में आसान है। वीडियो में दी गई शिक्षाओं को समझने और उन्हें अपने जीवन में लागू करने वाले व्यक्ति के लिए, उनका उद्धार निश्चित है। 🙏
धन्यवाद जी 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
👏👏👏👏👏👏🙏🙏
Video provides true spiritual guidance to a true seeker with intact step by step excellent dialogs welcoming to enlightening facts. Amazing !
Thank you so much 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मै हु के बोध की बहुत सुंदर व्याख्या ,मै हु कोई कोई हलका शब्द नही है यदि कोई इसको समझ कर और इस मै हु के बोध मे रहने लगे तो इस समय ऐसा आएगा कि dvait भाव मीट जायेगा और समाधि मे advait भाव से चैतन्य की अनुभूति होने लगेगी।प्रणाम
❤❤❤
सुन्दर 🌹
Excellent 👍
Extraordinary
Bhutsundersatynmnapko
Thanks nd god bless u
Shisyatw ko viksit karna pahle aawasyakta hai! Jab grahansheelta ka vikas hoga tabhi sabka ekmatra guru yani guruon ka guru hamare prati krapa varsha karega! Vaise satat krapa sada se baras rahi hai aur grhansheelta.ke viksit hone ki jarurat hai.
Vivek naam ka guru sada se sabko uplabdh hi hai. Fir aage Supre Power guide karegi.
1. A) मूलभूत ज्ञान क्या है?
B) ऐसा कौन सा ज्ञान है कि जिसके अतिरिक्त बाकी सब अज्ञान हो?
C) कौन सा ऐसा ज्ञान है जिसका किसी भी तर्क के द्वारा खण्डन ना हो सके। (क्यूंकि जिसका खंडन किसी तर्क के द्वारा हो सके वो ज्ञान नहीं अज्ञान ही है।)
2. ईश्वर (है), आत्मा (है), भगवान (है), भगवान की लीला, गीता- उपनिषद आदि के वचनों इन सबका का खंडन नास्तिक बड़ी सरलता से कुछ ही तर्कों द्वारा कर देते है।
4. पॉइन्ट 2 में वर्णित ये सब बातें अज्ञान सिद्ध होती है यदि पॉइंट '1 C)' की दृष्टि से देखे।
5. और सही में ये सब अज्ञान (धारणाएं) है, गीता-उपनिषद आदि भी।
6. मूलभूत ज्ञान कोई शब्दों द्वारा अभिव्यक्त नहीं होता। सारे शास्त्र धारणा
ही प्रस्तुत कर सकते हैं और ये सारी धारणाएं दूसरी तर्कपूर्ण धारणाओं से सरलतापूर्वक काटी जा सकती है।
7. सिर्फ एक बात ही है जो नहीं काटी जा सकती।
8. वो यह कि 'मैं हूँ'। कोई यदि कहे कि मैं नहीं हूँ यह कहने के लिए भी 'वो है' तभी तो कहता है कि मैं नहीं हूँ।
9. 'मैं हूँ' बस यही एकमात्र मूलभूत ज्ञान है जिसका की खंडन नहीं किया जा सकता। आस्तिक-नास्तिक, हिन्दू-मुस्लिम आदि सब विचारधाराएं यहाँ एक है, प्रतिद्वंदी नहीं है।
10. यह 'मैं हूँ' का भाव ही सब शास्त्रों का सार है। ये ईश्वरीय भाव है जो आपके भीतर सतत विद्यमान है। ये आप है और यही सब कुछ है। यही मूलभूत ज्ञान है। ('मैं हूँ' इन दो शब्दों पर नहीं अपने होने के अहसास पर
Maharaj ji hamm deh ( body ) nahi he hamm atma he . It is true .
Lekin agyan vash hamm swam ko deh etyaadi maan bethe he .
Mme ye jaanana chaahata hu ki atma ke saapeksh ( with reference to Atma) mere sharir or koi bhi vastu ( so called nirjiv / any object etc ) mme kya difference he .
Mere sharir ( only body ) avam ye ddo eyes se dikhaai dene wale jagat me kya difference hhe avam kya sambandh he .
Mere Sharir mme hi mera honaa pan kyo feel hota he orr sabhi jagah kyo nahi .
Please reply . Dhanyawad.
प्रणाम!
वीडियो देखने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने प्रश्न और सुझाव हमें नीचे दिए गए ईमेल पते पर भेजें ताकि हम महाराज जी द्वारा आपको विस्तृत समुचित उत्तर उपलब्ध करवा सके:
ईमेल आईडी: satya_ki_aur@yahoo.com
सत्य की ओर - हंसानंद जी महाराज